These comprehensive RBSE Class 7 Science Notes Chapter 15 प्रकाश will give a brief overview of all the concepts.
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→ प्रकाश सदैव सरल रेखा के अनुदिश गमन करता है।
→ किसी भी चमकदार पृष्ठ पर डालकर प्रकाश की दिशा को परिवर्तित किया जा सकता है। प्रकाश की दिशा का यह परिवर्तन 'प्रकाश का परावर्तन' कहलाता है।
→ कोई भी पॉलिश किया हुआ अथवा चमकदार पृष्ठ दर्पण की भाँति कार्य कर सकता है। समतल दर्पण द्वारा बनने वाला प्रतिबिम्ब दर्पण में सीधा तथा बिम्ब के समान आमाप (साइज) का दिखाई देता है। दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी, दर्पण के सामने बिम्ब की दूरी के बराबर होती है।
→ समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब में, बिम्ब का वाम (बायाँ) भाग प्रतिबिम्ब के दक्षिण भाग की तरह तथा बिम्ब का दक्षिण भाग प्रतिबिम्ब के वाम भाग की तरह दिखाई देता है।
→ जो प्रतिबिम्ब पर्दे पर प्राप्त किये जा सकते हैं, उन्हें वास्तविक प्रतिबिम्ब कहते हैं । आभास प्रतिबिम्ब पर्दे पर प्राप्त नहीं होते।
→ अवतल दर्पण वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिम्ब बनाते हैं। परन्तु जब बिम्ब को दर्पण के बहुत पास रखते हैं, तब प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा तथा आवर्धित बनता है।
→ उत्तल दर्पण अधिक क्षेत्र के दृश्य का प्रतिबिम्ब बना सकते हैं। इनके द्वारा बना प्रतिबिम्ब सीधा, आभासी और बिम्ब से आमाप में छोटा होता है।
→ उत्तल लेंस किनारों की अपेक्षा बीच में मोटे होते हैं। परन्तु अवतल लेंस बीच में से पतले और किनारों से मोटे होते हैं।
→ उत्तल लेंस को 'अभिसारी लेंस' और अवतल लेंस को 'अपसारी लेंस' भी कहते हैं।
→ उत्तल लेंस वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिम्ब बनाते हैं। परन्तु जब बिम्ब लेंस के बहुत पास रखा होता है, तब प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा और आवर्धित बनता है।
→ अवतल लेंस सदैव सीधा, आभासी और बिम्ब के साइज से छोटा प्रतिबिम्ब बनाते हैं।
→ सूर्य का प्रकाश सात विभिन्न वर्गों का मिश्रण है। इसे श्वेत प्रकाश भी कहते हैं।