RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 6 न्यायपालिका

Rajasthan Board RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 6 न्यायपालिका Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 6 न्यायपालिका

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर 

कक्षा 11 राजनीति विज्ञान अध्याय 6 न्यायपालिका के प्रश्न उत्तर प्रश्न 1. 
कानूनों की व्याख्या करने वाला सरकार का अंग है
(क) व्यवस्थापिका
(ख) कार्यपालिका 
(ग) नौकरशाही
(घ) न्यायपालिका।
उत्तर:
(घ) न्यायपालिका।

RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 6 न्यायपालिका  

Nyaypalika Class 11 Important Questions प्रश्न 2. 
न्यायपालिका का कार्य नहीं है
(क) कानूनों का क्रियान्वयन । 
(ख) संविधान की रक्षा 
(ग) मौलिक अधिकारों की रक्षा 
(घ) न्यायिक पुनरावलोकन। 
उत्तर:
(क) कानूनों का क्रियान्वयन । 

न्यायपालिका पाठ के प्रश्न उत्तर कक्षा 11 प्रश्न 3. 
भारत का उच्चतम न्यायालय स्थित है
(क) मुम्बई में
(ख) इलाहाबाद में 
(ग) नई दिल्ली में
(घ) जयपुर में। 
उत्तर:
(ग) नई दिल्ली में

Class 11th Political Science Chapter 6 Question Answer In Hindi प्रश्न 4. 
उच्चतम न्यायालय बन्दी प्रत्यक्षीकरण परमादेश प्रतिषेध उत्प्रेषण तथा अधिकार पृच्छा लेख जारी करता है
(क) मूलाधिकारों की रक्षार्थ
(ख) कार्यपालिका की रक्षार्थ 
(ग) विधायिका की रक्षार्थ
(घ) नीति-निर्देशक तत्वों की रक्षार्थ। 
उत्तर:

Class 11 Political Science Chapter 6 Question Answers In Hindi प्रश्न 5. 
निम्नांकित में कौन-सी शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को तो प्राप्त है लेकिन उच्च न्यायालयों को हासिल नहीं है
(क) संसद को कानूनी परामर्श देना 
(ख) राष्ट्रपति को कानूनी परामर्श देना 
(ग) अपनी अवमानना हेतु दण्ड देना 
(घ) महाधिवक्ता को पदमुक्त करना। 
उत्तर:
(ख) राष्ट्रपति को कानूनी परामर्श देना 

प्रश्न-निम्न को सुमेलित कीजिए

(i) सर्वोच्च न्यायालय

(अ) जिले में दायर मुकदमों की सुनवाई करती है।

(ii) उच्च न्यायालय

(ब) फौजदारी व दीवानी मुकदमों की सुनवाई करना।

(iii) जिला अदालत

(स) सभी अदालतों में फैसलों को मान्यता मिलना।

(iv) अधीनस्थ अदालत

(द) अधीनस्थ अदालतों का पर्यवेक्षण व नियंत्रण

उत्तर:

(i) सर्वोच्च न्यायालय

(स) सभी अदालतों में फैसलों को मान्यता मिलना।

(ii) उच्च न्यायालय

(द) अधीनस्थ अदालतों का पर्यवेक्षण व नियंत्रण

(iii) जिला अदालत

(अ) जिले में दायर मुकदमों की सुनवाई करती है।

(iv) अधीनस्थ अदालत

(ब) फौजदारी व दीवानी मुकदमों की सुनवाई करना।

प्रश्न- रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(i) ................ व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करती है। 
(ii) न्यायपालिका विधायिका या ................ पर वित्तीय रूप से निर्भर नहीं है। 
(iii) उच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों को बहाल करने के लिए ............... जारी कर सकता है। 
(iv) ................ का हमारी राजनीतिक व्यवस्था पर बहुत प्रभाव पड़ा है। 
(v) भारतीय न्यायपालिका अपनी ............... के लिए भी जानी जाती है। 
उत्तर:
(i) न्यायपालिका 
(i) कार्यपालिका 
(iii) रिट 
(iv) न्यायिक सक्रियता 
(v) स्वतंत्रता। 

प्रश्न- सत्य/असत्य सम्बन्धी प्रश्न
(i) न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ है कि सरकार के अन्य अंग न्यायपालिका के निर्णयों में हस्तक्षेप करें। 
(ii) सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह से करता है। 
(iii) सर्वोच्च और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को उनके पद से हटाना काफी सरल है। 
(iv) सर्वोच्च न्यायालय के फैसले सभी अदालतों को मानने हैं। 
(v) भारत में न्यायिक सक्रियता का मुख्य साधन जनहित याचिका या सामाजिक व्यवहार याचिका रही है। 
उत्तर:
(i) असत्य 
(ii) सत्य 
(iii) असत्य
(iv) सत्य 
(v) सत्य।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (शब्द सीमा-20 शब्द)

Political Science Class 11 Chapter 6 Question Answers In Hindi प्रश्न 1. 
सरकार का कौन सा अंग संविधान की व्याख्या और सुरक्षा करता है? 
उत्तर:
न्यायपालिका। 

RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 6 न्यायपालिका

Nyaypalika Class 11 Question Answer प्रश्न 2. 
समाज में उठने वाले विवादों को किस आधार पर हल किया जाना चाहिए ? 
उत्तर:
कानून के शासन के सिद्धान्त के आधार पर। 

Nyaypalika Question Answer प्रश्न 3. 
न्यायपालिका किसके प्रति जबावदेह है ? 
उत्तर:
न्यायपालिका देश के संविधान, लोकतांत्रिक परम्परा और जनता के प्रति जबावदेह है। 

कक्षा 11 राजनीति विज्ञान पाठ 6 के प्रश्न उत्तर प्रश्न 4. 
न्यायाधीशों के कार्यों और निर्णयों की व्यक्तिगत आलोचना करने पर किसका दोषी माना जाता है ? 
उत्तर:
न्यायालय की अवमानना का। 

Class 11 Political Science Nyaypalika Question Answer प्रश्न 5. 
संसद न्यायाधीशों के आचरण पर कब चर्चा कर सकती है ?
उत्तर:
संसद न्यायाधीशों के आचरण पर केवल तभी चर्चा कर सकती है जब वह उनके विरुद्ध महाभियोग चलाने पर विचार कर रही हो।

Class 11 Political Science Chapter 6 Question Answer In Hindi प्रश्न 6. 
भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में वरिष्ठता की परम्परा को तोड़कर सबसे पहले किसे न्यायाधीश बनाया गया था ?
उत्तर:
सन् 1973 में न्यायमूर्ति ए. एन. रे. को। 

Nyaypalika Ke Question Answer प्रश्न 7. 
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है ? 
उत्तर:
राष्ट्रपति द्वारा। प्रश्न 8. सर्वोच्च न्यायालय ने नियुक्तियों की सिफारिश के सम्बन्ध में कौनसा सिद्धांत स्थापित किया ? उत्तर-सामूहिकता का सिद्धांत । 

न्यायपालिका पाठ के प्रश्न उत्तर प्रश्न 9. 
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को किन आधारों पर उनके पद से हटाया जा सकता है ?
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को कदाचार साबित होने अथवा अयोग्यता की दशा में उनके पद से हटाया जा सकता है।

न्यायपालिका के प्रश्न उत्तर प्रश्न 10. 
भारतीय संसद द्वारा सबसे पहले सर्वोच्च न्यायालय के किस न्यायाधीश के विरुद्ध महाभियोग चलाया गया ?
उत्तर:
सन् 1991 में न्यायमूर्ति वी. रामास्वामी के विरुद्ध।

कार्यपालिका पाठ के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर प्रश्न 11. 
किस न्यायाधीश पर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन उनके त्यागपत्र दिए जाने के कारण वह बीच में ही समाप्त हो गयी ?
उत्तर:
न्यायमूर्ति वी. रामास्वामी। 

