Rajasthan Board RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 7 संघवाद Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
संघीय व्यवस्था में स्वतन्त्र न्यायपालिका की आवश्यकता होती है
(क) केन्द्र सरकार को नियन्त्रण में रखने हेतु
(ख) राज्य सरकार को नियन्त्रण में रखने हेतु
(ग) जनसाधारण की स्वतन्त्रता की रक्षा हेतु
(घ) केन्द्र एवं राज्य सरकारों के मध्य विवादों को सुलझाने हेतु।
उत्तर:
(घ) केन्द्र एवं राज्य सरकारों के मध्य विवादों को सुलझाने हेतु।
प्रश्न 2.
निम्न में से राष्ट्रीय महत्व का विषय है
(क) प्रतिरक्षा
(ख) कृषि
(ग) स्थानीय प्रशासन
(घ) भूमि।
उत्तर:
(क) प्रतिरक्षा
प्रश्न 3.
निम्न में से किस राज्य में विशिष्ट इतिहास और संस्कृति वाली जनजातीय बहुल जनसंख्या निवास करती है
(क) नागालैण्ड
(ख) मिजोरम
(ग) अरूणाचल प्रदेश
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 4.
निम्न में से किस वर्ष सरकारिया आयोग गठित किया गया था
(क) 1947 में
(ख) 1983 में
(ग) 1985 में
(घ) 2005 में।
उत्तर:
(ख) 1983 में
प्रश्न 5.
निम्न में से किस वर्ष राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन हुआ था ?
(क) 1949 में
(ख) 1953 में
(ग) 1955 में
(घ) 1956 में।
उत्तर:
(ख) 1953 में
1. (घ) 2. (क) 3. (घ) 4. (ख) 5. (ख)
प्रश्न-रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(i) निश्चित रूप से ................ एक संस्थागत प्रणाली है जो दो प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाओं को समाहित करती है।
(ii) हमारी प्रशासकीय व्यवस्था ................ है।
(iii) ................. की भूमिका केन्द्र और राज्यों के मध्य हमेशा ही विवाद का विषय रही है।
(iv) कावेरी जल विवाद तमिलनाडु और ................ के बीच एक प्रमुख विवाद है।
उत्तर:
(i) संघवाद
(ii) इकहरी
(iii) राज्यपाल
(iv) कर्नाटक।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-20 शब्द)
प्रश्न 1.
सोवियत संघ अनेक स्वतंत्र देशों में कब बँट गया ?
उत्तर:
सोवियत संघ सन् 1989 के बाद अनेक स्वतंत्र देशों में बँट गया।
प्रश्न 2.
सोवियत संघ से अलग हुए कुछ देशों ने मिलकर कौनसा संगठन बनाया?
उत्तर:
सोवियत संघ से अलग हुए कुछ देशों ने मिलकर 'स्वतंत्र राज्यों का राष्ट्रमण्डल' बना लिया।
प्रश्न 3.
सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख कारण क्या थे ?
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख कारण वहाँ शक्तियों का जमाव और अत्यधिक केन्द्रीकरण की प्रवृत्ति के साथ-साथ भिन्न भाषा और संस्कृति पर रूस का आधिपत्य भी थे।
प्रश्न 4.
'वेस्टइंडीज संघ' (फेडरेशन ऑफ वेस्टइंडीज) का उदय कब हुआ?
उत्तर:
सन् 1958 ई. में वेस्टइंडीज संघ' (फेडरेशन ऑफ वेस्टइंडीज) का उदय हुआ।
प्रश्न 5.
संघवाद किन परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न रूप ग्रहण करता है ?
उत्तर:
संघवाद शासन के सिद्धान्त के रूप में विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न स्वरूप ग्रहण करता है।
प्रश्न 6.
संघीय राज्य की शुरुआत कहाँ से हुई ?
उत्तर:
संघीय राज्य कीशुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका से हुई, किन्तु वह भारत और जर्मनी के संघवाद से भिन्न है।
प्रश्न 7.
भारत में कैसी नागरिकता की व्यवस्था है ?
उत्तर:
भारत में इकहरी नागरिकता की व्यवस्था है।
प्रश्न 8.
न्यायपालिका की व्यवस्था क्यों की जाती है ?
उत्तर:
दो पक्षों के मध्य किसी टकराव को रोकने और उनके बीच के संघर्षों के समाधान के लिए न्यायपालिका की व्यवस्था की जाती है।
प्रश्न 9.
संघवाद के वास्तविक कामकाज का निर्धारण कैसे होता है ?
उत्तर:
संघवाद के वास्तविक कामकाज का निर्धारण राजनीति, संस्कृति, विचारधारा और इतिहास की वास्तविकताओं से होता है।
प्रश्न 10.
उत्तरी और दक्षिणी नाइजीरिया कब तक किसके उपनिवेश थे ?
उत्तर:
उत्तरी और दक्षिणी नाइजीरिया सन् 1914 तक ब्रिटेन के दो उपनिवेश थे।।
प्रश्न 11.
नाइजीरिया के नेताओं ने एक संघीय संविधान बनाने का निर्णय कब लिया ?
उत्तर:
नाइजीरिया के नेताओं ने सन् 1950 में इबादान संवैधानिक सम्मेलन में एक संघीय संविधान बनाने का निर्णय लिया।
प्रश्न 12.
नाइजीरिया में कब लोकतंत्र की पुनः बहाली हुई ?
उत्तर:
सन 1999 में नाइजीरिया में लोकतंत्र की पुनः बहाली हुई।
प्रश्न 13.
भारतीय संविधान द्वारा अंगीकृत संघीय व्यवस्था का सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर:
भारतीय संविधान द्वारा अंगीकृत संघीय व्यवस्था का सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिद्धान्त यह है कि केन्द्र और राज्यों के बीच संबंध सहयोग पर आधारित होगा।
प्रश्न 14.
