RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 भोजन, पोषण, स्वास्थ्य और स्वस्थता

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 भोजन, पोषण, स्वास्थ्य और स्वस्थता Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Home Science Solutions Chapter 3 भोजन, पोषण, स्वास्थ्य और स्वस्थता

RBSE Class 11 Home Science भोजन, पोषण, स्वास्थ्य और स्वस्थता Textbook Questions and Answers

समीक्षात्मक प्रश्न

Class 11 Home Science Chapter 3 Question Answer In Hindi प्रश्न 1. 
आर.डी.ए. और आवश्यकता के बीच अंतर बताएँ।
उत्तर:
आर.डी.ए.: और आवश्यकता दोनों ही प्रत्यक्षतः संतुलित आहार से संबंधित हैं, जिनके मध्य अंतर को निम्न प्रकार समझा जा सकता है

आवश्यकता: इसका अर्थ संतुलित आहार की आवश्यकता है अर्थात् ऐसे संतुलित आहार की आवश्यकता जिसमें विभिन्न प्रकार के वे सभी खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं, जिनमें सभी अनिवार्य पोषक तत्व, जैसे-प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, खनिज, जल तथा रेशे समुचित मात्रा और सही अनुपात में विद्यमान होते हैं।

आर.डी.ए.: यह आवश्यकता की तुलना में थोड़ा व्यापक है क्योंकि इसमें संतुलित आहार की आवश्यकता के साथ-साथ अतिरिक्त सुरक्षा मात्रा भी शामिल होती है। यदि संतुलित आहार व्यक्ति की संस्तुत आहारीय मात्रा (आर.डी.ए.) की पूर्ति करता है तो अतिरिक्त मात्रा इसमें पहले से ही शामिल की जाती है क्योंकि आर.डी.ए. अतिरिक्त मात्रा को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। आर.डी.ए. और आवश्यकता के बीच के अंतर को निम्न सूत्र द्वारा अधिक स्पष्ट किया जा सकता है. निर्धारित आहार संबंधी मात्रा (आर.डी.ए.) - आवश्यकता + अतिरिक्त सुरक्षा मात्रा।

Class 11 Home Science Chapter 3 Question Answer प्रश्न 2. 
खाद्य वर्गों के प्रयोग से संतुलित भोजन की योजना बनाना किस प्रकार सरल हो जाता है, स्पष्ट रूप से समझाइए।
उत्तर:
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (आई.सी.एम.आर.) द्वारा पाँच मूलभूत खाद्य वर्गों का सुझाव दिया गया है, जो कि इस प्रकार हैं

  1. अनाज, खाद्यान्न और उनके उत्पाद
  2. दालें और फलियाँ
  3. दूध और मांस के उत्पाद
  4. फल और सब्जियाँ
  5. वसा और शर्करा

इन वर्गों के प्रयोग से संतुलित भोजन की योजना बनाना काफी सरल हो जाता है। क्योंकि विद्यमान पोषक तत्वों के आधार पर हुए वर्गीकरण से यह सुनिश्चित हो जाता है कि शरीर के सभी पोषक तत्व प्राप्त हो रहे हैं और साथ ही प्रत्येक वर्ग में खाद्य पदार्थों की विविधता भी है।

आई.सी.एम.आर. द्वारा सुझाव पाँच खाद्य वर्ग प्रणाली का उपयोग संतुलित आहार की योजना और मूल्यांकन दोनों के लिए किया जाता है। यह दैनिक भोजन संबंधी दिशा-निर्देश है जिसका उपयोग पोषण शिक्षण हेतु भी किया जा सकता है। दिशा-निर्देशों को खाद्य वर्गों के आधार पर अपनाया जा सकता है। संतुलित आहार की योजना बनाते समय प्रत्येक खाद्य वर्ग में से खाद्य पदार्थ पर्याप्त मात्रा में चुने जाने चाहिए। अनाज और दालों को पर्याप्त मात्रा में लेना चाहिए। फल और सब्जियाँ भरपूर मात्रा में, मांस आदि आहार सीमित मात्रा में तथा तेल और शर्करा अल्प मात्रा में लेनी चाहिए।

इस प्रकार दैनिक आहार मार्गदर्शक योजना और खाद्य वर्गों के प्रयोग की कार्यनीति द्वारा सभी लोगों को जटिल कार्बोज, रेशा, विटामिन और खनिज तथा बहुत कम मात्रा में वसा प्राप्त होगी। इसके द्वारा आहार योजना सरलता से तैयार की जा सकती है।

