RBSE Solutions for Class 11 Political Science Chapter 1 राजनीतिक सिद्धांत - एक परिचय

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Political Science Chapter 1 राजनीतिक सिद्धांत - एक परिचय Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Political Science Solutions Chapter 1 राजनीतिक सिद्धांत - एक परिचय

RBSE Class 11 Political Science राजनीतिक सिद्धांत - एक परिचय InText Questions and Answers

प्रश्न 1. 
संवाद राजनीति क्या है ?
उत्तर:
'राजनीति' के बारे में अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय है। अत: यह बताने के लिए कि राजनीति क्या है हमें निम्नलिखित विभिन्न मतों की चर्चा करनी होगी तत्पश्चात् हम यह निष्कर्ष निकाल सकेंगे कि राजनीति क्या है।
(i) राजनेताओं व राजनीतिक पदाधिकारियों का दृष्टिकोण-राजनेता और चुनाव लड़ने वाले लोग अथवा राजनीतिक पदाधिकारी यह मानते हैं कि 'राजनीति एक प्रकार की जनसेवा है'।

(ii) राजनीति से जुड़े अन्य लोगों का दृष्टिकोण-राजनीति से जुड़े अन्य लोगों की नजर में राजनीति विभिन्न प्रकार के दावपेंचों का नाम है। वे सभी दांवपेंच जिनके द्वारा ये अपनी आवश्यकताओं महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए किसी भी कार्य को करते रहते हैं इनकी नजर में यही 'राजनीति' है।

(iii) राजनीति वही है जो राजनेता करते हैं-कुछ लोग यह भी मानते हैं कि जो राजनेता करते हैं वही राजनीति है। लोग राजनेताओं को दल-बदल करते झूठे वायदे और बढ़े-चढ़े दावे करते देखते हैं तो उनके इसी आचरण को लोग 'राजनीति' मान लेते हैं।

(iv) स्वार्थपूर्ति से सम्बन्धित क्रियाकलाप राजनीति है-आम जनता में अक्सर लोगों द्वारा अपनाये जाने वाले स्वार्थपूर्ति के क्रियाकलापों चापलूसी इत्यादि को भी राजनीति की संज्ञा दी जाती है। दुर्भाग्यवश उपर्युक्त में से कोई भी मत 'राजनीति' की सही व्याख्या या अर्थ से सम्बन्धित नहीं है। राजनीति का सही अर्थ-वास्तव में (राजनीति सिद्धान्त में) राजनीति से हमारा तात्पर्य राज्य व सरकार के क्रियाकलापों समस्याओं के समाधान की प्रक्रिया तथा विभिन्न राजनीतिक संस्थाओं के अध्ययन से है। वास्तविक अर्थों में यही राजनीति है।

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प्रश्न 2. 
दिए गए कार्टून में एक स्त्री अपने राजनेता पति से अपने बच्चे के झूठ और धोखाधड़ी के सम्बन्ध में शिकायत करती हुई कहती है कि "आपको तुरन्त राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। आपके काम-काज का इस पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। वह सोचता है कि वह झूठ और धोखाधड़ी से काम चला सकता है।" 
उत्तर:
इस कार्टून में आर. के. लक्ष्मण ने स्वार्थपूर्ण और घोटालों से भरी राजनीति पर व्यंग्य करते हुए राजनीति के इस अर्थ को चित्रित किया है कि कई लोगों के लिए राजनीति वही है जो राजनेता कहते हैं। अगर वे राजनेताओं को दल-बदल करते छल-कपट विभिन्न वर्गों से जोड़-तोड़ करते अपने सामूहिक स्वार्थों में संलग्न रहने तथा हिंसक होते देखते हैं तो वे राजनीति का सम्बन्ध 'घोटालों' से जोड़ते हैं। इस प्रकार की सोच इतनी प्रचलित है कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हर तरीके से अपने स्वार्थ को पूरा करने में लग जाते हैं। इसी गंदी राजनीति के जनता में प्रभाव को इस कार्टून में दर्शाया जा रहा है और राजनेताओं पर यह व्यंग्य किया गया है कि इनके ऐसे कार्यों से राजनीति का सम्बन्ध किसी भी तरीके से निजी स्वार्थ साधने के व्यवसाय से जुड़ गया है।

