Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Political Science Chapter 4 कार्यपालिका Textbook Exercise Questions and Answers.
प्रश्न 1.
मुझे याद है कोई कह रहा था कि लोकतंत्र में कार्यपालिका जनता के प्रति उत्तरदायी होती है। क्या यह बड़ी कम्पनियों के बड़े अधिकारियों के लिए भी सही है ? क्या उन्हें हम मुख्य कार्यपालिका अधिकारी नहीं कहते ? वे किसके प्रति उत्तरदायी हैं ?
उत्तर:
बड़ी कम्पनियों के अधिकारी जनता के प्रति उत्तरदायी नहीं होते। उन्हें हम मुख्य कार्यकारी अधिकारी कहते हैं, क्योंकि वे संघ अथवा राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से नियुक्त नहीं किए जाते हैं। वे अपने कार्यों के लिए कम्पनी बोर्ड के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
प्रश्न 2.
श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की स्थिति भारत से कैसे भिन्न है?
उत्तर:
भारत में संसदीय शासन प्रणाली है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत राष्ट्रपति भारत में राज्य का औपचारिक प्रधान है। औपचारिक रूप से संघ की कार्यपालिका शक्तियाँ राष्ट्रपति को दी गई हैं, पर वास्तव में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बनी मंत्रिपरिषद के माध्यम से राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग करता है। राष्ट्रपति 5 वर्ष के लिए चुना जाता है तथा इसका निर्वाचन अप्रत्यक्ष तरीके से होता है। लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल/दलों के नेता को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नियुक्त करता है। प्रधानमंत्री सरकार का प्रधान होता है। वहीं श्रीलंका में अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली है। वहाँ का राष्ट्रपति जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से 6 वर्ष के लिए चुना जाता है। राष्ट्रपति सरकार का भी प्रधान होता है। वह संसद में बहुमत प्राप्त दल के सदस्यों में से प्रधानमंत्री चुनता है। वह प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्रियों को हटा सकता है। राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का स्वयं प्रयोग करता है।
प्रश्न 3.
भारत और श्रीलंका के राष्ट्रपति के महाभियोग में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका की तुलना करें।
उत्तर:
भारत में केवल संसद ही राष्ट्रपति को महाभियोग की प्रक्रिया के द्वारा उसके पद से हटा सकती है। इस प्रक्रिया के लिए संसद में विशेष बहुमत की आवश्यकता पड़ती है। महाभियोग केवल संविधान के उल्लंघन के आधार पर लगाया जा सकता है। राष्ट्रपति को हटाने में सर्वोच्च न्यायालय की कोई भूमिका नहीं होती। वहीं श्रीलंका में भी राष्ट्रपति को संसद की कुल सदस्य संख्या के दो तिहाई बहुमत से पारित प्रस्ताव के द्वारा ही हटाया जा सकता है। यदि वह प्रस्ताव संसद के कम से कम आधे सदस्यों के द्वारा पारित किया जाये और संसद का अध्यक्ष भी संतुष्ट हो कि आरोपों में दम है तो संसद का अध्यक्ष इसे सर्वोच्च न्यायालय को भेज सकता है। अर्थात् श्रीलंका में राष्ट्रपति के महाभियोग में सर्वोच्च न्यायालय की भी भूमिका होती है।
प्रश्न 4.
नेहा-यह तो बहुत सरल है। जिस देश में राष्ट्रपति है वहाँ अध्यक्षात्मक कार्यपालिका और जिस देश में प्रधानमंत्री है वहाँ संसदीय कार्यपालिका है। आप नेहा को कैसे समझाएँगे कि ऐसा हमेशा सच नहीं होता।
उत्तर:
ऐसा हमेशा सच नहीं होता है कि जिस देश में राष्ट्रपति है वहाँ अध्यक्षात्मक कार्यपालिका और जिस देश में प्रधानमंत्री है, वहाँ संसदीय कार्यपालिका होती है। हम नेहा को निम्न तर्कों से समझाएँगे अध्यक्षात्मक कार्यपालिका के अन्तर्गत सम्पूर्ण कार्यकारी शक्तियाँ राष्ट्रपति के पास होती हैं। राष्ट्रपति देश का प्रमुख होता है तथा वही सरकार का भी प्रमुख होता है। सिद्धान्त और व्यवहार दोनों में ही राष्ट्रपति का पद बहुत शक्तिशाली होता है, राष्ट्रपति का चुनाव आमतौर पर प्रत्यक्ष मतदान से होता है। वह विधायिका के प्रति जवाबदेह नहीं होता।
ऐसी व्यवस्था संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और लेटिन अमेरिका के अनेक देशों में पाई जाती है। संसदीय कार्यपालिका के अन्तर्गत प्रधानमंत्री सरकार का प्रधान होता है एवं प्रधानमंत्री तथा उसके मंत्रिमंडल के पास वास्तविक एवं कार्यकारी शक्तियाँ होती हैं। इस व्यवस्था में राष्ट्रपति की भूमिका औपचारिक या नाममात्र की होती है। ऐसी व्यवस्था भारत, जर्मनी, इटली, जापान, इंग्लैण्ड और पुर्तगाल आदि देशों में पायी जाती है। भारत में राष्ट्रपति तो है लेकिन संसदीय व्यवस्था अपनाई गई है।
प्रश्न 5.