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Home Science Class 11 Chapter 3 Notes In Hindi प्रश्न 3. 
ऐसे 10 खाद्य पदार्थ बताएँ जो संरक्षी खाद्य वर्ग से संबंधित हैं। अपने चयन के लिए कारण भी बताएँ।
उत्तर:
संरक्षी खाद्य पदार्थ-ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें आवश्यक मात्रा में विटामिन, खनिज तथा उच्च गुणवत्तायुक्त प्रोटीन विद्यमान होते हैं। इस तरह के खाद्य पदार्थ खान-पान की कमी के कारण उत्पन्न होने वाले रोगों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

संरक्षी खाद्य वर्ग से संबंधित 10 खाद्य पदार्थ निम्नलिखित हैं

  1. हरी पत्तेदार सब्जियाँ, 
  2. पीली सब्जियाँ, 
  3. खट्टे फल, 
  4. मांस, 
  5. दूध, 
  6. अण्डे, 
  7. टमाटर, 
  8. गाजर, 
  9. पनीर, 
  10. मछली (सैलमन)

चयन का कारण: उपर्युक्त 10 संरक्षी खाद्य पदार्थों को चुनने का मुख्य कारण है कि इन्हें निरंतर तौर पर संतुलित आहार में शामिल किया जाता है। इनमें सभी मुख्य वर्गों के खाद्य पदार्थ शामिल हैं। ये सभी खाद्य पदार्थ कुछ-न-कुछ संरक्षी मूल्य तथा स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करते हैं। परन्तु इनमें से वे खाद्य पदार्थ जो कि विटामिन, खनिज, आवश्यक पोषक तत्व तथा रोग प्रतिरक्षक यौगिक (जैसे-एंटीऑक्सीडेंट) इत्यादि से परिपूर्ण होते हैं, अत्यधिक लाभ पहुंचाते हैं।

Class 11 Home Science Chapter 3 प्रश्न 4. 
उन कारकों की चर्चा करें जो किशोरावस्था में खान-पान संबंधी आचरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:
किशोरावस्था में पहुँचने पर व्यक्ति की खान-पान संबंधी आदतों को कई चीजें प्रभावित करती हैं, जैसा कि दिए गए चित्र में दर्शाया गया है।

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चित्र: किशोरों के खान-पान संबंधी आचरण को प्रभावित करने वाले कारक 

किशोरों की बढ़ती हुई स्वतंत्रता, सामाजिक जीवन में बढ़ती भागीदारी और सामान्य तौर पर व्यस्त कार्यक्रम का उनके खान-पान पर निश्चित प्रभाव पड़ता है। अब वे अपने लिए खाना खरीदने और स्वयं बनाने के लिए सक्षम होने लगते हैं। वे अक्सर जल्दी-जल्दी खाना खाते हैं और अधिकांश घर से बाहर खाते हैं।

मूलतः खान-पान संबंधी आदतों का आधार परिवार ही होता है, लेकिन इन पर बाहरी माहौल का भी कुछ प्रभाव पड़ता है। किशोरावस्था में हमजोलियों की संगति का विशेष प्रभाव रहता है। वहीं विज्ञापनों में दिए गए संदेशों के प्रति किशोर अत्यधिक संवेदनशील होता है। टीवी में खाद्य पदार्थों के विज्ञापनों और कार्यक्रमों में दर्शाई गई खानपान की आदतों ने दशक से अधिक समय से लोगों को निरंतर प्रभावित किया है। अधिकांश विज्ञापन अत्यधिक शूर्करा और वसा वाले उत्पादों के लिए ही होते हैं। अतः किशोरों पर इन खाद्य-पदार्थों के उपयोग का प्रभाव पड़ता है।

इसी क्रम में, तैयार भोजन (रेडी टू ईट) की सरल उपलब्धता भी किशोरों की खान-पान संबंधी आदतों को प्रभावित करती है। होम डिलीवरी द्वारा/वेंडिंग मशीनों से, सिनेमा हॉल में, मेलों में, खेल कार्यक्रमों में, फास्ट फूड बिक्री केन्द्रों पर और सुविधाजनक किराने की दुकानों पर दिनभर खाना उपलब्ध रहता है। इसलिए किशोर कई बार खाते हैं और ऐसे खाद्य पदार्थ खाते हैं जो कि स्वास्थ्यकर नहीं होते हैं।

