Rajasthan Board RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 1 पादपों में पोषण Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
पादपों की खाद्य फैक्ट्रियाँ हैं।
(अ) जड़ें
(ब) तना
(स) पत्तियाँ
(द) फूल
उत्तर:
(स) पत्तियाँ
प्रश्न 2.
मृतजीवी है।
(अ) कवक
(ब) शैवाल
(स) घटपर्णी
(द) अमरबेल
(अ) कवक
उत्तर:
(अ) कवक
प्रश्न 3.
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के लिए आवश्यक घटक नहीं है।
(अ) क्लोरोफिल
(ब) सूर्य का प्रकाश
(स) जल
(द) ऑक्सीजन
उत्तर:
(द) ऑक्सीजन
प्रश्न 4.
आंशिक विषमपोषी पादप हैं।
(अ) घटपर्णी
(ब) वीनस फ्लाइ ट्रेप
(स) सनड्यू
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 5.
फसल कटाई के बाद मृदा में कमी हो जाती है।
(अ) ऑक्सीजन की
(ब) नाइट्रोजन की
(स) हाइड्रोजन की
(द) कार्बन डाई - ऑक्साइड की
उत्तर:
(ब) नाइट्रोजन की
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:
प्रश्न 1.
पत्तियों की सतह पर उपस्थित रंध ........... द्वारा घिरे होते हैं।
उत्तर:
द्वारकोशिकाओं
प्रश्न 2.
प्रकाश संश्लेषण के लिए .............. एवं ................ अनिवार्य रूप से आवश्यक हैं।
उत्तर:
क्लोरोफिल, सूर्य का प्रकाश
प्रश्न 3.
प्रोटीन .................. पदार्थ होते हैं।
उत्तर:
नाइट्रोजनी
प्रश्न 4.
............... जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन को विलय पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं।
उत्तर:
राइजोबियम।
निम्न में से सत्य / असत्य कथन छाँटिए:
प्रश्न 1.
कवक प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन प्राप्त करते हैं।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 2.
लाइकेन विषमपोषी होते हैं।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 3.
राइजोबियम फलीदार पादपों की जड़ों में सहजीवी रूप में रहता है।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 4.
सामान्यतः कवकों के बीजाणु जल में उपस्थित होते हैं।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 5.
कार्बोहाइड्रेट जैसे जटिल रासायनिक पदार्थ प्रकाश संश्लेषण के उत्पाद हैं।
उत्तर:
सत्य
कॉलम - A में दिए गए शब्दों को मिलान कॉलम - B से कीजिए:
प्रश्न 1.
कॉलम - A |
कॉलम - B |
(1) पादप |
(A) सहजीवी |
(2) कवक |
(B) स्वपोषी |
(3) लाइकेन |
(C) विषमपोषी |
(4) जन्तु |
(D) मृतजीवी |
उत्तर:
कॉलम - A |
कॉलम - B |
(1) पादप |
(B) स्वपोषी |
(2) कवक |
(D) मृतजीवी |
(3) लाइकेन |
(A) सहजीवी |
(4) जन्तु |
(C) विषमपोषी |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
पोषण किसे कहते हैं?
उत्तर:
सजीवों द्वारा भोजन ग्रहण करने एवं इसके उपयोग की विधि को 'पोषण' कहते हैं।
प्रश्न 2.
स्वपोषण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पोषण की वह विधि, जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं, स्वपोषण कहलाती है।
प्रश्न 3.
क्या भोजन पादप के सभी भागों में निर्मित होता है अथवा केवल कुछ विशेष भागों में?
उत्तर:
भोजन पादपों के सभी भागों में निर्मित नहीं होता, सिर्फ उनकी पत्तियों में संश्लेषित होता है।
प्रश्न 4.
पत्तियों की सतह पर उपस्थित रंध्रों द्वारा वायु में उपस्थित कौनसी गैस प्रवेश करती है?
उत्तर:
कार्बन डाई - ऑक्साइड।
प्रश्न 5.
पत्तियों में एक हरा वर्णक पाया जाता है, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर:
क्लोरोफिल।
प्रश्न 6.
सभी जीवों के लिए ऊर्जा का चरम स्रोत क्या
उत्तर:
सभी जीवों के लिए ऊर्जा का चरम स्रोत सूर्य है।
प्रश्न 7.