क्या हमारे देश में बहुत मजबूत प्रधानमंत्री नहीं हुए ? क्या इसका मतलब यह है कि संसदीय व्यवस्था में भी किसी एक व्यक्ति की प्रधानता जारी रह सकती है ? तब तो जनता और विधायिका को लगातार सचेत रहने की जरूरत है ?
उत्तर:
हमारे देश में बहुत मजबूत प्रधानमंत्री भी हुए हैं जैसे कि पं. जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गाँधी, लाल बहादुर शास्त्री आदि। संसदीय व्यवस्था में एक व्यक्ति की प्रधानता जारी नहीं रह सकती बल्कि एक समूह अथवा मंत्रिमण्डल की प्रधानता होती है और उन पर भी सम्पूर्ण संसद का नियंत्रण होता है। जनता को केवल विधायिका के लिए उम्मीदवार का चुनाव करते वक्त सचेत रहने की जरूरत है, ताकि वे सही उम्मीदवार का चुनाव कर सके, जो उनके चयन पर खरा उतर सके।
प्रश्न 6.
राष्ट्रपति के लिए किताबों में स्त्रीलिंग और पुल्लिंग दोनों का प्रयोग किया जाता है। क्या कोई महिला भी राष्ट्रपति हुई है ?
उत्तर:
राष्ट्रपति के लिए किताबों में स्त्रीलिंग और पुल्लिंग दोनों का ही प्रयोग किया जाता है, क्योंकि राष्ट्रपति राष्ट्र का राष्ट्राध्यक्ष होता है और यह जरूरी नहीं है कि वह स्त्री हो अथवा पुरुष। इसलिए किताबों में राष्ट्रपति के लिए स्त्रीलिंग और पुल्लिंग दोनों का ही प्रयोग किया जाता है। हमारे देश में श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल महिला राष्ट्रपति रह चुकी हैं। .
प्रश्न 7.
कल्पना करें कि प्रधानमंत्री जिस राज्य में इस आधार पर राष्ट्रपति शासन लगाना चाहता है कि वहाँ की सरकार दलितों पर अत्याचार रोकने में विफल रही है। राष्ट्रपति की सोच कुछ अलग है। उनका कहना है कि राष्ट्रपति शासन अपवाद स्वरूप ही प्रयोग करना चाहिए। इस स्थिति में राष्ट्रपति के पास निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प है?
(क) वह प्रधानमंत्री को बताए कि राष्ट्रपति शासन की घोषणा करने वाले आदेश पर वह हस्ताक्षर नहीं करेगा।
(ख) प्रधानमंत्री को बर्खास्त कर दे।
(ग) वह प्रधानमंत्री से वहाँ केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल भेजने को कहे।
(घ) एक प्रेस वक्तव्य दे कि क्यों प्रधानमंत्री गलत है।
(ङ) इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री से बातचीत करें और उसे ऐसा करने से रोके परन्तु यदि प्रधानमंत्री दृढ़ रहे तब उस पर हस्ताक्षर कर दे।
उत्तर:
(ङ) इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री से बातचीत करें और उसे ऐसा करने से रोकें परन्तु यदि प्रधानमंत्री दृढ़ रहे तब उस पर हस्ताक्षर कर दें।
प्रश्न 8.
