These comprehensive RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 6 नागरिकता will give a brief overview of all the concepts.
Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Political Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 11. Students can also read RBSE Class 11 Political Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 11 Political Science Notes to understand and remember the concepts easily.
→ भूमिका
→ सम्पूर्ण और समान सदस्यता
→ समान अधिकार
→ नागरिक और राष्ट्र
→ सार्वभौमिक नागरिकता
→ विश्व नागरिकता
→ नागरिक - नागरिक से तात्पर्य है उस व्यक्ति से है जो राज्य का सदस्य हो, उसके प्रति निष्ठा रखता हो और उसके कुछ राजनीतिक व सामाजिक अधिकार हों।
→ नागरिकता - एक राजनीतिक समुदाय की पूर्ण एवं समान सदस्यता को नागरिकता कहते है।
→ राजनीतिक समुदाय - समाज में लोगों का वह सामूहिक संगठन जिसमें लोग अपने समान राजनीतिक हितों व अधिकारों के आधार पर मिल-जुलकर रहते हैं, राजनीतिक समुदाय कहलाता है।
→ राष्ट्र - उन लोगों का समूह जो स्थाई रूप से निर्दिष्ट भूभाग में रहते हैं एवं समान राजनीतिक आकांक्षाओं, समान हितों, समान इतिहास और समान नियति की चेतना के कारण एकता के सूत्र में बंधे हुए अनुभव करते हैं, राष्ट्र कहलाता है।
→ शरणार्थी - वे लोग जो किसी प्राकृतिक आपदा, युद्ध या संघर्ष की स्थिति में अथवा आजीविका की तलाश में एक देश की राजनीतिक सीमा से दूसरे देश की राजनीतिक सीमा में आकर शरण ले लेते हैं। इन्हें शरणार्थी कहा जाता है।
→ अवैध प्रवासी - एक देश से दूसरे देश में चोरी-छिपे जाकर रहने वाले लोग अवैध प्रवासी कहलाते हैं।
→ न्यूनतम मजदूरी - प्रत्येक व्यक्ति को उसके श्रम के बदले जो उचित पारिश्रमिक प्राप्त होना चाहिए, उसे ही न्यूनतम मजदूरी कहते हैं।
→ अल्पसंख्यक - किसी देश में रहने वाले वे लोग जो वहाँ के अन्य निवासियों की तुलना में कम संख्या में होते हैं, अल्पसंख्यक कहलाते हैं। जैसे भारत में जैन, मुस्लिम इत्यादि अल्पसंख्यक है।
→ सहनागरिक - एक ही देश के नागरिक आपस में सहनागरिक कहलाते हैं, जैसे-भारत में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र इत्यादि राज्यों के निवासी आपस में एक-दूसरे के सहनागरिक ही हैं।
→ गमनागमन - वह स्थिति जिसमें कोई भी व्यक्ति रोजगार या अन्य आवश्यकताओं की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान जाता है तथा जहाँ उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति होने लगे वहीं रहने लगता है इसे गमनागमन कहा जाता है।
→ कामगार - श्रमिक या मजदूर को कामगार के नाम से जाना जाता है।
→ आप्रवास - जब एक व्यक्ति किसी अन्य देश में प्रवास करता है तो उस क्रिया को आप्रवास कहते है।
→ प्रवास - किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा अपने निवास स्थान का स्थाई परिवर्तन प्रवास कहलाता है।
→ मीडिया - संचार के साधनों को मीडिया कहा जाता है।
→ आदिवासी - आदिवासी शब्द का आशय होता है—मूल निवासी। ये ऐसे समुदाय हैं जो जंगलों के साथ जीते आए हैं और आज भी उसी तरह जी रहे हैं। जंगलों (वनों) में रहने के कारण इन्हें वनवासी भी कहते हैं।
→ राष्ट्र राज्य - 19वीं एवं 20वीं सदी में छोटे-छोटे विभक्त राज्यों के स्थान पर शक्तिशाली व संगठित विशाल राज्यों की स्थापना पर बल दिया गया। इसे ही राष्ट्र राज्य कहा गया।
→ संप्रभुता - सम्प्रभुता का तात्पर्य है कि आधुनिक राष्ट्र पूर्ण रूप से स्वतन्त्र है।
→ धर्म निरपेक्ष - जो किसी जाति के धार्मिक नियमों से बँधा न हो, धर्मनिरपेक्ष कहलाता है।
→ सुबद्ध और समरस समाज - वह समाज जो समानता पर आधारित हो तथा इसी आधार पर संगठित हो।
→ देशांतरण - युद्ध, उत्पीड़न, अकाल आदि कारणों से लोगों का एक देश से दूसरे देश में जाकर बसना देशान्तरण कहलाता है।
→ अन्तर्सम्बद्ध विश्व - ऐसा वैश्विक ढाँचा जिसमें दुनिया के तमाम देश एक-दूसरे से व्यापार, तकनीक इत्यादि आधारों पर आपस में सम्बन्धित रहते हैं।
→ राष्ट्रीय नागरिकता - वह स्थिति जिसमें लोगों को किसी एक राष्ट्र की राजनीतिक पहचान प्राप्त हो जाती है। जैसे—भारतीय, अमेरिकी इत्यादि।
→ मार्टिन लूथर किंग जूनियर - रंगभेद नीति के विरोधी नेता, इन्होंने 1950 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका के अनेक दक्षिणी राज्यों में काली और गोरी आबादी के बीच विषमताओं के खिलाफ व्यापक आन्दोलन का नेतृत्व किया।
→ टी. एच. मार्शल - आधुनिक युग के प्रमुख ब्रिटिश समाजशास्त्री, इन्होंने अपनी पुस्तक 'नागरिकता और सामाजिक वर्ग' में नागरिकता सम्बन्धी अपने विचारों का प्रतिपादन किया।
→ ओल्गा टेलिस - भारत के एक प्रसिद्ध समाजसेवी, इन्होंने मुम्बई की झोंपड़पट्टियों में रहने वालों के अधिकारों को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका द्वारा इन्होंने इन झोंपड़पट्टीवासियों के अधिकारों की रक्षा की।
→ दलाई लामा - तिब्बत के प्रसिद्ध धर्मगुरु व धर्म प्रचारक, इन्होंने तिब्बत के अधिकारों व स्वतन्त्रता के लिए भी आवाज उठाई। 1959 ई. में उन्हें तिब्बत से निष्कासन झेलना पड़ा। भारत ने उन्हें शरण प्रदान की। इसी कारण भारत और चीन में तनाव भी पैदा हो गया था।