These comprehensive RBSE Class 11 Political Science Notes Chapter 1 संविधान - क्यों और कैसे? will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 11 Political Science Chapter 1 Notes संविधान - क्यों और कैसे?
→ संविधान की आवश्यकता
- प्रत्येक राज्य का अपना एक संविधान होता है। राज्य में शांति व व्यवस्था बनाये रखने के लिए संविधान की आवश्यकता होती है।
- संविधान के बिना एक राज्य, राज्य नहीं है बल्कि अराजकता का शासन है।
- किसी भी समूह को सार्वजनिक रूप से मान्यता प्राप्त कुछ बुनियादी नियमों की आवश्यकता होती है जिसे समूह के समस्त सदस्य जानते हों ताकि आपस में एक न्यूनतम समन्वय बना रहे।
- संविधान मूलभूत नियमों का एक ऐसा समूह उपलब्ध कराता है जिससे समाज के सदस्यों में उचित सामंजस्य एवं आपसी विश्वास उत्पन्न होता है।
→ निर्णय-निर्माण शक्ति की विशिष्टताएँ
- संविधान कुछ ऐसे बुनियादी सिद्धांतों का समूह है जिसके आधार पर राज्य का निर्माण और शासन होता है।
- संविधान समाज में शक्ति के मूल वितरण को स्पष्ट करता है एवं यह तय करता है कि कानूनों का निर्माण कौन करेगा।
- भारतीय संविधान में यह स्पष्ट किया गया है कि अधिकतर कानून संसद बनायेगी जिसका गठन एक विशेष प्रकार से किया जाएगा।
- संविधान का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य यह स्पष्ट करना है कि समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी।
- संविधान यह भी तय करता है कि सरकार का निर्माण किस प्रकार होगा।
→ सरकार की शक्तियों पर सीमाएँ (प्रतिबंध)
- संविधान सरकार द्वारा अपने देश के नागरिकों पर लागू होने वाले कानूनों पर कुछ प्रतिबन्ध (सीमाएं) लगाता है।
- सरकार को इन सीमाओं का उल्लंघन करने की छूट नहीं है।
- संविधान सरकार की शक्तियों को कई प्रकार से सीमित करता है।
- सरकार की शक्तियों को सीमित करने का सबसे आसान तरीका यह है कि नागरिकों के रूप में हमारे मौलिक अधिकारों को स्पष्ट कर दिया जाए तथा कोई भी सरकार कभी भी उनका उल्लंघन न कर सके।
- नागरिकों को सामान्यतया कुछ मौलिक स्वतंत्रताओं का अधिकार है; जैसे- भाषण की स्वतंत्रता, अंतरात्मा की आवाज पर कार्य करने की स्वतंत्रता, संगठन बनाने की स्वतंत्रता आदि। मौलिक अधिकारों को राष्ट्रीय आपातकाल में सीमित किया जा सकता है।
→ समाज की आकांक्षाएँ और लक्ष्य
- संविधान एक ऐसा सक्षम ढाँचा भी प्रदान करता है जिससे सरकार कुछ सकारात्मक कार्य कर सके और समाज की आकांक्षाओं व उसके लक्ष्य को अभिव्यक्ति प्रदान कर सके।
- भारतीय संविधान सरकार को वह सामर्थ्य प्रदान करता है जिससे वह कुछ सकारात्मक लोक कल्याणकारी कदम उठा सके और जिन्हें कानून की मदद से लागू भी किया जा सके।
- संविधान सरकार को ऐसी क्षमता प्रदान करता है जिससे कि वह जनता की आकांक्षाओं को पूरा कर सके तथा एक महत्वपूर्ण समाज की स्थापना के लिए उचित परिस्थितियों का निर्माण कर सके।
→ राष्ट्र की बुनियादी पहचान
- राज्य के नीति निर्देशक तत्व सरकार से लोगों की कुछ आकांक्षाओं को पूर्ण करने की अपेक्षा करते हैं।
- संविधान के माध्यम से ही किसी समाज की एक सामूहिक इकाई के रूप में भी पहचान होती है।
- संवैधानिक नियम हमें एक ऐसा विशाल ढाँचा प्रदान करते हैं जिसके अन्तर्गत हम अपनी व्यक्तिगत आकांक्षाओं, लक्ष्य और स्वतंत्रताओं का प्रयोग करते हैं।
- अनेक बुनियादी राजनीतिक और नैतिक नियम विश्व के समस्त प्रकार के संविधानों में स्वीकार किये गये हैं।
- अधिकांश संविधान कुछ मूलभूत अधिकारों की रक्षा करते हैं और ऐसी सरकारें संभव बनाते है जो किसी न किसी रूप में लोकतांत्रिक होती हैं।
- भारतीय संविधान जातीयता अथवा नस्ल को नागरिकता के आधार के रूप में मान्यता नहीं देता है।
→ संविधान की सत्ता .
