These comprehensive RBSE Class 9 Maths Notes Chapter 7 त्रिभुज will give a brief overview of all the concepts.
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→ आकृतियों की सर्वांगसमता-यदि किसी समतल में स्थित दो आकृतियाँ इस प्रकार की हैं कि एक आकृति पर इसकी आकृति को रखने पर दोनों एक-दूसरे को पूर्णतया आच्छादित (ढक) लें, तो दोनों आकृतियाँ सर्वांगसम होती हैं । आकृतियों के सर्वांगसम होने के इस सम्बन्ध को सर्वांगसमता कहते हैं।
→ त्रिभुजों की सर्वांगसमता-जब एक त्रिभुज दूसरे त्रिभुज को पूर्णतया ढक ले, तो वे त्रिभुज परस्पर सर्वांगसम कहलाते हैं तथा उनका यह गुण सर्वांगसमता कहलाता है। सर्वांगसमता के लिए = प्रतीक का उपयोग करते हैं। जैसे ∆ABC ≅ ∆PQR पढ़ते समय इसे पढ़ेंगे, "∆ABC सर्वांगसम है ∆PQR के"।
→ गुणधर्म-भुजा कोण भुजा गुणधर्म (SAS Rule): यदि दो त्रिभुजों में से एक त्रिभुज की दो भुजायें दूसरे त्रिभुज की दो भुजाओं के अलग-अलग बराबर हों और इन भुजाओं के बीच के कोण भी आपस में बराबर हों तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होंगे। सर्वांगसमता की इस प्रमेय को 'भुजा-कोण-भुजा' (S.A.S.) के नाम से जाना जाता है।
→ यदि दो त्रिभुजों में से एक त्रिभुज के दो कोण दूसरे त्रिभुज के दोनों कोणों के अलग-अलग बराबर हों और पहले त्रिभुज की कोई एक भुजा दूसरे त्रिभुज की संगत भुजा के बराबर हो, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं। सर्वांगसमता की इस प्रमेय को 'कोण-भुजा-कोण' प्रमेय यानी A.S.A. प्रमेय के नाम से जानते हैं।
→ यदि दो त्रिभुजों में एक त्रिभुज की तीनों भुजाएँ दूसरे त्रिभुज की तीनों भुजाओं से अलग-अलग बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज सर्वांगसम कहलाते हैं। इस प्रमेय को 'भुजा-भुजा-भुजा प्रमेय अर्थात् S.S.S. प्रमेय' के नाम से जाना जाता है।
→ यदि किसी त्रिभुज की दो भुजाएँ बराबर हों, तो उनके सामने के कोण भी बराबर होते हैं।
→ यदि किसी त्रिभुज के दो कोण बराबर हों, तो उनके सामने की भुजाएँ भी बराबर होती हैं।
→ यदि दो समकोण त्रिभुजों में कर्ण बराबर हों और एक त्रिभुज की एक भुजा दूसरे त्रिभुज की किसी भुजा के बराबर हो, तो त्रिभुज सर्वांगसम होते हैं । सर्वांगसमता की इस प्रमेय को 'कर्ण-भुजा' प्रमेय के नाम से जाना जाता है। इसे RHS सर्वांगसमता का नियम भी कहते हैं।
→ समान त्रिज्याओं वाले दो वृत्त सर्वांगसम होते हैं।
→ समान भुजाओं वाले दो वर्ग सर्वांगसम होते हैं।
→ यदि त्रिभुज ABC और PQR संगतता A ↔ P B ↔ Q और C ↔ R के अंतर्गत सर्वांगसम हों, तो उन्हें सांकेतिक रूप में ∆ABC ≅ ∆PQR लिखते हैं।
→ त्रिभुज की बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
→ त्रिभुज की बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
→ त्रिभुज के बराबर कोणों की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।
→ किसी समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण 60° का होता है।
→ असमिका-जब दो राशियाँ असमान होती हैं, उस समय दोनों राशियों की तुलना करने पर राशियों के मध्य जो सम्बन्ध बनता हैं वह असमिका सम्बन्ध कहलाता है।
→ त्रिभुजों में असमिका सम्बन्ध
→ किसी त्रिभुज में, लम्बी (बड़ी) भुजा का सम्मुख कोण बड़ा होता है।
→ किसी त्रिभुज में, बड़े कोण की सम्मुख भुजा लम्बी (बड़ी) होती है।