RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

Rajasthan Board RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र Important Questions and Answers.

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

बहुविकल्पीय प्रश्न: 

प्रश्न 1. 
'मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के मध्य परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।' यह कथन निम्न में से किस का है।
(क) जीन ब्रून्स 
(ख) चर्चिल सेंपल 
(ग) रैटज़ेल
(घ) ब्लाश 
उत्तर:
(ख) चर्चिल सेंपल 

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प्रश्न 2. 
मानव समाज एवं प्रकृति की प्रबल शक्तियों के मध्य की अन्योन्यक्रिया को कहा गया:
(क) पर्यावरणीय निश्चयवाद
(ख) संभववाद 
(ग) नव निश्चयवाद
(घ) ये सभी 
उत्तर:
(घ) ये सभी 

प्रश्न 3. 
निम्न में से किस तत्त्व को 'माता प्रकृति' कहा जाता है।
(क) सामाजिक पर्यावरण 
(ख) भौतिक पर्यावरण 
(ग) राजनीतिक पर्यावरण 
(घ) ये सभी 
उत्तर:
(ग) राजनीतिक पर्यावरण 

प्रश्न 4. 
यह विचार कि, "भौगोलिक वातावरण मानव के क्रियाकलापों एवं सामंजस्य को पर्याप्त अवसर प्रदान करता है।" यह किस भौगोलिक दर्शन से संबंधित है।
(क) निश्चयवाद 
(ख) संभववाद 
(ग) नव - निश्चयवाद 
(घ) अस्तित्ववाद 
उत्तर:
(घ) अस्तित्ववाद 

प्रश्न 5. 
'रुको और जाओ निश्चयवाद' के प्रतिपादक कौन थे।
(क) ब्लांश
(ख) सेंपल 
(ग) ग्रिफिथ टेलर 
(घ) स्पेट 
उत्तर:
(क) ब्लांश

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प्रश्न 6. 
मानव भूगोल की कौन - सी विचारधारा ने मार्क्स के सिद्धान्त का उपयोग किया।
(क) मानवतावादी विचारधारा
(ख) आमूलवादी विचारधारा 
(ग) व्यवहारवादी विचारधारा
(घ) अस्तित्ववादी विचारधारा 
उत्तर:
(ग) व्यवहारवादी विचारधारा

प्रश्न 7. 
मानव भूगोल में उत्तर आधुनिकवाद का प्रारम्भ किस दशक से माना जाता है:
(क) 1950 के दशक से
(ख) 1970 के दशक से 
(ग) 1980 के दशक से
(घ) 1990 के दशक से। 
उत्तर:
(घ) 1990 के दशक से। 

प्रश्न 8. 
निम्नलिखित में से भूगोल की कौन - सी शाखा मानव भूगोल में सम्मिलित नहीं है:
(क) संसाधन भूगोल 
(ख) जलवायु विज्ञान 
(ग) पर्यटन भूगोल 
(घ) कृषि भूगोल
उत्तर:
(घ) कृषि भूगोल

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सुमलेन सम्बन्धी प्रश्न

निम्न में स्तम्भ 'अ' को स्तम्भ 'ब' से सुमेलित कीजिए।

प्रश्न 1.

स्तम्भ अ (उपक्षेत्र)

स्तम्भ ब (अंतरापृष्ठ)

(i) ऐतिहासिक भूगोल

(अ) मनोविज्ञान

(ii) व्यवहारवादी भूगोल

(ब) व्यावसायिक अर्थशास्त्र

(iii) विपणन भूगोल

(स) मानव विज्ञान

(iv) सांस्कृतिक भूगोल

(द) कृषि विज्ञान

(v) कृषि भूगोल

(य) इतिहास

उत्तर:

स्तम्भ अ (उपक्षेत्र)

स्तम्भ ब (अंतरापृष्ठ)

(i) ऐतिहासिक भूगोल

(य) इतिहास

(ii) व्यवहारवादी भूगोल

(अ) मनोविज्ञान

(iii) विपणन भूगोल

(ब) व्यावसायिक अर्थशास्त्र

(iv) सांस्कृतिक भूगोल

(स) मानव विज्ञान

(v) कृषि भूगोल

(द) कृषि विज्ञान

 

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न:

निम्न वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

प्रश्न 1. 
भूगोल समाकलनात्मक, आनुभविक एवं ............... है। 
उत्तर:
व्यावहारिक 

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प्रश्न 2. 
भौतिक भूगोल ............. पर्यावरण का अध्ययन करता है।
उत्तर:
भौतिक 

प्रश्न 3.
प्रकृति और मानव ............. तत्त्व हैं।
 उत्तर:
अविभाज्य 

प्रश्न 4.
नवनिश्चयवाद संकल्पनात्मक ढंग से एक ................ बनाने का प्रयास करता है। 
उत्तर:
संतुलन 

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प्रश्न 5.
मानव भूगोल विस्तृत होते ............. को परिलक्षित करती है।
उत्तर:
परिमंडल।

सत्य - असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न:

निम्न में से सत्य-असत्य कथनों की पहचान कीजिए:

प्रश्न 1.
प्रकृति और मानव अविभाज्य तत्त्व हैं?
उत्तर:
सत्य 

प्रश्न 2.
भौतिक पर्यावरण को मानव द्वारा वृहत स्तर पर परिवर्तित नहीं किया गया है।
उत्तर:
सत्य 

प्रश्न 3.
मानवीय क्रियाएँ सांस्कृतिक भूदृश्य की रचना करती हैं।
उत्तर:
असत्य 

प्रश्न 4.
पर्यावरणीय निश्चयवाद का प्रतिपादन ग्रिफिथ टेलर ने किया है।
उत्तर:
असत्य 

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प्रश्न 5.
मानवतावादी विचारधार 1970 के दशक में सामने आयी।
उत्तर:
सत्य 
 
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न: 

प्रश्न 1. 
एक अध्ययन क्षेत्र के रूप में भूगोल की विशेषताएँ बताइए। 
उत्तर:
एक अध्ययन क्षेत्र के रूप में भूगोल समाकलनात्मक, आनुभविक एवं व्यावहारिक विषय है। 

प्रश्न 2. 
भूगोल की दो प्रमुख शाखाएँ कौन - कौन सी हैं? 
उत्तर:
भूगोल की दो प्रमुख शाखाएँ हैं

  1. भौतिक भूगोल 
  2. मानव भूगोल। 

प्रश्न 3. 
पृथ्वी के दो प्रमुख घटक कौन - कौन से हैं? 
उत्तर:
पृथ्वी के दो प्रमुख घटक हैं:

  1. भौतिक र्घटक 
  2. जैविक घटक। 

प्रश्न 4. 
एक विषय के रूप में भूगोल का मुख्य सरोकार (लगाव) क्या है?
उत्तर:
एक विषय के रूप में भूगोल का मुख्य सरोकार पृथ्वी को मानव के घर के रूप में समझना तथा उन समस्त तत्त्वों का अध्ययन करना है जिन्होंने मानव को पोषित किया है।

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प्रश्न 5. 
क्या प्रकृति एवं मानव के मध्य वैध द्वैधता है? 
उत्तर:
समग्रता के साथ देखा जाना चाहिए।

प्रश्न 6. 
लिविंग स्टोन तथा रोजर्स के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
लिविंग स्टोन तथा रोजर्स के अनुसार, “मानव भूगोल भौतिक/प्राकृतिक एवं मानवीय जगत के मध्य सम्बन्धों, मानवीय परिघटनाओं के स्थानिक वितरण तथा उनके घटित होने के कारणों एवं विश्व के विभिन्न भागों में सामाजिक व आर्थिक विभिन्नताओं का अध्ययन करता है।"