प्रश्न 12. 
भारतीय संविधान किस प्रकार की न्यायिक व्यवस्था की स्थापना करता है ? 
उत्तर:
एकीकृत न्यायिक व्यवस्था की

प्रश्न 13. 
भारतीय न्यायपालिका की संरचना किस तरह की है ? 
उत्तर:
पिरामिड की तरह। 

प्रश्न 14. 
भारत के सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार क्या है ? 
उत्तर:
मौलिक, अपीली, सलाहकारी, रिट सम्बन्धी तथा विशेष क्षेत्राधिकार ।

प्रश्न 15. 
यदि राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश के बीच किसी प्रकार का कानूनी विवाद उत्पन्न हो जाए तो उसकी सुनवाई कौन-सा न्यायालय कर सकता है ?
उत्तर:
सर्वोच्च (उच्चतम) न्यायालय।

प्रश्न 16. 
सर्वोच्च (उच्चतम) न्यायालय में कोई कानूनी प्रश्न किसके द्वारा परामर्श हेतु भेजा जा सकता है ? 
उत्तर:
राष्ट्रपति द्वारा। 

प्रश्न 17. 
चुनाव सम्बन्धी कौन-से विवाद सर्वोच्च न्यायालय में ही सुने जाते हैं ? 
उत्तर:
राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति चुनाव सम्बन्धी मामले।

प्रश्न 18.
भारत के किस न्यायालय को अपने ही निर्णय या आदेश के पुनरावलोकन की शक्ति प्राप्त है ?
उत्तर:
उच्चतम न्यायालय को। 

प्रश्न 19.
वर्तमान में न्यायिक सक्रियता तथा लोकहितवाद किसका आयाम है ? 
उत्तर:
न्यायपालिका का।

RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 6 न्यायपालिका

प्रश्न 20.
भारत में न्यायिक सक्रियता का मुख्य साधन क्या है ? 
उत्तर:
जनहित याचिका या सामाजिक व्यवहार याचिका। 

प्रश्न 21. 
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहली जनहित याचिका कब स्वीकार की गयी ? 
उत्तर:
सन् 1979 में। 

प्रश्न 22. 
पहली जनहित याचिका से सम्बन्धित वाद का नाम बताइए। 
उत्तर:
हुसैनारा खातून बनाम् बिहार सरकार (1979)।

प्रश्न 23. 
तिहाड़ जेल के बन्दी द्वारा भेजे गये पत्र को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करने वाले न्यायाधीश का नाम बताइए?
उत्तर:
न्यायाधीश कृष्णा अय्यर। 

प्रश्न 24. 
सन् 1980 में पत्र को ही जनहित याचिका मानकर चलाये गये वाद का नाम बताइए। 
उत्तर:
सुनील बत्रा बनाम दिल्ली प्रशासन (1980)। 

प्रश्न 25. 
सर्वोच्च न्यायालय की सबसे महत्वपूर्ण शक्ति क्या है ? 
उत्तर:
न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति। 

प्रश्न 26. 
न्यायिक पुनरावलोकन का क्या अर्थ है?
उत्तर:
न्यायिक पुनरावलोकन का अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय किसी भी कानून की संवैधानिकता जाँच सकता है और यदि वह संविधान के प्रावधानों के विपरीत हो तो न्यायालय उसे गैर संवैधानिक घोषित कर सकता है। .

प्रश्न 27. 
कौनसी शक्तियाँ सर्वोच्च न्यायालय को अत्यन्त शक्तिशाली बना देती हैं? 
उत्तर:

  1. रिट जारी करना 
  2. न्यायिक पुनरावलोकन। 

प्रश्न 28. 
जनहित याचिका किस प्रकार गरीबों की मदद कर सकती है? 
उत्तर:
जनहित याचिका गरीबों को सस्ते में न्याय दिलवाकर मदद कर सकती है। 

प्रश्न 29. 
क्या संसद मौलिक अधिकारों को सीमित कर सकती है ? 
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 30. 
सन् 1973 में सर्वोच्च न्यायालय ने किस वाद में निर्णय देकर संसद और न्यायपालिका के सम्बन्धों का नियमन किया था ?
उत्तर:
केशवानन्द भारती बनाम भारत संघ। 

प्रश्न 31. 
सरकार ने किस वर्ष सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया ?
उत्तर:
सन् 1979 में। 

प्रश्न 32. 
संसद की सर्वोच्चता किस मामले में है ? 
उत्तर:
कानून बनाने तथा संविधान संशोधन करने में। 

प्रश्न 33. 
न्यायपालिका की सर्वोच्चता किस मामले में है ? 
उत्तर:
विवादों को सुलझाने तथा कानूनों की संवैधानिकता की जाँच करने में।

प्रश्न 34. 
विधिक सेवा प्राधिकरण के कोई दो उद्देश्य बताइए। 
उत्तर:

  1. नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करना।
  2. कानूनी साक्षरता का विस्तार करना। 

लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-40 शब्द) (S.A. Type 1)

प्रश्न 1. 
कानून के शासन के भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कानून के शासन का भाव यह है कि धनी और निर्धन, स्त्री और पुरुष, अगड़े और पिछड़े सभी लोगों पर एक समान रूप से कानून लागू हो। न्याय का आधार कानून होना चाहिए तथा कानून के समक्ष सभी एक समान होने चाहिए अर्थात् किसी को भी कोई छूट या विशेषाधिकार न दिया जाय।

RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 6 न्यायपालिका

प्रश्न 2. 
न्यायपालिका की प्रमुख भूमिका क्या है ?
उत्तर:
न्यायपालिका की प्रमुख भूमिका यह है कि वह कानून के शासन' की रक्षा करे तथा कानून की सर्वोच्चता को बनाये रखे। व्यक्ति तथा समूहों को न्याय प्रदान करने में कानून की सर्वोच्चता तथा कानून के शासन को बनाये रखने में न्यायपालिका महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

प्रश्न 3. 
न्यायपालिका का राजनीतिक दबाव से मुक्त होना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
न्यायपालिका व्यक्ति तथा समूहों के अधिकारों की रक्षा करती है। विवादों को कानून के अनुसार हल करती है और यह सुनिश्चित करती है कि लोकतन्त्र का स्थान किसी व्यक्ति या समूह की तानाशाही न ले ले। इसीलिए यह आवश्यक हो जाता है कि न्यायपालिका किसी भी राजनीतिक दबाव से मुक्त हो।।

प्रश्न 4. 
न्यायपालिका समाज के विभिन्न वर्गों के मध्य उठने वाले विवादों को किस सिद्धान्त के आधार पर हल करती है ?
उत्तर:
सभी समाजों में चाहे वे कितने भी विकसित क्यों न हों विवाद उठते ही रहते हैं। ये विवाद व्यक्तियों के बीच, समूहों के बीच, व्यक्ति, समूह तथा सरकार के मध्य हो सकते हैं। इन सभी विवादों को न्यायपालिका कानून के शासन के सिद्धान्त' के आधार पर हल करती है।

प्रश्न 5. 
क्या न्यायपालिका अपने खर्चों के लिए विधायिका पर निर्भर है ?
उत्तर:
नहीं, न्यायपालिका अपने खर्चों के लिए विधायिका या कार्यपालिका किसी पर भी निर्भर नहीं है। संविधान के अनुसार न्यायाधीशों के वेतन एवं भत्तों के लिए विधायिका की स्वीकृति नहीं ली जाती है। इस प्रकार न्यायपालिका आर्थिक रूप से स्वतंत्र है।

