RBSE Solutions for Class 12 English Kaleidoscope Drama Chapter 1 Chandalika

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 English Kaleidoscope Drama Chapter 1 Chandalika Textbook Exercise Questions and Answers.

The questions presented in the RBSE Solutions for Class 12 English are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 12 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Our team has come up with job letter class 12 to ensure that students have basic grammatical knowledge. 

RBSE Class 12 English Solutions Kaleidoscope Drama Chapter 1 Chandalika

RBSE Class 12 English Chandalika Textbook Questions and Answers

Thinking about the Play :

Question 1. 
Why does something so ordinary and commonplace as giving water to a wayfarer become so significant to Prakriti?
प्रकृति के लिए इतनी सामान्य बात जैसे कि एक पथिक को जल पिलाना, इतनी महत्त्वपूर्ण घटना क्यों बन जाती है?
Answer:
Generally it happens that even a simple event plays an important role in somebody's life. So happens with Prakriti. Prakriti belongs to a lower caste of chandals. So she says herself to be chandalini. Throughout her life, she faces contempt of the higher caste people as is the common lot of the lower caste people. She is considered 'unclean' and 'untouchable'. 

RBSE Solutions for Class 12 English Kaleidoscope Drama Chapter 1 Chandalika

She has never experienced love and respect from any person of society. So she longs for love and to be loved. This is the reason why the wayfarer Ananda, a Buddhist monk, comes to her and asks water from her, she becomes overjoyed. Ananda makes her realize her worth. She is overcome with the newfound emotions of self-respect as well as regard, honour, and love for the monk. 

His words “Give me water” intunes in her ears. She finds a new freedom as she says that it is a new birth which the monk has given to her with his words. She becomes crazy to find him. She considers herself no more chandalini now. She feels that she also has all the rights to perform all the acts that others do. In this way an ordinary act of giving water to a wayfarer becomes a significant incident which liberates her from the chains of the pressure of society.

सामान्य रूप से, ऐसा होता है कि एक सामान्य सी घटना किसी व्यक्ति के जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रकृति के साथ भी ऐसा ही होता है। प्रकृति चाण्डालों की निम्न जाति से आती है। इसिलए वह स्वयं को चाण्डालिनी कहती है। अपने जीवनभर, वह उच्च जाति के लोगों की प्रताड़ना को झेलती है जो कि छोटी जाति के लोगों का एक सामान्य भाग्य होता है। उसे 'अशुद्ध' तथा 'अछूत' माना जाता है। उसे समाज के किसी भी वर्ग के व्यक्ति से प्रेम और सम्मान नहीं मिला है। 

इसलिए वह प्रेम करने और उसे प्रेम किए जाने के लिए बेचैन है। यही कारण है कि एक पथिक आनन्द जो कि बौद्ध भिक्षु है, जब उसके पास आता है और पानी माँगता है तो वह खुशी से भर जाती है। आनन्द उसे उसका मूल्य महसूस करवाता है । वह नई-नई प्राप्त आत्मसम्मान की भावनाओं से भर जाती है साथ ही वह भिक्षु के लिए सम्मान और प्रेम महसूस करती है। उसके शब्द "मुझे पानी पिला दो" उसके कानों में गूंजते रहते हैं।

उसे एक नई स्वतन्त्रता प्राप्त होती है जब वह कहती है कि यह एक नया जीवन है जो कि भिक्षु ने उसे अपने शब्दों  दिया है। वह उसे पाने के लिए पागल हो जाती है। अब वह अपने आपको चाण्डालिनी नहीं मानती। वह महसूस करती है कि उसे भी वे सारे कार्य करने का अधिकार है जो दूसरे लोग करते हैं। इस प्रकार एक पथिक को पानी पिलाने जैसा एक सामान्य कार्य एक महत्त्वपूर्ण घटना बन जाता है जो कि समाज के दबावों की जंजीर से उसे ऊँचा उठा देता है।

Question 2. 
Why is the girl named Prakriti in the play? What are the images in the play that relate to this theme?
नाटक में लड़की को प्रकृति नाम क्यों दिया गया है ? नाटक में वे कौनसी छवियाँ हैं जो इस विषयवस्तु से सम्बन्धित हैं ?
Answer:
The playwright has very skillfully named the girl 'Prakriti' in the play. The play is interwoven with the decorations of language. The playwright very skillfully expresses the themes of the play through names. Prakriti is termed as 'Nature'. Here the playwright has put Prakriti's realization of being a woman. She identifies herself as a woman. She is eager to have nature with her. 

She realizes that she has been unjustify treated by society. She was considered 'unclean' and 'untouchable’ throughout her life. When the realises her personality, she gathers new courage and fills herself with new thoughts that she is also a part of this society as all other persons are. She is the control figure of the play. The theme of the play is water which is nature. 

It has the quality to wash and clean all the dirt and unwanted things. It symbolizes that Prakriti washes away the unjust and tyranny of the society by serving water to the monk. In the magic mirror, she sees a great upheavel in the nature. It happens because of some disturbance in her nature, and finally she experiences some ugly aspects of Nature. 

She yearns for the monk and for this purpose, she forces her mother to put the monk under a spell to bring him to her. There are dark clouds, heavy storm, lightening and thunder. These are natural images which help to form the theme of the drama. When she goes against nature by calling the monk, she has to pay a heavy price for it. Thus, the girl is rightly names as Prakriti.

RBSE Solutions for Class 12 English Kaleidoscope Drama Chapter 1 Chandalika

नाटककार ने अत्यन्त कुशलता से नाटक में लड़की का नाम 'प्रकृति' रखा है, नाटक भाषा की सजावट में गुंथा हुआ है। नाटककार ने अत्यन्त कुशलता से नाटक में नामों को विषयवस्तु के साथ व्यक्त किया है। 'प्रकृति' को 'नेचर' (प्रकृति) कहा गया है। यहाँ पर नाटककार ने प्रकृति को एक महिला के रूप में अपनी पहचान दिलाई है। वह स्वयं को एक महिला के रूप में पहचानती है। वह प्रकृति को अपने साथ आने की इच्छुक है। वह महसूस करती है कि समाज ने उसके साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार किया है। 

उसे जीवनभर 'अशुद्ध' और 'अछूत' माना जाता था। जब वह अपने व्यक्तित्व को पहचानती है तब वह नया साहस प्राप्त करती है और अपने आपको नवीन विचारों से भर लेती है कि वह भी इस समाज का अंग है जिस प्रकार दूसरे लोग हैं। वह नाटक का केन्द्रीय पात्र है। नाटक की कथावस्तु जल है जो कि प्रकृति ही है। इसमें धूल और अन्य अवांछित वस्तुओं को साफ करने का गुण है। यह प्रतीक है कि प्रकृति भिक्षु को पानी पिलाकर समाज के अन्याय एवं अत्याचार को साफ कर देती है। जादुई दर्पण में, वह प्रकृति में अत्यन्त उथल-पुथल देखती है। 

ऐसा उसकी अपनी प्रकृति में कुछ परेशानियों के कारण होता है और अन्त में वह प्रकृति के कुछ भद्दे पक्षों का अनुभव करती है। उसकी भिक्षु को पाने की तीव्र इच्छा है और इस उद्देश्य के लिए वह अपनी माँ को बाध्य करती है कि भिक्षु को उसके पास आने के लिए वह जादू चलाये। इसमें घने काले बादल, भारी तूफान, बिजली और कड़क है। ये सभी प्राकृतिक छवियाँ हैं जो कि नाटक की विषयवस्तु का निर्धारण करती हैं। जब वह भिक्षु को बुलाकर प्रकृति के विरुद्ध जाती है तो उसे इसकी एक भारी कीमत चुकानी पड़ती है। इस प्रकार, लड़की का नाम प्रकृति ठीक ही रखा गया है।

Question 3. 
How does the churning of emotions bring about self-realisation in Prakriti even if at the cost of her mother's life?
भावनाओं का विदोहन किस प्रकार प्रकृति में आत्म-प्रकटीकरण की भावना उत्पन्न करता है यद्यपि इसकी कीमत उसकी माँ की मृत्यु होती है? ।
Answer:
Prakriti is quite aware about the dire consequences if her mother casts spell on the monk. But she does not escape from the temptation and her mother exercises the magic spell. Her mother warns her that her spell is being weaker again and again. It was not easy for her to spell bound a Buddhist monk. At last, she asks Prakriti to look into the magic mirror. When Prakriti peeps into the magic mirror, she is horrified at the sight. She becomes blind because of her selfishness even at the cost of her mother's death.

She has dragged the monk to her against his will because of her infatuation towards him. When she looks into the mirror, she finds the monk devoid of radiance, purity and heavenly glow. His head is hung low in shame. She comes to know the consequences of her actions and cries out for her mother to stop and undo the spell. She realizes her mistake but it has been too late and she has to pay a heavy price for her new birth that brings death of her mother. 

प्रकृति को उन भयानक परिणामों की पूर्ण जानकारी है यदि उसकी माँ भिक्षु के ऊपर अपना जादू चलाएगी। लेकिन वह लालच से नहीं बच पाती है और उसकी माँ जादू का प्रयोग करती है। उसकी माँ उसे चेतावनी देती है कि उसका जादू बार-बार कमजोर हो रहा है। उसके लिए एक बौद्ध भिक्षु को मंत्रमुग्ध कर देना आसान नहीं था। अन्त में वह प्रकृति से जादुई दर्पण में देखने के लिए कहती है। जब प्रकृति दर्पण में झाँकती है तो दृश्य देखकर वह घबरा जाती है। वह अपने स्वार्थ के कारण आँखें बन्द कर लेती है जिसकी कीमत उसे माँ की मृत्यु के रूप में चुकानी पड़ती है। 

वह भिक्षु को उसकी इच्छा के विरुद्ध अपनी ओर खींच लाती है अपने उसके प्रति प्रेमभाव के कारण। जब वह दर्पण में देखती है तो वह भिक्षु को उल्लास, पवित्रता और नैसर्गिक चमक से रहित पाती है। उसका सिर शर्म से नीचे झुका हुआ है। उसे अपने कार्यों के परिणामों के बारे में पता चलता है और वह चीखकर अपनी माँ से उसे रोकने और जादू को वापस लेने के लिए कहती है। वह अपनी गलती महसूस करती है लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है और उसे अपने नये जीवन की एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है जो कि उसकी माँ. की मृत्यु के रूप में आती है।

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Question 4. 
How does the mirror reflect the turmoil experienced by the monk as a result of the working of the spell?
जादू के कार्यशील होने के परिणामस्वरूप भिक्षु ने जो कष्ट अनुभव किया, उसे दर्पण किस प्रकार दिखाता है?
Answer:
Prakriti has become so crazy to get the monk that she does not hesitate to force her mother to magical spell though she is well acquainted with the consequences about her mother's death. This spell is very dangerous. It creates a turmoil within him between his duties and his natural desires because of the spell. Casting the spell on him is just like playing with fire. 

The turmoil has been depicted through Prakriti's eyes. She looks into the mirror to find out the monk's location. She is horrified to know him as a worn, faded with a heavy burden and drooping head. There is another image that displays that the monk is surrounded with flames. It seems that the inner fire of purity in the monk is fighting against the 'serpent-like' fire of the spell cast by mother. The tormentation depicted on the face of the monk symbolises his defeat against the powerful spell of mother.

प्रकति भिक्ष को पाने के लिए इतनी पागल हो गई है कि वह अपनी माँ को जादू चलाने के लिए बाध्य करने में संकोच नहीं करती है यद्यपि वह उसके परिणामस्वरूप अपनी माँ की मृत्यु के बारे में अच्छी तरह से जानती है। यह जादू अत्यन्त खतरनाक है। यह जादू उसके अन्दर अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न कर देता है कि वह अपना कर्त्तव्य निभाये या सांसारिक आवश्यकताओं को पूरा करे। उसके ऊपर जादू चलाना आग से खेलने के समान है। यह अनिश्चितता प्रकृति की आँखों के माध्यम से प्रस्तुत की गई है। 

वह दर्पण में भिक्षु की स्थिति को देखने के लिए झाँकती है। वह उसे थका हुआ, भारी वजन से मुरझाया हुआ और झुका हुआ सिर देखकर भयभीत हो जाती है। एक और छवि दिखाई देती है जो यह दिखाती है कि भिक्षु चारों ओर से लपटों से घिरा हुआ है। ऐसा लगता है कि भिक्षु के अन्दर की पवित्रता माँ के द्वारा चलाये गये 'साँप जैसी' अग्नि के विरुद्ध संघर्ष कर रही है। भिक्षु के चेहरे पर दिखाई देने वाली प्रताड़ना माँ के शक्तिशाली जादू के सम्मुख भिक्षु की पराजय का प्रतीक है।

Question 5. 
What is the role of the mother in Prakriti's self-realisation? What are her hopes and fears for her daughter?
प्रकृति के आत्मबोध में माँ की क्या भूमिका है? अपनी पुत्री के प्रति उसकी क्या आशाएँ और भय
Answer:
Prakriti's mother plays an important role in her life. She acts as the voice of reason for her daughter. It every step, she shows her power of reason though she agrees to cast magic spell to fulfil her daughter's desire. Because Prakriti is apple of her eyes so she becomes ready to cast the magic spell yet on every step, she warns about the dire consequences of the spell. Although, she does not care about her own life for the sake of her daughter. Yet she continuously tells her about it. She senses the sufferings of the monk. 

To make her daughter realize her injustice, she has even to sacrifice her life. When Prakriti realizes that she has destroyed the purity of the monk to drag him to her, she feels sorry for her action. Her mother asks her to look into the mirror. When Prakriti peeps into the mirror, she realizes her mistake. Prakriti's self realization comes out but she has to pay a heavy price for it. 

Her mother dies in the process of undoing the spell. She hopes that her daughter will get a happy life after marriage. She persuades her daughter to be with the king's son but she wants to be with the monk. She knows well the adamant nature of her daughter but wants to make her happy. She warns her daughter against the negative consequences. Thus, on every step, she has hopes as well as fears for her daughter. She continuously works for self realization of her daughter.

RBSE Solutions for Class 12 English Kaleidoscope Drama Chapter 1 Chandalika

प्रकृति की माँ उसके जीवन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वह अपनी पुत्री के लिए तर्क की आवाज के रूप में कार्य करती है। हर कदम पर, वह अपनी तर्क की शक्ति को प्रदर्शित करती है यद्यपि वह अपनी पुत्री की इच्छा को पूरा करने के लिए जादू का प्रयोग करती है। क्योंकि प्रकृति उसको अत्यन्त प्रिय है, इसलिए वह जादू चलाने के लिए तैयार हो जाती है लेकिन फिर भी हर कदम पर जादू के भयानक परिणामों के बारे में चेतावनी देती है। यद्यपि वह अपनी पुत्री के लिए अपने जीवन की भी चिन्ता नहीं करती है लेकिन फिर भी लगातार वह उसे इस बारे में बताती है। 

वह भिक्षु के कष्टों को महसूस करती है। अपनी पुत्री को उसके अन्याय को महसूस कराने के लिए उसे अपने जीवन तक की बलि चढ़ानी पड़ती है। जब प्रकृति को यह महसूस होता है कि अपने पास खींचकर बुलाने से उसने भिक्षु की पवित्रता को नष्ट कर दिया है, तब वह अपने कार्य के लिए दुःख महसूस करती है। उसकी माँ उससे दर्पण में देखने के लिए कहती है। जब प्रकृति दर्पण में झाँकती है, तो वह अपनी गलती महसूस करती है। प्रकृति को आत्मबोध होता है लेकिन उसे इसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़ती है। जादू को वापस लेने की प्रक्रिया में उसकी

माँ की मृत्यु हो जाती है। वह आशा करती है कि उसकी पुत्री शादी के बाद एक खुश जीवन व्यतीत कर सकेगी। वह अपनी पुत्री को राजा के पुत्र के साथ होने के लिए मनाती है परन्तु वह भिक्षु के साथ होना चाहती है। वह अपनी पुत्री की हठी आदत को जानती है लेकिन वह उसे खुश रखना चाहती है। वह अपनी पुत्री को नकारात्मक परिणामों के बारे में चेतावनी देती है। इस प्रकार, प्रत्येक कदम पर, उसे अपनी पुत्री के प्रति आशाएँ और भय हैं। वह लगातार अपनी पुत्री के आत्मबोध के लिए कार्य करती है।

Question 6. 
'Acceptance of one's fate is easy. Questioning the imbalance of the human social order is tumultuous.' Discuss with reference to the play.
"अपने भाग्य को स्वीकार कर लेना सरल है। मानवीय सामाजिक असन्तुलन पर प्रश्न पूछना भारी परेशानी वाला है।" नाटक के सन्दर्भ में समीक्षा कीजिए।
Answer:
The play 'Chandalika' deals with several themes like human nature, inequality, self realization. Prakriti is a girl who was born in a family of so called lower caste of chandals. Because she belongs to a lower caste, so she continuously faces the caste discrimination. She is considered to be untouchable' and 'unclean'. She faces the wrath of upper caste people. Il treatment and inequality are written on her face. But when a Buddhist monk comes to her and asks water from her, her life is completely changed. 

When Anand tells her that she deserves equal rights in society. She comes in her senses and begins to question the imbalance of society and religious order. She raises her voice against the prevailing social system. She declares that she is no more a chandalini. Questioning the imbalance brought the self realization of her worth and imparted in her a sense of equality. 

Had she accepted her lot as an ‘untouchable', her life would have passed as an touchable. She adopts a difficult path for social balance. Thus, we can say that “acceptance of one's fate is easy. Questioning the imbalance of the human social order is tumultuous.” 

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नाटक 'चाण्डालिका' में अनेकों विषयवस्तु हैं जैसे-मानवीय प्रकृति, असमानता, स्वतः बोध । प्रकृति एक लड़की है जिसका जन्म तथाकथित निम्न जाति के चाण्डाल परिवार में हुआ है। क्योंकि वह एक निम्न जाति के परिवार से सम्बन्धित है अतः वह लगातार जाति विभेद का सामना करती है। उसे 'अछूत' और 'अशुद्ध' माना जाता है। वह उच्च जाति के क्रोध का सामना करती है। दुर्व्यवहार और असमानता उसके भाग्य में लिखे हैं। लेकिन जब एक बौद्ध भिक्षु उसके पास आता है और उससे पानी माँगता है, तो उसका जीवन पूरी तरह से परिवर्तित हो जाता है। 

जब आनन्द उसे बताता है कि वह भी समाज में समान अधिकारों की स्वामी है, उसे तुरन्त ज्ञात हो जाता है, और वह समाज के असन्तुलन एवं धार्मिक अधिकारों पर प्रश्न करने लगती है। वह समाज में व्याप्त व्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठाती है। वह घोषणा कर देती है कि अब वह चाण्डालिनी नहीं है। असन्तुलन पर प्रश्न उसके मूल्य का आत्मबोध कराता है और उसमें समानता की भावना भर देता है। यदि उसने अपने भाग्य को 'अछूत' के रूप में स्वीकार कर लिया होता तो उसका जीवन अछूत के रूप में गुजर गया होता। वह सामाजिक सन्तुलन के कठिन रास्ते को स्वीकार करती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि "अपने भाग्य को स्वीकार कर लेना सरल है। मानवीय सामाजिक व्यवस्था के असन्तुलन पर प्रश्न पूछना अत्यन्त परेशानी वाला है।"

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Question 1. 
How does Prakriti's mother react when she hears of Prakriti's encounter with the monk?
जब प्रकृति की माँ प्रकृति की भिक्षु से मुलाकात के बारे में सुनती है तो किस प्रकार प्रतिक्रिया देती है?
Answer:
When Prakriti goes to fetch water, she encounters a monk who says to her, "Give me water'. Prakriti returns and tells her mother about her meeting with the monk. She tells her mother that she is greatly impressed with the monk because of his philosophy of indiscrimination. She clearly admits that she has fallen in love with him. 

