RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 9 मृदा

Rajasthan Board RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 9 मृदा Important Questions and Answers.

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RBSE Class 7 Science Chapter 9 Important Questions मृदा

बहुचयनात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
मृदा संस्तर की कौनसी परत दरारों और विदरोंयुक्त शैलों के छोटे ढेलों की बनी होती है? 
(अ) A - संस्तर - स्थिति 
(ब) B - संस्तर - स्थिति 
(स) C - संस्तर - स्थिति 
(द) आधार शैल 
उत्तर:
(स) C - संस्तर - स्थिति 

RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 9 मृदा 

प्रश्न 2. 
यदि मृदा में बड़े कणों का अनुपात अधिक होता है, तो वह कहलाती है।
(अ) बलुई मृदा 
(ब) मृण्मय मृदा 
(स) दुमटी मृदा 
(द) जलोढ़ मृदा 
उत्तर:
(ब) मृण्मय मृदा 

प्रश्न 3. 
पादपों को उगाने के लिए सबसे अच्छी शीर्षमृदा कौनसी है? 
(अ) जलोढ़ मृदा 
(ब) दुमटी मृदा। 
(स) बलुई मृदा 
(द) लैटेराइट मृदा 
उत्तर:
(अ) जलोढ़ मृदा 

प्रश्न 4. 
मध्यप्रदेश का सोहागपुर स्थल प्रसिद्ध है।
(अ) 1975 में आये भूकम्प के कारण 
(ब) प्राचीन मंदिरों के लिए 
(स) ऐतिहासिक रणभूमि होने के कारण 
(द) सुराहियाँ और मटके बनाने के लिए 
उत्तर:
(द) सुराहियाँ और मटके बनाने के लिए 

प्रश्न 5. 
निम्नलिखित में से कौनसा कथन सही है? 
(अ) शीर्षमृदा से नीचे की परत में घूमस कम होती है, परन्तु खनिज अधिक होते हैं। 
(ब) बलुई मृदा में बड़े कणों का अनुपात बहुत कम होता लेनेलिया
(स) चिकनी मिट्टी में वायु कम होती है और यह हल्की होती है। 
(द) कपास के लिए मृण्मय मृदा उपयुक्त होती है।
उत्तर:
(द) कपास के लिए मृण्मय मृदा उपयुक्त होती है।
 
निम्न कथनों में से सत्य एवं असत्य कथनों का चयन कीजिए:

प्रश्न 1. 
मृदा अपरदन मरुस्थल जैसे स्थानों पर कम होता है।
उत्तर:
असत्य 

प्रश्न 2. 
मृण्मय मृदा कपास की खेती के लिए उपयुक्त होती है।
उत्तर:
असत्य 

RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 9 मृदा

प्रश्न 3. 
पादपों को उगाने के लिए सबसे अच्छी शीर्षमृदा दुमट है।
उत्तर:
सत्य
 
प्रश्न 4.  
ह्यूमस पादपों को पोषण प्रदान करता है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5. 
मृदा की विभिन्न परतों से गुजरती हुई ऊर्ध्वाकाट मृदा अपरदन कहलाती है। 
उत्तर:
असत्य 

कॉलम - A में दिए गए शब्दों का मिलान कॉलम - B से कीजिए:

प्रश्न 1.

कॉलम - A

कॉलम - B

 (1) A - संस्तर स्थिति

 (A) खनिजों की अधिकता

 (2) B - संस्तर स्थिति

 (B) विदरोंयुक्त शैल

 (3) C - संस्तर स्थिति

 (C) कठोर

 (4) D - आधार शैल

 (D) ह्यूमस की अधिकता

उत्तर:

कॉलम - A

कॉलम - B

 (1) A - संस्तर स्थिति

 (D) ह्यूमस की अधिकता

 (2) B - संस्तर स्थिति

 (A) खनिजों की अधिकता

 (3) C - संस्तर स्थिति

 (B) विदरोंयुक्त शैल

 (4) D - आधार शैल

 (C) कठोर


RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 9 मृदा

प्रश्न 2. 

