Rajasthan Board RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 9 संविधान - एक जीवंत दस्तावेज़ Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
भारतीय संविधान औपचारिक रूप से लागू किया गया।
(क) 26 नवम्बर 1949 को
(ख) 26 जनवरी 1950 को
(ग) 1 नवम्बर 1956 को
(घ) 15 अगस्त 1947 को।
उत्तर:
(ख) 26 जनवरी 1950 को
प्रश्न 2.
भारतीय संविधान संशोधन प्रक्रिया में सम्मिलित हैं
(क) संसद
(ख) राज्य विधान मण्डल
(ग) राष्ट्रपति
(घ) उक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उक्त सभी।
प्रश्न 3.
भारतीय संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया उल्लिखित है
(क) अनुच्छेद 368 में
(ख) अनुच्छेद 370 में
(ग) अनुच्छेद 386 में
(घ) अनुच्छेद 395 में।
उत्तर:
(क) अनुच्छेद 368 में
प्रश्न 4.
भारतीय संविधान को एक जीवंत दस्तावेज कहा जाता है? क्योंकि
(क) भारतीय संविधान स्थिर है
(ख) भारतीय संविधान गतिशील है
(ग) भारतीय संविधान में समयानुसार परिवर्तन किए जाते हैं ।
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ग) भारतीय संविधान में समयानुसार परिवर्तन किए जाते हैं ।
प्रश्न 5.
निम्न में से किसे हमने एक जीवंत दस्तावेज माना है
(क) संविधान को
(ख) संविधान संशोधन को
(ग) आरक्षण को
(घ) मूल कर्तव्य को।
उत्तर:
(क) संविधान को
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (शब्द सीमा-20 शब्द)
प्रश्न 1.
विभिन्न राष्ट्रों ने अपने संविधान किन कारणों से पुनः तैयार किए हैं ?
उत्तर:
विभिन्न राष्ट्रों ने परिस्थितिगत बदलाव, सामाजिक परिवर्तनों तथा कई बार राजनीतिक उठापटक के कारण अपने संविधान को पुनः तैयार किया है।
प्रश्न 2.
सोवियत संघ में 74 वर्षों के दौरान कितनी बार और कब-कब संविधान बदला गया ? .
उत्तर:
सोवियत संघ में 74 वर्षों के दौरान चार बार संविधान बदला गया। पहली बार 1918 ई. में, दूसरी बार 1924 ई. में, तीसरी बार 1936 ई. में तथा चौथी बार 1977 ई. में बदला गया।
प्रश्न 3.
भारतीय संविधान कब अंगीकृत और कब औपचारिक रूप से लागू किया गया ?
उत्तर:
भारतीय संविधान 26 नवम्बर, 1949 को अंगीकृत किया गया तथा इस संविधान को 26 जनवरी, 1950 को औपचारिक रूप से लागू किया गया।
प्रश्न 4.
लचीला संविधान से क्या आशय है ?
उत्तर:
ऐसा संविधान जिसमें आसानी से संशोधन किये जा सकते हों, लचीला संविधान कहलाता है। प्रश्न 5. कठोर संविधान से क्या आशय है ? उत्तर:
ऐसा संविधान जिसमें संशोधन करना बहुत कठिन होता है कठोर संविधान कहलाता है।
प्रश्न 6.
हमारा संविधान किन कारणों से कानून की एक बंद और जड़ किताब न बनकर एक जीवंत दस्तावेज के रूप में विकसित हो गया है ?
उत्तर:
अदालती फैसले और राजनीतिक व्यवहार ने संविधान के लचीलेपन का परिचय दिया है। इन्हीं कारणों से हमारा संविधान कानूनों की एक बंद और जड़ किताब न बनकर एक जीवंत दस्तावेज बन गया है।
प्रश्न 7.
किसी भी संविधान को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए क्यों सक्षम होना चाहिए?
उत्तर:
किसी भी संविधान को भविष्य की चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम होना चाहिए, क्योंकि यह न केवल समकालीन परिस्थितियों और प्रश्नों से जुड़ा होता है बल्कि उसके बहुत से तत्व स्थायी महत्व के होते हैं।
प्रश्न 8.
संविधान में संशोधन करना क्यों अनिवार्य है? बताइए।
उत्तर:
संविधान में संशोधन परिस्थिति और बदलाव को देखते हुए करना अनिवार्य है।
प्रश्न 9.
संविधान किसका प्रतिबिम्ब होता है?
उत्तर:
संविधान समाज की इच्छाओं और आकांक्षाओं का प्रतिबिम्ब होता है।
प्रश्न 10.
संविधान कोई जड़ और अपरिवर्तनीय दस्तावेज नहीं होता, क्यों ?
उत्तर:
संविधान इसलिए कोई जड़ और अपरिवर्तनीय दस्तावेज नहीं होता क्योंकि वह मनुष्य द्वारा निर्मित होने के कारण उसमें हमेशा संशोधन, बदलाव और पुनर्विचार की गुंजाइश रहती है तथा उसमें सामाजिक इच्छा-आकांक्षाओं का प्रतिबिम्ब होता है।
प्रश्न 11.
संविधान के किस अनुच्छेद में संशोधन विधि का वर्णन किया गया है?
उत्तर:
अनुच्छेद 368 में।
प्रश्न 12.
भारतीय संविधान का 42 वाँ संशोधन कब हुआ?
उत्तर:
सन् 1976 में।
प्रश्न 13.
भारतीय संविधान का 44 वाँ संशोधन कब किया गया?
