These comprehensive RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 5 अधिकार will give a brief overview of all the concepts.
Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Political Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 11. Students can also read RBSE Class 11 Political Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 11 Political Science Notes to understand and remember the concepts easily.
→ परिचय
→ अधिकार क्या हैं?
→ अधिकार कहाँ से आते हैं?
→ कानूनी अधिकार और राजसत्ता
→ अधिकारों के प्रकार
→ अधिकार और जिम्मेदारियाँ
→ मानवाधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा
→ अधिकार - जीवन की वे आवश्यक शर्ते जिसके बिना कोई भी व्यक्ति पूर्ण, प्रसन्न एवं उद्देश्य पूर्ण जीवन नहीं जी सकता, अधिकार कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में अधिकार मूल रूप से हमारे हक के ऐसे दावे हैं जिनका औचित्य सिद्ध होता है। इन्हें समस्त समाज वैध दावे के रूप में स्वीकार करता है।
→ राजनीतिक पार्टी (दल) - लोगों का वह समूह जो चुनाव लड़ने एवं सरकार में राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करता है राजनीतिक पार्टी (दल) कहलाता है।
→ लोकतांत्रिक देश - वह देश जहाँ जनता के प्रतिनिधियों द्वारा शासन किया जाता है, लोकतांत्रिक देश कहलाता है। ऐसे देशों में जनता की प्रत्येक क्षेत्र में सहभागिता पर बल दिया जाता है।
→ राजनीतिक अधिकार - वे अधिकार जो व्यक्ति के राजनीतिक जीवन से सम्बन्धित होते हैं, राजनीतिक अधिकार कहलाते हैं। जैसे—नागरिकता, मताधिकार, मौलिक अधिकार आदि।
→ सूचना का अधिकार - वह अधिकार जिसके द्वारा जनता विभिन्न सरकारी संस्थाओं से सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक महत्व की सूचनाएँ प्राप्त कर सकती है, सूचना का अधिकार कहलाता है।
→ अवधारणा - किसी मुद्दे पर एक सम्पूर्ण व्याख्या करने वाली विचारों की श्रृंखला अवधारणा कहलाती है।
→ हकदार - जो किसी हक को प्राप्त करने तथा प्रयोग करने का अधिकार रखता है, हकदार कहलाता है।
→ आजीविका - व्यक्ति द्वारा जीवन जीने एवं अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जो पारिश्रमिक और लाभ अर्जित किये जाते हैं, उन्हें ही आजीविका कहते हैं।
→ सार्वभौम अधिकार - वे अधिकार जो सभी व्यक्तियों के लिए प्रत्येक स्थिति और प्रत्येक स्थान पर अनिवार्य रूप से स्वीकार किये जाते हैं, सार्वभौम अधिकार कहलाते हैं।
→ विश्वजनीन - ऐसा विचार या धारणा जो समस्त विश्व में उत्पन्न हो और मानी जाए, विश्वजनीन कहलाती है।
→ प्राकृतिक अधिकार - वे अधिकार जिन्हें मानव होने के नाते जन्म से प्रत्येक व्यक्ति को प्रकृति द्वारा प्रदान किया हुआ माना जाता है, प्राकृतिक अधिकार कहलाते हैं। इन्हें ईश्वर द्वारा दिये गये अधिकार भी कहते हैं।
→ मानवाधिकार - वे अधिकार जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक मानव होने के नाते अनिवार्य माने जाते हैं, मानवाधिकार कहलाते हैं। जैसे—व्यक्ति की गरिमा, जीवन की रक्षा इत्यादि।
→ कानून - सरकार संचालित करने और नागरिकों के आपसी सम्बन्धों एवं व्यवहारों को व्यवस्थित करने वाले नियम कानून कहलाते हैं।
→ राजसत्ता - आदेश प्रदान करने का अधिकार एक आज्ञा का पालन करने के लिए बाध्य करने की राज्य की शक्ति को ही राजसत्ता कहते हैं।
→ दास-प्रथा - एक ऐसी प्रथा जिसमें मनुष्यों को गुलाम बनाकर अपनी सम्पत्ति के रूप में रखा जाता था तथा इनको खरीदा व बेचा भी जाता था, दास प्रथा कहलाती है।
→ मौलिक अधिकार - किसी देश में नागरिकों को प्राप्त वे अधिकार जिनका उल्लेख उस देश के संविधान में स्पष्ट रूप से किया जाता है, मौलिक अधिकार कहलाते हैं।
→ संवैधानिक मान्यता - संविधान के प्रावधानों के अनुसार स्वीकृति प्राप्त होना संवैधानिक मान्यता कहलाता है।
→ नागरिक स्वतंत्रताएँ - वह स्वतन्त्रताएँ या अधिकार जोकि किसी देश का नागरिक होने के नाते व्यक्तियों को समान रूप से प्राप्त होते हैं, नागरिक स्वतंत्रता कहलाते हैं।
→ लोकतांत्रिक समाज - वह समाज जो भाई-चारे, सहयोग और सहमति पर आधारित हो, लोकतांत्रिक समाज कहलाता है। ऐसे समाजों में प्रत्येक व्यक्ति या वर्ग के विचारों, भावनाओं आदि का आदर किया जाता
→ इमैनुएल कांट - 18वीं सदी के प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक, कांट ने मानव की गरिमा के विषय में विचार प्रस्तुत किये और अधिकारों की नैतिक अवधारणा प्रस्तुत की।
→ बॉब गेल्डॉफ - एक प्रसिद्ध पॉप स्टार हैं, इन्होंने अफ्रीका में गरीबी खत्म करने के लिए पश्चिमी देशों की सरकारों से जोरदार अपील की है। इनकी अपील को बहुत कम समय में बहुत अधिक
समर्थन हासिल हुआ है।