RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व

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RBSE Class 11 Political Science Chapter 3 Notes चुनाव और प्रतिनिधित्व

→ चुनाव और लोकतंत्र लोकतन्त्र दो प्रकार का होता है

  • प्रत्यक्ष लोकतंत्र,
  • अप्रत्यक्ष लोकतंत्र।

→ प्रत्यक्ष लोकतंत्र में नागरिक स्वयं दिन-प्रतिदिन के कार्यों एवं सरकार चलाने में सीधे भाग लेते हैं।

  • प्राचीन यूनान के नगर राज्य प्रत्यक्ष लोकतंत्र के उदाहरण माने जाते हैं। हमारे देश में ग्राम सभा प्रत्यक्ष लोकतंत्र की महत्वपूर्ण इकाई है। अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में लोग स्वयं शासन के कार्यों में हिस्सा नहीं लेते हैं। वे अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जो उनके विश्वास पर सरकार का संचालन करते हैं। हमारे देश में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र है।
  • एक लोकतांत्रिक देश का संविधान चुनावों के लिए कुछ मूलभूत नियम बनाता है। इस सम्बन्ध में विस्तृत नियम-कानून बनाने का काम विधायिका पर छोड़ता है।

RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व 

→ भारत में चुनाव व्यवस्था 

  • लोकतांत्रिक चुनाव में जनता वोट देती है और उसकी इच्छा ही तय करती है कि कौन चुनाव जीतेगा।
  • भारत के संविधान में दो प्रकार की निर्वाचन प्रणालियों को अपनाया गया है
    • सर्वाधिक मतों से जीतने वाली प्रणाली,
    • समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली।
  • सर्वाधिक मत से जीतने वाली प्रणाली में जिस प्रत्याशी को अन्य सभी प्रत्याशियों से अधिक वोट मिल जाते हैं उसे ही निर्वाचित घोषित किया जाता है।
  • 'समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली' में मतदाताओं को किसी एक दल को चुनने का विकल्प दिया जाता है। लेकिन प्रत्याशियों का चयन पार्टी द्वारा जारी की गयी सूची के अनुसार होता है।
  • समानुपातिक प्रतिनिधित्व के दो स्वरूप देखने को मिलते हैं
    (अ) कुछ देशों में; जैसे-इजराइल या नीदरलैण्ड में सम्पूर्ण देश को एक निर्वाचन क्षेत्र माना जाता है और प्रत्येक पार्टी को राष्ट्रीय चुनावों में प्राप्त वोटों के अनुपात में सीटें दे दी जाती हैं।
    (ब) दूसरा स्वरूप अर्जेन्टीना व पुर्तगाल में मिलता है, जहाँ सम्पूर्ण देश को बहु-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है। 
  • भारत में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को केवल अप्रत्यक्ष चुनावों के लिए ही सीमित रूप में अपनाया है।
  • भारतीय संविधान राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यसभा और विधान परिषदों के चुनावों में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को अपनाता है।

→ भारत में सर्वाधिक वोट से जीत की' प्रणाली क्यों स्वीकार की गई?

  • हमारे संविधान निर्माता समझते थे कि 'समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली' पर आधारित चुनाव संसदीय प्रणाली में सरकार के स्थायित्व के लिए उपयुक्त नहीं होंगे। इस प्रणाली से स्पष्ट बहुमत मिलने पर कठिनाई होगी।
  • सर्वाधिक मत से जीत वाली प्रणाली में सामान्यतया बड़े दलों या गठबंधनों को बोनस के रूप में कुछ अतिरिक्त सीटें मिल जाती हैं। ये सीटें उन्हें प्राप्त मतों के अनुपात से अधिक होती हैं।
  • सर्वाधिक मत से जीत वाली प्रणाली एक स्थायी सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त कर संसदीय सरकार को प्रभावी ढंग से कार्य करने का अवसर प्रदान करती है।
  • सन् 1989 के बाद भारत में बहुदलीय गठबंधनों की कार्य प्रणाली को देखा गया। इसी के साथ अनेक राज्यों में द्वि-दलीय प्रतियोगिता भी दिखाई दे रही है।

→ निर्वाचन क्षेत्रों का आरक्षण

  • स्वतंत्रता से पूर्व ब्रिटिश सरकार ने 'पृथक निर्वाचन मंडल' को प्रारम्भ किया, जिसका तात्पर्य था कि किसी समुदाय के प्रतिनिधि के चुनाव में केवल उसी समुदाय के लोग वोट डाल सकेंगे, पर हमारे संविधान निर्माताओं को यह बात पंसद नहीं आई। उन्होंने आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था को अपनाया।
  • संविधान ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में आरक्षण की व्यवस्था दी है।
  • लोकसभा में 543 निर्वाचित सीटों में 84 सीटें अनुसूचित जाति और 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
  • भारत में परिसीमन आयोग एक स्वतंत्र संस्था है जिसका चयन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। यह चुनाव आयोग के साथ मिलकर कार्य करता है।
  • परिसीमन आयोग तय करता है कि कौन-से निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित होंगे। शहरी व ग्रामीण स्थानीय सरकारों में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित कर दी गई हैं।
  • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र के लिए आवश्यक है कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी हों।
  • चुनाव प्रणाली इस प्रकार की होनी चाहिए जिससे मतदाताओं की आकांक्षाएँ चुनाव परिणामों में न्यायपूर्ण ढंग से व्यक्त हो सकें।

→ सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार और चुनाव लड़ने का अधिकार

  • लोकतांत्रिक चुनावों में देश के समस्त वयस्क नागरिकों को चुनाव में वोट देने का अधिकार होना अति आवश्यक है।
  • भारतीय संविधान निर्माताओं ने प्रत्येक वयस्क भारतीय नागरिक को वोट देने का अधिकार प्रदान किया है।
  • प्रत्येक 18 वर्षीय वयस्क भारतीय नागरिक को वोट देने का अधिकार प्राप्त है।
  • सभी नागरिकों को चुनाव में खड़े होने और जनता का प्रतिनिधि होने का अधिकार है।
  • चुनाव लड़ने के लिए आय, शिक्षा, वर्ग, लिंग के आधार पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है।

RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व

→ स्वतंत्र निर्वाचन आयोग

  • भारत का निर्वाचन आयोग स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव की व्यवस्था करता है।
  • भारत के निर्वाचन आयोग की सहायता करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक मुख्य निर्वाचन अधिकारी होता है।
  • सन् 1993 से दो अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति से निर्वाचन आयोग बहु-सदस्यीय हो गया है।
  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त निर्वाचन आयोग का अध्यक्ष होता है, यद्यपि दोनों अन्य निर्वाचन आयुक्तों की तुलना में उसे ज्यादा शक्तियाँ प्राप्त नहीं हैं।
  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा निर्वाचन आयुक्तों को 6 वर्ष के लिये या 65 वर्ष की आयु तक (जो पहले समाप्त हो) के लिए नियुक्त किया जाता है। इन्हें कार्यकाल से पूर्व संसद द्वारा विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव के आधार पर ही राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है। 
  • निर्वाचन आयोग के अनेक कार्य है, जिनमें प्रमुख हैं
    • मतदाता सूची को अद्यतन करवाना,
    • चुनाव का समय व कार्यक्रम तय करना,
    • निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनाव करवाना,
    • राजनीतिक दलों को मान्यता देना। 
  • अनेक चुनाव सुधारों के पश्चात् आज निर्वाचन आयोग अधिक स्वतंत्र व अधिक प्रभावशाली हो गया है।

→ चुनाव सुधार

  • चुनावों की प्रक्रिया में सुधारने के अनेक बार प्रयत्न हुए हैं, जैसे-संसद और विधान सभाओं में एक तिहाई सीटों पर महिलाओं को चुनने, फौजदारी के मुकदमे चलते किसी को चुनाव लड़ने से रोकने, चुनावों में धन खर्च को नियंत्रित करने जैसे अनेक सुधार किये गये हैं।
  • चुनाव हमारे लोकतांत्रिक जीवन के अभिन्न अंग बन गये हैं। कोई यह सोच भी नहीं सकता कि कभी कोई सरकार चुनावों में जनादेश का उल्लंघन करेगी अथवा बिना चुनावों के कोई सरकार बन सकेगी। यदि चुनाव प्रक्रिया को कुछ और दोष रहित बनाया जाए तो मतदाता व नागरिक के रूप में हम लोकतंत्र के इस उत्सव को अधिक वैभवशाली बना सकते हैं।

→ अध्याय में दी गईं प्रमुख तिथियाँ एवं संबंधित घटनाएँ)

वर्ष

 सम्बन्धित घटनाएँ

1984

 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 543 में से 415 सीटों पर विजय प्राप्त की।

1989

 भारत में बहुदलीय गठबंधन की सरकारों के निर्माण का युग प्रारम्भ।

1989

 संविधान में संशोधन कर 18 वर्ष के नागरिक को वयस्क मानकर वोट देने का अधिकार प्रदान किया गया है।

1989

 सन् 1989 तक भारत का निर्वाचन आयोग एक सदस्यीय था, पर सन् 1989 के आम चुनावों के ठीक पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त के साथ दो अन्य निर्वाचन आयुक्तों को नियुक्त कर इसे बहु सदस्यीय बना दिया गया लेकिन चुनाव के बाद उसे फिर एक सदस्यीय बनाया गया।

1991

 पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्या।

1993

 भारत के निर्वाचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त के अलावा पुनः दो निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की गई और यह पुनः बहु सदस्यीय हो गया।

→ निर्वाचन या चुनाव - जनता द्वारा अपने प्रतिनिधियों को चुनने की विधि को निर्वाचन या चुनाव कहते हैं।

→ जनता का शासन - इसका अर्थ सामान्यतः जनता के प्रतिनिधियों के द्वारा चलने वाले शासन से है।