प्रश्न 7. 
मानव भूगोल में किसका अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
मानव भूगोल में भौतिक पर्यावरण एवं मानव जनित सामाजिक - सांस्कृतिक पर्यावरण के अंतर्सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 8. 
भौतिक पर्यावरण के प्रमुख तत्त्व कौन - कौन से हैं? 
उत्तर:
भौतिक पर्यावरण के प्रमुख तत्व निम्न हैं - भू - आकृति, जलवायु, मृदाएँ, जल, प्राकृतिक वनस्पति आदि।

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प्रश्न 9. 
सांस्कृतिक वातावरण के प्रमुख तत्त्वों के नाम लिखिए। 
उत्तर:
सांस्कृतिक वातावरण के प्रमुख तत्त्व निम्न हैं - गृह, गाँव, नगर, सड़कें, उद्योग, खेत, पत्तन, रेलों का जाल आदि। 

प्रश्न 10. 
पर्यावरणीय निश्चयवाद क्या है?
उत्तर:
मानव शक्तियों की अपेक्षा प्राकृतिक शक्तियों की प्रधानता को स्वीकार करने वाली विचारधारा को पर्यावरणीय निश्चयवाद कहा जाता है।

प्रश्न 11. 
संभववाद क्या है?
उत्तर:
प्रकृति प्रदत्त अवसरों के अनुसार मानव के द्वारा अपनी छाँट से संभावनाओं का प्रयोग करते हुए प्रकृति पर अपनी छाप छोड़ना ही संभववाद है।

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प्रश्न 12. 
नव निश्चयवाद की धारणा किसने प्रस्तुत की थी? 
उत्तर:
नव निश्चयवाद की धारणा ग्रिफिथ टेलर ने प्रस्तुत की थी। 

प्रश्न 13. 
मानव भूगोल की कल्याणपरक विचारधारा क्या है?
अथवा 
मानव भूगोल की मानवतावादी विचारधारा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मानव भूगोल की कल्याणपरक या मानवतावादी विचारधारा का सम्बन्ध प्रमुख रूप से मानव के सामाजिक कल्याण के विभिन्न पक्षों से है। इसमें आवासन, स्वास्थ्य तथा शिक्षा जैसे पक्षों को भी सम्मिलित किया जाता है। 

प्रश्न 14. 
मानव भूगोल की आमूलवादी विचारधारा में किस सिद्धान्त का प्रयोग किया गया है?
अथवा 
मानव भूगोल की रेडिकल विचारधारा में किस विद्वान के सिद्धान्त का उपयोग किया गया?
उत्तर:
मानव भूगोल की आमूलवादी विचारधारा में निर्धनता के कारण बंधन तथा सामाजिक असमानता की व्याख्या करने के लिए मार्क्स के सिद्धान्त का उपयोग किया।

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प्रश्न 15. 
मानव भूगोल की व्यवहारवादी विचारधारा किन-किन तथ्यों पर बल देती है?
उत्तर:
मानव भूगोल की व्यवहारवादी विचारधारा प्रत्यक्ष अनुभव के साथ - साथ मानवीय जातीयता, प्रजाति, धर्म आदि पर आधारित सामाजिक संवर्गों के दिक्काल बोध पर अधिक बल देती है।

प्रश्न 16. 
मानव भूगोल में स्थानिक संगठन उपागम का उपयोग किस अवधि में हुआ?
उत्तर:
मानव भूगोल में स्थानिक संगठन उपागम का उपयोग 1950 के दशक के अन्त से 1960 के दशक के अन्त तक किया गया।

प्रश्न 17. 
1970 के दशक में मानव भूगोल में किन-किन विचारधाराओं का उदय हुआ? 
उत्तर:
1970 के दशक में मानव भूगोल में मानवतावादी, आमूलवादी तथा व्यवहारवादी विचारधाराओं का उदय हुआ।

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प्रश्न 18. 
मानव भूगोल के प्रमुख उपागम कौन-कौन से हैं? 
उत्तर:
मानव भूगोल के निम्नलिखित उपागम हैं:

  1. अन्वेषण एवं विवरण 
  2. प्रादेशिक विश्लेषण 
  3. क्षेत्रीय विभेदन 
  4. स्थानिक संगठन 
  5. मानवतावादी, आमूलवादी एवं व्यवहारवादी विचारधाराओं का उदय 
  6. भूगोल में उत्तर आधुनिकवाद। 

प्रश्न 19. 
मानव भूगोल की प्रमुख शाखाएँ कौन - कौन सी हैं?
अथवा 
मानव भूगोल के क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:
मानव भूगोल की प्रमुख शाखाएँ निम्न हैं।

  1. सामाजिक भूगोल 
  2. नगरीय भूगोल 
  3. राजनीतिक भूगोल 
  4. जनसंख्या भूगोल 
  5. आवास भूगोल 
  6. आर्थिक भूगोल। 

प्रश्न 20. 
जनसंख्या भूगोल का सम्बन्ध आप किस सामाजिक विज्ञान से जोड़ना चाहेंगे? 
उत्तर:
जनांकिकी से। 

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प्रश्न 21. 
राजनीतिक भूगोल की दो प्रमुख शाखाओं के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. निर्वाचन भूगोल 
  2. सैन्य भूगोल।

प्रश्न 22. 
आर्थिक भूगोल के उपक्षेत्रों के नाम लिखिए। 
उत्तर-:

  1. संसाधन भूगोल 
  2. पर्यटन भूगोल 
  3. कृषि भूगोल 
  4. विप न भूगोल 
  5. उद्योग भूगोल 
  6. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का भूगोल।

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1):

प्रश्न 1. 
भौतिक भूगोल और मानव भूगोल में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भौतिक भूगोल भौतिक पर्यावरण का अध्ययन करता है, जबकि मानव भूगोल भौतिक अथवा प्राकृतिक एवं मानवीय जगत के मध्य सम्बन्धों, मानवीय परिघटनाओं के स्थानिक वितरणों तथा उनके घटित होने के कारणों एवं विश्व के विभिन्न भागों में सामाजिक और आर्थिक विभिन्नताओं का अध्ययन करता है।

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प्रश्न 2. 
भूगोल में नोमोथेटिक एवं इडियोग्राफिक क्या हैं? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
1. नोमोथेटिक का अर्थ है भूगोल का नियम-बद्ध होना। भूगोल का एक उपागम जो यह मानता है कि भूगोल आवश्यक रूप से वैज्ञानिक नियमों के प्रतिपादन से संबंधित होना चाहिए।

2. इडियोग्राफिक का अर्थ है भूगोल का विवरणात्मक होना। यह विधि घटनाओं के सामान्य स्वरूप की परिस्थितियों के विपरीत विशिष्ट परिस्थितियों पर अधिक बल देती है। परम्परागत प्रादेशिक भूगोल के अन्तर्गत इसी विधि को अपनाया जाता था क्योंकि इसमें यह विश्लेषण किया जाता है कि विभिन्न देश तथा प्रदेश एक - दूसरे से कैसे अलग होते हैं।

प्रश्न 3. 
"भौतिक तथा मानवीय दोनों परिघटनाओं का वर्णन मानव शरीर रचना विज्ञान के प्रतीकों का प्रयोग करते हुए रूपकों के रूप में किया जाता है।" उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा 
प्रकृति और मानव अविभाज्य तत्व हैं, स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
मानव शरीर रचना विज्ञान के कुछ शब्दों का प्रयोग भौतिक एवं मानवीय परिघटनाओं के लिए किया जाता है; जैसे

