Rajasthan Board RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 9 शांति Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
शान्ति के बजाय युद्ध का गुणगान करने वाला विचारक था
(क) फ्रेडरिक नीत्शे
(ख) विल्फ्रेडो पैरेटो
(ग) अतातुर्क
(घ) खमेर रूज।
उत्तर:
(क) फ्रेडरिक नीत्शे
प्रश्न 2.
अक्सर युद्ध की अनुपस्थिति के रूप में परिभाषा की जाती है
(क) समझौते की
(ख) शक्ति की
(ग) शान्ति की
(घ) संघर्ष की।
उत्तर:
(ग) शान्ति की
प्रश्न 3.
हिटलर के समय जर्मनी में नरसंहार किया गया
(क) यहूदियों का
(ख) हिन्दुओं का
(ग) मुसलमानों का
(घ) सिक्खों का।
उत्तर:
(क) यहूदियों का
प्रश्न 4.
निम्न में से गिरिराज किशोर द्वारा लिखित उपन्यास है-
(क) द सेटेनिक वर्सेस
(ख) पहला गिरमिटिया
(ग) गोदान
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ख) पहला गिरमिटिया
प्रश्न 5.
निम्न में से किस वर्ष सोवियत संघ का विघटन हुआ
(क) 1991
(ख) 1995
(ग) 1998
(घ) 2012
उत्तर:
(क) 1991
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
1. आधुनिक काल...........और...........दोनों क्षेत्रों में शान्ति के प्रबल पैरोकारों का साक्षी रहा है।
2. शान्ति की.............की भारी कीमत चुकाने के बाद मानवता ने इसका महत्व पहचाना है।
3. साम्प्रदायिकता को............का दक्षिण एशियाई प्रतिरूप माना जा सकता है।
4. नागरिक अवज्ञा के दबाव में अन्यायपूर्ण..........भी रास्ता दे सकती हैं।
उत्तर:
1. लौकिक, आध्यात्मिक
2. अनुपस्थिति
3. नस्लवाद
4. संरचनाएँ।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (उत्तर सीमा-20 शब्द)
प्रश्न 1.
जर्मन दार्शनिक फ्रेडरिक नीशे ने शान्ति के स्थान पर किसे सभ्यता की उन्नति का मार्ग दिखाने वाला बताया है ?
उत्तर:
जर्मन दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे ने शान्ति के स्थान पर संघर्षों को सभ्यता की उन्नति का मार्ग दिखाने वाला बताया
प्रश्न 2.
इटली के उस प्रमुख विचारक का नाम बताइए जिसने शान्ति को बेकार बताया है।
उत्तर:
इटली के विचारक विल्फ्रेडो पैरेटो ने शान्ति को बेकार बताया है।
प्रश्न 3.
द्वितीय विश्वयुद्ध के अन्त में संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान के किन दो नगरों पर अणुबम गिराये थे?
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के अन्त में संयुक्त राज्य अमेरिका (इसे अमेरिका भी कहा जाता है) ने जापान के 'हिरोशिमा' और 'नागासाकी' नामक नगरों पर अणु बम गिराये थे।
प्रश्न 4.
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया की किन दो महाशक्तियों के बीच सर्वोच्चता की प्रतिस्पर्धा प्रारम्भ हो गयी थी ?
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया की दो महाशक्तियों-साम्यवादी सोवियत संघ और पूंजीवादी संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य सर्वोच्चता के लिए प्रतिस्पर्धा प्रारम्भ हो गयी थी।
प्रश्न 5.
क्यूबा मिसाइल संकट कब उत्पन्न हुआ था ?
उत्तर:
क्यूबा मिसाइल संकट 1962 ई. में उत्पन्न हुआ था।
प्रश्न 6.
मानवता ने शान्ति का महत्व कैसे जाना ?
उत्तर:
मानवता ने शान्ति की अनुपस्थिति की भारी कीमत चुकाने के बाद इसका महत्व जाना है।
प्रश्न 7.
'संरचनात्मक हिंसा' के कुछ उदाहरण दीजिए।
अथवा
संरचनात्मक हिंसा के विभिन्न रूपों के नाम लिखिए।
उत्तर:
संरचनात्मक हिंसा के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं-जाति भेद, वर्ग भेद, पितृसत्ता, उपनिवेशवाद, नस्लवाद, साम्प्रदायिकता इत्यादि।
प्रश्न 8.
वर्ग आधारित सामाजिक व्यवस्था का सबसे बड़ा दोष क्या है ?
उत्तर:
वर्ग आधारित सामाजिक व्यवस्था का सबसे बड़ा दोष यह है कि इसने अत्यधिक असमानता और उत्पीड़न को जन्म दिया है।
प्रश्न 9.
रंगभेद और साम्प्रदायिकता में कौन-सी बातें शामिल रहती हैं ?
उत्तर:
रंगभेद और साम्प्रदायिकता में एक समूचे नस्ल आधारित समूह या समुदाय पर गलत आरोप लगाना और उनका दमन करना शामिल रहता है।
प्रश्न 10.
न्यायपूर्ण और टिकाऊ शान्ति कैसे प्राप्त की जा सकती है ?
उत्तर:
न्यायपूर्ण और टिकाऊ शान्ति छिपी शिकायतों और संघर्ष के कारणों को साफ-साफ व्यक्त करने और बातचीत द्वारा हल करने के जरिए ही प्राप्त की जा सकती है।
प्रश्न 11.
'यूनिसेफ' का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर:
'यूनिसेफ' का पूरा नाम संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन है।
प्रश्न 12.
शांति की स्थापना के लिए यूनिसेफ के संविधान ने क्या टिप्पणी की है ?
उत्तर:
शांति की स्थापना के लिए यूनिसेफ के संविधान ने टिप्पणी की है- "चूँकि युद्ध का आरम्भ लोगों के दिमाग में होता है इसलिए शांति के बचाव भी लोगों के दिमाग में ही रचे जाने चाहिए।"
प्रश्न 13.
हिंसा की जड़ें मानव मस्तिष्क के साथ-साथ और कहाँ निहित होती हैं ?
