Rajasthan Board RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 5 विधायिका Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
कक्षा 11 राजनीति विज्ञान अध्याय 5 विधायिका प्रश्न उत्तर प्रश्न 1.
भारतीय संसद में सदनों की संख्या है
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार।
उत्तर:
(ख) दो
विधायिका के महत्वपूर्ण प्रश्न 2.
निम्न में से किस राज्य में द्विसदनात्मक विधानमंडल नहीं है
(क) राजस्थान
(ख) उत्तर प्रदेश
(ग) आन्ध्र प्रदेश
(घ) महाराष्ट्र
उत्तर:
(क) राजस्थान
Class 11 Political Science Chapter 5 Vidhayika Question Answers In Hindi प्रश्न 3.
सामान्यतया लोकसभा का कार्यकाल होता है
(क) दो वर्ष
(ख) चार वर्ष
(ग) पाँच वर्ष
(घ) छः वर्ष।
उत्तर:
(ग) पाँच वर्ष
Political Science Class 11 Chapter 5 Question Answers In Hindi प्रश्न 4.
प्रस्तावित कानून के प्रारूप को कहा जाता है
(क) कानून
(ख) विधेयक
(ग) महाभियोग
(घ) अधिवेशन।
उत्तर:
(ख) विधेयक
विधायिका पाठ के प्रश्न-उत्तर प्रश्न 5.
संसद द्वारा कार्यपालिका को उत्तरदायी बनाने का सबसे सशक्त अधिकार है
(क) अविश्वास प्रस्ताव
(ख) विधेयक
(ग) शून्यकाल
(घ) दल बदल।
उत्तर:
(क) अविश्वास प्रस्ताव
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
प्रश्न- निम्न को सुमेलित कीजिए
(i) लोकसभा |
(अ) संयुक्त राज्य अमेरिका |
(ii) बुंदेस्टैग |
(ब) जर्मनी |
(iii) सीनेट |
(स) लघु विधायिका |
(iv) संसदीय समितियाँ |
(द) भारत |
उत्तर:
(i) लोकसभा |
(द) भारत |
(ii) बुंदेस्टैग |
(ब) जर्मनी |
(iii) सीनेट |
(अ) संयुक्त राज्य अमेरिका |
(iv) संसदीय समितियाँ |
(स) लघु विधायिका |
प्रश्न- रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
उत्तर:
प्रश्न- सत्य/असत्य कथन को छाँटिए
उत्तर:
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (शब्द सीमा-20 शब्द)
Class 11 Political Science Chapter 5 Question Answers In Hindi प्रश्न 1.
सरकार के कानून बनाने वाले अंग को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
विधायिका।
Vidhayika Class 11 Important Questions प्रश्न 2.
भारत की केन्द्रीय विधायिका को किस नाम से जाना जाता है ? अथवा हमारी राष्ट्रीय विधायिका का क्या नाम है।
उत्तर:
संसद।
Vidhayika Class 11 Question Answer In Hindi प्रश्न 3.
भारतीय संसद के दोनों सदनों के नाम बताइए।
उत्तर:
Class 11 Pol Science Chapter 5 Question Answer In Hindi प्रश्न 4.
द्विसदनात्मक विधायिका किसे कहते हैं ?
उत्तर:
दो सदनों वाली विधायिका को द्विसदनात्मक विधायिका कहते हैं।
Ch 5 Class 11 Pol Vidhayika Question Answer प्रश्न 5.
भारत के किन राज्यों में द्वि-सदनात्मक विधायिका है ?
उत्तर:
बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना एवं आन्ध्र प्रदेश में द्वि-सदनात्मक विधायिका है। .
विधायिका 11th Class Question Answer प्रश्न 6.
राज्यसभा संसद का कौन-सा सदन है ?
उत्तर:
उच्च सदन।
Vidhayika Question Answer प्रश्न 7.
राज्यसभा किसका प्रतिनिधित्व करती है ?
उत्तर:
राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है।
कार्यपालिका पाठ के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर प्रश्न 8.
संविधान की किस अनुसूची में राज्य सभा सदस्यों की संख्या निश्चित की गयी है ?
उत्तर:
चौथी अनुसूची में।
Class 11th Political Science Chapter 5 Question Answer In Hindi प्रश्न 9.
प्रत्येक दो वर्ष पश्चात् राज्यसभा के कितने सदस्यों का चुनाव होता है ?
उत्तर:
एक तिहाई सदस्यों का।
Class 11 Political Science Chapter 5 Question Answer In Hindi प्रश्न 10.
राज्यसभा के सदस्यों को कितने वर्ष के लिए निर्वाचित किया जाता है ?