  1. हम 'पृथ्वी के रूप' का वर्णन करते हैं। 
  2. हम 'तूफान की आँख' शब्द का प्रयोग करते हैं। 
  3. 'नदी के मुख' का प्रयोग किया जाता है। 
  4. हिमनदी के प्रोथ (नासिका) शब्द का प्रयोग होता है। 
  5. सड़कों, रेलमार्गों, जलमार्गों के जाल को परिसंचरण की धमनियों कहते हैं। 
  6. राजधानी को राज्य / राष्ट्र का सिर कहते हैं। 
  7. राज्य व देश का वर्णन 'जीवित जीव' के रूप में करते हैं।

प्रश्न 4. 
रैटजेल के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा लिखिए। (उ.मा. परीक्षा, 2012) 
उत्तर:
फ्रेडरिक रैटजेल एक जर्मन भूगोलवेत्ता थे। इन्होंने मानव भूगोल को निम्न प्रकार से परिभाषित किया "मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच संबंधों का संश्लेषित अध्ययन है।" रैटजेल द्वारा दी गयी मानव भूगोल की इस परिभाषा में भौतिक तथा मानवीय तत्वों के संश्लेषण पर अधिक बल दिया गया है। 

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प्रश्न 5. 
पॉल विडाल डी ला ब्लाश द्वारा दी गयी मानव भूगोल की परिभाषा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पॉल विडाल डी ला ब्लाश एक फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता थे। इनके अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा-"मानव भूगोल हमारी पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों एवं इस पर रहने वाले जीवों के मध्य सम्बन्धों के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना प्रस्तुत करता है।" इस परिभाषा में एक नई संकल्पना है। यह पृथ्वी एवं मानव के बीच सम्बन्धों का अध्ययन है। भौतिक पर्यावरण के तत्त्व एवं मानवीय पर्यावरण के तत्व एक - दूसरे से अन्योन्यक्रिया करते हैं।

प्रश्न 6. 
मानव भूगोल की प्रकृति की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल की प्रकृति का प्रमुख आधार भौतिक पर्यावरण तथा मानव निर्मित सामाजिक - सांस्कृतिक पर्यावरण के परस्पर अन्तर्सम्बन्धों पर निर्भर है। मानव अपने क्रियाकलापों द्वारा भौतिक पर्यावरण में वृहद् स्तरीय परिवर्तन कर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक पर्यावरण का निर्माण करता है। गृह, गाँव, नगर, सड़कों व रेलों का जाल, उद्योग, खेत, पत्तन (बन्दरगाह), दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएँ, भौतिक संस्कृति के अन्य सभी तत्त्व सांस्कृतिक भूदृश्य के ही अंग हैं। वस्तुतः मानवीय क्रियाकलापों को भौतिक पर्यावरण के साथ - साथ मानव द्वारा निर्मित सांस्कृतिक भूदृश्य या सांस्कृतिक पर्यावरण भी प्रभावित करते हैं। 

प्रश्न 7. 
"प्रौद्योगिकी किसी समाज के सांस्कृतिक विकास की सूचक होती है।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए। (CBSE, 2012, दिल्ली बोर्ड) 
उत्तर:
मनुष्य कुछ उपकरणों एवं तकनीकों की सहायता से उत्पादन एवं निर्माण करता है जिसे प्रौद्योगिकी के नाम से जाना जाता है। मनुष्य प्रकृति के नियमों को बेहतर ढंग से समझने के पश्चात् ही प्रौद्योगिकी का विकास करता है, जैसे - घर्षण एवं ऊष्मा की संकल्पनाओं ने अग्नि की खोज में हमारा सहयोग किया। इसी प्रकार डी.एन.ए. तथा आनुवंशिकी के रहस्यों की समझ ने हमें अनेक बीमारियों पर विजय पाने के योग्य बनाया है।

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प्रश्न 8. 
तीन उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए कि प्रौद्योगिकी का विकास प्रकृति के नियमों को समझने के पश्चात् ही होता है?
उत्तर:
प्रौद्योगिकी किसी समाज में सांस्कृतिक विकास के स्तर की सूचक होती है। मानव प्रकृति के नियमों को समझने के पश्चात् ही प्रौद्योगिकी का विकास कर पाया है, जो निम्न उदाहरणों से स्पष्ट है

  1. घर्षण तथा ऊष्मा की संकल्पनाओं ने मानव को अग्नि की खोज में सहायता प्रदान की है। 
  2. डी. एन. ए. एवं आनुवंशिकी के रहस्यों की समझ ने हमें अनेक बीमारियों पर विजय पाने के योग्य बनाया है। 
  3. हम अधिक तीव्र गति से चलने वाले यान विकसित करने के लिए वायु गति के नियमों का प्रयोग करते हैं। 

प्रश्न 9. 
मानव भूगोल की विचारधाराओं को संक्षेप में बताइए। 
उत्तर:
मानव भूगोल की तीन विचारधाराएँ हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  1. पर्यावरण निश्चयवाद: मानव - प्राकृतिक वातावरण के अन्तर्सम्बन्धों की इस विचारधारा में मानवीय क्रियाकलापों पर प्रकृति का पूर्ण नियंत्रण माना जाता है।
  2. संभववाद: मानव - प्राकृतिक वातावरण के अन्तर्सम्बन्धों की यह विचारधारा मानवीय चयन या मानवीय स्वतंत्रता को महत्त्व प्रदान करती है।
  3. नव - निश्चयवाद: मानव - प्राकृतिक वातावरण के अन्तर्सम्बन्धों की यह विचारधारा यह बताती है कि प्राकृतिक नियमों का अनुपालन कर मानव प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सकता है। 

प्रश्न 10. 
संभववाद की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
मानव - पर्यावरण सम्बन्धों के परिणामस्वरूप विकसित हुई द्वितीय अवधारणा संभववाद कहलाती है जिसका प्रतिपादन फ्रांसीसी विद्वान पाल-विडाल-डी-ला-ब्लाश ने किया था। इस अवधारणा में प्रकृति हत्त अवसरों का प्रयोग मानवीय कल्याण हेतु किया जाता है जिससे पृथ्वी पर मानवीय कार्यों की छाप पड़ती है। यह विचारधारा प्रकृति की तुलना में मानव को एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्रदान करती है।

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प्रश्न 11. 
मानव भूगोल में सम्भववाद की विशेषताएँ बताइए।
अथवा 
मानव भूगोल में सम्भववाद उपागम के कोई चार लक्षण बताइए। 
उत्तर:
मानव भूगोल में सम्भववाद की विशेषताएँ (लक्षण) निम्नलिखित हैं।

  1. प्रकृति ने सर्वत्र सम्भावनाएँ प्रदान की हैं। 
  2. सम्भावनाओं का प्रयोग मानव अपनी छाँट के अनुसार करता है। 
  3. सम्भववाद प्रकृति की तुलना में मनुष्य को महत्त्वपूर्ण स्थान देता है तथा सक्रिय शक्ति के रूप में देखता है। 
  4. सम्भववाद उपागम के अनुसार मानव अपने वातावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है। 