उत्तर:
हिंसा की जड़ें मानव-मस्तिष्क के साथ-साथ कुछ सामाजिक संरचनाओं में भी निहित होती हैं।
प्रश्न 14.
संरचनात्मक हिंसा की समाप्ति के लिए किस प्रकार के समाज का निर्माण आवश्यक है ?
उत्तर:
संरचनात्मक हिंसा की समाप्ति के लिए न्यायपूर्ण और लोकतांत्रिक समाज की रचना आवश्यक है।
प्रश्न 15.
भारत में गाँधीजी ने स्वतन्त्रता आन्दोलन में अंग्रेजों के खिलाफ किस पद्धति का प्रयोग शस्त्र के रूप में किया ?
उत्तर:
भारत में गाँधीजी ने स्वतन्त्रता आन्दोलन में अंग्रेजों के खिलाफ 'सत्याग्रह' की पद्धति का प्रयोग शस्त्र के रूप में किया।
प्रश्न 16.
गाँधीजी से प्रेरणा लेकर किसने संयुक्त राज्य अमेरिका में 1950 के दशक में काले लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष शुरू किया था ?
उत्तर:
गाँधीजी से प्रेरणा लेकर मॉर्टिन लूथर किंग जूनियर ने संयुक्त राज्य अमेरिका में 1950 के दशक में काले लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष शुरू किया था।
प्रश्न 17.
कम्बोडिया में किसका शासन क्रान्तिकारी हिंसा के नुकसानदेह हो जाने का उदाहरण प्रस्तुत करता है?
उत्तर:
कम्बोडिया में 'खमेर रूज' का 1970 के दशक में स्थापित शासन क्रान्तिकारी हिंसा के नुकसानदेह हो जाने का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 18.
शान्ति को सर्वोच्च मूल्य मानने वाले लोग किसी न्यायपूर्ण संघर्ष में किसके प्रयोग के खिलाफ हैं?
उत्तर:
शान्ति को सर्वोच्च मूल्य मानने वाले लोग किसी न्यायपूर्ण संघर्ष में 'हिंसा' के प्रयोग के खिलाफ हैं।
प्रश्न 19.
शान्ति का पालन करने के लिए हमारे लिए क्या जरूरी है ?
उत्तर:
शान्ति का पालन करने के लिए हमारे लिए यह जरूरी है कि हम स्वयं को व्यापक मानवता के एक हिस्से के रूप में देखें।
प्रश्न 20.
गाँधीजी ने अहिंसा के सकारात्मक अर्थ के रूप में इसका मतलब क्या बताया है ?
उत्तर:
गाँधीजी ने अहिंसा के सकारात्मक अर्थ के रूप में इसका मतलब कल्याण और अच्छाई का सकारात्मक और सक्रिय क्रियाकलाप बताया है।
प्रश्न 21.
शांति के मार्ग में आने वाली किन्हीं दो बाधाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 22.
शांति स्थापना के कोई दो उपाय बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 23.
आतंकवाद के उदय में शक्तिशाली देशों के किस आचरण का योगदान है ?
उत्तर:
आतंकवाद के उदय में शक्तिशाली देशों के स्वार्थपूर्ण आचरण का प्रमुख योगदान है।
प्रश्न 24.
शान्तिवाद विवादों को सुलझाने के लिए किसे प्रमुख औजार मानता है ?
उत्तर:
शान्तिवाद विवादों के निपटारे के लिए 'शान्ति' को एक प्रमुख औजार मानता है।
प्रश्न 25.
युद्ध से बचने के पक्षधर लोगों के लिए किस शब्द का प्रयोग किया जाता रहा है और क्यों ?
उत्तर:
युद्ध से बचने के पक्षधर लोगों के लिए 'श्वेत कपोत' (सफेद कबूतर) शब्द का प्रयोग उनका मजाक बनाने के लिए किया जाता रहा है।
प्रश्न 26.
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद किन देशों ने सैन्यबल नहीं रखने का फैसला किया था ?
उत्तर:
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 'जापान' और 'कोस्टारिका' जैसे देशों ने सैन्यबल नहीं रखने का फैसला किया था।
प्रश्न 27.
शान्ति आन्दोलन किन्हें कहा जाता है ?
उत्तर:
वर्तमान युग में शान्ति को बढ़ावा देने के लिए किये जाने वाले अनेक लोकप्रिय प्रयासों को ही 'शान्ति आन्दोलन' कहा जाता है।
प्रश्न 28.
शान्ति आन्दोलन ने अध्ययन की किस नवीन शाखा को जन्म दिया है ?
उत्तर:
शान्ति आन्दोलन ने 'शान्ति अध्ययन' नामक ज्ञान की एक नवीन शाखा को जन्म दिया है।
लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (SA,) (उत्तर सीमा-40 शब्द)
प्रश्न 1.
हमें यह कैसे पता चलता है कि हम अशान्त समय में रहते हैं ?
उत्तर:
वर्तमान में आये दिन समाचार-पत्रों में टी. वी. पर हम समाचारों के रूप में विभिन्न प्रकार की हिंसाओं की सूचनाएँ प्राप्त करते हैं। ये हिंसा कभी आतंकवाद से जुड़ी होती हैं तो कभी युद्ध से। इसी प्रकार घरेलू स्तर पर भी चोरी, डकैती, लूटमार इत्यादि की घटनाएं होती रहती हैं। इन सब की जानकारी समाचार पत्रों और टी. वी. के माध्यम से जानकर हमें पता चलता है कि हम अशान्त समय में रहते हैं।
प्रश्न 2.
जर्मन दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे ने किस प्रकार 'शान्ति' का नकारात्मक रूप में वर्णन किया है ?
उत्तर:
जर्मन दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे को युद्ध का गुणगान करने वाले विचारक के रूप में जाना जाता है। नीत्शे शान्ति को महत्वहीन मानता था। उसका मानना था कि सिर्फ संघर्ष ही सभ्यता की उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। इस प्रकार फ्रेडरिक नीत्शे ने शान्ति के स्थान पर संघर्षों व युद्धों को सभ्यता के विकास का साधन बताते हुए 'शान्ति' का नकारात्मक रूप में वर्णन किया है।
प्रश्न 3.