प्रश्न 6. 
क्या न्यायाधीशों को उनके पद से हटाया जा सकता है ?
उत्तर:
संविधान के अनुसार न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति से पूर्व उनके पद से हटाया तो जा सकता है लेकिन उन्हें हटाने की प्रक्रिया अत्यन्त कठिन है। उन्हें विशेष कदाचार का दोषी पाये जाने पर महाभियोग चलाकर ही हटाया जा सकता है अन्यथा नहीं।

प्रश्न 7. 
क्या न्यायाधीशों के कार्य और निर्णयों की आलोचना की जा सकती है ?
उत्तर:
नहीं, न्यायाधीशों के कार्य और निर्णयों की व्यक्तिगत आलोचना नहीं की जा सकती है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो वह न्यायालय की अवमानना का दोषी माना जायेगा, जिसके लिए न्यायपालिका उसे दण्डित कर सकती है। लेकिन महाभियोग पर विचार के समय संसद न्यायाधीशों के आचरण पर विचार कर सकती है।

प्रश्न 8. 
सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है। इस परम्परा को कब-कब तोड़ा गया है ?
उत्तर:
मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में वरिष्ठता की परम्परा को दो बार तोड़ा गया है। सन् 1973 में जब तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों को छोड़कर न्यायमूर्ति ए. एन. रे. को भारत का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया तथा सन् 1975 में न्यायमूर्ति एच. आर. खन्ना को छोड़कर न्यायमूर्ति एम. एच. बेग को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

प्रश्न 9. 
न्यायमूर्ति वी. रामास्वामी के विरुद्ध संसद द्वारा चलाये गये महाभियोग के बारे में बताइए।
उत्तर:
सन् 1991 में पहली बार संसद के 108 सदस्यों ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश वी. रामास्वामी के विरुद्ध महाभियोग चलाने की स्वीकृत दी। उन पर सार्वजनिक धन के निजी उपयोग, संवैधानिक नियमों को तोड़ने तथा जानबूझकर पद के दुरुपयोग के आरोप थे। इतने आरोपों के बाद भी उन पर महाभियोग सिद्ध न हो सका, क्योंकि प्रस्ताव को आवश्यक समर्थन नहीं मिल पाया।

प्रश्न 10. 
भारतीय न्यायपालिका की संरचना पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान देश में एकीकृत न्यायिक व्यवस्था की स्थापना करता है। इसका आशय यह है कि विश्व के अन्य संघीय देशों के समान भारत में अलग से प्रान्तीय स्तर के न्यायालय नहीं हैं। यहाँ की व्यवस्था एक पिरामिड की तरह है जिसमें सर्वोच्च न्यायालय सबसे ऊपर है। उसके बाद उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय तथा अधीनस्थ न्यायालय हैं।

प्रश्न 11. 
भारत के सर्वोच्च न्यायालय की कोई चार शक्तियाँ बताइए। 
उत्तर:

  1. इसके फैसले अन्य सभी अदालतों पर बाध्यकारी होते हैं। 
  2. यह उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का स्थानांतरण कर सकता है। 
  3. यह देश की किसी अदालत में चल रहे केस को अपने पास मंगवाकर सुनवाई कर सकता है। 
  4. यह मुकदमों की सुनवाई को एक न्यायालय से दूसरे में स्थानान्तरित कर सकता है। 

प्रश्न 12. 
उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार के बारे में बताइए वह क्या कर सकता है ? 
उत्तर:

  1. उच्च न्यायालय निचली अदालतों के निर्णयों के विरुद्ध अपील की सुनवाई कर सकता है। 
  2. व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों को बहाल करने हेतु रिट जारी कर सकता है। 
  3. राज्य के क्षेत्राधिकार में आने वाले केसों का निपटारा कर सकता है। 
  4. अधीनस्थ न्यायालयों का पर्यवेक्षण व नियन्त्रण कर सकता है। 

RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 6 न्यायपालिका

प्रश्न 13.
जिला अदालत के प्रमुख कार्य बताइए। 
उत्तर:

  1. ये अदालतें जिले में दायर मुकदमों की सुनवाई करती हैं। 
  2. निचली अदालतों के निर्णय से असन्तुष्ट होकर की गयी अपील की सुनवाई करती हैं। 
  3. गम्भीर किस्म के आपराधिक मामलों पर अपना निर्णय देती हैं। 

प्रश्न 14. 
अधीनस्थ अदालतों के कार्य क्या हैं ? 
उत्तर:
अधीनस्थ अदालतें व्यक्तियों के या संस्थाओं के मध्य उठने वाले फौजदारी एवं दीवानी किस्म के मुकदमों पर विचार करती हैं। ये प्राथमिक स्तर की अदालते हैं। सबसे पहले सुनवाई इन्हीं अदालतों में होती है। 

प्रश्न 15. 
भारत के सर्वोच्च न्यायालय को कौन-कौन से क्षेत्राधिकार प्राप्त हैं ?
उत्तर:
हमारा सर्वोच्च न्यायालय विश्व के सबसे शक्तिशाली न्यायालयों में से एक है। संविधान के अनुसार इसे निम्नलिखित क्षेत्राधिकार प्राप्त हैं-

  1. मौलिक क्षेत्राधिकार
  2. रिट सम्बन्धी क्षेत्राधिकार
  3. अपीलीय क्षेत्राधिकार, तथा 
  4. सलाह सम्बन्धी क्षेत्राधिकार।

प्रश्न 16. 
सर्वोच्च न्यायालय की परामर्श देने की शक्ति की दो उपयोगिताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. इससे सरकार को किसी विशेष मामले में न्यायालय की राय जानने का अधिकार मिल जाता है जिससे कि बाद में उत्पन्न होने वाले कानूनी विवाद से बचा जा सकता है।
  2. इससे सरकार अपने प्रस्तावित निर्णय या विधेयक में उचित संशोधन कर सकती है।

प्रश्न 17. 
जनहित याचिका क्या है ?
उत्तर:
जनहित याचिका-जब पीड़ित लोगों की ओर से कोई अन्य व्यक्ति अथवा सामान्य जनहित को ध्यान में रखकर कोई व्यक्ति या समूह जब न्यायालय में याचिका दायर करता है तथा उस पर न्यायालय सुनवाई करता है तो इस प्रकार की याचिकाएँ जनहित याचिका कहलाती हैं।

प्रश्न 18. 
जनहित याचिका के अन्तर्गत किन मामलों की सुनवाई होती है ?
उत्तर:
जनहित याचिका के अन्तर्गत लोगों के अधिकारों की रक्षा, गरीबों के जीवन को और बेहतर बनाने, पर्यावरण की सुरक्षा, तथा लोकहित से जुड़े मामलों की सुनवाई होती है। इनमें सामान्य जन से जुड़ी समस्याओं को न्यायालय के समक्ष रखा जाता है।

प्रश्न 19. 
जनहित याचिका की शुरुआत कब और कैसे हुई ?
उत्तर:
सन् 1979 में कुछ अखबारों में बिहार में लम्बे समय से बन्द कैदियों के बारे में खबरें छपीं, जो अपने अपराध की सजा भुगतने के बाद भी जेल में बन्द थे। इनसे सम्बन्धित एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की जिस केस को हुसैनारा खातून बनाम बिहार राज्य के नाम से जाना गया। इसी से भारत में जनहित याचिका की शुरुआत हुई।

प्रश्न 20. 
सुनील बत्रा बनाम दिल्ली प्रशासन के केस के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
सन् 1980 में तिहाड़ जेल के एक कैदी ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश कृष्णा अय्यर के पास एक पत्र भेजा जिसमें बन्दियों को दी जाने वाली शारीरिक यातनाओं का उल्लेख किया गया था। न्यायमूर्ति अय्यर ने उसी पत्र को जनहित याचिका मानकर सुनवाई की। यही केस सुनील बत्रा बनाम दिल्ली प्रशासन (1980) के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 21. 
जनहित याचिका तथा सक्रिय न्यायपालिका के दो नकारात्मक पहलुओं का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:

