Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 7 प्रभावशाली संप्रेषण कौशल Textbook Exercise Questions and Answers.
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समीक्षात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संप्रेषण कौशल के महत्व की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
प्रभावी संप्रेषण कौशल प्रत्येक व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है। यथा:
प्रश्न 2.
संप्रेषण कौशलों का नाम बताइए तथा प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संप्रेषण कौशलों के नाम निम्नलिखित हैं
1. चिंतन:
यह एक अंतरावैयक्तिक संप्रेषण कौशल है। इसमें व्यक्तिगत विचार, अनुचिंतन, सोच: विचार एवं मनन सन्निहित होता है। चिंतन व्यक्ति को अपने विचारों, अभिमतों, निर्णयों एवं भावनाओं को चुनने तथा संगठित करने के योग्य बनाता है। संप्रेषण में चिंतन मूलभूत कदम है। आपकी क्रियाएँ एवं अभिव्यक्तियाँ इस बात पर निर्भर करती हैं कि आप क्या और कैसे सोचते हैं? चिंतन कौशल के विकास के लिए आवश्यक है कि चिंतन के दौरान ध्यान केन्द्रित करें, उसे भंग न होने दें तथा सृजनात्मकता, समस्या समाधान, विवेचनात्मकता व लचीलेपन के कौशलों को विकसित कर चिंतन को मजबूत बनाएं।
2. पठन:
यह मुद्रित अथवा लिखित सामग्री से अर्थ प्राप्त करने की योग्यता है। मनोरंजन, सूचना एवं ज्ञान प्राप्त करना पठन के लिए कुछ उत्प्रेरक कारक हैं। निपुणता से पढ़ने के लिए व्यक्ति में भाषा का ज्ञान, धारा: प्रवाह पठन, शब्दावली, पठन बोध, संज्ञान एवं विकोडन अपेक्षित हैं। हर व्यक्ति में 6 से 19 वर्ष तक पठन कौशल का विकास होता है पठन कौशल के विकास के लिए यह आवश्यक है कि विषय के प्रति अभिरुचि हो, पढ़ने का उचित तरीका अपनाया जाये तथा वांछनीय भौतिक परिस्थितियाँ हों, जैसे - बायीं तरफ से पर्याप्त प्रकाश तथा शांत वातावरण आदि।
3. लेखन:
लेखन द्वारा किया गया संप्रेषण मौखिक की अपेक्षा अधिक मूर्त होता है क्योंकि इसमें संचार की त्रुटियों और गलतियों के लिए बहुत कम गुंजाइश होती है। लेखन के माध्यम से संप्रेषण करने वालों के समक्ष नई चुनौतियाँ आती हैं, जिसमें वर्तनी, व्याकरण, विराम चिह्न, लेखन शैली तथा शब्दावली आदि शामिल हैं। आज की प्रौद्योगिकी (उदाहरणार्थ: कम्प्यूटर) से कुछ ऐसे विश्वसनीय साधन प्राप्त होते हैं, जो ज्ञापन, पत्र अथवा प्रस्ताव आदि औपचारिक लेखन को अधिक आसान बनाते हैं। अच्छे लेखन के लिए आवश्यक है कि लेखन में शिष्टेतर भाषा, संक्षिप्तियों, प्रतीकों का प्रयोग न हो, पिष्टोक्तियों का प्रयोग सावधानी से हो, लोगो, कंपनियों के नामों की सही: सही वर्तनी हो, वाक्य छोटे हों तथा समुचित विराम चिह्नों का प्रयोग हो।
4. श्रवण:
संप्रेषण प्रक्रिया में हम या तो सूचना भेजते हैं अथवा प्राप्त करते हैं। ध्यानपूर्वक सुनना सूचना की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है। श्रवण विभिन्न कौशलों का संयोजन है जो सुनने, संदेश साझा करने वाले व्यक्ति के प्रति अभिवृत्ति तथा संदेश की विषय: वस्तु के साथ: साथ भेजने वाले संदेश के प्रति हमारे मनोवैज्ञानिक जुड़ाव से संबंधित है। इसमें संदेश और वक्ता को समझने की इच्छा, आदर का भाव तथा स्वीकृति और संदेश के प्रति दूसरों के बोध को समझने और मूल्यांकन करने की स्वैच्छिक अभिवृत्ति की आवश्यकता होती है। श्रवण के लिए अत्यधिक ध्यान केंद्रित करने की तथा कर्जा की आवश्यकता होती है। श्रवण: कौशल स्वाभाविक या अर्पित होते हैं। इसे कुछ आधारभूत सिद्धांतों का इस्तेमाल करके उपार्जित किया जा सकता है।
5. बोलना:
बोलना सर्वाधिक आधारभूत संप्रेषण कौशलों में से एक है। अपने रोजमर्रा के जीवन में हम सूचना देने, भावनाओं के आदान: प्रदान एवं अन्य कारणों से परिवार के सदस्यों, मित्रों तथा अन्य लोगों से व्यवसाय एवं कार्य के संबंध में बातचीत करते हैं। किसी समूह के सामने बोलना तथा सार्वजनिक तौर पर बोलना: ये दो बोलने के महत्वपूर्ण प्रकार के कौशल हैं। सार्वजनिक तौर पर बोलना श्रोताओं को सूचित करने, प्रभावित करने, राजी करने, प्रेरित करने अथवा मनोरंजन करने के इरादे से संरचित, वाक् कौशल द्वारा सोद्देश्य तरीके से लोगों के समूह के साथ बातचीत करने की प्रक्रिया है। भाषा एवं वाक्पटुता (प्रभावशाली भाषण) सार्वजनिक व्याख्यान तथा अन्तर्वैयक्तिक संचार के दो सबसे अधिक महत्वपूर्ण पहलुओं में से है। लोग आपके शाब्दिक संदेशों को समझें, उसके तरीके है
6. गैर:
शाब्दिक संप्रेषण: गैर: शाब्दिक कौशल, जो कभी: कभी दृश्य: कौशल भी कहलाते हैं; आपकी अनकही बात को भी व्यक्त कर देते हैं। वे संप्रेषण के लिखित एवं टंकित तरीके के साथ संप्रेषण: प्रक्रिया का एक भाग बन जाते
गैर: शाब्दिक संकेतों में निम्नलिखित शामिल हैं
प्रश्न 3.
