Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 9 Hindi Vyakaran शब्द-निर्माण Questions and Answers, Notes Pdf.
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शब्द-रचना - शब्द-निर्माण या शब्द-रचना का आशय उसके रचना-प्रकारों से है। शब्द-रचना की दृष्टि से हिन्दी भाषा में तीन प्रकार के शब्द होते हैं-रूढ़, यौगिक और योगरूढ़। यौगिक शब्दों का निर्माण किसी शब्द में अन्य शब्द या शब्दांश का मेल होने से अथवा दो शब्दों के मेल से होता है। योगरूढ़ शब्द भी दो शब्दों के मेल से बनते हैं जो कि किसी विशेष अर्थ में प्रयुक्त होते हैं।
शब्द-निर्माण के प्रकार-हिन्दी में शब्दों का निर्माण मुख्यतया चार प्रकार से होता है
1. समास पद्धति-दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर जब एक शब्द बनाया जाता है, तो उसे समास-पद्धति कहते हैं। इसमें शब्दों में सन्धि करके या समास करके नये शब्द बनाये जाते हैं।
2. व्युत्पत्ति पद्धति-हिन्दी में बहुत से 'मूल' शब्द हैं; उन शब्दों में उपसर्ग और प्रत्यय आदि लगाकर नये शब्द बनाये जाते हैं। शब्द-रचना के इस प्रकार को व्युत्पत्ति-पद्धति कहते हैं।
3. वर्णविपर्यय पद्धति - भाषा-विज्ञान के अनुसार वर्ण या अक्षर को आगे-पीछे कर देने या उनमें उलट-फेर करने से नये शब्द बन जाते हैं। इसे वर्ण-विपर्यय पद्धति कहते हैं। जैसे-पगला का पागल, जानवर का जनावर।
दति-अन्य भाषाओं से शब्द लेकर नये अर्थ की अभिव्यक्ति के लिए जब नये शब्द बनाये जाते हैं, तो उसे अर्थ-परिवर्तन पद्धति कहते हैं। जैसे - रेल + गाड़ी = रेलगाड़ी।
व्युत्पत्ति पद्धति से हिन्दी के मूल शब्दों में उपसर्ग और प्रत्यय लगाकर नये शब्द बनाये जाते हैं। इस पद्धति से अनेक नये शब्दों का निर्माण होता है तथा हिन्दी के शब्द-भण्डार में इससे पर्याप्त समृद्धि आयी है।
उपसर्ग :
परिभाषा - जो शब्दांश शब्द के आरम्भ में जुड़कर उसके अर्थ में विशेषता या परिवर्तन उत्पन्न कर देते हैं, वे उपसर्ग कहलाते हैं। जैसे -
'क्रम' एक शब्द है, इसके प्रारम्भ में अनु, परा, वि, प्र उपसर्ग जोड़ दिया जाए तो क्रमशः अनु + क्रम = अनुक्रम, परा + क्रम = पराक्रम, वि + क्रम = विक्रम, प्र + क्रम = प्रक्रम शब्द बनते हैं। उपसर्ग से जुड़े इन शब्दों के अर्थ में 'क्रम' शब्द के अर्थ से परिवर्तन आ गया है या विशेषता आ गई है। इसी प्रकार 'हार' शब्द के प्रारम्भ में आ, वि, प्र, उप, सम् उपसर्ग जोड़ने से क्रमशः आहार, विहार, प्रहार, उपहार, संहार शब्द की रचना होती है। उपसर्ग जुड़कर बने इन सभी शब्दों का अर्थ हार' शब्द से भिन्न है।
हिन्दी में प्रचलित उपसर्गों को निम्न चार भागों में बाँटा जा सकता है -
1. संस्कृत उपसर्ग
2. हिन्दी उपसर्ग
3. विदेशी उपसर्ग
4. उपसर्ग की तरह प्रयुक्त अव्यय
संस्कृत के उपसर्ग :
संस्कृत के मुख्य 22 उपसर्ग हैं। इनमें से एकाध को छोड़कर शेष सभी का प्रयोग हिन्दी में होता है। इन्हें सोदाहरण प्रस्तुत किया जा रहा है -
उपसर्ग की तरह प्रयुक्त अव्यय :
हिन्दी में संस्कृत के कुछ शब्दांश या अव्यय उपसर्गों की तरह प्रयुक्त होते हैं। यहाँ ऐसे कुछ अव्यय सोदाहरण दिये जा रहे हैं -
हिन्दी के उपसर्ग :
हिन्दी में अनेक उपसर्ग प्रयुक्त होते हैं, जिनमें नवीन शब्दों की रचना होती है। यहाँ हिन्दी के उपसर्ग सोदाहरण दिये जा रहे हैं -