She becomes crazy to offer herself to the monk. Hearing this, her mother gets angry and rebukes her. Her mother clearly tells her that it is not wise for her to develop relationship with a monk. She tells that they belong to a lower caste of chandals. Their caste does not get any honour because it is a discarded caste. Her mother warns her that if she continues to develop the relationship with the monk, she will have to pay a heavy price for it. She advises Prakriti to forget the monk and discontinue her relations with him at once.

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जब प्रकृति जल लेने जाती है, तो उसकी मुलाकात एक भिक्षु से होती है जो कहता है, 'मुझे जल पिला दो।' प्रकृति वापस आती है और अपनी माँ को भिक्षु के साथ अपनी मुलाकात के बारे में बताती है । वह अपनी माँ को बताती है कि वह भिक्षु से अत्यधिक प्रभावित है क्योंकि उसका दर्शन विभेद करने का नहीं है।

वह स्पष्ट रूप से स्वीकार करती है कि वह उससे (भिक्षु से) प्रेम करने लगी है। वह स्वयं को भिक्षु के सम्मुख समर्पण करने के लिए पागल हो उठती है। यह सुनकर, उसकी माँ नाराज हो जाती है और उसे फटकारती है। उसकी माँ उसे स्पष्ट रूप से बताती है कि उसके लिए एक भिक्षु से रिश्ता विकसित करना बुद्धिमानी नहीं होगी। वह बताती है कि वे एक चाण्डालों की एक निम्न जाति से सम्बन्धित हैं। उनकी जाति को कोई सम्मान प्राप्त नहीं होता है क्योंकि यह एक अछूत जाति है। उसकी

माँ उसे चेतावनी देती है कि यदि वह भिक्षु के साथ अपना रिश्ता बढ़ाएगी, तो उसे उसकी एक भारी कीमत चुकानी होगी। वह प्रकृति को सुझाव देती है कि वह भिक्षु को भूल जाए और उसके साथ अपने सम्बन्ध को तुरन्त समाप्त कर दे। 

Page 214.

Question 2. 
Will Prakriti resign herself to her lot? 
क्या प्रकृति अपने भाग्य के सम्मुख स्वयं का समर्पण कर देगी?
Answer:
Undoubtedly, Prakriti is not a traditional girl also obeys her parents and society without any protest. She remains determined whatever she decides. Once when she decides to get the monk, she tries to find him at any cost. For this purpose, she forces her mother to cast her spell though she has to pay a heavy price for it. She maintains that no one should be recognized by his or her birth.

She clearly says that she is not a chandal any more. She wants to change her lot. To prove her authenticity, she says that plenty of royal blood is found in slaves and plenty of chandals are born in Brahmin families. She becomes ready to fight against her lot. Thus, we can say that Prakriti will not resign herself to her lot.

निःसन्देह, प्रकृति कोई परम्परागत लड़की नहीं है जो अपने माता-पिता तथा समाज की आज्ञा का पालन बिना किसी विरोध के करती है। वह जो कुछ भी निश्चय करती है, उस पर अडिग रहती है। एक बार वह भिक्षु को प्राप्त करने का निश्चय कर लेती है, तो वह उसे किसी भी कीमत पर पाने का प्रयास करती है। इस उद्देश्य के लिए वह अपनी माँ को जादू चलाने के लिए बाध्य करती है। यद्यपि इसके लिए उसे एक भारी कीमत चुकानी पड़ती है।

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वह यह मानती है कि किसी भी व्यक्ति को उसके जन्म से नहीं पहचाना जाना चाहिए। वह स्पष्ट रूप से कहती है कि अब वह बिल्कुल भी चाण्डाल नहीं है। वह अपना भाग्य बदलना चाहती है। अपने अधिकार को सिद्ध करने के लिए, वह कहती है कि पर्याप्त मात्रा में राजसी रक्त दासों में पाया जाता है और पर्याप्त मात्रा में चाण्डाल ब्राह्मण परिवारों में पैदा होते हैं। वह अपने भाग्य के विरुद्ध संघर्ष के लिए तैयार है। इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि प्रकृति अपने भाग्य के सम्मुख स्वयं का समर्पण नहीं करेगी। | 

Page 216.

Question 3. 
Will the spell work? What will happen when Ananda is made to come? 
क्या जादू कार्य करेगा? क्या होगा जब आनन्द को आने के लिए बाध्य किया जाएगा?
Answer:
The spell of the mother is quite oldest one which never fails and nothing is beyond her power of magic. This is why she is quite optimistic for the functioning of the spell. That's why she clearly declares that when she exercises her magic, Ananda will come running and crying. But she tells Prakriti that once the spell is exercised, it will be impossible for her to undo it. 

She asks her daughter to look into the mirror where she finds clouds and storm with darkness. Thunder and darkness may also happen but he will have to come with the effect of the spell. Her mother's words are proved to be true when everything of it happens and Prakriti is horrified and asks her mother to stop and undo the spell. In the process of undoing the spell, the mother dies. Ananda comes in a very sad state of mind but returns as soon as the spell is undone. Thus, the spell of the mother works.

माँ का जादू प्राचीन समय का है, जो कि कभी असफल नहीं होता है और कोई भी चीज उसकी जादू की शक्ति से दूर नहीं है। यही कारण है कि वह जादू के क्रियाशील होने के प्रति पूरी तरह से आशावादी है। यही कारण है कि वह स्पष्ट रूप से घोषणा करती है कि जब वह अपने जादू का प्रयोग करेगी तो आनन्द दौड़ता हुआ और चीखता हुआ आएगा। लेकिन वह प्रकृति को बताती है कि जब एक बार जादू का प्रयोग कर दिया जाएगा तो वह उसे वापस लेना उसके लिए असम्भव होगा। वह अपनी पुत्री से दर्पण में देखने के लिए कहती है जहाँ पर उसे बादल और अन्धकारयुक्त तूफान दिखाई देता है। बिजली की कड़क

और अन्धकार भी हो सकते हैं लेकिन उसे (भिक्षु को) जादू के प्रभाव से आना ही होगा। उसकी माँ के शब्द सत्य सिद्ध हो जाते हैं जब सब कुछ इसी प्रकार चलता है और प्रकृति भयभीत हो जाती है तथा अपनी माँ से इसे रोकने तथा जादू को वापस लेने के लिए कहती है। जादू को वापस लेने की प्रक्रिया में, माँ की मृत्यु हो जाती है। आनन्द अत्यधिक दुःख की स्थिति में वहाँ आता है परन्तु ज्योंही जादू को वापस लिया जाता है, वह वापस लौट जाता है। इस प्रकार माँ का जादू कार्य करता है।

Appreciation :

Question 1. 
How does the dramatic technique suit the theme of the play? 
नाटकीय तकनीक किस प्रकार नाटक की कथावस्तु के पूरी तरह अनूकूल है?
Answer:
The theme of the play is the voice against the prevailing disorder in the society. The drama is interwoven with the themes of inequality and caste, caste struggles and the triumph of good over evil. The play depicts Tagore's presentation of social condition and inequality existing in society during his time. He presents the use of natural imagery of water. 

The monk comes to her and says 'Give me water. The monk is the symbol of purity. And thus, she washes away all the meanness of her lower caste and birth which she faces because of social order. She comes to know about her worth and importance and struggles against social inequality. Prakriti is nature which is a symbol of natural instinct of a woman. Anand means happiness who is the monk. He is the symbol of purity and happiness. He is dissociated with material world and pleasures.

Mother is Prakriti's mother. It is a natural instinct of mothers that they sacrifice each and everything for their children. So she does and even finally sacrifices her own life. In the end, Prakriti realizes her mistake. Thus, it is a victory of good over evil. In this way the dramatic technique is quite suitable with the theme of the play.

कहानी की विषयवस्तु समाज में व्याप्त सामाजिक व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष की आवाज है। नाटक असमानता और जाति, जाति संघर्ष तथा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रस्तुतीकरण करता है। नाटक टैगोर समय में सामाजिक स्थिति और असमानता को प्रस्तुत करता है। वह जल की प्राकृतिक छवि को प्रस्तुत करता है। भिक्षु उसके पास आता है और कहता है, "मुझे पानी पिलाओ।" भिक्षु पवित्रता का प्रतीक है। और इस प्रकार वह अपने जन्म तथा निम्न जाति की तुच्छता को साफ कर देती है जिसका वह सामाजिक व्यवस्था के कारण सामना करती है। 

उसे अपने मूल्य और महत्त्व का पता लगता है और वह सामाजिक असमानता के विरुद्ध संघर्ष करती है। प्रकृति का अर्थ 'प्रकृति' है जो कि एक महिला की स्वाभाविक अभिरुचि का प्रतीक है। आनन्द का अर्थ खुशी होता है जो कि एक भिक्षु है। वह पवित्रता तथा खुशी का प्रतीक है। वह सांसारिकता तथा खुशियों से दूर रहता है।

माँ प्रकृति की माँ है। यह सभी माँओं की एक प्रवृत्ति होती है कि वे अपने बच्चों के लिए कुछ भी न्यौछावर करने के लिए तैयार रहती हैं, ऐसा वह भी करती है और अन्त में वह अपना जीवन भी बलिदान कर देती है। अन्त में प्रकृति को अपनी गलती का आभास होता है। इस प्रकार, यह बुराई पर अच्छाई की विजय है। इस प्रकार नाटक की विषयवस्तु के साथ नाटकीय तकनीक पूरी तरह से अनुकूल है।

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Question 2. 
By focusing attention on the consciousness of an outcast girl, the play sensitises the viewer/reader to the injustice of distinctions based on the accidents of human birth. Discuss how individual conflict is highlighted against the backdrop of social reality.
एक निम्न जाति की लड़की की अन्तर्चेतना पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, नाटक मानवीय जन्म की दुर्घटना पर आधारित विभेद के अन्याय के प्रति दर्शकों/पाठकों को रोमांचित करता है। व्याख्या कीजिए कि किस प्रकार व्यक्तिगत संघर्ष को सामाजिक वास्तविकता की पृष्ठभूमि में रेखांकित किया गया है।
Answer:
The play 'Chandalika' presents the social discrimination based of caste and birth. This individual conflict is presented through protagonist of the play, Prakriti. She challenges the ancient system of caste and claims that she is no more a chandalini now. She finds liberation in the self realization of her importance and value. 

When the monk comes and wants water from her, she elevates her position in her eyes and she struggles against the false impositions of society. She has a deep regard for the monk who had given her a new life through his words. She begins to desire to get him though he is sworn to calibacy. She yearns for him to after herself, but her all desires remain unfulfilled. Thus, the individual conflict is highlighted against the backdrop of social harsh reality in the play.

नाटक चाण्डालिका जाति और जन्म पर आधारित सामाजिक विभेद को प्रस्तुत करता है। यह व्यक्तिगत अन्तर्द्वन्द्व नाटक की नायिका 'प्रकृति' के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। वह जाति की प्राचीन परम्परा को चुनौती देती है और दावा करती है कि अब वह चाण्डालिनी नहीं है। वह अपने आत्मबोध से अपने महत्त्व और मूल्य को पहचानती है।

जब भिक्षु आता है और उससे जल माँगता है तो वह अपनी आँखों में अपने मूल्य की वृद्धि कर लेती है और वह समाज के झूठे बन्धनों के विरुद्ध संघर्ष करती है। वह भिक्षु के प्रति गहन सम्मान प्रदर्शित करती है जिसने उसे अपने शब्दों के द्वारा एक नया जीवन प्रदान किया है ।

वह उसे पाने की इच्छा व्यक्त करने लगती है जबकि उसने ब्रह्मचारी रहने की शपथ ली है। वह उसके सम्मुख स्वयं को प्रस्तुत करने के लिए बेचैन हो जाती है लेकिन उसकी सारी इच्छाएँ अतृप्त रह जाती हैं। इस प्रकार, व्यक्तिगत संघर्ष को समाज की कठोर पृष्ठभूमि में प्रस्तुत किया गया है।

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Question 3. 
“I will enthrone you on the summit of all my dishonour, and build your royal seat of my shame, my fear and my joy'. Pick out more such examples of the interplay of opposites from the text. What does this device succeed in conveying?
"मैं तुम्हें अपने अपमान के उच्चतम शिखर पर स्थापित करूँगी, और अपनी शर्म की राजसी गद्दी तुम्हारे लिए बनाऊँगी।" पाठ में से इसी प्रकार के अन्य विपरीत उदाहरण छाँटिए। यह प्रक्रिया किस बात को प्रस्तुत करने में सफल होती है?
Answer:
The play 'Chandalika' is replete with such opposite examples. Prakriti, the protagonist says, "for my heart is like a waterless waste, where the heat haze quirers all day long." At another place she says, “I started up trembling and bowed before his feet without touching them.” Such words strongy being out her emotions for the monk. We find another example“Plenty of slaves are born of royal blood, but I am no slave; plenty of chandals are born of Brahmin families, but I am no chandal”.

Prakriti knows the harsh realities of society that she will not be honoured. Yet she keeps the monk in high regard in her heart. She says, “I, a flower sprung from a poison plant. Let him raise the truth, that flower from the dust, and take it to his bosom.” Such opposite ideas strongly expresses the ideas that the author wants to communicate to his readers. And the author is quite successful in his endeavour.

नाटक 'चाण्डालिका' विपरीत उदाहरणों से भरा हुआ है। प्रकृति जो कि नायिका है, कहती है, "क्योंकि मेरा हृदय जलहीन व्यर्थ वस्तु की तरह हो गया है, जहाँ पर पूरे दिन गर्मी सताती रहती है।" एक अन्य स्थान पर वह कहती है, "मैं काँपने लगी और बिना उन्हें छुए ही मैं उसके चरणों में झुक गई।" इस प्रकार के शब्द शक्तिशाली रूप से भिक्षु के प्रति उसकी भावनाओं को प्रदर्शित करते हैं। हमें एक और उदाहरण प्राप्त होता है, "बहुत अधिक दास राजसी परिवारों में उत्पन्न होते हैं, लेकिन मैं दास नहीं हैं: बहुत अधिक चाण्डाल ब्राह्मण परिवारों में पैदा होते हैं, लेकिन मैं चाण्डाल नहीं हूँ।" 

प्रकृति समाज की कठोर सच्चाई को जानती है कि उसे सम्मान नहीं मिलेगा। लेकिन फिर भी वह भिक्षु को अपने हृदय में अत्यधिक सम्मानित स्थान पर रखती है। वह कहती है, "मैं, एक ऐसा पुष्प जो जहरीले पौधे पर उत्पन्न हुई ! उसे सत्य के इस पुष्प को धूल से उठाकर अपने हृदय से लगाने दो।" इस प्रकार के विपरीत विचार शक्तिशाली रूप से उन विचारों को व्यक्त करते हैं जो लेखक अपने पाठकों को सम्प्रेषित करना चाहता है। और लेखक अपने प्रयास में पूरी तरह से सफल रहता है।

Question 4. 
'Shadow, mist, storm' on the one hand, 'flames, fire, on the other. Comment on the effect of these and similar images of contrast on the viewer/ reader.
एक ओर 'छाया, धुन्ध और तूफान' हैं तो दूसरी ओर 'ज्वाला, अग्नि' हैं । दर्शक/पाठक पर इन और ऐसी ही समान विपरीत छवियों के प्रभाव पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
Answer:
Tagore uses so many images of contrast to create a lasting impression on the minds of his readers. Shadow, mist or storm are the images that express the unclear states of Prakriti's mind. She experiences these images through the mirror. These images represent the conflict of emotions in Prakriti's heart. These are unclear images which do not indicate towards any certainity in Prakriti's life.

On the other hand, flames and fire symbolize Prakriti's strong will, lust and devotion to get the monk. The rising of flame or fire is compared to Prakriti's intention to find the monk. Now, she does not care any religious or social order. She is crazy to get the monk so she forces her mother to cast the magic spell. Such activity is like playing with fire because she has to pay a heavy price for his impudence. All the viewers/readers are fascinated to have such type of contrary images. They are overwhelmed.

RBSE Solutions for Class 12 English Kaleidoscope Drama Chapter 1 Chandalika

टैगोर ने अपने पाठकों के मस्तिष्क पर लम्बे समय तक प्रभाव बनाये रखने के लिए बहुत सी विरोधी छवियों का प्रयोग किया है। छाया, धुन्ध अथवा तूफान ऐसी छवियाँ हैं जो कि प्रकृति के मस्तिष्क की अस्पष्ट स्थिति को व्यक्त करते हैं। वह इन छवियों का अनुभव दर्पण के माध्यम से करती है। ये छवियाँ प्रकृति के हृदय में भावनाओं के अन्तर्द्वन्द्व के रूप में प्रस्तुत होती हैं। ये अस्पष्ट छवियाँ हैं जो प्रकृति के जीवन में किसी भी प्रकार की निश्चिन्तता की ओर इशारा नहीं करती हैं। 

दूसरी ओर ज्वाला और अग्नि प्रकृति की शक्तिशाली इच्छा, कामातुरता और भिक्षु को पाने के लिए समर्पण का प्रतीक है। बढ़ती हुई ज्वाला अथवा अग्नि की प्रकृति की भिक्षु को प्राप्त करने की इच्छा से तुलना की गई है। अब, वह किसी भी प्रकार की धार्मिक अथवा सामाजिक व्यवस्था की चिन्ता नहीं करती है। वह भिक्षु को प्राप्त करने के लिए पागल है इसलिए वह अपनी माँ को जादू का प्रयोग करने के लिए बाध्य करती है। इस प्रकार की क्रिया आग से खेलने के समान है क्योंकि इस हठ के लिए उसे एक भारी कीमत चुकानी पड़ती है। सभी दर्शक/पाठक इस प्रकार की विरोधी छवि के प्रति आकर्षित होते हैं। वे भाव विभोर हो जाते हैं।

RBSE Class 12 English Chandalika Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions :

Question 1. 
How does mother scold Prakriti when she does not return home in time? 
जब प्रकृति समय पर वापस घर नहीं आती है तो माँ उसे किस प्रकार डाँटती है?
Answer:
While scolding Prakriti, the mother says that it is noon and the sun is producing fire on the earth. The earth is so hot that no one can put his feet on the earth. The crows on the amloki branches are gasping for heat. The Vaisakh sun is roasting everthing. All the girls of the village have come back fetching water. Was she doing penance in the burning sun like Uma?