प्रधानमंत्री के बिना कोई मंत्रिपरिषद् नहीं होती? उपर्युक्त कार्टून क्या बता रहा है।
उत्तर:
उपर्युक्त कार्टून बता रहा है कि केन्द्रीय मंत्रिपरिषद प्रधानमंत्री के नेतृत्व में लोकसभा में प्रवेश कर रही है। प्रधानमंत्री को संसदीय प्रणाली में सर्वाधिक शक्तिशाली नेता माना जाता है। वह मंत्रिपरिषद भंग करने एवं जवाबदेह मंत्री को त्यागपत्र देने को कह सकता है। वह मंत्रिमंडल की बैठकों की अध्यक्षता करता है। वह राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद के बीच एक कड़ी का काम करता है। उसके पास अनेक कार्य एवं शक्तियाँ हैं। प्रायः मंत्रिगण उसकी ओर देखते हैं और उसे नाराज नहीं करते।
प्रश्न 9.
लोग मंत्री बनना क्यों चाहते हैं? इस कार्टून में शायद यह बताया गया है कि लोग सुख-सुविधा उठाने के लिए मंत्री बनना चाहते हैं। लेकिन तब किन्हीं खास मंत्रालयों को पाने के लिए होड़ क्यों मची रहती है?
उत्तर:
लोकतंत्र में लोग मंत्री बनकर शक्तियाँ एवं सुविधाएँ पाने के साथ-साथ राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि भी प्राप्त करना चाहते हैं। प्रायः प्रत्येक सदस्य अच्छी कार, बंगला, कई नौकर, दूर-दूर की यात्रा करने की सुविधाएँ, अपने लिए एवं परिवारजनों के लिए विदेश भ्रमण, अपने लिए जेड (Z) स्तर की सुरक्षा आदि प्राप्त करके सही अर्थ में मंत्री बनना चाहता है। यही नहीं, मंत्री बनने के साथ-साथ वह विशेष मंत्रालयों जैसे वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, रेल मंत्रालय आदि प्राप्त करना चाहते हैं जिससे कि उसका प्रभाव अपने निर्वाचन क्षेत्र में निरंतर बना रहे। उसे प्रधानमंत्री और सत्ताधारी गुट के लोग हमेशा पूछते रहें।
प्रश्न 10.
क्या कोई आदमी ताकतवर होने के चलते प्रधानमंत्री बनता है या प्रधानमंत्री बनने के बाद वह ताकतवर हो जाता है ?
उत्तर:
कोई आदमी ताकतवर होने के चलते प्रधानमंत्री नहीं बनता है, बल्कि वह प्रधानमंत्री तभी बनता है जब वह अपने दल का लोकप्रिय नेता हो एवं उसे लोकसभा में सदन का बहुमत प्राप्त हो। एक बार प्रधानमंत्री बनने के बाद वह बहुत ताकतवर एवं शक्तिशाली हो जाता है, क्योंकि उसी के पास वास्तविक एवं कार्यकारी शक्तियाँ होती हैं। वरिष्ठता सूची के हिसाब से विभिन्न मंत्रालयों का आवंटन भी वही करता है। उसके शक्तिशाली एवं ताकतवर होने के अनेक कारण और भी हैं; जैसे-मंत्रिपरिषद पर नियंत्रण, लोकसभा का नेतृत्व, अधिकारी वर्ग पर आधिपत्य, मीडिया तक पहुँच, चुनाव के दौरान उसके व्यक्तित्व का उभार तथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और विदेश यात्राओं के दौरान राष्ट्रीय नेता की छवि आदि।
प्रश्न 11.
मुख्यमंत्री विश्वास मत जीतकर भी खुश नहीं हैं। वे कह रहे हैं कि विश्वास मत जीतने के बावजूद उनकी परेशानियाँ बरकरार हैं। क्या आप सोच सकते हैं, वे ऐसा क्यों कह रहे हैं ?
उत्तर:
जब विधानसभा में किसी दल को अथवा किसी प्रकार चुनाव पूर्व गठबन्धन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तो राज्यपाल सबसे बड़े दल या गठबंधन के नेता को इस शर्त पर मुख्यमंत्री बनाता है कि उसे अमुक तिथि तक विधानसभा में विश्वास मत जीतना है। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री विश्वास मत जीत भी लेता है, तो भी उसकी परेशानियाँ बनी रहती है, क्योंकि अब उसे एक नेता से अधिक एक मध्यस्थ की भूमिका निभानी होगी। सहयोगी दलों के बीच काफी बातचीत और समझौते के बाद ही मंत्रिपरिषद की नीतियाँ बन पाएँगी। इसी सन्दर्भ में विश्वास मत जीतने के बावजूद मुख्यमंत्री ऐसा कह रहे हैं कि उनकी परेशानियाँ बरकरार हैं।
प्रश्न 12.