प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक घटकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
क्लोरोफिल, सूर्य का प्रकाश, कार्बन डाई - ऑक्साइड और जल।
प्रश्न 8.
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया का प्रमुख उत्पाद कौनसा है?
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेट।
प्रश्न 9.
किन्हीं तीन कीटभक्षी पादपों के नाम लिखिए।
उत्तर:
घटपर्णी (पिचर पादप), वीनस फ्लाइ ट्रेप तथा सनड्यू पादप।
प्रश्न 10.
क्या यह संभव है कि कीटभक्षी पादपों को मृदा से वे सभी पोषक नहीं मिल पाते हैं, जिनकी उन्हें आवश्यकता है?
उत्तर:
हाँ, कीटभक्षी पादपों को मृदा से सभी पोषक नहीं मिल पाते, इसी कारण ये कीटों का भक्षण करते हैं।
प्रश्न 11.
क्या हम कह सकते हैं कि कीटभक्षी पौधे आंशिक विषमपोषी हैं?
उत्तर:
हाँ, कीटभक्षी पौधे आंशिक विषमपोषी होते हैं।
प्रश्न 12.
कवक या फंजाई में कौनसी पोषण प्रणाली पाई जाती है?
उत्तर:
कवक या फंजाई में मृतजीवी पोषण प्रणाली पाई जाती है।
प्रश्न 13.
शैवाल अपना भोजन किस प्रकार प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
शैवाल प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।
प्रश्न 14.
फलीदार पादपों की जड़ों में कौनसा जीवाणु सहजीवी के रूप में पाया जाता है?
उत्तर:
राइजोबियम।
प्रश्न 15.
जिन मरुस्थलीय पादपों में पत्तियाँ शल्क या शूल में रूपान्तरित हो जाती है, उनमें प्रकाश संश्लेषण कहाँ होता है?
उत्तर:
जिन मरुस्थलीय पादपों में पत्तियाँ शल्क या शूल में रूपान्तरित हो जाती है, उनमें तने हरे होते हैं, जो प्रकाश संश्लेषण का कार्य करते हैं।
लघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
पादप अपने परिवेश से कच्ची सामग्री किस प्रकार प्राप्त करते हैं? खाद्य फैक्ट्रियों तक उनका स्थानांतरण किस प्रकार होता है?
उत्तर:
कच्ची सामग्री अर्थात् मृदा में उपस्थित जल एवं खनिज लवण जड़ (मूल) द्वारा अवशोषित किए जाते हैं। यह अवशोषित जल एवं खनिज, पादप को खाद्य फैक्ट्रियों अर्थात् पत्तियों तक तने के माध्यम से पहुंचाए जाते हैं। वस्तुत: जड़, जना, शाखा एवं पत्तियों तक वाहिकाएँ फैली होती हैं। ये वाहिकाएँ ही जल एवं खनिज को पत्तियों तक पहुँचाती हैं।
प्रश्न 2.
आप कैसे कह सकते हैं कि 'मानव एवं अन्य प्राणी भोजन के लिए पादपों पर निर्भर रहते हैं।'
उत्तर:
सभी जीवों को भोजन की आवश्यकता होती है। पादप अपना भोजन स्वयं बना सकते हैं, परन्तु मानव सहित कोई भी प्राणी अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकता। ये पादपों अथवा पादपों का आहार ग्रहण करने वाले जंतुओं से अपना भोजन प्राप्त करते हैं। अत: हम कह सकते हैं कि मानव तथा अन्य प्राणी प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से पादपों पर निर्भर रहते हैं।
प्रश्न 3.
कोशिका पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कोशिकाएँ: सजीवों का शरीर सूक्ष्म इकाइयों से बनता है, जो कोशिका कहलाती हैं। कोशिकाओं को सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखा जा सकता है। कुछ जीव मात्र एक
कोशिका एक पतली बार संरचना द्वारा घिरी होती है, जिसे कोशिका झिल्ली कहते हैं। इसमें केन्द्र में स्थित एक सुस्पष्ट संरचना भी होती है, जो केन्द्रक कहलाती है। केन्द्रक चारों ओर से जेली के समान एक पदार्थ से घिरा होता है, जिसे कोशिका द्रव्य कहते हैं।
प्रश्न 4.