भारत के संविधान में आर्थिक और वित्तीय शक्तियाँ किसे सौंपी गई हैं ?
उत्तर:
भारत के संविधान में आर्थिक और वित्तीय शक्तियाँ केन्द्रीय सरकार को सौंपी गई हैं।
प्रश्न 15.
संघ सूची के किन्हीं चार विषयों का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 16.
राज्य सूची के किन्हीं चार विषयों का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 17.
समवर्ती सूची के किन्हीं चार विषयों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 18.
अवशिष्ट सूची के विषयों पर कौन कानून बना सकता है?
उत्तर:
केन्द्रीय विधायिका (संसद)।
प्रश्न 19.
देश की एकता बनाए रखने के साथ-साथ संविधान निर्माता क्या चाहते थे ?
उत्तर:
संविधान निर्माता चाहते थे कि सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का समाधान एक शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार करे और उसमें राज्यों का सहयोग भी प्राप्त हो।
प्रश्न 20.
संविधान निर्माताओं को एक सशक्त केन्द्रीय सरकार बनाने की प्रेरणा किसने दी ?
उत्तर:
गरीबी, निरक्षरता और आर्थिक असमानता आदि समस्याओं के समाधान के लिए नियोजन और समन्वय की आवश्यकता ने संविधान निर्माताओं को एक सशक्त केन्द्रीय सरकार बनाने की प्रेरणा दी।
प्रश्न 21.
आपातकाल में संसद को कैसी शक्ति प्राप्त हो जाती है ?
उत्तर:
आपातकाल में शक्तियाँ केन्द्रीकृत हो जाती हैं जिससे संसद को राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विषयों पर भी कानून बनाने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।
प्रश्न 22.
केन्द्र सरकार को किस स्थिति में पहले राज्य सभा की अनुमति की आवश्यकता होती है ?
उत्तर:
राज्य सूची के विषयों पर केन्द्र सरकार द्वारा कानून बनाने की स्थिति में पहले राज्य सभा की अनुमति लेने की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 23.
पं. जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय संघीय व्यवस्था की नींव कब रखी ?
उत्तर:
पं. जवाहरलाल नेहरू ने 1950 तथा 1960 के दशक के प्रारम्भिक वर्षों में भारतीय संघीय व्यवस्था की नींव रखी।
प्रश्न 24.
समय-समय पर किन राज्यों ने और अधिक स्वायत्तता की माँग की ?
उत्तर:
समय-समय पर तमिलनाडु, पंजाब, पश्चिम बंगाल राज्यों ने और अधिक स्वायत्तता की माँग की।
प्रश्न 25.
1977 में पश्चिम बंगाल की वामपंथी सरकार ने किस हेतु दस्तावेज काशित किया ?
उत्तर:
1977 में पश्चिम बंगाल की वामपंथी सरकार ने केन्द्र-राज्य संबंधों को पुनर्परिभाषित करने हेतु एक दस्तावेज प्रकाशित किया।
प्रश्न 26.
1960 के दशक में कुछ राज्यों में किसके विरोध में आंदोलन हुए ?
उत्तर:
1960 के दशक में कुछ राज्यों में हिन्दी को लागू करने के विरोध में आन्दोलन हुए।
प्रश्न 27.
प्रशासनिक सुविधा के लिए 2000 ई. में किन राज्यों को विभाजित किया गया ?
उत्तर:
प्रशासनिक सुविधा के लिए 2000 ई. में बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को विभाजित कर तीन नए राज्य क्रमशः झारखंड, उत्तरांचल (अब उत्तराखंड) तथा छत्तीसगढ़ बनाए गए।
प्रश्न 28.
आमतौर पर राज्यों के मध्य कितने प्रकार के विवाद उत्पन्न होते हैं?
उत्तर;
प्रश्न 29.
कावेरी जल विवाद का मामला किन-किन राज्यों के बीच था?
उत्तर:
कावेरी जल विवाद का सम्बन्ध तमिलनाडू और कर्नाटक राज्यों के बीच था।
लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-40 शब्द)
प्रश्न 1.
सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख कारण क्या थे ?
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख कारण थे वहाँ शक्तियों का जमाव और अत्यधिक केन्द्रीकरण की प्रवृत्तियाँ। पुनः उज्बेकिस्तान जैसे भिन्न भाषा और संस्कृति वाले क्षेत्रों पर रूस के आधिपत्य ने भी सोवियत संघ के विघटन को बढ़ावा दिया। इस प्रकार शक्तियों में वृद्धि, केन्द्रीकरण की प्रवृत्तियाँ, भाषा एवं संस्कृति सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख कारण थीं।
प्रश्न 2.
भारत की विविधता में भी एकता है', कैसे ?
उत्तर:
भारतीय भू-भाग एक विशाल महाद्वीप की तरह है, जहाँ अनेक विविधताएँ हैं। यहाँ 20 प्रमुख और सैकड़ों अन्य छोटी भाषाएँ हैं। यहाँ अनेक जाति एवं धर्म के लोग निवास करते हैं। देश के विभिन्न भागों में करोड़ों आदिवासी निवास करते हैं। इन विविधताओं के बावजूद हम भारतीय एक साझी जमीन पर रहते हैं। हमारा एक साझा इतिहास है। अतः स्पष्ट है कि भारत की 'विविधता में भी एकता है।
प्रश्न 3.
संघवाद क्या है?