मान लीजिए कि प्रधानमंत्री को मंत्रिपरिषद का गठन करना है। वह क्या करेगा/करेगी
(क) विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों का अपन।
(ण) केवल अपनी पार्टी के लोगों का बयन।
(ग) केवल व्यक्तिगत रूप से निष्ठावान और विश्वसनीय लोगों का चयन।
(घ) केवल सरकार के समर्थकों का चयन।
(ङ) मंत्री बनने की होड़ में शामिल व्यक्तियों की राजनीतिक ताकत का अंदाजा लगाकर ही उनका चयन।
उत्तर:
(ङ) मंत्री बनने की होड़ में शामिल व्यक्तियों की राजनीतिक ताकत का अंदाजा लगाकर ही उनका चयन।
प्रश्न 1.
संसदीय कार्यपालिका का अर्थ होता है
(क) जहाँ संसद हो वहाँ कार्यपालिका का होना।
(ख) संसद द्वारा निर्वाचित कार्यपालिका।
(ग) जहाँ संसद कार्यपालिका के रूप में काम करती है।
(घ) ऐसी कार्यपालिका जो संसद के बहुमत के समर्थन पर निर्भर हो।
उत्तर:
(घ) ऐसी कार्यपालिका जो संसद के बहुमत के समर्थन पर निर्भर हो।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित संवाद पढ़ें। आप किस तर्क से सहमत हैं और क्यों ? अमित-संविधान के प्रावधानों को देखने से लगता है कि राष्ट्रपति का काम सिर्फ ठप्पा मारना है। शमा-राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है। इस कारण उसे प्रधानमंत्री को हटाने का भी अधिकार होना चाहिए। राजेश-हमें राष्ट्रपति की जरूरत नहीं। चुनाव के बाद, संसद बैठक बुलाकर एक नेता चुन सकती है, जो प्रधानमंत्री बने।
उत्तर:
"संविधान के प्रावधानों को देखने से लगता है कि राष्ट्रपति का काम सिर्फ ठप्पा मारना है।" हम अमित के इस कथन से सहमत हैं क्योंकि भारत में राष्ट्रपति वास्तविक कार्यपालिका न होकर नाममात्र कार्यपालिका है। भारत में संसदीय शासन-प्रणाली को अपनाया गया है। संसदीय शासन-प्रणाली में कार्यपालिका दो प्रकार की होती है- नाममात्र की कार्यपालिका एवं वास्तविक कार्यपालिका। भारत का राष्ट्रपति संवैधानिक मुखिया है जबकि प्रधानमंत्री तथा मंत्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं मंत्रिमंडल की सलाह पर कार्य करता है। राष्ट्रपति को अपनी इच्छानुसार या अपने विवेक से निर्णय लेने के कम ही अवसर प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित को सुमेलित करें-
(क) भारतीय विदेश सेवा |
जिसमें बहाली हो उसी प्रदेश में काम करती है। |
(ख) प्रादेशिक लोक सेवा |
केन्द्रीय सरकार के दफ्तरों में काम करती है जो या तो देश की राजधानी में होते हैं या देश में कहीं और। |
(ग) अखिल भारतीय सेवाएँ |
जिस प्रदेश में भेजा जाए उसमें काम करती है, इसमें प्रतिनियुक्ति पर केन्द्र में भी भेजा जा सकता है। |
(घ) केन्द्रीय सेवाएँ |
भारत के लिए विदेशों में कार्यरत। |
उत्तर:
(क) भारतीय विदेश सेवा |
भारत के लिए विदेशों में कार्यरत। |
(ख) प्रादेशिक लोक सेवा |
जिसमें बहाली हो, उसी प्रदेश में काम करती हैं। |
(ग) अखिल भारतीय सेवाएँ |
जिस प्रदेश में भेजा जाए उसमें काम करती हैं, इसमें प्रतिनियुक्ति पर केन्द्र में भी भेजा जा सकता है। |
(घ) केन्द्रीय सेवाएँ |
केन्द्रीय सरकार के दफ्तरों में काम करती हैं, जो या तो देश की राजधानी में होते हैं या देश में कहीं और। |
प्रश्न 4.
उस मन्त्रालय की पहचान करें जिसने निम्नलिखित समाचार को जारी किया होगा, यह मन्त्रालय प्रदेश की सरकार का है या केन्द्र सरकार का और क्यों ?