उत्तर:
सन् 1978 में।
प्रश्न 14.
संविधान संशोधन में अनुच्छेद 368 का क्या महत्व है ?
उत्तर:
संसद अपनी संवैधानिक शक्ति के द्वारा और अनुच्छेद 368 में वर्णित प्रक्रिया के अनुसार संविधान में नए उपबंध जोड़ सकती है और पहले से विद्यमान उपबंधों को बदल या हटा सकती है।
प्रश्न 15.
हमारे संविधान निर्माता संविधान को कैसा दस्तावेज बनाने के पक्षधर थे ?
उत्तर:
हमारे संविधान निर्माता संविधान को एक संतुलित दस्तावेज बनाने के पक्षधर थे और वे चाहते थे कि संविधान को इतना लचीला होना चाहिए जिससे उसमें आवश्यकतानुसार बदलाव किए जा सकें।
प्रश्न 16.
संविधान की संशोधन प्रक्रिया में क्या किसी बाहरी एजेंसी की भी भूमिका होती है ? .
उत्तर:
संविधान संशोधन की प्रक्रिया संसद से ही शुरू होती है और उसके विशेष बहुमत के अलावा किसी बाहरी एजेंसी, जैसे संविधान आयोग या किसी अन्य निकाय की कोई भूमिका नहीं होती।
प्रश्न 17.
सदन में कोई सामान्य विधेयक कब पारित माना जाता है ?
उत्तर:
किसी विधेयक को पारित करने के लिए सदन में उपस्थित मतदान करने वाले सदस्यों में यदि आधे से अधिक सदस्य विधेयक के पक्ष में मतदान करते हैं तो वह पारित माना जाता है।
प्रश्न 18.
लोकसभा में किसी संशोधन विधेयक का समर्थन करने के लिए कितने सदस्यों की आवश्यकता होती है ?
उत्तर:
लोकसभा में 545 सदस्य होते हैं। वहाँ किसी भी संशोधन विधेयक का समर्थन करने के लिए कुल संख्या के आधे से अधिक अर्थात् 273 सदस्यों की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 19.
विश्व के आधुनिकतम संविधानों में संशोधन की प्रक्रियाओं में कितने सिद्धान्तों की भूमिका होती है ?
उत्तर:
विश्व के आधुनिकतम संविधानों में संशोधन की अनेक प्रक्रियाएँ हैं, जिनमें दो सिद्धान्तों की विशेष भूमिका होती हैं-पहला विशेष बहुमत का और दूसरा जनता की भागीदारी का।
प्रश्न 20.
संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका तथा रूस के संविधानों में संशोधन के किस सिद्धान्त का समावेश किया गया है ?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका तथा रूस के संविधानों में विशेष बहुमत के सिद्धान्त का समावेश किया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका में दो-तिहाई बहुमत का तथा दक्षिण अफ्रीका और रूस में तीन-चौथाई बहुमत का सिद्धांत लागू है।
प्रश्न 21.
जनता की भागीदारी का सिद्धान्त किन देशों में तथा किस रूप में अपनाया गया है ?
उत्तर:
जनता की भागीदारी का सिद्धान्त स्विट्जरलैंड, रूस और इटली में अपनाया गया है। स्विट्जरलैंड में जनता को संशोधन की प्रक्रिया शुरू करने तथा रूस और इटली में संशोधन करने या अनुमोदन का अधिकार है।
प्रश्न 22.
संशोधन प्रक्रिया के पीछे बुनियादी भावना क्या है ?
उत्तर:
संविधान संशोधन प्रक्रिया के पीछे बुनियादी भावना उसे समय के अनुसार परिवर्तित करना है।
प्रश्न 23.
डॉ. भीमराव अम्बेडकर के अनुसार बहुमत की धारणा के पीछे कौन-सी भावना कार्य करती है ?
उत्तर:
डॉ. भीमराव अंबेडकर के अनुसार संशोधन में बहुमत की धारणा के पीछे जनमत की भावना कार्य करती है और जनमत का यही सिद्धांत निर्णय प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
प्रश्न 24.
संविधान में राज्यों की शक्तियों को सुनिश्चित करने के लिए क्या व्यवस्था की गई है ?
उत्तर:
संविधान में राज्यों की शक्तियों को सुनिश्चित करने के लिए यह व्यवस्था की गई है कि राज्यों से सम्बन्धित संशोधन विधेयक को देश के आधे राज्यों के विधानमण्डलों द्वारा पारित करने पर ही वह प्रभावी माना जाएगा।
प्रश्न 25.
संविधान निर्माता किस बात को लेकर सचेत थे ?
उत्तर:
हमारे संविधान निर्माता इस बात को लेकर सचेत थे कि संविधान में संशोधन की प्रक्रिया को इतना आसान नहीं बना दिया जाए कि उसके साथ जब चाहे तब छेड़छाड़ की जाए।
प्रश्न 26.
किन संशोधनों के द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवा निवृत्ति की आयु सीमा को 60 वर्ष से 62 वर्ष किया गया है ?
उत्तर:
संविधान के 15वें संशोधन के द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा को 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दिया गया।
प्रश्न 27.
आपातकाल के दौरान संविधान में कौन-कौन से संशोधन किए गए और उनका लक्ष्य क्या था ?
उत्तर:
'1975 में लागू आपातकाल के दौरान संविधान में 38वाँ, 39वाँ और 42वाँ संशोधन किए गए जिनका लक्ष्य संविधान के कई महत्वपूर्ण हिस्सों में बुनियादी परिवर्तन करना था।
प्रश्न 28.
