RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 2 स्वतंत्रता

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RBSE Class 11 Political Science Chapter 2 Notes स्वतंत्रता

→ परिचय

  • मानवीय इतिहास में अनेक ऐसे उदाहरण मिलते हैं जब अधिक शक्तिशाली समूहों ने कुछ लोगों या समुदायों पर आधिपत्य जमा लिया एवं उनका शोषण किया।
  • इतिहास में हमें ऐसे वर्चस्व के खिलाफ उत्कृष्ट संघर्षों के प्रेरणादायी उदाहरण भी देखने को मिलते हैं।
  • स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष लोगों की स्वयं पर नियन्त्रण व स्वतन्त्र क्रियाकलापों की आकांक्षा को दर्शाता है।
  • लागों के विभिन्न प्रकार के हितों एवं आकांक्षाओं को देखते हुए किसी भी सामाजिक जीवन को कुछ नियमों एवं कानूनों की आवश्यकता पड़ती है। 
  • यह विवाद का विषय रहा है कि स्वतंत्रता की क्या सीमाएँ होनी चाहिए जिसके परिणामस्वरूप किसी भी समाज की आर्थिक एवं सामाजिक संरचनाएँ प्रभावित होती हैं। 

→ स्वतंत्रता का आदर्श

  • 20वीं शताब्दी में नेल्सन मंडेला' ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के विरुद्ध लम्बा संघर्ष करके विश्व के समक्ष स्वतन्त्रता का महत्वपूर्ण आदर्श प्रस्तुत किया।
  • मंडेला ने अपनी आत्मकथा 'लाँग वाक टू फ्रीडम' में अपने संघर्ष की कहानी को चित्रित किया है। 
  • अपने स्वतन्त्रता संघर्ष में मंडेला ने जीवन के बहुमूल्य 28 वर्ष जेल में बिताए और अनेक व्यक्तिगत रुचियों तथा आकांक्षाओं की कुर्बानी दी।
  • स्वतन्त्रता संघर्ष से जुड़ा एक अन्य महत्वपूर्ण समकालीन आदर्श म्यांमार में सैनिक शासन के विरुद्ध आंग सान सू की', के संघर्ष का है।
  • आँग सान सू की द्वारा लिखित पुस्तक का नाम है-'फ्रीडम फ्रॉम फीयर' (भय से मुक्ति) आँग सान सू की ने अपनी स्वतंत्रता को अपने देश के लोगों की स्वतंत्रता से जोड़कर देखा उन्होंने गरिमापूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए भय पर विजय पाने को जरूरी बताया।
  • नेल्सन मंडेला और आँग सान सू की पुस्तकों में हम स्वतंत्रता के आदर्श की शक्ति देख सकते हैं।
  • यही आदर्श हमारे राष्ट्रीय संघर्ष तथा ब्रिटिश, फ्रांसीसी और पुर्तगाली उपनिवेशवाद के विरूद्ध अफ्रीका और एशिया के लोगों के संघर्ष के केन्द्र में था। 

RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 2 स्वतंत्रता 

→ स्वतंत्रता क्या है? 

  • सामान्य रूप से यह माना जाता है कि व्यक्ति पर बाह्य प्रतिबन्धों का अभाव ही स्वतन्त्रता है। 
  • 'स्वतन्त्रता' का अर्थ व्यक्ति की आत्म-अभिव्यक्ति की योग्यता का विस्तार करना और उसके अन्दर की संभावनाओं को विकसित करना भी है।
  • एक स्वतन्त्र समाज वह होता है, जो अपने सदस्यों को न्यूनतम सामाजिक रुकावटों के साथ अपनी सम्भावनाओं के विकास में समर्थ बनाता है।
  • स्वतन्त्रता को 'बहुमूल्य' माना जाता है क्योंकि इससे हम निर्णय और चयन कर पाते हैं।
  • भारतीय राजनीतिक विचारों में स्वतन्त्रता के समान अर्थ वाली अवधारणा 'स्वराज' है।
  • स्वराज का अर्थ 'स्व' का शासन भी हो सकता है और 'स्व' के ऊपर शासन भी हो सकता है।
  • स्वराज का आशय अपने ऊपर अपने शासन से भी लगाया जाता है। स्वराज की यही समझ महात्मा गाँधी जी की पुस्तक 'हिन्द स्वराज' में प्रकट हुई है।
  • स्वराज मनुष्य को मनुष्यता से वंचित करने वाली संस्थाओं से भी मुक्ति दिलाता है। 