"गैर: शाब्दिक या भाषेतर कौशल शाब्दिक कौशल के समान महत्वपूर्ण नहीं है।" इस पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
शारीरिक मुद्रा, मुखाभिव्यक्ति, आवाज का उतार: चढ़ाव इत्यादि संकेतों को गैर: शाब्दिक संचार कहते हैं। गैर: शाब्दिक संचार के अंतर्गत विचारों व भावनाओं को शब्दों के बगैर अभिव्यक्त किया जा सकता है। अन्य शब्दों में, शब्द रहित संचार गैर शाब्दिक संचार है जिसके अंतर्गत अपने अनुभवों एवं व्यवहारजन्य संकेतों के आधार पर संचारक अपनी बात को प्राप्तकर्ता तक पहुंचाता है। जबकि संचार प्रक्रिया में शब्दों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके बगैर संदेश की संरचना और संप्रेषण संभव नहीं है। संदेश का संप्रेषण चाहे मौखिक हो या लिखित, दोनों ही परिस्थितियों में शब्दों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। शब्दों के आविष्कार से पूर्व मानव प्रतीक चिह्नों तथा अपनी भाव: भंगिमाओं के माध्यम से संदेश संप्रेषण करता था, यह आज के शाब्दिक संप्रेषण की तुलना में अस्पष्ट होता था। शाब्दिक संचार के माध्यम से मानव में बौद्धिकता का विकास होता है। मानवीय संचार में शब्दों का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है।
मानव अपनी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा संचार प्रक्रिया से गुजरता है, जिसमें स्वर संचार को प्राथमिकता प्राप्त है। क्योंकि मानव किसी वस्तु के बारे में ज्ञानेन्द्रियों द्वारा चाहे जो भी सोचे व अनुभव करे, परंतु जब तक उसे शाब्दिक रूप नहीं देगा तब तक उसका सम्पूर्ण विवरण दूसरों को संप्रेषित नहीं कर सकता है। अर्थात् शब्दों के अभाव में व्यापक संचार की कल्पना संभव नहीं है। निष्कर्षतः कह सकते हैं कि गैर: शाब्दिक या भाषेतर कौशल, शाब्दिक कौशल के समान महत्वपूर्ण नहीं है।
प्रश्न 4.
दो अनजान व्यक्ति रेलगाड़ी में आपस में मिलते हैं। इन दोनों के बीच हुई प्रभावकारी बातचीत को लिखित रूप में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे दो अनजान व्यक्तियों के बीच हुई प्रभावकारी बातचीत निम्न है
(जयपुर रेलवे स्टेशन पर डबल डेकर ट्रेन छूटने वाली है, तभी प्लेटफॉर्म पर एक अनजान व्यक्ति प्रवेश करता है। वह दूसरे अनजान व्यक्ति से मदद मांगता है।)
(इसी तरह बातचीत होती रही और गंतव्य स्टेशन आ गया, दोनों व्यक्ति साथ: साथ रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से उतर गये।)
प्रश्न 5.
आपके अनुसार कौनसे तीन संप्रेषण कौशल सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं। और क्यों?
उत्तर:
हमारे अनुसार तीन मुख्य संप्रेषण कौशल सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है
ज्यादातर महान वक्ताओं में भाषण कौशल एवं उसकी कारगरता को प्रदर्शित करने की स्वाभाविक योग्यता होती है जो किसी विशेष प्रयोजन के लिए श्रोता को आकृष्ट एवं प्रेरित करने में सहायक होती है। भाषा एवं वाक्पटुता (प्रभावशाली भाषण) सार्वजनिक व्याख्यान तथा अंतर्वैयक्तिक संचार के दो सबसे अधिक महत्वपूर्ण पहलुओं में से