इटली के समाजशास्त्री विल्फ्रेडो पैरेटो ने किन लोगों का वर्णन 'शेर' के रूप में किया है ?
उत्तर:
इटली के समाजशास्त्री विल्फ्रेडो पैरेटो ने यह बताया कि अधिकतर समाजों में शासक वर्ग का निर्माण सक्षम और अपने लक्ष्यों को पाने हेतु ताकत का प्रयोग करने के लिए तैयार रहने वाले लोगों से होता है। उसने इन लोगों का ही वर्णन 'शेर' के रूप में किया है। उसका मतलब यह है कि जो लोग समाज में ताकत के प्रयोग से अपने आपको ऊँची स्थिति पर पहुँचाते हैं वे ही 'शेर' हैं।
प्रश्न 4.
द्वितीय विश्वयुद्ध में किस प्रकार भीषण हिंसा और रक्तपात हुआ ?
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-1945 ई.) में जर्मनी ने लन्दन पर अपने लड़ाकू विमान भेजकर भारी बमबारी की थी। जवाब में अंग्रेजों के लगभग 1000 जहाजों ने जर्मनी के नगरों पर भीषण बमबारी की। युद्ध में सबसे बाद में शामिल हुए संयुक्त राज्य अमेरिका ने तो अगस्त 1945 में जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर सीधे अणु बम गिरा दिये। इस हमले में तुरन्त ही लगभग डेढ़ लाख लोग मारे गए। इस प्रकार द्वितीय विश्वयुद्ध में भीषण हिंसा और रक्तपात देखने को मिला।
प्रश्न 5.
शान्ति की परिभाषा किन रूपों में की जाती है ?
उत्तर:
शान्ति की परिभाषा आमतौर पर युद्ध की अनुपस्थिति के रूप में की जाती है। परन्तु यह परिभाषा जितनी सरल है, उतनी ही भ्रामक भी। अतः शान्ति की दूसरी परिभाषा युद्ध, दंगा, नरसंहार, कत्ल या सामान्य शारीरिक प्रहार समेत सभी प्रकार के हिंसक संघर्षों के अभाव के रूप में की जाती है। यह परिभाषा शान्ति के अर्थ को ज्यादा बेहतर ढंग से प्रस्तुत करती है।
प्रश्न 6.
संरचनात्मक हिंसा क्या है ?
उत्तर:
समाज की मूल संरचना में हिंसा बसी रहती है। समाज में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं व प्रथाओं द्वारा जाति, वर्ग या लिंग के आधार पर असमानता को बढ़ावा दिया जाता है। जाति, वर्ग या लिंग आधारित यह असमानता और वर्ग विभाजन समाज में हिंसा व संघर्ष को जन्म देता है। इस प्रकार सामाजिक संरचना के कारण पैदा होने वाली हिंसा को ही 'संरचनात्मक हिंसा' कहा जाता है, जैसे-जातिभेद, वर्गभेद, पितृसत्ता, साम्प्रदायिकता आदि।
प्रश्न 7.
'पितृसत्ता' किस प्रकार समाज में हिंसा को बढ़ावा प्रदान करती है ?
उत्तर:
पितृसत्ता के आधार पर जिन सामाजिक संगठनों का निर्माण होता है, उनमें स्त्रियों को व्यवस्थित रूप से अधीन बनाया जाता है। ऐसे समाजों में स्त्रियों के साथ भेदभाव किया जाता है। इस भेदभाव के चलते कन्या भ्रूण हत्या, बाल-विवाह, पत्नी को पीटना, बलात्कार, घर की इज्जत के नाम पर हत्या इत्यादि हिंसात्मक कार्य प्रारम्भ हो जाते हैं। इस प्रकार पितृसत्ता समाज में स्त्रियों के प्रति हिंसा को बढ़ावा प्रदान करती है।
प्रश्न 8.
समाज में जाति, वर्ग, धर्म इत्यादि के आधार पर किये जाने वाले भेदभाव किस प्रकार हिंसा को पैदा करते हैं ?
उत्तर:
समाज में जब कुछ व्यक्तियों, वर्गों या समुदायों के साथ जाति, वर्ग, धर्म इत्यादि के आधार पर भेदभाव किये जाते हैं तो इनसे पीड़ित व्यक्तियों व वर्गों के मन में शिकायतें पैदा हो जाती हैं। ये शिकायतें कई पीढ़ियों तक कायम रहती हैं। ऐसे समूह कभी-कभी किसी घटना या टिप्पणी से उत्तेजित होकर प्रत्यक्ष हिंसा व संघर्षों का मार्ग चुन लेते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि जाति, वर्ग, धर्म इत्यादि के आधार पर किये जाने वाले भेदभाव हिंसा को उत्पन्न करते हैं।
प्रश्न 9.
शान्ति की स्थापना के लिए 'यूनिसेफ' ने क्या मार्ग बताया है ?
उत्तर:
शान्ति की स्थापना के लिए यूनिसेफ ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है "चूँकि युद्ध का आरम्भ लोगों के दिमाग में होता है, इसलिए शान्ति के बचाव भी लोगों के दिमाग में ही रखे जाने चाहिए।" इस प्रकार यूनिसेफ ने लोगों की सोच बदलने को शान्ति स्थापना का प्रमुख मार्ग बताया है। इस तरह के प्रयास के लिए दया, ममता जैसे प्राचीन आध्यात्मिक सिद्धान्त और 'ध्यान' जैसे अभ्यास बिल्कुल उपयुक्त हैं।
प्रश्न 10.
"शांति समाज में निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है।" कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शान्ति समाज में निरन्तर चलती रहने वाली ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अति व्यापक अर्थों में मानव कल्याण की स्थापना के लिए आवश्यक नैतिक और भौतिक संसाधनों से सम्बन्धित सक्रिय कार्यवाहियाँ और गतिविधियाँ शामिल होती हैं। शान्ति वास्तव में ऐसी प्रक्रिया है जो मानव कल्याण और संसाधनों के उचित वितरण के प्रयासों के रूप में समाज में सदैव चलती रहती है।
प्रश्न 11.