प्रकृति को डाँटते हुए माँ कहती है कि अब दोपहर हो गई है और सूर्य पृथ्वी पर आग उत्पन्न कर रहा है। पृथ्वी इतनी गर्म है कि कोई भी व्यक्ति पृथ्वी पर पैर नहीं रख सकता है। अमलोकी की शाखाओं पर कौए गर्मी से हाँफ रहे हैं। वैशाख का सूर्य प्रत्येक वस्तु को भून रहा है। गाँव की सभी लड़कियाँ जल लेकर वापस आ गई हैं। क्या वह उमा की तरह जलते हुए सूर्य में तपस्या कर रही है ?

Question 2. 
What does the wayfarer ask Prakriti? What does she reply? 
पथिक प्रकृति से क्या कहता है? वह उसे क्या उत्तर देती है ?
Answer:
When Prakriti was at the well, the wayfarer came and said, “Give me water.” As he was thirsty but Prakriti belongs to a lower caste of chandals. So she does not have courage to give water to the wayfarer. She tells him that she cannot give water to him because of her lower caste as she is discarded from the society. She does not get my honour from the society.

जब प्रकृति कुएँ पर थी तो एक पथिक आया और उसने कहा, "मुझे जल पिलाओ।" क्योंकि वह प्यासा था लेकिन प्रकृति एक छोटी चाण्डाल जाति की है, इसलिए उसमें पथिक को जल पिलाने का साहस नहीं है। वह उसे बताती है कि वह (प्रकृति) उसे जल नहीं पिला सकती है क्योंकि उसकी छोटी जाति है और क्योंकि वह समाज से दूर कर दी गई है । उसे समाज में किसी भी प्रकार का सम्मान प्राप्त नहीं है।

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Question 3. 
What is the new birth for Prakriti? 
प्रकृति के लिए नया जीवन क्या है ? 
Answer:
When the wayfarer comes to Prakriti and asks water, Prakriti denies him because of her low caste. At this the wayfarer invokes her for her self realisation. He says that her caste was not true. He says that the black clouds of Sravana do not change their nature even if they shower on the chandals. So she should not humiliate herself. This self realisation is a new birth for Prakriti.

जब पथिक प्रकृति के पास आता है और उससे जल माँगता है तो प्रकृति अपनी निम्न जाति के कारण इन्कार कर देती है। इस पर पथिक उसे आत्मबोध के लिए प्रेरित करता है। वह कहता है कि उसकी जाति सत्य नहीं है। वह कहता है कि श्रावण के काले बादल अपनी प्रकृति को नहीं बदलते हैं भले ही वे किसी चाण्डाल के ऊपर बरस जाएँ। इसलिए वह स्वयं को निराश न करे। यह आत्मबोध प्रकृति के लिए एक नया जीवन है।

Question 4. 
What allusion does the wayfarer take from the Ramayan?
पथिक रामायण से कौनसा उद्धरण लेता है ?
Answer:
When the wayfarer comes to Prakriti and asks water to quench his thirst, Prakriti denies because of her lower caste of chandals. At this the wayfarer encourages her to give water and says that no water is unclean. He says that Janaki also bathed in such water as this at the beginning of her forest exile and that Guhak, the chandal drew it for her.

जब पथिक प्रकृति के पास आता है और उससे अपनी प्यास बुझाने के लिए जल माँगता है, प्रकृति इन्कार कर देती है क्योंकि वह चाण्डाल की छोटी जाति की है। इस पर पथिक उसे जल पिलाने के लिए प्रोत्साहित करता है और कहता है कि कोई भी जल अशुद्ध नहीं होता है। वह कहता है कि जानकी ने भी ऐसे ही जल में अपने वनवास के प्रारम्भ में स्नान किया था और गुहंक ने जल निकाला था, जो कि चाण्डाल था।

Question 5. 
How doe. the mother ask Prakriti to be more practical and not to be so curious?
माँ किस प्रकार प्रकृति से और ज्यादा व्यावहारिक होने तथा इतनी ज्यादा जिज्ञासु न होने के लिए कहती है ?
Answer:
The mother asks Prakriti to be more practical and warns her that men's words are meant only to be heard, not to be practised. The filth into which an evil fate has caste her is a wall of mud that no spade can break through in the world. She tells Prakriti that she is unclean and should not taint the outside world with her unclean presence. To stray anywhere beyond its limits is to trespass.

माँ प्रकृति से और ज्यादा व्यावहारिक होने के लिए कहती है और उसे चेतावनी देती है कि मनुष्यों के शब्द केवल सुने जाने के लिए होते हैं, व्यवहार में लाने के लिए नहीं। वह गंदगी जिसमें उसके दुर्भाग्य ने उसे ढाला है वह एक मिट्टी की दीवाल है जिसे संसार में कोई भी फावड़ा तोड़ नहीं सकता है। वह प्रकृति को बताती है कि वह अशुद्ध है और उसे अपनी अशुद्ध उपस्थिति के द्वारा बाहरी संसार को गन्दा नहीं करना चाहिए। अपनी सीमाओं से बाहर निकलना दूसरों के अधिकार में हस्तक्षेप है।।

Question 6. 
Why does the mother ask Prakirit to go to king's son? What is Prakriti's reply?
माँ प्रकृति से राजा के पुत्र के पास जाने के लिए क्यों कहती है ? प्रकृति क्या उत्तर देती है?
Answer:
The mother asks Prakriti to go to the king's son because if the curtains of destiny are drawn aside, a woman stands revealed in her queenliness. Prakriti replies that she would not go to him because had had forgotten everything. He even forgot that she was a human being. He saw nothing but the beast whom he wanted to bind in chains of gold.

माँ प्रकृति से राजा के पुत्र के पास जाने के लिए कहती है क्योंकि यदि एक भाग्य के पर्दे खींचकर अलग कर दिये जायें तो एक स्त्री रानी के स्वरूप में दिखाई देती है। प्रकृति उत्तर देती है कि वह उसके पास नहीं जाएगी क्योंकि वह सब कुछ भूल चुका है । वह इतना भी भूल गया कि वह (प्रकृति) कोई मनुष्य है। उसने उसे सिवाय एक जानवर के कुछ नहीं देखा जिसे वह सोने की जंजीर में बाँधना चाहता था।

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Question 7. 
What does Prakriti reply when her mother asks her if she respects religion?
जब माँ प्रकृति से पूछती है कि क्या वह धर्म का सम्मान करती है, तो प्रकृति क्या उत्तर देती है ?
Answer:
When mother asks her if she respects the religion, Prakriti replies that she is undecided about it. She clarifies that she respects him who respects her. If a religion insults human beings on behalf of caste or creed, it is a false religion. She says that everyone is united against her. She clearly says that she is not afraid of anybody now and asks her mother to chant for spell.

जब माँ उससे पूछती है कि क्या वह धर्म का सम्मान करती है, तो प्रकृति उत्तर देती है कि वह इस बारे में अनिश्चित है। वह स्पष्टीकरण देती है कि वह (प्रकृति) उसका सम्मान करती है जो उसका (प्रकृति का) सम्मान करता है। यदि कोई धर्म, जाति, पंथ के आधार पर मनुष्य का सम्मान करता है तो वह एक झूठा धर्म है। वह कहती है कि प्रत्येक व्यक्ति उसके विरुद्ध संगठित हो गया है। वह स्पष्ट रूप से कहती है कि अब उसे किसी का भी डर नहीं है और अपनी माँ से जादू चलाने के लिए कहती है।

Question 8. 
Why does Prakriti protest against her mother when her mother says that her dreams are shattered?
जब माँ कहती है कि उसके स्वप्न टूट गये हैं तो प्रकृति अपनी माँ का विरोध क्यों करती है ?
Answer:
Prakriti protests her mother because she has a cry of desire day by day and she bears the burden of shame moment by moment. She feels a prisoned bird in her heart that is beating its wings to get freedom. She does not call it a dream. She thinks that the burden of her caste has sunk its teeth into her tender heart and it will not loose its grip. She feels no joy, no sorrow, no earthly burden. Since she does not have dreams how they can shatter.

प्रकृति अपनी माँ का विरोध करती है क्योंकि उसे दिन प्रतिदिन इच्छा की तेज आवाज और वह क्षण प्रतिक्षण शर्म का भार उठाती है। वह अपने हृदय में एक कैद किया हुआ पक्षी महसूस करती है जो अपनी स्वतन्त्रता के लिए पंख फड़फड़ा रहा है। वह इसे स्वप्न नहीं कहती है। वह सोचती है कि जाति के भार ने अपने दाँत उसके कोमल हृदय में गड़ा दिये हैं और वह अपनी पकड़ नहीं छोड़ेगा। वह कोई खुशी, कोई दुःख, कोई भौतिक भार महसूस नहीं करती है। क्योंकि उसके स्वप्न ही नहीं हैं तो वे कैसे विखण्डित हो सकते हैं।

Question 9. 
What instructions does mother give to Prakriti to look into the mirror? What does Prakriti see in the mirror?
दर्पण में देखने के लिए माँ प्रकृति को क्या निर्देश देती है ? प्रकृति दर्पण में क्या देखती है ?
Answer:
The mother chants for spell to call the monk. She asks Prakriti not to fear because calling the monk was not beyond her powers. She tells Prakriti that she will give her (Prakriti) a magic mirror. She will take the mirror in her hands and then she will have to dance. His shadow will fall on the glass and in it, she will see what happens to him. Prakriti sees clouds, the storm clouds in the mirror.

माँ भिक्षु को बुलाने के लिए अपना जादू चलाती है। वह प्रकृति से भयभीत न होने के लिए कहती है क्योंकि भिक्षु को बुलाना उसकी शक्ति से परे नहीं था। वह प्रकृति को बताती है कि वह उसे (प्रकृति को) एक जादुई दर्पण देगी। वह अपने हाथों में दर्पण ले लेगी और उसके बाद वह नृत्य करेगी। उसकी परछाईं उस दर्पण पर पड़ेगी और इसमें वह देखेगी कि उसके (भिक्षु के) साथ क्या होता है। प्रकृति दर्पण में बादल, तूफानी बादल देखती है।

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Question 10. 
What warnings does the mother give to Prakriti for chanting the spell?
जादू चलाने के लिए माँ प्रकृति को क्या चेतावनी देती है?
Answer:
Mother is quite expert in the ancient magic. But she knows the dangers of exercising the magic. So, she asks Prakriti to think about it once again lest sudden terror spring upon her with the work half done. She will have to endure till the end until the spell reaches its height. It may cost even the life of mother if it is undone. She warns that this fire will not die out until everything is burnt to ahses.

माँ प्राचीन जादू में पूरी तरह निपुण है। लेकिन वह चादू चलाने के खतरों को भी जानती है। अतः वह इस बारे में प्रकृति से एक बार फिर सोचने के लिए कहती है कि कहीं ऐसा न हो कि आधा कार्य होने पर वह अचानक घबरा जाए। उसे अन्त तक सहन करना होगा जब तक कि जादू अपनी ऊँचाइयों पर नहीं पहुँचता है। यदि इसे वापस लिया जाएगा तो इसमें माँ के प्राण भी जा सकते हैं । वह चेतावनी देती है कि यह आग तब तक नहीं बुझेगी जब तक सब कुछ जलाकर राख न कर दे। 

Long Answer Type Questions :

Question 1. 
How does Prakriti want to call the Bhikshu at her home? प्रकृति किस प्रकार भिक्षु को अपने घर बुलाना चाहती है ?
Answer:
When her mother says she will call the Bhikshu by requesting him, Prakriti says that this is not the proper way to call him from outside. She says that she will send her call into his soul for him to hear. She is longing to give herself to him. She feels a pain at her heart. She wants to know who is going to accept her as a gift and join her in give and take. 

She is a lest doubtful whether he will mingle himself with her in the same way as the holy Ganga mingles with the black water of the holy Jamuna. She feels music springing in her innerself. She thinks that the Bhikshu has left behind him a word of hope. Now she is not satisfied with anybody else. She thinks that one pitcher of water is not sufficient to quench the thirst of the whole earth. She is determined to call the Prakriti even through the magic.

जब उसकी माँ कहती है कि वह भिक्षु को प्रार्थना करके बुलाएगी तो प्रकृति कहती है कि उसे बाहरी रूप से बुलाना किसी भी प्रकार से उचित रास्ता नहीं है। वह कहती है कि वह (प्रकृति) उसकी आत्मा में निमंत्रण भेजेगी ताकि वह उसे सुन सके। वह उसके सम्मुख स्वयं का समर्पण करने के लिए बेचैन है। वह अपने हृदय में एक दर्द महसूस करती है। वह जानना चाहती है कि उसे उपहारस्वरूप कौन स्वीकार करेगा और उसके सुख-दुःख का साझेदार बनेगा।

वह थोड़ा-सा सन्देह महसूस करती है कि क्या वह उसके साथ उसी प्रकार घुल-मिल जाएगा जिस प्रकार पवित्र गंगा पवित्र जमुना के श्याम जल में घुल-मिल जाती है। वह अपनी अन्तर्चेतना में उत्पन्न होते हुए संगीत को महसूस करती है। वह सोचती है कि भिक्षु अपने पीछे उसके लिए आशा भरे शब्द छोड़ गया है।

अब वह किसी भी अन्य व्यक्ति के साथ संतुष्ट नहीं है। वह सोचती है कि पूरी पृथ्वी की प्यास बुझाने के लिए एक घड़ा पानी पर्याप्त नहीं है। वह भिक्षु को जादू के द्वारा भी बुलाने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ है।

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Question 2. 
Why does Prakriti become intoxicated at the words of the Bhikshu? 
भिक्षु के शब्दों पर प्रकृति मदहोश क्यों हो जाती है ?
Answer:
Prakriti becomes intoxicated at the words of the Bhikshu because she feels these words immensely daring. She thinks about the might of gis daring words. He spoke the words simply but they had a magical effect on Prakriti. The little words 'Give me water' influence her like mighty flames. These words have filled all her days with light. 

These words are so powerful that they rolled away the black stone which had stopped the fountain of her heart. She is overjoyed. She tells her mother that the monk was begging alms all day in the city of Sravasti and then he came along the river bank with hot sun on his head. Prakriti thinks that he came to her just to utter those magical and wonderful words 'Give me water'. Thus, these words intoxicate her.

प्रकृति भिक्षु के शब्दों पर मदहोश हो जाती है क्योंकि वह इन शब्दों को अत्यन्त साहसी शब्द मानती है। वह उसके (भिक्षु के) इन साहसी शब्दों की शक्ति के बारे में सोचती रहती है। उसने ये शब्द साधारण रूप से कहे थे लेकिन उनका प्रकृति के ऊपर जादुई असर हुआ। ये छोटे शब्द 'मुझे पानी पिला दो' उसे शक्तिशाली लपटों की तरह प्रभावित करते हैं। इन शब्दों ने उसके पूरे दिन को रोशनी से भर दिया है।

ये शब्द इतने शक्तिशाली हैं कि उन्होंने उस काले पत्थर को भी लुढ़का दिया जिसने उसके हृदय के फव्वारे को बन्द कर दिया था। वह अत्यधिक खुश है । वह अपनी माँ को बताती है कि भिक्षु पूरे दिन श्रावस्ती शहर में भिक्षा माँगता रहा और वह नदी के किनारे-किनारे आया और तपता हुआ सूर्य उसके सिर पर था। प्रकृति सोचती है कि वह उसके पास उन जादुई और आश्चर्यजनक शब्दों 'मुझे पानी पिला दो' को बोलने ही आया था। इस प्रकार, ये शब्द उसे मदहोश कर देते हैं।

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Question 3. 
When the mother has worked the spell through all stages, what does Prakriti see in the mirror?
जब माँ सभी स्तरों से जादू चला चुकी है तो प्रकृति दर्पण में क्या देखती है ?
Answer:
After exercising the spell through all stages, first of all, Prakriti sees a mist in the mirror covering the whole sky. It was deadly pale like the weary gods after their struggle with the demons. Through rifts in the mist, there glimmered fire. Then, the mist gathered itself up into red and angry clusters like swollen sores. 

Again she sees the background as a deep black cloud with lightening playing across it. All his limbs are fenced with flame. She was horrified and ran to mother to ask her to stop the magic but her mother as unconscious. She came back and took the mirror up. Now the light was gone and there was only torment. Unfathomable torment was visible on his face.

सभी स्तरों से जादू चलाने के बाद, सर्वप्रथम, प्रकृति दर्पण में धुन्ध देखती है जो कि पूरे आकाश में छायी हुई है। यह मृत व्यक्ति की तरह पीली है जैसे कि देवता अपने दैत्यों के विरुद्ध संघर्ष के कारण हो जाते हैं । धुन्ध में दरारों के माध्यम से आग चमक रही थी। उसके बाद, धुन्ध सूजे हुए घावों की तरह लाल और नाराज समूह में स्वतः ही इकट्ठा हो गई।

एक बार फिर से वह पृष्ठभूमि में एक काला बादल देखती है जिसके आर-पार रोशनी चमक रही है। उसके (भिक्षु के) सभी अंग आग से घिरे हुए हैं। वह घबरा गई और जादू को रोकने के लिए कहने के लिए माँ की ओर दौड़ी लेकिन उसकी माँ बेहोश थी। वह वापस आई और दर्पण को हाथों में ले लिया। अब रोशनी समाप्त हो गई थी और वहाँ पर केवल शारीरिक वेदना थी। उसके चेहरे पर इतनी तीव्र वेदना थी कि उसे मापा नहीं जा सकता था।

Question 4. 
The mother gives some instructions to Prakriti to get ready for find invocation when she works her spell at altar. How does Prakriti follow them?
माँ प्रकृति को अन्तिम रूप से आह्वान करने के लिए तैयार होने के लिए कुछ निर्देश देती है जबकि वह वेदी पर मंत्र जाप करती है। प्रकृति उनका किस प्रकार पालन करती है?
Answer:
Prakriti follows the instructions given by mother. It was the second night of the waxing moon. She bathed in the river Gambhira, plunging below the water. In her courtyard, she drew a circle with rice and pomegranate blossoms, vermillion and the seven jewels. She planted the flags of yellow cloth and placed sandal paste and garlands on a brass tray and lit the lamps. 

After her bath, she put on green cloths and a scarf like the champak flowers. She sat with her face to the East. In this state, she contemplated his image all night long. On her left arm, she had tied the bracelet of thread consisting sixteen strands of golden yellow bounds in sixteen knots.