प्रश्न 12. 
'रुको और जाओ निश्चयवाद' की विचारधारा को स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
नव निश्चयवाद की विचारधारा को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
ग्रिफिथ टेलर ने नव निश्चयवाद की विचारधारा का 1948 में प्रतिपादन किया। इस विचारधारा को 'रुको और जाओ निश्चयवाद' के नाम से जाना जाता है। उनके मतानुसार न तो प्रकृति का मानव पर पूर्ण नियंत्रण है और न ही मानव प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सकता है। मानव को प्रकृति का सहयोग प्राप्त करने के लिए उसके द्वारा निर्धारित सीमाओं को नहीं तोड़ना चाहिए। मानव को विकास की योजनाएँ क्रियान्वित करते समय प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। यह विचारधारा निश्चयवाद तथा संभववाद के बीच में एक मध्य मार्ग है।

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प्रश्न 13. 
संभववाद एवं पर्यावरणीय निश्चयवाद की तुलना कीजिए। 
उत्तर:
संभववाद एवं पर्यावरणीय निश्चयवाद की तुलना निम्न प्रकार से है:
संभववाद - प्रकृति अवसर प्रदान करती है और मानव उसका उपयोग करके सांस्कृतिक भूदृश्य की रचना करता है। धीरे - धीरे प्रकृति का मानवीकरण हो जाता है।

पर्यावरणीय निश्चयवाद - मनुष्य ने प्रकृति के आदेशों के अनुसार अपने आपको ढाल लिया। मानव समाज और प्रकृति की प्रबल शक्तियों के बीच अन्योन्यक्रिया को पर्यावरणीय निश्चयवाद कहते हैं, जिसमें मानव प्रकृति का दास बनकर रहता था। 

प्रश्न 14. 
मानव भूगोल की कल्याणपरक तथा व्यवहारवादी विचारधारा को संक्षेप में बताइए। (CBSE, 2019, दिल्ली आउटसाइड)
अथवा 
1970 के दशक में मानव भूगोल में किन - किन विचारधाराओं का उदय हुआ? किन्हीं दो को संक्षेप में बताइए। 
उत्तर:
1970 के दशक में मानव भूगोल में तीन विचारधाराओं का उदय हुआ, जो निम्नलिखित हैं:

  1. मानवतावादी विचारधारा 
  2. आमूलवादी विचारधारा 
  3. व्यवहारवादी विचारधारा।

(i) कल्याणपरक (मानवतावादी) विचारधारा: इस विचारधारा का सम्बन्ध मुख्य रूप से लोगों के सामाजिक कल्याण के विभिन्न पक्षों से था। इसमें आवास, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे पक्ष सम्मिलित थे।

(ii) व्यवहारवादी विचारधारा: इस विचारधारा में प्रत्यक्ष अनुभव के साथ - साथ मानवीय जातीयता, प्रजाति, धर्म आदि पर आधारित सामाजिक संवर्गों के दिक्काल बोध पर अधिक जोर दिया।

प्रश्न 15. 
भौतिक भूगोल और मानव भूगोल के तत्त्व एक - दूसरे से परस्पर सम्बन्धित हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए। (CBSE, 2014, दिल्ली बोड) 
उत्तर:
पर्यावरण के प्रमुख घटकों में जैविक और अजैविक घटकों को शामिल किया जाता है जिनमें जैविक घटक में मुख्य रूप से मानव एवं अजैविक घटकों में भौतिक तत्वों को शामिल करते हैं। स्थलाकृति, मृदा, जलवायु, जल, प्राकृतिक वनस्पति व विविध प्राणिजात तत्त्व भौतिक भूगोल के अंग हैं जो मानव के गृहों, गाँवों, नगरों, रेलमार्गों, औद्योगिक इकाइयों एवं कृषि सम्बन्धी कार्यों को प्रभावित करते हैं। ये सभी तत्त्व भौतिक पर्यावरण द्वारा प्रदत्त संसाधनों का प्रयोग करते हुए मानव द्वारा निर्मित किये गये हैं। साथ ही मानव द्वारा भौतिक वातावरण एवं भौतिक वातावरण द्वारा मानव को प्रभावित किया गया है इसीलिए दोनों अन्तर्सम्बन्धित हैं।

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प्रश्न 16. 
सारणी - अ की प्रत्येक मद के साथ सारणी-ब में से उपयुक्त शब्द चुनकर जोड़े बनाइएसारणी - अ मानव भूगोल के विकास की समय अवधि 
(i) अन्तर युद्ध अवधि के मध्य 1930 का दशक 
(ii) 1970 का दशक
(iii) 1990 का दशकसारणी - ब उपागम 
(क) प्रादेशिक विश्लेषण 
(ख) स्थानिक संगठन 
(ग) क्षेत्रीय विभेदन 
(घ) भूगोल में उत्तर आधुनिकवाद। 
(ङ) मानवतावादी, आमूलवादी एवं व्यवहारवादी विचारधाराओं का उदय।
उत्तर:

सारणी (अ) मानव भूगोल के विकास की समय अवधि

सारणी (ब) उपागम

(i) अंतर युद्ध अवधि के मध्य 1930 का दशक

(ग) क्षेत्रीय विभेदन

(ii) 1970 का दशक

(ङ) मानवतावादी, आमूलवादी एवं व्यवहारवादी विचारधाराओं का उदय

(iii) 1990 का दशक

(घ) भूगोल में उत्तर आधुनिकवाद


प्रश्न 17. 
मानव भूगोल के विकास को संक्षेप में बताइए। 
उत्तर:
मानव भूगोल का विकास निम्न अवस्थाओं के अन्तर्गत हुआ है:

समय अवधि

उपागम

(i) आरम्भिक उपनिवेश युग

अन्वेषण एवं विवरण

(ii) उत्तर उपनिवेश युग

प्रादेशिक विश्लेषण

(iii) अन्तर-युद्ध अवधि के बीच 1930 का दशक

क्षेत्रीय विभेदन

(iv) 1950 के दशक के अन्त से 1960 के दशक के अन्त तक

स्थानिक संगठन

(v) 1970 का दशक

मानवतावादी, आमूलवादी तथा व्यवहारवादी विचारधारा का

(vi) 1990 का दशक

उदय


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प्रश्न 18. 
सारणी - अ की प्रत्येक मद के साथ सारणी-ब में से उपयुक्त शब्द चुनकर जोड़े बनाइए। सारणी - अ, मानव भूगोल के क्षेत्र। 
(i) राजनीतिक भूगोल 
(ii) आर्थिक भूगोल 
(ii) सामाजिक भूगोल 

सारणी - ब, सामाजिक विज्ञानों के सहयोगी अनुशासक 
(क) सैन्य विज्ञान 
(ख) कृषि विज्ञान 
(ग) नगरीय अध्ययन व नियोजन 
(घ) इतिहास। 
उत्तर:

सारणी (अ) मानव भूगोल के क्षेत्र

सारणी (ब) सामाजिक विज्ञानों के सहयोगी अनुशासक

(i) राजनीतिक भूगोल

(क) सैन्य विज्ञान

(ii) आर्थिक भूगोल

(ख) कृषि विज्ञान

(iii) सामाजिक भूगोल

(घ) इतिहास


प्रश्न 19. 
मानव भूगोल के किन्हीं तीन क्षेत्रों एवं प्रत्येक से सम्बन्धित दो - दो उपक्षेत्रों के नाम लिखिए। 
उत्तर:
मानव भूगोल के तीन क्षेत्र एवं प्रत्येक से सम्बन्धित उपक्षेत्र निम्नलिखित हैंक्षेत्र उपक्षेत्र 
1. सामाजिक भूगोल:

  1. व्यवहारवादी भूगोल
  2. सांस्कृतिक भूगोल 

2. राजनीतिक भूगोल

  1. निर्वाचन भूगोल
  2. सैन्य भूगोल 

3. आर्थिक भूगोल

  1. संसाधन भूगोल 
  2. कृषि भूगोल

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2):

प्रश्न 1. 
पर्यावरणीय निश्चयवाद विचारधारा क्या है? 
उत्तर:
मानव पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों के संदर्भ में जर्मन भूगोलवेत्ताओं द्वारा पर्यावरणीय निश्चयवाद की विचारधारा प्रस्तुत की गयी। इस विचारधारा के अनुसार मानव अपने सामाजिक विकास की प्रारम्भिक अवस्था में प्रौद्योगिकीय दृष्टिकोण से अत्यंत पिछड़ा हुआ था एवं उसके द्वारा किये जाने वाले समस्त कार्य प्रकृति के आदेशों के अनुसार ही सम्पन्न होते थे। जर्मन भूगोलवेत्ता रैटजेल ने इस विचारधारा को पर्यावरण निश्चयवाद का नाम दिया। इस विचारधारा के समर्थक विद्वान यह मानते हैं कि प्रौद्योगिकी विकास की इस अवस्था में मानव, प्रकृति के आदेशों को न केवल मानता था अपितु उसकी प्रचंडता से भी डरता था एवं प्रकृति की पूजा करता था। ऐसे समाजों में प्रकृति को माता के रूप में देखा जाता था। 

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प्रश्न 2. 
संभववाद विचारधारा क्या है?
अथवा 
प्रकृति के मानवीकरण की व्याख्या कीजिए। 
उत्तर:
फ्रांसीसी विद्वानों द्वारा प्रतिपादित संभववाद की विचारधारा यह मानती है कि 'प्रकृति मानव को अनेक संभावनाएँ प्रदान करती है तथा मानव इन संभावनाओं का स्वामी होने के नाते इनके उपयोग का निर्णयकर्ता होता है।' वस्तुतः संभववादियों के लिए मानव की चयन करने की स्वतंत्रता सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है न कि प्रकृति और उसका प्रभाव। समय के साथ - साथ लोग अपने पर्यावरण तथा प्राकृतिक बलों को भली - भाँति समझने लगते हैं। 

वे अधिक सक्षम प्रौद्योगिकी का विकास कर अपना सामाजिक व सांस्कृतिक विकास भी करते हैं। आधुनिक मानव इसी सक्षम प्रौद्योगिकी के बल पर पर्यावरण से विभिन्न संसाधनों को प्राप्त कर अनेक संभावनाओं या अवसरों को जन्म देता है। इन संभावनाओं या अवसरों का स्वामी होने के कारण मानव इनका विभिन्न तरीकों से उपयोग करता है। मानव भूपटल के अधिकांश भागों पर सांस्कृतिक भूदृश्यों का निर्माण कर वहाँ अपनी छाप छोड़ता चला जाता है। इस प्रकार प्रकृति पर मानवीय प्रयासों की छाप पड़ते जाने से धीरे - धीरे प्रकृति का मानवीकरण हो जाता है।

प्रश्न 3. 
1970 के दशक में मानव भूगोल में विकसित विचारधाराओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मात्रात्मक क्रांति से उत्पन्न असंतुष्टि एवं अमानवीय रूप से भूगोल के अध्ययन के चलते 1970 के दशक में भूगोल में निम्न तीन नई विचारधाराओं का उदय हुआ
(i) कल्याणपरक अथवा मानवतावादी विचारधारा: मानव भूगोल की इस विचारधारा का सम्बन्ध मुख्य रूप से लोगों के सामाजिक कल्याण के विभिन्न पक्षों से था। इसमें आवास, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे पक्ष सम्मिलित थे।

(ii) आमूलवादी अथवा रेडिकल विचारधारा: मानव भूगोल की इस विचारधारा में निर्धनता के कारण, बंधन एवं सामाजिक असमानता की व्याख्या के लिए कार्ल मार्क्स के सिद्धांत का उपयोग किया गया। समकालीन सामाजिक समस्याओं का सम्बन्ध पूँजीवाद के विकास से था।

(iii) व्यवहारवादी विचारधारा: मानव भूगोल की इस विचारधारा ने प्रत्यक्ष अनुभव के साथ - साथ मानवीय जातीयता, प्रजाति, धर्म आदि पर आधारित सामाजिक संवर्गों के दिक्काल बोध पर अधिक जोर दिया। 

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प्रश्न 4. 
मानव भूगोल के विषय क्षेत्र के मुख्य पक्ष कौन-कौन से हैं?
अथवा 
मानव भूगोल का विषय क्षेत्र बताइए।
उत्तर:
मानव भूगोल के अन्तर्गत प्राकृतिक पर्यावरण एवं मानव समुदायों के आपसी कार्यात्मक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत मानव जनसंख्या के विभिन्न पहलुओं, प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक उद्देश्यों, मान्यताओं तथा रीति-रिवाजों का अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल के विषय क्षेत्र के प्रमुख पक्षों को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है

  1. मानव संसाधन। 
  2. प्रदेश में मौजूद विभिन्न प्राकृतिक संसाधन। 
  3. मानव निर्मित सांस्कृतिक भूदृश्य। 
  4. मानव और वातावरण के मध्य आपसी समायोजन। 
  5. विभिन्न प्रदेशों के मध्य आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक सम्बन्ध। 
  6. कालिक विश्लेषण।

निबन्धात्मक प्रश्न: 

प्रश्न 1. 
मानव भूगोल की परिभाषा देते हुए इसकी प्रकृति एवं विषय क्षेत्र का विस्तार से वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
मानव भूगोल की परिभाषा: मानव भूगोल को अनेक विद्वानों ने परिभाषित किया है। रैटजेल के अनुसार, "मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है।" रैटजेल द्वारा दी गयी मानव भूगोल की परिभाषा में भौतिक तथा मानवीय तत्त्वों के संश्लेषण पर अधिक बल दिया गया

मानव भूगोल की प्रकृति: मानव भूगोल की प्रकृति का प्रमुख आधार भौतिक पर्यावरण तथा मानव निर्मित सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण के परस्पर अन्तर्सम्बन्धों पर टिका है। मानव अपने क्रियाकलापों द्वारा भौतिक पर्यावरण में वृहत् स्तरीय परिवर्तन कर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक पर्यावरण का निर्माण करता है। गृह, गाँव, नगर, सड़कों व रेलों का जाल, उद्योग, खेत, पत्तन, दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुयें, भौतिक संस्कृति के अन्य सभी तत्त्व सांस्कृतिक भूदृश्य के ही अंग हैं। वस्तुतः मानवीय क्रियाकलापों को भौतिक पर्यावरण के साथ - साथ मानव द्वारा निर्मित सांस्कृतिक भूदृश्य या सांस्कृतिक पर्यावरण भी प्रभावित करता है।