42वें संशोधन के द्वारा संविधान के किन हिस्सों में परिवर्तन किए गए ?
उत्तर:
42वें संशोधन के द्वारा संविधान की प्रस्तावना के साथ-साथ सातवीं अनुसूची तथा 53 अनुच्छेदों में परिवर्तन किए गए।
प्रश्न 29.
भारतीय संविधान के विकास को संविधान के कौन-से सिद्धान्त ने प्रभावित किया है ?
उत्तर:
भारतीय संविधान के विकास को संविधान की मूल संरचना के सिद्धान्त ने बहुत दूर तक प्रभावित किया है क्योंकि इस सिद्धान्त को न्यायपालिका ने केशवानंद भारती के मामले में प्रतिपादित किया था।
प्रश्न 30.
सर्वोच्च-न्यायालय ने केशवानंद के मामले में कब निर्णय दिया था ?
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद के मामले में सन् 1973 में निर्णय दिया था।
प्रश्न 31.
भारत सरकार ने किस वर्ष तथा किसकी अध्यक्षता में संविधान की समीक्षा हेतु एक आयोग गठित किया ?
उत्तर:
भारत सरकार ने सन् 2000 में उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश श्री वेंकटचलैया की अध्यक्षता में संविधान की समीक्षा हेतु एक आयोग गठित किया।
प्रश्न 32.
संविधान की मूल संरचना के संवेदनशील विचार को किसने स्वीकृति प्रदान की ?
उत्तर:
संविधान की मूल संरचना के संवेदनशील विचार को राजनैतिक दलों, राजनेताओं, सरकार तथा संसद ने स्वीकृति प्रदान
की।
प्रश्न 33.
संविधान सभा के सदस्य किस आदर्श में विश्वास करते थे? -
उत्तर:
संविधान सभा के सदस्य व्यक्ति की गरिमा और आजादी, सामाजिक-आर्थिक समानता, जनता की खुशहाली तथा राष्ट्रीय एकता में विश्वास करते थे।
प्रश्न 34.
लोकतांत्रिक राजनीति के अनिवार्य अंग कौन-कौन से होते हैं?
उत्तर:
बहस और मतभेद लोकतांत्रिक राजनीति के अनिवार्य अंग होते हैं।
प्रश्न 35.
लोकतंत्र का उद्देश्य और लोकतांत्रिक राजनीति का अंतिम लक्ष्य क्या है?
उत्तर:
लोकतंत्र का उद्देश्य और लोकतांत्रिक राजनीति का अंतिम लक्ष्य जनता की आजादी और खुशहाली है।
लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-40 शब्द)
प्रश्न 1.
हमारा संविधान एक मजबूत संविधान है। कैसे ?
उत्तर:
हमारा संविधान निश्चय ही एक मजबूत सिद्धांत है। इस संविधान की संरचना (बनावट) हमारे देश की परिस्थितियों के सर्वथा अनुकूल है। इसके साथ ही यह भी सही है कि हमारे संविधान-निर्माता अत्यन्त दूरदर्शी थे। उन्होंने भविष्य के कई प्रश्नों का समाधान उसी समय कर लिया था। फिर भी समय-समय पर इसमें संशोधन होते रहे हैं।
प्रश्न 2.
भारतीय संविधान कानूनों की एक बंद और जड़ किताब न होकर एक जीवंत दस्तावेज के रूप में विकसित हो सका है। कैसे ?
उत्तर:
यह सत्य है कि भारतीय संविधान में समय की आवश्यकता को देखकर इसके अनुकूल संशोधन किए जा सकते हैं। पुनः संविधान के व्यावहारिक कामकाज में इस बात की पूरी गुंजाइश रहती है कि किसी संवैधानिक बात की एकाधिक व्याख्याएँ की जा सकें। तात्पर्य यह कि हमारा संविधान लचीला है। अतः स्पष्ट है कि हमारा संविधान कानूनों की एक बंद और जड़ किताब न होकर एक जीवंत दस्तावेज के रूप में विकसित हो सका है।
प्रश्न 3.
संविधान निर्माण के समय किस बात का ध्यान रखना पड़ता है ?
उत्तर:
समाज के लिए संविधान बनाने वाले को एक आम चुनौती का सामना करना पड़ता है। उस समय समाज जिन समस्याओं का सामना कर रहा होगा उनके समाधान के प्रयासों की झलक संविधान के प्रावधान में दिखाई देगी। अतः संविधान बनाते समय इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि आने वाले समय में वह सरकारों के कामकाज के लिए एक रूपरेखा प्रदान करे।
प्रश्न 4
संविधान के विकास के लिए उत्तरदायी कोई दो कारक बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
भारत के संविधान की संशोधन विधि की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
त्रुटि सामने आने पर उसका निवारण सरलता से किया जा सके यह कहकर संविधान निर्माता क्या समझाना चाहते थे?
उत्तर:'
त्रुटि सामने आने पर उसका निवारण संशोधन द्वारा करने का संविधान में प्रावधान रखा गया है क्योंकि उन्हें संविधान को लचीला और कठोर बनाना था जिसमें लचीला' का अर्थ था- परिवर्तन के प्रति खुली दृष्टि और 'कठोर' का अर्थ था- अनावश्यक परिवर्तनों के प्रति सख्त रवैया। संविधान निर्माता यही बात समझाना चाहते थे।
प्रश्न 7.
भारतीय संविधान संघीय और एकात्मक में से किस पक्ष में है ?