उत्तर:
छः वर्ष के लिए।
Laghu Vidhayika Kise Kahate Hain प्रश्न 11.
राज्यसभा में सर्वाधिक सीटें किस राज्य से हैं तथा कितनी हैं ?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश से 31 सीटें हैं।
भारत का संविधान सिद्धांत और व्यवहार पाठ 5 के प्रश्न उत्तर प्रश्न 12.
सिक्किम में राज्यसभा की कितनी सीटें हैं ?
उत्तर:
एक।
प्रश्न 13.
राज्यसभा में कितने मनोनीत सदस्य होते हैं?
उत्तर:
12।
प्रश्न 14.
संयुक्त राज्य अमेरिका के द्वितीय सदन का नाम बताइए।
उत्तर:
सीनेट।
प्रश्न 15.
जर्मनी में विधायिका किस प्रकार की है ?
उत्तर:
द्विसदनात्मक।
प्रश्न 16.
जर्मन विधायिका के दोनों सदनों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 17.
प्रत्यक्ष निर्वाचन किसे कहते हैं?
उत्तर:
लोकसभा और राज्यों को विधानसभाओं के लिए जनता सदस्यों को सीधे चुनती है, इसे प्रत्यक्ष निर्वाचन कहते हैं।
प्रश्न 18.
लोकसभा के सदस्यों का चुनाव किस आधार पर होता है ?
उत्तर:
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर।
प्रश्न 19.
लोकसभा के निर्वाचन क्षेत्र कितने हैं ?
उत्तर:
543 क्षेत्र।
प्रश्न 20.
लोकसभा के सदस्यों को कितने वर्ष के लिए चुना जाता है?
उत्तर:
5 वर्ष के लिए।
प्रश्न 21.
लोकसभा को भंग करने का अधिकार किसे है ?
उत्तर:
प्रधानमंत्री के परामर्श पर राष्ट्रपति को।
प्रश्न 22.
संसद के कोई दो कार्य बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 23.
लोकसभा की कोई दो शक्तियाँ बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 24.
राज्यसभा की कोई दो शक्तियाँ बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 25.
राज्यसभा का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
राज्यों के हितों का संरक्षण करना।
प्रश्न 26.
धन विधेयक संसद के किस सदन में ही प्रस्तुत किया जा सकता है?
उत्तर:
लोकसभा में।
प्रश्न 27.
मंत्रिपरिषद संसद के किस सदन के प्रति उत्तरदायी है?
उत्तर:
मंत्रिपरिषद केवल लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है।
प्रश्न 28.
संसद के दोनों सदनों में कौन-सा सदन अधिक शक्तिशाली है ?
उत्तर:
लोकसभा।
प्रश्न 29.
प्रस्तावित कानून के प्रारूप को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
विधेयक।
प्रश्न 30.
सरकारी विधेयक किसे कहते हैं?
उत्तर:
मंत्री द्वारा प्रस्तुत विधेयक को सरकारी विधेयक कहते हैं।
प्रश्न 31.
निजी विधेयक किसे कहते हैं?
उत्तर:
मंत्री के अतिरिक्त किसी और सदस्य द्वारा प्रस्तुत विधेयक निजी विधेयक कहलाता है।
प्रश्न 32.
राज्यसभा धन विधेयक को अधिकतम कितने दिनों तक रोक सकती है ?
उत्तर:
14 दिन।
प्रश्न 33.
लघु विधायिका किसे कहते हैं ?
उत्तर:
संसदीय समितियों को।
प्रश्न 34.
संसदीय समितियों को लघु विधायिका क्यों कहते हैं?
उत्तर:
संसदीय समितियों में सभी संसदीय दलों को प्रतिनिधित्व प्राप्त होता है इसलिए इन्हें लघु विधायिका कहा जाता है।
प्रश्न 35.
किन परिस्थितियों में संसद का संयुक्त अधिवेशन बुलाया जाता है?
उत्तर:
प्रश्न 36.
भारत में संसद की स्थायी समितियों की प्रणाली कब से विकसित की गयी हैं ?
उत्तर:
सन् 1983 से।
प्रश्न 37.
विभिन्न विभागों से सम्बन्धित संसद की कितनी स्थायी समितियाँ हैं ? उत्तर-20 समितियाँ। प्रश्न 38. दलबदल किसे कहते हैं?
उत्तर:
यदि कोई सदस्य अपने दल के नेतृत्व के आदेश के बावजूद सदन में उपस्थित न हो या दल के निर्देश के विपरीत सदन में मतदान करे अथवा स्वेच्छा से दल की सदस्यता से त्यागपत्र देकर दूसरे दल की सदस्यता ग्रहण कर ले तो उसे दलबदल कहते हैं।
प्रश्न 39.