प्रश्न 3. 
राजनीति हमारे दैनिक जीवन पर किस तरह असर डालती है? अपने जीवन की एक दिन की घटनाओं का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
राजनीति हमारे दैनिक जीवन के प्रत्येक पहलू से सम्बद्ध है। हम विद्यालय महाविद्यालय राशन की कतार अस्पताल कार्यालय अथवा कहीं भी हों हमारे अधिकार समानता स्वतन्त्रता इत्यादि का व्यावहारिक क्रियान्वयन आवश्यक रूप से होता है। हमारे साथ समानता का व्यवहार हुआ या नहीं हमारे अधिकार हमें प्राप्त हो रहे हैं या नहीं इत्यादि अनेक बिन्दुओं पर हम दैनिक जीवन में विचार करते रहते हैं तथा इनकी प्राप्ति हेतु सामूहिक गतिविधियों में सक्रिय होते रहते हैं । इस प्रकार 'राजनीति' हमारे दैनिक जीवन के प्रत्येक क्रियाकलाप गतिविधि व घटना से सम्बद्ध है और इन्हें प्रभावित करती है। अपने जीवन की एक दिन की घटनाओं का विश्लेषण निम्न तालिका के अनुसार किया जा सकता है- 

समय

घटना/ समस्या

हमारे ङपर प्रभाव

समाधान हेतु अपनाया गया मार्ग

1. प्रातः 8.00 बजे

विद्यालय में भेदभाव

मेरी समानता व स्वतन्त्रता कितनी औचित्यपूर्ण है?

अपने जैसे और लोगों को समूहबद्ध करके प्रबन्धन के समक्ष सामूहिक विरोध करेंगे।

2. अपराह्न 3.00 बजे

परिवार में विद्यालय की घटना की चर्चा विद्युत आपूर्ति बंद

इस चर्चा से विचारों में परिपक्वता आई।

लोकतान्त्रिक तरीकों का प्रयोग करेंगे।

3. रात्रि 8.00 बजे

घटना/ समस्या

पढ़ाई में समस्या

बिजली कटैती के विरुद्ध विद्युत विभाग में शिकायत दर्ज कराएगे।


प्रश्न 4. 
क्या विद्यार्थियों को राजनीति में भाग लेना चाहिए?
उत्तर:
पक्ष में तर्क (वाद) 

  1. हाँ विद्यार्थियों को राजनीति में भाग लेना चाहिए क्योंकि देश की बागडोर भविष्य में युवाओं को ही सम्हालनी है। 
  2. विद्यार्थियों के राजनीति में भाग लेने से उनमें अपने देश और समाज के प्रति जागरूकता उत्पन्न होगी।
  3. विद्यार्थी राजनीति में भाग लेकर ही विभिन्न सामाजिक-राजनैतिक समस्याओं को भली प्रकार समझ पाएंगे और उनका समाधान खोज पाएँगे।
  4. विद्यार्थी राजनीति में भाग लेकर अपनी शिक्षा और ज्ञान को देश और समाज की भलाई में लगा सकते हैं। 

विपक्ष में तर्क (विवाद) 

  1. नहीं विद्यार्थियों का प्रथम कार्य विद्या प्राप्त करना है। अतः उन्हें राजनीति से दूर रहना चाहिए। 
  2. राजनीति राजनेताओं के ही समझ की बात है। विद्यार्थी राजनीति को न तो सही प्रकार से समझ पाएँगे और न कर पाएँगे। 
  3. राजनीति बेहद जटिलता लिए हुए होती है। अत: वह विद्यार्थियों के समझ की बात नहीं है। 
  4. विद्यार्थियों के राजनीति करने से वे बिगड़ सकते हैं तथा पढ़ाई से उनकी रुचि समाप्त हो सकती है।