कॉलम - A

कॉलम - B

(1) ह्यूमस

(A) जैव पदार्थ उपस्थित 

(2) बलुई मृदा

(B) भारी

(3) मृण्मय मृदा

(C) सुवातित

(4) दुमटी मृदा

(D) गाद उपस्थित

उत्तर:

कॉलम - A

कॉलम - B

(1) ह्यूमस

(A) जैव पदार्थ उपस्थित 

(2) बलुई मृदा

(C) सुवातित

(3) मृण्मय मृदा

(B) भारी

(4) दुमटी मृदा

(D) गाद उपस्थित


अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
अपरदन किसे कहते हैं? 
उत्तर:
जल, पवन अथवा बर्फ के द्वारा मृदा की ऊपरी सतह का हटना 'अपरदन' कहलाता है। 

प्रश्न 2. 
गेहूँ जैसी फसलें महीन मृण्मय मृदा में क्यों उगाई जाती हैं? 
उत्तर:
क्योंकि महीन मृण्मय मृदा ह्यूमस से समृद्ध और अत्यधिक उर्वर होती है। 

प्रश्न 3. 
मृदा पादपों की वृद्धि में किस प्रकार सहायता करती है? 
उत्तर:
मृदा पादपों की जड़ों को दृढ़ता से थामे रखकर तथा उन्हें जल और पोषक तत्वों की आपूर्ति करके उनकी वृद्धि में सहायता करती है। 

प्रश्न 4. 
क्या मृदा के अन्दर केंचुए के अतिरिक्त और भी जीव रहते हैं? 
उत्तर:
हाँ, मृदा में केंचुए के अतिरिक्त अन्य कई प्रकार के जीव भी पाये जाते हैं। 

RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 9 मृदा

प्रश्न 5. 
मृदा परिच्छेदिका किसे कहते हैं? 
उत्तर:
किसी स्थान की मृदा की विभिन्न परतों का अनुप्रस्थ काट वहाँ की 'मृदा परिच्छेदिका' कहलाती है। 

प्रश्न 6. 
मृदा की कौनसी परत / संस्तर - स्थिति कृमियों, कृतकों, छछंदरों और भृगुओं जैसे अनेक जीवों को आवास (आश्रय) प्रदान करती है? 
उत्तर:
शीर्ष मृदा अथवा A - संस्तर - स्थिति। 

प्रश्न 7. 
मृदा की विभिन्न परतें क्या कहलाती हैं? 
उत्तर:
संस्तर - स्थितियाँ। 

प्रश्न 8. 
मृदा परिच्छेदिका को प्रभावित करने वाले जलवायवी (जलवायु सम्बन्धी) कारकों के नाम लिखिए। 
उत्तर:
पवन, वर्षा, ताप, प्रकाश और आर्द्रता। 

प्रश्न 9. 
क्या सभी प्रकार की मृदा समान मात्रा में जल का अवशोषण करती हैं? 
उत्तर:
नहीं, सभी मृदाओं की जल अवशोषण क्षमता अलग-अलग होती है। 

प्रश्न 10. 
किस प्रकार की मृदा की अन्तःसवण दर सबसे अधिक है? 
उत्तर:
बलुई मृदा की अंत:सवण दर सबसे अधिक होती है।

प्रश्न 11. 
किस प्रकार की मृदा की अंत:स्त्रवण दर सबसे कम है? 
उत्तर:
मृण्मय मृदा की अंत:स्रवण दर सबसे कम है। 

प्रश्न 12. 
वर्षा के 8 - 10 दिन बाद तालाब अथवा कुएँ में जल का स्तर बढ़ जाता है। किस प्रकार की मृदा में जल सबसे कम समय में और सबसे अधिक मात्रा में अंतःस्रावित होकर कुएँ अथवा तालाब तक पहुँचेगा। 
उत्तर:
बलुई मृदा द्वारा जल सबसे कम समय में और सबसे अधिक मात्रा में अंत:स्रावित होकर कुएँ/तालाब तक पहुंचेगा। 