  1. इससे न्यायालयों में कार्य का बोझ अत्यधिक बढ़ गया है।
  2. न्यायिक सक्रियता से विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के कार्यों के बीच अन्तर की स्पष्टता में कमी आयी है। इससे न्यायालय कार्यपालिका के कार्यों में उलझ गये हैं।

प्रश्न 22. 
भारतीय संविधान शक्ति के सीमित बंटवारे एवं संतुलन पर आधारित है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संविधान के अनुसार संसद कानून बनाने एवं संविधान में संशोधन करने में सर्वोच्च है। कार्यपालिका उन्हें लागू करने में तथा न्यायपालिका विवादों को सुलझाने तथा बनाये गये कानून संविधान के अनुकूल हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए सर्वोच्च है। इस प्रकार संविधान में स्पष्ट कार्य विभाजन है।

प्रश्न 23. 
विधायिका और कार्यपालिका के मध्य विवाद उत्पन्न करने वाले कुछ प्रमुख मुद्दों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भूमि सुधार कानून, निवारक नजरबन्दी कानून, नौकरियों में आरक्षण सम्बन्धी कानून, सार्वजनिक उद्देश्य के लिए निजी सम्पत्तियों के अधिग्रहण सम्बन्धी कानून, अधिग्रहित निजी सम्पत्ति के मुआवजे सम्बन्धी कानून ये कुछ ऐसे प्रमुख विषय थे जो सन् 1967 से 1973 तक विवाद का विषय बने रहे।

प्रश्न 24.
ऐसे दो मुद्दे बताइए जो आज भी विधायिका एवं न्यायपालिका के बीच विवादित हैं ? 
उत्तर:

  1. विधायिका के विशेषाधिकार हनन से सम्बन्धित विषय में न्यायपालिका में विचार हो सकता है या नहीं। 
  2. न्यायाधीशों के आचरणों पर संसद में चर्चा हो सकती है या नहीं।

उपरोक्त दोनों ही मुद्दे आज भी विवादित हैं जिन पर संसद तथा न्यायपालिका दोनों को ही विचार करना है। 

RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 6 न्यायपालिका

लघुत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-100 शब्द) (S. A. Type 2)

प्रश्न 1. 
हमें स्वतंत्र न्यायपालिका क्यों चाहिए ?
उत्तर:
न्यायपालिका सरकार का एक महत्वपूर्ण अंग है। हमें निम्नलिखित कारणों से स्वतंत्र न्यायपालिका की आवश्यकता पड़ती है
(i) हमें निष्पक्ष ढंग से न्याय करने के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका की आवश्यकता पड़ती है यदि न्यायपालिका पर अनावश्यक नियंत्रण होंगे, तो वह निष्पक्ष ढंग से न्याय नहीं कर पाएगी।

(ii) हमें कानूनों को ठीक ढंग से व्याख्या करने उनको लागू करवाने तथा अधिकार छीने जाने की स्थिति में न्यायपालिका की आवश्यकता पड़ती है। प्रत्येक समाज में व्यक्तियों, समूहों, तथा सरकार आदि के मध्य विवाद उठते रहते हैं। इन विवादों को कानून के शासन के सिद्धान्त पर आधारित स्वतंत्र संस्था द्वारा हल किया जाना चाहिए इसीलिए हमें स्वतंत्र न्यायपालिका की आवश्यकता होती है। कानून के शासन का आशय यह है कि कानून के समक्ष अमीर-गरीब, स्त्री-पुरुष, अगड़े-पिछड़े सभी समान हैं। उनके बारे में समानता के आधार पर ही विचार किया जाता है। इसके अतिरिक्त लोकतन्त्र को बनाये रखने के लिए किसी एक व्यक्ति या वर्ग की तानाशाही उत्पन्न न हो जाय इसलिए भी न्यायपालिका की स्वतंत्रता अति आवश्यक है।

प्रश्न 2. 
न्यायपालिका की स्वतंत्रता से क्या आशय है ? 
उत्तर:
सरल शब्दों में न्यायपालिका की स्वतंत्रता से आशय है कि - 
(क) विधायिका और कार्यपालिका-न्यायपालिका के कार्यों में बाधा उत्पन्न न करे। जिससे वह ठीक से न्याय कर सके।
(ख) सरकार के अन्य अंग न्यायपालिका के निर्णयों में हस्तक्षेप न करें। 
(ग) न्यायाधीश बिना किसी भय के स्वतंत्रतापूर्वक अपना कार्य कर सकें।
स्पष्ट है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता का आशय उसकी स्वेच्छाचारिता या उत्तरदायित्व के अभाव से नहीं है। न्यायपालिका भी देश की लोकतांत्रिक राजनैतिक संरचना का एक भाग है तथा वह देश के संविधान, लोकतांत्रिक परम्परा और जनता के प्रति जवाबदेह है।

प्रश्न 3. 
भारत में स्वतन्त्र न्यायपालिका क्यों स्थापित की गई है ?
उत्तर:
भारत एक प्रजातान्त्रिक देश है। यहाँ संसदीय शासन व्यवस्था को अपनाया गया है जिसमें एक स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका का होना परमावश्यक है, जिसकी आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है

  1. संघात्मक शासन में न्यायालय संविधान की रक्षा करता है।
  2. स्वतन्त्र न्यायपालिका इसलिए भी आवश्यक है ताकि कार्यपालिका एवं व्यवस्थापिका के ऐसे कार्यों को असंवैधानिक घोषित किया जा सके जो संविधान के विपरीत हैं।
  3. संघ सरकार एवं राज्य सरकारों के मध्य उठने वाले विवादों का समाधान सही समय पर हो सके। 
  4. नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा हो सके। प्रश्न 4. भारतीय संविधान में न्यायपालिका को स्वतन्त्रता एवं सुरक्षा कैसे प्रदान की गयी है ?

उत्तर:
न्यायपालिका की स्वतन्त्रता एवं सुरक्षा के लिए संविधान के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं

  1. न्यायाधीशों की नियुक्ति को दलगत राजनीति से दूर रखा गया है। कोई भी कानून का विशेषज्ञ तथा वकालत का अनुभव रखने वाला व्यक्ति न्यायाधीश बन सकता है।
  2. न्यायाधीशों को आसानी से पद से हटाया नहीं जा सकता है। उनका कार्यकाल निश्चित होता है। उनके हटाने की प्रक्रिया को संविधान ने अत्यन्त कठिन बनाया है।
  3. न्यायाधीशों के कार्यों एवं नियमों की व्यक्तिगत आलोचना नहीं की जा सकती है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो वह न्यायिक अवमानना का दोषी माना जायेगा तथा न्यायालय द्वारा उसे दण्डित किया जा सकता है।

प्रश्न 5. 
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत का उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली में स्थित है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या, उच्चतम न्यायालय का क्षेत्राधिकार, न्यायाधीशों के वेतन तथा सेवा-शर्तों को निश्चित करने का अधिकार संसद को प्रदान किया गया है। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों, कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश तथा तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति भारतीय राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर एवं मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा करता है। हालाँकि राष्ट्रपति का यह अधिकार सैद्धान्तिक है तथा व्यवहार में उसकी इस शक्ति का प्रयोग केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद करती है। मुख्य न्यायाधीश को नियुक्त करते समय वरिष्ठता क्रम का ध्यान रखा जाता है, लेकिन इस बारे में संवैधानिक बाध्यता न होने की वजह से कभी-कभी वरिष्ठता क्रम की उपेक्षा भी कर दी जाती है।