→ प्रतिबंधों के स्रोत

  • व्यक्ति की स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध प्रभुत्व और बाह्य नियन्त्रण से लग सकते हैं। लोकतांत्रिक सरकार लोगों की रक्षा के लिए एक आवश्यक माध्यम मानी गई है।
  • व्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबन्धों के प्रमुख स्रोत हैं
    • प्रभुत्व व बाह्य नियंत्रण,
    • सामाजिक असमानता,
    • अत्यधिक आर्थिक असमानता।

→ हमें प्रतिबन्धों की आवश्यकता क्यों हैं?

  • लोकतांत्रिक सरकार को लोगों की स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए एक आवश्यक माध्यम माना जाता है।
  • स्वतन्त्रता पर युक्तियुक्त व वैधानिक प्रतिबन्ध होना अनिवार्य है अन्यथा समाज अव्यवस्था के गर्त में पहुँच जायेगा।
  • स्वतन्त्रता के विषय में नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का मानना था कि स्वतन्त्रता का अभिप्राय ऐसी सर्वांगीण स्वतन्त्रता है जो व्यक्ति और समाज, अमीर और गरीब, स्त्री व पुरुष इत्यादि सभी लोगों व वर्गों की हो। 

→ हानि सिद्धांत 

  • प्रसिद्ध राजनीतिक चिन्तक जॉन स्टुअर्ट मिल ने स्वतन्त्रता के सन्दर्भ में अपने निबन्ध 'ऑन लिबर्टी' में 'हानि सिद्धान्त' का प्रतिपादन किया, जोकि स्वतन्त्रता में हस्तक्षेप का एकमात्र लक्ष्य आत्मरक्षा' मानता है।
  • मिल ने व्यक्ति के कार्यों को दो भागों में विभाजित किया
    • स्वसंबद्ध कार्य एवं
    • परसंबद्ध कार्य।
  • स्वतन्त्रता के दो आयाम होते हैं
    • नकारात्मक स्वतन्त्रता (बाहरी प्रतिबंधों का पूर्णतया अभाव),
    • सकारात्मक स्वतन्त्रता (युक्तिसंगत प्रतिबन्धों व हस्तक्षेप से युक्त)।

→ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

  • स्वतन्त्रता का एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष 'अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता' है। इसे 'अहस्तक्षेप के लघुत्तम' क्षेत्र से जुड़ा हुआ माना जाता है।
  • 19वीं सदी में 'मिल' ने अपनी कृति, 'ऑन लिबर्टी' में वर्तमान में गलत या भ्रामक लग रहे विचारों पर भी 'अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता' की वकालत की है।
  • 'मिल' का मानना है कि 'जो आज स्वीकार्य विचार नहीं हैं, वह आने वाले समय में बहुत मूल्यवान ज्ञान में परिवर्तित हो सकते हैं।'
  • स्वतन्त्रता के उपभोग में हमें उससे जुड़े कार्यों व परिणामों का उत्तरदायित्व भी स्वीकार करना चाहिए।

→ रंगभेद - वह स्थिति या नीति जिसके अन्तर्गत शारीरिक रंग के आधार पर प्रजातिगत भेदभाव किया जाता है।

→ अलगाववाद - वह अवस्था एवं धारणा जिसमें समाज के कुछ विशिष्ट वर्गों द्वारा अन्य वर्गों से स्वयं को श्रेष्ठ दर्शाने का प्रयास किया जाता है तथा स्वयं को औरों से अलग माना जाता है, अलगाववाद कहलाती है। 

→ अहिंसा - वह आचरण एवं व्यवहार जो मन, वचन और कर्म से अपने प्रतिद्वन्द्वी के प्रति भी प्रेम और सहानुभूति तथा हानिरहित गतिविधियों पर आधारित होता है, 'अहिंसा' कहलाता है।

→ उपनिवेशवाद - वह धारणा जिसके अन्तर्गत शक्तिशाली राष्ट्रों द्वारा निर्बल, पिछड़े राष्ट्रों पर आधिपत्य को सभ्यता के विकास के आधार पर औचित्यपूर्ण माना जाता था एवं अधीनस्थ राष्ट्रों का आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक शोषण किया जाता था।