उत्तर:
संघवाद एक संस्थागत प्रणाली है जो दो प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाओं को समाहित करती है। इसमें एक प्रान्तीय स्तर की होती है और दूसरी केन्द्रीय स्तर की। प्रत्येक सरकार अपने क्षेत्र में स्वायत्त होती है। इसमें संविधान द्वारा शक्तियों को केन्द्र और प्रान्तों की सरकारों में विभाजित कर दिया जाता है तथा प्रायः दोहरी नागरिकता पाई जाती है; संविधान सर्वोच्च होता है, न्यायपालिका स्वतंत्र होती है।
प्रश्न 4.
संघवाद के वास्तविक कार्यों का निर्धारण किन तत्वों से होता है ?
उत्तर:
संघवाद के वास्तविक कार्यों का निर्धारण राजनीति, संस्कृति, विचारधारा तथा इतिहास की वास्तविकताओं से होता है। आपसी विश्वास, सहयोग, सम्मान और संयम की संस्कृति हो, तो संघवाद का कार्य आसानी से चलता है। यदि कोई एक इकाई, प्रांत, भाषाई समुदाय या विचारधारा सम्पूर्ण संघ पर हावी हो जाए, तो दबदबा कायम करने वाली ताकत के साथ जो इकाइयाँ या लोग नहीं हैं उनमें विरोध पनपता है।
प्रश्न 5.
भारतीय संविधान विविधता को मान्यता देने के साथ ही एकता पर बल देता है, कैसे ?
उत्तर:
भारत विभाजन का निर्णय होने पर संविधान सभा ने ऐसी सरकार के गठन का निर्णय लिया जो केन्द्र और राज्यों के आपसी सहयोग और एकता तथा राज्यों के लिए अलग अधिकार के सिद्धान्तों पर आधारित हो। भारतीय संविधान की संघीय व्यवस्था का यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है कि केन्द्र और राज्यों के बीच संबंध सहयोग पर आधारित होगा। अतः भारतीय संविधान विविधता को मान्यता देने के साथ ही एकता पर बल देता है।
प्रश्न 6.
संविधान निर्माताओं की क्या मान्यता थी और वे कैसी केन्द्रीय सरकार की स्थापना चाहते थे ?
उत्तर:
संविधान निर्माताओं की मान्यता थी कि हमें एक ऐसा संघीय संविधान चाहिए जो देश की अनेक विविधताओं और सामाजिक समस्याओं को समेट सके। वे एक ऐसी शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार की स्थापना करना चाहते थे जो विघटनकारी प्रवृत्तियों पर नियंत्रण रख सके और सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन ला सके।
प्रश्न 7.
संविधान के अनुच्छेद 3 के अनुसार संसद को राज्य संबंधी क्या अधिकार प्राप्त हैं ?
उत्तर:
संविधान के अनुच्छेद 3 के अनुसार संसद किसी राज्य में से उसका राज्य क्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकती है। वह किसी राज्य की सीमाओं या नाम में परिवर्तन कर सकती है। इस प्रकार किसी राज्य के अस्तित्व और उसकी भौगोलिक सीमाओं के स्थायित्व पर संसद का नियंत्रण है।
प्रश्न 8.
राज्यपालों को प्राप्त शक्ति का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राज्यपालों को यह शक्ति प्राप्त है कि वह राज्य सरकार को हटाने और विधान सभा भंग करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेज सके । सामान्य परिस्थिति में भी राज्यपाल को यह शक्ति प्राप्त है कि वह विधान मंडल द्वारा पारित किसी विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए सुरक्षित कर सके। इससे केन्द्र सरकार को यह अवसर मिल जाता है कि वह किसी राज्य के कानून निर्माण में देरी कर सके।
प्रश्न 9.
भारतीय प्रशासकीय व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत की प्रशासकीय व्यवस्था इकहरी है। अखिल भारतीय सेवाएँ पूरे देश के लिए हैं। इनमें चुने गए पदाधिकारी राज्यों के प्रशासन में कार्य करते हैं। जिलाधीश के रूप में कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी या पुलिस कमिश्नर के रूप में कार्यरत भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों पर केन्द्र सरकार का नियंत्रण होता है। राज्य उस पर कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं कर सकता है।
प्रश्न 10.
'सशस्त्र बल विशिष्ट शक्ति अधिनियम' का निर्माण किस संदर्भ में किया गया है ?
उत्तर:
संविधान का 33वाँ एवं 34वाँ अनुच्छेद संघ सरकार की शक्ति को उस स्थिति में काफी बढ़ा देते हैं जब देश के किसी क्षेत्र में सैनिक शासन' (मार्शल लॉ) लागू हो जाए। ऐसी स्थिति में ये प्रावधान संसद को इस बात का अधिकार देते हैं कि वह केन्द्र या राज्य के किसी भी अधिकारी के द्वारा शांति व्यवस्था बनाए रखने या उसकी बहाली के लिए किए गए कार्य को कानूनन जायज करार दे सके। इसी संदर्भ में सशस्त्र बल विशिष्ट शक्ति अधिनियम' का निर्माण किया गया।
प्रश्न 11.
किस कारण से केन्द्र और राज्यों के बीच संघर्ष और विवादों का जन्म होता है ?
उत्तर:
संविधान विभिन्न क्षेत्रों की अलग-अलग पहचान को मान्यता देता है, पर वह केन्द्र को अधिक शक्ति देता है। एक बार 'राज्य की पहचान के सिद्धान्त' को मान्यता मिल जाने पर पूरे देश के शासन में और अपने शासकीय क्षेत्र में राज्यों द्वारा अधिक शक्ति तथा भूमिका की माँग उठने लगती है। इसी कारण केन्द्र और राज्यों के बीच संघर्ष और विवादों का जन्म होता है।
प्रश्न 12.
