RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 3 समानता

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RBSE Class 11 Political Science Chapter 3 Notes समानता

→ समानता महत्वपूर्ण क्यों है?

  • समानता एक शक्तिशाली नैतिक और राजनीतिक आदर्श है।
  • समानता का आदर्श कई शताब्दियों से मानव-समाज को प्रेरित और निर्देशित करता रहा है।
  • 'समानता' ऐसी धारणा है जिसकी बात सभी धर्मों और आस्थाओं में की गई है।
  • 'समानता' की धारणा एक राजनीतिक आदर्श के रूप में समाज में विभिन्न मनुष्यों के रंग, लिंग, जाति, वंश या राष्ट्रीयता के भेदों के बावजूद साझीदार रहने वाली विशिष्टताओं पर जोर देती है।
  • समाज में मानवों की साझेदारी की भावना 'सार्वभौम मानवाधिकार' या 'मानवता के प्रति अपराध' जैसी धारणाओं के पीछे निहित रहती है।
  • समानता को एक मूल्य के रूप में भारतीय संविधान में भी सम्मिलित किया गया है।
  • 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में फ्रांसीसी क्रान्ति में भू-सामन्ती, अभिजन-वर्ग और राजशाही के खिलाफ विद्रोह के दौरान 'स्वतन्त्रता, समानता और भाईचारे' का नारा दिया गया।
  • समानता की माँग 20वीं सदी में एशिया और अफ्रीका के उपनिवेश विरोधी स्वतन्त्रता संघर्षों के दौरान भी उठी थी।
  • आज समानता व्यापक रूप से स्वीकृत आदर्श है, जिसे अनेक देशों के संविधान और कानूनों में सम्मिलित किया गया
  • कोई भी समाज अपने सभी सदस्यों के साथ सभी स्थितियों में पूर्णतया एक समान व्यवहार नहीं कर सकता है। 
  • जन्म, धर्म, नस्ल, जाति या लिंग के आधार पर की जाने वाली असमानताओं को हम स्वीकार नहीं करते हैं। 
  • समाज के सहज कार्य तथा व्यापार के लिए कार्यों का विभाजन अति आवश्यक है। अतः इस आधार पर दिखाई पड़ने वाली असमानताएँ गलत नहीं हैं। 

→ अवसरों की समानता 

  • समानता की अवधारणा इस बात पर बल देती है कि सभी मनुष्य अपनी कुशलता और प्रतिभा को विकसित करने के लिए समान अधिकारों और अवसरों के हकदार हैं।
  • राजनीतिक सिद्धान्त में प्रकृति द्वारा प्रदान की गई असमानताओं और समाज द्वारा उत्पन्न असमानताओं में अन्तर किया जाता है।

→ प्राकृतिक और सामाजिक असमानताएँ 

  • प्राकृतिक असमानताएँ लोगों की जन्मजात विशिष्टताओं और योग्यताओं का परिणाम मानी जाती हैं।
  • सामाजिक असमानताएँ वे होती हैं, जो समाज में अवसरों की असमानता होने या किसी समूह का दूसरे समूह द्वारा शोषण किये जाने से पैदा होती हैं।

RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 3 समानता 

→ समानता के तीन आयाम 

  • विभिन्न विचारकों और विचारधाराओं ने समानता के तीन आयामों का उल्लेख किया है। ये तीन आयाम हैं
    • राजनीतिक समानता,
    • सामाजिक समानता और
    • आर्थिक समानता।
  • 'राजनीतिक समानता' में समान नागरिकता, मत देने का अधिकार, स्वतन्त्रता इत्यादि सम्मिलित होते हैं।
  • 'सामाजिक समानता' में समान अवसर, शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषक आहार इत्यादि बातों पर बल दिया जाता है।
  • भारत में सामाजिक समानता में कुछ सामाजिक रीति-रिवाज समस्या उत्पन्न करते हैं।
  • 'आर्थिक समानता' में रोजगार के समान अवसर, अमीर और गरीब के बीच की खाई कम करने इत्यादि बातों पर बल दिया जाता है।
  • समानता की धारणा से सम्बन्धित 'मार्क्सवाद' व 'उदारवाद' हमारे समाज की दो प्रमुख राजनीतिक विचारधाराएँ हैं।
  • कार्ल मार्क्स का मानना है कि समाज में अत्यन्त गहरी असमानताओं का बुनियादी कारण महत्वपूर्ण आर्थिक संसाधनों जैसे—जल, जंगल, जमीन या तेल इत्यादि प्रकार की सम्पत्ति पर कुछ लोगों का अधिकार होना है।
  • मार्क्सवादी और समाजवादी महसूस करते हैं कि आर्थिक असमानताएँ सामाजिक रुतबे या विशेष अधिकारों जैसी अन्य सामाजिक असमानताओं को बढ़ावा देती हैं।
  • 'उदारवादी' समाज में अपनी समानता की धारणा में प्रतियोगिता के सिद्धान्त का समर्थन करते हैं।
  • उदारवादियों का मानना है कि जब तक समाज में खुली और स्वतन्त्र प्रतिस्पर्धा होगी, समाज में तब तक असमानता की खाइयाँ नहीं बनेंगी और लोगों को अपनी प्रतिभा और प्रयासों का लाभ मिलता रहेगा। 
  • वर्तमान युग में 'नारीवाद' भी 'समानता' से जुड़ी एक प्रमुख धारणा बन चुकी है। यह स्त्री और पुरुषों के समान अधिकारों का पक्ष लेता है।

