RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 6 नागरिकता

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RBSE Class 11 Political Science Chapter 6 Notes नागरिकता

→ भूमिका 

  • नागरिकता को परिभाषित करते हुए यह कहा जाता है कि नागरिकता किसी राजनीतिक समुदाय की सम्पूर्ण एवं समान सदस्यता है।
  • नागरिकों को राष्ट्रों द्वारा एक सामूहिक राजनीतिक पहचान के साथ-साथ कुछ अधिकार भी प्रदान किये जाते हैं। 
  • किसी राष्ट्र का सम्पूर्ण सदस्य होना अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। यह महत्व तब हमें अच्छी तरह से समझ में आता है जब हम आज भी नागरिकता से वंचित शरणार्थी व अवैध निवासियों की हालत को देखते हैं। 
  • दूसरे देशों में शरण लेने वालों और अवैध रूप से रहने वालों को कोई भी राष्ट्र अधिकारों की गारंटी नहीं देता और वे एक निश्चित राजनीतिक पहचान के बिना ही असुरक्षित जीवनयापन करते हैं।
  • अधिकारों और प्रतिष्ठा की समानता नागरिकता के बुनियादी अधिकारों में से एक है। 
  • नागरिक आज जिन अधिकारों का प्रयोग करते हैं, उन सभी को संघर्ष के बाद हासिल किया गया है।
  • अनेक यूरोपीय देशों में ऐसे संघर्ष हुए जो नागरिकता और इससे जुड़े अधिकारों की माँग पर आधारित थे। इनमें से कुछ तो हिंसक संघर्ष भी थे, जैसे 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति।।
  • एशिया और अफ्रीका के अनेक उपनिवेशों में समान नागरिकता पाने के लिए औपनिवेशिक शासकों के विरूद्ध स्वाधीनता की लड़ाई लड़ी गई।
  • नागरिकता केवल राज्यसत्ता और उसके सदस्यों के बीच के सम्बन्धों का निरूपण नहीं, बल्कि उससे बढ़कर यह नागरिकों के आपसी सम्बन्धों से भी जुड़ी हुई है।
  • नागरिकता में नागरिकों की एक-दूसरे के प्रति और समाज के प्रति कुछ निश्चित जिम्मेदारियाँ भी सम्मिलित हैं।
  • नागरिकों को देश के सांस्कृतिक और प्राकृतिक संसाधनों का उत्तराधिकारी और संरक्षक भी माना जाता है।

→ सम्पूर्ण और समान सदस्यता

  • नागरिकता में 'भीतरी' और 'बाहरी' का संघर्ष भी उठता रहता है।
  • यदि कहीं आजीविका, चिकित्सा या शिक्षा जैसी सुविधाएँ और जल-जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधन सीमित हों, तब 'बाहरी लोगों' के प्रवेश को रोकने की मांग उठने की सम्भावना पैदा हो जाती है।
  • भारत एवं अन्य अनेक लोकतान्त्रिक देशों में नागरिकों को कहीं भी जाकर रोजगार पाने और बसने की स्वतन्त्रता का अधिकार प्रदान किया गया है।
  • कहीं भी जाकर रोजगार करने व बसने के अधिकार के अन्तर्गत श्रमिक लोग देश के अधिक रोजगार सम्भावनाओं वाले क्षेत्रों में जाने लगते हैं।
  • अधिक संख्या में रोजगार बाहरी लोगों के हाथ में जाने से स्थानीय लोगों में सामान्यतया इनके विरोध की भावना पैदा हो जाती है। 

RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 6 नागरिकता 

→ समान अधिकार

  • भारत में नागरिकता के सन्दर्भ में आज शहरी गरीबों से सम्बन्धित समस्या उन अति आवश्यक समस्याओं में से एक है, जो सरकार के समक्ष खड़ी है।
  • भारत के प्रत्येक शहर में गंदी बस्तियों में रहने वाले लोगों की समस्याएँ शहर के अन्य लोगों से भिन्न होती हैं।
  • हमारे देश में आदिवासी एवं वनवासी भी अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनकी जीवन पद्धति एवं आजीविका खतरे में पड़ती जा रही है।
  • आज देश व सम्बन्धित राज्यों की सरकारें इस प्रश्न से जूझ रही हैं कि वे देश के विकास को खतरे में डाले बगैर आदिवासियों और वनवासियों के अधिकारों की सुरक्षा कैसे करें।
  • वैश्विक स्थिति, अर्थव्यवस्था और समाज में बदलाव नागरिकता के अर्थ और अधिकारों की नई व्याख्या की माँग करते
  • समान नागरिकता की अवधारणा का अर्थ यह है कि सभी नागरिकों को समान अधिकार एवं सुरक्षा प्रदान करना राजकीय नीतियों का एक मार्गदर्शक सिद्धान्त हो।