1990 के दशक से काँग्रेस का वर्चस्व कम होने का क्या परिणाम हुआ ?
उत्तर:
1990 के दशक से काँग्रेस के वर्चस्व में कमी होने के साथ ही केन्द्र में गठबंधन-राजनीति युग का आरम्भ हुआ। राज्यों में भी विभिन्न राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल सत्तारूढ़ हुए। इससे राज्यों का राजनीतिक कद बढ़ा, विविधता का आदर हुआ और एक मॅजे हुए संघवाद का प्रारम्भ हुआ जिससे स्वायत्तता के मसले में राजनीतिक रूप से तेजी आई।
प्रश्न 13.
अनुच्छेद 356 का प्रयोग कब किस रूप में किया गया ?
उत्तर:
सन् 1967 तक अनुच्छेद 356 का प्रयोग अत्यन्त सीमित रूप में किया गया। सन् 1967 के बाद अनेक राज्यों में गैर-काँग्रेसी सरकारें बनीं, किन्तु केन्द्र में सत्ता काँग्रेस के पास रही। केन्द्र ने अनेक अवसरों पर इस अनुच्छेद का प्रयोग राज्य सरकारों को बर्खास्त करने के लिए किया। उदाहरणस्वरूप सन् 1980 के दशक में केन्द्र सरकार ने आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की निर्वाचित सरकारों को बर्खास्त किया।
प्रश्न 14.
हमारी संघीय व्यवस्था में नवीन राज्यों के गठन की माँग के क्या परिणाम हुए हैं ?
उत्तर:
हमारी संघीय व्यवस्था में नवीन राज्यों के गठन की माँग को लेकर तनाव रहा है। राष्ट्रीय आन्दोलन के कारण अखिल भारतीय राष्ट्रीय एकता के साथ ही समान भाषा, क्षेत्र और संस्कृति पर आधारित एकता को भी जन्म दिया है। राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान यह तय किया गया कि यथासंभव समान संस्कृति और भाषा के आधार पर राज्यों का गठन होगा।
लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-100 शब्द)
प्रश्न 1.
वेस्टइंडीज के संघवाद से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
वेस्टइंडीज का संघवाद-1958 ई. में वेस्टइंडीज संघ' (फेडरेशन ऑफ वेस्टइंडीज) का जन्म हुआ। इसकी केन्द्रीय सरकार कमजोर थी और प्रत्येक संघीय इकाई की अपनी स्वतन्त्र अर्थव्यवस्था थी। इस वजह से और अन्य संघीय इकाइयों में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण 1962 ई. में इस संघ को भंग कर दिया। बाद में 1973 ई. की चिगुआरामस सन्धि के द्वारा इन स्वतन्त्र प्रायद्वीपों ने एक साझी संसद, सर्वोच्च न्यायालय, मुद्रा और 'कैरीबियन समुदाय' नामक एक साझा बाजार जैसी संयुक्त संस्थाओं का निर्माण किया। कैरीबियन समुदाय की एक साझी कार्यपालिका भी है और सदस्य देशों की सरकारों के प्रधान उस कार्यपालिका के सदस्य हैं। इस प्रकार यहाँ की इकाइयाँ न तो एक देश के रूप में रह सकी और न ही ये अलग-अलग रह सकी।
प्रश्न 2.
संघवाद की मूल अवधारणाएँ क्या हैं ?
उत्तर:
संघवाद की मूल अवधारणाएँ-संघवाद वह संस्थागत प्रणाली है जो दो प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाओं को समाहित करती है। इसमें एक प्रांतीय स्तर की होती है और दूसरी केन्द्रीय स्तर की। प्रत्येक सरकार अपने क्षेत्र में स्वायत्त होती है। इसमें लोगों की दोहरी पहचान और निष्ठाएँ होती हैं। वे अपने क्षेत्र के साथ-साथ राष्ट्र के भी होते हैं। प्रत्येक स्तर की राजनीतिक व्यवस्था की कुछ विशिष्ट शक्तियाँ और उत्तरदायित्व होते हैं। दोहरे शासन की विस्तृत रूपरेखा एक लिखित संविधान में मौजूद होती है। ऐसा संविधान सर्वोच्च होने के साथ-साथ दोनों सरकारों की शक्तियों का स्रोत भी होता है। यह प्रतिरक्षा और मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषयों का उत्तरदायित्व संघीय या केन्द्रीय सरकार का होता है। केन्द्र और राज्यों के बीच उत्पन्न टकराव को रोकने के लिए एक स्वतंत्र न्यायपालिका की व्यवस्था होती है। न्यायपालिका को केन्द्रीय सरकार और राज्यों के बीच शक्ति के बँटवारे के संबंध में उठने वाले कानूनी विवादों को हल करने का अधिकार होता है।
प्रश्न 3.
भारतीय संविधान के संघीय व्यवस्था संबंधी प्रावधान क्या हैं ?
उत्तर:
भारतीय संविधान के संघीय व्यवस्था सम्बन्धी प्रावधान-भारत के संविधान में संघ के लिए 'यूनियन' शब्द का प्रयोग किया गया है कि भारत राज्यों का संघ' (यूनियन) होगा और उनके राज्य-क्षेत्र वे होंगे जो पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं।
दोहरी शासन व्यवस्था-भारतीय संविधान में दो तरह की सरकारों की बात मानी गई है-
शक्ति विभाजन-संविधान इस बात की स्पष्ट व्यवस्था करता है कि कौन-कौन-सी शक्तियाँ केवल केन्द्र सरकार को प्राप्त होंगी और कौन-कौन-सी केवल राज्यों को। संविधान द्वारा संघ सूची में विनिर्दिष्ट विषयों को केन्द्र सरकार को सौंपा गया है और राज्य-सूची में विनिर्दिष्ट विषयों को राज्य सरकारों को सौंपा गया है। इसके अतिरिक्त कुछ विषय समवर्ती सूची में दिए गए हैं। इन पर केन्द्र और प्रांत दोनों की विधायिकाएँ कानून बना सकती है।
प्रश्न 4.