→ हम समानता को बढ़ावा कैसे दे सकते हैं?

  • समानता को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने आवश्यक हैं
    • औपचारिक समानता की स्थापना
    • विभेदक समानता की स्थापना
    • सकारात्मक कार्यवाही। समानता लाने की दिशा में पहला कदम असमानता और विशेषाधिकार की औपचारिक व्यवस्था को समाप्त करना होगा। 
  • वंचित वर्गों को यथार्थ में समानता प्रदान करने के लिए कुछ विशेष सुविधाएँ देने की आवश्यकता होती है। इसे विभेदक बरताव द्वारा समानता की स्थापना कहा जाता है। भारत में इस हेतु आरक्षण की नीति अपनायी गई है। 
  • सकारात्मक कार्यवाही इस विचार पर आधारित है कि कानून द्वारा औपचारिक समानता स्थापित कर देना पर्याप्त नहीं है। इस हेतु कुछ सकारात्मक कदम उठाए जाने आवश्यक हैं। आरक्षण का प्रावधान एक ऐसी ही सकारात्मक कार्यवाही का उदाहरण है।
  • 'समाजवाद' भी 'समाज में व्याप्त असमानताओं के जवाब में उपजे राजनीतिक विचारों का समूह है।
  • भारत में डॉ. राममनोहर लोहिया प्रमुख समाजवादी चिन्तक रहे जिन्होंने 'सप्तक्रान्ति' की धारणा का प्रतिपादन किया।

→ समानता - वह स्थिति जिसमें सभी मनुष्यों को साझी मानवता के तहत बराबर और गरिमापूर्ण माना जाता है, समानता कहलाती है।

→ राजनीतिक आदर्श - समाज के राजनीतिक जीवन व राज-व्यवस्था से जुड़ी अति महत्वपूर्ण बातें राजनीतिक आदर्श कहलाती हैं।

→ सार्वभौम मानवाधिकार - सभी स्थानों पर सभी परिस्थितियों में मानव को प्राप्त होने वाले अधिकार सार्वभौम मानवाधिकार कहलाते हैं, जैसे—'जीवन जीने का अधिकार' एक सार्वभौम मानवाधिकार है।

→ मानवता के प्रति अपराध - ऐसा कार्य जो समाज एवं मानवों के लिए अहितकर हो तथा मानव होने के नाते स्वीकार्य न हो, मानवता के प्रति अपराध कहलाता है। अचानक होने वाली ऐसी कार्यवाही जो गैर कानूनी तरीके अथवा शक्ति के द्वारा सरकार या शासन में परिवर्तन के लिए विद्रोह के रूप में प्रकट होती है, क्रांति कहलाती है। जैसे-फ्राँस की क्रान्ति।

→ क्रान्ति - राजा का शासन, राजशाही कहलाता है। 

→ राजशाही आत्म-बोध - अपने विवेक के आधार पर होने वाली अनुभूति आत्म-बोध कहलाती है।

→ सामाजिक दर्जा - समाज में किसी व्यक्ति की स्थिति और भूमिका को उसके 'सामाजिक दर्जा' की संज्ञा दी जाती है।

→ अवसरों की समानता - अवसरों की समानता से यह आशय है कि सभी मनुष्य अपनी दक्षता एवं प्रतिभा को विकसित करने के लिए एवं अपने लक्ष्यों व आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए समान अधिकार एवं समान अवसरों के हकदार हैं।