निष्कर्ष (संवाद)-उपर्युक्त दोनों मतों के विश्लेषण के उपरान्त यह कहा जा सकता है कि विद्यार्थियों का राजनीति में भाग लेना यद्यपि गलत नहीं है परन्तु वर्तमान में राजनीति की जो तस्वीर हमें दिखायी देती है उसमें विद्यार्थियों को बहुत अधिक सावधानी इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास की जरूरत पड़ेगी। यदि वे ऐसा कर पाएँ तो अवश्य ही विद्यार्थियों को राजनीति में भाग लेना चाहिए क्योंकि वे देश का भविष्य हैं। इसलिए देश के विकास में उनकी सक्रिय भागीदारी होनी ही चाहिए।

प्रश्न 5. 
ऐसे किसी भी राजनीतिक चिन्तक के विषय में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए जिसका उल्लेख अध्याय में किया गया है। (50 शब्द)
उत्तर:
कौटिल्य-कौटिल्य का प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतकों में प्रमुख स्थान है। इनका वास्तविक नाम विष्णुगुप्त था। इनकी कुशाग्र बुद्धि के कारण ही इन्हें 'कौटिल्य' कहा जाने लगा। कौटिल्य ने अपनी कृति 'अर्थशास्त्र' में राजनीति के विविध पक्षों का व्यावहारिक विश्लेषण किया। इन्होंने राजा के कर्तव्यों पर-राष्ट्र सम्बन्धों राज्य की नीतियों इत्यादि से सम्बन्धित सिद्धान्तों का भी प्रतिपादन किया। कौटिल्य ने राज्य के सावयव स्वरूप का चित्रण भी किया तथा राज्य की सात प्रकृतियों या अंगों का विवेचन भी किया है। जो हैं स्वामी अमात्य जनपद दुर्ग कोष दण्ड एवं मित्र। कौटिल्य ने राज्य रूपी शरीर में राजा को सबसे ऊँचा स्थान प्रदान किया है। कौटिल्य ने अपने विचारों का क्रियान्वयन भी चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्य में किया था। कौटिल्य चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री थे।

प्रश्न 6. 
क्या आप पहचान सकते हैं कि नीचे दिए गए प्रत्येक कथन/ स्थिति में कौन-सा राजनीतिक सिद्धान्त/ मूल्य प्रयोग में आया है?
(क) मुझे विद्यालय में कौन-सा विषय पढ़ना है यह तय करना मेरा अधिकार होना चाहिए। 
(ख) छुआछूत की प्रथा का उन्मूलन कर दिया गया है। 
(ग) कानून के समक्ष सभी भारतीय समान हैं। 
(घ) अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अपनी पाठशालाएँ और विद्यालय स्थापित कर सकते हैं। 
(ड.) भारत की यात्रा पर आये हुए विदेशी भारतीय चुनाव में मतदान नहीं कर सकते । 
(च) मीडिया या फिल्मों पर कोई भी सेंसरशिप नहीं होनी चाहिए। 
(छ) विद्यालय के वार्षिकोत्सव की योजना बनाते समय छात्र-छात्राओं से सलाह ली जानी चाहिए। 
(ज) गणतन्त्र दिवस के समारोह में प्रत्येक को भाग लेना चाहिए।
उत्तर:
(क) स्वतन्त्रता 
(ख) समानता 
(ग) समानता 
(घ) धर्म निरपेक्षता 
(ङ) नागरिकता 
(च) स्वतन्त्रता 
(छ) लोकतंत्र 
(ज) राष्ट्रवाद।

RBSE Solutions for Class 11 Political Science Chapter 1 राजनीतिक सिद्धांत - एक परिचय

RBSE Class 11 Political Science राजनीतिक सिद्धांत - एक परिचय Textbook Questions and Answers 