नाइजीरिया के संपवाद से आप क्या समझते हैं ? उसके विभिन्न संघीय इकाइयों के बीच मतभेद के क्या आधार है?
उत्तर:
नाइजीरिया का संपवाद-1950 में इबादान संवैधानिक सम्मेलन में नाइजीरिया के नेताओं ने एक संघीय संविधान बनाने का निर्णय लिया। नाइजीरिया की तीन बड़ी जातियाँ एलबा, इबो और हउसा-फुलानी हैं। इनके नियन्त्रण में देश के तीन क्षेत्र-पश्चिम, पूर्व और उत्तर थे, जिनका वे नियंत्रण कर रही थीं। इनके द्वारा अन्य क्षेत्रों में अपना प्रभाव बढ़ाने के प्रयास से भय और संघर्षों का माहौल बना। इससे वहाँ एक सैनिक शासन की स्थापना हुई। सन् 1999 में नाइजीरिया में लोकतन्त्र की पुनः स्थापना हुई, लेकिन धार्मिक विभेद बने रहे। नाइजीरिया संघ के सामने यह समस्या भी बनी रही कि तेल संसाधन से प्राप्त राजस्व पर किसका नियंत्रण होगा। इस प्रकार नाइजीरिया की विभिन्न संघीय इकाइयों के बीच धार्मिक, जातीय और आर्थिक मतभेद बरकरार रहे।
प्रश्न 5.
भारत के संघवाद में शक्ति विभाजन किस प्रकार का है ?
उत्तर:
भारत के संघवाद में शक्ति विभाजन-भारत के संविधान में दो तरह की सरकारों की बात मानी गई है-एक सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए, जिसे संघीय सरकार या केन्द्रीय सरकार कहते हैं और दूसरी, प्रान्तीय इकाई या राज्य के लिए, जिसे राज्य सरकार कहते हैं। ये दोनों ही संवैधानिक सरकारें हैं और इनके स्पष्ट कार्यक्षेत्र हैं। यदि कभी यह विचार किया जाए कि कौन-सी शक्तियाँ केन्द्र के पास हैं और कौन-सी राज्य के पास, तो इसका निर्णय न्यायपालिका संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार करेगी। संविधान इस बात की स्पष्ट व्याख्या करता है कि कौन-कौन सी शक्तियाँ केवल केन्द्र सरकार को प्राप्त होंगी और कौन-कौन-सी राज्यों को। शक्ति विभाजन का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि संविधान ने आर्थिक और वित्तीय शक्तियाँ केन्द्रीय सरकार के हाथ में सौंपी हैं।
प्रश्न 6.
केन्द्रीय सरकार को सशक्त बनाने के लिए संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं ?
उत्तर:
केन्द्रीय सरकार को सशक्त बनाने के लिए संविधान में किए गए प्रावधान-केन्द्रीय सरकार को सशक्त बनाने के लिए संविधान में कई प्रावधान किए गए हैं। किसी राज्य के अस्तित्व और उसकी भौगोलिक सीमाओं के स्थायित्व पर संसद का नियंत्रण है। वह किसी राज्य की सीमाओं या नाम में परिवर्तन कर सकती है। आपातकाल के दौरान संसद को यह शक्ति प्राप्त हो जाती है कि वह उन विषयों पर कानून बना सके जो राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। सामान्य स्थिति में भी केन्द्र सरकार को अत्यन्त प्रभावी वित्तीय शक्तियाँ और उत्तरदायित्व प्राप्त हैं। आय के प्रमुख संसाधनों पर केन्द्र सरकार का नियंत्रण है। केन्द्र सरकार अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर राज्यों को अनुदान और ऋण देती है। केन्द्र के पास आय के अनेक संसाधन हैं और अनुदानों तथा वित्तीय सहायता के लिए राज्य केन्द्र पर ही आश्रित हैं।
प्रश्न 7.
भारतीय संघीय व्यवस्था में तनाव के क्या कारण हैं ?
उत्तर:
भारतीय संघीय व्यवस्था में तनाव के कारण-संविधान ने केन्द्र को बहुत अधिक शक्तियाँ प्रदान की हैं। यद्यपि संविधान विभिन्न क्षेत्रों को अलग-अलग पहचान की मान्यता देता है, लेकिन फिर भी वह केन्द्र को ज्यादा शक्ति देता है। एक बार जब 'राज्य की पहचान' के सिद्धान्त को मान्यता मिल जाती है। तब यह स्वाभाविक ही है कि पूरे देश के शासन में और अपने शासकीय क्षेत्र में राज्यों द्वारा और ज्यादा शक्ति तथा भूमि की माँग उठायी जाए। इसी कारण राज्य ज्यादा शक्ति की माँग करते हैं। समय-समय पर राज्यों ने ज्यादा शक्ति और स्वायत्तता देने की मांग उठायी है। इससे केन्द्र और राज्यों के बीच संघर्षों और विवादों का जन्म हुआ है। शक्ति और स्वायत्तता की माँग केन्द्र और राज्य में तनाव का मुख्य कारण है।
प्रश्न 8.
