Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 4 संसाधन प्रबंधन Textbook Exercise Questions and Answers.
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समीक्षात्मक प्रश्न
Class 11 Home Science Chapter 4 Question Answer In Hindi प्रश्न 1.
संसाधन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
संसाधन: समय, ऊर्जा, धनराशि, ज्ञान, रुचि, कौशल, सामग्री इत्यादि सब संसाधन हैं। इस प्रकार संसाधन वे होते हैं जिनका हम किसी कार्यकलाप को करने में उपयोग करते हैं। ये हमें लक्ष्य प्राप्ति में सहायता करते हैं। उदाहरणतः किसी कार्य को करने की हमारी क्षमता भी एक महत्वपूर्ण संसाधन है। लेकिन कोई भी चीज जिसका उपयोग हम नहीं करते, संसाधन नहीं है। उदाहरण के लिए एक साइकिल काफी समय से बिना उपयोग के आपके घर में बेकार पड़ी है, आपके लिए वह संसाधन नहीं है। लेकिन यह किसी और के लिए संसाधन हो सकती है।
Class 11 Home Science Chapter 4 Question Answer प्रश्न 2.
संसाधनों को तीन विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत करें और प्रत्येक संसाधन की परिभाषा बताएँ और प्रत्येक के दो: दो उदाहरण दें।
उत्तर:
संसाधनों को तीन विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत निम्न प्रकार किया गया है
1. मानव और गैर: मानव संसाधन:
मानव संसाधन: किसी भी कार्यकलाप को करने के लिए मानव संसाधन प्रमुख होते हैं। ये संसाधन प्रशिक्षण और आत्मविकास के माध्यम से विकसित किए जा सकते हैं। ज्ञान, उत्प्रेरण या रुचि, कौशल, समय, ऊर्जा आदि मानव संसाधन के प्रमुख तत्व हैं।
उदाहरण: किसी क्षेत्र/कार्य के संबंध में ज्ञान अर्जित किया जा सकता है, कौशल का विकास किया जा सकता है जिससे आपके रुझान को विकसित करने में सहायता मिलेगी।
गैर: मानव संसाधन: गैर: मानव संसाधन के अंतर्गत धन व अन्य भौतिक संसाधन आते हैं, जिनकी हम सभी को विभिन्न कार्यकलाप करने के लिए निरंतर आवश्यकता होती है। इन संसाधनों का वितरण असमान होता है अर्थात् कुछ लोगों के पास ये संसाधन अन्य लोगों की तुलना में कम होते हैं।
उदाहरण: धन, स्थान, फर्नीचर, कपड़े, स्टेशनरी, खाद्य वस्तुएँ इत्यादि।
2. व्यक्तिगत और साझे संसाधन:
व्यक्तिगत संसाधन: ये वे संसाधन हैं जो व्यक्ति के पास केवल निजी उपयोग के लिए उपलब्ध होते हैं। ये मानव या गैर: मानव संसाधन हो सकते हैं।
उदाहरण: आपका अपना कौशल, ज्ञान, समय, स्कूल बैग, आपके कपड़े आदि।
साझे संसाधन: ये वे संसाधन हैं जो समुदाय/सोसाइटी के अनेक सदस्यों के लिए उपलब्ध होते हैं। साझे संसाधन प्राकृतिक अथवा समुदाय आधारित हो सकते हैं।
उदाहरण: सूर्य, पृथ्वी, नदी, सरोवर, स्कूल, हॉस्पीटल, रेलवे स्टेशन, सार्वजनिक परिवहन इत्यादि।
3. प्राकृतिक और सामुदायिक संसाधन:
प्राकृतिक संसाधन: प्रकृति में उपलब्ध संसाधन प्राकृतिक होते हैं। ये हम सभी के लिए उपलब्ध होते हैं। हम सभी का दायित्व है कि इन संसाधनों का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से करें।
उदाहरण: जल, पहाड़, वायु इत्यादि।
सामुदायिक संसाधन: ये संसाधन किसी व्यक्ति को समुदाय/सोसाइटी के सदस्य के रूप में उपलब्ध होते हैं। ये सामान्यतः सरकार द्वारा प्रदान किए जाते हैं। ये मानव अथवा गैर: मानव संसाधन दोनों प्रकार के हो सकते हैं।
उदाहरण: सरकारी अस्पतालों द्वारा दी जाने वाली परामर्श सेवाएँ, डॉक्टर, सड़कें, पार्क और डाकघर इत्यादि। प्रत्येक व्यक्ति को इन संसाधनों का इष्टतम उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए और इनके रख: रखाव के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।
Class 11 Home Science Chapter 4 Notes प्रश्न 3.