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प्रकृति माँ द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करती है। यह बढ़ते हुए चन्द्रमा की दूसरी रात थी। उसने गम्भीर नदी जल के नीचे डूबकर स्नान किया। अपने आँगन में, उसने चावल और अनार के फूलों, सिन्दूर और सात गहनों से एक गोला बनाया। उसने पीले कपड़े का एक ध्वज लगाया और चन्दन का लेप तथा फूलमालाएँ पीतल की एक थाली में रखीं और दीये जला दिए। स्नान करने के बाद, उसने हरे कपड़े पहने और चम्पक के फूलों जैसा एक रुमाल लिया। वह अपना चेहरा पूर्व की ओर करके बैठ गई। इस स्थिति में वह उसकी (भिक्षु की) छवि का पूरी रात ध्यान करती रही। अपनी बायीं भुजा पर उसने धागे का एक कंगन बाँध लिया, जिसमें सुनहरे पीले रंग के सोलह धागे तथा सोलह गाँठें लगी हुई थीं।

Seen Passages

Passage 1.

Chandalika is a tragedy of self-consciousness over-reaching its limit. Selfconsciousness, up to a point, is necessary to self-development; for, without an awareness of the dignity of one's own role or function, one cannot give one's best to the world. Without rights there can be no obligations, and service and virtue when forced become marks of slavery.

But self-consciousness, like good wine, easily intoxicates, and it is difficult to control the dose and have just enough of it. Vanity and pride get the upper hand and he who clings to his rights very often trespasses on those of others. This is what happened to the heroine. Prakriti, in her eagerness to give, forgot that Ananda need not take. 

Questions : 

1. What is the necessity of self development?
आत्म विकास के लिए क्या आवश्यक है? 

2. Why are the rights necessary?
अधिकार होने क्यों आवश्यक हैं ?

3. What happens with vanity and pride?
अहम् और गर्व से क्या होता है? 
Answers : 
1. A high point of self-consciousness is necessary for self-development. In the absence of it, no one can rise in his life. 

आत्म-विकास के लिए उच्च स्तर की आत्म-चेतना आवश्यक है। इसकी अनुपस्थिति में कोई भी व्यक्ति जीवन में उन्नति नहीं कर सकता है। 

2. Rights are necessary because without rights, there can be no obligations of service and virtue are forced, they become marks of slavery.

अधिकार आवश्यक हैं क्योंकि बिना अधिकारों के कोई भी व्यक्ति कार्य नहीं कर सकता है। यदि सेवा और गुण जबरदस्ती लादे जाते हैं तो वे दासता का प्रतीक बन जाते हैं। 

3. Vanity and pride play a negative role when they get an upper hand. One who clings to his rights very after trespasses on those of others.

अहम् और गर्व एक नकारात्मक भूमिका निभाते हैं जब उन्हें कोई सहारा मिल जाता है। कोई व्यक्ति जो अपने अधिकारों का अत्यधिक प्रयोग करता है, प्रायः दूसरों के अधिकारों में हस्तक्षेप करता है।

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Passage 2.

Mother : Whatever will you do next? Past noon, and a blistering sun, and the earth too hot for the feet! The morning's water was drawn long ago, and the other girls in the village have all taken their pots home. Why, the very crows on the amloki branches are gasping for heat.

Yet you sit and roast in the Vaisakh sun for no reason at all! There's a story in the Purana about how Uma left home and did penance in the burning sun is that what you are about? 

Questions : 

1. Who is being addressed here by mother?
माँ के द्वारा किसे सम्बोधित किया जा रहा है? 

2. Where are the crows? Are they happy?
कौए कहाँ हैं ? क्या वे खुश हैं ? 

3. What is the story in the Purana?
पुराण में क्या कहानी आती है? 
Answers : 
1. Prakriti, her daughter is being addressed by mother because she went to fetch water but she took a lot of time in returning. 

प्रकृति, उसकी पुत्री, को माँ के द्वारा सम्बोधित किया जा रहा है क्योंकि वह जल लेने गई थी लेकिन वापस लौटने में उसने अत्यधिक समय लगा दिया। 

2. The crows are on the amloki branches. They are not happy because they are gasping for heat. The burning sun is giving them a trouble. 

कौए अमलोकी वृक्ष की शाखाओं पर हैं। वे खुश नहीं हैं क्योंकि वे गर्मी से परेशान हैं । जलता हुआ सूर्य उन्हें लगातार कठिनाइयाँ दे रहा है। 

3. There is a story in the Purana about how Uma left home and did penance in the burning sun. She wanted to get Shivji.

पुराणों में एक कहानी है कि उमा ने घर छोड़ दिया और जलते हुए सूर्य की धूप में तपस्या की थी। वह शिवजी को प्राप्त करना चाहती थी।

Passage 3.

 MOTHER : Be warned, Prakriti, these men's words are meant only to be heard, not to be practised. The filth into which an evil fate has cast you is a wall of mud that no spade in the world can break through. You are unclean; beware of tainting the outside world with your unclean presence. See that you keep to your own place, narrow as it is. To stray anywhere beyond its limits is to trespass. 
 
 Questions : 
 1. What is wall of mud?
मिट्टी की दीवार क्या है ? 

2. Why does the mother call Prakriti to be unclean?
माँ प्रकृति को अशुद्ध क्यों कहती है ? 

3. What is trespass? 
दूसरों के अधिकारों का अतिक्रमण क्या है? 
Answers : 
1. The wall of mud is the barrier on the way of progress of Prakriti because she is born in a lower caste. Thus, no spade can break this wall of mud. 

मिट्टी की दीवार प्रकृति के उन्नति के रास्ते की बाधा है क्योंकि वह एक निम्न जाति में पैदा हुई है। इस प्रकार, कोई भी कुदाल इस मिट्टी की दीवार को नहीं गिरा सकती है। 

2. The mother calls Prakriti to be unclean because she is born in a lower caste. She gets no honour anywhere. Mother warns her not to show her unclean presence. 

माँ प्रकृति को अशुद्ध कहती है क्योंकि उसका जन्म एक निम्न जाति में हुआ है। उसे कहीं भी सम्मान नहीं मिलता है। माँ उसे अपनी अशुद्ध उपस्थिति न दिखाने के लिए चेतावनी देती है। 

3. According to mother, Prakriti should keep her at her own narrow place. To stray anywhere beyond its limits is to trespass.

माँ के अनुसार, प्रकृति को स्वयं को अपने संकीर्ण स्थान पर रखना चाहिए। इसकी सीमाओं से परे कहीं पर भी घूमना दूसरों के अधिकारों का अतिक्रमण है।

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Passage 4.

Prakriti : O Mother, see, he is going, there ahead of them all. He never turned his head or looked towards this well. He could so easily have said 'Give me water' once more before he went. I thought he would never be able to cast me aside---me, his own handiwork, his new creation.

(She flings herself down and beats her head on the ground.] This dust, this dust is your place! O wretched woman, who raised you to bloom for a moment in the light? Fallen in the end into this same dust, you must mingle for all time with this same dust, trampled underfoot by all who travel the road. 

Questions : 
1. About whom is Prakriti talking and why?
प्रकृति किसके बारे में बात कर रही है और क्यों? 

2. Why did Prakriti think that he would never forget her?
प्रकृति ने क्यों सोचा कि वह (भिक्षु) उसे कभी नहीं भूल सकेगा? 

3. How does Prakriti scold herself?
प्रकृति स्वयं को किस प्रकार फटकारती है ? 
Answers : 
1. Prakriti is talking about the monk who demanded water from her. She is talking so because he did not turn his head again towards here. 

प्रकृति भिक्षु के बारे में बात कर रही है जिसने उससे जल माँगा था। वह ऐसे इसलिए बोल रही है क्योंकि उसने इस ओर फिर मुड़कर भी नहीं देखा। 

2. Prakriti thought he would never forget her because she thought that she was his handiwork, his new creation. So he would come soon to her.

प्रकृति सोचती है कि वह (भिक्षु) उसे कभी नहीं भूल सकेगा क्योंकि वह सोचती है कि वह (प्रकृति) उसी की (भिक्षु की) रचना है, उसका नया सृजन है । अतः वह उसके पास शीघ्र आयेगा। 

3. Prakriti scolds her saying that this dust is her real place. She calls herself a wretched woman. She repents that he who raised her to bloom, has fallen her again into the same dust. 

प्रकृति अपने आप को यह कहकर फटकारती है कि यह धूल ही उसका वास्तविक घर है। वह अपने आपको दुर्भाग्यशाली महिला कहती है। वह पश्चाताप करती है कि वह जिसने उसे (फूल की तरह) खिलने के लिए उठाया था, उसने उसी धूल में उसे फिर से पटक दिया है।

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Passage 5.

I saw him yesterday at Patal village on the river Upali. The river was turbulent with new rains; there was an old peepul tree by the ghat, fireflies shining in its branches, and under it a lichened altar. As he reached it he gave a sudden start and stood still.

It was a place he had known for a long time; I have heard that one day the Lord Buddha preached there to King Suprabhas. He sat down and covered his eyes with his hands—I felt that his dream-spell might break at any moment. 

Questions : 

1. Who is speaking about whom here? ।
यहाँ पर कौन बोल रहा/रही है और किसके बारे में? 

2. Describe the old peepul tree.
प्राचीन पीपल के वृक्ष का वर्णन कीजिए। 

3. What has Prakriti heard about this place?
प्रकृति ने इस स्थान के बारे में क्या सुना है? 
Answers: 
1. Prakriti is the speaker here and she is talking about the monk whom she saw at Patal village on the river Upali. 

यहाँ पर प्रकृति बोल रही है और वह भिक्षु के बारे में बोल रही है जिसे उसने उपालि नदी के किनारे पाताल गाँव में देखा था। 

2. The old peepul tree was standing by the ghat, fireflies were shining in its branches and there was an altar under it. 

पुराना पीपल का वृक्ष घाट के पास स्थित था, उसकी शाखाओं में जुगनू चमक रहे थे और उसके नीचे एक वेदी थी।

3. Prakriti has heard that one day Lord Buddha preached there to King Suprabhas. He sat down and covered his eyes with his hands. 

प्रकृति ने सुना है कि एक दिन भगवान बुद्ध ने वहाँ पर राजा सुप्रभाष को उपदेश दिया था। वह बैठ गया और अपने हाथों से आँखों को बन्द कर लिया।

Passage 6.

[Enter Ananda.]

O Lord, you have come to give me deliverance, therefore have you known this torment. Forgive me, forgive me. Let your feet spurn afar the endless reproach of my birth. I have dragged you down to earth, how else could you raise me to your heaven? O pure one, the dust has soiled your feet, but they have not been soiled in vain. The veil of my illusion shall fall upon them, and wipe away the dust. Victory, victory to thee, O Lord! 

Questions :
1. Who is the speaker here? How has Ananda come here?
यहाँ पर वक्ता कौन है ? यहाँ पर आनन्द किस प्रकार आया है ? 

2. Why does the speaker say--"I have dragged you down to the earth?"
वक्ता क्यों कहता/कहती है, "मैं तुम्हें जबरदस्ती नीचे जमीन पर लाया/लायी हूँ ?" 

3. How will the monk's feet be washed?
भिक्षु के चरण किस प्रकार साफ किये जायेंगे? 
Answers : 
1. The speaker here is Prakriti who is a down caste girl. Ananda has come here because of magic exercised by her mother.
यहाँ पर वक्ता प्रकृति है जो कि निम्न जाति की लड़की है। आनन्द यहाँ पर माँ द्वारा चलाये गये जादू के कारण आया है। 

2. The speaker says so because Ananda is dragged here by exercising magic on him. He was not willing to come here.
वक्ता ऐसा इसलिए कहता/कहती है क्योंकि आनन्द यहाँ पर जबरदस्ती जादू के प्रयोग से लाया गया है। वह यहाँ पर आने का इच्छुक ही नहीं था।

3. The speaker says the veil of her illusion will fall upon his feet and wipe away all the dust from his feet. 
वक्ता कहती है कि उसके भ्रम का पर्दा भिक्षु के चरणों पर गिर पड़ेगा और उसके चरणों पर पड़ी हुई धूल को साफ कर देगा।

Chandalika Summary and Translation in Hindi

About the Author :

Rabindranath Tagore was a poet, novelist, short story writer and dramatist. He was awarded the Nobel Prize for Literature in 1913. Tagore's interest in drama was fostered while he was a boy, for his family enjoyed writing and staging plays.

RBSE Solutions for Class 12 English Kaleidoscope Drama Chapter 1 Chandalika 1

The music in his plays is instrumental in bringing out the delicate display of emotion around an idea. The central interest in his plays is the unfolding of character; of the opening up of the soul to enlightenment of some sort.

लेखक के बारे में: -

रबिन्द्रनाथ टैगोर एक कवि, उपन्यासकार, लघु कहानी लेखक और नाटक लेखक थे। उन्हें साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कर 1913 में प्राप्त हुआ था। टैगोर की नाटक में रुचि तभी जाग्रत हो गई थी जब वह एक बालक थे क्योंकि उनका परिवार नाटक लिखने और उनका प्रदर्शन करने में अत्यधिक रुचि लेता था। उनके नाटकों में संगीत किसी विचार के चारों ओर की भावनाओं के कोमल प्रदर्शन के लिए वाद्य यंत्रों के रूप में कार्य करता है। उनके नाटकों का केन्द्रीय भाव किसी चरित्र का परिचय होता है; एक विशेष प्रकार के ज्ञान की अभिव्यक्ति के लिए आत्मा को प्रस्तुत करना।

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About the Drama :

'Chandalika' is a tragedy by Rabindranath Tagore, a famous poet and dramatist. The playwright has put Prakriti as the central character who is devoted to the monk to the core of her heart. But her devotion is not a devotion of a wicked girl roused to lust by the physical beauty of the monk. She is a sensitive girl who is impressed in the first meeting with the monk so much that she feels nothing in her life without Ananda, the monk. 

She is condemned by her birth to a dispersed caste but the sermon of the monk gives her a new birth. The monk accepts water from her and teaches to judge herself. She becomes crazy to have the monk. She forces her mother to cast a spell on the monk. Her mother tries many times to dissuade her, but she wants the monk at any cost. She casts her spell and the monk comes in a very tormented state of mind. Prakriti asks her mother to undo the spell. But in this process, her mother dies, the spell is undone and the monk leaves the place. 

नाटक के बारे में:

चाण्डालिका प्रसिद्ध कवि एवं नाटककार रबिन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित दुखान्त नाटक है। नाटककार ने प्रकृति को केन्द्रीय पात्र के रूप में प्रस्तुत किया है जो कि भिक्षु के प्रति अपने हृदय की गहराइयों से समर्पित है। लेकिन उसका समर्पण किसी दुष्ट लड़की का समर्पण नहीं है जो कि भिक्षु के शारीरिक सौन्दर्य से प्रभावित होकर कामातुर हो जाती है।

वह एक भावुक लड़की है जो कि भिक्षु के साथ अपनी प्रथम मुलाकात में ही इतनी प्रभावित हो जाती है कि उसे अपने जीवन में आनन्द, भिक्षु के अतिरिक्त कुछ भी महसूस नहीं करती है। उसे जन्म से ही उसकी घृणित जाति के कारण प्रताड़ना मिलती है लेकिन भिक्षु का उपदेश उसे एक नया जीवन प्रदान करता है। भिक्षु उसके हाथ से पानी लेता है और उसे अपना स्वयं मूल्यांकन करने के लिए कहता है । वह भिक्षु को प्राप्त करने के लिए पागल हो जाती है।

वह अपनी माँ को भिक्षु पर जादू चलाने के लिए कहती है। उसकी माँ अनेकों बार उसका ध्यान भंग करने की कोशिश करती है लेकिन उसे भिक्षु किसी भी कीमत पर चाहिए। वह अपना जादू चलाती है और भिक्षु अत्यन्त वेदनायुक्त मानसिकता के साथ उसके पास आ जाता है। प्रकृति अपनी माँ से जादू को वापस लेने के लिए कहती है । लेकिन इस प्रक्रिया में, उसकी माँ की मृत्यु हो जाती है। जादू को वापस ले लिया जाता है और भिक्षु वहाँ से चला जाता है।

कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद 

This short drama ....................religion save her humiliation. (Pages 204-205)

कठिन शब्दार्थ-legend (लेजन्ड्) = an old story, किंवदन्ती। disciple (डिसाइप्ल) = a person who follows his teacher, शिष्य, अनुयायी। thirsty (थस्टि ) = needing a drink, प्यासा। untouchable (अन्टच्ब्ल ) = who can't be touched, अछूत। restrain (रिस्ट्रेन्) = to keep under control, नियंत्रण में रखना। spell-bound (स्पेल्-बाउन्ड्) = having fixed attention, मंत्रमुग्ध । remorse (रिमॉस्) = feeling of sadness, पश्चाताप ।

crude (क्रूड्) = simple or basic, अशोधित। psychic (साइकिक्) = having unusual powers, असाधारण शक्तियों वाला। intense (इन्टेन्स्) = very great, बहुत अधिक। monk (मॉङ्क्) = a member who lives in monastery, साधु, भिक्षुक । yearns (यन्स्) = to want, लालायित होना। rununciation (रिनन्सिएश्न्) = to give up, त्याग देना, परित्याग। abjectness (ऐब्जेक्टनैस) = terrible, अत्यधिक दयनीय। scruple (स्क्रूपल) = a feeling of morally wrong, नैतिक संकोच।

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हिन्दी अनुवाद-प्रस्तावना-यह लघु नाटक बौद्ध किंवदन्ती पर आधारित है। आनन्द, बुद्ध का प्रसिद्ध शिष्य, एक दिन अपनी यात्रा से लौट रहा था, जब उसे प्यास लगी, एक कुएँ पर पहुँचकर, उसने एक चाण्डालिका से पानी माँगा, एक ऐसी लड़की जो निम्नतम अछूत जाति से सम्बन्धित थी। लड़की ने उसे पानी दिया और उस सुन्दर भिक्षुक से प्रेम करने लगी। स्वयं के ऊपर नियंत्रण रखने में असमर्थ होने पर उसने अपनी माँ से उसके (भिक्षुक)

ऊपर जादू चलाने के लिए बाध्य किया जो कि जादू की कला जानती थी। जादू आनन्द की इच्छाशक्ति से ज्यादा प्रबल सिद्ध हुआ और मंत्रमुग्ध भिक्षुक रात्रि के समय उनके घर पर उपस्थित हो गया; लेकिन जब उसने लड़की को अपने लिए बिस्तर बिछाये हुए देखा तो वह शर्म और पश्चात्ताप से भर गया और मन ही मन में अपने स्वामी से उसे बचाने की प्रार्थना की। बुद्ध ने प्रार्थना सुनी और उस जादू के बन्धन को काट दिया और आनन्द उतना ही पवित्र वहाँ से वापस चला गया जैसा कि वह वहाँ आया था।