केन्द्र तथा राज्य के सम्बन्धों में राज्यपाल की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
केन्द्र और राज्य सम्बन्धों में राज्यपाल की भूमिका-राज्य का अध्यक्ष राज्यपाल होता है। उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त अपने पद पर रहता है। राज्यपाल की नियुक्ति पाँच वर्ष के लिए की जाती है, परन्तु वास्तविकता यह है कि वह अपनी नियुक्ति तथा पदच्युति के लिए केन्द्रीय सरकार पर आश्रित रहता है। उसकी यही आश्रितता केन्द्र तथा राज्य के सम्बन्धों में तनाव का कारण बन जाती है। राज्यपाल को कुछ ऐसे अधिकार भी प्राप्त हैं जिनका प्रयोग वह अपनी इच्छा से करता है, मंत्रिमण्डल की सलाह पर नहीं। ये अधिकार महत्वपूर्ण भी हैं। राज्य में संवैधानिक मशीनरी के असफल होने की रिपोर्ट वह अपने विवेक से केन्द्र सरकार को करता है, जिसके आधार पर केन्द्र राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करता है। केन्द्र ने अनेक बार उन राज्यों से जहाँ अन्य दल की सरकार थी, राज्यपाल से मनमाने ढंग से ऐसी रिपोर्ट ली और राष्ट्रपति शासन लागू कराया।
प्रश्न 9.
केन्द्र और राज्यों के सम्बन्धों के सन्दर्भ में संविधान का सर्वाधिक विवादास्पद अनुच्छेद कौन-सा है और क्यों?
उत्तर:
संविधान का सर्वाधिक विवादास्पद अनुच्छेद 356 है। इसके द्वारा राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है। इस प्रावधान को किसी राज्य में तब लागू किया जाता है जब "ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई हो कि उस राज्य का शासन इस संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता।" इस प्रावधान के अनुसार संघीय सरकार, राज्य सरकार का अधिग्रहण कर लेती है। इस विषय पर राष्ट्रपति द्वारा जारी उद्घोषणा को संसद की स्वीकृति प्राप्त करना जरूरी होता है। राष्ट्रपति शासन को अधिकतम तीन वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है।
राज्यपाल को यह अधिकार है कि वह राज्य सरकार को बर्खास्त करने तथा राज्य विधान सभा को निलंबित या विघटित करने की अनुशंसा कर सके। इससे अनेक विवाद पैदा हुए। कुछ मामलों में राज्य सरकारों को विधायिका में बहुमत होने के बाद भी बर्खास्त कर दिया गया। सन् 1967 तक अनुच्छेद 356 का अत्यन्त सीमित प्रयोग किया गया। सन् 1967 के बाद अनेक राज्यों में गैर-काँग्रेसी सरकारें बनीं, लेकिन केन्द्रीय सत्ता काँग्रेस के पास रही। केन्द्र ने अनेक अवसरों पर इस अनुच्छेद का दुरुपयोग कर राज्य सरकारों को बर्खास्त किया। सन् 1980 के दशक में केन्द्र सरकार ने इसी अनुच्छेद के अंतर्गत आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की निर्वाचित सरकारों को बर्खास्त कर दिया।
प्रश्न 10.
विशेष किस्म की बनावट और ऐतिहासिक विशेषता वाले कुछ राज्यों के लिए निर्धारित विशिष्ट प्रावधान क्या हैं?
उत्तर:
शक्ति के बँटवारे की योजना के तहत भारतीय संविधान द्वारा प्रदत शक्तियाँ सभी राज्यों को समान रूप से प्राप्त हैं। लेकिन कुछ राज्यों के लिए उनकी विशिष्ट सामाजिक एवं ऐतिहासिक परिस्थितियों के अनुसार संविधान कुछ विशेष अधिकारों की व्यवस्था करता है। ऐसे अधिकांश प्रावधान पूर्वोत्तर राज्य असम, नागालैण्ड, अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम आदि के लिए है, जहाँ विशेषकर विशिष्ट इतिहास एवं संस्कृति वाली जनजातीय जनसंख्या बहुल मात्रा में निवास करती है। यहाँ के निवासी अपनी संस्कृति एवं इतिहास को बनाए रखना चाहते है। अतः ये प्रावधान इस क्षेत्र के कुछ भागों में अलगाववाद और सशस्त्र विद्रोह को रोकने में सफल नहीं हो सके हैं। ऐसे ही कुछ विशेष प्रावधान पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश तथा अन्य राज्यों जैसे- आन्ध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, सिक्किम और तेलंगाना के लिए भी हैं।
निबंधात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-150 शब्द)
प्रश्न 1.
संघवाद क्या है? संघवाद की मूल अवधारणाएँ बताइए।
उत्तर:
संघवाद से आशय- संघवाद के वास्तविक कार्यो का निर्धारण राजनीति, संस्कृति, विचारधारा तथा इतिहास की वास्तविकताओं से होता है। आपसी विश्वास, सहयोग, सम्मान व संयम की संस्कृति हो, तो संघवाद का कार्य आसानी से चलता है।
संघवाद की मूल अवधारणाएँ-
(i) निश्चित रूप से संघवाद एक संस्थागत प्रणाली है। जो दो प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाओं को समाहित करती है। और इसमें एक प्रान्तीय स्तर की होती है तथा दूसरी केन्द्रीय स्तर की। प्रत्येक सरकार अपने क्षेत्र में स्वायत्त होती है। कुछ संघीय देशों में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था होती है पर भारत में इकहरी नागरिकता है।
(ii) इस प्रकार लोगों की दोहरी पहचान और निष्ठाएँ होती हैं, वे अपने क्षेत्र के भी होते है और राष्ट्र के भी। जैसे कोई व्यक्ति गुजराती या झारखंडी होने के साथ-2 भारतीय भी होता है। प्रत्येक स्तर की राजनीतिक व्यवस्था की कुछ विशिष्ट शक्तियाँ और उत्तरदायित्व होते हैं, तथा वहाँ एक भिन्न प्रकार की सरकार होती है।
(iii) दोहरे शासन की विस्तृत रूपरेखा सामान्यतया एक लिखित संविधान में मौजूद होती है। यह संविधान सर्वोच्च होता है। और . दोनों सरकारों की शक्तियों का स्रोत भी। राष्ट्रीय महत्व के विषयों-जैसे प्रतिरक्षा एवं मुद्रा का उतरदायित्व संघीय अथवा केन्द्र सरकार का होता है। क्षेत्रीय एवं स्थानीय महत्व के विषयों पर प्रान्तीय सरकारें जबाब देह होती हैं।
(iv) केन्द्र एवं राज्यों के बीच किसी टकराव को रोकने के लिए एक स्वतंत्र न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। जो संघर्षों का समाधान करती है। न्यायपालिका को केन्द्रीय सरकार और राज्यों के बीच शक्ति के विभाजन के संबध में उत्पन्न होने वाले कानूनी विवादों को हल करने का अधिकार होता है।
प्रश्न 2.