संसाधनों का प्रबंधन क्यों किया जाना चाहिए?
उत्तर:
संसाधनों के प्रबंधन का अर्थ है - उपलब्ध संसाधनों का उपयोग सर्वोत्तम ढंग से करना। इसका कारण यह है कि कोई संसाधन असीमित नहीं है। सभी संसाधन सीमित हैं। अपने उद्देश्यों को शीघ्र और दक्षता से पाने के लिए संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहिए। अत: संसाधनों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और उन्हें बर्बाद भी नहीं करना चाहिए। इसलिए लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन किया जाना चाहिए।
Home Science Class 11 Chapter 4 Notes In Hindi प्रश्न 4.
प्रबंधन प्रक्रिया के चरणों की जानकारी दीजिए और प्रत्येक चरण को स्पष्ट करते हुए एक: एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्रबंधन प्रक्रिया के पाँच चरण हैं: नियोजन, आयोजन, कार्यान्वयन, नियंत्रण और मूल्यांकन। सभी चरणों के उदाहरण सहित विवरण अग्रवत् हैं
1.नियोजन:
यह किसी भी प्रबंधन प्रक्रिया का प्रथम चरण है। इसके अंतर्गत हमें लक्ष्यों की प्राप्ति तक पहुंचने के मार्ग की कल्पना करने में सहायता मिलती है। अर्थात् उपलब्ध संसाधनों के उपयोग द्वारा निश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु कार्रवाई करने के लिए योजना बनाना।
नियोजन के चरण-नियोजन के बुनियादी चरण हैं-
उदाहरण: आपकी वार्षिक परीक्षा के लिए केवल एक माह बाकी है और आपने पाठयक्रम दोहराया नहीं है. जबकि आपका उद्देश्य है अच्छे अंक प्राप्त करना। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आपको निश्चित समय अवधि में पाँच विषयों का अध्ययन करना है। आप इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु कार्य-योजना बनाएंगे, जिसमें प्रत्येक विषय का अध्ययन करने के लिए आपके द्वारा लगाए जाने वाले घंटों की संख्या, विषयों की प्राथमिकता निर्धारित करना, अन्य कार्यकलाप कम करना इत्यादि शामिल होगा।
2. आयोजन:
यह प्रबंधन प्रक्रिया का द्वितीय चरण है। इसके अंतर्गत योजनाओं का प्रभावी और सक्षम ढंग से कार्यान्वयन करने हेतु समुचित संसाधनों को एकत्र और व्यवस्थित किया जाता है।
उदाहरण-आप उन सभी संसाधनों का संघटन और व्यवस्था करेंगे जिनकी आपको अध्ययन करने और अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए आवश्यकता है। इसमें शामिल कुछ संसाधन हैं-पुस्तक, नोट्स, अध्ययन हेतु स्थान, प्रकाश, स्टेशनरी, ऊर्जा व समय।
3. कार्यान्वयन:
यह प्रबंधन प्रक्रिया का तृतीय चरण है। इस चरण में तैयार योजना को कार्यान्वित किया जाता है।
उदाहरण-आप उपलब्ध संसाधनों (जैसे-पुस्तक, स्टेशनरी व नोट्स आदि) से अध्ययन आरंभ करके योजना को कार्यान्वित करेंगे।
4. नियंत्रण:
यह प्रबंधन प्रक्रिया का चतुर्थ चरण है। इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि जिस योजना को आपने कार्यान्वित किया है, उससे वांछित परिणाम मिल रहे हैं या नहीं।
नियंत्रण से कार्यकलापों के परिणामों की निगरानी करने में सहायता मिलती है और यह सुनिश्चित होता है कि योजनाएँ सही ढंग से कार्यान्वित की जा रही हैं। नियंत्रण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फीडबैक प्रदान करता है और त्रुटियाँ होने से रोकता है। फीडबैक से आपको अपनी कार्य-योजना में संशोधन करने में सहायता मिलती है ताकि आप लक्ष्य की प्राप्ति कर सकें।
