Rajasthan Board RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 2 प्राणियों में पोषण Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
एक कोशिकीय जीव है।
(अ) गाय
(ब) बकरी
(स) अमीबा
(द) खरगोश
उत्तर:
(स) अमीबा
प्रश्न 2.
हमारे मुख में कुल कितने रदनक दाँत पाए जाते हैं?
(अ) 4
(ब) 8
(स) 20
(द) 32
उत्तर:
(अ) 4
प्रश्न 3.
अमीबा में भोजन का अन्तर्ग्रहण किसकी सहायता से होता है?
(अ) मुख
(ब) क्षुद्रांत्र
(स) यकृत
(द) पादाभ
उत्तर:
(द) पादाभ
प्रश्न 4.
'स्वांगीकरण' की प्रक्रिया आहारनाल के किस भाग में होती है?
(अ) मुख - गुहिका
(ब) आमाशय
(स) क्षुद्रात्र
(द) गुदा
उत्तर:
(स) क्षुद्रात्र
प्रश्न 5.
आहारनाल का सबसे चौड़ा भाग है।
(अ) आमाशय
(ब) यकृत
(स) अग्न्याशय
(द) क्षुद्रांत्र
उत्तर:
(अ) आमाशय
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:
प्रश्न 1.
आहारनाल एवं सम्बद्ध स्रावी ग्रन्थियाँ मिलकर ................. का निर्माण करते हैं।
उत्तर:
पाचन तंत्र।
प्रश्न 2.
................ चावल के मंड को शर्करा में बदल देता।
उत्तर:
लाला रस।
प्रश्न 3.
कोशिकाओं में उपस्थित ग्लूकोस का विघटन ऑक्सीजन की सहायता से ................ एवं ............... में हो जाता है और ऊर्जा मुक्त होती है।
उत्तर:
कार्बन डाई - आक्साइड, जल।
प्रश्न 4.
घास खाने वाले जन्तु ............... कहलाते हैं।
उत्तर:
रूमिनन्ट (रोमन्थी)।
निम्न में से सत्य / असत्य कथन छाँटिए:
प्रश्न 1.
मंड जैसे कार्बोहाइड्रेट का पाचन आमाशय में ही प्रारम्भ हो जाता है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 2.
जल एवं कुछ लवण बृहदांत्र में अवशोषित होते।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 3.
लाला रस चावल के सेलुलोस को शर्करा में बदल देता है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 4.
बृहदांत्र, क्षुद्रांत्र की अपेक्षा चौड़ी एवं छोटी होती।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 5.
जीभ द्वारा ही हमें स्वाद का पता चलता है।
उत्तर:
सत्य।
कॉलम - A में दिए गए शब्दों का मिलान कॉलम - B से कीजिए:
प्रश्न 1.
कॉलम - A |
कॉलम - B |
(1) अंतर्ग्रहण |
(A) जटिल खाद्य पदार्थ का सरल में विघटन |
(2) पाचन |
(B) पचित भोजन का क्षुद्रंत्र से रुधिर वाहिका में जाना |
(3) अवशोषण |
(C) गुदा द्वारा मल त्याग |
(4) निष्कासन |
(D) आहार को शरीर के अन्दर लेना |
उत्तर
कॉलम - A |
कॉलम - B |
(1) अंतर्ग्रहण |
(D) आहार को शरीर के अन्दर लेना |
(2) पाचन |
(A) जटिल खाद्य पदार्थ का सरल में विघटन |
(3) अवशोषण |
(B) पचित भोजन का क्षुद्रंत्र से रुधिर वाहिका में जाना |
(4) निष्कासन |
(C) गुदा द्वारा मल त्याग |
प्रश्न 2.
कॉलम - A |
कॉलम - B |
(1) लाला ग्रन्थि |
(A) आंत्र रस |
(2) आमाशय |
(B) पित्त रस |
(3) यकृत |
(C) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल |
(4) क्षृद्रांत्र |
(D) लार |
उत्तर:
कॉलम - A |
कॉलम - B |
(1) लाला ग्रन्थि |
(D) लार |
(2) आमाशय |
(C) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल |
(3) यकृत |
(A) आंत्र रस |
(4) क्षृद्रांत्र |
(B) पित्त रस |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
भोजन के प्रमुख संघटकों (अवयवों) के नाम लिखिए।
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन, खनिज लवण और जल।
प्रश्न 2.