मानव भूगोल का विषय क्षेत्र: मानव द्वारा अपने प्राकृतिक वातावरण के सहयोग से जीविकोपार्जन करने के क्रियाकलापों से लेकर उसकी उच्चतम आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किये गये सभी प्रयासों का अध्ययन मानव भूगोल के विषय क्षेत्र में आता है। अतः पृथ्वी पर जो भी दृश्य मानवीय क्रियाओं द्वारा निर्मित हैं, वे सभी मानव भूगोल के विषय क्षेत्र के अन्तर्गत सम्मिलित हैं। पृथ्वी तल पर मिलने वाले मानवीय तत्त्वों को समझने व उनकी व्याख्या करने के लिए मानव भूगोल के सामाजिक विज्ञानों के सहयोगी विषयों का अध्ययन भी करना पड़ता है। मानव भूगोल के विषय क्षेत्र, उपक्षेत्र तथा सामाजिक विज्ञानों के सहयोगी विषयों से मानव भूगोल के सम्बन्धों को नीचे दी गयी तालिका में प्रस्तुत किया गया है।

मानव भूगोल के क्षेत्र

उपक्षेत्र

सामाजिक विज्ञानों के सम्बन्धित

सामाजिक विज्ञान - समाजशास्त्र

सामाजिक

भूगोल

व्यवहारवादी भूगोल

सामाजिक कल्याण का भूगोल

अवकाश का भूगोल

सांस्कृतिक भूगोल

लिंग भूगोल

ऐतिहासिक भूगोल

चिकित्सा भूगोल

मनोविज्ञान

कल्याण अर्थशास्त्र

समाजशास्त्र

मानव विज्ञान

समाजशास्त्र, मानव विज्ञान, महिला

अध्ययन

इतिहास

महामारी विज्ञान

नगरीय भूगोल

 

नगरीय अध्ययन और नियोजन

राजनीतिक भूगोल

निर्वाचन भूगोल

सैन्य .भूगोल

राजनीति विज्ञान

सैन्य विज्ञान

जनसंख्या भूगोल

 

 

जनांकिकी

आवास भूगोल

 

नगर/ग्रामीण नियोजन

आर्थिक भूगोल

संसाधन भूगोल

कृषि भूगोल

उद्योग भूगोल

विपणन भूगोल

पर्यटन भूगोल

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का भूगोल

अर्थशास्त्र

संसाधन अर्थशास्त्र

कृषि विज्ञान

औद्योगिक अर्थशास्त्र

व्यावसायिक अर्थशास्त्र, वाणिज्य

पर्यटन और यात्रा प्रबन्धन

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार


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प्रश्न 2. 
ग्रिफिथ टेलर द्वारा प्रस्तुत की गई नव - निश्चयवाद की संकल्पना का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा 
नव - निश्चयवाद या रुको और जाओ निश्चयवाद की विचारधारा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नव - निश्चयवाद की संकल्पना: इसे आधुनिक निश्चयवाद एवं वैज्ञानिक निश्चयवाद भी कहा जाता है। यह निश्चयवाद तथा संभववाद की चरम सीमाओं के मध्य की विचारधारा है। 'न तो प्रकृति पर विजय प्राप्त करना न ही प्रकृति की दासता स्वीकार करना वरन् प्रकृति के साथ सहयोग करने' वाली इस विचारधारा को ही नव-निश्चयवाद कहा जाता है। महान भूगोलवेत्ता ग्रिफिथ टेलर ने 1920 के दशक में निश्चयवाद की आलोचना की तथा नव-निश्चयवाद का दर्शन प्रस्तुत किया। 

प्रारम्भ में टेलर के विचारों को कोई विशेष मान्यता नहीं मिली परन्तु 1948 में उनकी पुस्तक के प्रकाशन के पश्चात् विद्वानों का ध्यान इस ओर आकर्षित हुआ। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भूगोलवेत्ता का मुख्य कार्य एक सलाहकार का है, न कि प्रकृति की योजनाओं की व्याख्या करने का। ग्रिफिथ टेलर ने नव-निश्चयवाद को 'रुको और जाओ निश्चयवाद' का नाम भी दिया। जिसमें टेलर ने मानव पर प्रकृति के प्रभाव को स्वीकार किया परन्तु साथ ही यह तर्क भी दिया कि मानव अपनी दक्षता, मानसिक क्षमता तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी के विकास के बल पर अपनी आवश्यकताओं के अनुसार प्रकृति का उपयोग भी कर सकता है। 

ग्रिफिथ टेलर ने अपनी अवधारणा को निम्नलिखित शब्दों में व्यक्त किया है "मनुष्य किसी भी देश के विकास की गति को तेज कर सकता है, धीमी कर सकता है या उसे अवरुद्ध कर सकता है परन्तु यदि वह बुद्धिमान है तो उसे प्रकृति द्वारा दर्शायी गई दिशा से अलग नहीं जाना चाहिए। वह किसी बड़े नगर में यातायात के नियंत्रक के समान है, जो वाहनों की गति एवं दिशा को परिवर्तित कर सकता है।"
उपर्युक्त दर्शन को किसी बड़े नगर के चौराहों पर यातायात नियंत्रक बत्तियों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

भूगोलवेत्ता ग्रिफ़िथ टेलर ने पर्यावरणीय निश्चयवाद तथा संभववाद के बीच मध्य मार्ग को चुनते हुए एक नवीन संकल्पना प्रस्तुत की जिसे उन्होंने नव निश्चयवाद अथवा रुको और जाओ निश्चयवाद का नाम दिया। किसी नगर के चौराहे पर यातायात के नियंत्रण हेतु लाल, पीली तथा हरी बत्तियाँ लगी होती हैं। लाल बत्ती का अर्थ है रुको, पीली बत्ती का अर्थ है - जाने के लिए तैयार रहो तथा हरी बत्ती का अर्थ है जाओ। इसी उदाहरण को दृष्टिगत रखते हुए नव निश्चयवाद की विचारधारा यह दर्शाती है कि न तो यहाँ मानव को प्रकृति का दास बने रहने की आवश्यकता है (पर्यावरण निश्चयवाद) और न ही यहाँ पूर्ण मानवीय स्वतंत्रता (संभववाद) की दशा है। दूसरे शब्दों में, यह विचारधारा यह बताती है कि प्राकृतिक नियमों का अनुपालन करके मानव प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सकता है।

यदि मानव प्राकृतिक नियमों का अनुपालन न करते हुए अपने भौतिक पर्यावरण का विदोहन करता है तो लाल संकेतों के प्रत्युत्तर के रूप में मानव विनाश की ओर बढ़ता जायेगा। वस्तुतः मानव को अपने क्रियाकलाप उन सीमाओं तक सीमित रखने की आवश्यकता है जहाँ तक पर्यावरण को कोई हानि न पहुंचे। मानव द्वारा पर्यावरण को अनदेखा कर किया जा रहा अंधाधुंध विकास स्वयं मानव के अस्तित्व को चुनौती प्रदान करने वाली हरित गृह प्रभाव, ओजोन परत अवक्षय, वैश्विक ताप वृद्धि, पीछे हटते हिमनद तथा निम्नीकृत भूमियों जैसी गम्भीर समस्याओं को जन्म दे रहा है। नव निश्चयवाद की विचारधारा मानव तथा प्रकृति में एक संतुलन स्थापित करने का प्रयास करती है।

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प्रश्न 3. 
समय के गलियारों से मानव भूगोल के विकास की अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
मानव भूगोल के विकासक्रम का विवरण दीजिए।
उत्तर:
समय के गलियारों से मानव भूगोल का विकास यदि हम पर्यावरण तथा मानव के अन्तर्सम्बन्धों के अध्ययन के रूप में मानव भूगोल को परिभाषित करते हैं तो इसकी जड़ें इतिहास में अत्यन्त गहरी हैं। समय के साथ  -साथ मानव भूगोल के उपागमों में परिवर्तन आता गया जो मानव भूगोल की परिवर्तनशील प्रकृति का द्योतक है। खोजों के युग से पहले विभिन्न समाजों के मध्य अन्तक्रिया लगभग नगण्य थी और एक दूसरे के संबंध में ज्ञान सीमित था। यात्री एवं अन्वेषक अपने यात्रा क्षेत्रों के बारे में सूचनाओं का प्रसार किया करते थे।