→ नागरिक और राष्ट्र

  • राष्ट्र राज्य की अवधारणा का विकास आधुनिक काल में हुआ है।
  • राष्ट्र राज्य की सम्प्रभुता एवं नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का दावा सर्वप्रथम 1789 ई. में फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने किया था।
  • एक लोकतांत्रिक राज्य की राष्ट्रीय पहचान में नागरिकों को ऐसी राजनीतिक पहचान देने की कल्पना की जाती है, जिसमें राज्य के सभी सदस्य (नागरिक) भागीदार हो सकें।
  • 'भारत स्वयं को धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश मानता है।
  • भारत के संविधान ने नागरिकता की लोकतांत्रिक एवं समावेशी धारणा को अपनाया है।
  • भारत में जन्म, वंश-परम्परा, पंजीकरण, देशीकरण अथवा किसी भूक्षेत्र के राजक्षेत्र में सम्मिलित होने से नागरिकता प्राप्त की जा सकती है।

→ सार्वभौमिक नागरिकता

  • आज अनेक देश वैश्विक और समावेशी नागरिकता का समर्थन करते हैं लेकिन यही देश नागरिकता देने की शर्ते भी निर्धारित करते हैं। 
  • नागरिक के रूप में कितने लोगों को अंगीकार किया जा सकता है, इस प्रश्न पर फैसला करना अनेक देशों के लिए कठिन मानवीय और राजनीतिक समस्या बनी हुई है।
  • समकालीन विश्व में सभी लोगों को नागरिक की पहचान और अधिकार उपलब्ध होने चाहिए।
  • राज्यहीन लोगों का सवाल आज विश्व के लिए गम्भीर समस्या बन गया है।

→ विश्व नागरिकता

  • वर्तमान में विश्व-नागरिकता की भी बात की जाने लगी है। विश्व-नागरिकता की धारणा में यह माना जाता है कि भले ही लोग अलग-अलग देशों की सीमाओं में रहते हैं, फिर भी वे आपस में जुड़ाव महसूस करते हैं।
  • विश्व-नागरिकता की धारणा हमें याद दिलाती है कि हम आज आपस में सम्बन्धित विश्व में रहते हैं, इसलिए हमारे लिए यह जरूरी है कि हम विश्व के विभिन्न भागों के लोगों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करें।

→ नागरिक - नागरिक से तात्पर्य है उस व्यक्ति से है जो राज्य का सदस्य हो, उसके प्रति निष्ठा रखता हो और उसके कुछ राजनीतिक व सामाजिक अधिकार हों।

→ नागरिकता - एक राजनीतिक समुदाय की पूर्ण एवं समान सदस्यता को नागरिकता कहते है। 

→ राजनीतिक समुदाय - समाज में लोगों का वह सामूहिक संगठन जिसमें लोग अपने समान राजनीतिक हितों व अधिकारों के आधार पर मिल-जुलकर रहते हैं, राजनीतिक समुदाय कहलाता है।

→ राष्ट्र - उन लोगों का समूह जो स्थाई रूप से निर्दिष्ट भूभाग में रहते हैं एवं समान राजनीतिक आकांक्षाओं, समान हितों, समान इतिहास और समान नियति की चेतना के कारण एकता के सूत्र में बंधे हुए अनुभव करते हैं, राष्ट्र कहलाता है।

→ शरणार्थी - वे लोग जो किसी प्राकृतिक आपदा, युद्ध या संघर्ष की स्थिति में अथवा आजीविका की तलाश में एक देश की राजनीतिक सीमा से दूसरे देश की राजनीतिक सीमा में आकर शरण ले लेते हैं। इन्हें शरणार्थी कहा जाता है।

→ अवैध प्रवासी - एक देश से दूसरे देश में चोरी-छिपे जाकर रहने वाले लोग अवैध प्रवासी कहलाते हैं।

→ न्यूनतम मजदूरी - प्रत्येक व्यक्ति को उसके श्रम के बदले जो उचित पारिश्रमिक प्राप्त होना चाहिए, उसे ही न्यूनतम मजदूरी कहते हैं।

RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 6 नागरिकता

→ अल्पसंख्यक - किसी देश में रहने वाले वे लोग जो वहाँ के अन्य निवासियों की तुलना में कम संख्या में होते हैं, अल्पसंख्यक कहलाते हैं। जैसे भारत में जैन, मुस्लिम इत्यादि अल्पसंख्यक है।

→ सहनागरिक - एक ही देश के नागरिक आपस में सहनागरिक कहलाते हैं, जैसे-भारत में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र इत्यादि राज्यों के निवासी आपस में एक-दूसरे के सहनागरिक ही हैं।

→ गमनागमन - वह स्थिति जिसमें कोई भी व्यक्ति रोजगार या अन्य आवश्यकताओं की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान जाता है तथा जहाँ उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति होने लगे वहीं रहने लगता है इसे गमनागमन कहा जाता है।
 
→ कामगार - श्रमिक या मजदूर को कामगार के नाम से जाना जाता है।

→ आप्रवास - जब एक व्यक्ति किसी अन्य देश में प्रवास करता है तो उस क्रिया को आप्रवास कहते है।

→ प्रवास - किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा अपने निवास स्थान का स्थाई परिवर्तन प्रवास कहलाता है।

→ मीडिया - संचार के साधनों को मीडिया कहा जाता है।

→ आदिवासी - आदिवासी शब्द का आशय होता है—मूल निवासी। ये ऐसे समुदाय हैं जो जंगलों के साथ जीते आए हैं और आज भी उसी तरह जी रहे हैं। जंगलों (वनों) में रहने के कारण इन्हें वनवासी भी कहते हैं। 

→ राष्ट्र राज्य - 19वीं एवं 20वीं सदी में छोटे-छोटे विभक्त राज्यों के स्थान पर शक्तिशाली व संगठित विशाल राज्यों की स्थापना पर बल दिया गया। इसे ही राष्ट्र राज्य कहा गया।

→ संप्रभुता - सम्प्रभुता का तात्पर्य है कि आधुनिक राष्ट्र पूर्ण रूप से स्वतन्त्र है।

→ धर्म निरपेक्ष - जो किसी जाति के धार्मिक नियमों से बँधा न हो, धर्मनिरपेक्ष कहलाता है।

→ सुबद्ध और समरस समाज - वह समाज जो समानता पर आधारित हो तथा इसी आधार पर संगठित हो।

→ देशांतरण - युद्ध, उत्पीड़न, अकाल आदि कारणों से लोगों का एक देश से दूसरे देश में जाकर बसना देशान्तरण कहलाता है।

→ अन्तर्सम्बद्ध विश्व - ऐसा वैश्विक ढाँचा जिसमें दुनिया के तमाम देश एक-दूसरे से व्यापार, तकनीक इत्यादि आधारों पर आपस में सम्बन्धित रहते हैं।

→ राष्ट्रीय नागरिकता - वह स्थिति जिसमें लोगों को किसी एक राष्ट्र की राजनीतिक पहचान प्राप्त हो जाती है। जैसे—भारतीय, अमेरिकी इत्यादि।

→ मार्टिन लूथर किंग जूनियर - रंगभेद नीति के विरोधी नेता, इन्होंने 1950 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका के अनेक दक्षिणी राज्यों में काली और गोरी आबादी के बीच विषमताओं के खिलाफ व्यापक आन्दोलन का नेतृत्व किया।

→ टी. एच. मार्शल - आधुनिक युग के प्रमुख ब्रिटिश समाजशास्त्री, इन्होंने अपनी पुस्तक 'नागरिकता और सामाजिक वर्ग' में नागरिकता सम्बन्धी अपने विचारों का प्रतिपादन किया।

RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 6 नागरिकता

→ ओल्गा टेलिस - भारत के एक प्रसिद्ध समाजसेवी, इन्होंने मुम्बई की झोंपड़पट्टियों में रहने वालों के अधिकारों को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका द्वारा इन्होंने इन झोंपड़पट्टीवासियों के अधिकारों की रक्षा की।

→ दलाई लामा - तिब्बत के प्रसिद्ध धर्मगुरु व धर्म प्रचारक, इन्होंने तिब्बत के अधिकारों व स्वतन्त्रता के लिए भी आवाज उठाई। 1959 ई. में उन्हें तिब्बत से निष्कासन झेलना पड़ा। भारत ने उन्हें शरण प्रदान की। इसी कारण भारत और चीन में तनाव भी पैदा हो गया था। 

Prasanna
Last Updated on Aug. 29, 2022, 3:52 p.m.
Published Aug. 29, 2022