- अधिकांश देशों में संविधान एक लिखित दस्तावेज के रूप में होता है जिसमें राज्य के बारे में कई प्रावधान होते हैं।
- संविधान में उल्लिखित प्रावधान हमें यह बताते हैं कि राज्य का गठन किस प्रकार होगा और वह किन सिद्धांतों का पालन करेगा।
→ संविधान को प्रचलन में लाने का तरीका
- भारतीय संविधान जातीयता या नस्ल को नागरिकता के आधार के रूप में मान्यता नहीं देता।
- भारत, दक्षिण अफ्रीका एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधानों का निर्माण एक सफल राष्ट्रीय आन्दोलनों के पश्चात् हुआ।
- भारतीय संविधान का अंतिम प्रारूप तत्कालीन समय की व्यापक राष्ट्रीय आम सहमति को प्रदर्शित करता है।
- भारत का संविधान भारत के बहुत ही लोकप्रिय नेताओं की सहमति और समर्थन पर आधारित था। अतः लोगों ने उसे अपना लिया।
→ संविधान के मौलिक प्रावधान
- एक सफल संविधान प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के प्रावधानों का आदर करने का कारण अवश्य प्रदान करता है।
- संविधान किसी समाज की बुनियादी पहचान होता है। अर्थात् संविधान के माध्यम से ही किसी समाज की एक सामूहिक इकाई के रूप में पहचान होती है।
- कोई संविधान अपने समस्त नागरिकों की स्वतंत्रता एवं समानता की जितनी अधिक सुरक्षा करता है उसकी सफलता की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है।
→ संस्थाओं की संतुलित रूपरेखा
- अधिकांश देशों में संविधान एक लिखित दस्तावेजों का समूह होता है जिसमें राज्य सम्बन्धी प्रावधान होता है।
- भारतीय संविधान शक्ति को एक समान धरातल पर विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसी संस्थाओं और स्वतन्त्र संबैधानिक निकाय जैसे निर्वाचन आयोग आदि में बाँट देता है।
- भारतीय संविधान मैं यह व्यवस्था है कि कोई भी वर्ग या समूह अपने दम पर संविधान को मष्ट नहीं कर सकेगा।
- भारतीय संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा किया गया।
- संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसम्बर 1946 को हुई और फिर 14 अगस्त 1947 को विभाजित भारत को संविधान सभा के रूप में इसकी पुनः बैठक हुई। भारतीय संविधान सभा की रचना लगभग उसी पोजना के अनुसार हुई जिसे ब्रिटिश मंत्रिमंडल की एक समिति- 'कैबिनेट मिशन' ने प्रस्तावित किया था।
→ संविधान सभा का स्वरूप
- 26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा की बैठक में अंतिम रूप से पारित संविधान पर 284 सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर किए।
- सामाजिक लोकतंत्र के अभाव में राजनीतिक लोकतंत्र स्थायी नहीं रह सकता है।
- भारत के संविधान ने नागरिकता की एक नई अवधारणा प्रस्तुत की। जिसके अन्तर्गत धार्मिक पहचान का नागरिक अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
→ संविधान सभा के काम काज की शैली
- भारतीय संविधान के अनुसार धर्म, जाति, शिक्षा, लिंग और आय के आधार पर भेदभाव के बिना सभी नागरिकों को एक निश्चित आयु प्राप्त करने पर वोट देने का अधिकार होगा।
- संविधान सभा में प्रत्येक प्रश्न पर विस्तृत व गम्भीरता से चर्चा हुई और यह चर्चा कई मोटे-मोटे खंडों में प्रकाशित हुई।
→ संविधान सभा की सामान्य कार्य विधि
- संविधान सभा की सामान्य कार्यविधि में सार्वजनिक विवेक का महत्व स्पष्ट दिखाई देता है।
- विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श हेतु संविधान सभा की आठ मुख्य कमेटियाँ बनायी गयी थीं।
- दो वर्ष और ग्यारह महीनों की अवधि में संविधान सभा की बैठकें 166 दिनों तक चली।
→ राष्ट्रीय आन्दोलन की विरासत
- संविधान सभा में प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव के आधार पर संविधान में समानता, स्वतन्त्रता, लोकतन्त्र और सम्प्रभुता को संस्थागत रूप दिया गया।
- भारतीय संविधान नियमों और प्रक्रियाओं की भूल-भूलैया नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी सरकार बनाने की नैतिक प्रतिबद्धता है जो राष्ट्रीय आन्दोलन में लोगों को दिए गए आश्वासनों को पूरा करेगी।
→ संस्थागत व्यवस्थाएँ
- संविधान को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक है कि सरकार की समस्त संस्थाओं को संतुलित रूप से व्यवस्थित किया जाए।
- संविधान सभा ने देश के लिए संसदीय शासन व्यवस्था और संघात्मक शासन व्यवस्था को स्वीकार किया।
- हमारे संविधान निर्माताओं ने अन्य संवैधानिक परम्पराओं से कुछ ग्रहण करने से कोई परहेज नहीं किया। उन्होंने सम्पूर्ण विश्व से सर्वोत्तम चीजों को ग्रहण किया और उन्हें अपना बना लिया।
→ विभिन्न देशों के संविधानों से लिए गए प्रावधान