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Home Science Chapter 3 Class 11 प्रश्न 5. 
खान-पान संबंधी ऐसी दो विकृतियों का विस्तार से वर्णन करें जो किशोरावस्था में हो सकती हैं। इनकी रोकथाम के सर्वोत्तम उपाय क्या हैं?
उत्तर:
किशोरावस्था में शारीरिक विकास तीव्रता से होता है और शरीर की छवि के निर्माण का भी विकास होता है। इस समय खान-पान संबंधी विकृतियों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। खान-पान से संबंधित विकृतियाँ, जो किशोरावस्था में हो सकती हैं, निम्नलिखित हैं

1. एनोरेक्तिया नर्वोसा:
यह ऐसी विकृति है, जो शारीरिक छवि को बिगाड़ने से जुड़ी है और सामान्यतया किशोरावस्था में ही दिखाई देती है। इस उम्र में व्यक्ति अपनी पहचान के संकट से जूझ रहा होता है और शारीरिक छवि संबंधी समस्याओं के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील होता है। खान-पान संबंधी अनियंत्रित,आदतें किशोरों को सामान्य वयस्क के शरीर की छवि ग्रहण करने में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।

एनोरेक्जिया नर्वोसा को 'सोनम' नाम की बालिका के उदाहरण से स्पष्टतया समझा जा सकता है। सोनम ने एक आदर्श शरीर की चाह में अपने माता-पिता और अध्यापकों की सलाह को ध्यान नहीं दिया और खाना लगभग बंद कर दिया। इस प्रकार, उस पर दुबले शरीर की सनक सवार हो गई। यद्यपि उसका वजन सामान्य है तथापि वह हर समय इस दबाव में है कि उसे फिल्मों में दिखाई पड़ने वाली कुछ हीरोइनों अथवा पत्रिकाओं में दिखाई देने वाली मॉडलों जितना पतला होना है। उसमें आत्मविश्वास की कमी है और वह उदास रहती है। इससे वह अपने परिवार और मित्रों से दूर होती जा रही है। वह यह नहीं समझती है कि वह कुपोषण का शिकार हो रही है। वह इस बात पर जोर देती है कि वह मोटी है। वह स्पष्टतः ऐनोरेक्सिया नर्वोसा नामक खान-पान संबंधी विकार से ग्रस्त है। वह इस बात से अनभिज्ञ है कि अत्यधिक वजन कम होने से मृत्यु भी हो सकती है।

2. बुलीमिया:
यह एक अन्य प्रकार की खान-पान संबंधी विकृति है। बुलीमिया अक्सर किशोरावस्था के अंतिम भाग में अथवा वयस्कावस्था के आरंभ में वजन कम करने के असफल प्रयासों हेतु लिए गए विभिन्न प्रकार के आहारों से शुरू होता है। इससे ग्रस्त रोगी बार-बार खाने लगता है, वह अत्यधिक खाता रहता है। साथ ही उलटी अथवा विरेचकों के उपयोग द्वारा पेट साफ करता है। यद्यपि यह महिलाओं में अधिक होता है, लेकिन पाँच से दस प्रतिशत खान-पान संबंधी विकृतियाँ पुरुषों में भी होती हैं।
एनोरेक्ज़िया नर्वोसा तथा बुलीमिया के दुष्परिणाम: खान-पान संबंधी उपर्युक्त विकृतियों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जैसे-ऐंठन होना, गुर्दा खराब होना, हृदय गति असामान्य होना और दाँतों का क्षरण होना। किशोरवय की लड़कियों में ऐनोरेक्तिमा से मासिक धर्म देर से आरंभ हो सकता है, कद स्थायी रूप से कम हो सकता है और इससे ओस्टियोपोरोसिस (हड्डियाँ कमजोर होना) भी हो सकता है।

किशोरों में होने वाली उपर्युक्त विकृतियों की रोकथाम:
(1) अपनी विशिष्टता सराहने की कला सीखनाइन विकृतियों से बचने के लिए व्यक्ति के पास सर्वोत्तम उपाय है अपनी विशिष्टता को सराहने की कला सीखना । साथ ही स्वयं का आदर करना और स्वयं को महत्व देना निश्चित तौर पर जीवनरक्षक सिद्ध होगा। 