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि प्रकाश संश्लेषण नहीं होगा, तो क्या होगा?
उत्तर:
पादपों के लिए प्रकाश संश्लेषण अत्यावश्यक है। प्रकाश संश्लेषण नहीं होने की स्थिति में खाद्य उपलब्ध नहीं होगा। सभी जीवों का अस्तित्व प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से पादपों द्वारा निर्मित भोजन पर निर्भर करता है। इसके अतिरिक्त सभी जीवों के लिए परमावश्यक ऑक्सीजन भी प्रकाश संश्लेषण के दौरान निर्मित होती है। प्रकाश संश्लेषण की अनुपस्थिति में, पृथ्वी पर जीवन की कल्पना असंभव है।
प्रश्न 5.
पादपों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कहाँकहाँ सम्पन्न होती है?
उत्तर:
पादपों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया मुख्यतः इनकी पत्तियों में सम्पन्न होती है। परन्तु कुछ पादपों में पत्तियों के अतिरिक्त, दूसरे हरे भागों जैसे कि हरे तने एवं हरी शाखाओं में भी प्रकाश संश्लेषण की क्रिया होती है। मरुस्थलीय पादपों में वाष्पोत्सर्जन द्वारा होने वाले जल क्षय को कम करने के लिए पत्तियाँ शल्क अथवा शूल रूपी हो जाती हैं। इन पादपों के तने हरे होते हैं, जो प्रकाश संश्लेषण का कार्य करते हैं।
प्रश्न 6.
शैवाल किसे कहते हैं? इनका रंग हरा क्यों होता है?
उत्तर:
गीली दीवारों पर, तालाब अथवा ठहरे हुए जलाशय में हरे अवपंकी (काई जैसे पादप) दिखाई देते हैं। ये सामान्यतः कुछ जीवों की वृद्धि के कारण बनते हैं, जो शैवाल कहलाते हैं। इनमें क्लोरोफिल पाया जाता है, जिसके कारण ये हरे दिखाई देते हैं। यह भी प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।
प्रश्न 7.
पादपों को नाइट्रोजन कहाँ से प्राप्त होती है?
उत्तर:
वायु में नाइट्रोजन गैसीय अवस्था में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। परन्तु, पादप इसका अवशोषण इसी रूप में नहीं कर सकते। मिट्टी में कुछ विशेष जीवाणु'राइजोबियम' होते हैं, जो गैसीय नाइट्रोजन को विलेय पदार्थों में परिवर्तित कर मृदा में निर्मुक्त करते हैं। ये विलेय पदार्थ पादपों द्वारा जल के साथ अवशोषित कर लिए जाते हैं । इस प्रकार पादप नाइट्रोजन को विलेय रूप में अवशोषित कर लेते हैं।
प्रश्न 8.
कुछ पादप (पौधे) ऐसे भी होते हैं, जिनमें क्लोरोफिल नहीं पाया जाता। वे अपना भोजन संश्लेषित नहीं कर सकते, फिर वे जीवित कैसे रहते हैं, तथा वे पोषक किस प्रकार प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
मनुष्य तथा अन्य प्राणियों की तरह ये पादप भी अपने पोषण के लिए अन्य पादपों द्वारा निर्मित खाद्य पर निर्भर होते हैं। इस प्रकार वे विषमपोषी प्रणाली का उपयोग करते हैं। जैसे-अमरबेल का पादप। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता। ये अपना भोजन उस पादप से प्राप्त करते हैं, जिस पर ये आरोहित होते हैं। जिस पादप पर ये आरोहित होते हैं, वह 'परपोषी' कहलाता है। अमरबेल जैसे पादप परपोषी को उसके पोषकों से वंचित करते हैं, अत: ये 'परजीवी' कहलाते हैं।
प्रश्न 9.
मृतजीवी एवं मृतजीवी पोषण प्रणाली किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसी पोषण प्रणाली, जिसमें जीव किसी मृत एवं विघटित जैविक पदार्थों से पोषक तत्व प्राप्त करते हैं, 'मृतजीवी पोषण प्रणाली' कहलाती है। इस पोषण प्रणाली का उपयोग करने वाले पौधे 'मृतजीवी' कहलाते हैं।
प्रश्न 10.
