These comprehensive RBSE Class 9 Maths Notes Chapter 2 बहुपद will give a brief overview of all the concepts.
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→ अज्ञात राशियों के लिए गणितीय समस्याओं में x, y, z, a, b, c, ..... आदि अक्षरों या संकेतों का दूसरा नाम 'बीज' है। इन बीजों की सहायता से जब मूलभूत संक्रियाएँ की जाती हैं तो गणित की इस शाखा को बीजगणित कहते हैं।
→ जब कोई संख्याएँ और बीज आपस में चारों मूलभूत क्रियाओं-जोड़, बाकी, गुणा व भाग के चिह्नों से जुड़ी हों, तो उसे बीजीय व्यंजक कहा जाता है; जैसे-2x + 3y + 15, 3x + 9, x ÷ \(\frac{1}{x}\) + y, y3 + z आदि बीजीय व्यंजक हैं।
→ एक चर वाला बहुपद p(x) निम्न रूप का x में एक बीजीय व्यंजक होता है
p(x) = anxn + an-1xn-1 + ... + a2x2 + a1x + a0
जहाँ a0, a1, a2, ....., an, अचर हैं और an # 0 है।
a0, a1, a2,..., an, क्रमशः x0, x, x2, ...., xn के गुणांक हैं और n को बहुपद की घात कहा जाता है। प्रत्येक anxn, an-1xn-1, ..., a0, जहाँ an ≠ 0, को बहुपद p(x) का पद कहा जाता है।
→ एक पद वाले बहुपद को एकपदी कहा जाता है।
→ दो पदों वाले बहुपद को द्विपद कहा जाता है।
→ तीन पदों वाले बहुपद को त्रिपद कहा जाता है।
→ एक घात वाले बहुपद को रैखिक बहुपद कहा जाता है।
→ दो घात वाले बहुपद को द्विघाती बहुपद कहा जाता है।
→ तीन घात वाले बहुपद को त्रिघाती बहुपद कहा जाता है।
→ सर्वसमिका-वह समीकरण जो चर राशियों के सभी मानों के लिए सत्य हो, सर्वसमिका कहलाती है।
→ वास्तविक संख्या 'a', बहुपद p(x) का एक शून्यक होती है, यदि p(a) = 0 हो।
→ बहुपद के शून्यक : कुछ निष्कर्ष
→ एक चर में प्रत्येक रैखिक बहुपद का एक अद्वितीय शून्यक होता है। एक शून्येतर अचर बहुपद का कोई शून्यक नहीं है और प्रत्येक वास्तविक संख्या शून्य बहुपद का एक शून्यक होती है।
→ बहुपदों का मानक रूप-एक चर में बहुपद का मानक रूप वह रूप होता है जिसमें बहुपद के पदों को चर की घातों को घटते हुए क्रम में लिखा जाता है, जैसे. x6 - ax5 + x4 - ax3 + 3x - a + 2 अपने मानक रूप में है।
→ ज़ब हम दो या दो से अधिक बहुपदों को गुणनफल के रूप में लिखते हैं तो गुणनफल का प्रत्येक व्यंजक गुणनखण्ड कहलाता है। गुणनखण्ड प्राप्त करने की इस प्रक्रिया को गुणनखण्डन कहा जाता है।
→ द्विघात त्रिपद व्यंजक के गुणनखण्ड-वह व्यंजक जिसमें तीन पद हों तथा किसी पद में चर राशि की अधिकतम घात दो हो तो ऐसे व्यंजक को द्विघात त्रिपद व्यंजक कहते हैं द्विघात त्रिपद व्यंजक का व्यापक रूप ax2 + bx + c है, यहाँ a, b, c अचर राशियाँ हैं।
→ ax2 + bx + c के रूप के व्यंजकों के गुणनखण्ड करने के लिए हम मध्य पद bx को ऐसे दो पदों के रूप में लिखते हैं जिनका बीजीय योग bx के बराबर हो तथा गुणनफल प्रथम पद तथा तृतीय पद (ax2 व c) के गुणनफल के बराबर हो।
→ शेषफल प्रमेय-यदि p(x), एक से अधिक या एक के बराबर घात वाला एक बहुपद हो, और p(x) को रैखिक बहुपद x - a से भाग दिया गया हो, तो शेषफल p(a) होता है।
→ यदि p(a) = 0 हो, तो x - a बहुपद p(x) का एक गुणनखंड होता है और यदि x - a, p(x) का एक गुणनखंड हो, तो p(a) = 0 होता है।
→ गुणनखण्ड प्रमेय-यदि p(x) घात n ≥ 1 वाला एक बहुपद हो और a कोई वास्तविक संख्या हो, तो
→ बीजीय सर्वसमिकाएँ-बीजीय सर्वसमिका एक बीजीय समीकरण होती है जो कि चरों के सभी मानों के लिए सत्य होती है। कुछ महत्त्वपूर्ण सर्वसमिकाएँ निम्नलिखित हैं