प्रश्न 6. 
न्यायाधीशों की नियुक्ति में विवाद के कारण क्या हैं ?
उत्तर:
न्यायाधीशों की नियुक्ति सामान्यतया राजनीतिक विवाद का कारण बन जाती है। क्योंकि यह बात महत्वपूर्ण होती है कि उच्च एवं सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश कौन है ? उसका राजनीतिक दर्शन क्या है ? सक्रिय एवं मुखर न्यायपालिका के विषय में उसके क्या विचार हैं ? नियन्त्रित और प्रतिबद्ध न्यायपालिका के बारे में उसके क्या विचार हैं ? इन सभी बातों का प्रभाव लागू होने वाले कानूनों पर पड़ता है। इसके कारण सभी राजनीतिक दल अपने विचार से मेल खाने वाले व्यक्ति को न्यायाधीश बनाना चाहते हैं। इसी कारण विवाद उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 7. 
न्यायपालिका की नियुक्ति में सर्वोच्च न्यायालय तथा मन्त्रिपरिषद की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने एक नई व्यवस्था की है जिसके अनुसार न्यायाधीशों की नियुक्ति हेतु सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों की सलाह से राष्ट्रपति के पास कुछ नाम भेजता है। इसी में से राष्ट्रपति न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है। इस प्रकार सर्वोच्च न्यायालय ने नियुक्तियों के मामले में सामूहिकता के सिद्धान्त को स्थापित किया है। आजकल इन नियुक्तियों में सर्वोच्च न्यायालय तथा मन्त्रिपरिषद् की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। साथ ही वरिष्ठ न्यायाधीशों के प्रभाव में भी वृद्धि हुई है।

प्रश्न 8. 
न्यायाधीशों को पद से हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:
भारत में सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को उनके पद से हटाना काफी कठिन है। कदाचार साबित होने या अयोग्यता की स्थिति में ही उन्हें पद से हटाया जा सकता है। न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया में विधायिका की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। संसद के विशेष समर्थन से ही महाभियोग चलाकर न्यायाधीशों को पद से हटाया जा सकता है। किसी न्यायाधीश को हटाने के लिए संसद के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। अब तक केवल एक न्यायाधीश वी. रामास्वामी को हटाने के लिए संसद में महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया था वह भी सफल नहीं रहा था।

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प्रश्न 9. 
भारत की एकीकृत न्यायिक व्यवस्था को समझाइए।
उत्तर:
भारत में संविधान के अनुसार एकीकृत न्यायिक प्रणाली लागू है। जिसमें उच्चतम न्यायालय शीर्ष पर है तथा निम्न स्तर पर अधीनस्थ अदालतें कार्यरत हैं। अधीनस्थ अदालतों के फैसलों की समीक्षा जिला अदालतें करती हैं। इसी प्रकार जिला अदालतों के फैसलों की समीक्षा उच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के फैसलों की सर्वोच्च न्यायालय समीक्षा करता है। इस प्रकार सर्वोच्च न्यायालय को सर्वोच्च शक्ति प्राप्त है। वह अपने पूर्व में दिये गये निर्णयों की भी समीक्षा कर सकता है। सभी उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों से बाध्य होते हैं तथा उसके निर्णय देश के अन्य न्यायालयों को भी दिशा देते हैं। इस प्रकार देश में एकीकृत न्यायिक व्यवस्था लागू है।

प्रश्न 10. 
उच्चतम न्यायालय के परामर्शदात्री (सलाहकारी) क्षेत्राधिकार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 143 के अन्तर्गत उच्चतम न्यायालय के परामर्शदात्री अधिकार का वर्णन किया गया है। भारत का राष्ट्रपति लोकहित या संविधान की व्याख्या से सम्बन्धित किसी विषय पर सर्वोच्च न्यायालय से राय माँग सकता है। सरकार जब कानून बनाती है या विचार करती है तो वह न्यायिक कार्यवाही से बचने के लिए पहले ही सर्वोच्च न्यायालय से सलाह ले सकती है। इससे विवाद के उठने की सम्भावना कम हो जाती है। दूसरे सर्वोच्च न्यायालय की सलाह मानकर सरकार अपने प्रस्तावित निर्णय या विधेयक में समुचित संशोधन कर सकती है।

प्रश्न 11. 
न्यायपालिका के कोई चार कार्य लिखिए। 
उत्तर:
न्यायपालिका के कार्य- न्यायपालिका के चार प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं
(1) न्याय करना- संसद अथवा राज्य विधायिका के बनाए गए कानूनों को कार्यपालिका लागू करती है परंतु राज्य के अतंर्गत कई नागरिक ऐसे भी होते हैं जो इन कानूनों का उल्लंघन करते हैं। कार्यपालिका ऐसे व्यक्तियों को पकड़कर न्यायपालिका के समक्ष पेश करती है। न्यायपालिका मुकदमों को सुनकर न्याय करती है।

(2) कानून की व्याख्या- न्यायपालिका, संसद अथवा राज्य विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों की व्याख्या करती है। कई बार विधानमण्डल के बनाए हुए कानून स्पष्ट नहीं होते। अतः कानूनों को स्पष्टता की आवश्यकता पड़ती है। तब न्यायपालिका उन कानूनों की व्याख्या कर उन्हें स्पष्ट करती है।

(3) कानूनों का निर्माण- साधारणतया कानूनों का निर्माण विधायिका के द्वारा किया जाता है परंतु कई दशाओं में न्यायपालिका भी कानूनों का निर्माण करती है। कानूनों की व्याख्या करते समय न्यायाधीश कई नए अर्थों को जन्म देते हैं। जिससे उस कानून का अर्थ ही बदल जाता है जो एक नए कानून का निर्माण करता है।

(4) संविधान का संरक्षक- संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखने की जिम्मेदारी न्यायपालिका की होती है। न्यायपालिका को अधिकार प्राप्त होता है कि यदि विधानपालिका कोई ऐसा कानून बनाए जो संविधान की धाराओं के विरुद्ध हो तो उस कानून को असंवैधानिक घोषित कर दे।

प्रश्न 12. 
उच्चतम न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय भारत में अपील का अन्तिम विकल्प है। इसमें उच्च न्यायालयों द्वारा दिए गये निर्णयों के विरुद्ध अपील की जा सकती है। इसके क्षेत्राधिकार में निम्नलिखित अपीलें की जाती हैं

  1. वैधानिक अपीलें-संविधान की व्याख्या से सम्बन्धित विवाद की अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है।
  2. दीवानी अपीलें-यदि किसी विवाद में कानून की व्याख्या से सम्बन्धित प्रश्न निहित हों तो ऐसे मामलों की अपील भी सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है।
  3. आपराधिक मामलों में सम्बन्धित निर्णयों की अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है। 
  4. इसके अलावा धारा 136 के तहत अन्य विशिष्ट अपीलें सुनने का अधिकार है। 

प्रश्न 13. 
सर्वोच्च न्यायालय के रिट सम्बन्धी क्षेत्राधिकार की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय को रिट सम्बन्धी क्षेत्राधिकार प्राप्त है। रिटों के माध्यम से न्यायालय कार्यपालिका को कुछ करने या न करने का आदेश देता है। रिट जारी करने का अधिकार संविधान में उच्च न्यायालयों को भी दिया गया है लेकिन जिस व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन होता है उसे यह अधिकार दिया गया है कि वह उच्च या सर्वोच्च न्यायालय में से किसी में भी रिट दायर कर सकता है। न्यायालय व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए बंदी-प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, निषेध आदेश, उत्प्रेषण-लेख तथा अधिकार पृच्छा रिट जारी कर सकता है।