क्या हिंसा कभी शान्ति को प्रोत्साहित कर सकती है ?
उत्तर:
प्रायः यह दावा किया जाता है कि हिंसा एक बुराई है, परन्तु यह भी सत्य है कि हिंसा कभी-कभी शान्ति को भी प्रोत्साहित करती है। समाज में कई बार शान्ति लाने के लिए हिंसा एक अनिवार्य शर्त के रूप में नजर आती है। इसी प्रकार तानाशाहों और उत्पीड़न करने वालों को जबरन हटाकर ही उन्हें जनता को निरन्तर नुकसान पहुँचाने से रोका जा सकता है। इस प्रकार हिंसा कुछ परिस्थितियों में शान्ति को प्रोत्साहित भी कर सकती है परन्तु इसका प्रयोग कई बार खुद के लिए नुकसानदेह भी हो जाता है।
प्रश्न 12.
गाँधीजी ने भारतीय जनता को अंग्रेजों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने में कैसे अहिंसा का इस्तेमाल किया?
उत्तर:
गाँधीजी ने भारतीय जनता को अंग्रेजों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए अहिंसा को शस्त्र के रूप में प्रयोग किया। उन्होंने न्याय को अपना आधार बनाया और अंग्रेज शासकों की आत्मा को झकझोरा। जब इससे काम नहीं चला तो उन्होंने अंग्रेजों पर नैतिक और राजनीतिक दबाव बनाने के लिए जन-आन्दोलन प्रारम्भ किये। इन आन्दोलनों में उन्होंने अनुचित कानूनों का उल्लंघन भी किया। इस प्रकार गाँधीजी ने ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध अहिंसा का प्रभावी अस्त्र के रूप में इस्तेमाल किया।
प्रश्न 13.
कम्बोडिया में शान्ति को नुकसान पहुंचाने वाले खमेर रूज के शासन पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
कम्बोडिया में खमेर रूज का शासन पॉल पॉट के नेतृत्व में हुई बगावत का नतीजा था। इस बगावत में खेतिहर किसानों की मुक्ति के लिए साम्यवादी व्यवस्था की स्थापना का प्रयास किया गया था। परन्तु शीघ्र ही यह शासन स्वयं अशान्ति और आतंक का प्रतीक बन गया। इस शासन में 1975 से 1979 ई. के बीच लगभग 17 लाख लोगों को मार डाला गया। इस प्रकार यह शासन क्रान्ति के नाम पर जायज ठहराई जाने वाली हिंसा के नुकसानदेह बन जाने का ज्वलन्त उदाहरण है।
प्रश्न 14.
राज्य में अपने हितों को बचाने और बढ़ाने की प्रवृत्ति किस प्रकार जन्म लेती है ?
उत्तर:
प्रत्येक राज्य अपने को पूर्ण स्वतन्त्र और सर्वोच्च इकाई के रूप में देखता है। इसी नजरिये से राज्य में अपने हितों को केवल अपने नजरिये से देखने और प्रत्येक स्थिति में अपने हितों को बचाने और बढ़ाने की प्रवृत्ति जन्म लेती है। इस प्रवृत्ति के चलते राज्य कई बार अपने नागरिकों के हितों के नाम पर अक्सर बाकी लोगों को हानि पहुँचाने के लिए तैयार हो जाते हैं।
प्रश्न 15.
'मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी' यह कहावत किस प्रवृत्ति के चलते प्रचलित हुई ?
उत्तर:
'मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी' यह कहावत अक्सर चर्चा में रहती है। कुछ लोगों की असहायता को अहिंसा और अहिंसा को गाँधी के समान बताने की प्रवृत्ति के चलते इस कहावत का प्रचलन शुरू हुआ। इस हल्की कहावत का आधार दूर-दूर तक फैला यह विचार है कि अहिंसा कमजोरों का रास्ता है। इस प्रकार इस कहावत को कहने वाले व मानने वाले लोग अहिंसा को कमजोरों का हथियार मानने की प्रवृत्ति से ग्रसित हैं।
प्रश्न 16.
गाँधीजी कायरता से अच्छा तो हिंसा को मानते थे, कैसे ?
उत्तर:
गाँधीजी प्रत्येक प्रकार के अन्याय व अत्याचार के विरोध करने को अनिवार्य मानते थे। इसके लिए उन्होंने सर्वोत्तम मार्ग 'अहिंसा' को बताया। उनके अनुसार अहिंसा एक सक्रिय शक्ति है। इसमें कायरता और कमजोरी का कोई स्थान नहीं है। गाँधीजी का यहाँ तक कहना था कि यदि कायरता और हिंसा में से किसी एक को चुनना हो तो मैं हिंसा को चुनूँगा। इस प्रकार गाँधीजी ने कायरता की तुलना में हिंसा को विरोध करने का उपयोगी साधन बताया।
प्रश्न 17.
वर्तमान में शान्ति की स्थापना के तरीके के रूप में 'राष्ट्रों पर परस्पर सम्प्रभुता के सम्मान' को स्थान दिया जाता है। इसका अभिप्राय क्या है ?
उत्तर:
वर्तमान में शान्ति स्थापना के तरीके के रूप में 'राष्ट्रों पर परस्पर सम्प्रभुता के सम्मान' को स्थान दिया जाता है। इसका अभिप्राय यह है कि सभी राष्ट्र एक-दूसरे की सीमाओं और सत्ता का सम्मान करें। यह तरीका राष्ट्रों के बीच एक शक्ति सन्तुलन द्वारा विश्व में शान्ति की स्थापना करना चाहता है। इसके अन्तर्गत यह माना जाता है कि जब राष्ट्र एक दूसरे की सत्ता व सीमाओं का आदर करेंगे तो उनके बीच आपसी प्रतिस्पर्धा और युद्धों की सम्भावनाएँ स्वतः कम हो जाएँगी।
प्रश्न 18.
विश्व में शान्ति स्थापना के एक तरीके के रूप में प्रचलित 'विश्व समुदाय' की धारणा क्या है?
