These comprehensive RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 9 संविधान - एक जीवंत दस्तावेज़ will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 11 Political Science Chapter 9 Notes संविधान - एक जीवंत दस्तावेज़
→ क्या संविधान अपरिवर्तनीय होते हैं?
- विभिन्न राष्ट्रों ने परिवर्तित परिस्थिति में सामाजिक बदलावों तथा राजनीतिक अस्थिरता के कारण अपने संविधान को पुनः निर्मित किया।
- सोवियत संघ में 74 वर्षों के दौरान चार बार तथा फ्रांस में 1793 से 1958 ई. के दौरान पाँच बार संविधान में परिवर्तन किया गया।
- भारतीय संविधान 26 नवम्बर, 1949 को अंगीकृत किया तथा 26 जनवरी, 1950 को औपचारिक रूप से लागू किया गया।
- भारतीय संविधान की बनावट देश की परिस्थिति के बहुत अनुकूल है।
- भारतीय संविधान में समय की जरूरत को देखते हुए इसके अनुकूल संशोधन किए जा सकते हैं। अतः भारतीय संविधान लचीला है।
- संविधान समाज की इच्छाओं और आकांक्षाओं का प्रतिबिम्ब होता है, साथ ही यह समाज को लोकतांत्रिक तरीके से चलाने का एक ढाँचा भी होता है।
- भारतीय संविधान कोई जड़ और अपरिवर्तनीय दस्तावेज नहीं है। इसमें किसी स्थिति के बारे में अंतिम निर्णय देने से बचा गया है।
- हमारा संविधान ‘लचीला' होने के साथ-साथ 'कठोर' भी है।
→ संविधान में संशोधन कैसे किया जाता है?
- संविधान निर्माता संविधान को एक ऐसा रूप देना चाहते थे कि त्रुटि सामने आने पर उसका निवारण आसानी से किया जा सके।
- हमारे संविधान में ऐसे कई अनुच्छेद हैं जिनमें संसद सामान्य कानून बनाकर संशोधन कर सकती है।
- संविधान के शेष खंडों में संशोधन करने के लिए अनुच्छेद 368 में प्रावधान किया गया है। संविधान संशोधन की प्रक्रिया संसद से ही प्रारम्भ होती है।
- अन्य विधेयकों की तरह संविधान संशोधन विधेयक को भी राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जाता है, पर इस मामले में
- राष्ट्रपति को पुनर्विचार करने का अधिकार नहीं है।
- विश्व के आधुनिक संविधानों में संशोधन की विभिन्न प्रक्रियाओं में
- विशेष बहुमत का सिद्धान्त तथा
- जनसाधारण की
- सहभागिता का सिद्धान्त महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका तथा रूस में विशेष बहुमत का सिद्धान्त है, जबकि स्विट्जरलैण्ड, रूस तथा इटली में जनसाधारण को संविधान में संशोधन करने अथवा संशोधन के अनुमोदन का अधिकार दिया गया है।
- डॉ. भीमराव अम्बेडकर के अनुसार संविधान संशोधन के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता है।
- संविधान के कुछ अनुच्छेदों में संशोधन हेतु विशेष बहुमत के साथ राज्यों से परामर्श करना और उनकी सहमति प्राप्त करना आवश्यक होता है।
→ संविधान में इतने संशोधन क्यों किए गए हैं?
- 12 जनवरी, 2019 तक संविधान में 103 संशोधन किए जा चुके हैं।
- संविधान संशोधनों के पीछे सत्ताधारी दल की राजनीतिक सोच न होकर वे संशोधन समय की जरूरतों के अनुसार थे।
- संविधान संशोधन की पहली श्रेणी में तकनीकी या प्रशासनिक प्रकृति के संशोधन शामिल किए गए हैं।
- भारतीय संविधान में अब तक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के आरक्षण संबंधी पाँच संशोधन किए जा चुर हैं, परन्तु इनसे मूल उपबंधों में कोई अन्तर नहीं आया है।
- मूल संविधान के अनुसार भारत की संसदीय व्यवस्था में राष्ट्रपति सामान्यत: मंत्रीपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करेंगा।
- भारतीय संविधान में बुनियादी संरचना के सिद्धान्त को अत्यधिक महत्व दिया गया है।
- संसद तथा न्यायपालिका के मध्य संवैधानिक संशोधनों को लेकर अनेक बार मतभेद होते रहे हैं।
- संविधान के बहुत से ऐसे संशोधन हैं जिन्हें राजनीतिक दलों की आपसी सहमति का परिणाम माना जा सकता है।
→ संविधान की मूल संरचना तथा उसका विकास
- संविधान की मूल संरचना के सिद्धान्त ने भारतीय संविधान के विकास को बहुत अधिक प्रभावित किया है।
- केशवानन्द भारती विवाद के पश्चात् यह निर्धारित हो चुका है कि भारतीय संसद संविधान के मूल ढाँचे को परिवर्तित नहीं कर सकती।
- संविधान की मूल संरचना का सिद्धान्त स्वयं में ही एक जीवित संविधान का उदाहरण है।
- • बुनियादी संरचना के सिद्धान्त से संविधान की कठोरता और लचीलेपन का संतुलन और मजबूत हुआ है।
→ संविधान की समीक्षा
- सन् 2000 में भारत सरकार ने संविधान के कामकाज की समीक्षा के उद्देश्य से उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश श्री वेंकटचलैया की अध्यक्षता में एक आयोग नियुक्त किया।
- संविधान की समझ को बदलने में न्यायिक व्याख्याओं की भूमिका रही है।
- नौकरियों और शैक्षिक संस्थाओं में आरक्षण सीमा तय करने के सम्बन्ध में उच्चतम न्यायालय ने यह फैसला दिया है कि आरक्षित सीटों की संख्या सीटों की कुल संख्या के आधे से अधिक नहीं होनी चाहिए। न्यायपालिका ने शिक्षा, जीवन, स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक समूहों की संस्थाओं की स्थापना तथा उनके प्रबंधन के अधिकारों के उपबंधों में अनौपचारिक रूप से कई संशोधन किये हैं।
- न्यायालय के आदेशों की भी संविधान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