सहजीवी सम्बन्ध किसे कहते हैं? एक उदाहरण द्वारा समझाइये।
उत्तर:
सहजीवी सम्बन्ध: कुछ जीव एक-दूसरे के साथ रहते हैं तथा अपना आवास एवं पोषक तत्त्व एक - दूसरे के साथ बाँटते हैं। इसे 'सहजीवी सम्बन्ध' कहते हैं। उदाहरणत: कुछ कवक वृक्षों की जड़ों में रहते हैं। वृक्ष कवक को पोषण प्रदान करते हैं और कवक वृक्षों को जल एवं पोषकों के अवशोषण में सहायता करते हैं।
प्रश्न 11.
लाइकेन में सहजीवी सम्बन्ध को समझाइये।
उत्तर:
लाइकेन नामक जीव भी सहजीवी सम्बन्ध दर्शाते हैं। इन जीवों में दो भागीदार होते हैं, जिनमें से एक शैवाल होता है और दूसरा कवक शैवाल में क्लोरोफिल होता है, परन्तु कवक में नहीं। कवक शैवाल को रहने का स्थान, जल एवं पोषक तत्त्व उपलब्ध कराता है, जबकि शैवाल प्रकाश संश्लेषण द्वारा संश्लेषित खाद्य कवक को देता है।
प्रश्न 12.
मृदा में पोषकों की पुनः पूर्ति किस प्रकार होती है? समझाइये।
उत्तर:
पादप मृदा से खनिज पोषक तत्त्व अवशोषित करते हैं। पादपों द्वारा लगातार उपयोग किए जाने के कारण मृदा में इनकी मात्रा धीरे - धीरे कम होती जाती है। इसलिए मृदा को इन पोषक तत्त्वों से समृद्ध करने के लिए भूमि में उर्वरक तथा खाद मिलाने की आवश्यकता होती है। उर्वरक एवं खाद्य में नाइट्रोजन, पोटैशियम, फॉस्फोरस जैसे पादप पोषक होते हैं। इस प्रकार उर्वरक एवं खाद को मृदा में मिलाकर मृदा में पोषकों की पुनः पूर्ति कर ली जाती है।
प्रश्न 13.
घटपर्णी (पिचर पादप) में घड़े एवं उक्कन जैसी संरचना का निर्माण किसके द्वारा होता है?
उत्तर:
घटपर्णी (पिचर पादप) में घड़े (घट) के समान दिखाई देने वाली संरचना उसकी पत्ती का रूपान्तरित भाग है। पत्ते का शीर्ष भाग घड़े का ढक्कन बनाता है।
प्रश्न 14.
राइजोबियम जीवाणु का पादपों के साथ सहजीवी सम्बन्ध किसानों के लिए किस प्रकार विशेष महत्त्व का है?
उत्तर:
राइजोबियम के पादपों के साथ सहजीवी सम्बन्ध के कारण किसानों को दालों की फसलों के लिए मृदा में | नाइट्रोजनी उर्वरक देने की आवश्यकता नहीं पड़ती। यही ‘नहीं दाल की फसल उगाने के बाद अगली फसल के लिए भी सामान्यत: उर्वरकों की आवश्यकता नहीं पड़ती।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
पोषक से क्या अभिप्राय है? पादपों में पोषण विधियों को समझाइये।
उत्तर:
(1) पोषक: भोजन के प्रमुख घटक, जैसेकार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन एवं खनिज, जो हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होते हैं, पोषक कहलाते हैं।
(2) पादपों में पोषण विधि: सजीवों द्वारा भोजन ग्रहण करने एवं इसके उपयोग की विधि को पोषण कहते हैं। पादपों की पोषण विधि अग्न प्रकार से है।
प्रश्न 2.
क्लोरोफिल क्या है? क्लोरोफिल युक्त कोशिकाएँ दर्शाते हुए एक पत्ती का चित्र बनाइए।
उत्तर:
क्लोरोफिल:
यह पादपों की पत्तियों में पाया जाने वाला हरा वर्णक होता है। क्लोरोफिल ही सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा का संग्रहण करने में पत्ती की सहायता करता है। इसी ऊर्जा का उपयोग जल एवं कार्बन डाईऑक्साइड से खाद्य संश्लेषण में होता है।
प्रश्न 3.