(क) आधिकारिक तौर पर कहा गया है कि तमिलनाडु पाठ्यपुस्तक निगम आगामी सत्र से 7, 10 और 11 की नई पुस्तकें जारी करेगा।
(ख) भीड़ भरे तिरुवल्लुर-चेन्नई खंड में लौह-अयस्क निर्यातकों की सुविधा के लिए एक नई रेल लूप लाइन बिछाई जाएगी। नई लाइन लगभग 80 किमी. की होगी। यह लाइन पुटुर से शुरू होगी और बन्दरगाह के निकट अतिपटू तक जाएगी।
(ग) रमयमपेट मण्डल में किसानों की आत्महत्या की घटनाओं की पुष्टि के लिए गठित तीन सदस्यीय उप-विभागीय समिति ने पाया कि इस माह आत्महत्या करने वाले दो किसान फसल के मारे जाने से आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे
थे।
उत्तर:
(क) यह समाचार तमिलनाडु प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है क्योंकि तमिलनाडु पाठ्यपुस्तक निगम उसी के अन्तर्गत कार्य करता है।
(ख) यह समाचार केन्द्र सरकार के रेल मन्त्रालय द्वारा जारी किया गया है। चूँकि रेलवे जो केन्द्र का विषय है। अतः भारत में रेल मन्त्रालय की सम्पूर्ण व्यवस्था केन्द्र सरकार द्वारा की जाती है।
(ग) यह समाचार राज्य (प्रदेश) की सरकार से सम्बन्धित है। प्रदेश सरकार ने किसानों की आत्महत्या के कारणों को जानने हेतु तीन सदस्यीय उपविभागीय समिति का गठन किया। समिति द्वारा शासन को प्रेषित अपनी रिपोर्ट में किसानों की आत्महत्या का कारण पैदावार में हुई आर्थिक क्षति को माना है।
प्रश्न 5.
प्रधानमंत्री की नियुक्ति करने में राष्ट्रपति
(क) लोकसभा के सबसे बड़े दल के नेता को चुनता है।
(ख) लोकसभा में बहुमत अर्जित करने वाले गठबन्धन के दलों में सबसे बड़े दल के नेता को चुनता है।
(ग) राज्यसभा में सबसे बड़े दल के नेता को चुनता है।
(घ) गठबंधन अथवा उस दल के नेता को चुनता है जिसे लोकसभा के बहुमत का समर्थन प्राप्त हो।
उत्तर:
(घ) गठबंधन अथवा उस दल के नेता को चुनता है जिसे लोकसभा के बहुमत का समर्थन प्राप्त हो। ।
प्रश्न 6.
इस चर्चा को पढ़कर बताएँ कि कौन-सा कथन भारत पर सबसे ज्यादा लागू होता हैआलोक-प्रधानमंत्री राजा के समान है। वह हमारे देश में हर बात का फैसला करता है। शेखर-प्रधानमंत्री सिर्फ "बराबरी के सदस्यों में प्रथम" है। उसे कोई विशेष अधिकार प्राप्त नहीं। सभी मन्त्रियों और प्रधानमंत्री के अधिकार बराबर हैं। बॉबी-प्रधानमंत्री को दल के सदस्यों तथा सरकार को समर्थन देने वाले सदस्यों का ध्यान रखना पड़ता है। लेकिन कुल मिलाकर देखें तो नीति-निर्माण तथा मन्त्रियों के चयन में प्रधानमंत्री की बहुत ज्यादा चलती है।
उत्तर:
उपर्युक्त चर्चा के अध्ययनोपरान्त हम कह सकते हैं कि बॉबी का कथन भारत पर सबसे ज्यादा लागू होता है। बॉबी ने भारत के सन्दर्भ में उचित ही कहा है कि प्रधानमंत्री अपने राजनीतिक दल के सदस्यों के साथ-साथ सरकार को समर्थन देने वाले साथियों का ध्यान रखता है। देश की नीतियों के निर्माण तथा मन्त्रियों के चयन में उसी का वर्चस्व रहता है।
प्रश्न 7.