प्रश्न 1. 
राजनीतिक सिद्धान्त के बारे में नीचे लिखे कौन से कथन सही हैं और कौन-से गलत? 
(क) राजनीतिक सिद्धान्त उन विचारों पर चर्चा करते हैं जिनके आधार पर राजनीतिक संस्थाएँ बनती हैं। 
(ख) राजनीतिक सिद्धान्त विभिन्न धर्मों के अन्तर्सम्बन्धों की व्याख्या करते हैं। 
(ग) ये समानता और स्वतन्त्रता जैसी अवधारणाओं के अर्थ की व्याख्या करते हैं। 
(घ) ये राजनीतिक दलों के प्रदर्शन की भविष्यवाणी करते हैं। 
उत्तर:
(क) सही 
(ख) गलत 
(ग) सही
(घ) गलत।

प्रश्न 2. 
'राजनीति उस सबसे बढ़कर है जो राजनेता करते हैं।' क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
हाँ, हम इस कथन से सहमत हैं कि राजनीति उस सबसे बढ़कर है, जो राजनेता करते हैं। हमारी सहमति का कारण यह है कि राजनीतिक सिद्धान्त के अन्तर्गत हम राजनीति का जो अर्थ समझते हैं वह राजनेताओं की गतिविधियों तक ही सीमित नहीं है। 'राजनीति' के अन्तर्गत राजनेताओं द्वारा अपने लाभ के लिए किए जाने वाले गलत कार्यों, छल-कपट, दांवपेंच, दल-बदल इत्यादि को हम किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करते हैं। यह तो राजनीति का गलत अर्थ है जो कि आम जनता द्वारा लगाया जाता है। वास्तव में राजनीति के अन्तर्गत हम राजनेताओं के राजनैतिक व्यवहार, सरकार के कार्यकलाप तथा सरकार को प्रभावित करने के लिए जनता की माँगे, विरोध-प्रदर्शन व संघर्ष आदि का अध्ययन करते हैं। इस सम्बन्ध में हम अपने दैनिक और सामाजिक जीवन से सम्बन्धित कई उदाहरण दे सकते हैं, जोकि निम्नलिखित हैं

(i) हम अपने परिवार में विभिन्न सदस्यों के व्यवहार व कार्यों से दुःखी होने पर इनका कुछ समाधान निकालने का प्रयास करते हैं। हम उनसे बातचीत के माध्यम से अथवा अन्य तरीकों से अपनी समस्या को हल करने का प्रयास करते हैं। जब हम इस प्रकार समस्याओं का समाधान खोज रहे होते हैं तो इसे 'राजनीति' की संज्ञा दी जा सकती है।

(ii) किसी सरकारी कार्यालय में जब हमारे अधिकारों का हनन होता है जैसे हमारे साथ भेदभाव किया जाए, हमें उपेक्षित किया जाए, हमारी बात न सुनी जाए इत्यादि तो हम अपने अधिकारों की मांग करते हैं, स्वतन्त्रता और समानता की दुहाई देते हैं। हम पूरा प्रयास करते हैं कि हमारे साथ भेदभाव न हो, उपेक्षा न हो। जब हम ऐसा करते हैं तो हमारे ये क्रियाकलाप भी 'राजनीति' के अन्तर्गत ही आते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि राजनीति अपने सच्चे अर्थों में उस सबसे बढ़कर है, जो राजनेता करते हैं। 

प्रश्न 3. 
लोकतन्त्र के सफल संचालन के लिए नागरिकों का जागरूक होना जरूरी है। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
लोकतन्त्र ऐसी शासन प्रणाली है जो कि जनता की सहभागिता पर ही टिकी होती है। अतः लोकतन्त्र का सफल संचालन तभी किया जा सकता है, जबकि नागरिकों में देश, समाज और व्यवस्था के प्रति जागरूकता हो। जब नागरिक जागरूक होंगे तो उन्हें समाज में व्याप्त विभिन्न समस्याओं की समझ होगी। इसी प्रकार वे भली प्रकार से यह जान पायेंगे कि सरकार इन समस्याओं के समाधान हेतु कितनी गम्भीर है। जागरूक नागरिक यह भी समझने में सक्षम होते हैं कि कौन-सा जनप्रतिनिधि जनता के लिए अच्छा है और कौन नहीं। इस प्रकार नागरिकों के जागरूक होने से लोकतन्त्र में सुधार व पारदर्शिता आना प्रारम्भ हो जाता है जो कि लोकतंत्र की सफलता के लिए जरूरी है।

