These comprehensive RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 10 विकास will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 11 Political Science Chapter 10 Notes विकास
→ भूमिका
- किसी समाज के लिए विकास से जुड़ी बातें तय करना वैसा ही होता है, जैसा छात्रों के लिए यह तय करना कि वे किस तरह की पत्रिका चाहते हैं और उन्हें उस पर किस तरह से कार्य करना है।
- 'विकास' शब्द अपने व्यापक अर्थ में उन्नति, प्रगति, कल्याण और बेहतर जीवन की अभिलाषा के विचारों को गति प्रदान करने वाला प्रमुख माध्यम है।
- प्रत्येक समाज विकास के बारे में अपनी समझ के द्वारा यह स्पष्ट करता है कि समाज के लिए समग्र रूप से उसकी दृष्टि क्या है और उसे प्राप्त करने का बेहतर तरीका क्या है ?
- विकास शब्द का सामान्य रूप से प्रयोग आर्थिक विकास की दर में वृद्धि और समाज के आधुनिकीकरण जैसे संकुचित अर्थों में भी किया जाता रहता है।
- विकास को आमतौर पर पहले से निर्धारित लक्ष्यों या बाँध, उद्योग, अस्पताल जैसी परियोजनाओं को पूरा करने से जोड़कर भी देखा जाता है। यह विकास समाज के व्यापक दृष्टिकोण के अनुसार नहीं होता है।
- आज विकास को संकुचित रूप से क्रियान्वित करने के कारण विभिन्न देशों में अपनाए गए विकास के मॉडल बहस और आलोचना के विषय बन गए हैं और इनके विकल्पों की तलाश की जा रही है।
→ विकास की चुनौतियाँ
- विकास की अवधारणा ने 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की क्योंकि एशिया और अफ्रीका के अधिकांश देश औपनिवेशिक शासन से आजाद हुए थे और इन्हें विकास की बहुत अधिक आवश्यकता थी।
- अपने आर्थिक विकास व संसाधनों के प्रचुर मात्रा में उपयोग की स्वतन्त्र समझ ने नए स्वतन्त्र हुए देशों को विकास परियोजनाएँ शुरू करने की प्रेरणा दी।
- नए स्वतन्त्र हुए देशों का विकास के सन्दर्भ में प्रारम्भ में पूरा जोर आर्थिक उन्नति और समाज के आधुनिकीकरण के रूप में पश्चिमी देशों के स्तर तक पहुँचने पर था।
- अधिकांश विकासशील देशों ने अपने यहाँ विकास की शुरूआत में औद्योगीकरण, कृषि और शिक्षा के आधुनिकीकरण एवं विस्तार के जरिए तेज आर्थिक उन्नति का लक्ष्य निर्धारित किया था।
- पचास के दशक में भारत में पाँच वर्ष के विकास कार्यक्रमों की शुरूआत हुई। इन्हें पंचवर्षीय योजना कहा गया। इसकी श्रृंखला आज भी क्रमिक रूप से जारी है।
- भारत में प्रारम्भ की गई पंचवर्षीय योजनाओं में नदियों पर बाँध बनाना, देश के विभिन्न हिस्सों में इस्पात कारखानों की स्थापना करना, उर्वरक का उत्पादन, कृषि तकनीकों का विकास जैसी अनेक परियोजनाएँ शामिल थीं।
- भारत में जो विकास मॉडल अपनाया गया उसमें उम्मीद की गयी थी कि देश में आर्थिक सम्पन्नता आएगी और इसका लाभ गरीबों तक पहुँचेगा परन्तु वास्तव में ऐसा हो नहीं पाया।
→ विकास के मॉडल की आलोचनाएँ
- विकास के आलोचकों ने ध्यान दिलाया है कि बहुत से देशों में जिस तरीके से विकास मॉडल को अपनाया गया है वह विकासशील देशों के लिए काफी महँगा सिद्ध हुआ।
- विकास के पश्चिमी मॉडल को अपनाने की विकासशील देशों को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। बाँधों के निर्माण, औद्योगिक गतिविधियों और खनन कार्यों की वजह से अनेक लोगों को घरों और अपने क्षेत्रों से विस्थापित होना पड़ा।
- लोगों के अपने निवास स्थान से विस्थापन के चलते लम्बी अवधि में अर्जित परम्परागत कौशल नष्ट हो जाते हैं। इससे संस्कृति का भी विनाश होता है।
→ विकास की वह कीमत जो समाज को चुकानी पड़ी
- विकास के नाम पर विस्थापित किये जाने वाले लोग हमेशा सब कुछ चुपचाप सहन नहीं करते। इसका उदाहरण हमें भारत में 'नर्मदा बचाओ आन्दोलन' जैसे कई आन्दोलनों में देखने को मिल चुका है। विकास के कारण अनेक देशों में पर्यावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचा है और इसके परिणामों को विस्थापित लोग ही नहीं, बल्कि पूरी आबादी महसूस करने लगी है।
- विकास के कारण वनों का कटाव, वायु प्रदुषण में वृद्धि, वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन से ताप का बढ़ना एवं ध्रुवों पर बर्फ अधिक पिघलने से तटीय क्षेत्रों के डूबने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
→ विकास का मूल्यांकन
- सम्पूर्ण विश्व पर विकास का नकारात्मक प्रभाव ही नहीं पड़ा है, बल्कि कुछ देशों ने अपनी आर्थिक उन्नति की दर बढ़ाने, यहाँ तक कि गरीबी घटाने में भी कुछ सफलता प्राप्त की है।