अंतर्राज्यीय विवाद के प्रकारों को उदाहरण सहित समझाइए। इनका समाधान किस प्रकार सम्भव है? अथवा राज्यों के मध्य कितने प्रकार के गम्भीर विवाद पैदा होते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राज्यीय विवाद के प्रकार- सामान्यतया राज्यों के मध्य दो प्रकार के गम्भीर विवाद पैदा होते हैं-
1. सीमा विवाद- राज्यों के मध्य यह एक गम्भीर विवाद है। इन विवादों का स्वरूप भावनात्मक होता है। राज्य प्राय: पड़ोसी राज्यों के भू-भाग पर अपना दावा पेश करते हैं। यद्यपि राज्यों की सीमाओं का निर्धारण भाषाई आधार पर किया गया है। लेकिन सीमावर्ती क्षेत्रों में एक से अधिक भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं। अत: इस विवाद को केवल भाषाई आधार पर नहीं सुलझाया जा सकता। ऐसा ही एक पुराना विवाद महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच 'बेलगाम' को लेकर है। मणिपुर और नागालैण्ड के मध्य भी सीमा विवाद पुराना है। पंजाब से हरियाणा को अलग करने पर उनके बीच न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों को लेकर बल्कि राजधानी चंडीगढ़ को लेकर भी विवाद हैं। 1985 ई. में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की पंजाब के नेताओं से इस विषय पर कुछ सहमति बनी.थी इसके अनुसार चंडीगढ़ को पंजाब को हस्तांतरित किया जाना था, पर अभी तक ऐसा नहीं हो सका।
2. नदी जल बँटवारे से सम्बन्धित विवाद- राज्यों के मध्य नदियों के जल में बँटवारे को लेकर होने वाले विवाद की प्रकृति गंभीर है। क्योंकि यह संबंधित राज्यों में पेयजल व कृषि की समस्या से जुड़ा है। उदाहरण के लिए कावेरी जल विवाद तमिलनाडु व कर्नाटक के मध्य एक प्रमुख विवाद है। दोनो राज्यों के किसान कावेरी के जल पर निर्भर हैं। यद्यपि इसे सुलझाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की शरण में गए हैं। ऐसा ही एक विवाद नर्मदा नदी के जल बँटवारे को लेकर गुजरात, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के मध्य है। नदियाँ हमारे प्रमुख संसाधन हैं अतः अन्तर्राज्यीय जल विवाद में राज्यों के धैर्य व सहयोग की भावना की परीक्षा हो जाती है। यद्यपि अन्तर्राज्यीय विवादों के समाधान हेतु न्यायपालिका पंच की भूमिका निभाती है लेकिन इन विवादों का स्वरूप मात्र कानूनी नहीं होता। इन विवादों के राजनीतिक पहलू भी होते हैं। अतः इनका सर्वोच्च समाधान केवल विचार-विमर्श और पारस्परिक विश्वास के आधार पर ही हो सकता है।
प्रश्न 3.
भारत में उन संवैधानिक प्रावधानों का वर्णन कीजिए जो सशक्त केन्द्रीय सरकार की स्थापना करते हैं।
उत्तर:
भारत में वे संवैधानिक प्रावधान निम्नलिखित हैं जो एक सशक्त केन्द्रीय सरकार की स्थापना करते हैं:
(i) किसी राज्य के अस्तित्व और उसकी भौगोलिक सीमाओं के स्थायित्व पर संसद का नियंत्रण है। अनुच्छेद 3 के अनुसार मंगा; किसी राज्य में से उसका राज्य क्षेत्र अलग करके अथवा दो या दो से अधिक राज्यों को मिलाकर नए राज्य निर्माण कर सकती है। वह किसी राज्य की सीमाओं अथवा नाम में परिवर्तन कर सकती है। पर इस शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए संविधान पहले प्रभावित राज्य के विधान मंडल को विचार व्यक्त करने का अवसर देना है।
(ii) संविधान में केन्द्र को अत्यन्त शाक्तिशाली बनाने वाले कुछ आपातकालीन प्रावधान हैं जो लागू होने पर हमारी संघीय व्यवस्था को एक अत्यधिक केन्द्रीकृत व्यवस्था में परिवर्तित कर देते हैं। आपातकाल के दौरान शक्तियाँ कानूनी रूप से केन्द्रीयकृत हो जाती हैं। संसद को यह शक्ति भी प्राप्त हो जाती है कि वह उन विषयों पर कानून बना सके जो राज्य के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
(iii) सामान्य स्थितियों में भी केन्द्र सरकार को अत्यन्त प्रभावी वित्तीय शक्तियाँ प्राप्त हैं। केन्द्र के पास आय के अनेक संसाधन हैं परन्तु राज्य अनुदानों और वित्तीय सहायता के लिए केन्द्र पर आश्रित होता है। दूसरी ओर स्वतंत्रता के बाद भारत ने तीव्र आर्थिक प्रगति एवं विकास के लिए नियोजन को साधन के रूप में प्रयोग किया। नियोजन के कारण आर्थिक फैसले लेने की शक्ति केन्द्र सरकार के हाथ में आ गई।