दल बदल निरोधक कानून कब बना?
उत्तर:'
सन् 1985 में।
प्रश्न 40.
52वाँ संविधान संशोधन किससे सम्बन्धित था ?
उत्तर:
दलबदल निरोधक कानून से।
लघु उत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-40 शब्द) (S.A. Type 1)
प्रश्न 1.
हमें संसद की क्या आवश्यकता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संसद कानून बनाने के साथ-साथ लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रक्रिया के केन्द्र के रूप में अनेक कार्य करती है। इसमें बहस, बहिर्गमन, विरोध प्रदर्शन, सर्वसम्मति, सहयोग आदि के द्वारा लोकतंत्र को मजबूत बनाया जाता है। इसके द्वारा जन- तिनिधियों का जनता के प्रति उत्तरदायित्व सुनिश्चित होता है। अतः प्रतिनिधिक लोकतंत्र के लिए संसद अति आवश्यक है।
प्रश्न 2.
संसद में दो सदनों की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर:
हमारी विधायिका का नाम संसद है। इसके दो सदन है-राज्यसभा, लोकसभा। समाज के सभी वर्गों एवं देश के सभी क्षेत्रों को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए इसमें दो सदनों की व्यवस्था की गई है। इसका एक दूसरा लाभ यह भी है कि संसद के निर्णयों पर दो बार विचार हो जाता है।
प्रश्न 3.
राज्यसभा में प्रतिनिधित्व के लिए किन दो सिद्धांतों का प्रयोग किया जा सकता है?
उत्तर:
राज्यसभा में प्रतिनिधित्व के लिए निम्न दो सिद्धांतों का प्रयोग किया जा सकता है-
प्रश्न 4.
संसद की किन्हीं चार शक्तियों के नाम लिखिए। उत्तर-संसद की चार शक्तियाँ निम्नलिखित हैं
उत्तर:
जर्मनी में विधायिका के दो सदन हैं- बुंदेस्टैग (फेडरल एसेंबली) तथा बुंदेसरैट (फेडरल कौंसिल)। इसमें एसेंबली का चुनाव प्रत्यक्ष और समानुपातिक प्रतिनिधित्व की एक मिली-जुली जटिल प्रक्रिया द्वारा 4 वर्ष के लिए होता है तथा कौंसिल में जर्मनी के सभी 16 संघीय राज्यों को जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया है। इसके सदस्य सामान्यतया राज्य सरकारों के मंत्री होते हैं।
प्रश्न 6.
लोकसभा की विशेष शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
धन विधेयक को संशोधित करने या अस्वीकृत/स्वीकृत करने का अधिकार केवल लोकसभा को ही प्राप्त है। मन्त्रिपरिषद भी केवल लोकसभा के प्रति ही उत्तरदायी होती है। राज्यसभा केवल उसकी आलोचना कर सकती है लेकिन उनको हटा नहीं सकती है। लोकसभा के सदस्यों का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है इसलिए इसे राज्यसभा से अधिक शक्तिशाली बनाया गया है।
प्रश्न 7.
लोकसभा सदस्यों का निर्वाचन किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर:
संसद के निम्न सदन अर्थात् लोकसभा के 543 सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से गुप्त मतदान द्वारा वयस्क मताधिकार के आधार पर किया जाता है, अर्थात् प्रत्येक 18 वर्ष के महिला एवं पुरुष मतदाताओं को लोकसभा सदस्यों को चुनने का अधिकार है। सम्पूर्ण देश को अलग-अलग चुनाव क्षेत्रों में विभक्त किया गया है। प्रत्येक क्षेत्र में जिस प्रत्याशी को सर्वाधिक मत मिलते हैं, वह लोकसभा का सदस्य बन जाता है।
प्रश्न 8.
लोकसभा की समयावधि पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सामान्यतया लोकसभा के कार्यकाल की समयावधि पाँच वर्ष है, लेकिन कोई दल या दलों का गठबंधन सरकार न बना सके अथवा राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सिफारिश पर 5 वर्ष से पहले भी लोकसभा को भंग कर सकता है। अतः परिस्थितियों के अनुरूप । इसकी समयावधि कम अथवा अधिक हो सकती है। सरकार के अल्पमत में आ जाने पर भी लोकसभा भंग होने की आशंका रहती है।
प्रश्न 9.