→ लोकतंत्र - शासन का वह रूप है जिसमें शासकों का चुनाव जनता करती है।

RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व

→ प्रत्यक्ष लोकतंत्र - इसमें नागरिक दिन-प्रतिदिन के फैसले और सरकार चलाने में सीधा भाग लेते हैं। प्राचीन यूनान के नगर राज्य प्रत्यक्ष लोकतंत्र के उदाहरण हैं। जब करोड़ों लोगों को निर्णय लेना होता है तो इस प्रकार का प्रत्यक्ष लोकतंत्र व्यवहार में नहीं लाया जा सकता। 

→ अप्रत्यक्ष लोकतंत्र - जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चलने वाला शासन अप्रत्यक्ष लोकतंत्र कहलाता है। नागरिक इस लोकतंत्र में अप्रत्यक्ष रूप से अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से सम्मिलित होते हैं। इसे प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र भी कहते हैं।

→ गैर-लोकतांत्रिक देश - जहाँ लोकतांत्रिक रूप से चुनाव नहीं होते और न लोकतांत्रिक रूप से शासन चलता है, वे देश गैर-लोकतांत्रिक देश कहलाते हैं।

→ लोकतांत्रिक चुनाव - स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को लोकतांत्रिक चुनाव कहते हैं। इसमें जनता वोट देती है और उसकी इच्छा से ही यह तय होता है कि चुनाव कौन जीतेगा।

→ बहुलवादी व्यवस्था (फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट सिस्टम) - चुनावी दौड़ में जो प्रत्याशी अन्य प्रत्याशियों से प्रतिस्पर्धा में सबसे आगे निकलता है, वही विजयी कहलाता है। इसी व्यवस्था को बहुलवादी व्यवस्था कहते हैं।

→ समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली - दलों को प्राप्त मतों के अनुपात में विधायिका में प्रत्येक दल को सीटें प्रदान करने की व्यवस्था को समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली कहा जाता है।

→ राजनीतिक दल - लोगों का एक समूह जो चुनाव लड़ने एवं सरकार में राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करता है।

→ द्विदलीय व्यवस्था - द्विदलीय व्यवस्था का अर्थ है-जहाँ सत्ता के लिए दो प्रमुख दल प्रतियोगी होते हैं और बारी-बारी से जीतते हैं।

→ गठबंधन - व्यक्तियों, संस्थाओं, दलों अथवा देशों का एकजुट होना।

→ बहुदलीय गठबंधन - जब सत्ता प्राप्त करने के लिए अनेक दल मिलकर एक गठबंधन बना लेते हैं तो इसे बहुदलीय गठबंधन कहते हैं।

→ निर्वाचन क्षेत्र - एक भौगोलिक क्षेत्र के मतदाता जो अपने एक प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं।

→ आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र - इसका आशय है कि किसी निर्वाचन क्षेत्र में सभी मतदाता वोट देंगे, पर प्रत्याशी उसी समुदाय या सामाजिक वर्ग का होगा जिसके लिए वह सीट आरक्षित है।

→ परिसीमन आयोग - वह आयोग जो यह तय करता है कि कौन-से निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित होंगे। परिसीमन आयोग कहलाता है। यह निर्वाचन आयोग के साथ मिलकर कार्य करता है।

RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व

→ सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार - 18 वर्ष और इसके ऊपर के समस्त नागरिकों को मत देने का अधिकार जिसमें धर्म, नस्ल, जाति, लिंग एवं जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव न हो।

→ वयस्क - भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक 18 वर्ष के नागरिक को वयस्क नागरिक माना जाता है, उसे वोट देने का अधिकार है।

→ विशेष बहुमत - उपस्थिति और मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई तथा सदन की कुल सदस्य संख्या का साधारण बहुमत, रोष बहुमत कहलाता है।

→ निर्वाचन आयोग - हमारे देश में निर्वाचन की सम्पूर्ण प्रक्रिया एक स्वतंत्र संगठन द्वारा संचालित, नियंत्रित व पर्यवेक्षित की जाती है जिसे निर्वाचन आयोग के नाम से जाना जाता है।

→ विधायिका - जनता के प्रतिनिधियों की सभा जिसके पास देश का कानून बनाने का अधिकार होता है। कानून बनाने के अतिरिक्त विधायिका को कर लगाने, बजट व अन्य वित्त विधेयकों को पारित करने का अधिकार होता है।

→ कार्यपालिका - अधिकार प्राप्त लोगों की संस्था जो देश के संविधान व कानून के आधार पर प्रमुख नीति बनाती है, निर्णय लेकर उसे लागू करने का कार्य करती है।

→ न्यायपालिका - ऐसी संस्था जिसके पास न्याय करने व कानूनी विवादों को निपटाने का अधिकार होता है। देश की समस्त अदालतों को न्यायपालिका के नाम से जाना जाता है।

Prasanna
Last Updated on Aug. 29, 2022, 10:56 a.m.
Published Aug. 29, 2022