- संविधान एक जीवंत दस्तावेज है, क्योंकि यह एक जीवित प्राणी की तरह समय-समय पर उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों के अनुरूप कार्य करता है। हमारा संविधान अपनी गतिशीलता, व्याख्याओं के खुलेपन एवं बदलती परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तनशीलता की विशेषताओं के कारण प्रभावशाली रूप से कार्य कर रहा है।
- सभी राजनीतिक संस्थाओं को लोगों के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए और एक दूसरे के साथ मिलकर चलना चाहिए।
→ न्यायपालिका का योगदान
- लोकतंत्र में जन कल्याण को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है साथ ही उतना ही ध्यान इस बात पर भी देना पड़ता है कि सत्ता का दुरूपयोग न होने पाए।
- संविधान की मूल संरचना के बारे में उसमें कहीं उल्लेख नहीं मिलता। इसकी मूल संरचना न्यायपालिका द्वारा स्वयं विकसित की गई है।
→ राजनीतिज्ञों की परिपक्वता
राजनैतिक दलों, राजनेताओं, सरकार और संसद ने भी संविधान की मूल संरचना के संवेदनशील विचार को स्वीकृति प्रदान की।
→ निष्कर्ष
- लोकतंत्र का उद्देश्य और लोकतांत्रिक राजनीति का अंतिम लक्ष्य जनता की आजादी तथा खुशहाली है।
- संविधान सभा के सदस्य व्यक्ति की गरिमा और आजादी, सामाजिक-आर्थिक समानता, जनता की खुशहाली और राष्ट्रीय एकता के आदर्श में विश्वास करते थे।
→ अध्याय में दी गईं महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ ।
वर्ष
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सम्बन्धित घटनाएँ
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1793 ई.
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फ्रांस में एक नया संविधान लागू किया गया जिसे प्रथम फ्रांसीसी गणतंत्र कहा जाता है।
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1848 ई.
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फ्रांस में दूसरा संविधान लागू किया गया जिसे दूसरा फ्रांसीसी गणतंत्र कहा जाता है।
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1875 ई.
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फ्रांस ने तीसरा नया संविधान अपनाया अर्थात् तीसरा फ्रांसीसी गणतंत्र बना।
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1946 ई.
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फ्रांस में चौथा संविधान अपनाया गया। फलत: चौथे गणतंत्र की स्थापना की गई।
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1949 ई.
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26 नवम्बर को भारतीय संविधान को अंगीकृत किया गया।
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1950 ई.
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26 जनवरी को भारतीय संविधान औपचारिक रूप से लागू किया गया।
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1958 ई.
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फ्रांस में पाँचवा संविधान अपनाया गया।
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1973 ई.
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केशवानन्द भारती के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्णय दिया गया।
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1974 ई. से 1976 ई. तक
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इन तीन वर्ष के अंतराल में संविधान में दस बार संशोधन किए गए।
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1977 ई.
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लोक सभा के आम चुनाव में सत्ताधारी दल कांग्रेस की पराजय।
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2001 से 2003 ई. तक
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इन तीन वर्षों के दौरान भी भारतीय संविधान में दस बार संशोधन किए गए।
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→ राजनीतिक भूचाल - किसी देश में उत्पन्न राजनीतिक हलचल या अस्थिरता।
→ उपबंध - संविधान के अनुच्छेद से संबंधित जो गौण बातें होती हैं, उन्हें उपबंध कहते हैं।
→ लचीला संविधान - ऐसा संविधान जिसमें आसानी से आवश्यकतानुसार संशोधन किया जा सके।
→ कठोर संविधान - ऐसा संविधान जिसमें अनावश्यक परिवर्तनों के प्रति सख्त रवैया अपनाया जाए अर्थात् जिस संविधान का संशोधन करना बहुत कठिन होता है ऐसे संविधान को कठोर कहा जाता है।
→ जनमत - किसी विषय के संबंध में जनता की राय या विचार जानना 'जनमत' कहलाता है।
→ संसद - लोकसभा और राज्यसभा का संयुक्त रूप संसद कहलाता है।
→ संप्रभुता - देश के शासन में पूरी तरह से जनता का ही अधिकार 'संप्रभुता' है। जैसे-भारत एक संप्रभुदेश है।
→ लोकसभा - भारतीय संसद का निम्न सदन जिसके सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने हुए होते हैं।
→ गठबंधन सरकार - कुछ शर्तों के आधार पर कई दलों के समर्थन से बनने वाली सरकार 'गठबंधन सरकार' कहलाती है।
→ नेपोलियन - फ्रांस का शक्तिशाली शासक। डॉ. बी. आर. अंबेडकर संविधान सभा में प्रारूप समिति के अध्यक्ष।
→ वेंकटचलैया - उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश, सन् 2000 में भारत सरकार द्वारा संविधान समीक्षा हेतु गठित आयोग के अध्यक्ष ।
→ लक्ष्मीनारायण साहू - संविधान सभा के सदस्य । इनका मत था कि भारतीय संविधान उन आदर्शों पर आधारित है जिनका भारत की आत्मा से कोई सम्बन्ध नहीं है।