लोकसभा की कौन-कौन सी शक्तियाँ हैं ? बताइए।
उत्तर:
लोकसभा की शक्तियों में संघ सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानूनों का निर्माण करना, राज्य के वित्त पर अंकुश लगाकर आम बजट पारित करना, मन्त्रिपरिषद् पर नियन्त्रण रखना, संविधान संशोधन करना, राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के चुनाव में मताधिकार का प्रयोग करना, राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाना, न्यायाधीशों तथा अन्य उच्चाधिकारियों को पदच्युत कराने सम्बन्धी प्रस्ताव पारित कराना इत्यादि उल्लेखनीय हैं।
प्रश्न 10.
लोकसभा मन्त्रिपरिषद् पर किस प्रकार नियन्त्रण लगाती है ?
उत्तर:
केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद् सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है तथा उसका विश्वास खो देने पर उसे पदच्युत होना पड़ता है। अर्थात् लोकसभा द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पारित किए जाने पर मन्त्रिपरिषद् को त्यागपत्र देना पड़ता है। लोकसभा सदस्य मन्त्रियों से प्रश्न एवं पूरक प्रश्न पूछते हैं तथा स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके अलावा वे सरकारी विधेयक अथवा बजट को अस्वीकार करके अथवा मन्त्रियों के वेतन में कटौती करके मन्त्रिपरिषद पर नियन्त्रण रखते हैं।
प्रश्न 11.
राज्यसभा की शक्तियों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राज्यसभा सामान्य कानूनों को बनाने में हिस्सा लेती है। राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा के सदस्य भाग लेते हैं। इसके दो-तिहाई बहुमत की स्वीकृति के बिना कोई भी संवैधानिक संशोधन नहीं हो सकता। राज्यसभा जहाँ मन्त्रिपरिषद् से प्रश्न पूछकर उस पर नियन्त्रण लगाती है वहीं राष्ट्रपति को पदच्युत करने सम्बन्धी महाभियोग की प्रक्रिया में भी भाग लेती है। राज्यसभा अपने दो-तिहाई बहुमत से नई अखिल भारतीय सेवाएँ शुरू करने का अधिकार केन्द्र सरकार को देती है।
प्रश्न 12.
संसद कार्यपालिका को कैसे नियंत्रित करती है ?
उत्तर:
संसदीय लोकतंत्र में जिस दल या गठबन्धन को बहुमत प्राप्त होता है उसके सदस्यों को मिलाकर ही कार्यपालिका बनती है। यह कार्यपालिका अपनी शक्तियों का तानाशाही पूर्ण प्रयोग न करे इसलिए संसद इस पर बहस, कानूनों की स्वीकृति/अस्वीकृति वित्तीय नियंत्रण तथा अविश्वास प्रस्ताव आदि के द्वारा नियंत्रण रखती है।
प्रश्न 13.
संसद स्वयं को कैसे नियंत्रित करती है ? अथवा संसद अपने ऊपर कैसे नियंत्रण रखती है?
उत्तर:
संसद बहस करने का सर्वोच्च मंच है। इसके जरिये ही संसद अपने सभी कार्यों को करती है। लेकिन इसका सार्थक एवं अनुशासित होना भी अतिआवश्यक है। इसकी कार्यवाही सुचारु एवं गरिमामयी ढंग से चलती रहे इसके लिए संविधान में प्रावधान किये गये हैं। प्रत्येक सदन का अध्यक्ष उस सदन का सर्वोच्च अधिकारी होता है। इसलिए उसे सदस्यों को अनुशासित रखने तथा दलबदल को रोकने के पर्याप्त अधिकार दिये गये हैं।
प्रश्न 14.
"राज्यसभा सरकार की आलोचना तो कर सकती है पर उसे हटा नहीं सकती।"क्या आप बता सकते हैं कि ऐसा क्यों?
उत्तर:
क्योंकि राज्यसभा को जनता नहीं बल्कि विधायक चुनते हैं। अतः संविधान में राज्यसभा को लोकसभा के बराबर शक्तियाँ नहीं दी है। संविधान द्वारा अपनायी गयी लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता के पास अंतिम शक्ति होती है। इस तर्क के अनुसार जनता द्वारा प्रत्यक्ष विधि से निर्वाचित प्रतिनिधियों (लोकसभा के सदस्य) के पास ही सरकार को हटाने की शक्ति दी गयी है।
प्रश्न 15.
संसदीय समितियाँ क्या कार्य करती हैं ?