प्रश्न 14. 
उच्चतम न्यायालय की न्यायिक सक्रियता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उच्चतम न्यायालय ने सार्वजनिक कल्याण की स्थापना हेतु सामाजिक एवं आर्थिक शोषण तथा प्रशासनिक स्वेच्छाचारिता को आधार बनाते हुए अनुच्छेद 32 के अन्तर्गत लोकहित याचिकाओं की स्वीकृति की अनुमति प्रदान करके यह स्थापित किया है कि कानून द्वारा स्थापित कार्यवाही भी विवेकसम्मत तथा न्यायपूर्ण होनी चाहिए। इस तरह की लोकहितकारी याचिकाओं की सुनवायी हेतु मुकदमे न्यायालय के सामने लाकर सुनवाई करते समय विभिन्न कानूनी औपचारिकताओं पर ध्यान न देकर मौलिक मुद्दे पर पहुँचना ही 'न्यायिक सक्रियता' कहलाता है। विवेकपूर्ण कार्यवाहियों के आधार पर उच्चतम न्यायालय ने अनेक शासकीय आदेशों को अवैधानिक करार दिया है।

प्रश्न 15. 
'न्यायिक पुनरावलोकन' से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
न्यायिक पुनरावलोकन' अथवा 'न्यायिक समीक्षा' अंग्रेजी भाषा के 'ज्यूडिशियल रिव्यू' का हिन्दी अनुवाद है। इसका अभिप्राय यह है कि न्यायालय को व्यवस्थापिका द्वारा पारित कानूनों और कार्यपालिका के आदेशों की संवैधानिकता सुनिश्चित करने का अधिकार प्राप्त होता है। यह संविधान की सर्वोच्चता बनाये रखने, संघ एवं राज्य सरकारों द्वारा शक्तियों का अतिक्रमण न करने, नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के निमित्त न्यायालय को अधिकृत करता है।'न्यायिक पुनरावलोकन' की परिभाषा करते हुए ई. ए. ओर्विन ने लिखा है कि "यह न्यायलय की ऐसी शक्ति है जिसके द्वारा वह कानून की संवैधानिकता उच्चतम न्यायालय के निर्णय और इसकी समस्त न्यायिक कार्यवाहियाँ प्रकाशित करता है और जो सब जगह तथा सदैव साक्षी के रूप में स्वीकार की जाती है।" .

प्रश्न 16. 
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के तीन क्षेत्रधिकार कौन-कौन से है?
उत्तर:

  • मौलिक क्षेत्राधिकार- सर्वोच्च न्यायालय को कुछ मुकदमों में प्रारंभिक क्षेत्राधिकार प्राप्त है अर्थात् कुछ मुकदमें ऐसे हैं जो सर्वोच्च न्यायालय में सीधे ले जाए जा सकते हैं।
  • अपीलीय क्षेत्राधिकार- कुछ मुकदमें सर्वोच्च न्यायालय के पास उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरूद्ध अपील के रूप में आते है, ये अपीलें, संवैधानिक दीवानी और फौजदारी तीनों प्रकार के मुकदमों में सुनी जा सकती है।
  • परामर्शकारी क्षेत्राधिकार- राष्ट्रपति किसी सार्वजनिक महत्व के विषय पर सर्वोच्च न्यायालय से कानूनी सलाह ले सकता है, लेकिन राष्ट्रपति के लिए यह अनिवार्य नहीं है कि सर्वोच्च न्यायालय के परामर्श के अनुसार कार्य करें।

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प्रश्न 17. 
"सर्वोच्यय न्यायालय भारतीय संविधान का संरक्षक है।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संविधान भारत की सर्वोच्च विधि है और किसी भी व्यक्ति, सरकारी कर्मचारी, अधिकारी अथवा सरकार का कोई अंग इसके विरूद्ध आचरण नहीं कर सकता। इसकी रक्षा करना सर्वोच्च न्यायालय का कर्तव्य है। इसलिए सर्वोच्च न्यायालय को विधानमण्डलों द्वारा बनाए गए कानूनों तथा कार्यपालिका द्वारा जारी किए गए आदेशों पर न्यायिक पुनरावलोकन का अधिकार प्राप्त है। सर्वोच्च न्यायालय इस बात की जाँच-पड़ताल तथा निर्णय कर सकता है कि कोई कानून यार आदेश संविधान की धाराओं के अनुसार है या नहीं। यदि सर्वोच्च न्यायालय को यह विश्वास हो जाए कि किसी भी कानून से संविधान का उल्लंघन हुआ है तो वह उसे असंवैधानिक घोषित करके रद्द कर सकता है। ये अधिकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय सरकार के अन्य दोनों अंगों पर नियंत्रण रखता है और अपने अधिकारों का दुरूपयोग या सीमा का उल्लंघन नहीं करने देते। संघ और राज्यों को भी वह अपने क्षेत्र से आगे नहीं बढ़ने देता।

निबन्धात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-150 शब्द)

प्रश्न 1. 
भारत में स्वतन्त्र न्यायपालिका की आवश्यकता पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रजातान्त्रिक देश है, इसलिए प्रजातान्त्रिक सिद्धान्तों के अनुरूप शासन के संचालन के लिए सरकार के तीनों अंगों में समन्वय के साथ-ही-साथ अपने-अपने क्षेत्र में पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त होनी चाहिए, ताकि कोई भी सरकार का अंग इतना अधिक शक्तिशाली न हो जाये जिससे जनहित एवं राष्ट्र के विकास में असुविधा उत्पन्न होने लग जाये। इसी परिप्रेक्ष्य में भारत में एक स्वतन्त्र एवं सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई है, जिसका वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं में किया जा रहा है। भारत में न्यायालय की स्वतन्त्रता की आवश्यकता 
(1) कानून के शासन की अनुपालना के लिए भारत में संसदीय शासन व्यवस्था को अपनाया गया है जिसमें कानून के शासन को प्राथमिकता दी जाती है। कानून के शासन को सुनिश्चित करने के लिए सरकार के अंगों के मध्य पृथक्करण एवं सामंजस्य की आवश्यकता है ताकि कार्यपालिका, व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका अपने-अपने दायित्व का निर्वाह कर सकें। भारत में न्यायपालिका का सबसे प्रमुख कार्य कानून के शासन एवं संविधान की सर्वोच्चता की सुरक्षा करना है, इसके साथ ही साथ यह भी ध्यान रखना है कि व्यवस्था का एवं कार्यपालिका संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन न करे।

(2) संघात्मक व्यवस्था का रक्षक-भारतीय संघात्मक व्यवस्था में संविधान के द्वारा संघीय (केन्द्र) और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का वितरण किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय इस शक्ति-विभाजन की रक्षा करता है। यह संविधान की व्याख्या करने वाला उच्चतम अधिकारी है, साथ ही यह संघ तथा राज्यों के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों का निर्णय करने वाला अन्तिम अधिकरण है।

(3) मौलिक अधिकारों का रक्षक-भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को छः मौलिक अधिकार प्रदान किये गये हैं। इन मौलिक अधिकारों की रक्षा भी सर्वोच्च न्यायालय (उच्चतम न्यायालय) ही करता है। नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 32 के अन्तर्गत वर्णित लेख और आदेश जारी कर सकता है; जैसे- बन्दी प्रत्यक्षीकरण लेख, परमादेश लेख, उत्प्रेषण, प्रतिषेध तथा अधिकार पृच्छा लेख।

(4) लोकतन्त्र की सुरक्षा-लोकतंत्र की सफलता के लिए स्वतन्त्र न्यायपालिका का होना अनिवार्य है। लोकतंत्र के अनिवार्य तत्व स्वतंत्रता और समानता हैं। अत: नागरिकों को स्वतन्त्रता और समानता के अवसर देने के साथ अपने कार्य का सम्पादन करेगी।

(5) संविधान की रक्षा- संविधान की रक्षा के लिए भी हमें स्वतंत्र न्यायपालिका की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखने की जिम्मेदारी न्यायपालिका पर ही होती है।