नागरिकों के जागरूक होने से जनता के प्रतिनिधि जनता के प्रति अधिक संवेदनशील होने लगते हैं। उन्हें यह भय रहता है कि यदि वे जनता की समस्याओं की उपेक्षा करेंगे, जनता के प्रति कठोरता दिखाएंगे तो जागरूक जनता उन्हें पुनः निर्वाचित नहीं करेगी। इसी प्रकार जनप्रतिनिधियों के कार्यों का सही मूल्यांकन जागरूक नागरिक ही कर सकते हैं। अतः जनप्रतिनिधियों में भी उत्साह पैदा हो जाता है कि वे जनता की वास्तविक भलाई के कार्य करके जनता की प्रशंसा और सहानुभूति के पात्र बन जाएँ। उदाहरण के तौर पर आप अपने घर में अच्छे ढंग से साफ-सफाई करें और परिवार के सदस्य व माता-पिता आपके कार्य पर आपको कोई प्रोत्साहन न दें तो आपका उत्साह टूट जाएगा। वहीं अगर आपके कार्य का सही मूल्यांकन हो तो आप और अच्छे कार्य अधिक उत्साह से करेंगे। बस यही स्थिति लोकतन्त्र में होती है। अतः स्पष्ट है कि लोकतन्त्र के सफल संचालन के लिए नागरिकों का जागरूक होना बहुत जरूरी है।

प्रश्न 4. 
राजनीतिक सिद्धान्त का अध्ययन हमारे लिए किन रूपों में उपयोगी है? ऐसे चार तरीकों की पहचान करें जिनमें राजनीतिक सिद्धान्त हमारे लिए उपयोगी हों।
उत्तर:
राजनीतिक सिद्धान्त के अध्ययन की उपयोगिता-राजनीतिक सिद्धान्त का अध्ययन हमारे लिए कई रूपों में उपयोगी है। इसके अध्ययन से हम अपने विविध अधिकारों और कर्तव्यों को भली प्रकार समझ पाते हैं। हम राजनीति व प्रशासन को काफी हद तक जनता के प्रति लचीला बना सकते हैं। इसी प्रकार स्वतंत्रता, समानता, धर्मनिरपेक्षता इत्यादि के प्रति हम अधिक जागरूक रहते हैं। राजनीतिक सिद्धान्त के हमारे लिए उपयोगी होने के निम्नलिखित चार उदाहरण दिये जा सकते हैं

(1) भविष्य में चुने जाने वाले व्यवसायों हेतु उपयोगी-राजनीतिक सिद्धान्त की पहली उपयोगिता इस तरीके से है कि हम भविष्य में चुने जाने वाले व्यवसायों के लिए पहले से ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। राजनीतिक सिद्धान्त के अन्तर्गत हम विभिन्न बातों जैसे स्वतन्त्रता, समानता, अधिकार इत्यादि की समुचित जानकारी प्राप्त करते हैं। अब यदि भविष्य में हम पत्रकार, वकील, राजनेता, समाजसेवी इत्यादि बनते हैं तो यह जानकारी हमारे लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होती है।

(2) अपनी सामाजिक, राजनीतिक जिम्मेदारियों को निभाने में उपयोगी-राजनीतिक सिद्धान्त इस बात में भी उपयोगी हैं कि इनके माध्यम से प्राप्त जानकारी व समझ हमें हमारी सामाजिक और राजनीतिक जिम्मेदारियों को निभाने में सहायता प्रदान करती है। उदाहरण के लिए 'मताधिकार' का प्रयोग करते समय, हमें यदि राजनीति सिद्धान्त का ज्ञान है तो हम अपना वोट उचित प्रतिनिधि को ही देंगे। ऐसा करते समय हम धर्म, जाति इत्यादि बातों पर ध्यान नहीं देंगे।