प्रश्न 13. 
किस प्रकार की मृदा सबसे अधिक मात्रा में जल धारण करती है और किस प्रकार की मृदा सबसे कम? 
उत्तर:
मृण्मय मृदा सबसे अधिक मात्रा में जल धारण करती है और बलुई मृदा सबसे कम। 

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प्रश्न 14. 
क्या आप कोई और विधि बता सकते हैं, जिससे अधिक वर्षा जल अंतःस्रावित होकर भौमजल तक पहुँच जाए? 
उत्तर:
हाँ। मृदा में छोटे - छोटे छिद्र बनाकर भी अधिक वर्षा जल को अंत:स्रावित कर भौमजल तक पहुँचाया जा सकता है। 

प्रश्न 15. 
मसूर तथा अन्य दालों के लिए दुमटी मृदा की आवश्यकता क्यों होती है? 
उत्तर:
क्योंकि दुमटी मृदा से जल की निकासी आसानी से हो जाती है। 

प्रश्न 16. 
द्रव्यमान के मात्रक लिखिए। 
उत्तर:
ग्राम (gm) और किलोग्राम (kg)। 

प्रश्न 17. 
मृदा के प्रकार लिखिये। 
उत्तर:

  1. बलुई मृदा 
  2. दुमटी मृदा 
  3. मृण्मय मृदा। 

प्रश्न 18. 
ह्यूमस किसे कहते हैं? 
उत्तर:
मृदा में उपस्थित सड़े - गले जैव पदार्थों को ह्यूमस कहते हैं। 

प्रश्न 19. 
'मृदा' किसे कहते हैं? 
उत्तर:
शैल कणों और ह्यूमस का मिश्रण, मृदा कहलाता है।

प्रश्न 20. 
पादपों को उगाने के लिए सबसे अच्छी शीर्षमृदा कौनसी है? 
उत्तर:
पादपों को उगाने के लिए सबसे अच्छी शीर्षमृदा दुमट है। 

प्रश्न 21. 
दुमटी मृदा का संघटन बताइए। 
उत्तर:
दुमटी मृदा, बालू, चिकनी मिट्टी और गाद नामक मृदा कणों का मिश्रण होती है। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
मृदा का महत्त्व बतलाइये।
उत्तर:
मृदा का महत्त्व:

  1. मृदा पादपों की जड़ों को दृढ़ता से थामे रखकर तथा उन्हें जल और पोषक तत्त्वों की आपूर्ति करके उनकी वृद्धि में सहायता करती है। 
  2. यह अनेक जीवों को आश्रय देती है। 
  3. कृषि के लिए मृदा अनिवार्य है। 
  4. यह भवनों को सहारा देती है। 
  5. इससे बर्तन, खिलौने और मूर्तियाँ आदि बनाये जाते हैं। उपर्युक्त के अलावा अन्य बहुत से कार्यों में मृदा का उपयोग किया जाता है। 

प्रश्न 2. 
पॉलीथीन की थैलियों और प्लास्टिक की वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध की माँग क्यों की जा रही है? कारण लिखिए। 
उत्तर:
पॉलीथीन की थैलियाँ और प्लास्टिक की वस्तुएँ, मृदा को प्रदूषित करती हैं। ये मृदा में रहने वाले जीवों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए पॉलीथीन की थैलियों और प्लास्टिक की वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध की माँग की जा रही है। 

RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 9 मृदा

प्रश्न 3. 
अपक्षय की परिभाषा लिखिए। 
उत्तर:
अपक्षय: पवन, जल और जलवायु की क्रिया से शैलों (चट्टानों) के टूटने पर मृदा का निर्माण होता है। मृदा निर्माण का यह प्रक्रम ही 'अपक्षय' कहलाता है। 

प्रश्न 4. 
मृदा की प्रकृति किस पर निर्भर करती है? लिखिए। 
उत्तर:
किसी मृदा की प्रकृति उन शैलों पर निर्भर करती है, जिनसे उसका निर्माण हुआ है। इसके साथ ही यह उन वनस्पतियों की किस्मों पर भी निर्भर करती है, जो इसमें उगते हैं। 