- विकास को वर्तमान में ऐसी प्रक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, जो सभी लोगों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करे।
- आज विकास के सन्दर्भ में 'रोटी, कपड़ा और मकान', 'गरीबी हटाओ', या 'बिजली, सड़क, पानी' जैसे नारे विकास के अन्तर्गत प्रारम्भिक आवश्यकताओं की पूर्ति पर भी ध्यान दिए जाने की याद दिलाते हैं।
→ विकास की वैकल्पिक अवधारणा
- न्यायपूर्ण और टिकाऊ विकास हेतु विकास की वैकल्पिक अवधारणा की आवश्यकता महसूस की गयी।
- विकास की वैकल्पिक अवधारणा की प्रमुख विशेषताएँ हैं
- अधिकारों के दावे
- लोकतांत्रिक सहभागिता
- विकास और जीवन शैली।
- लोगों को जीविका का अधिकार है और विकास के द्वारा यदि सरकार उनकी आजीविका के स्रोत को खतरा पैदा करती है, तो वे लोग सरकार से आजीविका का दावा कर सकते हैं।
- विकास की विकेन्द्रित पद्धति परम्परागत और आधुनिक स्रोतों से मिलने वाली समस्त तकनीकों के रचनात्मक तरीके से इस्तेमाल को संभव बनाती है।
- विकास का वैकल्पिक मॉडल विकास की महँगी, पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली तथा प्रौद्योगिकी से संचालित सोच से दूर होने की कोशिश करता है। विकास को देश में मोबाइल फोनों की बढ़ती संख्या, आधुनिक हथियारों या कारों के बढ़ते आकार से नहीं बल्कि लोगों के जीवन की उस गुणवत्ता से नापा जाना चाहिए जो उनकी प्रसन्नता, सुख-शान्ति और प्रारम्भिक जरूरतों के पूरा होने में झलकती है।
- वास्तव में विकास का विचार बेहतर जीवन की कामना से जुड़ा है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है।
→ विकास - समाज में उन्नति, प्रगति, कल्पना और अच्छे जीवन की अभिलाषा से सम्बन्धित होने वाले सकारात्मक परिवर्तनों की प्रक्रिया को विकास कहते हैं।
→ विकास परियोजनाएँ - ऐसे कार्यक्रम जिनके द्वारा दीर्घकालिक विकास को सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है, विकास परियोजनाएँ कहलाती हैं। इनमें आर्थिक प्रगति के विभिन्न कार्यक्रम सम्मिलित होते हैं।
→ आर्थिक विकास - वह स्थिति जिसके अन्तर्गत आर्थिक क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन आयें, आर्थिक विकास कहलाती है।
→ आधुनिकीकरण - वह स्थिति, प्रक्रिया एवं धारणा जिसमें जीवन एवं समाज के विभिन्न क्षेत्रों में नए-नए परिवर्तन आते हैं, आधुनिकीकरण कहलाती है। इस प्रक्रिया में रूढ़िवाद, पक्षपात आदि का
कोई स्थान नहीं होता।
→ राजनीतिक आजादी - देशों एवं व्यक्तियों के लिए वह स्वतन्त्रता की अवस्था जिसमें उन्हें अपने शासन एवं प्रशासन सम्बन्धी अधिकार प्राप्त हों तथा राज्य के क्रियाकलापों व सत्ता में किसी बाहरी राज्य का कोई हस्तक्षेप न हो।
→ अविकसित/विकासशील देश - वह देश जो अपनी आर्थिक-सामाजिक उन्नति के लिए तीव्र गति से प्रयास कर रहे हैं तथा नागरिकों को बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति एवं देश में आधारभूत संरचनाओं के विकास को तत्पर हैं, अविकसित या विकासशील देश कहलाते हैं। जैसे-भारत, पाकिस्तान इत्यादि।
→ औपनिवेशिक शासन - एक देश द्वारा अपने आर्थिक हितों की पूर्ति के लिए अन्य देशों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना, औपनिवेशिक शासन कहलाता है।
→ औद्योगीकरण - वह प्रक्रिया जिसके अन्तर्गत उद्योगों के विकास के लिए उपयुक्त स्थितियाँ उत्पन्न करते हुए कारखानों, सयंत्रों आदि की स्थापना पर बल दिया जाता है, औद्योगीकरण कहलाती है।
→ सामुदायिक जीवन पद्धति - एक स्थान पर लम्बे समय तक साथ-साथ रहने वाले लोगों में एक विशिष्ट जीवन पद्धत विकसित हो जाती है। इसे ही 'सामुदायिक जीवन पद्धति' कहा जाता है। यह किसी भी समुदाय की महत्वपूर्ण विशेषता व पहचान होती है।
→ पारिस्थितिकी संकट - हमारे चारों ओर विभिन्न प्राणियों, वनस्पतियों व जल संसाधनों के बीच एक सन्तुलनकारी सम्बन्ध पाया जाता है, इसे पारिस्थितिकी कहते हैं। विकास की प्रक्रिया में इस सन्तुलन के बिगड़ने को 'पारिस्थितिकी संकट' के नाम से जाना जाता है।
→ नैसर्गिक संसाधन - वह प्राकृतिक संसाधन जो प्रत्येक मानव के लिए समान रूप से आवश्यक व उपयोगी होते हैं, नैसर्गिक संसाधन कहलाते हैं, जैसे वायु, जल, भूमि, वन आदि।
→ ब्रह्मांड - ब्रह्मांड वह अनंत आकाश है जिसमें असंख्य तारे, ग्रह, सूर्य, पृथ्वी एवं चन्द्रमा आदि सम्मिलित हैं। ब्रह्मांड को आंग्ल भाषा में कॉसमास (Cosmos) कहा जाता है।
→ केन सारो वीवा - नाइजीरिया के ओगोनी प्रांत का निवासी, इन्होंने सन् 1990 में एक राजनीतिक आन्दोलन द्वारा अहिंसक संघर्ष का नेतृत्व किया।