→ प्राकृतिक असमानताएँ - ऐसे भेदभाव जो जन्म से ही लागू हो जाते हैं, प्राकृतिक असमानताएँ कहलाते हैं। जैसेस्त्री-पुरुष, गोरा-काला इत्यादि।

→ समाजजनित असमानताएँ - समाज द्वारा अपनाये गये रीति-रिवाजों, परम्पराओं, मूल्यों आदि के आधार पर होने वाले भेदभाव समाजजनित असमानताएँ कहलाते हैं, जैसे-~-लड़का और लड़की में भेदभाव किया जाना।

→ न्यायोचित - जो न्याय के अनुसार सही हो न्यायोचित कहलाता है।

RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 3 समानता

→ समतामूलक समाज - ऐसा समाज जिसमें समाज के विभिन्न सदस्यों के साथ समान परिस्थितियों में समान व्यवहार किया जाए समतामूलक समाज कहलाता है। इस प्रकार के समाज में छुआछूत, ऊँच-नीच इत्यादि भेदभाव नहीं पाए जाते हैं।

→ राजनीतिक समानता - समानता का वह आयाम जो कि समाज के सदस्यों का राजनीतिक क्षेत्र में समानता के अधिकार से सम्बन्धित होता है, राजनीतिक समानता कहलाती है।

→ सामाजिक समानता - समानता का वह आयाम जिसमें समाज के विभिन्न समूहों एवं समुदायों के लोगों के पास समाज में उपलब्ध साधनों तथा अवसरों को प्राप्त करने का बराबर एवं उचित मौका है, सामाजिक समानता कहलाती है।

→ आर्थिक समानता - समाज के लोगों में धन-दौलत एवं आय में समानता हो, आर्थिक समानता कहलाती है। 

→ मार्क्सवाद - उन्नीसवीं सदी के महान विचारक.कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित विभिन्न राजनीतिक विचारों को ही सामूहिक तौर पर 'मार्क्सवाद' कहा जाता है। 

→ उदारवाद - आधुनिक युग की वह विचारधारा जो 'स्वतन्त्रता' और 'समानता' पर बल देती है; उदारवाद कहलाती है। इसके कई रूप हैं; जैसे—नकारात्मक उदारवाद, सकारात्मक उदारवाद इत्यादि।

→ नारीवाद - वे सभी राजनीतिक-सामाजिक विचार जो महिला अधिकारों की बात करते हैं तथा स्त्री-पुरुष समानता पर बल देते हैं, सामूहिक तौर पर 'नारीवाद' कहलाते हैं।

→ पितृसत्तात्मक समाज - ऐसा समाज जिसमें पुरुषों को सर्वोच्च स्थिति प्राप्त होती है तथा स्त्रियाँ प्रत्येक कार्य हेतु पुरुषों पर आश्रित होती हैं, पितृसत्तात्मक समाज कहलाता है।

→ मताधिकार - नागरिकों को अपने जन-प्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए प्रदान किया जाने वाला 'वोट' डालने का अधिकार मताधिकार कहलाता है। 

→ पूँजीवादी अर्थव्यवस्था - अर्थव्यवस्था का वह रूप जिसमें मुक्त बाजार व्यवस्था और खुली प्रतिस्पर्धा पर बल दिया जाता है, पूँजीवादी अर्थव्यवस्था कहलाती है। उदाहरण-संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था।

→ सकारात्मक विभेदीकरण - वह भेदभाव जो समाज एवं व्यक्तियों के भले के लिए सरकार द्वारा अपनाये जाते हैं, 'सकारात्मक विभेदीकरण' कहलाते हैं।

→ न्यायपूर्ण समाज - ऐसा समाज जिसमें विभिन्न वर्गों और लोगों के मध्य एकता, भाईचारा, समानता इत्यादि बातें पाई जाती हैं, न्यायपूर्ण समाज कहलाता है।

→ डॉ. राममनोहर लोहिया - डॉ. राममनोहर लोहिया भारत में प्रमुख समाजवादी विचारक माने जाते हैं। लोहिया ने समाज में समानता की स्थापना हेतु 'सप्तक्रान्ति' की धारणा का प्रतिपादन किया था।

Prasanna
Last Updated on Aug. 29, 2022, 3:34 p.m.
Published Aug. 29, 2022