जटिल खाद्य पदार्थों का सरल पदार्थों में परिवर्तित होना क्या कहलाता है?
उत्तर:
विखंडन।
प्रश्न 3.
पाचन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
जटिल खाद्य पदार्थों के सरल पदार्थों में परिवर्तित होने या टूटने की प्रक्रिया को 'पाचन' कहते हैं।
प्रश्न 4.
आहारनाल (पाचन नली) के विभिन्न भागों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मुख - गुहिका, ग्रास नली (ग्रसिका), आमाशय, क्षुद्रांत्र (छोटी आँत), बृहदांत्र (बड़ी आँत) तथा मलद्वार या गुदा।
प्रश्न 5.
अन्तर्ग्रहण क्या है?
उत्तर:
आहार को शरीर के अन्दर लेने की क्रिया 'अन्तर्ग्रहण' कहलाती है।
प्रश्न 6.
आपके मुख में कितने प्रकार के दाँत हैं?
उत्तर:
चार प्रकार के।
प्रश्न 7.
आप काटने (कर्तन) एवं दंशन के लिए किन दाँतों का उपयोग करते हैं?
उत्तर:
काटने एवं दंशन के लिए हम कृतक दाँतों का उपयोग करते हैं।
प्रश्न 8.
कौन से दाँत खाद्य पदार्थों को चीरने (बेधन) और फाड़ने के काम आते हैं?
उत्तर:
रदनक दाँत खाद्य पदार्थों को चीरने एवं फाड़ने के काम आते हैं।
प्रश्न 9.
कौन से दाँत चबाने और पीसने के काम आते हैं?
उत्तर:
अग्रचर्वणक और चर्वणक दाँत चबाने और पीसने के काम आते हैं।
प्रश्न 10.
क्षुद्रांत्र की लम्बाई लिखिए।
उत्तर:
क्षुद्रांत्र लगभग 75 मीटर लम्बी अत्यधिक कुंडलित नली होती है।
प्रश्न 11.
हमारे उदर के ऊपरी भाग में दाहिनी (दक्षिण) ओर कौनसी ग्रंथि पायी जाती है?
उत्तर:
यकृत।
प्रश्न 12.
अग्न्याशयिक रस' क्या कार्य करता है?
उत्तर:
यह कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन पर क्रिया करता है और इनको सरल रूप में परिवर्तित कर देता है।
प्रश्न 13.
अवशोषण की क्रिया कहाँ सम्पन्न होती है?
उत्तर:
क्षुद्रांत्र में।
प्रश्न 14.
घास में कौनसे कार्बोहाइड्रेट की प्रचुरता होती है?
उत्तर:
सेलुलोस।
प्रश्न 15.
'लार' क्या होती है?
उत्तर:
मुख में स्थित लाला (लार) ग्रन्थि द्वारा स्त्रावित रस लार कहलाता है जो मंड को शर्करा में बदल देता है।
प्रश्न 16.
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की उपस्थिति के बावजूद आमाशय क्षतिग्रस्त क्यों नहीं होता है?
उत्तर:
आमाशय द्वारा स्लावित श्लेष्मल हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से आमाशय के आन्तरिक अस्तर को सुरक्षा प्रदान करता है।
प्रश्न 17.
अवशोषण' किसे कहते हैं?
उत्तर:
पचा हुआ भोजन अवशोषित होकर क्षुद्रांत्र की भित्ति में स्थित रुधिर वाहिकाओं में चला जाता है। इस प्रक्रम को अवशोषण कहते हैं।
लघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
स्टारफिश की पाचन प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
स्टारफिश (तारा मछली) कैल्सियम कार्बोनेट के कठोर कवच वाले जन्तुओं को खाती है। कवच खोलने के बाद यह अपने मुख से अपना आमाशय बाहर निकालती है तथा जन्तु के कोमल भागों को स्टारफिश खाती है। इसके बाद आमाशय वापस शरीर में चला जाता है तथा आहार धीरे - धीरे पचता
प्रश्न 2.