उत्तर:
भारतीय संविधान एक संघीय राज्य व्यवस्था बनाने के पक्ष में है। इसलिए उसमें ऐसे प्रावधान किए गए हैं कि राज्यों की शक्तियों को उनकी सहमति के बिना नहीं हटाया जा सके। संविधान के कुछ पक्ष इतने केन्द्रीय महत्व के हैं कि इसके निर्माता उन्हें संशोधन की सीमा से बाहर रखना चाहते थे। इसलिए इन प्रावधानों की संशोधन प्रक्रिया को कठोर बनाना आवश्यक था।
प्रश्न 8.
क्या संविधान के कुछ अनुच्छेदों को संसद सामान्य कानून बनाकर संशोधित कर सकती है ?
उत्तर:
संविधान के कई अनुच्छेदों को संसद सामान्य कानून बनाकर संशोधित कर सकती है। ऐसा करने में किसी विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती। संविधान के उन हिस्सों को अत्यधिक लचीला बनाया गया है। संविधान के अनुच्छेद 2 और 3 में विधि द्वारा' शब्द का प्रयोग किया गया है। इन अनुच्छेदों में अनुच्छेद 368 में वर्णित प्रक्रिया को अपनाए बिना ही संसद संशोधन कर सकती है।
प्रश्न 9.
संविधान में संशोधन करने के लिए अनुच्छेद 368 में क्या प्रावधान किए गए हैं ?
उत्तर:
संविधान में संशोधन करने के लिए अनुच्छेद 368 में दो तरीके दिए गए हैं। ये तरीके संविधान के सभी अनुच्छेदों पर समान रूप से लागू नहीं होते। एक तरीके के अनुसार संसद के दोनों संदनों के विशेष बहुमत द्वारा संशोधन किया जा सकता है। दूसरा तरीका अधिक कठोर है। इसके लिए संसद के विशेष बहुमत और राज्य विधानमण्डलों की आधी संख्या की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 10.
कुछ मामलों में संविधान संशोधन की प्रक्रिया कठोर और जटिल कैसे है ?
उत्तर:
संसद तथा आवश्यकतानुसार कुछ मामलों में राज्य विधानमण्डलों में संशोधन पारित होने के बाद उसे पुष्ट करने के लिए किसी तरह के जनमत संग्रह की आवश्यकता नहीं होती। अन्य विधेयकों की तरह इसे भी राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जाता है, पर राष्ट्रपति को इस पर पुनर्विचार का अधिकार नहीं है। अत: स्पष्ट है कि कुछ मामलों में संविधान संशोधन की प्रक्रिया कठोर और जटिल है।
प्रश्न 11.
लचीले और कठोर संविधान में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 12.
हमारे संविधान में जटिलताओं से बचा गया है। इससे संशोधन की प्रक्रिया किस प्रकार प्रभावित हुई है ?
उत्तर:
हमारे संविधान में जटिलताओं से बचा गया है, जिससे संशोधन की प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल हो गई है। लेकिन इसके साथ ही एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि संशोधन के प्रश्न पर अंतिम राय जनता के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों की ही होती है। तात्पर्य यह कि संशोधन की प्रक्रिया का आधार निर्वाचित प्रतिनिधियों में निहित है।
प्रश्न 13.
क्या भारत का राष्ट्रपति संवैधानिक संशोधन विधेयक को पुनर्विचार हेतु सदन को वापस भेज सकता है ?
उत्तर:
भारतीय संसद के दोनों सदनों से पारित होने के पश्चात् अथवा आधे राज्यों के समर्थन की प्राप्ति के बाद संवैधानिक संशोधन विधेयक राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। हालांकि साधारण विधेयक को तो राष्ट्रपति एक बार पुनर्विचार हेतु वापस भेज सकते हैं, लेकिन संवैधानिक संशोधन विधेयक पर वह ऐसा नहीं कर सकते तथा उन्हें इस पर अपनी स्वीकृति देनी ही पड़ती है।
प्रश्न 14.
संसद में कोई विधेयक किस स्थिति में पारित किया जा सकता है ?
उत्तर:
लोकसभा में किसी विधेयक के पक्ष में 273 सदस्यों के समर्थन मिलने पर ही वहाँ उसे पारित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त संशोधन विधेयक को संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत के साथ स्वतंत्र रूप से पारित करना होगा। जब तक प्रस्तावित विधेयक पर पर्याप्त सहमति न बन जाए तब तक उसे पारित नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 15.
किस प्रकार अनुच्छेदों के संशोधन में राज्यों से परामर्श और उनकी सहमति की आवश्यकता होती है ?
उत्तर:
संविधान के कुछ अनुच्छेदों में संशोधन करने के लिए विशेष बहुमत ही पर्याप्त नहीं होता। उदाहरण के लिए राज्यों और केन्द्र सरकार के बीच शक्तियों के वितरण से संबंधित या जन प्रतिनिधित्व से संबंधित अनुच्छेदों में संशोधन करने के लिए राज्यों से परामर्श करने के साथ ही उनकी सहमति प्राप्त करना भी आवश्यक होता है।
प्रश्न 16.
भारतीय संविधान निर्माता किस बात को लेकर सचेत थे और उन्होंने किस बात का ख्याल रखा ?