उत्तर:
विश्व में शान्ति स्थापना के एक तरीके के रूप में प्रचलित 'विश्व समुदाय' की धारणा समस्त विश्व को एक समुदाय के रूप में परिवर्तित करने की उम्मीद रखने वाली धारणा है। इसके अन्तर्गत राष्ट्रों की सीमाओं को समाप्त करके एक विश्व समुदाय की स्थापना करने पर बल दिया जाता है। विश्व समुदाय के समर्थकों का मानना है कि जब तक राष्ट्र बने रहेंगे तब तक उनमें संघर्ष होते रहेंगे।
लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (SA) (उत्तर सीमा-100 शब्द)
प्रश्न 1.
"आधुनिक विश्व में ऐसे भी विचारक हुए हैं, जिन्होंने शान्ति के बजाय युद्धों व संघर्षों को मानव सभ्यता के लिए उपयोगी माना है।"-विवेचना कीजिए।
उत्तर:
शान्ति मानव सभ्यता की उन्नति के लिए अनिवार्य स्थिति होती है परन्तु आधुनिक विश्व में ऐसे भी विचारक हुए हैं जिन्होंने शान्ति की बजाय युद्धों व संघर्षों को महत्वपूर्ण माना है। इस प्रकार के विचारकों में जर्मनी के दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे को ही ले लें। उसने अपने विचारों में शान्ति को कोई महत्व नहीं दिया, क्योंकि उसका मानना था कि सिर्फ संघर्ष ही सभ्यता की उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। इस प्रकार नीत्शे ने शान्ति की बजाय युद्ध व संघर्षों का गुणगान किया और इन्हें ही मानवीय सभ्यता की उन्नति का एकमात्र उपाय बताया। कुछ इसी प्रकार के विचार इटली के समाजशास्त्री विल्फ्रेडो पैरेटो ने भी व्यक्त किये हैं। पैरेटो ने यह बताया है कि प्रत्येक समाज में वही लोग सत्ता संभालते हैं जो अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिए किसी भी संघर्ष के लिए तैयार रहते हैं। ये लोग अपनी ताकत के बल पर सत्ता प्राप्त करते हैं। वह इनकी तुलना 'शेर' से करता है। इस प्रकार पैरेटो भी मानवीय गरिमा की स्थापना व रक्षा के लिए शान्ति की बजाय संघर्षों को जरूरी व उपयोगी मानता है।
प्रश्न 2.
1962 ई. में समूची दुनिया के सामने शान्ति के लिए बड़ा खतरा पैदा करने वाली 'क्यूबा मिसाइल संकट' की घटना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
क्यूबा मिसाइल संकट (1962) द्वितीय विश्वयुद्ध के समापन के साथ ही दुनिया की दो महाशक्तियों सोवियत संघ रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच भीषण प्रतिस्पर्धा प्रारम्भ हो गयी। इसी प्रतिस्पर्धा ने 1962 ई. में 'क्यूबा मिसाइल संकट' को जन्म दिया। सोवियत संघ ने अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए क्यूबा में चोरी-छिपे मिसाइलें तैनात कर दीं। लेकिन अमेरिकी जासूसी विमानों ने अपने पड़ोसी देश क्यूबा में तैनात सोवियत संघ के परमाणु हथियारों से लैस मिसाइलों को खोज निकाला।
प्रतिक्रिया में अमेरिका ने भी क्यूबा की समुद्री सीमाओं की नाकेबन्दी कर दी और सोवियत संघ को धमकी दी कि यदि मिसाइलें नहीं हटाई गईं तो अमेरिका भी परमाणु कार्यवाही करेगा। इससे पूरे विश्व में तनाव चरम पर पहुँच गया और भीषण परमाणु युद्ध की सम्भावना पैदा हो गयी। इस घटना को 'क्यूबा मिसाइल संकट' के नाम से जाना जाता है। बाद में मौके की नजाकत को देखते हुए सोवियत संघ ने क्यूबा से अपने मिसाइल हटा लिये और इस प्रकार 'क्यूबा मिसाइल संकट' का शान्तिपूर्वक अन्त हो गया। लगभग 2 सप्ताह तक चले इस घटनाक्रम ने विश्व में मानवता को तबाही के कगार पर खड़ा कर दिया था।
प्रश्न 3.
सम्पूर्ण विश्व में शान्ति के लिए खतरा बन चुके 'आतंकवाद' के जन्म के कारण बताइए।
उत्तर:
आतंकवाद आज सम्पूर्ण विश्व में शान्ति के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। इसके जन्म के निम्नलिखित कारण बताए जा सकते हैं
(i) युद्ध विभिन्न राष्ट्रों के बीच होने वाले युद्ध आतंकवाद को जन्म देते हैं। युद्ध में जो राष्ट्र पराजित होता है वह आतंकवाद की सहायता से दूसरे राष्ट्र को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करने लगता है। जैसे भारत के प्रति पाकिस्तान की आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली कोशिशें।
(ii) धार्मिक उन्माद-आतंकवाद को जन्म देने में धार्मिक उन्माद भी भूमिका निभाता है। धर्म के तथाकथित ठेकेदार पूरी दुनिया में अपने धर्म की श्रेष्ठता स्थापित करने व अपने धर्म के लोगों की रक्षा करने के नाम पर आतंकवाद को उत्पन्न करते हैं। यह पागलपन धर्म की मनचाही व संकुचित व्याख्या का परिणाम होता है।
(iii) असमानता-विभिन्न समाजों में जाति, वर्ग, धर्म इत्यादि पर आधारित असमानता भी आतंकवाद को जन्म देती है। भेदभाव के शिकार लोगों में कई शिकायतें जन्म लेती हैं। जब ये इन शिकायतों का निपटारा शान्तिपूर्वक नहीं कर पाते तो हिंसा की शरण लेते हैं और इस प्रकार असमानता आतंकवाद को जन देती है।
प्रश्न 4.
