These comprehensive RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 7 संघवाद will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 11 Political Science Chapter 7 Notes संघवाद
→ परिचय
स्वतंत्रता के समय हमारे देश में अधिकांश राज्य ऐसे थे जिन्हें अंग्रेजों ने मात्र प्रशासनिक सुविधा के लिए गठित किया था। फिर कुछ देशी रियासतों का स्वतंत्र भारत में विलय हो गया। इन देशी रियासतों को राज्यों से जोड़ दिया गया।
→ संघवाद क्या है?
- विश्व की एक महाशक्ति सोवियत संघ, जो 1989 के बाद अनेक स्वतंत्र देशों में बँट गया और इनमें से कुछ ने मिलकर 'स्वतंत्र ।
- राज्यों का राष्ट्रमंडल' बना लिया। चेकोस्लोवाकिया, यूगोस्लाविया, पाकिस्तान को भी अपने देश का विभाजन देखना पड़ा।
- भारत के लिए यह महान उपलब्धि है कि सन् 1947 के दुखद विभाजन के बाद एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपना अखण्ड तथा स्वतंत्र अस्तित्व बनाए हुए है। भारत की तरह वेस्टइंडीज भी अंग्रेजों का उपनिवेश था।
- 1958 ई. में 'वेस्टइंडीज संघ' (फेडरेशन ऑफ वेस्टइंडीज) का निर्माण हुआ।
- लेकिन कमजोर केन्द्र और राजनैतिक प्रतिस्पर्धा के कारण 1962 ई. में इसे भंग कर दिया गया। भारतीय भू-भाग एक महाद्वीप की तरह विशाल और विविधताओं से भरा है।
- निश्चित रूप से भारत 'विविधता में एकता' का देश शासन के सिद्धान्त के रूप में संघवाद विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न स्वरूप ग्रहण करता है।
- संघीय राज्य की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका से हुई लेकिन वह जर्मनी और भारतीय संघवाद से भिन्नता रखता है।
- संघवाद एक संस्थागत प्रणाली है जो दो प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाओं को समाहित करती है। (i) केन्द्रीय (ii) प्रांतीय।
- कुछ देशों में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था है, किन्तु भारत में इकहरी नागरिकता है।
- संघवाद के वास्तविक कार्य का निर्धारण राजनीति, संस्कृति, विचारधारा और इतिहास की वास्तविकताओं से होता है।
- सन् 1914 तक उत्तरी तथा दक्षिणी नाइजीरिया ब्रिटेन के दो उपनिवेश थे, किन्तु सन् 1950 में इबादान संवैधानिक सम्मेलन में यहाँ के नेताओं ने एक संघीय संविधान बनाने का निर्णय लिया।
→ भारतीय संविधान में संघवाद
- भारतीय संविधान द्वारा अंगीकृत संघीय व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि केन्द्र और राज्यों के मध्य सम्बन्ध सहयोग पर आधारित होगा।
- संविधान में भारत को राज्यों का संघ (यूनियन) कहा गया है। भारतीय संविधान में दो सरकारों-संम्पूर्ण राष्ट्र के लिए एक संघीय या केन्द्रीय सरकार तथा राज्यों के लिए राज्य सरकार की बात कही गई है।
- संविधान द्वारा संघ सूची में विनिर्दिष्ट विषयों को केन्द्रीय सरकार को तथा राज्य सूची में विनिर्दिष्ट विषयों को राज्य सरकारों को सौंपा गया है।
- समवर्ती सूची में दिए गए विषयों पर केन्द्र व प्रांतीय दोनों की विधायिका कानून बना सकती हैं।
- संघ, राज्य व समवर्ती सूची के अतिरिक्त अवशिष्ट विषय केन्द्र सरकार को सौंपे गये हैं।
- देश की एकता बनाए रखने के लिए संविधान निर्माता चाहते थे कि देश की सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का समाधान राज्यों के सहयोग से शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार करे।
- किसी राज्य के अस्तित्व और उसकी भौगोलिक सीमाओं के स्थायित्व पर संसद का नियन्त्रण है।
- आय के प्रमुख संसाधनों पर केन्द्र सरकार का नियन्त्रण है।
- राज्य के राज्यपाल को राज्य सरकार को हटाने और विधान सभा भंग करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजने की शक्ति प्राप्त है।
- संविधान के अनुसार केन्द्रीय कार्यपालिका की शक्ति प्रादेशिक कार्यपालिका की शक्ति से अधिक है।
→ भारतीय संघीय व्यवस्था में तनाव
- केन्द्र और राज्य अथवा विभिन्न राज्यों के आपसी कानूनी विवादों का समाधान न्यायपालिका करती है।
- राज्यों द्वारा स्वायत्तता की माँग एक राजनीतिक प्रश्न है जिसे आपसी बातचीत द्वारा ही हल किया जा सकता है।
- 1960 के दशक में काँग्रेस के वर्चस्व में कमी के कारण अनेक राज्यों में विरोधी दल सत्ता में आ गए।
- 1990 के दशक से केन्द्र में गठबंधन की राजनीति का आरंभ हुआ और राज्यों में भी विभिन्न राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दल सत्तारूढ़ हुए।
- समय-समय पर अनेक राज्यों और राजनीतिक दलों ने राज्यों को केन्द्र की तुलना में अधिक स्वायत्तता देने की मांग उठाई है।
→ राज्यपाल की भूमिका
- केन्द्र और राज्य में अलग-अलग दल के सत्तारूढ़ होने की स्थिति में राज्यपाल की भूमिका विवादास्पद हो जाती है।