(2) आहार सम्बन्धी उपाय-इन विकृतियों की रोकथाम हेतु आहार सम्बन्धी उपायों में संतुलित आहार सुनिश्चित करना, आहार में रेशे अधिक मात्रा में लेना और क्षतिपूर्ति हेतु पोषक तत्वों एवं खाद्य संपूरकों का उपयोग शामिल हैं। स्वास्थ्य के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए स्वस्थ आहार सिद्धान्तों को कैसे अपनाया जाए, यह सीखने से स्वस्थ वर्तमान और भावी जीवन की नींव रखने में सहायता मिल सकती है।

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क्रियाकलाप-1 (पृष्ठ 32)

Home Science Class 11 Chapter 3 Question Answer प्रश्न 1. 
10 ऐसे खाद्य पदार्थों की सूची बनाएँ जो आप आमतौर पर खाते हैं। यह जानने का प्रयत्न करें कि प्रत्येक खाद्य पदार्थ किस खाद्य समूह से संबंधित है। तत्पश्चात् सूचीबद्ध खाद्य पदार्थों में वृहत् पोषक तत्वों और सूक्ष्म पोषक तत्वों की सूची बनाएँ। उन खाद्य पदार्थों की भी सूची बनाएँ जो सर्वाधिक ऊर्जा के स्रोत हैं।
उत्तर:
(अ) 10 ऐसे खाद्य पदार्थ जो आमतौर पर खाए जाते हैं, उनके खाद्य वर्ग तथा वृहत और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के अग्रांकित सारणी 1 में दर्शाया गया है

सारणी (सूची)-1
आमतौर पर खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ 

खाद्य पदार्थ

खाद्य समूह (वर्ग)

बृहत् पोषक तत्व

सूक्ष्म पोषक तत्व

1. गेहूँ

अनाज, खाद्यान्न और उनके  उत्पाद

ऊर्जा, प्रोटीन, वसा व रेशा

लौह, जिंक, ताँबा, मैंगनीज

2. मटर

दालें और फलियाँ

ऊर्जा, प्रोटीन, वसा व रेशा

विटामिन, फोलिक अम्ल, कैल्शियम व लौह तत्व

3. दूध

दूध, मांस और उनके उत्पाद

प्रोटीन व वसा

विटामिन व कैल्सियम

4. मछली

दूध, मांस और उनके उत्पाद

प्रोटीन व वसा

विटामिन

5. आम

फल और सब्जियाँ

कैरोटीनायड्स व रेशा

विटामिन

6. टमाटर

फल और सब्जियाँ

कैरोटीनायड्स व रेशा

विटामिन

7. पालक

सब्जियाँ (हरी पत्तेदार)

वसा, कैरोटीनायड्स व रेशा

विटामिन, फोलिक अम्ल

8. गाजर

अन्य सब्जियाँ

कैरोटीनायड्स व रेशा

फोलिक एसिड व कैल्सियम

9. घी (देसी)

वसा और शर्करा

ऊर्जा व वसा

-

(ब) सर्वाधिक ऊर्जा के स्रोत खाद्य पदार्थों को निम्नांकित सारणी-2 में दर्शाया गया है

खाद्य पदार्थ

खाद्य वर्ग

ऊर्जा (कि.कै.)

प्रोटीन की मात्रा (ग्राम में)

1. चावल की भूसी (राइस ब्रान)

अनाज, खाद्यान्न और उनके उत्पाद

393

13.5

2. बाजरा

अनाज, खाद्यान्न और उनके उत्पाद

349 

12.5

3. सोया का बीज/सोयाबीन

दालें और फलियाँ

432

43.2

4. मसूर/मसूरी दाल

दालें और फलियाँ

343

25.1

5. गाय का दूध

दूध, मांस और उनके उत्पाद

265

18.3

6. चिंगड़ी मछली

दूध, मांस और उनके उत्पाद

287 

62.4

7. चरोता साग/कैसिया तोरा (सूखा)

सब्जियाँ (हरी पत्तेदार)

292

20.7

8. फूलगोभी

सब्जियाँ (हरी पत्तेदार)

104

5.9

9. मूंगफली (भुना)

वसा और शर्करा

570

26.2

10. गुड़

वसा और शर्करा

380-390

0.4

11. टमाटर

फल और सब्जियाँ

81

0.9

12. अमरूद

फल और सब्जियाँ

68

2.55

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प्रायोगिक कार्य-3 (पृष्ठ 45-46) 

खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य और स्वास्थ्य का रख-रखाव

Class 11 Home Science Chapter 3 Question Answer In English प्रश्न 1. 
अच्छे स्वास्थ्य के 10 लक्षण बताइए। निम्नलिखित फॉर्मेट का प्रयोग करते हुए अपना मूल्यांकन कीजिए। 
उत्तर:

अच्छे स्वास्थ्य के लक्षण

आपकी श्रेणी (रेटिंग)

 

संतोषजनक

 सामान्य

सामान्य से कम

1. स्वस्थ होने पर सुबह-शाम पर्याप्त भूख लगती है

 

 

2. गहरी नींद आना

 

 

3. प्रातः भरपूर ताजगी व स्फूर्ति का अनुभव करना

 

 

4. स्वस्थ होने पर गर्मी व ठंडी सहने की पर्याप्त क्षमता होती है

 

 

5. प्रतिदिन खुलकर शौच होना

 

 

6. शारीरिक श्रम के बाद अत्यधिक थकान न होना

 

 

7. संतुलित शारीरिक गतिविधियों का संचालन होना

 

 

8. नाड़ी स्पंदन, रक्तदाब व शरीर का भार मानकों के अनुरूप हों

 

 

9. आँख, नाक, कान, जिल आदि सभी स्वस्थ हों

 

 

10. चेहरे पर कांति, ओज, तेज हो

 

 

Chapter 3 Home Science Class 11 प्रश्न 2. 
अपने एक दिन के आहार को रिकॉर्ड करें। पाँच खाद्य वर्गों के समावेशन के संदर्भ में प्रत्येक भोजन का मूल्यांकन करें। क्या आपको लगता है कि आपका आहार संतुलित है? अपना उत्तर लिखने के लिए निम्नलिखित फॉर्मेट का प्रयोग करें
उत्तर:

भोजन/मेन्यू  (आहार-सूची)

पाँच खाद्य वर्गों का समावेशन

भोजन संतुलित है/भोजन संतुलित नहीं, इस पर टिप्पणी

सुबह का नाश्ता

एक गिलास दूध, ब्रेड-आमलेट या उबला अण्डा, अगर शाकाहारी हैं तो 1-2 रोटी तथा 1 कटोरी हरी सब्जी, दलिया व अंकुरित सलाद भी ले सकते हैं।

भोजन पूर्णत: संतुलित है।

दोपहर के भोजन से पूर्व अल्पाहार

एक या दो फल अथवा कुछ ड्राई फ्रूट्स भी खा सकते हैं

पूर्णतः संतुलित

दिन का भोजन

एक-दो रोटियाँ, दाल-चावल और चिकन/मछली करी और अगर शाकाहारी हैं तो बीन्स की सब्जी, रोटी, दाल व चावल खा सकते हैं। सलाद जरूर लें।

भोजन पूर्णतः संतुलित है।

शाम का नाश्ता

सब्जियों का सूप/मिक्स फलों का सलाद या  कुछ ड्राई फ्रूट्स ले सकते हैं।

पूर्णतः संतुलित

रात्रि का भोजन

1-2 रोटियाँ और मछली या चिकन करी भोजन पूर्णतः संतुलित है। खायें अथवा चिकन सूप पिएँ। शाकाहारी लोग 1 कटोरी दाल व 1 कटोरी रेशेदार सब्जियाँ व 1-2 रोटी लें, पनीर की सब्जी भी खा सकते हैं।

पाचन हेतु अति आवश्यक है।

सोने से पूर्व

एक गिलास गुनगुना दूध लें, चाहें तो स्वाद हेतु कोई फ्लेवर मिश्रित कर सकते हैं।

भोजन संतुलित है/भोजन संतुलित नहीं, इस पर टिप्पणी

RBSE Solutions for Class 11 Home Science Chapter 3 भोजन, पोषण, स्वास्थ्य और स्वस्थता