क्या मन्त्रिमण्डल की सलाह राष्ट्रपति को हर हाल में माननी पड़ती है ? आप क्या सोचते हैं ? अपना उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में लिखें।
उत्तर:
संवैधानिक रूप से भारत का समस्त प्रशासन राष्ट्रपति के नाम पर चलता है। राष्ट्रपति को सलाह तथा सहायता देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 74 के अन्तर्गत प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक मंत्रिपरिषद् की व्यवस्था की गई है। भले ही इस मंत्रिपरिषद का कार्य संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति को सलाह और सहायता देना है लेकिन व्यावहारिक रूप से राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद का परामर्श मानने के लिए बाध्य है। 44वें संशोधन के अनुसार राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद द्वारा भेजी गई सलाह को पुनर्विचार के लिए भेज सकता है, लेकिन यदि मंत्रिपरिषद पुनः उस सिफारिश को राष्ट्रपति के पास भेजती है तो राष्ट्रपति उसे मानने के लिए बाध्य है।
प्रश्न 8.
संसदीय व्यवस्था ने कार्यपालिका को नियन्त्रण में रखने के लिए विधायिका को बहुत-से अधिकार दिए हैं। कार्यपालिका को नियन्त्रित करना इतना जरूरी क्यों है ? आप क्या सोचते हैं ?
उत्तर:
भारत जैसे संसदीय व्यवस्था वाले देश में कार्यपालिका को नियंत्रण में करने के लिए संसद कई उपायों का प्रयोग करती है। कार्यपालिका को नियत्रित करना इसलिए आवश्यक है, कि वर्तमान समय में कार्यपालिका की शक्तियाँ बढ़ती जा रही हैं, जिससे कार्यपालिका के निरंकुश होने का खतरा सदैव बना रहता है।
प्रश्न 9.
कहा जाता है कि प्रशासनिक तन्त्र के कामकाज में बहुत ज्यादा राजनीतिक हस्तक्षेप होता है। सुझाव के तौर पर कहा जाता है कि ज्यादा-से-ज्यादा स्वायत्त एजेंसियाँ बननी चाहिए, जिन्हें मन्त्रियों को जवाब न देना पड़े।
(क) क्या आप मानते हैं कि इससे प्रशासन ज्यादा जन-हितैषी होगा?
(ख) क्या आप मानते हैं कि इससे प्रशासन की कार्य-कुशलता बढ़ेगी?
(ग) क्या लोकतन्त्र का अर्थ यह होता है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों का प्रशासन पर पूर्ण नियन्त्रण हो ?
उत्तर:
(क) विभिन्न एजेंसियों को अधिक से अधिक स्वायत्तता देने से प्रशासन जन-हितैषी बनेगा यह जरूरी नहीं है।
(ख) स्वायत्त एजेंसियों से प्रशासन की कार्यकुशलता बढ़ सकती है।
(ग) लोकतंत्र में निर्वाचित प्रतिनिधियों का प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण आवश्यक है, क्योंकि अंततः प्रतिनिधि ही जनता के प्रति उत्तरदायी होता है।
प्रश्न 10.
नियुक्ति आधारित प्रशासन की जगह निर्वाचन आधारित प्रशासन होना चाहिए- इस विषय पर 200 शब्दों का एक लेख लिखो।
उत्तर:
नियुक्ति आधारित प्रशासन होना चाहिए अथवा निर्वाचन आधारित प्रशासन होना चाहिए। इस विषय पर विद्वानों के भिन्न-भिन्न मत हो सकते हैं। जहाँ का प्रशासन नियुक्त किए गए अधिकारियों द्वारा चलाया जाता है, उसे नियुक्ति आधारित प्रशासन कहा जाता है। और जहाँ का प्रशासन लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा चलाया जाता है, उसे निर्वाचन आधारित प्रशासन कहा जाता है। इन दोनों प्रशासनों में निर्वाचन आधारित प्रशासन अधिक व्यावहारिक और उचित है। निर्वाचन आधारित प्रशासन की नियुक्ति आधारित प्रशासन की अपेक्षा अधिक लोकतांत्रिक है।
इसके अतिरिक्त नियुक्ति आधारित प्रशासन किसी के भी प्रति उत्तरदायी नहीं है, जबकि निर्वाचित प्रशासन अपने समस्त कार्यों के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी होता है। विधायिका के सदस्यों को निर्वाचित कार्यपालिका की आलोचना करने और उनसे प्रश्न पूछने का अधिकार होता है। निर्वाचन आधारित प्रशासन में अधिकारी तब तक अपने पद पर रहते हैं जब तक इसको संसद का विश्वास प्राप्त रहता है। संसद अविश्वास प्रस्ताव पारित करके इनको पद से हटा सकती है।