"शान्ति कायम करने का एकमात्र तरीका हिंसा के जिम्मेदार लोगों को सजा देना है।" क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने उत्तर के पक्ष में उचित तर्क प्रस्तुत करें।
उत्तर:
“शान्ति कायम करने का एकमात्र तरीका हिंसा के जिम्मेदार लोगों को सजा देना है।" हम इस कथन से सहमत नहीं हैं। इसके निम्नलिखित कारण हैं
(i) हिंसा के बदले हिंसा उचित नहीं है यदि केवल हिंसा के जिम्मेदार लोगों को सजा देने को ही शान्ति कायम करने का एकमात्र तरीका मान लें तो यह 'हिंसा के बदले हिंसा' जैसी स्थिति हो जाएगी जो उचित नहीं है। हम जिन लोगों के प्रति दण्ड के रूप में हिंसा करेंगे वह आगे चलकर पलटकर हम पर हिंसा करेंगे और यह क्रम सदैव चलता रहेगा।
(ii) शान्ति स्थापित करने के कई बेहतर तरीके मौजूद हैं हमारी असहमति का एक कारण यह भी है कि आज शान्ति स्थापित करने के कई बेहतर शान्तिपूर्ण व अहिंसात्मक तरीके भी हमारे पास मौजूद हैं। यदि हम हिंसा करने वाले लोगों की समस्याओं को देखें, समझें और इनका निदान करें तो वे स्वयं ही हिंसा करना छोड़ देंगे। इसके अलावा हम बातचीत, सुधार इत्यादि का मार्ग भी अपना सकते हैं। अतः केवल हिंसा करने वालों को दण्डित करके ही शान्ति की स्थापना का प्रयास हमारी भारी भूल होगी।
प्रश्न 5.
'हिंसा का प्रयोग चाहे कितने ही भले कार्यों के लिए किया जाए, वह स्थायी शान्ति की स्थापना कभी नहीं कर सकती', विवेचना कीजिए।
उत्तर:
अक्सर कई लोग यह दावा करते हैं कि हिंसा एक बुराई है लेकिन कभी-कभी यह शान्ति कायम करने की अनिवार्य शर्त होती है। परन्तु ऐसा कहते समय हमें यह याद रखना चाहिए कि हिंसा का प्रयोग चाहे कितने ही भले कार्यों के लिए किया जाए, वह स्थायी शान्ति की स्थापना कभी नहीं कर सकती। ऐसा कई बार हमने देखा है कि अच्छे उद्देश्य से भी हिंसा का सहारा लेना हमारे लिए आत्मघाती सिद्ध हुआ है। एक बार हिंसा की शुरूआत हो जाए तो इसके नियन्त्रण से बाहर जाने की प्रबल सम्भावना रहती है। यह कई बार अपने पीछे मौत और बर्बादी की एक श्रृंखला छोड़ जाती है।
उदाहरण के लिए हमने कम्बोडिया में देखा कि किस प्रकार खमेर रूज का शासन सन् 1975 से 1979 के बीच क्रान्तिकारी हिंसा के विकृत रूप में आत्मघाती हिंसा का प्रतीक बन गया था। इसी प्रकार हिंसा का मार्ग अपनाने में सदैव यह भय बना रहता है कि इसकी प्रतिक्रिया न पैदा हो जाए। हिंसा भले कार्यों व उचित अवसरों पर भी कुछ समय के लिए ही शान्ति की स्थापना कर सकती है, पर इससे स्थायी शान्ति की उम्मीद नहीं की जा सकती।
प्रश्न 6.
राज्यसत्ता वर्तमान में शान्ति को बढ़ावा देने की बजाय स्वयं उसके मार्ग में रुकावटें पैदा करने लगी है।' स्पष्ट करें।
उत्तर:
वर्तमान में यह देखा जा सकता है कि राज्यसत्ता शान्ति को बढ़ावा देने की बजाय स्वयं उसके मार्ग में रुकावटें पैदा करने लगी है। सेना व पुलिस जैसे संगठन राज्य में शान्ति व्यवस्था बनाए रखने तथा बाहरी आक्रमणां से रक्षा के लिए अस्तित्व में आये थे। परन्तु वर्तमान में राज्य इनका मनमाना प्रयोग अक्सर करता रहता है। यहाँ तक कि राज्य के भीतर शान्तिपूर्वक अपनी माँगें रखने व असहमति जताने वाले लोगों की आवाज दबाने में भी राज्य पुलिस और सैन्य बल का प्रयोग करता दिखाई पड़ जाता है। इस सन्दर्भ में वर्तमान 'म्यांमार' की स्थिति का उल्लेख किया जा सकता है।
वहाँ लोकतन्त्र की माँग करने पर 'आंग सान-सू-की' को जेल में डाल दिया गया। आन्दोलनकारियों पर लाठीचार्ज किया गया। इसी प्रकार के उदाहरण भारत में भी आए दिन किसानों, शिक्षकों इत्यादि पर होने वाले लाठी चार्ज के रूप में देखे जा सकते हैं। राज्य से यह अपेक्षा थी कि वह सेना या पुलिस का प्रयोग अपने नागरिकों की रक्षा के लिए करेगा परन्तु वर्तमान राज्य इनका प्रयोग अपने ही नागरिकों के विरोध की आवाजों को दबाने के लिए करने लगा है। यह शान्ति की स्थापना की दृष्टि से उचित स्थिति नहीं है। इस कार्यवाही से समाज में राज्य के प्रति घृणा और असन्तोष पैदा होता है और लोग हिंसात्मक मार्गों को अपनाने लगते हैं।
प्रश्न 7.