प्रश्न 5. 
शीर्ष मृदा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
शीर्ष मृदा: यह मृदा की सबसे ऊपर वाली संस्तर-स्थिति होती है। यह सामान्यत: गहरे रंग की होती हैं, क्योंकि यह ह्यूमस और खनिजों से समृद्ध होती हैं। ह्यूमस, मृदा को उर्वर बनाता है और पादपों को पोषण प्रदान करता है। यह परत सामान्यतः मृदु, संरंध्र और अधिक जल को धारण करने वाली होती है। इसे A संस्तर - स्थिति भी कहते हैं। यह कृमियों, कुंतकों, छछंदरों और भृगुओं जैसे अनेक जीवों को आश्रय प्रदान करती है। छोटे पादपों की जड़ें पूरी तरह से शीर्षमृदा में ही रहती हैं। 

प्रश्न 6. 
मृदा को उसमें पाए जाने वाले विभिन्न आमाप (साइज) के कणों के अनुपात के आधार पर कितने वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है?
उत्तर:
मृदा को कणों के अनुपात के आधार पर तीन वर्गों में वर्गीकृत कर सकते हैं, जो निम्न प्रकार से हैं। 

  1. बलुई मृदा: जब मृदा में बड़े कणों का अनुपात अधिक होता है, तो वह बलुई मृदा कहलाती है। 
  2. मृण्मय मृदा: यदि मृदा में बारीक (सूक्ष्म) कणों का अनुपात अधिक होता है, तो वह मृण्मय मृदा कहलाती है। 
  3. दुमटी मृदा: जब मृदा में बड़े एवं छोटे कणों की मात्रा लगभग समान होती है, तो वह दुमटी मृदा कहलाती है। 

प्रश्न 7. 
बलुई मृदा किस कारण से हल्की, सुवातित और शुष्क होती है? 
उत्तर:
मृदा के कणों के आमाप का उसके गुणों पर बहुत महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। बालू के कण अपेक्षाकृत बड़े होते हैं। ये आसानी से एक - दूसरे से जुड़ नहीं पाते। इस कारण इनके बीच में काफी रिक्त स्थान होते हैं। ये स्थान वायु से भरे होते हैं। बालू के कणों के बीच के स्थानों में से जल की निकासी भी तेजी से हो जाती है। अतः हम कह सकते हैं कि बलुई मृदा हल्की, सुवातित और शुष्क होती है। 

प्रश्न 8. 
ग्रीष्मकाल में दिन के समय किसी खेत अथवा खुले मैदान से गुजरते वक्त हमें जमीन के ऊपर की वायु कंपदीप्त प्रतीत क्यों होती है? 
उत्तर:
ग्रीष्मकाल के गर्म दिनों में मृदा से जल के वाष्पन के कारण ऊपर उठती जलवाष्प वायु को अपेक्षाकृत सघन बना देती है। इससे सूर्य के प्रकाश के परावर्तन के कारण मृदा के ऊपर की वायु हमें कंपदीप्त (Shimmering) प्रतीत होती है। 

प्रश्न 9. 
किसी क्षेत्र विशेष में उगने वाली वनस्पति तथा फसलों की किस्मों का निर्धारण किसके द्वारा किया जाता है? लिखिए। 
उत्तर:
जलवायवी अर्थात् जलवायु सम्बन्धी कारक, जैसेपवन, वर्षा, तापमान, प्रकाश और आर्द्रता, तथा मृदा के घटक सम्मिलित रूप से किसी क्षेत्र विशेष में उगने वाली वनस्पति तथा फसलों की किस्मों का निर्धारण करते हैं। 

