RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 5 अधिकार

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RBSE Class 11 Political Science Chapter 5 Notes अधिकार

→ परिचय

  • 'अधिकार' हमारी दिन-प्रतिदिन की जिन्दगी से जुड़े हुए हैं। हम नियमित रूप से इनकी चर्चा करते रहते हैं।
  • लोकतांत्रिक देशों में हम मतदान, राजनीतिक दल का निर्माण, चुनाव लड़ना आदि अधिकारों की बात करते हैं।
  • वर्तमान में जनता द्वारा कई नए-नए अधिकारों की भी मांग की जा रही है। 
  • वर्तमान में नए अधिकारों में सूचना का अधिकार, स्वच्छ वायु, पेयजल आदि अधिकारों का दावा किया जा रहा है। 

→ अधिकार क्या हैं?

  • अधिकार मूल रूप से हमारे ऐसे दावे हैं, जिनका औचित्य सिद्ध होता है।
  • अधिकार वह स्थिति है जिसे शेष समाज एक वैध दावे के रूप में स्वीकार करता है और इसकी स्वीकार्यता (अनुमोदन) अनिवार्य होती है।
  • अधिकार उन बातों का द्योतक है, जिन्हें हम और अन्य लोग सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण और आवश्यक समझते हैं।
  • अधिकारों की दावेदारी का एक महत्वपूर्ण आधार यह भी है कि ये हमारी बेहतरी के लिए आवश्यक हैं।
  • अधिकार लोगों को उनकी दक्षता और प्रतिभा विकसित करने में सहयोग देते हैं, जैसे—शिक्षा का अधिकार हमारी तर्क शक्ति विकसित करने में मदद करता है।

RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 5 अधिकार 

→ अधिकार कहाँ से आते हैं?

  • 17वीं, 18वीं सदी में राजनीतिक विचारक यह तर्क देते थे कि हमारे लिए अधिकार प्रकृति या ईश्वर प्रदत्त हैं। अतः कोई व्यक्ति या शासक इन्हें हमसे छीन नहीं सकता।
  • हमारे प्राकृतिक अधिकारों के रूप में विचारकों ने तीन अधिकार बताए थे
    • जीवन का अधिकार,
    • स्वतन्त्रता का अधिकार एवं
    • सम्पत्ति का अधिकार ।
  • पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक अधिकार शब्द से अधिक मानवाधिकार शब्द का प्रयोग हो रहा है।
  • मानव-अधिकारों के पीछे मूल मान्यता यह है कि सभी लोग मानव होने के नाते कुछ चीजों को पाने के अधिकारी हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकारों के सार्वजनिक घोषणा पत्र में उन मानव अधिकारों का उल्लेख किया गया है, जिन्हें विश्व सामूहिक रूप से गरिमा और आत्म सम्मान से परिपूर्ण जीवन जीने के लिए आवश्यक मानता है।
  • कांट ने अधिकार सम्बन्धी अपने विचारों में अधिकार की एक नैतिक अवधारणा प्रस्तुत की है।

→ कानूनी अधिकार और राजसत्ता

  • मानवाधिकारों के दावों की नैतिक अपील चाहे जितनी हो, उनकी सफलता के लिए सरकारों और कानूनों का समर्थन प्राप्त होना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है।
  • अनेक देशों में कुछ अधिकारों को संविधान में घोषित कर दिया जाता है। यह संवैधानिक मान्यता इन्हें बुनियादी महत्व प्रदान करती है। इसी कारण इन्हें 'मौलिक अधिकार' कहा जाता है। 
  • अधिकार राज्य को कुछ विशेष तरीकों से कार्य करने के लिए कानूनी दायित्व सौंपते हैं।
  • अधिकार केवल यह नहीं बताते कि राज्य को क्या करना है, वे यह भी बताते हैं कि राज्य को क्या-कुछ नहीं करना है।
  • हमारे अधिकार यह सुनिश्चित करते हैं कि राज्य की सत्ता हमारे निजी जीवन और स्वतन्त्रता की मर्यादा का उल्लंघन किये बिना कार्य करे।

→ अधिकारों के प्रकार

  • आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ राजनीतिक अधिकारों का घोषणापत्र बनाने से अपनी शुरूआत करती हैं।
  • राजनीतिक अधिकार नागरिकों को कानून के समक्ष बराबरी तथा राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदारी का हक देते हैं।
  • आजकल अधिकांश लोकतांत्रिक राज्यों में राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों के साथ नागरिकों के सांस्कृतिक दावों को भी मान्यता दी जा रही है।

→ अधिकार और जिम्मेदारियाँ

  • अधिकार राज्य पर यह जिम्मेदारी डालते हैं कि वह विशेष तरीके से कार्य करे। इसी प्रकार ये हम पर भी अधिकारों के ‘सावधानी से प्रयोग की जिम्मेदारी डालते हैं।
  • अधिकार यह अपेक्षा करते हैं कि हम अन्य लोगों के अधिकारों का भी सम्मान करें।
  • नागरिकों को अपने अधिकारों पर लगाए जाने वाले नियन्त्रणों के बारे में जागरूक रहना चाहिए।
  • नागरिक स्वतन्त्रता में कटौती करते वक्त हमें अत्यन्त सावधान होने की जरूरत है क्योंकि इनका आसानी से दुरुपयोग किया जा सकता है। 
  • हमें अपने और दूसरों के अधिकारों की रक्षा करने हेतु जागरूक रहने की जरूरत है क्योंकि ये लोकतांत्रिक समाज की बुनियाद का निर्माण करते हैं।

→ मानवाधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा 

  • 10 दिसम्बर 1948 को संयुक्त राष्ट्र की सामान्य सभा ने मानवाधिकारों की सार्वजनिक घोषणा को स्वीकार कर उन्हें लागू किया।
  • संयुक्त राष्ट्र की सामान्य सभा ने सभी सदस्य देशों से मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के पाठ को प्रचारित करने का आह्वान किया।

→ अधिकार - जीवन की वे आवश्यक शर्ते जिसके बिना कोई भी व्यक्ति पूर्ण, प्रसन्न एवं उद्देश्य पूर्ण जीवन नहीं जी सकता, अधिकार कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में अधिकार मूल रूप से हमारे हक के ऐसे दावे हैं जिनका औचित्य सिद्ध होता है। इन्हें समस्त समाज वैध दावे के रूप में स्वीकार करता है।

RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 5 अधिकार

→ राजनीतिक पार्टी (दल) - लोगों का वह समूह जो चुनाव लड़ने एवं सरकार में राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करता है राजनीतिक पार्टी (दल) कहलाता है। 

→ लोकतांत्रिक देश - वह देश जहाँ जनता के प्रतिनिधियों द्वारा शासन किया जाता है, लोकतांत्रिक देश कहलाता है। ऐसे देशों में जनता की प्रत्येक क्षेत्र में सहभागिता पर बल दिया जाता है।

→ राजनीतिक अधिकार - वे अधिकार जो व्यक्ति के राजनीतिक जीवन से सम्बन्धित होते हैं, राजनीतिक अधिकार कहलाते हैं। जैसे—नागरिकता, मताधिकार, मौलिक अधिकार आदि।

→ सूचना का अधिकार - वह अधिकार जिसके द्वारा जनता विभिन्न सरकारी संस्थाओं से सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक महत्व की सूचनाएँ प्राप्त कर सकती है, सूचना का अधिकार कहलाता है।

→ अवधारणा - किसी मुद्दे पर एक सम्पूर्ण व्याख्या करने वाली विचारों की श्रृंखला अवधारणा कहलाती है।

→ हकदार - जो किसी हक को प्राप्त करने तथा प्रयोग करने का अधिकार रखता है, हकदार कहलाता है।

→ आजीविका - व्यक्ति द्वारा जीवन जीने एवं अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जो पारिश्रमिक और लाभ अर्जित किये जाते हैं, उन्हें ही आजीविका कहते हैं।

→ सार्वभौम अधिकार - वे अधिकार जो सभी व्यक्तियों के लिए प्रत्येक स्थिति और प्रत्येक स्थान पर अनिवार्य रूप से स्वीकार किये जाते हैं, सार्वभौम अधिकार कहलाते हैं। 

→ विश्वजनीन - ऐसा विचार या धारणा जो समस्त विश्व में उत्पन्न हो और मानी जाए, विश्वजनीन कहलाती है।

→ प्राकृतिक अधिकार - वे अधिकार जिन्हें मानव होने के नाते जन्म से प्रत्येक व्यक्ति को प्रकृति द्वारा प्रदान किया हुआ माना जाता है, प्राकृतिक अधिकार कहलाते हैं। इन्हें ईश्वर द्वारा दिये गये अधिकार भी कहते हैं।

→ मानवाधिकार - वे अधिकार जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक मानव होने के नाते अनिवार्य माने जाते हैं, मानवाधिकार कहलाते हैं। जैसे—व्यक्ति की गरिमा, जीवन की रक्षा इत्यादि।

→ कानून - सरकार संचालित करने और नागरिकों के आपसी सम्बन्धों एवं व्यवहारों को व्यवस्थित करने वाले नियम कानून कहलाते हैं।

→ राजसत्ता - आदेश प्रदान करने का अधिकार एक आज्ञा का पालन करने के लिए बाध्य करने की राज्य की शक्ति को ही राजसत्ता कहते हैं।

RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 5 अधिकार

→ दास-प्रथा - एक ऐसी प्रथा जिसमें मनुष्यों को गुलाम बनाकर अपनी सम्पत्ति के रूप में रखा जाता था तथा इनको खरीदा व बेचा भी जाता था, दास प्रथा कहलाती है।

→ मौलिक अधिकार - किसी देश में नागरिकों को प्राप्त वे अधिकार जिनका उल्लेख उस देश के संविधान में स्पष्ट रूप से किया जाता है, मौलिक अधिकार कहलाते हैं।

→ संवैधानिक मान्यता - संविधान के प्रावधानों के अनुसार स्वीकृति प्राप्त होना संवैधानिक मान्यता कहलाता है।

→ नागरिक स्वतंत्रताएँ - वह स्वतन्त्रताएँ या अधिकार जोकि किसी देश का नागरिक होने के नाते व्यक्तियों को समान रूप से प्राप्त होते हैं, नागरिक स्वतंत्रता कहलाते हैं।

→ लोकतांत्रिक समाज - वह समाज जो भाई-चारे, सहयोग और सहमति पर आधारित हो, लोकतांत्रिक समाज कहलाता है। ऐसे समाजों में प्रत्येक व्यक्ति या वर्ग के विचारों, भावनाओं आदि का आदर किया जाता

→ इमैनुएल कांट - 18वीं सदी के प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक, कांट ने मानव की गरिमा के विषय में विचार प्रस्तुत किये और अधिकारों की नैतिक अवधारणा प्रस्तुत की।

→ बॉब गेल्डॉफ - एक प्रसिद्ध पॉप स्टार हैं, इन्होंने अफ्रीका में गरीबी खत्म करने के लिए पश्चिमी देशों की सरकारों से जोरदार अपील की है। इनकी अपील को बहुत कम समय में बहुत अधिक
समर्थन हासिल हुआ है। 

Prasanna
Last Updated on Aug. 29, 2022, 3:50 p.m.
Published Aug. 29, 2022