नौसंचालन सम्बन्धी कुशलताएँ विकसित नहीं थीं और समुद्री यात्राएँ अत्यधिक खतरों से परिपूर्ण थीं। 15वीं शताब्दी के अंत में यूरोप में अन्वेषणों के प्रयास हुए और धीरे - धीरे देशों और लोगों के विषय में मिथक और रहस्य खुलने प्रारम्भ हो गए। उपनिवेश युग ने अन्वेषणों को आगे बढ़ाने के लिए गति प्रदान की जिससे विभिन्न प्रदेशों के संसाधनों तक मानवीय पहुँच हो सके। अत: उपनिवेशवाद के युग से लेकर आधुनिक युग तक मानव भूगोल ने बहुत उन्नति की है।

मानव भूगोल के विकास की अवस्थाएँ एवं उपागम' मानव भूगोल के विकास की अवस्थाएँ एवं उपागम निम्नलिखित हैं:
(i) आरम्भिक उपनिवेश काल: मानव भूगोल के विकास का आरम्भिक उपनिवेश काल का समय 15वीं से 17वीं शताब्दी तक का माना जाता है। इस काल में मानव भूगोल के अध्ययन में अन्वेषण एवं विवरण उपागम का विकास हुआ। इस काल में साम्राज्य एवं व्यापारिक क्षेत्रों के विस्तार हेतु नए - नए देशों की खोज व अन्वेषण को प्रोत्साहन दिया गया तथा अर्जित भौगोलिक ज्ञान को मानवीय पक्षों के वर्णन में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ।

(ii) उत्तर उपनिवेश काल: मानव भूगोल में उत्तर उपनिवेश काल का समय 18वीं से 19वीं शताब्दी तक का माना जाता है। इस काल में प्रादेशिक विश्लेषण उपागम का विकास हुआ। इस काल में प्रदेश के समस्त पक्षों का विस्तृत वर्णन इस उद्देश्य से किया गया कि समस्त प्रदेश पृथ्वी के भाग हैं अतः पृथ्वी की पूर्ण समझ के लिए समस्त प्रदेशों को समझना आवश्यक है।

(iii) अंतर युद्ध अवधि के मध्य 1930 का दशक अंतर युद्ध अवधि के मध्य 1930 के दशक में मानव भूगोल में क्षेत्रीय विभेदन उपागम का विकास हुआ। इस उपागम में एक प्रदेश मानवीय पक्षों की दृष्टि से (सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय परिवेश) किस प्रकार और क्यों अन्य प्रदेश से विलक्षणता रखता है, की पहचान करने पर बल दिया गया।

(iv) 1950 के दशक के अंत से 1960 के दशक के अंत तक इस समयावधि के दौरान मानव भूगोल में स्थानिक संगठन उपागम का विकास हुआ। इस उपागम में कम्प्यूटर तथा परिष्कृत सांख्यिकीय विधियों द्वारा भौतिकी के नियमों का मानवीय परिघटनाओं के विश्लेषण में प्रयोग किया गया। इस प्रावस्था का मुख्य उद्देश्य मानवीय क्रियाओं के मानचित्र योग्य प्रतिरूपों की पहचान करन

(v) 1970 का दशक-इस समयावधि में मात्रात्मक क्रांति से उत्पन्न असंतुष्टि और अमानवीय रूप से भूगोल के अध्ययन के चलते मानव भूगोल में सन् 1970 के दशक में तीन नवीन विचारधाराओं का उदय हुआ। ये हैं मानवतावादी, आमूलवादी एवं व्यवहारवादी विचारधारा। मानव भूगोल में इन विचारधाराओं के उदय से मानव भूगोल सामाजिक - राजनीतिक पक्षों के प्रति अधिक प्रासंगिक बना।

(vi) 1990 का दशक एवं उसके बाद इस समयावधि के दौरान भूगोल में उत्तर आधुनिकवाद उपागम का विकास हुआ। इस काल में वृहद् सामान्यीकरण तथा मानवीय दशाओं की व्याख्या करने वाले वैश्विक सिद्धांतों की उपयोगिता पर प्रश्न उठने लगे। इसमें अपने आप में प्रत्येक स्थानीय संदर्भ की समझ के महत्त्व पर अधिक बल दिया गया। 

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प्रश्न 4. 
मानव भूगोल के क्षेत्र एवं उपक्षेत्रों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा 
मानव भूगोल की प्रमुख शाखाओं एवं उपशाखाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल के क्षेत्र एवं उपक्षेत्र: मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण एवं मानव जाति के सामाजिकसांस्कृतिक पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन उनकी परस्पर अन्योन्य क्रिया के द्वारा करता है। मानव भूगोल मानव जीवन के समस्त तत्वों एवं अंतराल जिसके अन्तर्गत वे घटित होते हैं, के मध्य सम्बन्ध की व्याख्या करने का प्रयास करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मानव भूगोल की प्रकृति अत्यधिक अंतर-विषयक है।

हमारे धरातल पर पाये जाने वाले मानवीय तत्त्वों को समझने तथा उनकी व्याख्या करने के लिए मानव भूगोल सामाजिक विज्ञानों के सहयोगी विषयों के साथ घनिष्ठ अन्तरापृष्ठ विकसित करता है। अन्य विषयों की तरह ही ज्ञान के विस्तार के साथ-साथ ही मानव भूगोल में भी नवीन उपक्षेत्रों का विकास हुआ। मानव भूगोल के क्षेत्र एवं उप - क्षेत्रों का विवेचन निम्नलिखित बिंदुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है:

(i) सामाजिक भूगोल: सामाजिक भूगोल, मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा है। सामाजिक भूगोल के प्रमुख उपक्षेत्रों (उप शाखाओं) में व्यवहारवादी भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल, लिंग भूगोल, सामाजिक कल्याण का भूगोल, अवकाश का भूगोल, ऐतिहासिक भूगोल एवं चिकित्सा भूगोल आदि सम्मिलित हैं। यदि मानव भूगोल के क्षेत्रों का अन्य विषयों से सम्बन्ध स्थापित करें तो सामाजिक भूगोल का सम्बन्ध समाजशास्त्र मे स्थापित किया जा सकता है।

सामाजिक भूगोल के प्रमुख उपक्षेत्रों के अन्तर्गत व्यवहारवादी भूगोल का सम्बव मनोविज्ञान से है, सामाजिक कल्याण के भूगोल का सम्बन्ध कल्याण अर्थशास्त्र से है, सांस्कृतिक भूगोल का सम्बन्ध मानव विज्ञान से है, लिंग भृगोल का सम्बन्ध समाजशास्त्र, मानव विज्ञान एवं महिला अध्ययन से है, अवकाश भूगोल का सम्बन्ध समाजशास्त्र से है, चिकित्सा भूगोल का सम्बन्ध महामारी विज्ञान से है वहीं ऐतिहासिक भूगोल का सम्बन्ध इतिहास से है।


