These comprehensive RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 7 राष्ट्रवाद will give a brief overview of all the concepts.
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→ राष्ट्रवाद का परिचय
→ राष्ट्र और राष्ट्रवाद
(i) साझे विश्वास
(ii) इतिहास
अपने आपको एक राष्ट्र मानने वाले लोग देश की स्थायी पहचान का खाका प्रस्तुत करने के लिए इतिहास की समझ का निर्माण करते हैं।
(iii) भू-क्षेत्र
अनेक राष्ट्रों की पहचान एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ी हुई है। किसी विशेष भू-भाग पर लम्बे समय तक साथ-स. रहना और उससे जुड़ी साझे अतीत की यादें लोगों को एक सामूहिक पहचान का बोध कराती हैं।
(iv) साझे राजनीतिक आदर्श
(v) साझी राजनीतिक पहचान
किसी राज्य की सदस्यता की शर्त के रूप में किसी खास धार्मिक या भाषायी पहचान को आरोपित नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे कुछ समूह निश्चित रूप में राष्ट्र में शामिल होने से छूट जाएँगे।
→ राष्ट्रीय आत्म-निर्णय
→ राष्ट्रवाद और बहुलवाद
→ राष्ट्रवाद - एक राष्ट्र के रूप में संगठित होने तथा इसके प्रति निष्ठा रखने की भावना राष्ट्रवाद कहलाती है। दूसरे शब्दों में एक राष्ट्र के लोगों में त्याग, प्रेम और बलिदान की भावना राष्ट्रवाद कहलाती है।
→ राष्ट्र - उन लोगों का समूह, जो स्थाई रूप से निर्दिष्ट भूभाग में रहते हैं एवं समान राजनीतिक आकांक्षाओं, समान हितों, समान इतिहास और समान नियति की चेतना के कारण एकता के सूत्र में बँधे हुए अनुभव करते हैं, राष्ट्र कहलाता है।
→ सत्ता - आदेश प्रदान करने का अधिकार एवं आज्ञा का पालन करने के लिए बाध्य करने की शक्ति को सत्ता कहते हैं।
→ साम्राज्य - राज्य का अति व्यापक रूप साम्राज्य कहलाता है। इसमें एक ही राज्य (देश) के अन्तर्गत कई छोटे-बड़े देशों को शामिल कर लिया जाता है।
→ पृथकतावादी आन्दोलन - ऐसे आन्दोलन जो एक राष्ट्र से अलग स्वतन्त्र अस्तित्व की माँग के लिए चलाए जाते हैं पृथकतावादी आन्दोलन कहलाते हैं। जैसे—भारत में चलाया गया खालिस्तान आन्दोलन इत्यादि।
→ बास्क - यूरोप महाद्वीप के स्पेन नामक देश का पहाड़ी तथा समृद्ध क्षेत्र बास्क कहलाता है।
→ ऐतिहासिक पहचान - इतिहास अर्थात् अतीत के द्वारा खोजी एवं सिद्ध की जाने वाली विशिष्ट सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान को ही ऐतिहासिक पहचान कहा जाता है।
→ इतिहास - बीती हुई प्रसिद्ध घटनाओं और उनसे सम्बन्ध रखने वाले लोगों का कालक्रम से वर्णन इतिहास कहलाता है।
→ अभिलेख - किसी विषय के सम्बन्ध में लिखी हुए समस्त बातें, पिछली घटनाओं का लिखित संग्रह अभिलेख कहलाता है।
→ आदर्श - जब कोई लक्ष्य या सिद्धान्त अपने सबसे शुद्ध या सर्वश्रेष्ठ रूप में होता है तो उसे आदर्श कहा जाता है।
→ सभ्यतामूलक - मूल रूप से किसी सभ्यता विशेष से सम्बन्धित होना सभ्यतामूलक कहलाता है।
→ धर्मनिरपेक्षता - किसी धर्म विशेष से अलग रहते हुए सभी धर्मों का समान आदर करने की स्थिति धर्मनिरपेक्षता कहलाती है।
→ साझी प्रतिबद्धता - समाज में लोग मिलकर किसी बात के प्रति विश्वास और निष्ठा रखते हैं, इसे ही साझी प्रतिबद्धता कहा जाता है।
→ आत्म-निर्णय का अधिकार - राष्ट्रों द्वारा माँगा जाने वाला वह अधिकार जिसमें वह अपना शासन स्वयं चलाने की बात पर बल देते हैं। राष्ट्रों के सन्दर्भ में इसे ही आत्म-निर्णय का अधिकार कहा जाता है।
→ साम्प्रदायिक हिंसा - जब धार्मिक मान्यताओं की कट्टरता के चलते एक धर्म के लोग दूसरे धर्म के लोगों के प्रति हिंसात्मक व्यवहार (पीट, हत्या, लूट-पाट) करते हैं तो इसे 'साम्प्रदायिक हिंसा' कहा जाता है।
→ अल्पसंख्यक समूह - किसी समाज या व्यवस्था में रहने वाले उन लोगों का समूह जो कि अन्य रहने वाले लोगों की आबादी की तुलना में बहुत कम होता है, अल्पसंख्यक समूह कहलाता है, जैसे-भारत में ईसाई, सिख, जैन, मुस्लिम समूह।
→ संस्कृति - किसी व्यक्ति, जाति, राष्ट्र आदि की वे समस्त बातें जो उसके मन, रुचि, आचार-विचार, कला-कौशल और सभ्यता के क्षेत्र में बौद्धिक विकास की सूचक होती है, संस्कृति कहलाती है।
→ विरासत - उत्तराधिकार से प्राप्त सामग्री विरासत कहलाती है।
→ रवीन्द्रनाथ ठाकुर (टैगोर) - भारत के महान सामाजिक-राजनीतिक चिन्तक, एवं कवि, इन्होंने भारत की स्वाधीनता को अनिवार्य मानते हुए विदेशी शासन का विरोध किया तथा देश के स्वाधीनता आन्दोलन में मौजूद संकीर्ण राष्ट्रवाद की कटु आलोचना की थी।
→ बहुलवाद - यह वह सामाजिक व्यवस्था है, जिसमें विभिन्न धर्मों, पंथों, भाषा-भाषी विभिन्न संस्कृतियों व उपसंस्कृतियों, विभिन्न वंशों व जातियों के लोग रहते हैं, एवं उनके रीति-रिवाज व परम्पराएँ भी भिन्न-भिन्न होती हैं।
→ भूमंडलीकरण - वह प्रक्रिया जिसके द्वारा विश्व की विभिन्न अर्थ व्यवस्थाओं का समन्वय किया जाता है, जिसमें वस्तुओं और क्रेताओं, प्रौद्योगिकी, पूँजी एवं श्रम का उनके मध्य प्रवाह हो सके,
भूमंडलीकरण या वैश्वीकरण कहलाती है।