Home Science Class 11 Chapter 3 प्रश्न 3. 
निम्नलिखित जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने परिवार के सदस्यों, जैसे-दादी, माँ अथवा चाची/ ताई/बुआ/मौसी का साक्षात्कार करें:
क. खान-पान संबंधी वर्जनाएँ और इनको अपनाए जाने के कारण।
ख. भारत के जिस क्षेत्र से आप संबंध रखते हैं, वहाँ उपवास और त्यौहारों के दौरान अपनाई जाने वाली खान-पान संबंधी प्रथाएँ।
ग. उपवास के दौरान बनाए जाने वाले व्यंजन।
प्राप्त जानकारी को निम्नलिखित रूप से सारणीबद्ध करें:
उत्तर:
हमारे क्षेत्र जयपुर में उपवास और त्यौहारों के दौरान अपनाई जाने वाली खान-पान सम्बन्धी प्रथाओं, उपवास के दौरान बनाए जाने वाले व्यंजनों से संबंधित जानकारी को निम्न प्रकार सारणीबद्ध किया गया है

क्षेत्र

अवसर (उपवास का स्वरूप)

व्यंजन

जयपुर, राजस्थान

मकर संक्रांति (गंगा स्नान करना, दान करना राजस्थान व पकवान बनाना)

खिचड़ी (दाल-चावल), तिल/गुड़/चूरमा/गोंद/ मेवा/बेस/ आटा/अलसी/ओट/खजूर/खोया के लड्डू व बाजरे की मीठी पूड़ी इत्यादि।

जयपुर, राजस्थान

गणगौर (व्रत, कलश यात्रा, जुलूस यात्रा, नृत्य-गायन, नौका विहार तथा आतिशबाजी इत्यादि)

गुणे, मठरी, बेसन व मैदा के व्यंजन इत्यादि।

जयपुर, राजस्थान

तीज त्यौहार (वर्ष में दो बार मनाया जाता है, बालिकाएँ व महिलाएँ साज शृंगार करती हैं, विवाहिता बालिकाओं के ससुराल में वस्त्र व शृंगार की सामग्री भेंट दी जाती है, झूला झूलने व गणगौर प्रतिमा की सवारी निकालने की परंपरा है, लोकगीत गाए जाते हैं।)

घेवर, मीठे चीले, मालपुआ, आलू-पूरी, खीर व शाही पनीर इत्यादि

जयपुर, राजस्थान

अक्षय तृतीया (बाजरा, गेहूँ, चना, तिल व जौ आदि सात अन्नों की पूजा की जाती है, घर के द्वार पर अनाज के बालों के चित्र बनाने की भी प्रथा है।)

चकली, मालपुआ, लौकी की खीर, गुजिया व मूंग की दाल के दही-बड़े इत्यादि।

जयपुर, राजस्थान

गणेश चतुर्थी (यह मुख्यत: बच्चों का त्यौहार  है, शिष्य व गुरु एक-दूसरे को तिलक लगाते हैं, मनोविनोद के गीत गाए जाते हैं, गणेश मंदिर पर मेला लगता है।)

मूंग के लड्डू, दाल-बाटी-चूरमा व मोदक।

जयपुर, राजस्थान

गोवर्धन पूजा व अन्नकूट (पूजा हेतु अन्नकूट भोज तैयार किया जाता है, बछड़े का पूजन किया जाता है, बैलों के सींगों को रँगा जाता है, लोकगीत गाया जाता है।)

बाजरा, मूंग, चावल, चवला, कड़ी, मिक्स सब्जी, पुए, पूड़ी, पकोड़ी इत्यादि 801 प्रकार के व्यंजन।

नोट: खान-पान सम्बन्धी वर्जनाओं तथा इनको अपनाए जाने के कारणों को विद्यार्थी स्वयं अपने घर की बुजुर्ग महिला सदस्यों से पूछकर ज्ञात करें।

सारणीबद्ध जानकारी के आधार पर दो निष्कर्ष बताएँ।

निष्कर्ष: उपर्युक्त सारणीबद्ध जानकारियों के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि विभिन्न त्यौहारों में शारीरिक गतिविधियों तथा स्वास्थ्यवर्धक व्यंजनों का समावेशन होता है। जिसे निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है

1. तीज-त्यौहारों के दौरान विभिन्न प्रकार के गायन-नृत्य व व्रत एवं पदयात्राओं द्वारा शारीरिक व्यायाम को बढ़ावा मिलता है।
2. लगभग सभी मेलों एवं त्यौहारों के दौरान तरह-तरह के व्यंजनों एवं खान-पान की व्यवस्था की जाती है। इस प्रकार व्यंजनों में विभिन्न पोषक तत्वों की प्रचुरता पाई जाती है।

Raju
Last Updated on Nov. 6, 2023, 10:06 a.m.
Published Nov. 5, 2023