(iv) राज्य के राज्यपाल को यह शक्ति प्राप्त है कि वह राज्य सरकार को हटाने व विधानसभा भंग करने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेज सके। इसके अतिरिक्त सामान्य परिस्थिति में भी राज्यपाल को यह शक्ति प्राप्त है कि वह विधानमंडल द्वारा पारित किसी विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए सुरक्षित कर सके। इससे केन्द्र सरकार को यह अवसर मिल जाता है कि वह किसी राज्य के कानून निर्माण में देरी कर सके एवं यदि चाहे तो ऐसे विधेयकों की परीक्षा उन पर निषेधाधिकार (वीटो) का प्रयोग करके उसे पूरी तरह नकार दे।
(v) यदि ऐसी परिस्थितियाँ आ जाती हैं कि जब केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाना आवश्यक हो जाए। लेकिन ऐसा करने के लिए पहले राज्यसभा की अनुमति लेना जरूरी है। संविधान में यह स्पष्ट कहा गया है कि केन्द्रीय कार्यपालिका की शक्ति प्रादेशिक कार्यपालिका की शक्ति से अधिक है।
(vi) हमारे देश की प्रशासकीय व्यवस्था इकहरी है। अखिल भारतीय सेवाएँ पूरे देश के लिए है। और इसके चयनित पदाधिकारी राज्यों के प्रशासन में कार्य करते हैं। अतः जिलाधीश के रूप में कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी या पुलिस कमिश्नर के रूप में कार्यरत भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों पर केन्द्र सरकार का नियंत्रण होता है। राज्य न तो उनके विरूद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही कर सकता है न ही उन्हें सेवा से हटा सकता है।
(vii) संविधान के दो अनुच्छेद 33 एवं 34 संघ सरकार की शक्ति को उस स्थिति में काफी बढ़ा देते हैं। जब देश के किसी क्षेत्र में "सैनिक शासन (मार्शल लॉ)" लागू हो जाए। यह प्रावधान संसद को इस बात का अधिकार देते हैं कि ऐसी स्थिति में वह केन्द्रीय एवं राज्य के किसी भी अधिकारी के द्वारा शांति व्यवस्था बनाए रखने या उसकी बहाली के लिए किए गए किसी भी कार्य को कानून जायज कर सके। इसी के अन्तर्गत सशस्त्र बल विशिष्ट शक्ति अधिनियम का निर्माण किया गया। इससे कभी भी जनता और सशस्त्र बलों में आपसी तनाव भी उत्पन्न हुआ है।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
भारत में एकल नागरिकता की अवधारणा अपनायी गई है
(अ) इंग्लैण्ड से
(ब) यू.एस.ए. से
(स) कनाडा से
(द) फ्रांस से।
उत्तर:
(अ) इंग्लैण्ड से
प्रश्न 2.
भारतीय संविधान में भारत को किस प्रकार वर्णित किया गया है?
(अ) राज्यों एवं संघ क्षेत्रों का महासंघ
(ब) एक राज्यों का संघ
(स) भारतवर्ष
(द) एक महासंघीय राष्ट्र।
उत्तर:
(ब) एक राज्यों का संघ
प्रश्न 3.
राज्य पुनर्गठन आयोग सिफारिशों के अनुसार भारतीय राज्यों का व्यापक पुनर्गठन कब पूरा किया गया था?
(अ)1953
(ब) 1956
(स) 1960
(द) 1966
उत्तर:
(ब) 1956
प्रश्न 4.
भारतीय राज्यों में राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है?
(अ) संघीय मंत्रिमंडल
(ब) उपराष्ट्रपति
(स) प्रधानमंत्री
(द) राष्ट्रपति।
उत्तर:
(द) राष्ट्रपति।
प्रश्न 5.
सरकारिया आयोग सम्बन्धित है
(अ) उच्च शिक्षा से
(ब) नदी जल विवादों से
(स) शेयर घोटालों से
(द) केन्द्र राज्य सम्बन्धों से।
उत्तर:
(द) केन्द्र राज्य सम्बन्धों से।
प्रश्न 6.
पंचायती राज विषय है
(अ) समवर्ती सूची में
(ब) केन्द्र की सूची में
(स) राज्य की सूची में
(द) विशेषाधिकार की सूची में।
उत्तर:
(स) राज्य की सूची में
प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन सा विषय समवर्ती सूची में है
(अ) कृषि
(ब) जनगणना
(स) पुलिस
(द) रक्षा
उत्तर:
(ब) जनगणना
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौनसा विषय संघ सूची के अन्तर्गत समाविष्ट है?
(अ) पुलिस
(ब) जनगणना
(स) भू-आगम
(द) लोक स्वास्थ्य और सफाई का प्रबन्ध
उत्तर:
(ब) जनगणना
प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से कौन राज्य सूची में नहीं है?
(अ) कृषि
(ब) जल
(स) सिंचाई
(द) सुरक्षा
उत्तर:
(द) सुरक्षा
प्रश्न 10.
केन्द्र राज्य सम्बन्ध में विवाद का एक कारण रहा है
(अ) राष्ट्रपति का पद
(ब) प्रधानमंत्री का पद
(स) राज्यपाल का पद
(द) मुख्यमंत्री का पद
उत्तर:
(स) राज्यपाल का पद