एक लोकप्रिय कहानी का यह अशोधित कथानक जो यह दिखाता है कि बुद्ध की असाधारण शक्तियाँ उसके शिष्य को एक चाण्डाल लड़की की कामातुरता से बचाती हैं, उसे कवि द्वारा अत्यन्त गहन आध्यात्मिक संघर्ष के मनोवैज्ञानिक ड्रामा में किस प्रकार परिवर्तित कर दिया गया है। यह किसी दुष्ट लड़की की कामातुरता के लिए एक सुन्दर भिक्षुक द्वारा उत्पन्न कहानी नहीं है बल्कि यह ऐसी अत्यन्त भावुक लड़की की कहानी है जो कि एक घृणित जाति में पैदा होने के कारण तिरस्कृत हो गई है, जो कि अचानक ही अपने स्त्रीत्व के सम्पूर्ण अधिकारों के साथ सचेत होकर बुद्ध के एक अनुयायी की मानवता के कारण जाग्रत हुई है, जो उसके हाथ से पानी स्वीकार करता है और उसे स्वयं का मूल्यांकन करने की शिक्षा देता है 

उन बनावटी मूल्यों से नहीं जो.कि समाज जन्म के कारण व्यक्ति के साथ जोड़ देता है बल्कि अपनी प्रेम और सेवा की क्षमता के अनुसार। यह उसके लिए एक बहुत बड़ा रहस्योद्घाटन है, जिसे वह अपना नया जन्म कहती है; क्योंकि वह स्वतः अधोपतन से स्वयं को बिल्कुल साफ कर लेती है और अपने प्रेम करने और देने के अधिकार के साथ सम्पूर्ण मनुष्य रूप में वह उठ खड़ी होती है। और क्योंकि उसके पास स्वयं को समर्पित कर देने से बड़ा कुछ भी नहीं है जो वह दे सकती है, और कोई भी व्यक्ति, भिक्षुक के अतिरिक्त, उसके समर्पण के योग्य नहीं है जिसने उसे निम्न स्तर से बचाया है अथवा जैसा वह मानती है अतः वह उस भिक्षुक के सम्मुख अपने आप को समर्पित करने के लिए बेचैन है। 

लेकिन आनन्द सम्पूर्ण सांसारिकता से दूर तथा अपनी अन्तआत्मा में डूबा हुआ, इस सबके बारे में कुछ भी नहीं जानता है तथा उसे बिना पहचाने ही वहाँ से चला जाता है। वह अपमानित महसूस करती है, अपनी नवीन समझदारी में जाग्रत हुई और भिक्षुक को वापस खींचकर लाने का निश्चय कर लेती है कि वह उस भिक्षुक को उसके त्याग से उसके प्रति इच्छा जागृत करेगी। उसने सारे धार्मिक नैतिक संकोच का त्याग कर दिया है क्योंकि उसे अपने अपमान के सिवाय धर्म से कुछ भी लेना-देना नहीं है। 

A religion that ............ is not fulfilment. (Pages 205-206) 

कठिन शब्दार्थ-conform (कन्फॉम्) = to obey rules and laws, नियमों का पालन करना। gags (गैग्स्) = to close mouth, मुंह बन्द कर देना। primeval (प्राइमीवल) = very ancient, अति प्राचीन। potent (पोट्न्ट्) = powerful, शक्तिशाली। distorted (डिस्टॉट्ड्) = to change the shape, स्वरूप बिगाड़ देना। agony (ऐगनि) = great pain, तीव्र वेदना। resplendent (रिस्प्ले न्डन्ट्) = attractive, आकर्षक, चमकता हुआ।

radiant (रेडिअन्ट्) = sending out light, रोशनी बिखेरना । revokes (रिवोक्स्) = cancel, रद्द करना। purged (पज्ड्) = to make sacred, शुद्धिकरण। intoxicates (इनटॉक्सिकेट्स्) = drunk, मदहोश। vanity (वैनटि) = too proud, घमण्ड । trespasses (ट्रेस्पस्) = entry without permission, अनधिकार प्रवेश करना। passionate (पैशनट) = feeling very strong love, अत्यधिक प्रेमवश। inevitable (एन्एविटब्ल्) = that cannot be avoided, जिसे नजरन्दाज न किया जा सके। importunate (अम्पोचुनेट) = impudent हठपूर्ण।

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हिन्दी अनुवाद-वह धर्म जो अपमानित करता है वह एक झूठा धर्म होता है। प्रत्येक व्यक्ति मुझसे उस पंथ के नियमों का पालन करवाने के लिए संगठित हो गया है जो व्यक्ति को देखने और बोलने नहीं देते हैं। लेकिन उस दिन से कोई शक्ति मुझे नियमों का पालन करने से रोक रही है, अतः अब मुझे किसी भी बात का डर नहीं है। वह अपनी माँ को आनन्द के ऊपर अपने जादू का प्रयोग करने के लिए बाध्य करती है।

वह इसका अतिप्राचीन जादू के रूप में सन्दर्भ देती है, पृथ्वी का जादू, जो कि भिक्षुओं की अपरिपक्व 'साधना' से बहुत अधिक शक्तिशाली होता है। पृथ्वी का जादू अपनी शक्ति को सिद्ध कर देता है और आनन्द उनके दरवाजे तक खिंचा चला आता है, उसका चेहरा तीव्र वेदना और शर्म के कारण विकृत हो गया है। 

अपने बचाने वाले को देखकर, जो कि पहले इतना अधिक आदर्श एवं आकर्षक था, अब इतनी क्रूरता से परिवर्तित कर दिया और उसका पतन कर दिया, वह अपनी स्वार्थ एवं विध्वंसात्मक प्रकृति से भयभीत हो जाती है। वह नायक जिसे वह अपने आप को समर्पित करना चाहती थी, वह यह प्राणी नहीं था, कामातुरता से अन्धे होते हुए तथा शर्म के मारे काला पड़ा हुआं, लेकिन रोशनी बिखरता हुआ आनन्द जिसने उसे एक नये जन्म का उपहार दिया था और उसकी वास्तविक मानवता को प्रकट किया था। 

पश्चात्ताप के कारण वह स्वयं को अभिशाप देती है और उससे क्षमायाचना करते हुए उसके पैरों में गिर पड़ती है। माँ अपने जादू को वापस ले लेती है और इच्छानुसार जादू को वापस लेने की कीमत चुकाती है, जो कि मृत्यु है। इस प्रकार चाण्डालिका दूसरी बार बचायी जाती है, उसका घमण्ड और अहम् से शुद्धिकरण किया जाता है

जिसने उसे बलपूर्वक यह भुला दिया था कि प्रेम अधिकार का दावा नहीं करता है बल्कि वह तो स्वतन्त्रता प्रदान करता है।चाण्डालिका आत्म चेतना के अपनी सीमाओं के बाहर निकलने का दुःखान्त नाटक है। आत्मचेतना, एक बिन्दु तक, आत्मविकास के लिए आवश्यक है, क्योंकि अपने स्वयं के कार्यों के गौरव की जागरूकता के अभाव में कोई भी व्यक्ति संसार को अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे सकता। 

बिना अधिकारों के कोई भी कर्त्तव्य नहीं हो सकते हैं और सेवा और गुण जब बाध्य होकर किए जाते हैं तो वे दासता के चिह्न हैं। लेकिन आत्म-चेतना, अच्छी शराब की तरह, आसानी से मदहोश कर देती है और उसकी मात्रा और केवल थोड़ी सी लेने को नियंत्रित करना अत्यन्त कठिन है। घमण्ड एवं गर्व को जब किसी का सहारा मिल जाता है और वह व्यक्ति जो अधिकारों से चिपका रहता है, वह प्रायः दूसरों के अधिकारों में घुसने की अनाधिकार चेष्टा करता है। यही है जो नायिका को हुआ। प्रकृति अपनी देने की तीव्र इच्छा के कारण यह भूल गई कि आनन्द को लेने की आवश्यकता नहीं है; उसका समर्पण इतना अधिक प्रेम में डूब गया कि वह पहले अधिकार में लिए बिना समर्पण नहीं कर सकती। 

लेकिन फिर भी यह अवश्यंभावी था कि ऐसा होना चाहिए; क्योंकि एक नवीन अन्तर्चेतना, युगों के अत्याचार के बाद, शक्ति अर्जित कर रही है और व्यक्ति केवल कष्टों के बाद ही नियंत्रित हो सकता है। यही दुःखान्त नाटक है । एक अच्छी माँ जिसने इतनी ज्यादा अनिच्छा से अपनी हठपूर्ण पुत्री को खुश करने के लिए अपने जादू का प्रयोग किया और जिसने आनन्द को बचाने के लिए इतनी ज्यादा इच्छा से अपने जादू को वापस लिया, इस प्रक्रिया में मृत्यु को प्राप्त हो जाती है। पुत्री, यद्यपि पवित्र है और कष्टों के द्वारा बुद्धिमान हुई है, उसे एक भारी मूल्य चुकाना पड़ता है; क्योंकि बुद्धिमानी खुशी नहीं है त्याग पूरा किया जाना नहीं है।

अंक-I 

Mother = Prakriti ! Prakriti !......................a former birth? (Pages 206-207)

कठिन शब्दार्थ-ails (एल्ज्) = feverish, बीमार। blistering (ब्लिस्ट(रि)ङ्) = very strong, बहुत तीव्र। roast (रोस्ट्) = to cook, पकाना। penance (पेनन्स्) = punishment to oneself, प्रायश्चित। dubbed (डब्ड्) = to give name, नाम देना।

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हिन्दी अनुवादमाँ - प्रकृति! प्रकृति! वह कहाँ चली गई ? मैं सोचती हूँ कि इस लड़की को क्या परेशानी है? यह कभी भी घर में तो मिलती ही नहीं है। 
प्रकृति - यहाँ, माँ, मैं यहाँ हूँ।
माँ - कहाँ? 
प्रकृति - यहाँ, कुएँ के पास। 
माँ - तो अब तुम क्या करोगी? दोपहर हो गई है, और सूर्य की धूप अत्यधिक तेज है, और धरती इतनी गर्म है कि उस पर पैर नहीं रखा जा सकता! सुबह का जल बहुत पहले ही लाया जा चुका है, और गाँव की सभी लड़कियाँ अपने बर्तनों को घर ले जा चुकी हैं। क्यों, अमलौकी शाखाओं पर बैठे हुए कौए भी गर्मी से हाँफ रहे हैं। फिर तू इस वैशाख की गर्मी में बिना किसी कारण के धूप में भुनी जा रही है! पुराणों में एक उमा के बारे में कहानी आती है कि उमा ने किस प्रकार अपना घर छोड़ दिया और जलती हुई धूप में तपस्या की-क्या तुम भी वही कर रही हो? 
प्रकृति - हाँ, माँ, ऐसा ही है, मैं तपस्या कर रही हूँ।
माँ - हे भगवान! और किसके लिए? 
प्रकृति - किसी उसके लिए जिसने मुझे पुकारा है।
माँ - यह किसकी पुकार है? 
प्रकृति - "मुझे पानी दो।" उसने ये शब्द बोले जो मेरे हृदय में गूंज रहे हैं। 
माँ - हे ईश्वर! हमें बचाओ! उसने तुमसे कहा, "मुझे पानी दो?" वह कौन था? क्या वह हमारी जाति का था? 
प्रकृति - ऐसा उसे कहा था कि वह हमारे जैसा ही है।
माँ - क्या तुमने अपनी जाति को नहीं छुपाया? क्या तुमने उसे यह बता दिया कि तुम एक चाण्डालिनी हो? 
प्रकृति - हाँ, मैंने उसे बता दिया। उसने कहा कि यह सत्य नहीं है। यदि 'श्रावण' के काले बादल चाण्डाल हैं, उसने कहा, तो उससे क्या? इससे उसकी प्रकृति नहीं बदलती है, अथवा उसके जल के गुण नष्ट नहीं होते हैं। स्वयं को अपमानित मत करो, उसने कहा; स्वयं को अपमानित करना पाप है, आत्महत्या से भी ज्यादा घृणित। 
माँ - ये कौनसे शब्द तुम्हारे मुँह से निकल रहे हैं? क्या तुम्हें पिछले जन्म की कहानी याद आ गई है?

Prakriti = No, this is a tale........ you are saying? (Pages 207-208)

कठिन शब्दार्थ-gong (गॉङ्) = a round and flat metal disc, घण्टा। blazing (ब्लेजिङ्) = a large fire, भयानक आग। leaped (लीप्ट) = to jump high, लम्बी छलाँग। trembling (ट्रेम्बलिङ्) = to shake, काँपना। reckless (रेक्लस्) = not thinking about results, दुःसाहसी, परिणामों के प्रति लापरवाह । fathomless (फैदम्लैस्) = बहुत गहरा, अथाह ।

हिन्दी अनुवादप्रकृति - नहीं, यह मेरे नये जन्म की कहानी है। 
माँ - तुम तो मुझे हँसा के ही मानोगी। नया जन्म, वास्तव में! तुमने यह तपस्या कब शुरू की। 
प्रकृति - यह एक दूसरे दिन की बात है। महल के घण्टे ने अभी-अभी दोपहर का घण्टा बजाया था और धूप जैसे जल रही थी। मैं उस बछड़े को कुएँ पर स्नान करा रही थी जिसकी माँ की मृत्यु हो चुकी है। उसके बाद एक बौद्ध भिक्षु वहाँ आया और मेरे सामने खड़ा हो गया, उसने पीले वस्त्र धारण किए हुए थे, और उसने कहा, "मुझे जल पिलाओ।" मेरा हृदय आश्चर्य से धड़क उठा। मैं काँपने लगी और उसके चरणों में मैंने सिर झुका दिया, लेकिन मैंने उन्हें छुआ नहीं। उसका स्वरूप प्रभात के सूर्य की किरणों की तरह रोशनी बिखेरता हुआ था। मैंने कहा, "मैं चाण्डालिनी हूँ, और कुएँ का जल अशुद्ध है।" उसने कहा, "जैसे मैं एक मनुष्य हूँ, उसी तरह तुम भी हो, और वह सम्पूर्ण जल साफ एवं पवित्र है जो हमारी गर्मी को ठण्डा करता है और हमारी प्यास को शान्त करता है।" अपने जीवन में पहली बार, मैंने इस प्रकार के शब्द सुने थे, और पहली बार मैंने उसके बँधे हुए हाथों में पानी डाला था-एक ऐसे व्यक्ति के हाथ जिसके चरणों की धूल को भी मैंने कभी छूने का साहस नहीं किया।
माँ - अरे, तुम पागल लड़की, तुम इतनी लापरवाह कैसे हो सकती है? तुम्हें अपने इस पागलपन की कीमत चुकानी पड़ेगी। क्या तुम यह नहीं जानती कि तुमने कौनसी जाति में जन्म लिया
प्रकृति - उसने केवल एक बार अपने हाथ मुझसे पानी लेने के लिए मोड़े। इतना थोड़ा-सा पानी, लेकिन फिर भी वह थोड़ा-सा अपनी अथाह, असीमित समुद्र में परिवर्तित हो गया। इसमें सात समुद्रों का पानी एक में ही बह रहा था, और मेरी जाति उसमें डूब गई और मेरा जन्म घुलकर पूरी तरह साफ हो गया। 
माँ - क्यों, तुम्हारे बोलने का तरीका तक भी बदल गया है। उसने तुम्हारी जुबान पर जैसे कोई जाद चला दिया है। क्या तुम स्वयं यह समझती हो कि तुम क्या कह रही हो? 

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Prakriti Was there................................ what do you want? (Pages 208-209)

कठिन शब्दार्थ-quenching (क्वेन्चिङ्) = to satisfy thirst, प्यास बुझाना। exile (एक्साइल) = banishment, निर्वासन । soars (सॉ(र्)) = to fly high in the air, हवा में ऊँचा उड़ना। wayfarer (वेफेअर(र्)) = traveller, पथिक। quivers (क्विवर) = to shake slightly, हलके से काँपना, कंपन। plainly (प्लेन्लि) = clearly, स्पष्ट रूप से।

हिन्दी अनुवाद -

प्रकृति - माँ! क्या पूरे श्रावस्ती शहर में कहीं और पानी नहीं था? फिर वह सारे कुओं को छोड़कर इसी कुएँ पर क्यों आया? मैं इसे वास्तविक रूप से अपना नया जन्म कहकर पुकारूँगी! वह मुझे मनुष्य की प्यास बुझाने का सम्मान देने आया था। यह श्रेष्ठता का सबसे महान कार्य था जो उसने किया।

उसे किसी भी अन्य स्थान पर पानी नहीं मिल सका होगा जो उसकी पवित्र प्रतिज्ञाओं को पूरा कर सके। नहीं, किसी भी पवित्र धारा में भी नहीं। उसने कहा कि जानकी ने भी अपने वनवास के प्रारम्भिक दिनों में इसी जैसे जल से स्नान किया था और कि गुहक जो कि चाण्डाल था, ने इस पानी को उनके लिए खींचा था। तभी से मेरा हृदय मचल रहा है और रात दिन केवल वही पवित्र ध्वनि मुझे सुनाई पड़ रही है-"मुझे जल दो, मुझे जल दो।"

माँ - बच्चे! मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूँ; मुझे यह सब पसन्द नहीं है। मैं उनके
जादू के बन्धन को नहीं समझ पाती हूँ। आज तो मैं तुम्हारी बातें ही नहीं समझ पा रही हूँ; कल शायद, मैं तुम्हारा चेहरा भी नहीं पहचान सकूँगी। कहीं ऐसा न हो कि उसके जादू से तुम्हारी आत्मा भी बदल जाए। 

प्रकृति - माँ, तुम मुझे इतने दिनों में भी कभी भी वास्तविक रूप से नहीं पहचान पाई हो। वह जिसने

मुझे पहचान लिया है वह मुझे सामने भी लाएगा। और इसलिए मैं इन्तजार कर रही हूँ और देख रही हूँ। महल से दोपहर का घण्टा बजता है, लड़कियाँ अपने जल के बर्तन लाती हैं
और घर चली जाती हैं, सुदूर आकाश में चीलें ऊँची उड़ान भरती हैं, और मैं अपना मटका लाती हूँ और यहाँ कुएँ पर बैठ जाती हूँ, सड़क के किनारे पर। तुम किसकी प्रतीक्षा करती हो? 
प्रकृति - पथिक की। 
मैं - तुम पागल लड़की! कौनसा पथिक आने वाला है ? 
प्रकृति - एक पथिक माँ केवल एक और वही पथिक आने वाला है। उसमें वह सब कुछ है जो संसार
के सभी रास्तों पर गुजरता है। दिन पर दिन गुजर रहे हैं, लेकिन फिर भी वह आता नहीं है। यद्यपि वह कुछ बोला नहीं लेकिन उसने वायदा तो किया था-अब वह अपने वायदे को पूरा क्यों नहीं कर रहा है? क्योंकि मेरा हृदय हर समय जलहीन व्यर्थ के रूप में पड़ा रहता है जहाँ पर गर्मी हर समय कम्पन करती रहती है क्योंकि इसका पानी किसी को नहीं दिया जा सकता, जब तक कोई इसे ढूँढ़ने नहीं आता। 
मैं - तुम्हें इन बातों के लिए आज कुछ भी नहीं कह सकती। ऐसा कि तुम महदोश हो गई हो। मुझे स्पष्ट रूप से बताओ कि तुम चाहती क्या हो? 