'विश्व में कई राष्ट्र अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिए आज भी हिंसा का सहारा लेते हैं', उदाहरण सहित विवेचना कीजिए।
उत्तर:
वर्तमान विश्व में एक ओर तो शान्ति की बात सभी राष्ट्र करते नजर आते हैं वहीं दूसरी ओर आज भी कई राष्ट्र अपने लक्ष्यों की पूर्ति व स्वार्थ की पूर्ति के लिए हिंसा का सहारा लेते रहते हैं। इसके फलस्वरूप विश्व में शान्ति खतरे में पड़ जाती है और युद्धों को प्रोत्साहन मिलता है। उदाहरण लिए 1990 ई. में इराक ने अपने छोटे-से पड़ोसी देश कुवैत पर धावा बोला। उसने अपने को न्यायोचित बताते हुए दावा किया कि पूर्व में कुवैती क्षेत्र एक इराकी भूखण्ड था, जिसे औपनिवेशिक शासकों ने मनमाने ढंग से अलग कर दिया था।
उसने आरोप लगाया कि कुवैत उसके तेल-भण्डारों में तिरछी खुदाई कर रहा है। इस प्रकार एक भीषण युद्ध प्रारम्भ हो गया जो कि अमेरिका के सैन्य हस्तक्षेप के बाद समाप्त हुआ। इसी प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका ने अफगानिस्तान और इराक पर आक्रमण किये और अपने स्वार्थों की पूर्ति को छिपाने के लिए मानवता की रक्षा का हवाला दिया। अतः स्पष्ट है कि विश्व में कई राष्ट्र अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिए आज भी हिंसा का सहारा लेते हैं।
प्रश्न 8.
'विश्व में शान्ति स्थापना का एक महत्वपूर्ण तरीका राष्ट्रों के बीच आर्थिक व सामाजिक सहयोग है', विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
विश्व में आज शान्ति स्थापना के प्रयासों में तेजी आयी है। इन प्रयासों में एक उपाय राष्ट्रों के बीच आर्थिक व सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देने को बताया जाता है तथा इस पर बल दिया जाता है। यह तरीका राष्ट्रों की गहराई तक जमी हुई आपसी प्रतिद्वन्द्विता को स्वीकार करता है फिर भी इसका जोर राष्ट्रों के बीच सकारात्मक उपस्थिति और परस्पर निर्भरता की सम्भावनाओं पर है। यह विभिन्न देशों के बीच विकास को बढ़ावा देने के लिए जरूरी सामाजिक-आर्थिक सहयोग को महत्वपूर्ण मानता है। इसमें यह उम्मीद की जाती है कि यह सहयोग राष्ट्रों की सम्प्रभुता को नरम करेगा और अन्तर्राष्ट्रीय साझेदारी को प्रोत्साहित करेगा। इसका मानना है कि इस सहयोग के परिणामस्वरूप विश्व में संघर्ष कम होंगे और इससे शान्ति की बेहतर सम्भावनाएँ बनेंगी। इस उपाय के समर्थक इस सन्दर्भ में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के यूरोप का उदाहरण देते हैं। इसमें पूरा यूरोप आर्थिक सहयोग के लिए एक हो गया है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर (उत्तर सीमा-150 शब्द)
प्रश्न 1.
संरचनात्मक हिंसा के विभिन्न रूपों का विस्तार से उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संरचनात्मक हिंसा के विभिन्न रूप समाज में दिखाई पड़ते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं
(i) पितृसत्ता-समाज में पितृसत्ता अर्थात् पुरुषों के स्वामित्व के कारण स्त्रियों के प्रति हिंसा होती है। यह हिंसा स्त्रियों के प्रति भेदभाव, मारपीट, शोषण इत्यादि के रूप में दिखाई पड़ती है। इसकी अभिव्यक्ति कन्या भ्रूण हत्या, लड़कियों को अपर्याप्त पोषण, शिक्षा न देना इत्यादि रूपों में होती है। उदाहरण के लिए भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार लिंग अनुपात प्रति 1000 पुरुषों पर मात्र 940 स्त्रियाँ हैं। यह संरचनात्मक हिंसा के रूप पितृसत्ता का ही परिणाम है।
(ii) जाति व्यवस्था-जाति व्यवस्था भी समाज में हिंसा को बढ़ावा देने वाली है। परम्परागत जाति व्यवस्था में कुछ खास समूह के लोगों को छूना भी गलत माना जाता है। इस प्रकार उनके साथ अमानवीय भेदभाव और व्यवहार किया जाता है। यह भेदभाव गहरा मानसिक और शारीरिक आघात पहुँचाता है। इसके चलते भेदभाव के शिकार लोग पीड़ा के अत्यधिक बढ़ जाने पर अपनी शिकायत या प्रतिक्रिया जताने के लिए हिंसा का मार्ग भी अपना लेते हैं।
(iii) रंगभेद व साम्प्रदायिकता-रंगभेद व साम्प्रदायिकता भी संरचनात्मक हिंसा के रूपों में शामिल हैं। रंगभेद और साम्प्रदायिकता में एक समूचे नस्लगत समूह या समुदाय पर लांछन लगाना और उनका दमन करना शामिल रहता है। हालांकि मानवता को विभिन्न नस्लों के आधार पर विभाजित कर सकने की अवधारणा वैज्ञानिक रूप से अप्रामाणिक है लेकिन कई बार इसका उपयोग मानव विरोधी कुकृत्यों को जायज ठहराने में ही किया जाता रहा है। उदाहरण के लिए सन् 1865 तक अमेरिका में अश्वेत लोगों को गुलाम बनाने की प्रथा, हिटलर के समय में जर्मनी में यहूदियों का खुलेआम सामूहिक तौर पर कत्ल किया जाना, बहुसंख्यक अश्वेत आबादी के साथ निचले दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार करने वाली रंगभेद की नीति आदि इसके ही प्रतीक हैं।
प्रश्न 2.