विदेशी उपसर्ग :
हिन्दी में विदेशी भाषाओं के उपसर्ग भी प्रयुक्त होते हैं । विशेष रूप से उर्दू और अंग्रेजी के कई उपसर्ग अपनाये जाते हैं। इनमें से कतिपय इस प्रकार हैं -
(क) उर्दू के उपसर्ग:
(ख) अंग्रेजी के उपसर्ग :
विशेष - एक शब्द के साथ कभी-कभी एक से अधिक उपसर्ग जुड़ सकते हैं तथा उनसे अर्थ में विशेषता आ जाती है। जैसे -
अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1.
मूल शब्द में जुड़ा हुआ सही उपसर्ग है -
(क) स्वः + अवलम्बन
(ख) स्व + अवलम्बन
(ग) स्वा + अवलम्बन
(घ) स्व + आवलम्बन।
उत्तर :
(ख) स्व + अवलम्बन
प्रश्न 2.
मूल शब्द में जोड़ा गया सही उपसर्ग है -
(क) प्रा + कथन
(ख) प्रा + क्कथन
(ग) प्राक् + कथन
(घ) प्र + अक्क थन।
उत्तर :
(ग) प्राक् + कथन
प्रश्न 3.
'परीक्षा' शब्द में कौनसा उपसर्ग जुड़ा है?
(क) प्र
(ख) परि
(ग) पर
(घ) परा।
उत्तर :
(ख) परि
प्रश्न 4.
मूल शब्द में जुड़ा हुआ सही उपसर्ग है -
(क) सदा + आचार
(ख) सत् + आचार
(ग) सद + आ + आचार
(घ) सत् + आ + चार।
उत्तर :
(घ) सत् + आ + चार।
प्रश्न 5.
सही उपसर्गयुक्त शब्द-रचना है -
(क) बहिः + मुखी
(ख) बहिम् + मुखी
(ग) बही + मुखी
(घ) बहि + मुखी।
उत्तर :
(क) बहिः + मुखी
प्रश्न 6.
निम्नलिखित उपसर्गों के योग से चार-चार शब्द बनाइए -
अनु, अव, अध, बे, सम्।
उत्तर :
प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों में जो उपसर्ग लगे हैं, उन्हें बताइए
अलंकार, उत्साह, अभ्यास, नाचीज, पचरंगा, लाचार, अत्यन्त, निर्जल।
उत्तर :
अलंकार-अलम्। उत्साह-उत्। अभ्यास-अभि। नाचीज-ना। पचरंगा-पच। लाचार-ला। अत्यन्त-अति। निर्जल-निर्।
प्रत्यय :
परिभाषा - वे शब्दांश जो किसी शब्द के अन्त में लगकर उनके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता उत्पन्न करते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं। जैसे -
रंग + ईला = रंगीला। लघु + अव = लाघव। लोहा + आर = लोहार।
इन उदाहरणों में शब्द के साथ प्रत्यय जोड़कर नये शब्द बनाये गये हैं, जो अर्थ में परिवर्तन या विशेषता उत्पन्न कर रहे हैं। इसी प्रकार संज्ञा, विशेषण और क्रिया में प्रत्यय जोड़ने पर हिन्दी में असंख्य शब्दों की रचना की जाती है।
हिन्दी में संस्कृत के, हिन्दी के और विदेशी भाषाओं के अनेक प्रत्यय जुड़ते हैं, जिनसे अनेक नवीन शब्दों का निर्माण होता है।
संस्कृत के प्रत्यय -
संस्कृत के प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं - (1) कृदन्त और (2) तद्धित।
कृदन्त प्रत्यय-जो शब्दांश धातुओं के अन्त में जुड़ते हैं, उन्हें कृत् या कृदन्त प्रत्यय कहते हैं। धातु या क्रिया के अन्त में प्रत्यय के जुड़ने से बनने वाले शब्द संज्ञा या विशेषण होते हैं। कृदन्त (कृत्) प्रत्यय मूल धातु रूप के साथ लगाकर संज्ञा और विशेषण शब्दों का निर्माण करते हैं। कृदन्त प्रत्यय के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं -
तद्धित प्रत्यय - जो प्रत्यय संज्ञा शब्दों के अन्त में जुड़ते हैं, उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं और उनसे बनने वाले शब्दों को 'तद्धितान्त' कहते हैं। तद्धित प्रत्यय के कुछ प्रमुख भेद इस प्रकार हैं -