Prakriti I want him.................don't you? (Pages 209-210) 

कठिन शब्दार्थ-marvellous (मावलस्) = wonderful, आश्चर्यजनक । bosom (बुजम्) = heart, हृदय। filth (फिल्थ्) = dirt, गंदगी। tainting (टेन्ट्ङ्)ि = bad or unpleasant, कलंक, लांछन। petals (पेट्ल्स् ) = soft coloured part of flowers, पंखुड़ी। curtains (कट्न्स् ) = a cloth to cover door, windows, परदा।

हिन्दी अनुवाद-- 

प्रकृति - मैं उसे चाहती हूँ। जिसे किसी ने नहीं जाना - वह आया और मेरा इस शानदार सत्य से
परिचय कराया कि ईश्वर के प्रति मेरी सेवा का भी मूल्य है जो कि इस संसार को चलाता है। वे आश्चर्यजनक शब्द! कि मैं भी सेवा कर सकती हूँ, मैं, एक फूल जो कि जहरीले पौधे पर उगा हूँ! उसे आगे बढ़ने दो इस सत्य पर कि धूल में गिरा हुआ एक फूल और उसे इस फूल को हृदय से लगाने दो। 

माँ - प्रकृति! सावधान हो जाओ, इन मनुष्यों के शब्द केवल सुनने के लिए हैं, प्रयोग में लाने के
लिए नहीं हैं। वह गंदगी जिसमें तुम पैदा हुई और भाग्य ने तुमको दी है, कीचड़ की एक दीवाल है जिसे संसार की कोई भी कुदाल तोड़ नहीं सकती है। तुम गन्दगीयुक्त हो, अपनी गन्दी उपस्थिति से बाहरी दुनिया को गंदा करने से बचो। देखो कि तुम केवल अपने स्थान पर ही रहो, यह अत्यन्त संकीर्ण है। इसकी सीमाओं से बाहर निकलना दूसरों के अधिकार में
अनधिकार प्रवेश करना है।

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प्रकृति - (गाती है)

इस धरती के फूल भी कहते हैं कि मैं धन्य हो गई क्योंकि मैं तुम्हारी सेवा करती हूँ, हे मेरे ईश्वर, अपने इस साधारण से घर में, मुझे यह भुलाने के लिए कि मैं एक निम्न जाति में पैदा हुई,
अब मेरी आत्मा पूरी तरह से स्वतन्त्र है जब तुम्हारी नजरें मेरी आँखों की ओर तिरछी हुई,तो मेरी आँखों की पंखुड़ी खुशी से सिहर उठी; मुझे अपने चरणों को स्पर्श करने दो और मुझे स्वर्ग का सा प्राणी बना दोक्योंकि पृथ्वी मेरे माध्यम से अपनी उपासना कर सके। - बच्चे, मैं अब धीरे-धीरे कुछ-कुछ समझने लगी हूँ कि तुम क्या कह रही हो। तुम एक स्त्री
हो : सेवा करके ही तुम पूजा कर सकोगी, पूजा करके ही तुम शासन कर सकोगी। केवल महिलाएँ ही एक क्षण में जाति की सीमाओं से बाहर निकल सकती हैं; जब एक बार भाग्य का परदा हट जाता है तो वह अपने रानीत्व में सामने आ जाती है। तुम्हारे पास एक अच्छा मौका है, तुम जानती हो, जब राजा का पुत्र हिरन का शिकार करता हुआ तुम्हारे इसी कुएँ पर
आया था। तुम्हें याद है, क्या नहीं है ? 

Prakriti = Yes, I................. .............. a bowl of water. (Pages 210-211)

कठिन शब्दार्थ-defile (डिफाइल) = to make impure, अपवित्र करना। glory (ग्लॉरि) = fame or honour, यश अथवा सम्मान। slave (स्लेव्) = a person owned by another, गुलाम, दास। delude (डिलूड्) = to confuse, भ्रमित करना।

हिन्दी अनुवाद

प्रकृति - हाँ, मुझे याद है। 
माँ - तुम राजा के घर क्यों नहीं गई थीं? वह तुम्हारे सौन्दर्य में सब कुछ भूल गया था। 
प्रकृति - हाँ, वह सब कुछ भूल गया था यह भी भूल गया था कि मैं एक मानवीय व्यक्ति हूँ। वह बाहर जंगली जानवरों का शिकार करने गया था। उसने कुछ भी नहीं देखा सिवाय उस जानवर के जिसे वह सोने की जंजीर से बाँधना चाहता था। 
माँ - उसने कम से कम तुम्हारे सौन्दर्य को तो देखा, यदि वह शिकार के खेल के लिए भी जा रहा था। जहाँ तक उस भिक्षु की बात है, क्या वह तुम्हारे अन्दर स्त्रीत्व को पहचानता है ? 
प्रकृति - माँ तुम नहीं समझोगी, तुम नहीं समझोगी! मैं महसूस करती हूँ कि इतने दिनों में वह पहला व्यक्ति है जिसने मुझे वास्तविक रूप से कभी भी पहचाना हो। यह अत्यन्त शानदार बात है। मैं उसे चाहती हूँ माँ, मैं उसे किसी भी तरह से पाना चाहती हूँ। मैं अपने इस सम्पूर्ण जीवन को इकट्ठा करके फूलों की टोकरी की तरह उसके चरणों में डालना चाहती हूँ। इससे वे अपवित्र नहीं होंगे। प्रत्येक व्यक्ति को मेरे इस साहसिक कार्य के लिए हैरान होने दो! मैं अपने इस दावे पर गर्व महसूस करूँगी। "मैं तुम्हारे हाथों की गुड़िया हूँ", मैं घोषणा कर दूंगी-कि किसी भी अन्यथा की स्थिति में मैं सम्पूर्ण संसार के चरणों की दासी बनकर रहूँगी, गुलाम की तरह! 
माँ - बच्ची ! तुम इतनी ज्यादा उत्तेजित क्यों हो रही हो? तुम तो गुलाम ही पैदा हुई थी। यह तो भाग्य का लेख है, उसे कौन मिटा सकता है? 
प्रकृति - छि, छि, माँ, मैं तुम्हें फिर से बताती हूँ। इस स्वयं को अपमानित करने वाली बातों से स्वयं को धोखा मत दो-यह झूठ है, और एक पाप है। बहुत से गुलाम शाही परिवारों में हैं, लेकिन मैं गुलाम नहीं हूँ; बहुत से चाण्डाल ब्राह्मण परिवारों में पैदा हुए हैं लेकिन मैं चाण्डाल नहीं हूँ। 
माँ - मैं नहीं जानती कि तुम्हें किस प्रकार जवाब दूं, बच्ची ! ठीक है, मैं स्वयं उसके पास जाऊँगी और उसके चरणों को पकड़ लूँगी। "तुम प्रत्येक घर का भोजन स्वीकार करते हैं", मैं कहूँगी,  "हमारे भी घर आइये और हमारे हाथों से कम से कम एक कटोरा जल ही स्वीकार कर लो।" 

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Prakriti = No, no............... they do nothing. (Page 211) 

कठिन शब्दार्थ-mingle (मिङ्गल) = to mix, मिल जाना। pitcher (पिच्()) = a large container, मटका, घड़ा। drought (ड्राउट्) = a long period without rain, अनावृष्टि। concern (कन्सन्) = to effect, प्रभावित करना। clasp (क्लास्प) = to fasten, बाँधना। drag (ड्रेग्) = to pull, घसीटना। wretched (रेचिड्) = very unhappy, शोक संतप्त। shudder (शड(र्)) = a suddenly shake, कॉपना। impaled (इम्पेल्ड्) = to push a sharp pointed object, नुकीली वस्तु घोंपना।

हिन्दी अनुवाद

प्रकृति - नहीं, नहीं, मैं उसे इस प्रकार नहीं बुलाऊँगी, बाहरी रूप से। मैं उसे अपनी आत्मा से उसकी आत्मा में निमंत्रण दूंगी, जिससे वह सुन ले-मेरी इच्छा स्वयं को समर्पित करने की है। यह मेरे हृदय की पीड़ा है। कौन मेरे इस उपहार को स्वीकार करेगा? कौन मेरे सुख और दुःख का साझीदार बनेगा? क्या वह अपनी इच्छाओं को मेरी इच्छाओं में शामिल नहीं करेगा, जिस प्रकार गंगा में जमुना का काला पानी मिल जाता है। संगीत स्वतः ही उत्पन्न होता है और वह जो बिना बुलाए आया था, अपने पीछे आशा की एक किरण छोड़ गया है। जब पूरी धरती सूखे के कारण बंजर हो गई हो तो एक मटका पानी का क्या उपयोग हो सकता है? क्या बादल सम्पूर्ण आकाश को भरने के लिए स्वयं ही नहीं आयेंगे, क्या वर्षा अपने वजन से स्वयं ही मिट्टी को नहीं ढूँढ़ लेगी? 
माँ - इन बातों को करने से क्या लाभ है ? यदि बादलों को आना होता है तो आते हैं, यदि नहीं
आना होता है तो नहीं आते हैं; यदि फसलें सूख जाती हैं तो इसमें उनका क्या दोष! हम सिवाय बैठने और आकाश की ओर निहारने के कर भी क्या सकते हैं ? 
प्रकृति - ऐसा मुझसे तो नहीं होगा; मैं एकदम बैलुंगी नहीं और देखुंगी नहीं। तुम जानती हो कि जादू किस प्रकार कार्य करता है; उस जादू को मेरी भुजाओं की कसकर पकड़ने दो, उसे यहाँ पर
खींचकर लाने दो। 
माँ - तुम क्या कर रही हो, दुर्भाग्यशाली लड़की? क्या तुम्हारे दुस्साहस की कोई सीमा नहीं है? यह आग से खेलने जैसा होगा! क्या ये भिक्षु कोई साधारण लोग हैं ? मैं उनके ऊपर जादू कैसे चला सकती हूँ? मैं तो यह सोचकर ही काँपने लगती हूँ। 
प्रकृति - तुमने तो अपने जादू को इतनी निडरता से राजा के पुत्र के ऊपर चलाया था। 
माँ - मुझे राजा से डर नहीं लगता है; वह मुझे ज्यादा से ज्यादा सूली पर ही तो चढ़ा देता। लेकिन ये लोग-वे कुछ भी नहीं करते हैं। 

Prakriti = I fear ...............upon yourself? (Page 212) 

कठिन शब्दार्थ-sink (सिङक्) = to drown, डूब जाना। heritage (हेरिटिज्) = ancient culture, धरोहर, विरासत। creed (क्रीड) = religious beliefs, पंथ, सम्प्रदाय । forbids (फबिड्स्) = to not allow, निषिद्ध, वर्जित होना। chant (चान्ट) = singing a religious song, धार्मिक गीत का उच्चारण। conform (कन्फॉम्) = to obey rules, कानूनों का पालन करना।

हिन्दी अनुवादप्रकृति - मुझे किसी भी बात का कोई भय नहीं है, सिवाय इसके कि कहीं मैं वापस उसी में न डूब जाऊँ, और मैं अपने आपको फिर से भूल जाऊँ, मैं फिर से उसी अन्धकारयुक्त जीवन में फिर
से प्रवेश कर जाऊँ। यह तो मृत्यु से भी ज्यादा बुरा होगा। तुम्हें उसे अवश्य ही यहाँ लाना होगा! मैं इतनी निडरता से बोल रही हूँ, इतनी महत्त्वपूर्ण बात-क्या यह अपने आप में एक आश्चर्य नहीं है ? इतना आश्चर्य सिवाय उसके और कौन कर सकता है? क्या इसके बाद और कोई आश्चर्य नहीं होगा? क्या वह मेरी ओर नहीं आएगा, और मेरे साथ मेरे कपड़े के
कोने पर नहीं बैठेगा? माँ - मान लो, मैं उसे यहाँ ले आई तो क्या तुम उसका पूरा मूल्य चुकाने के लिए तैयार हो? तुम्हारे
पास कुछ भी नहीं बचेगा। प्रकृति - नहीं, कुछ भी नहीं बचेगा। एक के बाद एक जन्म का भार और विरासत-कुछ भी नहीं
बचेगा। केवल इन सारी वस्तुओं को एक बार मुझे प्राप्त हो जाने दो, फिर मैं वास्तविक जीवन जीऊँगी। यही कारण है कि मुझे उसकी आवश्यकता है। मेरे पास कुछ भी बाकी नहीं बचेगा। मैंने एक के बाद एक जीवन में इन्तजार किया है और अब इस जन्म में मेरा जीवन पूर्ण होगा। मेरा मस्तिष्क बार-बार कह रहा है-पूर्ण होगा! और यही कारण है कि मैंने उन अद्भुत शब्दों को सुना, "मुझे जल पिला दो।" आज मैं जानती हूँ कि मैं भी दे सकती हूँ। प्रत्येक व्यक्ति ने मुझसे इस सत्य को छुपाया है। मैं आज उसके आने तक बैलूंगी और प्रतीक्षा
करूँगी, जो कुछ भी मेरे पास है उसे देने के लिए, देने के लिए, देने के लिए।
- क्या तुम में धर्म के प्रति कोई आदरभाव नहीं है? प्रकृति - मैं कैसे कह सकती हूँ? मैं उसका सम्मान करती हूँ जो मेरा सम्मान करता है। एक ऐसा धर्म
जो अपमान करता है, वह एक झूठा धर्म होता है। प्रत्येक व्यक्ति मुझसे एक ऐसे पंथ के नियमों का पालन करवाने को संगठित है जो कि हमारी देखने की और बोलने की शक्ति को नष्ट करता है। लेकिन उस दिन से कोई चीज मुझे उन नियमों का पालन करने से रोकती है। अब मुझे किसी भी बात का भय नहीं है। तुम अपना जादू चलाओ, उस भिक्षु को चाण्डालिनी के पास ले आओ। मैं स्वयं उसे सम्मानित करूँगी-कोई भी दूसरा व्यक्ति उसे इतनी अच्छी
तरह से सम्मानित नहीं कर सकता है। माँ - क्या अपने स्वयं के ऊपर श्राप लगाने का तुम्हें कोई भय नहीं है?

Prakriti = There has been....... ..... daring, Prakriti. (Pages 212-213)

कठिन शब्दार्थ-curse (कस्) = a wish to happen terrible, अभिशाप। delay (डि'ले) = to make late, देर होना। disciple (डिसाइप्ल) = a person who follows his teacher, शिष्य noose (नूस्) = a circle of rope, रस्सी का फंदा। churn (चन्) = to move, मथना, हिलाना। exalted (इग्जाल्ड ) = to rise, उन्नत करना। obeisance (आबेस्न्स् ) = respect, सम्मान, आज्ञा का पालन।

हिन्दी अनुवाद

प्रकृति - मेरे पूरे जीवन भर मेरे ऊपर अभिशाप लगा रहा है। जहर जहर को मारता है, ऐसा लोग कहते हैं-इसलिए एक श्राप दूसरे श्राप को नष्ट कर रहा है। अब और कोई शब्द नहीं, माँ, कोई शब्द नहीं। अपना जादू शुरू करो, अब मैं और ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर सकती। तब ठीक है, उसका नाम क्या है? 

प्रकृति - उसका नाम आनन्द है।
माँ - आनन्द? क्या भगवान बुद्ध का शिष्य?
प्रकृति - हाँ, यह वही है। 
माँ - ओ मेरे हृदय के कोष, तुम मेरी आँखों का तारा हो-लेकिन यह एक बहुत बड़ी गलती होगी, मैं तुम्हारे कहने पर अपने जादू का प्रयोग करने जा रही हूँ। 
प्रकृति - क्या गलती होगी? मैं उसे अपने पास लाऊँगी जो सभी को अपनी ओर लाता है। इसमें कौनसा अपराध है?
माँ - वे अपने गुणों की शक्ति से मनुष्यों को अपनी ओर खींचते हैं। हम उन्हें अपने जादू से अपनी ओर खींचते हैं, जिस प्रकार जंगली जानवरों को फन्दे तक घसीटा जाता है। हम केवल कीचड़ को ही मथते हैं। 
प्रकृति - यह ज्यादा अच्छा है, बिना मथे, कुएँ की गन्दगी को कैसे साफ किया जा सकता है ? 
माँ - (आनन्द के नाम का स्मरण करते हुए) हे श्रेष्ठ मुनिराज, आपकी क्षमा करने की शक्ति मेरी अपमानित करने की शक्ति से अत्यन्त महान है। मैं अब आपको अपमानित करने वाली हूँ,
लेकिन फिर भी मैं आपके सामने सिर झुकाती हूँ; मेरा प्रणाम स्वीकार करें, प्रभु! 
प्रकृति - तुम्हें किस बात का डर लग रहा है, माँ ? तुम्हारे होठों का प्रयोग तो मैं ही करूँगी, मैं ही तो उस जादू का उच्चारण करूँगी। यदि मेरी इच्छा उसे यहाँ पर ले आती है और यदि यह अपराध है, तो मैं यह अपराध करूँगी। मैं ऐसे नियमों को बिल्कुल नहीं मानती जो केवल प्रताड़ित करना जानते हैं न कि आराम देना। 
माँ - प्रकृति तुम बहुत ज्यादा साहसी हो रही हो। 

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Prakriti = You call me..........goes the better. (Pages 213-214)

कठिन शब्दार्थ-flame (फ्लेम्) = bright burning fire, ज्वाला। bubbled (बब्ल्ड् ) = a ball of air, बुलबुला। illusion (इलूश्न्) = a false idea, भ्रम। inexhaustible (इनग्जॉश्टब्ल्) = that cannot be finished completely, जिसे पूर्णतया समाप्त न किया जा सके। seer (सिञ्()) = one who makes prophesy, भविष्यदृष्टा। homage (हॉमिज्) = respect, सम्मान । bloom (ब्लूम्) = to produce flowers, पुष्पित होना। trampled (ट्रेम्प्ल्ड ) = to walk on, रौंदना, कुचलना। momentary (मोमष्ट्रि ) = lasting for a very short time, क्षणिक।