प्रश्न 10. 
सुराही और मटके बनाने वाली मृदा में घोड़े की लीद क्यों मिलायी जाती है? 
उत्तर:
सुराही और मटकों को शुष्क वायु में सुखाने के बाद उच्च ताप पर भट्टी में पकाया जाता है। पकाने के प्रक्रम में घोड़े की लीद जल जाती है, जिससे मृदा के पात्रों में सूक्ष्म छिद्र रह जाते हैं। इसी कारण मटकों और सुराही में से जल अंत:स्रावित होकर उनकी बाहरी सतह तक आ पाता है। वहाँ से यह वाष्पित हो जाता है, जिससे घड़े या सुराही में रखा जल ठंडा हो जाता है। 

RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 9 मृदा

प्रश्न 11. 
क्या कारण है कि उत्तरी भारत की कृषि उपज भारत की लगभग आधी जनसंख्या को खाद्यान्न उपलब्ध कराती है? 
उत्तर:
उत्तर भारत की अनेक नदियाँ हिमालय क्षेत्र से निकलकर मैदानी क्षेत्र की ओर बहती हैं। ये नदियाँ अपने साथ अनेक प्रकार के पदार्थ लाती हैं, जिनमें गाद, मृत्तिका (चिकनी मिट्टी), बालू और बजरी सम्मिलित हैं। इन पदार्थों के मिश्रण को जलोढ़ मृदा कहते हैं। उत्तर भारत के मैदानों में नदियाँ अपने साथ लाई गई जलोढ़ मृदा को निक्षेपित कर देती हैं। यह मृदा बहुत उर्वर होती है। इसी कारण इस क्षेत्र की कृषि उपज भारत की लगभग आधी जनसंख्या को खाद्यान्न उपलब्ध कराती है। 

प्रश्न 12. 
धान के रोपण के लिए किस प्रकार की मृदा सबसे उपयुक्त होगी? ऐसी मृदा, जिसकी अंतःस्रवण दर अधिक हो अथवा जिसमें यह दर कम हो? 
उत्तर:
धान के रोपण के लिए मृत्तिका एवं जैव पदार्थ से समृद्ध ऐसी मृदा सबसे उपयुक्त होगी जिसकी अन्तः स्रवण दर कम होगी। 

प्रश्न 13. 
'गाद' से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:
गाद नदी तलों (आधारों) में निक्षेप के रूप में पाई जाती है। गाद कणों का आमाप (साइज) बालू और चिकनी मिट्टी के आमापों के बीच का होता है। 

निबन्धात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
मृदा परिच्छेदिका किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की संस्तर-स्थितियों का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
मृदा परिच्छेदिका: मृदा की विभिन्न परतों से गुजरती हुई ऊर्ध्वाकाट 'मृदा परिच्छेदिका' कहलाती है। प्रत्येक परत स्पर्श (गठन), रंग, गहराई और रासायनिक संघटन में भिन्न होती है। ये परतें संस्तर - स्थितियाँ कहलाती हैं। विभिन्न प्रकार की संस्तर - स्थितियाँ निम्न प्रकार से
(i) A - संस्तर - स्थिति अथवा शीर्ष मृदा: यह सबसे ऊपर वाली संस्तर - स्थिति होती है। यह सामान्यतः गहरे रंग की होती है, क्योंकि यह मस और खनिजों से समृद्ध होती है। इसे शीर्षमृदा भी कहते हैं। छोटे पादपों की जड़ें पूरी तरह से शीर्षमृदा में ही रहती हैं। 

(ii) B - संस्तर - स्थिति: यह मध्य परत भी कहलाती है। यह शीर्षमृदा के नीचे की परत होती है। इसमें ह्यूमस कम होती है लेकिन खनिज अधिक होते हैं। यह परत सामान्यतः अधिक कठोर और अधिक संहत (घनी) होती है।

(iii) संस्तर - स्थिति: यह तीसरी परत है। यह दरारों और विदरोंयुक्त शैलों के छोटे ढेलों की बनी होती है। 

(iv) आधार शैल - C: संस्तर - स्थिति से नीचे की परत को आधार शैल कहते हैं। यह कठोर होती है और इसे फावड़े से भी खोदना कठिन होता है। (नोट - संस्तर स्थितियों के चित्र (मृदा परिच्छेदिका) के लिए कृपया पाठ्यपुस्तक के प्रश्न संख्या 7 का उत्तर देखें।) 

RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 9 मृदा

प्रश्न 2. 
समझाइए कि मृदा के कणों के आमाप का उसके गुणों पर प्रभाव पड़ता है। 
उत्तर:
मृदा के कणों के आमाप का उसके गुणों पर बहुत महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। चूंकि कणों के आमाप के अनुपात के आधार पर मृदा तीन प्रकार-बलुई, मृण्मय एवं दुमटी मृदा - की होती है। मृदा के कण उसके गुणों को निम्न प्रकार से प्रभावित करते है। 
(i) बलुई मृदा: इस मृदा में बालू के कण अपेक्षाकृत बड़े होते हैं, इसलिए ये आसानी से एक - दूसरे से जुड़ नहीं पाते; अत: इनके बीच में काफी रिक्त स्थान होते हैं। ये स्थान वायु से भरे रहते हैं। इसी प्रकार बालू के कणों के बीच के स्थानों में से जल की निकासी भी तेजी से हो जाती है। अत: बलुई मृदा हल्की, सुवातित और शुष्क होती है। 

(ii) मृत्तिका: मृत्तिका (चिकनी मिट्टी) के कण सूक्ष्म (बहुत छोटे) होने के कारण परस्पर जुड़े रहते हैं और उनके बीच रिक्त स्थान बहुत कम होता है । बलुई मृदा के विपरीत, इनके कणों के बीच के सूक्ष्म स्थानों में जल रुक जाता है। अत: चिकनी मिट्टी में वायु कम होती है, लेकिन यह भारी होती है, क्योंकि इसमें बलुई मृदा की अपेक्षा अधिक जल रहता है। 

(iii) दुमटी मृदा: दुमटी मृदा, बालू, चिकनी मिट्टी और गाद नामक अन्य प्रकार के मृदा कणों का मिश्रण होती है। गाद, नदी तलों (आधारों) में निक्षेप के रूप में पाई जाती है। गाद कणों का आमाप (साइज) बालू और चिकनी मिट्टी के आमापों के बीच का होता है। दुमटी मृदा में भी ह्यूमस होती है। इस प्रकार की मृदा में पादपों की वृद्धि के लिए उचित मात्रा में जल - धारण क्षमता होती है। इसलिए यह पादपों को उगाने के लिए सबसे अच्छी शीर्ष मृदा होती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि मृदा के कणों के आमाप का उसके गुणों पर बहुत प्रभाव पड़ता है। 

प्रश्न 3. 
एक प्रयोग द्वारा समझाइये कि मृदा में नमी गायी जाती है। 
उत्तर:
मृदा में नमी: इसे हम निम्न क्रियाकलाप की सहायता से आसानी से समझ सकते हैं।

प्रयोग / क्रियाकलाप:

  1. सबसे पहले हम एक क्वथन नली लेते हैं और इसमें दो चम्मच मिट्टी की मिलाते हैं। 
  2. अब इसे कुछ समय तक किसी लौ पर गरम करते हैं। 
  3. क्वथन नली को गरम करते समय हम देखते हैं कि मृदा में से जल वाष्पित होकर ऊपर उठ रहा है और क्वथन नली के ऊपरी भाग की अपेक्षाकृत ठंडी भीतरी

RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 9 मृदा 1
दीवार पर संघनित होने लगता है। जो हमें जल की बूंदों के रूप में दिखाई देता है। इससे स्पष्ट है कि मृदा में नमी होती है। 

प्रश्न 4. 
कोई मृदा जल का कितना अवशोषण करेगी, इसे हम कैसे ज्ञात कर सकते हैं? समझाइए। 
उत्तर:
मृदा द्वारा जल का अवशोषण: चूंकि सभी मृदाओं की जल अवशोषण करने की मात्रा असमान होती है। अतः कौनसी मृदा कितना जल अवशोषित करेगी, यह हम निम्न क्रियाकलाप के माध्यम से जान सकते हैं। 

क्रियाकलाप:

  1. एक प्लास्टिक की कीप लेते हैं। अब एक फिल्टर पत्र अथवा समाचार पत्र के कागज का टुकड़ा लेकर उसे मोडकर चित्र में दिखाये अनुसार कीप में लगाते हैं। 
  2. फिर किसी मदा के शष्क पाउडर का 50 ग्राम तौलकर उसे कीप में लगाए फिल्टर पत्र में डालते हैं। 
  3. अब किसी मापन सिलिंडर में जल लेकर उसकी माप नोट कर लेते हैं। फिर इस जल को बूंद - बूंद करके कीप में रखी मृदा में डालते हैं। 
  4. सारा जल एक ही स्थान पर न गिराकर उसे पूरी मृदा पर डालते हैं। जल को डालना तब तक जारी रखते हैं, जब तक वह रिसकर कीप से नीचे गिरना आरम्भ नहीं कर देता। 
  5. अब मापन सिलिंडर में बचे जल को मापकर उसे


RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 9 मृदा 2

आरम्भिक माप में से घटा लेते हैं, जिससे हमको मृदा द्वारा धारण किए गए जल का आयतन ज्ञात हो जाता है। 
इस प्रकार, 
मृदा का द्रव्यमान भार = 50 ग्राम 
मापन सिलिंडर में जल का आरम्भिक आयतन = UmL 
मापन सिलिंडर में जल का अंतिम आयतन = VmL 
मृदा द्वारा अवशोषित जल का आयतन = (U - V) mL 
मृदा द्वारा अवशोषित जल का द्रव्यमान = (U - v)g 
(1mL जल का द्रव्यमान 1g के बराबर होता है) 
तब अवशोषित जल का प्रतिशत = \(\frac{(\mathrm{U}-\mathrm{V})}{50} \times 100\)
इस प्रकार हम इस क्रियाकलाप की सहायता से सभी प्रकार की मृदाओं के द्वारा अवशोषित जल के प्रतिशत का पता लगा सकते हैं।

RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 9 मृदा

प्रश्न 5. 
मृदा किस प्रकार फसलों की किस्मों का निर्धारण करती है? व्याख्या कीजिए। 
उत्तर:
मृदा और फसलें: भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न - भिन्न प्रकार की मृदा पायी जाती है। कुछ क्षेत्रों में मृण्मय मृदा, कुछ में बलुई, तो कुछ में दुमटी मृदा पायी जाती पवन, वर्षा, ताप, प्रकाश और आर्द्रता द्वारा मृदा प्रभावित होती है। यह जलवायवी कारक मृदा परिच्छेदिका को प्रभावित करते हैं और मृदा संरचना में परिवर्तन लाते हैं। मूलतः जलवायवी कारक तथा मृदा के घटक सम्मिलित रूप से किसी क्षेत्र विशेष में उगने वाली वनस्पति तथा फसलों की किस्मों का निर्धारण करते हैं। मृण्मय और दुमटी मृदा, दोनों ही गेहूँ और चने जैसी फसलों की खेती के लिए उपयुक्त होती हैं।

क्योंकि इस मृदा की जलधारण क्षमता अच्छी होती है। धान के लिए, मृत्तिका एवं जैव पदार्थ से समृद्ध तथा अच्छी जल धारण वाली मृदा आदर्श होती है। मसूर और अन्य दालों के लिए दुमटी मृदा की आवश्यकता होती है, जिसमें से जल की निकासी आसानी से हो जाती है। कपास के लिए बलुई - दुमट अथवा दुमट मृदा अधिक उपयुक्त होती है, जिसमें से जल की निकासी आसानी से हो जाती है और जो पर्याप्त परिमाण में वायु को धारण करती है। गेहूँ जैसी फसलें महीन मृण्मय मृदा में उगाई जाती हैं, क्योंकि वह बूमस से समृद्ध और अत्यधिक उर्वर होती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि मृदा ही यह निर्धारित करती है कि उसमें कौनसी फसल उगानी चाहिए और कौनसी नहीं।

Prasanna
Last Updated on May 27, 2022, 11:56 a.m.
Published May 26, 2022