उत्तर:
भारतीय संविधान की संशोधन प्रक्रिया में राज्यों को सीमित भूमिका दी गई है। हमारे संविधान निर्माता इस बात को लेकर सचेत थे कि संविधान में संशोधन की प्रक्रिया को इतना लचीला न बना दिया जाए कि उसके साथ जब चाहें छेड़खानी की जा सके। उन्होंने इस बात का भी ख्याल रखा कि भावी पीढ़ियाँ अपने समय की आवश्यकताओं के अनुसार इसमें संशोधन कर सकें।
प्रश्न 17.
न्यायपालिका और सरकार के बीच अक्सर मतभेद क्यों होते रहे हैं ?
उत्तर:
संविधान की व्याख्या को लेकर न्यायपालिका और सरकार के बीच प्रायः मतभेद उत्पन्न होते रहते हैं। इस तरह मतभेद पैदा होने पर संसद संशोधन का सहारा लेकर संविधान की किसी एक व्याख्या को प्रामाणिक सिद्ध करता है। प्रजातंत्र में विभिन्न संस्थाएँ संविधान और अपनी शक्तियों की व्याख्या अपने-अपने तरीके से करती हैं जो लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक अहम् लक्षण है।
प्रश्न 18.
संसद और न्यायपालिका के बीच उत्पन्न विवादों से संबंधित तीन दृष्टांतों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संसद और न्यायपालिका के बीच उत्पन्न विवादों से संबंधित पहला मतभेद मौलिक अधिकारों और नीति निर्देशक सिद्धान्तों से संबंधित था। दूसरे, निजी संपत्ति के अधिकार की सीमा तथा संविधान में संशोधन के अधिकार की सीमा को लेकर भी दोनों के बीच मतभेद होते रहे हैं। तीसरे, 1970 से 1975 ई. के बीच संसद ने न्यायपालिका की प्रतिकूल व्याख्या को निरस्त करने हेतु बार-बार संशोधन किए।
प्रश्न 19.
केशवानन्द भारती विवाद में न्यायपालिका ने संवैधानिक विकास में क्या सहयोग प्रदान किया ?
उत्तर:
केशवानन्द भारती विवाद के ऐतिहासिक फैसले द्वारा न्यायपालिका ने संवैधानिक विकास में निम्नलिखित सहयोग प्रदान किया
प्रश्न 20.
संरचना का सिद्धांत स्वयं में ही एक जीवंत संविधान का उदाहरण है। कैसे ?
उत्तर:
संविधान में संरचना के सिद्धान्त की अवधारणा का कोई उल्लेख नहीं मिलता। यह न्यायिक व्याख्याओं से जन्म लेने वाला एक विचार है। बीते तीस वर्षों के दौरान बुनियादी संरचना के सिद्धांत को व्यापक स्वीकृति मिली है। इस दृष्टि से न्यायपालिका और उसकी व्याख्याओं के चलते ही संविधान में संशोधन हुए हैं। अतः स्पष्ट है कि संरचना का सिद्धांत स्वयं में ही एक जीवंत संविधान का उदाहरण है।
प्रश्न 21.
न्यायालय ने संविधान की मूल संरचना पर विशेष ध्यान क्यों दिया ?
उत्तर:
क्योंकि इसके बिना संविधान की कल्पना ही नहीं की जा सकती। न्यायालय का यह मत है कि किसी दस्तावेज को पढ़ते समय हमें उसके निहितार्थ पर ध्यान देना चाहिए, कानून की भाषा की अपेक्षा उस कानून या दस्तावेज के पीछे कार्य करने वाली सामाजिक परिस्थितियाँ और अपेक्षाएँ अधिक महत्वपूर्ण होती हैं। इसलिए न्यायालय ने संविधान की मूल संरचना पर विशेष ध्यान दिया।
प्रश्न 22.
न्यायालयों द्वारा कई मामलों में बुनियादी संरचना के तत्वों को निर्धारित करने के लिए किए गए प्रयासों का संविधान पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
1973 ई. के बाद न्यायालयों ने कई मामलों में बुनियादी संरचना के तत्वों को निर्धारित करने के प्रयास किए। इस कारण बुनियादी संरचना के सिद्धांत से संविधान की कठोरता और लचीलेपन का संतुलन और मजबूत हुआ है। संविधान के कुछ अंश को संशोधन की सीमा से बाहर रखने और कुछ को संशोधित करने की अनुमति देने से संतुलन निश्चित रूप से पुष्ट हुआ है।
प्रश्न 23.
नवें दशक के अंतिम वर्षों में सम्पूर्ण संविधान की समीक्षा के लिए भारत सरकार ने क्या किया ?
अथवा एक उदाहरण देकर बताइए कि हमारे संविधान में बुनियादी संरचना के सिद्धांत को बहुत अधिक महत्व दिया गया है?
उत्तर:
नवें दशक के अंतिम वर्षों में सम्पूर्ण संविधान की समीक्षा के लिए भारत सरकार ने सन् 2000 में उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश श्री वेंकटचलैया की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया। विपक्षी दल तथा अन्य संगठनों ने आयोग का विरोध किया। लेकिन आयोग ने बुनियादी संरचना में विश्वास जताया तथा ऐसे किसी कदम की सिफारिश नहीं की जिससे संविधान की बुनियादी संरचना को चोट पहुँचती हो। इससे पता चलता है कि हमारे संविधान में बुनियादी संरचना के सिद्धांत को बहुत अधिक महत्व दिया गया है।
प्रश्न 24.
क्या कारण है कि आधी सदी गुजर जाने के बाद भी लोग संविधान का सम्मान करते हैं और उसे महत्व देते हैं?