→ स्वराज - अपने ऊपर अपने शासन को स्वराज (अपना राज) की संज्ञा दी जाती है। इसका अर्थ 'स्व' का शासन भी हो सकता है और 'स्व' के ऊपर शासन भी हो सकता है।

RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 2 स्वतंत्रता

→ स्वतंत्रता - व्यक्ति पर बाहरी प्रतिबन्धों का अभाव, स्वतन्त्रता कहलाती है।

→ लोकतांत्रिक सरकार - वह सरकार जो लोकहितकारी, जनसहभागी व जनोभिमुख हो, 'लोकतांत्रिक सरकार' कहलाती

→ सामाजिक असमानता - जब किसी समाज में धर्म, भाषा, जाति, लिंग, क्षेत्र आदि के आधार पर भेदभाव व ऊँच-नीच की भावना को प्रश्रय दिया जाता है, तो इसे 'सामाजिक असमानता' कहते हैं। 

→ साम्प्रदायिकता - वे समस्त गतिविधियाँ जिनसे किसी धर्म या सम्प्रदाय के आधार पर समूह विशेष के हितों की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय हितों की अवहेलना की जाए, साम्प्रदायिकता कहलाती है।

→ धार्मिक असहिष्णुता - वह अवस्था जिसमें किसी समाज में विभिन्न धर्मानुयायियों के मध्य स्वधर्म के लिए श्रेष्ठता व अन्य धर्मों के प्रति तिरस्कार व घृणा की भावनाएँ हों तो इसे 'धार्मिक असहिष्णुता' की संज्ञा दी जाती है।

→ उदारवाद - एक विचारधारा जिसमें व्यक्ति के लिए ऐसे राजनीतिक और सामाजिक वातावरण के निर्माण पर बल दिया जाता है जिसमें उसकी स्वतंत्रता एवं नैतिक गरिमा सुरक्षित रहे। 

→ सामाजिक असहमति - जब किसी समाज में किसी भी विषय पर समाज के अधिकांश सदस्यों का मत नकारात्मक हो तो इस अवस्था को 'सामाजिक असहमति' कहते हैं।

→ सेंसरशिप - एक ऐसी स्थिति जिसमें स्वतंत्र रूप से विचार अभिव्यक्त करने के अधिकार को प्रतिबन्धित कर दिया जाता है। भाषण देने अथवा समाचार प्रकाशित करने के लिए, फिल्म प्रदर्शित करने के लिए सरकार के सेंसर अधिकारियों से पूर्व अनुमति लेनी पड़ती है। 

→ यदि अधिकारी - कुछ भी आपत्तिजनक पाते हैं तो उसे प्रदर्शित करने की अनुमति प्रदान नहीं की जाती है। 

→ नेल्सन मंडेला - दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति के खिलाफ आजीवन संघर्ष करने वाले नेता।

→ इनके द्वारा - लिखित पुस्तक 'लॉग वॉक टू फ्रीडम' है।

→ आँग सान सू की - म्यामांर में स्वतंत्रता व अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली एक साहसी महिला। इनके द्वारा लिखित पुस्तक का नाम है- फ्रीडम फ्राम फीयर।

→ महात्मा गाँधी - भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक। इनके द्वारा लिखित प्रसिद्ध पुस्तक हिंद स्वराज है। 

→ नेताजी सुभाष चन्द्र बोस - भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी। उन्होंने लाहौर में छात्र सम्मेलन में अध्यक्षीय भाषण में स्वतन्त्रता सम्बन्धी अपने उत्कृष्ट विचारों का प्रतिपादन किया था। 

→ जॉन स्टुअर्ट मिल - मिल स्वतन्त्रता सम्बन्धी राजनीतिक चिन्तन के अग्रणी विचारक माने जाते हैं। इन्होंने अपनी पुस्तक 'ऑन लिबर्टी' में स्वतन्त्रता सम्बन्धी विचारों का प्रतिपादन किया। 'मिल' अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के प्रत्येक स्थिति में प्रबल समर्थक रहे हैं।

Prasanna
Last Updated on Aug. 29, 2022, 3:31 p.m.
Published Aug. 29, 2022