These comprehensive RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 3 समानता will give a brief overview of all the concepts.
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→ समानता महत्वपूर्ण क्यों है?
→ अवसरों की समानता
→ प्राकृतिक और सामाजिक असमानताएँ
→ समानता के तीन आयाम
→ हम समानता को बढ़ावा कैसे दे सकते हैं?
→ समानता - वह स्थिति जिसमें सभी मनुष्यों को साझी मानवता के तहत बराबर और गरिमापूर्ण माना जाता है, समानता कहलाती है।
→ राजनीतिक आदर्श - समाज के राजनीतिक जीवन व राज-व्यवस्था से जुड़ी अति महत्वपूर्ण बातें राजनीतिक आदर्श कहलाती हैं।
→ सार्वभौम मानवाधिकार - सभी स्थानों पर सभी परिस्थितियों में मानव को प्राप्त होने वाले अधिकार सार्वभौम मानवाधिकार कहलाते हैं, जैसे—'जीवन जीने का अधिकार' एक सार्वभौम मानवाधिकार है।
→ मानवता के प्रति अपराध - ऐसा कार्य जो समाज एवं मानवों के लिए अहितकर हो तथा मानव होने के नाते स्वीकार्य न हो, मानवता के प्रति अपराध कहलाता है। अचानक होने वाली ऐसी कार्यवाही जो गैर कानूनी तरीके अथवा शक्ति के द्वारा सरकार या शासन में परिवर्तन के लिए विद्रोह के रूप में प्रकट होती है, क्रांति कहलाती है। जैसे-फ्राँस की क्रान्ति।
→ क्रान्ति - राजा का शासन, राजशाही कहलाता है।
→ राजशाही आत्म-बोध - अपने विवेक के आधार पर होने वाली अनुभूति आत्म-बोध कहलाती है।
→ सामाजिक दर्जा - समाज में किसी व्यक्ति की स्थिति और भूमिका को उसके 'सामाजिक दर्जा' की संज्ञा दी जाती है।
→ अवसरों की समानता - अवसरों की समानता से यह आशय है कि सभी मनुष्य अपनी दक्षता एवं प्रतिभा को विकसित करने के लिए एवं अपने लक्ष्यों व आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए समान अधिकार एवं समान अवसरों के हकदार हैं।
→ प्राकृतिक असमानताएँ - ऐसे भेदभाव जो जन्म से ही लागू हो जाते हैं, प्राकृतिक असमानताएँ कहलाते हैं। जैसेस्त्री-पुरुष, गोरा-काला इत्यादि।
→ समाजजनित असमानताएँ - समाज द्वारा अपनाये गये रीति-रिवाजों, परम्पराओं, मूल्यों आदि के आधार पर होने वाले भेदभाव समाजजनित असमानताएँ कहलाते हैं, जैसे-~-लड़का और लड़की में भेदभाव किया जाना।
→ न्यायोचित - जो न्याय के अनुसार सही हो न्यायोचित कहलाता है।
→ समतामूलक समाज - ऐसा समाज जिसमें समाज के विभिन्न सदस्यों के साथ समान परिस्थितियों में समान व्यवहार किया जाए समतामूलक समाज कहलाता है। इस प्रकार के समाज में छुआछूत, ऊँच-नीच इत्यादि भेदभाव नहीं पाए जाते हैं।
→ राजनीतिक समानता - समानता का वह आयाम जो कि समाज के सदस्यों का राजनीतिक क्षेत्र में समानता के अधिकार से सम्बन्धित होता है, राजनीतिक समानता कहलाती है।
→ सामाजिक समानता - समानता का वह आयाम जिसमें समाज के विभिन्न समूहों एवं समुदायों के लोगों के पास समाज में उपलब्ध साधनों तथा अवसरों को प्राप्त करने का बराबर एवं उचित मौका है, सामाजिक समानता कहलाती है।
→ आर्थिक समानता - समाज के लोगों में धन-दौलत एवं आय में समानता हो, आर्थिक समानता कहलाती है।
→ मार्क्सवाद - उन्नीसवीं सदी के महान विचारक.कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित विभिन्न राजनीतिक विचारों को ही सामूहिक तौर पर 'मार्क्सवाद' कहा जाता है।
→ उदारवाद - आधुनिक युग की वह विचारधारा जो 'स्वतन्त्रता' और 'समानता' पर बल देती है; उदारवाद कहलाती है। इसके कई रूप हैं; जैसे—नकारात्मक उदारवाद, सकारात्मक उदारवाद इत्यादि।
→ नारीवाद - वे सभी राजनीतिक-सामाजिक विचार जो महिला अधिकारों की बात करते हैं तथा स्त्री-पुरुष समानता पर बल देते हैं, सामूहिक तौर पर 'नारीवाद' कहलाते हैं।
→ पितृसत्तात्मक समाज - ऐसा समाज जिसमें पुरुषों को सर्वोच्च स्थिति प्राप्त होती है तथा स्त्रियाँ प्रत्येक कार्य हेतु पुरुषों पर आश्रित होती हैं, पितृसत्तात्मक समाज कहलाता है।
→ मताधिकार - नागरिकों को अपने जन-प्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए प्रदान किया जाने वाला 'वोट' डालने का अधिकार मताधिकार कहलाता है।
→ पूँजीवादी अर्थव्यवस्था - अर्थव्यवस्था का वह रूप जिसमें मुक्त बाजार व्यवस्था और खुली प्रतिस्पर्धा पर बल दिया जाता है, पूँजीवादी अर्थव्यवस्था कहलाती है। उदाहरण-संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था।
→ सकारात्मक विभेदीकरण - वह भेदभाव जो समाज एवं व्यक्तियों के भले के लिए सरकार द्वारा अपनाये जाते हैं, 'सकारात्मक विभेदीकरण' कहलाते हैं।
→ न्यायपूर्ण समाज - ऐसा समाज जिसमें विभिन्न वर्गों और लोगों के मध्य एकता, भाईचारा, समानता इत्यादि बातें पाई जाती हैं, न्यायपूर्ण समाज कहलाता है।
→ डॉ. राममनोहर लोहिया - डॉ. राममनोहर लोहिया भारत में प्रमुख समाजवादी विचारक माने जाते हैं। लोहिया ने समाज में समानता की स्थापना हेतु 'सप्तक्रान्ति' की धारणा का प्रतिपादन किया था।