- भारतीय संविधान में ब्रिटेन से सर्वाधिक मत के आधार पर चुनाव में जीत का फैसला, संसदात्मक प्रणाली, कानून के शासन का विचार, विधायिका में अध्यक्ष का पद और उनकी भूमिका तथा विधि निर्माण जैसी बातों को ग्रहण किया गया।
- भारतीय संविधान में संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन प्रक्रिया और न्याय पालिका की स्वतन्त्रता आदि के निर्धारण में सहायता ली गयी।
- फ्रांस के संविधान से स्वतन्त्रता, समानता और बंधुत्व का सिद्धान्त लिया गया।
- आयरलैण्ड के संविधान से राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के निर्धारण में सहायता ली गयी।
- कनाडा के संविधान से अर्द्ध-संघात्मक व्यवस्था एवं अपशिष्ट शक्तियों के सिद्धान्त के निर्धारण का प्रारूप तय किया गया। मिष्कर्ष भारत का संविधान बनाने की प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य यह था कि एक ऐसा संतुलित संविधान बनाया जाधै जिससे संविधान द्वारा मिर्मित संस्थाएँ अस्त व्यस्त घी कामचलाक व्यवस्थाएँ मात्र में होकर लोगों की आकांक्षाओं को लम्बै समय तक साकार रख सके।
→ अध्याय ने वोगा महत्वपूर्ण तिथिया एवं सम्बन्धित पटना
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सम्बन्धित घटनाएँ
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जुलाई, 1946
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कैबिनेट मिशन की सिफारिश के आधार पर भारतीय संविधान सभा का गठन किया गया था।
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9 दिसम्बर, 1946
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संविधान सभा की प्रथम बैठक दिल्ली में हुई थी और डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का अस्थाई अध्यक्ष चुना गया था।
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11 दिसम्बर, 1946
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डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष बनाया गया।
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13 दिसम्बर, 1946
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संविधान सभा की कार्यवाही की शुरुआत हुई थी। इस दिन पं. जवाहर लाल नेहरू ने संविधान सभा के समक्ष उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया था।
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26 नवम्बर, 1949
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संविधान सभा द्वारा संविधान को स्वीकृत किया गया था। इस बैठक में संविधान सभा के 284 सदस्य उपस्थित थे।
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24 जनवरी, 1950
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संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई तथा संविधान सभा को संसद के रूप में गठित किया गया तथा डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया।
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26 जनवरी, 1950
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भारत में संविधान को लागू किया गया।
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→ संविधान - किसी देश के शासन को चलाने वाले नियमों व सिद्धान्तों के समूह को संविधान कहते हैं।
→ सरकार - संस्थाओं का ऐसा समूह जिसके पास देश में व्यवस्थित जनजीवन सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने, लागू करने एवं उसकी व्याख्या करने का अधिकार होता है।
→ कैबिनेट मिशन - ब्रिटिश मन्त्रिमण्डल की एक समिति जिसने भारतीय संविधान निर्माण की रूप रेखा प्रस्तुत की।
→ संविधान सभा - भारत के लिए बनाई गई प्रतिनिधि सभा जिसके द्वारा भारत के संविधान का निर्माण किया गया, उसे संविधान सभा कहा गया था।
→ सामाजिक लोकतंत्र - जीवन का वह मार्ग जो स्वतंत्रता, समता एवं बंधुता को जीवन के सिद्धान्तों के रूप में स्वीकार करता है।
→ डॉ. राजेन्द्र प्रसाद - स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति, इन्हें 11 दिसम्बर, 1946 को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया था।
→ डॉ. भीमराव अम्बेडकर - संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री भी रहे।
→ पं. जवाहर लाल नेहरू - स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, जो आजीवन इसी पद पर रहे। संविधान सभा की संघ संविधान समिति के अध्यक्ष रहे।
→ मौलाना आजाद - मौलाना अबुल कलाम आजाद संविधान सभा के सदस्य एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री रहे।
→ सरदार बल्लभ भाई पटेल - स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री तथा संविधान सभा की प्रांतीय संविधान समिति के प्रमुख भी रहे।