भाववाचक तद्धित प्रत्यय : भाववाचक तद्धित से भाव प्रकट होता है। इसमें प्रत्यय लगने पर आदि-स्वर की वृद्धि हो जाती है। जैसे -
प्रत्यय - निर्मित-शब्द
अव - लाघव, गौरव, पाटव।
त्व - महत्त्व, गुरुत्व, लघुत्व, अपनत्व, स्त्रीत्व, अमरत्व।
ता - गुरुता, मनुष्यता, समता, कविता, मानवता
इमा - महिमा, गरिमा, अणिमा, लघिमा, कालिमा।
य - पांडित्य, चातुर्य, माधुर्य, सौन्दर्य।
सम्बन्धवाचक तद्धित प्रत्यय : सम्बन्धवाचक तद्धित से सम्बन्ध का बोध होता है। इसमें भी कहीं पर आदि-स्वर की वृद्धि हो जाती है। जैसे -
प्रत्यय - निर्मित-शब्द
अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय : इनमें अपत्य अर्थात् सन्तान या वंश में उत्पन्न हुए व्यक्ति का बोध होता है। अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय में भी कहीं पर आदि स्वर की वृद्धि हो जाती है। जैसे -
पूर्णतावाचकतद्धित प्रत्यय : इसमें संख्या की पूर्णता सूचित की जाती है। जैसे -
तारतम्यवाचक तद्धित प्रत्यय : दो या दो से अधिक वस्तुओं में श्रेष्ठता बतलाने के लिए तारतम्यवाचक तद्धित प्रत्यय लगता है। जैसे -
गुणवाचक तद्धित प्रत्यय : गुणवाचक तद्धित से संज्ञा शब्द गुणवाची बन जाते हैं। जैसे -
विशेष - 'वान' और 'मान' प्रत्यय के पुल्लिंग रूप धनवान, बलवान, श्रीमान् आदि होते हैं, उसके स्त्रीलिंग के रूप 'वती' और 'मती' जोड़कर बनाये जाते हैं। जैसे - धनवती, गुणवती, बलवती, श्रीमती, बुद्धिमती, शक्तिमती, आयुष्मति आदि।
हिन्दी के प्रत्यय :
संस्कृत की तरह ही अनेक प्रत्यय हिन्दी के भी प्रयुक्त होते हैं। ये प्रत्यय यद्यपि कृदन्त और तद्धित की तरह जुड़ते हैं, परन्तु मूल शब्द हिन्दी के तद्भव या देशज होते हैं। हिन्दी के सभी प्रत्ययों को निम्न वर्गों में सम्मिलित किया जाता है -
कर्तृवाचक : जिनसे किसी कार्य के करने वाले का बोध होता है, वे कर्तृवाचक प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे -
प्रत्यय निष्पन्न शब्द-रूप
भाववाचक : जिनसे किसी भाव का बोध होता है, वे भाववाचक प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे -
सम्बन्धवाचक : जिनसे सम्बन्ध का भाव व्यक्त होता है, वे सम्बन्धवाचक प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे -
लघुतावाचक : जिससे लघुता या न्यूनता का बोध होता है, वे लघुतावाचक प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे -
गणनावाचक : जिनसे गणनावाचक संख्या का बोध होता है, वे गणनावाचक प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे -
सादृश्यवाचक : जिनसे सादृश्य या समता का बोध होता है, उन्हें सादृश्यवाचक प्रत्यय कहते हैं। जैसे -
सा - मुझ-सा, तुझ-सा, नील-सा, चाँद-सा, गुलाब-सा।
हरा - दुहरा, तिहरा, चौहरा, रूपहरा, सुनहरा।
गुणवाचक : जिनसे किसी गुण का बोध होता है, वे गुणवाचक प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे -
स्थानवाचक : जिनसे स्थान का बोध होता है, वे स्थानवाचक प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे -
विदेशी प्रत्यय :
हिन्दी में उर्दू के ऐसे प्रत्यय प्रयुक्त होते हैं, जो मूल रूप से अरबी और फारसी भाषा से अपनाये गये हैं। ऐसे कुछ प्रत्यय यहाँ दिये जा रहे हैं -
अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1.