हिन्दी अनुवाद

प्रकृति - तुम मुझे साहसी कह रही हो? जरा उसके साहस के बारे में भी सोचो! उसने कितनी सरलता से वे शब्द बोले थे जो आज तक कोई भी मुझे बोलने का साहस नहीं कर पाया! "मुझे जल पिलाओ।" इतने छोटे शब्द, लेकिन इतने शक्तिशाली जितनी अग्नि-उन्होंने मेरे सम्पूर्ण दिनों को रोशनी से भर दिया, उन्होंने उस काले पत्थर को लुढ़काकर हटा दिया जिसके वजन ने मेरे हृदय के फव्वारे को इतने दिनों से रोक रखा था और खुशियाँ बुलबुलों के रूप में निकलती थीं। तुम्हारा भय एक भ्रम है, क्योंकि तुमने उसे नहीं देखा। पूरी सुबह उसने श्रावस्ती शहर में भिक्षा माँगी; जब उसका लक्ष्य पूरा हो गया, तो वह आया सामान्य रूप से जलते हुए मैदान को पार करते हुए, नदी के किनारे-किनारे होते हुए और आग उगलता हुआ। सूर्य उसके सिर पर था-और यह सब किस लिए? केवल वह एक शब्द कहने के लिए, "मुझे जल पिला दो", और वह भी मेरी जैसी लड़की से कहने के लिए। अरे यह तो अत्यन्त हैरान कर देने वाली बात है! कब ऐसी कृपा, ऐसा प्रेम आ गिरा, एक ऐसी दुर्भाग्यशाली सबसे परे लड़की पर? अब मैं क्यों भयभीत होऊँ ? "मुझे जल पिलाओ"-हाँ, वह पानी जिसने मेरे सम्पूर्ण दिनों को प्रवाहित कर दिया है, जिनकी मुझे आवश्यकता है या मुझे मर जाने दो! "मुझे जल पिलाओ।" एक क्षण में ही मैं जान गई कि मेरे पास जल है, इतना जल कि जिसे कभी समाप्त नहीं किया जा सके; मैं अपनी खुशी किसे जाकर बताऊँ? और इसलिए मैं उसे दिन-रात स्मरणं करती रहती हूँ। यदि वह नहीं सुन रहा है तो भी तुम मत घबराओ, तुम अपना जादू चलाओ, वह तुम्हारे इस जादू को सहन कर लेंगे।
माँ - देखो, प्रकृति, कुछ लोग पीले वस्त्रों में सड़क के उस पार से गुजर रहे हैं। 
प्रकृति - वह मुझे दिखाई दे रहा है, सभी भिक्षु संघ के हैं, मैं देख रही हूँ। क्या तुम्हें उनका मंत्र जाप सुनाई नहीं दे रहा है? (दूर से आती हुई मंत्रों के जपने की आवाज) सबसे पवित्र बुद्ध, महान दया के सागर,

ज्ञान के भविष्यदृष्टा, सम्पूर्ण, शुद्ध, सर्वोच्च, संसार के पापों और कष्टों के संहारकर्ता
मैं बुद्ध के श्रीचरणों में नमन करता हूँ। प्रकृति - ओ माँ, देखो, वह जा रहा है, उन सबसे आगे-आगे। उसने अपना सिर कभी नहीं घुमाया
अथवा न ही इस कुएँ की ओर देखा। वह जाने से पहले एक बार फिर बड़ी आसानी से कह सकता था "मुझे जल पिलाओ।" मैंने सोचा कि वह मुझे कभी भी दूर नहीं कर सकेगामुझे, उसकी अपनी शिल्प रचना, उसका अपना सृजन। (वह स्वयं को नीचे फेंक देती है और अपना सिर जमीन पर पटकती है) यह धूल, यही धूल तेरा स्थान है! ओ दुर्भाग्यशाली महिला! तुम्हें किसने एक क्षण के लिए रोशनी में खिलने को उठाया? अन्त में उसी धूल में तुम्हें मिला दिया। तुम्हें उसी धूल में हमेशा के लिए मिल जाना होगा, उन सभी के पैरों द्वारा
रौंदे जाने के लिए जो भी इस सड़क पर चलते हैं। माँ - बच्ची, मेरी प्यारी बच्ची, उसे भूल जाओ, उसे पूरी तरह से भूल जाओ। उसने तुम्हारे क्षणिक
स्वप्न को भंग कर दिया है, और वह जा रहा है-उसे जाने दो, उसे जाने दो। जब कोई वस्तु
अन्त तक साथ न दे सके तो वह जितनी जल्दी चली जाए, उतना ही अच्छा है। 

Prakriti = Day afterday..... ............ bring him back? (Pages 214-215)

कठिन शब्दार्थ-prisoned (प्रिसन्ड्) = confinement, कैद। breast (ब्रेस्ट्) = front part of a body, छाती। fibres (फाइब् (र)स्) = edible part of plants, पौधों का खाने वाला भाग, रेशा। float (फ्लोट्) = to swim in water, पानी में तैरना। autumn (ऑटम्) = season between summer and winter, पतझड़। knot (नॉट्) = place where two parts tie together, गाँठ। stress (स्ट्रेस) = worry and pressure, तनाव, दबाव। fasting (फास्टिङ्) = without having food, व्रत, उपवास।

हिन्दी अनुवादप्रकृति - दिन-प्रतिदिन यह आवश्यकता की चीख, क्षण प्रतिक्षण शर्म का यह भार, मेरी छाती में कैद यह पक्षी जो कि अपनी मृत्युपर्यन्त अपने पंख फड़फड़ाता रहता है-क्या तुम इसे एक स्वप्न कहती हो? क्या यह एक स्वप्न है जो कि मेरे कोमल हृदय में अपने नुकीले दाँत चुभाता है और यह अपनी पकड़ भी ढीली नहीं छोड़ेगा? और वे जिन्हें किसी प्रकार के कष्ट नहीं हैं, कोई खुशी अथवा दुःख नहीं है, जिन्हें कोई सांसारिक बन्धन नहीं हैं, जो पतझड़ के बादलों की तरह हवा के साथ बहते रहते हैं क्या केवल वे ही जीवित हैं, क्या केवल वे ही वास्तविक हैं? 
माँ - ओ, प्रकृति, मैं तुम्हें इतना कष्ट उठाते हुए नहीं देख सकती हूँ, आओ, उठो, मैं मंत्रों का जाप करूँगी, मैं उसे लाऊँगी। इस पूरे धूल भरे रास्ते से मैं उसे लेकर आऊँगी। "मुझे कुछ भी नहीं चाहिए", वह अत्यन्त गर्व से कहता है। मैं उसका यह गर्व नष्ट कर दूंगी और उसे यहाँ
आने को बाध्य करूँगी, दौड़ते हुए और चिल्लाते हुए "मैं चाहता हूँ, मैं चाहता हूँ।" 
प्रकृति - माँ, तुम्हारा जादू तो अत्यन्त प्राचीन जादू है, इतना प्राचीन जितना स्वयं जीवन है। उनके मंत्र कल की कच्ची वस्तुओं की तरह हैं। ये लोग तुम्हारी बराबरी कभी नहीं कर सकते-उनके
मंत्रों की गाँठे तुम्हारे जादू के दबाव में खुलं जायेंगी। वहर पराजित होने के लिए बाध्य है।
माँ  - वे कहाँ जा रहे हैं ? 
प्रकृति - जा रहे हैं? वे कहीं नहीं जा रहे हैं। वर्षा ऋतु के दौरान वे चार महीने के लिए तपस्या और व्रत करते हैं और तत्पश्चात् वे फिर आगे चल देते हैं, मैं कैसे जान सकती हूँ कि वे कहाँ जा रहे हैं ? यही वह है जिसे वे चेतना कहते हैं! 
माँ - तब तुम जादू की बातें क्यों कर रही हो, तुम पगली? वह इतनी दूर जा रहा है-मैं उसे वापस कैसे ला सकती हूँ।

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Prakriti = No matter where ................... breaking of worlds. (Pages 215-216)

कठिन शब्दार्थ-Coil (कॉइल) = in round shape, लपेटना। escape (इस्केप्) = to get free, बचकर निकल जाना। storm (स्टॉम्) = strong winds, तूफान। meditations (मेडिटेश्न्स् ) = deep thinking, गहन चिन्तन। scatter (स्कैट(र्)) = to move away in different directions, तितर-बितर हो जाना। fluttering (फ्लस्ट्रिङ्) = to move quickly, फड़फड़ाना। whirled (वल्ड्) = to move round, गोल घूमना । throbs (थ्रॉब्स्) = to beat strongly, धड़कना। shore (शॉ()) = land at the edge of sea or lake, समुद्र का तट। tread (ट्रेड्) = to put foot, पैर रखना।

हिन्दी अनुवादप्रकृति - इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि वह कहाँ जा रहा है, तुम्हें उसे वापस लाना ही होगा।
तुम्हारे जादू के लिए दूरी कुछ भी नहीं है। उसने मेरे ऊपर कोई दया नहीं दिखाई। मैं भी उस पर कोई दया नहीं दिखाऊँगी। तुम अपना जादू चलाओ, तुम्हारे क्रूरतम जादू; उसके मस्तिष्क को बाँध दो जब तक कि प्रत्येक कुण्डली उसे गहराई तक काटे । वह जहाँ भी जाएगा, वह मुझसे कभी बच नहीं पायेगा। तुम्हें डरने की आवश्यकता नहीं है, यह हमारी शक्तियों से दूर नहीं है। मैं तुम्हें यह जादुई दर्पण दूँगी; तुम इसे अपने हाथों में ले लोगी और नृत्य करोगी। उसकी परछाईं दर्पण पर पड़ेगी, और इसमें तुम देखोगी कि उसके साथ क्या होगा और वह कितने नजदीक आ गया
प्रकृति - वहाँ बादलों को देखो, तूफानी बादल पश्चिम में इकट्ठा हो रहे हैं। जादू कार्य करेगा, माँ,

यह कार्य करेगा। उसका सूखा हुआ चिन्तन सूखी पत्तियों की तरह बिखर जाएगा; उसकी रोशनी बुझ जायेगी, उसका रास्ता अन्धकार में विलीन हो जायेगा। जिस प्रकार से घनी रात में एक पक्षी पंख फड़फड़ाता हुआ अंधेरे आँगन में गिरता है, उसका घोंसला तूफान में टूट जाता है, उसी प्रकार वह भी असहाय होकर हमारे दरवाजे पर गोल-गोल चक्कर काटेगा। मेरा हृदय बिजली की कड़क की तरह धड़क रहा है, मेरा मस्तिष्क रोशनी की तेज चमक से भर गया
है, महासागर में ऊँची-ऊँची लहरें उठ रही हैं जिसका किनारा मैं नहीं देख पा रही हूँ। - अब तुम ठीक से सोचो, कहीं ऐसा न हो कि आधा कार्य होते-होते तुम घबरा जाओ। क्या
तुम अन्त तक धैर्य धारण कर सकोगी? जब यह जादू अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच जायेगा, तो इसे पूर्व स्तर पर लाने के लिए मेरे जीवन की कीमत चुकानी पड़ेगी। याद रखो कि यह अग्नि
तब तक नहीं बुझेगी जब तक जो कुछ जल रहा है, वह राख न बन जाये। 

प्रकृति - तुम्हें किसका डर लग रहा है? क्या वह एक साधारण व्यक्ति है ? उसे कुछ भी नकुसान नहीं होगा। उसे आने दो, उसे बिल्कुल अन्त तक अग्निपथ पर चलने दो। अपने सामने मैं रात का प्रलय का श्य देख रही हूँ, तूफानों का बवंडर, संसारों के विखण्डन की खुशी सब दिखाई दे रही है।

अंक-II

(पन्द्रह दिन व्यतीत हो चुके हैं) 

Prakriti = O, my heart................................... fast is at hand. (Pages 216-217)

कठिन शब्दार्थ-agony (ऐगनि) = great pain, तीव्र वेदना। furious (फ्युअरिअस्) = very angry, अत्यधिक क्रुद्ध। blot out = insignificant, महत्त्वहीन। kindle (किन्ड्ल ) = to rouse, उत्पन्न करना। nectar (नेक्ट(र्)) = sweet liquid of flowers, मकरंद, अमृत । anoint (अनॉइन्ट्) = to put oil or water on head, सिर पर तेल अथवा पानी लगाना।
immensity (इमेन्स्ट ) = a large size, विशालता।

हिन्दी अनुवाद

प्रकृति - ओ, मेरा हृदय फट जाएगा, मैं दर्पण में नहीं देखुंगी, मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकती। इतनी तीव्र वेदना, इतना भयानक तूफान। क्या जंगल का राजा अन्त में टूटकर धूल में मिल जाएगा,
उसका गगनचुम्बी यश समाप्त हो जायेगा? 
माँ - अभी भी, बच्ची, यदि तुम ऐसा कहोगी तो मैं जादू को वापस लेने की कोशिश करूँगी। मेरे जीवन की डोर को टूट जाने दे और मेरे जीवन रक्त को सूख जाने दे, यदि केवल उस महान आत्मा को बचाया जा सके। 
प्रकृति - यह सबसे ज्यादा ठीक रहेगा, माँ । अब जादू को रोक दो, मैं अब और ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर सकती.....नहीं, नहीं, बिल्कुल भी नहीं! (अचानक बात को बदलते हुए) जारी रखोमंजिल बिल्कुल पास आ गई है ! उसे बिल्कुल अन्त तक लेकर आओ, उसे सीधे मेरे हृदय तक आने दो! उसके बाद मैं उसके सारे कष्टों को हर लूंगी। मैं अपना पूरा संसार उसके चरणों में अर्पित कर दूंगी। रात्रि के घने अन्धकार में वह पथिक आयेगा, और मैं उसके लिए अपने जलते हुए हृदय की ज्वाला से लैम्प प्रज्वलित करूँगी। मेरे हृदय की गहराई में अमृत का झरना बह रहा है, जहाँ पर वह स्नान करेगा और अपने थके हुए, गर्म तथा घायल अंगों का उपचार करेगा। एक बार फिर से वह कहेगा, "मुझे जल पिला दो"-वह जल जो मेरे हृदय के महासागर से आयेगा। हाँ, वह दिन आएगा-जारी रखो, जादू को जारी रखो। (गीत) 

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अपने सारे दुःखों से 
मैं तेरे सारे दुःखों को दूर कर दूंगी; 
तेरे हृदय को मैं नहलाऊँगी, 
अपने विशाल दुःखों के गहरे सागर में, 
मैं अपने संसार को अग्नि को समर्पित कर दूँगी, 
और मेरा कलंक तथा शर्म धुलकर साफ हो जायेगा 

मैं अपने सांसारिक कष्टों को उपहारस्वरूप तेरे चरणों में समर्पित कर दूँगी। 
माँ - मुझे यह कभी भी नहीं पता था कि इसमें इतना समय लगेगा। मेरे जादू में अब और शक्ति नहीं बची है, बच्ची, मेरे शरीर में तो अब कोई साँस भी नहीं बची है। 
प्रकृति - तुम घबराओ नहीं, माँ; थोड़ी देर और थामकर रख लो, बिल्कुल थोड़ी देर। अब ज्यादा देरनहीं लगेगी। 
माँ - यह आषाढ़ का महीना है और उनका चार महीने का उपवास अभी बाकी है। 

Prakriti = They are gone....... bear to more. (Pages 217-218)

कठिन शब्दार्थ-monastery (मॉनस्ट्रि ) = a place for monks to live, मठ, विहार । earthquake (अर्थक्वेक्) = violent movement of the earth's surface, (भूकम्प)। thunderbolt (थन्डबोल्ट्) = a flash of lightening, बिजली गिरना। struggle (स्ट्रगल्) = to try hard, संघर्ष । clusters (क्लस्ट(र)स्) = a group, झुण्ड, समूह । sores (साँ()) = painful, दुखता हुआ। fierce (फिअस्) = angry, आक्रामक, बर्बर । serpant (सपन्ट्) = a snake, साँप। torment (टॉमेन्ट) = great pain and suffering, तीव्र वेदना।

हिन्दी अनुवाद

प्रकृति - वे वैशाली गये हैं, अपने मठ में। 
माँ - तुम कितनी निर्दयी हो! वह तो बहुत दूर है। 
प्रकृति - बहुत ज्यादा दूर नहीं है; केवल सात दिन की यात्रा है। पन्द्रह दिन तो पहले ही गुजर चुके हैं। आखिरकार उसके ध्यान का आसन तो हिल ही चुका है। वह आ रहा है, वह आ रहा है! किसी समय यह सब कुछ बहुत दूर लग रहा था, लाखों मील दूर, सूर्य और चाँद से भी दूर, मेरी बाँहों से इतना दूर कि उसे मापा नहीं जा सकता था-आ रहा है, पास और ज्यादा पास! वह आ रहा है, और मेरा हृदय भूकम्प की तरह हिलोरें ले रहा है।

माँ - मैंने सभी स्तरों पर अपनी शक्ति का प्रयोग कर लिया-इतनी शक्ति तो स्वयं वज्रधारी इन्द्र को भी नीचे ला चुकी होती। लेकिन फिर भी वह नहीं आता है। वास्तव में यह तो मृत्यु के विरुद्ध संघर्ष है। तुमने उस दर्पण में क्या देखा? 
प्रकृति - सर्वप्रथम मैंने सम्पूर्ण आसमान को धुंध में लिपटे हुए देखा, मृत्यु जैसा पीलापन, जैसे कि दैत्यों के विरुद्ध संघर्ष के बाद देवता दिखाई देते हैं, और धुंध की दरारों के मध्य से अग्नि की चमक दिखाई दे रही थी। उसके बाद धुंध स्वतः ही लाल और क्रोधयुक्त समूहों में इकट्ठा होता चला गया जैसे कि सूजे हुए संक्रमित घावों में होता है। वह दिन गुजर गया। अगले दिन मैंने देखा कि पूरी पृष्ठभूमि घने काले बादलों से ढंकी हुई थी और उसके आर-पार रोशनी चमक रही थी। इससे पहले वह खड़ा हुआ था, उसके सभी अंगों के चारों ओर ज्वाला धधक रही थी। मेरा रक्त ठण्डा पड़ गया, और मैं तुम्हें तुरन्त जादू को रोक देने के लिए कहने के लिए दौड़ी-लेकिन मैंने तुम्हें गहनता में डूबे हुए पाया, लकड़ी के एक खम्बे की तरह बैठे हुए, कठिनाई से साँस लेते हुए और बेसुध । ऐसा लग रहा था कि जैसे तुम्हारे अन्दर एक भयानक अग्नि प्रज्वलित हो रही हो और तुम्हारी अग्नि आग उगलते हुए सर्प की तरह की थी जो कि फुफकार मार रहा था और भयानक द्वन्द्व युद्ध में उलझा हुआ था जिसने उसे चारों ओर से जकड़ रखा था। मैं वापस आई और मैंने दर्पण वापस अपने हाथ में लिया; अब रोशनी समाप्त
हो चुकी थी-केवल पीड़ा, अथाह पीड़ा, उसके चेहरे पर झलक रही थी। 
माँ - लेकिन फिर भी वह तुझे न मार सकी? उसकी पीड़ा की अग्नि मेरी आत्मा में जल रही थी, जब तक कि मैंने सोचा कि अब मैं और ज्यादा सहन नहीं कर सकती। 

Prakriti = It seemed that ...............so great a thing? (Pages 218-219)