(6) प्रशासनिक कार्य- न्यायपालिका को प्रशासनिक कार्य भी करने पड़ते हैं। भारत में सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय एवं निम्न न्यायालयों पर प्रशासनिक नियंत्रण रखता है।

(7) परामर्श देना- न्यायपालिका कानूनी मामलों में परामर्श भी देती है। भारत में राष्ट्रपति किसी भी विषय पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श भी ले सकता है परन्तु उसके परामर्श को मानना या न मानना राष्ट्रपति पर निर्भर करता है।

(8) निष्पक्ष ढंग से न्याय करना- हमारे देश में निष्पक्ष ढंग से न्याय करने के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका की आवश्यकता पड़ती है। यदि न्यायपालिका पर अनावश्यक नियंत्रण होंगे तो वह निष्पक्ष ढंग से न्याय नहीं कर पाएगी।

प्रश्न 2. 
न्यायिक पुनरावलोकन से आप क्या समझते हैं ? इसे स्पष्ट करते हुए भारत में न्यायिक पुनरावलोकन की प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
न्यायिक पुनरावलोकन का तात्पर्य न्यायालय द्वारा कानूनों तथा प्रशासकीय नीतियों की संवैधानिकता की जाँच तथा ऐसे कानूनों एवं नीतियों को असंवैधानिक घोषित करना है जो संविधान के किसी अनुच्छेद पर अतिक्रमण करती हैं। संविधान के अनुच्छेद 13 व 132 सर्वोच्च न्यायालय को क्रमशः संघ और राज्यों की विधि के न्यायिक पुनरावलोकन का अधिकार प्रदान करते हैं। प्रजातन्त्रीय शासन प्रणाली में नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा एवं सरकार के अंगों में अवरोध एवं सामंजस्य स्थापित करने के लिए न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति न्यायालय को दी गई है।

न्यायिक पुनरावलोकन की प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 में सर्वोच्च न्यायालय को संसद द्वारा बनाये गये किसी कानून की समीक्षा करने का अधिकार दिया गया है कि वह उसकी संवैधानिकता की जाँच कर सकता है। न्यायालय यह देखेगा कि विचाराधीन कानून संविधान के सम्मत है या नहीं। यदि वह उसे संविधान के विपरीत पाता है तो उस कानून को लागू होने से रोक सकता है तथा उसे निलम्बित या निरस्त कर सकता है और यदि न्यायालय यह समझता है कि विचाराधीन कानून से संविधान के मूल प्रावधानों का उल्लंघन नहीं हो रहा है तो वह उस कानून को लागू करने की अनुमति दे सकता है। संविधान के मूल प्रावधान क्या हैं? इस बारे में निर्णय लेने का अधिकार न्यायालय ने अपने पास रखा है अर्थात् न्यायालय संविधान संशोधन की प्रक्रिया को भी तब रोक सकता है जबकि वह संविधान संशोधन संविधान के मूल भाव में ही परिवर्तन ला रहा हो।

भारत के उच्चतम न्यायालय ने पिछले अनेक वर्षों में ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं। न्यायिक पुनरावलोकन के अधिकारों का प्रयोग किया गया है; जैसे-गोलकनाथ बनाम मद्रास राज्य के मुकदमे में निवारक निरोध अधिनियम के 14वें खण्ड को असंवैधानिक घोषित किया गया है। स्वर्ण नियंत्रण अधिनियम, पाकिस्तानी शरणार्थियों के भारत आगमन पर रोक लगाने सम्बन्धी अधिनियम, बैंक राष्ट्रीयकरण अधिनियम तथा अखबारी कागज सम्बन्धी नीति आदि। इस प्रकार हम देखते हैं कि संविधान में सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक पुनरावलोकन की महत्वपूर्ण शक्ति दी गयी है। 

प्रश्न 3. 
सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार- सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है
(1) मौलिक क्षेत्राधिकार- मौलिक क्षेत्राधिकार का अर्थ है कि कुछ मुकदमों की सुनवाई सीधे सर्वोच्च न्यायालय कर सकता है। ऐसे मुकदमों में पहले निचली अदालतों में सुनवाई जरूरी नहीं। सर्वोच्च न्यायालय का मौलिक क्षेत्राधिकार उसे संघीय मामलों से संबंधित सभी विवादों में एक निर्णायक की भूमिका देता है। किसी भी संघीय व्यवस्था में केन्द्र तथा राज्यों के बीच और विभिन्न राज्यों में परस्पर कानूनी विवादों का उठना स्वाभाविक है। इन विवादों का समाधान करने की जिम्मेदारी सर्वोच्च न्यायालय की है इसे मौलिक क्षेत्राधिकार इसलिए कहते हैं क्योंकि इन मामलों को केवल सर्वोच्च न्यायालय ही हल कर सकता है। इनकी सुनवाई न तो उच्च न्यायालय और न ही अधीनस्थ न्यायालयों में हो सकती है। अपने इस अधिकार का प्रयोग कर सर्वोच्च न्यायालय न केवल विवादों को सुलझाता है अपितु संविधान में दी गई संघ एवं राज्य सरकारों की शक्तियों की व्याख्या करता है।

(2) 'रिट' संबंधी क्षेत्राधिकार- मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर कोई भी व्यक्ति न्याय प्राप्त करने हेतु सीधे सर्वोच्च न्यायालय जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय अपने विशेष आदेश रिट के रूप में दे सकता है। उच्च न्यायालय भी रिट जारी कर सकते हैं, लेकिन जिस व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है उसके पास विकल्प है कि वह चाहे तो उच्च न्यायालय या सीधे सर्वोच्च न्यायालय जा सकता है। इन रिटों के माध्यम से न्यायालय कार्यपालिका को कुछ करने या न करने का आदेश दे सकता है।

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(3) अपीलीय क्षेत्राधिकार- सर्वोच्च न्यायालय अपील का उच्चतम न्यायालय है। कोई भी व्यक्ति उच्च न्यायालय के निर्णय के विरूद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकता है। लेकिन उच्च न्यायालय को यह प्रमाणपत्र देना पड़ता है कि वह मुकदमा सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने लायक है अर्थात् उसमें संविधान या कानून की व्याख्या करने जैसा कोई गंभीर मामला उलझा है। यदि फौजदारी के मामले में निचली अदालत किसी को फाँसी की सजा दे दे, तो उसकी अपील सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय में की जा सकती है। अगर किसी मुकदमें में उच्च न्यायालय अपील की आज्ञा न दे तो भी सर्वोच्च न्यायालय के पास यह शक्ति है कि वह उस मुकदमें में की गई अपील को विचार कर स्वीकार कर ले। अपीलीय क्षेत्राधिकार का अर्थ यह है कि सर्वोच्च न्यायालय पूरे मुकदमें पर पुनर्विचार करेगा एवं उसके कानूनी मुद्दों की दुबारा जाँच करेगा। यदि न्यायालय को लगता है कि कानून या संविधान का अर्थ वह नहीं है जो निचली अदालतों ने समझा तो सर्वोच्च न्यायालय उनके निर्णों को बदल सकता है तथा उन प्रावधानों की नई व्याख्या भी कर सकता है।

(4) सलाह संबंधी क्षेत्राधिकार- मौलिक और अपीलीय क्षेत्राधिकार के अतिरिक्त सर्वोच्च न्यायालय का परामर्श संबंधी क्षेत्राधिकार भी है इसके अनुसार, भारत का राष्ट्रपति लोकहित या संविधान की व्याख्या से संबंधित किसी विषय को सर्वोच्च न्यायालय के पास सलाह के लिए भेज सकता है। लेकिन न तो सर्वोच्च न्यायालय ऐसे किसी विषय पर सलाह देने के लिए बाध्य है और न ही राष्ट्रपति न्यायालय की सलाह मानने को।