उत्तर:
संविधान का निर्माण करते समय भारत के नेताओं और जनता के समक्ष एक साझे भविष्य की तस्वीर थी। संविधान सभा के सदस्य भी इस आदर्श अर्थात व्यक्ति की गरिमा और आजादी, सामाजिक आर्थिक समानता, जनता की खुशहाली तथा राष्ट्रीय एकता में विश्वास करते थे। यह आदर्श आज भी धूमिल नहीं पड़ा है। यही कारण है कि आधी सदी गुजर जाने के पश्चात भी लोग संविधान का सम्मान करते हैं और उसे महत्व देते हैं।
लघु उत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-100 शब्द)
प्रश्न 1.
भारतीय संविधान के निर्माताओं को किस समस्या का आभास था ? समस्या के समाधान के लिए उन्होंने क्या किया ?
उत्तर:
भारतीय संविधान निर्माताओं को इस समस्या का आभास था कि भविष्य में यह प्रश्न उठ सकता है कि क्या इसकी पवित्रता के कारण इसमें कोई बदलाव किया ही नहीं जा सकता अथवा सामान्य कानून की तरह जब चाहे बदलाव किए जा सकते हैं। इसलिए उन्होंने संविधान में एक संतुलन उत्पन्न करने का प्रयास किया तथा उसे सामान्य कानून से ऊँचा स्थान दिया ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ उसे सम्मान की दृष्टि से देखें। उन्होंने इस बात का भी ध्यान रखा कि भविष्य में इसमें संशोधन की आवश्यकता पड़ सकती है। उन्हें इस बात का ज्ञान था कि समाज में किसी मत विशेष की ओर अधिक आकृष्ट होने पर संविधान के प्रावधानों में संशोधन की आवश्यकता का अनुभव होगा। अतः संविधान निर्माताओं द्वारा यह ध्यान रखा गया कि उसे पवित्र मानते हुए इतना लचीला भी बनाया गया कि आवश्यकतानुसार उसमें यथोचित बदलाव किया जा सके।
प्रश्न 2.
"भारतीय संविधान लचीला और कठोर दोनों है।" इस कथन की व्याख्या कीजिए। अथवा भारतीय संविधान की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह न तो पूर्णतः लचीला है और न ही पूर्णतः कठोर है।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह न तो पूर्णतः लचीला है और न ही पूर्णतः कठोर है। लचीला संविधान उसे कहा जाता है जिसमें संशोधन उतनी ही सरलता से किया जाता है, जितनी सरलता से कोई कानून बनाया जा सकता है। भारतीय संविधान के कुछ अनुच्छेदों को जैसे कि राज्यों के नाम बदलना, उनकी सीमाओं में परिवर्तन करना, राज्यों में विधान परिषद को बनाना या उसे समाप्त करना आदि को संसद के दोनों सदनों द्वारा उपस्थित सदस्यों के साधारण बहुमत से बदला जा सकता है। इस तरह भारतीय संविधान लचीला है। संविधान के कुछ अनुच्छेदों में परिवर्तन करने के लिए संसद के दोनों सदनों का दो-तिहाई बहुमत जरूरी है। परन्तु संविधान के कुछ महत्वपूर्ण अनुच्छेदों में परिवर्तन के लिए संसद के दो-तिहाई बहुमत के पश्चात कम-से कम आधे राज्यों के विधान मण्डलों द्वारा संशोधन प्रस्ताव पर समर्थन प्राप्त होना आवश्यक है। यह तरीका बहुत कठोरता लिए हुए और इसको देखते हुए भारतीय संविधान को कठोर कहा गया है।
प्रश्न 3.
भारतीय संविधान में अधिक संशोधन होने के क्या कारण हैं? बताइए। उत्तर- भारतीय संविधान में अधिक संशोधन होने के निम्नलिखित कारण हैं
प्रश्न 4.
सामान्य विधेयक और संविधान संशोधन विधेयक में क्या अन्तर है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामान्य विधेयक और संविधान संशोधन विधेयक में अन्तर-जो विधेयक सदन में उपस्थित सदस्यों के साधारण बहुमत से पारित होता है, सामान्य विधेयक है। मान लिया कि सदन में 252 सदस्य उपस्थित हैं और वे सभी सदस्य एक विधेयक पर मतदान करते हैं। यदि इन सदस्यों में से कम-से-कम 127 सदस्य विधेयक के पक्ष में मतदान करते हैं, तो वह सामान्य विधेयक पारित माना जाएगा। लेकिन संविधान संशोधन विधेयक को पारित करने के लिए दो प्रकार के विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है। सबसे पहले संशोधन विधेयक के पक्ष में मतदान करने वाले सदस्यों की संख्या सदन के कुल सदस्यों की संख्या की कम-से-कम आधी होनी चाहिए। पुनः संशोधन का समर्थन करने वाले सदस्यों की संख्या मतदान में भाग लेने वाले सभी सदस्यों की दो तिहाई होनी चाहिए। संशोधन विधेयक को संसद के दोनों सदनों में स्वतंत्र रूप से पारित किया जाना चाहिए। कोई भी संशोधन विधेयक विशेष बहुमत के बिना पारित नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 5.
संविधान की समझ को बदलने में न्यायिक व्याख्याओं की अहम् भूमिका रही है। कैसे ?