हमारे मुख में पाये जाने वाले दाँतों के प्रकार, उनके कार्य और उनकी संख्या लिखिए।
उत्तर:
दाँतों के प्रकार |
दाँतों के कार्य |
दाँतों की संख्या |
||
निचला जबड़ा |
ऊपरी जबड़ा |
योग |
||
(i) कृंतक |
काटना एवं दंशन करना |
4 |
4 |
8 |
(ii) रदनक |
चीरना एवं फाड़ना |
2 |
2 |
4 |
(iii) अग्रचर्वणक एवं चर्वणक |
चबाना एवं पीसना |
10 |
10 |
20 |
प्रश्न 3.
जीभ के कार्य लिखिए।
उत्तर:
जीभ के कार्य निम्न प्रकार से हैं।
प्रश्न 4.
जीभ का चित्र बनाइये तथा उस पर स्वाद के विभिन्न क्षेत्रों को दर्शाइये।
उत्तर:
प्रश्न 5.
कभी - कभी जब हम जल्दी - जल्दी खाते हैं, अथवा खाते समय बात करते हैं, तो हमें हिचकी क्यों आ जाती है?
उत्तर:
यह खाद्य कणों के श्वास नली में प्रवेश करने से होता है। श्वास नली नासिका से आने वाली वायु को फेफड़ों तक ले जाती है। यह ग्रसिका के साथ - साथ चलती है, परन्तु ग्रसनी में वायु एवं भोजन मार्ग एक ही होते हैं। इसलिए भोजन निगलने के समय एक मांसल रचना वाल्व का कार्य करती है, जो श्वासनली को ढक लेती है तथा भोजन को ग्रसनी में भेज देती है। संयोगवश यदि भोजन के कण श्वास नली में प्रवेश कर जाते हैं तो हमें घुटन का अनुभव होता है तथा हिचकी आती है।
प्रश्न 6.
यकृत पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 7.
बृहदांत्र क्या है?
उत्तर:
बृहदांत्र (बड़ी आँत) आहारनाल का ही एक भाग है। यह क्षुद्रांत्र की अपेक्षा चौड़ी एवं छोटी होती है। यह लगभग 1.5 मीटर लम्बी होती है। इसका मुख्य कार्य जल एवं कुछ लवणों का अवशोषण करना है। यह मलाशय से जुड़ी होती है।
प्रश्न 8.
निष्कासन किसे कहते हैं?
उत्तर:
भोजन का वह भाग, जिसका पाचन नहीं हो पाता अथवा अवशोषण नहीं होता, वह बृहदांत्र से मलाशय में चला जाता है। मलाशय में यह अपचित पदार्थ अर्धठोस मल के रूप में रहता है। समय-समय पर गुदा द्वारा यह मल बाहर निकाल दिया जाता है। इसे निष्कासन कहते।
प्रश्न 9.
ग्रसिका में भोजन की गति किस कारण से होती है?
उत्तर:
ग्रसिकामुख द्वारा निगला हुआ भोजन ग्रासनली भोजन. अथवा ग्रसिका में जाता है। ग्रसिका गले ग्रसिकाएवं वक्ष से होती हुई जाती है और आमाशय से जुड़ जाती है। आमाशयग्रसिका की भित्ति के संकुचन से भोजन नीचे की ओर सरकता जाता है। वास्तव में, सम्पूर्ण ग्रसिका में भोजन की गति आहारनाल संकुचित होती रहती है तथा यह गति भोजन को नीचे की ओर धकेलती रहती है।
प्रश्न 10.
अग्न्याशय ग्रंथि के विषय में लिखिए।
उत्तर:
यह हल्के: पीले रंग की बड़ी ग्रंथि है, जो आमाशय के ठीक नीचे स्थित होती है। इससे स्रावित 'अग्न्याशयिक रस' कार्बोहाइड्रेट्स एवं प्रोटीन पर क्रिया करता है तथा इनको इनके सरल रूप में परिवर्तित कर देता है।
प्रश्न 11.