मूल शब्द में जुड़े हुए प्रत्यय का सही विकल्प है -
(क) मानव + ईय + ता
(ख) मानव + ईयता
(ग) मान + वीय + ता
(घ) मानवी + यता।
उत्तर :
(क) मानव + ईय + ता
प्रश्न 2.
मूल शब्द और उसमें जुड़े प्रत्यय का सही विकल्प है -
(क) लौक + इकता
(ख) लोक + इक + ता
(ग) लौकिक + इता
(घ) लौकिकता + आ।
उत्तर :
(ख) लोक + इक + ता
प्रश्न 3.
'इन' प्रत्यय जुड़ने से बना हुआ शब्द है -
(क) मानिनी
(ख) चिन्तन
(ग) लुहारिन
(घ) सुहावन।
उत्तर :
(ग) लुहारिन
प्रश्न 4.
मूल शब्द में जुड़ने योग्य सही प्रत्यय है -
(क) पण्डित + त्य
(ख) पण्डित + त्व
(ग) पण्डित + य
(घ) पण्डित + ईय।
उत्तर :
(ग) पण्डित + य
प्रश्न 5.
'ई' प्रत्यय से निष्पन्न शब्द है -
(क) जयपुरी
(ख) टुकड़ी
(ग) बुहारी
(घ) देवरानी।
उत्तर :
(क) जयपुरी
प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों में प्रत्यय बताइए
राष्ट्रीय, बुढ़ापा, जयपुरिया, पूजनीय, पठित, महिमा।
उत्तर :
राष्ट्रीय-ईय। बुढ़ापा-आपा। जयपुरिया-इया। पूजनीय-अनीय। पठित-इत। महिमा-इमा।
प्रश्न 7.
'आई' प्रत्यय के योग से पाँच शब्द बनाइए
उत्तर :
रंगाई, मिठाई, सफाई, सिलाई, पढ़ाई।
प्रश्न 8.
अग्रलिखित प्रत्ययों के योग से चार-चार शब्द बनाइए -
ता, इमा, इक, ईय, तम, इया, मान्, गर।
उत्तर :
प्रश्न 9.
उपसर्ग और प्रत्यय में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
शब्द के आरम्भ में जुड़ने वाले शब्दांश या अव्यय उपसर्ग कहलाते हैं, जबकि शब्द के अन्त में जुड़ने वाले शब्दांश प्रत्यय कहलाते हैं।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक प्रत्यय-युक्त शब्द लिखिए -
(क) दाढ़ी वाला
(ख) धर्म से सम्बन्धित
(ग) गुणों वाला
(घ) घूमने वाला
(ङ) समाज की
(च) सुनार की पत्नी
उत्तर :
(क) दाढ़ी वालादढ़ियल
(ख) धर्म से सम्बन्धित धार्मिक
(ग) गुणों वाला-गुणवान
(घ) घूमने वाला-घुमक्कड़
(ङ) समाज की सामाजिक
(च) सुनार की पत्नी-सुनारिन।