गाँधी जी के अहिंसा सम्बन्धी विचारों की सविस्तार विवेचना करें।
उत्तर:
गाँधी जी के अहिंसा सम्बन्धी विचार आम तौर पर सामान्य लोग यह समझते हैं कि अहिंसा का आशय केवल इतना है कि किसी दूसरे को कोई शारीरिक नुकसान न पहुँचाया जाए। परन्तु गाँधी जी के लिए अहिंसा का मतलब इससे कहीं अधिक बढ़कर था। गाँधीजी का बार-बार कहना था कि अहिंसा को कमजोरी या कायरता से जोड़ने वाले लोग इसका सही आशय ही नहीं समझ पाते हैं। गाँधी जी के विचारों में अहिंसा का मतलब दो मूलभूत तरीकों से बदला हुआ है। उनके लिए अहिंसा का अर्थ शारीरिक चोट, मानसिक चोट या आजीविका की क्षति पहुँचाने मात्र से नहीं है।
उनके लिए अहिंसा का अर्थ है कि हम किसी को नुकसान पहुँचाने के विचारों तक का त्याग कर दें तभी वास्तविक रूप में अहिंसक होंगे। उनके लिए 'हिंसा का आदी' होने का अर्थ स्वयं चोट करने तक ही सीमित नहीं था। गाँधीजी का मानना था "यदि मैंने किसी को हानि पहुँचाने में किसी अन्य की सहायता की अथवा किसी हानिकारक कार्य से लाभ प्राप्त किया तो भी मैं हिंसा का बराबर दोषी कहलाऊँगा।"
इस अर्थ में हिंसा के बारे में उनके विचार 'संरचनात्मक हिंसा' को व्यक्त करते थे। इसी प्रकार गाँधीजी ने अहिंसा के अर्थ में दूसरा परिवर्तन इसे सकारात्मक विचार का अर्थ देकर किया। उनके लिए अहिंसा केवल किसी को हानि न पहुँचाने तक सीमित नहीं है। उनके अनुसार अहिंसा के लिए सजग और संवेदनशीलता का माहौल भी आवश्यक होता है। वे इसे निष्क्रिय आध्यात्मिक धारणा मानने की बजाय समाज के कल्याण और अच्छाई का.सकारात्मक व सक्रिय क्रियाकलाप मानते थे। उनके अनुसार जो भी लोग अहिंसा का प्रयोग करते हैं उनके लिए शारीरिक, मानसिक संयम और आत्मा की शक्ति अत्यधिक आवश्यक है। इस प्रकार गाँधीजी के विचारों में अहिंसा कायरता का प्रतीक नहीं है और न ही यह कमजोरों का उपाय है। यह शक्तिशाली व संयमी मानवों द्वारा आत्म-नियन्त्रण व अच्छे हृदय से समाज में गलत बातों के प्रतिकार के साथ-साथ भलाई व कल्याणों को करने वाली महत्वपूर्ण शक्ति व माध्यम है।
प्रश्न 3.
'शान्तिवाद' से आप क्या समझते हैं ? शान्तिवाद को विस्तार से समझाइये।
उत्तर:
शान्तिवाद-वर्तमान में विश्व में विभिन्न समाजों तथा राष्ट्रों द्वारा शान्ति को प्रोत्साहन देने वाले विभिन्न क्रियाकलाप किये जा रहे हैं। इन क्रियाकलापों को जिन विचारों के कारण किया जाता है उन्हीं को सामूहिक तौर पर 'शान्तिवाद' की संज्ञा दी जाती है। शान्तिवाद विवादों को सुलझाने के औजार के रूप में युद्ध या हिंसा के बजाय शान्ति का उपदेश देता है। इसमें विचारों की अनेक छवियाँ शामिल हैं। इसके दायरे में कूटनीति को अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का समाधान करने में प्राथमिकता देने से लेकर किसी भी हालत में हिंसा और ताकत के प्रयोग के पूरी तरह प्रतिबन्ध तक शामिल होते हैं।
शान्तिवाद में कई सिद्धान्तों की भी भूमिका होती है। साथ ही साथ शान्तिवाद में व्यावहारिक बातों व स्थितियों पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। व्यावहारिकता में शान्तिवाद यह मानता है कि विवादों के समाधान के लिए इसमें युद्ध से भी अच्छे तरीके मौजूद हैं। इसी प्रकार युद्ध का विरोध करने वाले कुछ शान्तिवादी सभी प्रकार की जोर-जबरदस्ती जैसे शारीरिक बल प्रयोग या सम्पत्ति की बर्बादी इत्यादि के विरोधी नहीं होते। उदाहरण के लिए आमतौर पर शान्तिवादी हिंसा के बजाय आधुनिक राष्ट्र-राज्यों की सैनिक संस्थाओं के विशेष रूप से विरोधी होते हैं।
अन्य शान्तिवादी अहिंसा के सिद्धान्तों का पालन करते हैं, क्योंकि वे केवल अहिंसक क्रियाकलापों को ही स्वीकार्यता मिलने पर विश्वास करते हैं। इस प्रकार शान्तिवाद में सिद्धान्त व व्यावहारिकता दोनों का समावेश है। सैद्धान्तिक शान्तिवाद पूरी तरह सभी प्रकार की हिंसा का विरोधी है जबकि व्यावहारिक शान्तिवाद न्यायपूर्ण व उचित आधारों तक ही हिंसा को सीमित रखते हुए शान्तिपूर्ण उपायों को अपनाने पर बल देता है। शान्तिवाद वास्तव में एक निश्चित व सोची-समझी धारणा नहीं बल्कि आवश्यकता व परिस्थितियों के कारण उत्पन्न होने वाले शान्ति के विचारों व क्रियाकलापों का समूह है।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किसको नव सामाजिक आन्दोलन के रूप में अभिलक्षित किया जा सकता है?
(अ) कामगार आन्दोलन
(ब) किसान आन्दोलन
(स) शांति आन्दोलन
(द) उपनिवेश विरोधी आन्दोलन।
उत्तर:
(स) शांति आन्दोलन
प्रश्न 2.
भारत में अहिंसा का पुजारी कहा जाता है
(अ) रविन्द्रनाथ टैगोर को
(ब) महात्मा गाँधी को
(स) लाला लाजपत राय को
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) महात्मा गाँधी को
प्रश्न 3.
क्यूबा मिसाइल संकट उत्पन्न हुआ था
(अ) 1962 ई. में
(ब) 1991 ई. में
(स) 1945 ई. में
(द) 1972 ई. में।
उत्तर:
(अ) 1962 ई. में
प्रश्न 4.
दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे निवासी था
(अ) संयुक्त राज्य अमेरिका
(ब) जापान
(स) इटली
(द) जर्मनी
उत्तर:
(द) जर्मनी
प्रश्न 5.
उपन्यास 'हिरोशिमा के फूल' के लेखक हैं
(अ) रुदिता मॉरिस
(ब) गिरिराज किशोर
(स) मार्टिन लूथर
(द) विल्फ्रेडो पैरेटो।
उत्तर:
(अ) रुदिता मॉरिस