कठिन शब्दार्थ-copper (कॉप(र्)) = a brown metal, ताँबा। fused (फ्यूज्ड्) = to prevent damage, खतरे को टालना। creation (क्रिएश्न्) = to produce something new, नवनिर्माण, सृजन। writhed (राइड्) = to turn and roll body, छटपटाना। tremendous (ट्रमेन्डस्) = very large, विशाल । sparks (स्पाक्स्) = a flash of light, चिंगारी। twilight (ट्वाइलाइट्) = dark, संध्या का प्रकाश। wrought (रॉट्) = made, बनाया हुआ।

हिन्दी अनुवाद

प्रकृति - ऐसा प्रतीत हुआ कि वह पीडित स्वरूप जो मैंने देखा था, केवल उसका नहीं था, बल्कि मेरा भी था; यह हम दोनों का था। उन भयानक लपटों में सोना और ताँबा दोनों पिघल गये और
एक हो गये। (यहाँ पर सोना भिक्षु और ताँबा प्रकृति है।) 
माँ - और तुम्हें कोई भय नहीं लगा? 
प्रकृति - कोई ऐसी चीज जो भय से भी ज्यादा बड़ी थी। मैंने सृजन के ईश्वर के दर्शन किए, विनाश के ईश्वर से भी बहुत ज्यादा भयानक, जो अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन लपटों को शान्त कर रहा था जबकि वे क्रोध से छटपटा रही थीं और दहाड़ रही थीं। सात तत्वों से बना हुआ एक पिटारा हो उसके चरणों में क्या रखा जाए-जीवन अथवा मृत्यु? मेरा मन मस्तिष्क खुशी से भर उठा जिसे कोई नाम देना कठिन है-एक नये सृजन से शक्तिशाली रूप से अलग होने की खुशी (यहाँ पर प्रकृति अपनी जाति से अलग होने की खुशी व्यक्त कर रही है) भय और चिन्ताओं से मुक्ति, दया और दुःख से मुक्ति। तत्वों की ज्वाला में टूटने, जलने
और पिघलने से हुआ सृजन। मैं शान्त नहीं रह सकी। मेरी सम्पूर्ण आत्मा और शरीर नृत्य कर
रहा था, साथ-साथ नृत्य जिस प्रकार नुकीले लपटें अग्नि में नृत्य करती हैं। 
माँ - और तुम्हारा भिक्षु कैसा दिख रहा था? 
प्रकृति - उसकी आँखें एक दूरी पर स्थिर रूप से अविचलित थीं जैसे शाम के धुंधलके में तारे होते हैं। मेरी इच्छा उस सुदूर असीमित आकाश में स्वयं से बचकर जाने की थी। 
माँ - जब तुमने दर्पण के सामने नृत्य किया तो क्या उसने तुम्हें देखा था?
प्रकति - छिः छिः, मैं कितनी लज्जित हैं। बार-बार उसकी आँखें लाल हो रही थीं जैसे कि वह कोई श्राप देने वाला हो। बार-बार वह क्रोध की प्रज्वलित अग्नि को कुचल रहा था, और अन्त में उसका क्रोध उसके स्वयं के ऊपर सवार हो गया, और एक भाले की तरह उसकी अपनी छाती को ही बींध गया। 
माँ - और तुमने यह सब कुछ सहन कर लिया? 
प्रकृति - मैं आश्चर्य में पड़ गई। मैं, यह मैं, तुम्हारी यह पुत्री, यह कहीं से भी कोई नहीं-उसके और मेरे कष्ट आज एक हो गये हैं ! इन पवित्र अग्नि की ज्वालाओं ने किस प्रकार का मिलन कराया है ? इतने महान कार्य के बारे में कौन स्वप्न में भी सोच सकता था? 

Mother = When shall........ body and soul. (Pages 219-220) 

कठिन शब्दार्थ-turmoil (टमॉइल) = great noise or confusion, शोरगुल अथवा अनिश्चितता। ferried (फेरिड्) = across the river, नदी के पार ले जाना। conflict (कन्फ्लिक्ट) = a fight or argument, संघर्ष अथवा विवाद। mazed (मेज्ड्) = a confused path, भूलभुलैया। turbulent (टब्यलन्ट्) = disorder and disagreement, अशांत। lichened (लाइकन्ड्) = a small plant grown over rocks, चट्टानों का छोटा पौधा।

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हिन्दी अनुवादमाँ - उसकी अनिश्चितता आखिर कब शान्त होगी? 

प्रकृति - अभी मेरी पीड़ा बाकी है। वह अपनी मुक्ति किस प्रकार प्राप्त कर सकता है, जब तक मुझे मुक्ति न मिल जाए?
माँ - तुमने अपने दर्पण में पिछली बार कब देखा था? 
प्रकृति - कल शाम को। वह कुछ दिन पहले वैशाली के सिंहद्वार से गुजरा था, पूरी तरह से रात्रि के
अन्धकार में, लगता है बिल्कुल गुप्त रूप से, और उसने अन्य भिक्षुओं को भी नहीं बताया था। उसके बाद मैंने उसे कभी-कभी नदियों को पार करते हुए अथवा कठिन पहाड़ी दरों से निकलते हुए देखा। मैंने उसे शाम घिरते हुए और अकेले ही विशाल मैदानों को पार करते हुए अथवा रात्रि के घनघोर अन्धकार में जंगली रास्तों को पार करते हुए देखा। जैसे-जैसे दिन गुजरते गये, वह और ज्यादा गहराई से जादू के प्रभाव में आ गया और वह प्रत्येक बात के प्रति निश्चिन्त होता जा रहा था और धीरे-धीरे उसकी आत्मा का सम्पूर्ण संघर्ष अपने अन्त के निकट पहुँच रहा था। उसका चेहरा उदास था, उसका शरीर ढीला-ढाला था, उसकी आँखें शून्य की ओर ताक रही थीं, ऐसा लग रहा था कि उसके लिए न तो कुछ भी सत्य था और न ही असत्य, न कुछ अच्छा था और न कुछ बुरा-केवल आँख बन्द किए हुए और
विवेकहीन बाध्यता बिना किसी लक्ष्य के वह आगे बढ़ता जा रहा था। 
माँ - क्या तुम यह अनुमान लगा सकती हो कि वह आज कितनी दूर आ गया होगा? 
प्रकृति - कल मैंने उसे उपालि नदी के किनारे पाताल गाँव में देखा था। नदी वर्षा के कारण अशांत थी; घाट पर पीपल का एक पुराना वृक्ष था, उसकी शाखाओं में जुगनू चमक रहे थे और उसके नीचे एक चट्टान पर बलिवेदी थी। वह जैसे ही वहाँ पहुँचा, वह तेजी से चलने लगा और फिर शान्त खड़ा हो गया। यह वह स्थान था जिसे वह एक लम्बे समय से जानता था; मैंने सुना है कि एक दिन भगवान बुद्ध ने वहीं पर राजा सुप्रभाष को उपदेश दिया था। वह बैठ गया और अपनी आँखों को अपने हाथों से ढंक लिया-मैंने महसूस किया कि उसका स्वप्निल जादू किसी भी समय टूट सकता है। मैंने दर्पण को उठाकर फेंक दिया, क्योंकि मुझे डर था कि मुझे क्या देखना पड़ सकता है। उसके बाद पूरा दिन समाप्त हो गया है और आशा तथा भय के बीच झूलती हुई मैं बैठी रही, मेरा साहस नहीं हुआ कि मैं परिणाम जान पाती। अब यह फिर से अंधकारयुक्त हो गया है। सड़क पर चौकीदार समय की आवाज लगाते हुए जा रहा है, इस समय मध्यरात्रि के बाद एक बजा होगा। ओ, माँ, समय बहुत कम है, बहुत कम; इस रात्रि को नष्ट मत होने दो; तुम अपनी
सम्पूर्ण शक्ति से जादू को चलाओ। 
माँ - मेरी बच्ची, मैं इससे और ज्यादा नहीं कर सकती; मेरा जादू कमजोर पड़ रहा है, मेरा शरीर और आत्मा अब कमजोर होकर गिर रहे हैं। 

Prakriti = It mustn't.............will it be now? (Page 220) 

कठिन शब्दार्थ-stretched (स्ट्रेच्ड्) = to pull, खींचना। mockery (मॉकरि) = comments, उपहास, हँसी उड़ाना। beseech (बि'सीच्) = to request, विनती करना। complacent (कम्प्ले स्न्ट ) = feeling of satisfaction, अति संतुष्ट। waxing (वैक्सिङ्) = increasing, बढ़ता हुआ। vermillion (व'मिलिअन्) = a bright red colour, सिन्दूरी। contemplated (कॉन्टम्प्ले टेड्) = to think carefully, चिंतन करना। strands (स्ट्रेन्ड्स् ) = a thread, धागा। invocation (इन्वकेशन्) = to ask, आवाहन करना, आमंत्रण। altar (ऑल्ट()) = a high place for religious ceremony, वेदी, वेदिका।

हिन्दी अनुवाद

प्रकृति - यह अब किसी भी स्थिति में कमजोर नहीं होना चाहिए-अब इसे मत त्यागो! हो सकता है कि उसने अपना चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया हो, यह भी हो सकता है जो श्रृंखला हमने उसके ऊपर बाँधी थी, वह पूरी तरह से खिंच गई हो, और अब उसे बनाये नहीं रख पा रही हो। क्या होगा यदि वह अब बचकर निकल जाए, मेरे इस जीवन से दूर, और मैं उसके पास कभी भी नहीं पहुँच पाऊँ ? तब मेरा नम्बर आयेगा कि मैं स्वप्न देखू, वापस अपने चाण्डालजीवन के भ्रम में पहुँच जाऊँ। मैं अब इस उपहास को फिर से कभी भी सहन नहीं कर सकूँगी। मैं तुमसे प्रार्थना करती हूँ, माँ, केवल एक बार अपनी पूरी शक्ति को लगा दो; अपने प्राचीनतम पृथ्वी पर स्थित जादू को गतिमय बना दो और गुणों से युक्त अतिसंतुष्ट स्वर्ग को हिला दो। 
माँ - क्या तुम उस तरह से तैयार हो जैसा मैंने कहा था? 
प्रकृति - हाँ, कल बढ़ते हुए चन्द्रमा की दूसरी रात थी। मैंने पानी में नीचे डूबकर गम्भीर नदी में स्नान किया। यहाँ आँगन में, मैंने एक गोला बनाया, जिसमें चावल और अनार के खिले हुए फूलों का प्रयोग किया, सिंदूर और सात गहने प्रयोग किये। मैंने पीले कपड़े के ध्वज लगाये, मैंने पीतल की थाली में चन्दन और फूलमालाएँ रखीं, मैंने दीपक जलाये, स्नान के बाद मैंने चावल की नई पत्तियों जैसे हरे रंग के वस्त्र धारण किए और चम्पक फूल की तरह का एक रुमाल लिया। मैं पूर्व की ओर मुँह करके बैठ गई। पूरी रात मैं उसकी छवि का चिन्तन करती रही। अपनी बायीं भुजा पर मैंने धागे का कंगन बाँध लिया है जिसमें सुनहरे पीले रंग के सोलह धागे और उनमें सोलह गाँठें लगी हुई हैं। 
माँ - तब फिर अपने आवाहन नृत्य की मुद्रा में गोले के चारों ओर नृत्य करो, जबकि मैं वेदी पर अपने जादू का प्रयोग करती हूँ। (प्रकृति नृत्य करती है और गीत गाती है) अब प्रकृति, अपना दर्पण ले लो और उसमें देखो। देखो कि एक काली परछाईं वेदी के ऊपर गिर पड़ी है। मेरा हृदय फट रहा है और अब मैं और ज्यादा जादू नहीं कर सकती। दर्पण में देखो-अभी इसमें और कितना समय लगेगा? 

Prakriti = No, I will not.......in the mirror, quick! (Page 221) 

कठिन शब्दार्थ-Inmost (इन्मोस्ट्) = in heart, अन्तर्मन। hark (हॉक्) = listen, सुनना। shattered (शैटड्) = very shocked, बहुत परेशान । hammers (हैम(र्)) = a tool with a heavy
metal, हथौड़ा। crumble (क्रम्ब्ल् ) = to make small pieces, छोटे-छोटे टुकड़े कर देना। tremors (ट्रेम'स्) = a slight shake, हल्का कंपन। enrapture (एझैप्च्()) = happiness, खुशी। weary (विअरि) = very tired, अत्यधिक थकान।

हिन्दी अनुवाद

प्रकृति – नहीं, मैं फिर से नहीं देखूगी, मैं सुनूँगी-सुनूँगी अपने अन्तर्मन में। यदि वह स्वयं के बारे में बता देगा, तो मैं उसे अपने सामने देखूगी। थोड़ी देर और सहन करो, माँ, वह निश्चित रूप से, निश्चित रूप अपने आपको प्रदर्शित करेगा। सुनो! अचानक आये तूफान की आवाज को सुनो, उसके आने का तूफान! पृथ्वी उसके चलने से काँप रही है, और मेरा हृदय धड़क रहा
माँ - यह तुम्हारे लिए एक अभिशाप लेकर आ रहा है, दुःखी लड़की। जहाँ तक मेरी बात है, इसका अर्थ निश्चित मृत्यु है-मेरे शरीर के रेशे अब नष्ट हो रहे हैं। 
प्रकृति - अभिशाप नहीं, यह कोई अभिशाप नहीं ला रहा है, यह मेरे नये जीवन का उपहार ला रहा है।
मृत्यु के सिंहद्वार को वज्र के हथौड़ों से खोला जा रहा है; दरवाजे टूट रहे हैं, दीवाल टुकड़ेटुकड़े हो गई है, इस जन्म का झूठ विखण्डित हो गया है, भय का हल्का कंपन मेरे मस्तिष्क को हिला रहा है लेकिन खुशी की लय और ताल मेरी आत्मा को प्रसन्नता प्रदान कर रही है। मेरा सब कुछ-कष्टों को नष्ट करने वाला, मेरा सर्वेसर्वा, तुम आ गये हो! मैं तुम्हें अपने अपमान के सर्वोच्च शिखर पर आसीन करूँगी, और, और तुम्हारी राजगद्दी अपनी शर्म, अपने भय और अपनी खुशियों से बनाऊँगी।। 
माँ - मेरा समय नजदीक आ रहा है, अब मैं और ज्यादा नहीं कर सकती, तुरन्त दर्पण में देखो। 
प्रकृति - माँ, मुझे दुःख के साथ कहना पड़ रहा है, उसकी यात्रा लगभग समाप्ति पर है और उसके बाद क्या होगा? उसके बाद उसका क्या होगा? केवल मैं स्वयं, मैं दुर्भाग्यशाली? और कुछ नहीं? केवल यह लम्बे और क्रूर दर्द का भुगतान करने के लिए? मेरे सिवाय कुछ नहीं? इस थकी हई, कठिन सडक के अन्त में केवल यह?-केवल मैं? 
माँ - दया करो, क्रूर लड़की, अब मैं और सहन नहीं कर सकती, दर्पण में देखो, जल्दी करो। 

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Prakriti = (looks in the mirror .........in homage. (Pages 221-222) 

कठिन शब्दार्थ-flings (फ्लिङ्स्) = to throw, फेंक देना। radiance (रेडिअन्स्) = great happiness, उल्लास। drooping (ड्रपिङ्) = to bend, नीचे झुका हुआ। paraphernalia (पैरफ़नेलिआ) = large number of different objects, अलग-अलग प्रकार के अनेकों सामान। deliverance (डेलिवरेन्स्) = salvation, मुक्ति। spurn (स्पन्) = to refuse, ठुकराना, स्वीकार न करना। reproach (रिप्रोच) = to blame, दोष लगाना।

हिन्दी अनुवाद

प्रकृति - (दर्पण में देखती है और उसे दूर फेंक देती है) ओ, माँ, माँ, रुक जाओ! अपने जादू को वापस ले लो-तुरन्त वापस ले लो! तुमने यह क्या कर दिया? तुमने यह क्या कर दिया?
ओ दुष्टता से भरे कार्य, दुष्टता से भरे कार्य! इससे तो अच्छा होता मैं मर जाती। देखने के लिए कैसा दृश्य है! वह चमक, वह उल्लास, वह चमकती हुई पवित्रता, स्वर्ग की सी रोशनी कहाँ है? कितना थका हुआ, कितना मुरझाया हुआ, वह मेरे दरवाजे पर आया है! अपने अहम् की पराजय का भार एक भारी वजन के रूप में लेकर, झुके हुए सिर के साथ वह आया है..... इस सबको दूर करो, इस सबसे दूर हो जाओ! (वह जादू के विभिन्न प्रकार के सामानों को ठोकर मारती है और टुकड़े-टुकड़े कर देती है) प्रकृति, प्रकृति, वास्तव में तुम कोई चाण्डालिनी नहीं हो, इस विजेता को अपमानित मत करो। विजय, उसके लिए विजय! 
(आनन्द का प्रवेश) हे स्वामी, तुम मुझे मुक्ति देने के लिए आ गये, इसलिए तुम इस प्रचण्ड प्रहार को जान गये हो। मुझे क्षमादान दे दो, मुझे क्षमादान दे दो। अब तुम्हारे चरणों को मुझे स्वीकार मत करने दो और अनन्त रूप से मेरे जन्म के लिए उन्हें दोष लगाने दो। मैं तुम्हें खींचकर पृथ्वी पर ले आई हूँ, अब तुम मुझे कैसे अपने स्वर्ग तक उठाकर ले जा सकते हो? ओ पवित्र आत्मा, इस

धूल ने तुम्हारे चरणों को गन्दा कर दिया है, लेकिन वे गन्दे व्यर्थ में ही नहीं हुए हैं। मेरे भ्रम का पर्दा उनके ऊपर गिरेगा, और उस धूल को साफ कर देगा। विजय, तुम्हारे लिए विजय,
हे स्वामी! - तुम्हारे लिए विजय, हे स्वामी। मेरे पाप और मेरा जीवन एक साथ तुम्हारे चरणों में पड़े हुए
हैं और मेरे दिन यहीं पर समाप्त हो गये हैं; तुम्हारे क्षमा करने की शरण में। (माँ की मृत्यु हो जाती है) 

आनन्द - (मंत्र जाप करते हुए)
बुद्धो सुशुद्धो करुणा महान वो 
योसन्ता शुद्धभरा गण लोकेनो 
लोकसा पपुपाकिलेशा घटको 
वन्दामि बुद्धम् अहमदेरणा तम् 
सवोधिक शुद्ध बुद्ध, दया के महान सागर, 
सर्वोच्च ज्ञान के सन्त, शुद्ध, सर्वोच्च, 
संसार के पापों और कष्टों को नष्ट करने वाले 
बड़ी गम्भीरता से मैं सम्मानपूर्वक बुद्ध के श्री चरणों में नमन करता हूँ।
 

Bhagya
Last Updated on Dec. 13, 2023, 9:30 a.m.
Published Dec. 12, 2023