अथवा
"न्यायालय के आदेशों की भी संविधान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।" इस कथन की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
इसमें दो मत नहीं कि संविधान की समझ को बदलने में न्यायिक व्याख्याओं की अहम् भूमिका रही है। उदाहरण के लिए नौकरियों तथा शैक्षिक संस्थाओं में आरक्षण सीमा तय करने के संबंध में उच्चतम न्यायालय ने फैसला दिया कि आरक्षित सीटों की संख्या सीटों की कुल संख्या के आधे से अधिक नहीं होनी चाहिए। यह निर्णय एक सिद्धांत के रूप में स्वीकार कर लिया गया है। उच्चतम न्यायालय ने अन्य पिछड़े वर्गों को आरक्षण नीति के अन्तर्गत रखते हुए यह फैसला दिया कि क्रीमी लेयर से संबंधित व्यक्तियों को आरक्षण के लाभ नहीं मिलने चाहिए। इसी प्रकार न्यायपालिका ने शिक्षा, जीवन, स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक समूहों की संस्थाओं की स्थापना और उनके प्रबंधन के अधिकारों के उपबंधों में अनौपचारिक रूप से कई संशोधन किए हैं। इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि न्यायालय के आदेशों की भी संविधान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
प्रश्न 6.
भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज है, कैसे ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान को एक जीवंत दस्तावेज की उपमा दी जाती है। लगभग एक जीवित प्रणाली की तरह यह दस्तावेज समय-समय पर उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों के अनुरूप कार्य करता है। भारत का संविधान जीवंत प्राणी की भाँति ही यह अनुभव से सीखता है। हमारे देश का संविधान अपनी गतिशीलता, व्याख्याओं के खुलेपन तथा परिवर्तित परिस्थितियों के अनुरूप बदलने की विशेषताओं से परिपूर्ण होने की वजह से प्रभावशाली रूप से कार्य कर रहा है। लोकतांत्रिक संविधान का असली मानदण्ड यही है। जो संविधान लोकतन्त्र को समर्थ बनाते हुए नवीन प्रयोगों के विकास का रास्ता खोलता है वह सिर्फ टिकाऊ ही नहीं बल्कि अपने देश के नागरिकों के मध्य सम्मान का पात्र भी होता है। भारतीय संविधान लोकतन्त्र का संरक्षण करने में पूर्ण सक्षम है। इसमें संसद की सर्वोच्चता विद्यमान है। संसदीय लोकतन्त्र में संसद देश की आम जनता का प्रतिनिधित्व करती है। ऐसी मान्यता है कि कार्यपालिका तथा न्यायपालिका पर इसको वरीयता प्राप्त है। इन्हीं गुणों के आधार पर भारतीय संविधान को एक जीवंत दस्तावेज माना जाता है।
निबंधात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-150 शब्द)
प्रश्न 1
आप किस प्रकार कह सकते हैं कि हमारा संविधान एक जीवंत दस्तावेज है? व्याख्या कीजिए।
अथवा
हमने संविधान को एक जीवंत दस्तावेज माना है। इसका क्या अर्थ है? विस्तारपूर्वक बताइए।
उत्तर:
हमारा संविधान एक जीवंत दस्तावेज के रूप में- हमारे संविधान को एक जीवन्त दस्तावेज माना है। यह दस्तावेज एक जीवित प्राणी की तरह समय-समय पर उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों के अनुरूप कार्य करता है। भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को अंगीकृत किया गया और 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया। वर्तमान में भी यह संविधान कार्य कर रहा है, परन्तु समय-समय पर परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुरूप इसमें 12 जनवरी, 2013 तक 103 संशोधन किए जा चुके हैं। संविधान निर्माताओं को यह आभास था कि भविष्य में इस संविधान में परिवर्तन की आवश्यकता होती रहेगी। अत: उन्होंने संविधान संशोधन की प्रक्रिया के लिए तीन प्रणालियाँ विकसित की
(1) साधारण विधि- संविधान के कुछ अनुच्छेदों में संसद साधारण बहुमत से संशोधन कर सकती है। संशोधन का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में रखा जा सकता। जब दोनों सदन उपस्थित सदस्यों के साधारण बहुमत से प्रस्ताव पास कर देते हैं, तब उसे राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है। राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने पर संशोधन प्रस्ताव पास हो जाता है।
(2) विशेष विधि- हमारे संविधान के कुछ अनुच्छेदों का संशोधन एक विशेष विधि से होता है। इसके अनुसार संशोधन सम्बन्धी विधेयक संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है और यह सदन की कुल संख्या के साधारण बहुमत द्वारा उपस्थित व मत देने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत द्वारा संशोधन विधेयक एक सदन से दूसरे सदन के लिए भी यही तरीका अपनाया जाता है। उसके पश्चात राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए जाता है और उसके हस्ताक्षर के बाद संविधान संशोधन विधेयक पारित समझा जाता है। हमारे संविधान के जिन विषयों का उल्लेख पहले व तीसरे वर्ग में किया गया है, उनको छोड़कर संविधान के अन्य सभी अनुच्छेद इसी क्रिया से बदले जाते हैं।
(3) राज्यों का समर्थन प्राप्त करके संसद द्वारा संशोधन की विधि- इस प्रणाली में भी संशोधन का विधेयक दोनों सदनों द्वारा उपस्थित सदस्यों के 2/3 बहुमत तथा कुल सदस्यों के पूर्ण बहुमत द्वारा पास किया जाता है। इस प्रकार के संशोधनों को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजने से पहले कम से कम आधे राज्यों के विधान मण्डलों से स्वीकृत कराना पड़ता है।
अतः समय के साथ-साथ इसमें संशोधन भी हो रहे हैं तथा इसका मूल ढाँचा आज तक अपरिवर्तनीय बना हुआ है। यह संविधान लचीले और कठोर रूप का समन्वय है। हमारा संविधान निरन्तर गतिशील बना हुआ है जीवन्त प्राणी की तरह यह अनुभव से सीखता है, समाज में इतने अधिक परिवर्तन होने के बावजूद भी हमारा संविधान अपनी गतिशीलता, व्याख्याओं के खुलेपन और बदलती परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तनशीलता की विशेषताओं के कारण प्रभावशाली रूप से कार्य कर रहा है। यही लोकतंत्रात्मक संविधान का वास्तविक मापदण्ड है।
प्रश्न 3.