- 1998 ई. में सरकारिया आयोग ने सिफारिश की कि राज्यपालों की नियुक्ति अनिवार्य तथा निष्पक्ष होकर की जानी चाहिए।
- संविधान का 356वाँ अनुच्छेद सबसे अधिक विवादास्पद है। इसके तहत राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है। इससे केन्द्र व राज्यों के मध्य संघर्ष व विवादों का जन्म हुआ।
- 1960 में गुजरात और महाराष्ट्र का गठन हुआ तथा 1966 में पंजाब और हरियाणा को अलग-अलग किया गया।
- 2000 ई. में बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को विभाजित कर क्रमशः तीन राज्य झारखंड, उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखण्ड) और छत्तीसगढ़ बनाए गए।
→ अंतर्राज्यीय विवाद
- संघीय व्यवस्था में दो या दो से अधिक राज्यों के मध्य आपसी विवाद के भी अनेक उदाहरण देखने को मिलते हैं। इनमें सीमा विवाद व नदी जल बँटवारा विवाद प्रमुख हैं।
- विशिष्ट प्रावधान भारतीय संघवाद की सबसे अनूठी विशेषता यह है कि इसमें अनेक राज्यों के साथ थोड़ा अलग व्यवहार किया जाता है।
- शक्ति के बँटवारे की योजना के तहत भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियाँ सभी राज्यों को समान रूप से प्राप्त हैं लेकिन कुछ राज्यों के लिए उनकी विशिष्ट सामाजिक और ऐतिहासिक परिस्थितियों के अनुरूप संविधान कुछ विशेष अधिकारों की व्यवस्था करता है।
- असम, नागालैण्ड, अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम आदि राज्यों को अन्य राज्यों की तुलना में कुछ विशेष अधिकार प्राप्त हैं।
→ अध्याय में दी गईं महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं संबंधित घटनाएँ
वर्ष
|
सम्बन्धित घटनाएँ
|
1947 ई.
|
भारत का विभाजन, पाकिस्तान अलग देश बना।
|
1950 ई.
|
इबादान संवैधानिक सम्मेलन में नाइजीरिया के नेताओं द्वारा एक संघीय संविधान बनाने का निर्णय लिया गया।
|
1953 ई.
|
राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना की गई।
|
1956 ई.
|
कुछ राज्यों का पुनर्गठन हुआ।
|
1958 ई.
|
वेस्टइंडीज संघ (फेडरेशन ऑफ वेस्टइंडीज) का उदय।
|
1959 ई.
|
बहुमत की परीक्षा के बिना ही केरल सरकार को बर्खास्त कर दिया गया।
|
1960 ई.
|
गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों का गठन किया गया।
|
1966 ई.
|
पंजाब और हरियाणा को अलग - अलग किया गया।
|
1977 ई.
|
पश्चिम बंगाल की वामपंथी सरकार द्वारा केन्द्र राज्य सम्बन्धों पुनर्परिभाषित करने के लिए एक दस्तावेज प्रकाशित किया गया।
|
1983 ई.
|
केन्द्र सरकार द्वारा 'सरकारिया आयोग' का गठन किया गया।
|
1989 ई.
|
सोवियत संघ से अलग होकर कई स्वतंत्र देश बने।
|
1998 ई.
|
सरकारिया आयोग ने राज्यपालों की अनिवार्य और निष्पक्ष नियुक्ति की सिफारिश की।
|
1999 ई.
|
नाइजीरिया में लोकतंत्र की पुनः स्थापना हुई।
|
2000 ई.
|
बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश को विभाजित कर क्रमशः झारखंड, उत्तरांचल (अब उत्तराखण्ड) और छत्तीसगढ़ राज्य बनाए गए।
|
→ संघवाद - शासन की वह प्रणाली जिसमें संविधान द्वारा केन्द्र व राज्य स्तर की दो राजनीतिक व्यवस्थाएँ स्थापित की जाती हैं एवं दोनों के मध्य शासन की शक्तियों का संविधान द्वारा स्पष्ट विभाजन कर दिया जाता है। इसमें संविधान लिखित व सर्वोच्च होता है तथा केन्द्र व राज्यों के मध्य किसी टकराव को रोकने के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका की व्यवस्था होती है।
→ रियासत - ब्रिटिश शासित भारत में छोटे-छोटे आकार के कुछ और राज्य थे इन्हें रियासत कहा जाता था। इन पर राजाओं का शासन था।
→ विलय - एक राज्य का या दल का क्रमशः दूसरे राज्य या दल में मिल जाना।
→ राष्ट्रमण्डल - यह ऐसे 53 स्वतंत्र देशों का एक संघ है, जो पूर्व में ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा थे।
→ केन्द्रीकरण - एक जगह लाना।
→ उपनिवेश - जब एक शक्तिशाली राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के विभिन्न संसाधनों का शक्ति के बल पर उपभोग करता है तो दूसरा राष्ट्र पहले का उपनिवेश कहलाता है।
→ प्रायद्वीप - स्थल का वह भाग जिसके चारों ओर जल हो।
→ स्वायत्त - स्वशासित या जो अपने ही अधीन हो।
→ संसाधन (Resources) - हमारे पर्यावरण में पाये जाने वाला वह पदार्थ या तत्व जिसमें मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति करने की क्षमता हो।
→ आपातकाल - सम्पूर्ण देश या क्षेत्र विशेष में उत्पन्न राजनैतिक-आर्थिक संकट की स्थिति।
→ अनुदान - आर्थिक सहायता।
→ विशेषाधिकार - किसी को प्राप्त विशेष अधिकार।
→ निषेधाधिकार (Veto) - किसी प्रस्ताव या विषय पर रोक लगाने का विशेष अधिकार।
→ टी. टी. कृष्णामाचारी - ये संविधान सभा के सदस्य थे।