(3) राजनीतिक मामलों के प्रति हमारी समझ के परीक्षण में उपयोगी-राजनीतिक सिद्धान्तों की समझ के द्वारा हम राजनीतिक मामलों जैसे अर्थव्यवस्था, भ्रष्टाचार, सरकार की नीतियों इत्यादि के प्रति अपनी समझ की सत्यता की जाँच भी कर सकते हैं। अतः राजनीतिक सिद्धान्त इस रूप में भी उपयोगी है।

(4) राज-व्यवस्था के प्रति विचारों में परिपक्वता व तार्किक संवाद में उपयोगी-राजनीतिक सिद्धान्त इस रूप में भी उपयोगी है। इनके ज्ञान से हमारे राजनीति और राज-व्यवस्था के प्रति विचार अधिक गम्भीर और प्रभावी बनते हैं। इसी प्रकार हम राजनीति और समाज से जुड़े विविध मसलों पर तार्किक रूप से संवाद भी कर पाते हैं।

प्रश्न 5. 
क्या एक अच्छा /प्रभावपूर्ण तर्क औरों को आपकी बात सुनने के लिए बाध्य कर सकता है?
उत्तर:
हाँ, एक अच्छा /प्रभावपूर्ण तर्क औरों को हमारी बात सुनने के लिए बाध्य कर सकता है। इसका कारण यह है कि जब हमारे तर्क अच्छे व प्रभावपूर्ण होंगे तो उनमें सत्यता व तथ्यों का अधिक से अधिक समावेश होगा। हम तार्किक आधार पर जो बात करेंगे उसमें हमारी भाषा व शैली में आत्मविश्वास होगा। तर्कों को सुनने वाला हमारे तर्कों को झुठला नहीं पायेगा तथा उनकी उपेक्षा नहीं कर पायेगा । इस प्रकार हमारे अच्छे और प्रभावपूर्ण तर्क दूसरों को हमारी बात सुनने के लिए बाध्य कर देंगे। अच्छे और प्रभावपूर्ण तर्कों के कारण किसी भी विषय पर हमारी समझ भी मजबूत होती है। हम उस विषय के विविध पक्षों का सटीक विश्लेषण कर पाते हैं। इस विश्लेषण के आधार पर हम किसी भी विषय पर अपने मौलिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत कर सकते हैं। जब हम इस प्रकार किसी विषय पर अपनी बात कहते हैं तो हमारी बात में गम्भीरता तथा दृढ़ता आ जाती है और लोग हमारी बात सुनने के लिए बाध्य हो जाते हैं।

RBSE Solutions for Class 11 Political Science Chapter 1 राजनीतिक सिद्धांत - एक परिचय

प्रश्न 6. 
क्या राजनीतिक सिद्धान्त पढ़ना, गणित पढ़ने के समान है ? अपने उत्तर के पक्ष में कारण दीजिए।
उत्तर:
हाँ, राजनीतिक सिद्धान्त पढ़ना गणित पढ़ने के समान ही उपयोगी है। इसके पक्ष में निम्नलिखित कारणों का उल्लेख किया जा सकता है

  1. राजनीतिक सिद्धान्त गणित के समान ही व्यावहारिक उपयोगिता रखता है। 
  2. भविष्य में विभिन्न व्यवसायों में इसका उपयोग बढ़ रहा है। 
  3. गणित के समान ही राजनीतिक सिद्धान्त व्यक्ति के विचारों को परिपक्व और तार्किक बनाता है। 
  4. गणित के समान ही राजनीतिक सिद्धान्त के भी बहुआयामी सामान्य उद्देश्य होते हैं।
Prasanna
Last Updated on Aug. 30, 2022, 5:39 p.m.
Published Aug. 30, 2022