संविधान भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए अधिक महत्वपूर्ण है, क्यों? विस्तारपूर्वक बताइए।
अथवा
लोकतांत्रिक देशों में संविधान का महत्व अपेक्षाकृत क्यों अधिक होता है? बताइए।
उत्तर:
भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों में संविधान का महत्व निम्नलिखित कारणों से अधिक है-
(1) सरकार की समस्त शक्तियों का उल्लेख संविधान में ही निहित होना- एक लोकतांत्रिक देश में प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से देश के नागरिक सरकार की कार्यप्रणाली में भाग लेते हैं। सरकार ही वह संस्था है, जिसमें सम्पूर्ण देश की शक्तियाँ निहित होती हैं। इन शक्तियों का उल्लेख संविधान में किया गया है।
(2) लोकतंत्र में संविधान द्वारा नागरिकों को अधिकार व कर्तव्य प्रदान करना- संविधान लोकतांत्रिक सरकार में नागरिकों को अधिकार और कर्तव्य प्रदान करता है। सरकारें बदलती रहती हैं। कोई भी सरकार अपनी मनमानी करके नागरिकों के अधिकारों का हनन नहीं कर सकती अगर गलती से भी वह ऐसा करना चाहती है, तो संविधान में न्यायपालिका की व्यवस्था और उस पर नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण का दायित्व दिया होता है।
(3) सरकार के अंगों के कार्यक्षेत्र, कर्तव्यों और अधिकारों का उल्लेख संविधान में होना- सरकार के तीन अंगविधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका होते हैं। संविधान इन तीनों अंगों के कार्यक्षेत्र, कर्तव्यों और अधिकारों आदि का पर्याप्त विवरण अपने में समाया होता है। लिखित रूप होने के कारण सरकार के तीनों अंग केवल अपने-अपने अधिकारों और कार्यक्षेत्रों तक सीमित रहते हैं। वे एक-दूसरे के कार्यक्षेत्र में प्रवेश करने का प्रयास नहीं करते।
(4) संघीय व्यवस्था में संघ सरकार और राज्य सरकारों के मध्य टकराव को रोकना- भारत में संघात्मक लोकतंत्र है। इसके अंतर्गत दो सरकारें- संघ सरकार और राज्य सरकार साथ-साथ कार्य करती हैं। विषय सूचियों के माध्यम से दोनों सरकारों के अधिकार और कार्यक्षेत्र निर्धारित होते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि केन्द्र में किसी एक दल या कुछ दलों की संयुक्त सरकार होती है, यद्यपि विभिन्न राज्यों में विभिन्न दलों की सरकारें होती हैं। दोनों स्तरों की सरकारों में टकराव न हो या एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के लगाने के अवसर कम से कम उत्पन्न हों, ऐसी व्यवस्थाएँ केवल संविधान में ही संभव है।
(5) संविधान का एक जीवन्त दस्तावेज होना- संविधान एक जीवित दस्तावेज होता है, जिसमें समयानुसार नागरिकों की इच्छानुसार राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आवश्यकता अनुसार समय-समय पर संशोधन की गुंजाइश होती है। उसके लिए निर्धारित प्रक्रिया होती है।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्ता ।
प्रश्न 1.
संविधान में संशोधन नहीं किए जा सकते हैं
(अ) लोकसभा व राज्यसभा के साधारण बहुमत से
(ब) संसद सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से
(स) संसद सदस्यों के दो तिहाई व राज्यों के एक तिहाई बहुमत से
(द) जनमत संग्रह से।
उत्तर:
(द) जनमत संग्रह से।
प्रश्न 2.
42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 से भारतीय संविधान में एक नया अध्याय जोड़ा गया-(BPSC प्री परीक्षा)
(अ) संघीय क्षेत्रों के प्रशासन से सम्बन्धित
(ब) अन्तर्राज्यीय परिषद का निर्माण
(स) मौलिक कर्त्तव्य
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) मौलिक कर्त्तव्य
प्रश्न 3.
किस वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि संसद को मूल अधिकार में संशोधन करने की शक्ति प्राप्त है, पर वह संविधान के मूल ढाँचे में संशोधन नहीं कर सकती।
(अ) केशवानंद भारती वाद
(ख) गोलकनाथ वाद
(स) गोपालन वाद
(द) मिनर्वा वाद ।
उत्तर:
(अ) केशवानंद भारती वाद
प्रश्न 4.
31वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या कितनी निर्धारित की गई?
(अ) 530
(ब) 540
(स) 542
(द) 545
उत्तर:
(द) 545
प्रश्न 5.
निम्न में से किस तिथि को भारतीय संविधान लागू किया गया था
(अ) 26 जनवरी 1950
(ब) 26 जनवरी 1949
(स) 26 नवम्बर 1949
(द) 31 दिसम्बर 1949
उत्तर:
(अ) 26 जनवरी 1950