(ii) आर्थिक भूगोल: आर्थिक भूगोल, मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा है। इसके अन्तर्गत संसाधन भूगोल, कृषि भूगोल, उद्योग भूगोल, विपणन भूगोल, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का भूगोल एवं पर्यटन भूगोल आदि को शामिल किया जाता है। आर्थिक भूगोल के इन उपक्षेत्रों के अन्तर्गत संसाधन भूगोल का सम्बन्ध संसाधन अर्थशास्त्र से है, कृषि भूगोल का सम्बन्ध कृषि विज्ञान से है, उद्योग भूगोल का सम्बन्ध औद्योगिक अर्थशास्त्र से है, विपणन भूगोल का सम्बन्ध व्यावसायिक अर्थशास्त्र एवं वाणिज्य से है, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के भूगोल का सम्बन्ध अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से है। इसी प्रकार पर्यटन भूगोल का पर्यटन और यात्रा प्रबंधन से गहरा सम्बन्ध है।

(iii) राजनीतिक भूगोल: मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा मानी जाने वाली राजनीतिक भूगोल के प्रमुख उपक्षेत्रों में निर्वाचन भूगोल तथा सैन्य भूगोल को सम्मिलित किया जा सकता है। यदि सामाजिक विज्ञानों के सहयोगी अनुशासकों से अंतरापृष्ठ स्थापित करें तो सैन्य भूगोल का सम्बन्ध सैन्य विज्ञान से स्थापित किया जा सकता है।

(iv) नगरीय भूगोल: मानव भूगोल के क्षेत्र में नगरीय भूगोल का नगरीय अध्ययन और नियोजन से घनिष्ट सम्बन्ध है। 

(v) जनसंख्या भूगोल: मानव भूगोल के क्षेत्र जनसंख्या भूगोल का जनांकिकी से घनिष्ट सम्बन्ध है।

(vi) आवास भूगोल: मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा आवास भूगोल का नगर व ग्रामीण नियोजन से घनिष्ट सम्बन्ध है।

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इस अध्याय से पूछे गये प्रश्न:

प्रश्न 1. 
किसने कहा "मानव भूगोल मानव पारिस्थितिकी है"? 
(अ) हार्टशोर्न 
(ब) एच. एच. बैरोज 
(स) रेट्जल 
(द) डब्ल्यू. किर्क।
उत्तर:
(ब) एच. एच. बैरोज। 

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प्रश्न 2. 
निम्न में से कौन संभववाद का समर्थक नहीं था? 
(अ) विडाल डी - लॉ - ब्लांश
(ब) ब्लैंचार्ड 
(स) जीन बंश
(द) एल्सवर्थ हंटिगटन 
उत्तर:
(द) एल्सवर्थ हंटिगटन। 

प्रश्न 3. 
राज्य की जैविक संकल्पना (लेबेन्सराम) का प्रतिपादन किसने किया? 
(अ) हार्टशोर्न 
(ब) रैट्जेल 
(स) सावर 
(द) ब्लांश
उत्तर:
(ब) रैट्जेल। 

प्रश्न 4. 
निम्न में से किसने “सांस्कृतिक भू-दृश्य" की संकल्पना प्रस्तुत की?
(अ) सावर 
(ब) हैगेट
(स) आगस्त काम्टे 
(द) रैट्जेल 
उत्तर:
(अ) सावर।

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प्रश्न 5. 
मानव भूगोल में क्रियाशीलता का सिद्धान्त किसने प्रतिपादित किया? 
(अ) सी. ओ. सावर 
(ब) बैरोज
(स) जे. बूंश 
(द) हम्बोल्ट 
उत्तर:
(स) जे. ब्रून्श। 

प्रश्न 6. 
संभववाद के जनक कौन हैं? 
(अ) जी. कार्टर 
(ब) एल.फैब्रे
(स) डब्ल्यू. बुंगे 
(द) ई.सी. सेम्पल 
उत्तर:
(ब) एल.फैब्रे। 

प्रश्न 7. 
भूगोल में मानववादी विचारधारा के प्रतिपादक कौन हैं? 
(अ) वालपर्ट 
(ब) टान
(स) किर्क
(द) हार्वे 
उत्तर:
(ब) टान। 

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प्रश्न 8. 
राज्य का जैव सिद्धान्त किस विद्वान द्वारा प्रतिपादित किया गया था? 
(अ) बोमैन 
(ब) हाउशोफर
(स) मैकिण्डर 
(द) रैटजेल 
उत्तर:
(द) रैटजेल। 

प्रश्न 9. 
जर्मन भूगोलीय विचारधारा के विकास में योगदान करने वाले जर्मन भूगोलवेत्ताओं का सही अनुक्रम कौन सा है? 
(अ) रैटजल - ट्राल - हैटनर - पैश्चल 
(ब) पैश्चल - हैटनर - रैटजल - ट्राल 
(स) पैश्चल - रैटजल - हैटनर - ट्राल 
(द) ट्राल - हैटनर - पैश्चल - रैटजल
उत्तर:
(स) पैश्चल - रैटजल - हैटनर - ट्राल। 

प्रश्न 10. 
संभाव्यतावाद का विचार सर्वप्रथम किस विचारधारा के पंथ ने विकसित किया था? 
(अ) रशियन पंथ 
(ब) जर्मन पंथ
(स) ब्रिटिश पंथ 
(द) पँच पंथ 
उत्तर:
(द) फ्रेच पंथ। 

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प्रश्न 11. 
भूगोल के भाव और उद्देश्य में आमूलचूल रूपान्तर के लिए निम्न में से कौन-सा एक परिपेक्ष्य जिम्मेदार था? 
(अ) संरचनावाद 
(ब) उत्तर आधुनिकवाद 
(स) मानवतावाद 
(द) परिमाणीकरण
उत्तर:
(द) परिमाणीकरण। 

प्रश्न 12. 
निम्नलिखित में से किसने भूगोल को मानव पारिस्थितिक के रूप में परिभाषित किया? 
(अ) हार्टशोर्न 
(ब) शेफर
(स) बैरोस 
(द) रिचथोपन 
उत्तर:
(स) बैरोस। 

प्रश्न 13. 
निम्न में से किसने भूगोल को परिमाणात्मक क्रांति अवधि के दौरान भविष्यवाणी पद्धति की खोज के रूप में परिभाषित किया? 
(अ) पी. हैगेट 
(ब) डब्ल्यू. बूंगे 
(स) डी. हार्वे 
(द) आर. जे. शोर्ले
उत्तर:
(ब) डब्ल्यू. बूंगे। 

प्रश्न 14. 
विडाल. डी. ला. ब्लाश निम्न में से किस विचारधारा से सम्बद्ध थे? 
(अ) संभाव्यतावाद
(ब) निश्चयवाद 
(स) आधुनिक निश्चयवाद
(द) स्टाप एंड गो निश्चयवाद 
उत्तर-:
(अ) संभाव्यतावाद। 

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प्रश्न 15. 
निम्न में से कौन - सी मानव भूगोल की शाखा नहीं है? 
(अ) पर्यावरण भूगोल 
(ब) सामाजिक भूगोल
(स) राजनीतिक भूगोल 
(द) अधिवास भूगोल
उत्तर:
(अ) पर्यावरण भूगोल। 

प्रश्न 16. 
सम्भववाद के स्थान पर प्रसंभववाद शब्द का प्रयोग किसने किया? 
(अ) ए. जे. हरबर्टसन 
(ब) ओ. एच. के. स्पेट 
(स) इसा बोमेन 
(द) एज. जे. फ्यूलर 
उत्तर:
(ब) ओ. एच. के. स्पेट।

Prasanna
Last Updated on Dec. 30, 2023, 10:18 a.m.
Published Dec. 29, 2023