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. 
भारतीय संविधान के किस भाग में संघीय न्यायपालिका का उल्लेख है?
(अ) भाग II
(ब) भाग- III 
(स) भाग- IV 
(द) V 
उत्तर:
(द) V 

प्रश्न 2. 
सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है?
(अ) राष्ट्रपति 
(ब) संसद
(स) सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश 
(द) सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से राष्ट्रपति 
उत्तर:
(द) सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से राष्ट्रपति 

प्रश्न 3. 
भारत के सर्वोच्च न्यायालय का एक न्यायाधीश कितनी उम्र तक अपने पद पर बना रह सकता है?
(अ) 65 वर्ष 
(ब) 58 वर्ष 
(स) 60 वर्ष
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) 65 वर्ष 

प्रश्न 4. 
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु है
(अ) 65 वर्ष 
(ब) 55 वर्ष
(स) 60 वर्ष
(द) 58 वर्ष 
उत्तर:
(अ) 65 वर्ष 

प्रश्न 5. 
जब राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों के पद खाली हों तब उसके काम कौन करता है?
(अ) प्रधानमंत्री
(ब) गृहमंत्री 
(स) भारत के मुख्य न्यायाधीश
(द) लोक सभाध्यक्ष 
उत्तर:
(स) भारत के मुख्य न्यायाधीश

प्रश्न 6.
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में विवाद के मामलों को किसको प्रस्तुत किया जाता है? 
(अ) मुख्य निर्वाचन आयुक्त
(ब) संसद 
(स) भारत का उच्चतम न्यायालय
(द) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर:
(स) भारत का उच्चतम न्यायालय

प्रश्न 7. 
उच्चतम न्यायालय के न्यायिक पुनरीक्षण कार्य का क्या अर्थ है?
(अ) स्वयं अपने निर्णय का पुनरीक्षण
(ब) देश में न्यायपालिका के काम-काज का पुनरीक्षण 
(स) कानूनों की संवैधानिक वैधता का पुनरीक्षण 
(द) संविधान का आवधिक पुनरीक्षण 
उत्तर:
(स) कानूनों की संवैधानिक वैधता का पुनरीक्षण 

प्रश्न 8. 
न्यायिक पुनर्विलोकन का अर्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय
(अ) को सभी प्रकरणों पर अंतिम अधिकार प्राप्त है 
(ब) राष्ट्रपति के विरूद्ध दोषारोपण कर सकता है 
(स) उच्च न्यायालय द्वारा निर्णित प्रकरणों का समालोचना कर सकता है 
(द) किसी भी राज्य के कानून को अवैध घोषित कर सकता है 
उत्तर:
(द) किसी भी राज्य के कानून को अवैध घोषित कर सकता है 

प्रश्न 9. 
भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद विवाद में सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार से सम्बन्धित है?
(अ) अनुच्छेद-131
(ब) अनुच्छेद- 132 
(स) अनुच्छेद- 134A को मिलाकर 132 अनुच्छेद को पढ़ना 
(द) अनुच्छेद- 134A को मिलाकर अनुच्छेद- 133 को पढ़ना 
उत्तर:
(स) अनुच्छेद- 134A को मिलाकर 132 अनुच्छेद को पढ़ना 

RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 6 न्यायपालिका

प्रश्न 10. 
केन्द्र और राज्यों के बीच होने वाले विवादों का निर्णय करने की भारत के उच्चतम न्यायालय की शक्ति आती
(अ) इसकी परामर्शी अधिकारिता के अंतर्गत
(ब) इसकी अपीलीय अधिकारिता के अंतर्गत 
(स) इसकी मूल अधिकारिता के अंतर्गत
(द) इसकी संविधिक अधिकारिता के अंतर्गत 
उत्तर:
(स) इसकी मूल अधिकारिता के अंतर्गत

प्रश्न 11. 
भारत का उच्चतम न्यायालय कानूनी तथ्य के मामले में राष्ट्रपति को परामर्श देता है। 
(अ) अपनी पहल पर
(ब) तभी जब वह ऐसे परामर्श के लिए कहता है 
(स) तभी जब मामला नागरिकों के मूलभूत अधिकारों से संबंधित हो । 
(द) तभी जब मामला देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा पैदा करता हो
उत्तर:
(ब) तभी जब वह ऐसे परामर्श के लिए कहता है 

प्रश्न 12. 
किस वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि संसद को मूल अधिकार में संशोधन करने की शक्ति प्राप्त है, पर वह संविधान के मूल ढाँचे में संशोधन नहीं कर सकती?
(अ) लोकसभाध्यक्ष
(ब) राष्ट्रपति 
(स) अटार्नी जनरल ऑफ इण्डिया
(द) सर्वोच्च न्यायालय 
उत्तर:
(अ) लोकसभाध्यक्ष

प्रश्न 14. 
निम्नलिखित में से किसके मामले उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय दोनों की अधिकारिता में आते हैं?
(अ) केन्द्र और राज्यों के बीच विवाद
(ब) राज्यों के परस्पर विवाद 
(स) मूल अधिकारों का संरक्षण
(द) संविधान के उल्लंघन से संरक्षण 
उत्तर:
(स) मूल अधिकारों का संरक्षण

प्रश्न 15.
जब भारतीय न्यायिक पद्धति में लोकहित मुकदमा (PIL) लाया गया तब भारत के मुख्य न्यायमूर्ति कौन थे?
(अ) एम. हिदायतुल्ला 
(ब) ए.एम. अहमदी 
(स) ए.एस. आनन्द 
(द) पी.एन. भगवती
उत्तर:
(स) ए.एस. आनन्द 

प्रश्न 16. 
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश भारत में राष्ट्रपति द्वारा हटाए जा सकते हैं
(अ) सी.बी.आई की जाँच पर
(ब) भारत के मुख्य न्यायाधीश की जाँच पर 
(स) भारत की बार काउन्सिल की रिपोर्ट पर 
(द) संसद में महाभियोग प्रस्ताव पारित होने पर 
उत्तर:
(द) संसद में महाभियोग प्रस्ताव पारित होने पर 

प्रश्न 17. 
सर्वोच्च न्यायालय के जजों का वेतन किसके आहरित होता है?
(अ) सहायक अनुदान 
(ब) आकस्मिकता निधि 
(स) संचित निधि 
(द) लोक लेखा 
उत्तर:
(स) संचित निधि 

प्रश्न 18. 
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के सेवानिवृत्ति की अधिकतम उम्र सीमा क्या है?
(अ) 65 वर्ष
(ब) 62 वर्ष 
(स) 61 वर्ष
(द) 58 वर्ष 
उत्तर:
(ब) 62 वर्ष 

RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 6 न्यायपालिका

प्रश्न 19. 
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(1) भारत में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के लिए रीति उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की रीति के समान है। 
(2) उच्च न्यायालय का कोई स्थायी न्यायाधीश अपने पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात भारत के किसी भी न्यायालय या किसी प्राधिकारी के समक्ष अभिवचन नहीं कह सकता। 
(अ) केवल 1 
(ब) केवल 2 
(स) 1 और 2 दोनों 
(द) न तो 1 और नहीं 2 
उत्तर:
(अ) केवल 1 

प्रश्न 20. 
भारत में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है? (मेट्रो रेल परीक्षा) 
(अ) सम्बन्धित राज्य के मुख्यमंत्री
(ब) सम्बन्धित राज्य के राज्यपाल 
(स) भारत के मुख्य न्यायाधीश
(द) भारत के राष्ट्रपति 
उत्तर:
(द) भारत के राष्ट्रपति 

Prasanna
Last Updated on Nov. 29, 2023, 11:53 a.m.
Published Nov. 28, 2023