अमीबा का नामांकित चित्र बनाइये।
उत्तर:
प्रश्न 12.
जीवों में पायी जाने वाली खाद्य अन्तर्ग्रहण की विभिन्न विधियों के बारे में बताइए।
उत्तर:
भोजन के अन्तर्ग्रहण की विधि विभिन्न जीवों में भिन्न - भिन्न होती है। मधुमक्खी एवं मर्मर पक्षी (हमिंग बर्ड) पौधों का मकरंद चूसते हैं। मानव एवं कुछ अन्य जन्तुओं में शिशु माँ का दूध पीते हैं। अजगर जैसे सर्प वंश के प्राणी अपने शिकार को समूचा ही निगल जाते हैं। कुछ जलीय प्राणी अपने आसपास पानी में तैरते हुए खाद्य कणों को छान कर उनका भक्षण करते हैं।
प्रश्न 13.
'स्वांगीकरण' किसे कहते हैं?
उत्तर:
क्षुद्रांत्र में पचे हुए भोजन का अवशोषण होता है तथा यह रुधिर वाहिकाओं में चला जाता है। अवशोषित पदार्थों का स्थानान्तरण रुधिर वाहिकाओं द्वारा शरीर के विभिन्न भागों तक होता है, जहाँ उनका उपयोग जटिल पदार्थों को बनाने में किया जाता है। इस प्रक्रम को स्वांगीकरण कहते हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
दंत क्षय क्या है? दंत क्षय के लिए मुख्य रूप से कौन उत्तरदायी है? इससे बचने के उपाय भी लिखिए।
उत्तर:
(1) दंत क्षय: यदि खाने के पश्चात् हम दाँत एवं मुख साफ न करें, तो मुख में अनेक हानिकारक जीवाणु वास करके वृद्धि करने लगते हैं। ये जीवाणु दाँतों के बीच फँसे भोजन की शर्करा का विघटन कर अम्ल निर्मोचित करते हैं। यह अम्ल धीरे-धीरे दाँत को क्षति पहुंचाते हैं, इसे दंत क्षय कहते हैं। यदि समय रहते इसका उपचार न किया जाए, तो दाँतों में असह्य पीड़ा होने लगती है तथा दाँत चरम अवस्था में टूटकर गिर जाते
(ii) कारण: चॉकलेट, ठंडे पेय तथा चीनीयुक्त मिठाइयाँ व अन्य पदार्थ दंत क्षय के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी होते हैं।
(iii) इससे बचने के उपाय: प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन कम से कम दो बार ब्रश अथवा दातुन करनी चाहिए तथा कुछ भी खाने के तुरन्त बाद कुल्ला करना चाहिए। मुख के अन्दर गंदी अंगुली अथवा बिना धुली वस्तु नहीं डालनी चाहिए।
प्रश्न 2.
आमाशय पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
आमाशय: यह आहारनाल का एक भाग है। यह मोटी भित्ति वाली एक थैलीनुमा संरचना है। यह चपटा एवं U आकृति का होता है तथा आहारनाल का सबसे चौड़ा भाग है । यह एक ओर ग्रसिका (ग्रास नली) से खाद्य प्राप्त करता है तथा दूसरी ओर क्षुद्रांत्र में खुलता है। इसका आंतरिक अस्तर (सतह) श्लेष्मल, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पाचक रस स्रावित करता है। श्लेष्मल आमाशय के आंतरिक अस्तर (सतह) को सुरक्षा प्रदान करता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन के साथ यहाँ पहुँचे जीवाणुओं को नष्ट करता है तथा माध्यम को अम्लीय बनाता है, जिससे पाचक रसों को क्रिया करने में सहायता मिलती है। पाचक रस (जठर रस) प्रोटीन को सरल पदार्थों में विघटित कर देता है।
प्रश्न 3.