उदाहरण-जब आप अपनी अध्ययन योजना को कार्यान्वित कर रहे हों और फिर भी नियत अध्याय को टीवी देखने के कारण पूरा नहीं कर पाते तो इससे आपको यह फीडबैक मिलता है कि आपको अपनी अरुचि को कम करना चाहिए। आप अध्ययन के समय टीवी नहीं देखेंगे, मित्रों के साथ नहीं खेलेंगे अथवा बात नहीं करेंगे क्योंकि यह आपकी सुनिश्चित योजना (अर्थात् योजना में निर्धारित घंटों के अनुसार अध्ययन) के परिणाम को प्रभावित कर सकता है।
5. मूल्यांकन:
यह प्रबंधन प्रक्रिया का पंचम एवं अंतिम चरण है। इस चरण में, योजना को कार्यान्वित करने के पश्चात् प्राप्त परिणामों का मूल्यांकन किया जाता है। कार्य के अंतिम परिणाम की वांछित परिणाम से तुलना की जाती है। साथ ही कार्य की सभी सीमाओं और विशेषताओं को नोट किया जाता है ताकि लक्ष्य की प्रभावी ढंग से प्राप्ति हेतु भविष्य में उनका उपयोग किया जा सके।
उदाहरण-अध्ययन का मूल्यांकन वह है जो आप परीक्षा की जाँच की गई उत्तर-पुस्तिकाओं के मिलने के पश्चात् करते हैं। आप अपनी अंकित उत्तर-पुस्तिकाओं का मूल्यांकन परीक्षा हेतु की गई अपनी तैयारी तथा आपके द्वारा अपेक्षित परिणामों के अनुसार करते हैं। यदि किसी विषय में आपके अंक आपकी अपेक्षा से कम आते हैं तो आप उसका कारण जानने की कोशिश करते हैं। साथ ही, आप अपनी उन क्षमताओं को जानने का भी प्रयास करते हैं जिनसे आपको अन्य विषयों में अच्छे अंक प्राप्त करने में सहायता मिली। तत्पश्चात् आप इन क्षमताओं का उपयोग अपनी कमियों को दूर करने के लिए करते हैं ताकि आपको परीक्षा में अगली बार अच्छे अंक मिलें।
प्रायोगिक कार्य-4 (पेज सं. 56)
संसाधनों का प्रबंधन-समय, धन, ऊर्जा और स्थान।
प्रश्न (क).
प्रातः 6.00 बजे से अपने दिनभर के क्रियाकलाप को लिखें।
उत्तर (क):
प्रातः 6 बजे से अपने दिनभर के क्रियाकला
घंटे |
क्रियाकलाप |
6.00 |
प्रातः सोकर उठना और पिछली रात्रि में पढ़े गए पाठ को 10-20 मिनट दोहराना |
6.30 |
शौच, स्नान व पूजा-पाठ करना |
7.00 |
व्यायाम करना व नाश्ता करना |
7.30 |
तैयार होकर स्कूल जाना |
8.30 |
स्कूल की प्रार्थना सभा के पश्चात् पाठ्यचर्या में लगना 11.30-12.00/ |
11.30-12.00 |
स्कूल में लंच ब्रेक, दोस्तों से बातचीत करना, खेलना-कूदना |
1.30 |
स्कूल की सभी कक्षाएं समाप्त एवं घर की ओर प्रस्थान |
2.30 |
घर पहुंचकर, हाथ-मुंह धोकर पुनः तरोताजा होना |
3.00-3.30 |
अल्पाहार लेना, साथ ही टीवी देखना या गेम खेलना |
3.30 |
स्कूल का होमवर्क जाँचना एवं अध्ययन की रूपरेखा बनाना |
3.45-5.00 |
बाहर मित्रों के साथ खेलने जाना |
5.00-9.00 |
होमवर्क एवं अध्ययन करना |
9.00-9.30 |
परिवार के साथ बैठकर रात्रि भोजन करना |
9.30-10.00 |
पास के पार्क में टहलने जाना, परिवारजनों के साथ |
10.30 |
अगले दिन की दिनचर्या तय करके, 11 बजे तक सो जाना। |
प्रश्न (ख).
वार्षिक परीक्षा हेतु केवल एक सप्ताह शेष है। प्रत्येक दिन के लिए अध्ययन के घंटों की संख्या दर्शाते हुए समय योजना तैयार करें। सोमवार हेतु एक उदाहरण दिया गया है।
उत्तर (ख):
वार्षिक परीक्षा हेतु केवल एक सप्ताह शेष है। प्रत्येक दिन के लिए अध्ययन के घंटों की संख्या दर्शाते हुए समय योजना (नोट-इसे छात्र/छात्राएँ स्वयं करें)