पादप कार्बोहाइड्रेट एवं अन्य खाद्यों का संश्लेषण किस प्रकार करते हैं?
उत्तर:
पादप प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण करते हैं। 'कार्बोहाइड्रेट' मूलतः कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन से बनते हैं। इनका उपयोग खाद्य के अन्य घटकों के संश्लेषण में होता है। परन्तु प्रोटीन नाइट्रोजनी पदार्थ हैं, जिनमें कार्बन, ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन के अतिरिक्त नाइट्रोजन भी होती है। किसान अपने खेतों में नाइट्रोजनी पदार्थों की प्रचुरता वाले उर्वरक व खाद डालते हैं। इससे अन्य संघटकों के साथ पादपों की नाइट्रोजन की माँग की भी पूर्ति हो जाती है। इसके पश्चात् पादप खाद्य के अन्य संघटकों, जैसे कि प्रोटीन एवं वसा का संश्लेषण करते हैं।
प्रश्न 4.
कीटभक्षी पादप से आप क्या समझते हैं? किसी एक की संरचना को समझाइये।
उत्तर:
कीटभक्षी पादप: कीटों का भक्षण करने वाले पादप 'कीटभक्षी पादप' कहलाते हैं। ये पादप आंशिक विषमपोषी होते हैं। इस प्रकार के पादपों को आवश्यकतानुसार मृदा से सभी पोषक तत्त्व नहीं मिल पाते हैं, इसलिए ये कीटों का भक्षण करते हैं। उदाहरण: घटपर्णी, वीनस फ्लाइ ट्रेप तथा सनड्यू पादप आदि।
घटपर्णी पादप: घटपर्णी (पिचर पादप) में घड़े के समान संरचना दिखाई देती है, जो वास्तव में इसकी पत्ती का
रूपांतरित पत्ती चित्र : घटपर्णी पादप (पिचर पादप) रूपांतरित भाग होता है। पत्ते का शीर्ष भाग घड़े का ढक्कन बनाता है। घड़े के अन्दर अनेक रोम होते हैं जो नीचे की ओर ढलके होते हैं अर्थात् अधोमुखी होते हैं। जब कोई कीट घड़े में प्रवेश करता है, तो यह उसके रोमों के बीच फंस जाता है। घड़े में उपस्थित पाचक रस द्वारा कीटों का पाचन हो जाता है। इस कारण यह 'कीटभक्षी पादप' कहलाता है।
प्रश्न 5.
स्पष्ट कीजिए कि राइजोबियम जीवाणु तथा फलीदार पादपों में सहजीवी सम्बन्ध पाया जाता है।
उत्तर:
सहजीवी सम्बन्ध: कुछ जीव एक-दूसरे के साथ रहते हैं तथा अपना आवास एवं पोषक तत्त्व एक - दूसरे के साथ बाँटते हैं। इसे 'सहजीवी सम्बन्ध' कहते हैं।
राइजोबियम जीवाणु तथा फलीदार पादपों में सहजीवी सम्बन्ध: पौधे नाइट्रोजन को विलेय रूप में ही अवशोषित कर सकते हैं। कुछ जीवाणु जो राइजोबियम कहलाते हैं, वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को विलेय पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं। परन्तु राइजोबियम अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते। ये चना, मटर, मूंग, सेम तथा अन्य फलीदार पादपों की जड़ों में रहते हैं तथा उन्हें नाइट्रोजन की आपूर्ति करते हैं। अधिकतर दालें फलीदार पादपों से प्राप्त होती हैं। इसके बदले फलीदार पादप राइजोबियम जीवाणु को आवास एवं खाद्य प्रदान करते हैं। इस प्रकार इनमें सहजीवी सम्बन्ध होता है। इस सम्बन्ध का किसानों के लिए विशेष महत्त्व है। इस सहसम्बन्ध के कारण किसानों को दालों की फसलों के लिए मृदा में नाइट्रोजनी उर्वरक देने की आवश्यकता नहीं पड़ती। यही नहीं, दाल की फसल उगाने के बाद अगली फसल के लिए भी सामान्यतः उर्वरकों की आवश्यकता नहीं रहती।