रूमिनन्ट्स की पाचन प्रणाली को समझाइये।
उत्तर:
रूमिनन्ट्स की पाचन प्रणाली: रूमिनैन्ट अथवा रोमन्थी घास खाने वाले जन्तुओं को कहा जाता है। ये जन्तु पहले घास को जल्दी-जल्दी निगलकर आमाशय के एक भाग में भंडारित कर लेते हैं। यह भाग रूमेन (प्रथम आमाशय) कहलाता है। रूमिनन्ट में आमाशय चार भागों में बँटा होता है। रूमेन में भोजन का आंशिक पाचन होता है, जिसे जुगाल (कड) कहते हैं। परन्तु बाद में जन्तु इसको छोटे पिंडकों के रूप में पुनः मुख में लाता है और उसे चबाता रहता है। इस प्रक्रम को 'रोमन्थन' (जुगाली करना) कहते हैं। रूमिनन्ट्स में क्षुद्रांत्र एवं बृहदांत्र के बीच एक थैलीनुमा बड़ी संरचना होती है, जिसे अंधनाल कहते हैं। रूमिनैन्ट्स के भोजन (घास) में सेलुलोस की प्रचुरता होती है, जो एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है। भोजन के सेलुलोस का पाचन अंधनाल में कुछ जीवाणुओं द्वारा किया जाता है। ये जीवाणु मानव के आहारनाल में अनुपस्थित होते हैं।
प्रश्न 4.
अमीबा में संभरण एवं पाचन किस प्रकार होता है? लिखिए।
उत्तर:
अमीबा में संभरण एवं पाचन: अमीबा जलाशयों में पाया जाने वाला एककोशिकीय जीव है। इसकी कोशिका में एक कोशिका झिल्ली होती है, एक गोल सघन केन्द्रक एवं कोशिका द्रव्य में बुलबुले के समान अनेक धानियाँ होती अमीबा निरन्तर अपनी आकृति एवं स्थिति बदलता रहता है। यह एक अथवा अधिक अंगुली के समान प्रवर्ष निकालता रहता है, जिन्हें पादाभ (कृत्रिम पाँव) कहते हैं, जो इन्हें गति देने एवं भोजन पकड़ने में सहायता करते हैं। अमीबा कुछ सूक्ष्म जीवों का आहार करता है। जब इसे भोजन का आभास होता है, तो यह खाद्य कण के चारों ओर पादाभ विकसित करके उसे निगल लेता है। खाद्य पदार्थ उसकी खाद्य धानी में फंस जाते हैं। खाद्य धानी में ही पाचक रस लावित होते हैं। ये खाद्य पदार्थ पर क्रिया करके उन्हें सरल पदार्थों में बदल देते हैं। पचा हुआ खाद्य धीरे - धीरे अवशोषित हो जाता है। अवशोषित पदार्थ अमीबा की वृद्धि, रख - रखाव एवं गुणन के लिए उपयोग किए जाते हैं। बिना पचा अपशिष्ट खाद्यधानी द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।
प्रश्न 5.
क्षुद्रांत्र में होने वाले अवशोषण एवं स्वांगीकरण के प्रक्रम को समझाइए।
उत्तर:
क्षुद्रांत्र में अवशोषण एवं स्वांगीकरण: क्षुद्रांत्र लगभग 75 मीटर लम्बी अत्यधिक कुंडलित नली होती है। यह यकृत एवं अग्न्याशय से स्त्राव प्राप्त करती है। इसके अतिरिक्त इसकी भित्ति से भी कुछ रस स्त्रावित होते हैं। आंशिक रूप से पचा भोजन क्षुद्रांत्र के निचले भाग में पहुँचता है जहाँ आंत्र रस पाचन क्रिया को पूर्ण कर देता है। पचा हुआ भोजन अवशोषित होकर क्षुद्रांत्र की भित्ति में स्थित रुधिर वाहिकाओं में चला जाता है। इस प्रक्रम को अवशोषण' कहते हैं। क्षद्रांत्र, की आंतरिक भित्ति पर अँगली के समान उभरी हुई संरचनाएँ होती हैं, जिन्हें 'दीर्घरोम' अथवा रसांकुर कहते हैं।
ये दीर्घरोम पचे हुए भोजन के अवशोषण हेतु तल क्षेत्र बढ़ा देते हैं। प्रत्येक दीर्घरोम में सूक्ष्म रुधिर वाहिकाओं का जाल फैला रहता है। दीर्घरोम की सतह से पचे हुए भोजन का अवशोषण होता है। अवशोषित पदार्थों का स्थानान्तरण रुधिर वाहिकाओं द्वारा शरीर के विभिन्न भागों तक होता है, . जहाँ उनका उपयोग जटिल पदार्थों को बनाने में किया जाता है। इस प्रक्रम को 'स्वांगीकरण' कहते हैं। कोशिकाओं में उपस्थित ग्लूकोस का विघटन ऑक्सीजन की सहायता से कार्बन डाई - आक्साइड एवं जल में हो जाता है और ऊर्जा मुक्त होती है। भोजन का वह भाग, जिसका पाचन नहीं हो पाता अथवा अवशोषण नहीं होता, बृहदांत्र में भेज दिया जाता
प्रश्न 6.
मानव में पाचन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
अथवा
आहारनाल के विभिन्न भागों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव में पाचन: मानव में आहारनाल एवं सम्बद्ध स्रावी ग्रंथियाँ मिलकर पाचन तंत्र का निर्माण करते हैं। आहारनाल के विभिन्न भागों में भोजन का पाचन क्रमिक रूप से होता है। आहारनाल के विभिन्न भाग निम्न प्रकार से हैं।
(i) मुख एवं मुख गुहिका: भोजन का अन्तर्ग्रहण मुख द्वारा होता है। हमारे मुख में लाला ग्रन्थि होती है, जो लाला रस (लार) स्त्रावित करती है। इस लार को भोजन में मिलाने का कार्य जीभ करती है। (ii) भोजन नली (ग्रसिका): मुख गुहिका द्वारा निगला हुआ भोजन ग्रसिका में जाता है। ग्रसिका गले एवं वक्ष से होती हुई जाती है। ग्रसिका की भित्ति के संकुचन से भोजन नीचे की ओर सरकता जाता है। वास्तव में, सम्पूर्ण आहारनाल संकुचित होती रहती है तथा यह गति भोजन को नीचे की ओर धकेलती रहती है।
(iii) आमाशय: यह मोटी भित्ति वाली एक थैलीनुमा संरचना है। इसकी आन्तरिक सतह श्लेष्मल, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पाचक रस स्रावित करती है। अम्ल भोजन के साथ यहाँ तक पहुँचे जीवाणुओं को नष्ट करता है और माध्यम को अम्लीय बनाता है। पाचक रस (जठर रस) प्रोटीन को सरल पदार्थों में विघटित करता है।
(iv) क्षुद्रांत्र (छोटी आँत): यह लगभग 7.5 मीटर लम्बी अत्यधिक कुंडलित नली है। क्षुद्रांत्र में यकृत द्वारा खावित पित्त, अग्न्याशय से अग्न्याशयिक स्राव एवं क्षुद्रात्र भित्ति द्वारा स्रावित पाचक रस की क्रिया से भोजन के सभी घटकों का पाचन पूरा हो जाता है। भोजन के जिस भाग का पाचन अथवा अवशोषण नहीं होता, उसे बृहदांत्र में भेज दिया जाता है।
(v) बृहदांत्र (बड़ी आँत): यह क्षुद्रांत्र की अपेक्षा चौड़ी एवं छोटी होती है। यह मलाशय से जुड़ी होती है। जल एवं कुछ लवण बृहदांत्र में अवशोषित होते हैं। शेष बचा हुआ अपचित पदार्थ मलाशय में चला जाता है तथा अर्धठोस मल के रूप में रहता है।
(vi) मलद्वार अथवा गुदा -समय: समय पर यह मल गुदा द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है। इस प्रकार विभिन्न चरणों में मानव में पाचन की क्रिया सम्पन्न होती है।