उत्तर:
भारत में संसद की स्थायी समितियों की प्रणाली 1983 से प्रचलन में है। विभिन्न विभागों से सम्बन्धित संसद की 20 समितियाँ हैं। ये कानून बनाने के साथ-साथ सदन के दैनिक कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये विधेयकों का गहन अध्ययन, मंत्रालयों की अनुदान माँगों का अध्ययन, विभिन्न विभागों के खर्चों की जाँच, भ्रष्टाचार के मामलों की जाँच आदि कार्य करती हैं।
लघु उत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-100 शब्द) (S.A. Type 2)
प्रश्न 1.
विधायिका का क्या महत्व है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विधायिका का महत्व-विधायिका जनता द्वारा निर्वाचित होती है तथा यह जनता के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करती है। विधायिका कानून बनाने के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों का जनता के प्रति उत्तरदायित्व भी.सुनिश्चित करती है। यह मन्त्रिमण्डल पर नियंत्रण रखती है। यह वाद-विवाद का सबसे लोकतांत्रिक एवं खुला मंच होने के कारण लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का केन्द्र एवं प्रतिनिधिक लोकतन्त्र का आधार है। अत्यन्त शक्तिशाली मन्त्रिमण्डल को भी विधायिका में बहुमत की आवश्यकता होती है। अपनी संरचनात्मक विशेषता के कारण विधायिका सरकार के अन्य सभी अंगों की अपेक्षा अधिक प्रतिनिधिक है। इसके पास कार्यपालिका (सरकार) के चयन एवं उसे अपदस्थ करने की महत्वपूर्ण शक्ति है।
प्रश्न 2.
भारतीय संसद की रचना की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संसद की रचना-भारतीय संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार- "संघ के लिए एक संसद होगी जो राष्ट्रपति और दोनों सदनों राज्यसभा एवं लोकसभा से मिलकर बनेगी।" राज्यसभा भारतीय संसद का उच्च सदन है जो जनता का प्रतिनिधि त्वि न करके राज्यों का प्रतिनिधित्व करता है। इसके सदस्यों की संख्या 250 हो सकती है जिनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति ऐसे व्यक्तियों में से जिन्हें विशेष क्षेत्रों में प्रसिद्धि प्राप्त हुई हो, मनोनीत कर सकता है। लोकसभा संसद का निम्न सदन है और यह समस्त देश का प्रतिनिधि त्व करता है। लोकसभा के सदस्यों की कुल संख्या 552 हो सकती है। इनमें से 550 निर्वाचित और 2 सदस्य राष्ट्रपति के द्वारा एंग्लो इंडियन नियुक्त किए जाते हैं। इसके अलावा राष्ट्रपति संघीय संसद का भाग जरूर है परंतु इसका सदस्य नहीं है।
प्रश्न 3.
राज्यसभा का गठन किस प्रकार होता है? अथवा राज्यसभा की रचना विधि बताइए।
उत्तर:
राज्यसभा का गठन/रचना विधि-राज्यसभा भारतीय संसद का उच्च सदन एवं स्थायी सदन है। इसके सदस्यों को 6 वर्ष के लिए निर्वाचित किया जाता है। भारतीय संविधान के अनुसार राज्यसभा के सदस्यों की संख्या अधिक-से-अधिक 250 हो सकती है, जिनमें से 238 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले होंगे, 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जा सकते हैं, जिन्हें समाज सेवा, कला तथा विज्ञान, शिक्षा आदि के क्षेत्र में विशेष प्रसिद्धि प्राप्त हो चुकी हो। हमारे देश में विभिन्न राज्यों की जनसंख्या के आधार पर उनके द्वारा भेजे जाने वाले सदस्यों की संख्या संविधान द्वारा निश्चित की गई है। उदाहरण के रूप में जहाँ सिक्किम से एक, हिमाचल प्रदेश से तीन तथा हरियाणा से पाँच सदस्य चुने जाते हैं। वहीं उत्तरप्रदेश से राज्यसभा में 31 प्रतिनिधि भेजे जाते हैं।
प्रश्न 4.
लोकसभा की रचना किस प्रकार होती है? बताइए अथवा लोकसभा का गठन बताइए।
उत्तर:
लोकसभा की रचना/गठन-लोकसभा भारतीय संसद का निम्न सदन है। लोकसभा सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर लोगों द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों से गठित होती है। भारतीय संविधान के अनुसार सदन में सदस्यों की अधिकतम संख्या-552 तक हो सकती है जिसमें से 530 सदस्य विभिन्न राज्यों का और 20 सदस्य तक केन्द्र शसित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। सदन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं होने की स्थिति में राष्ट्रपति यदि चाहे तो आंग्ल-भारतीय समुदाय के 2 प्रतिनिधियों को लोकसभा के लिए मनोनीत कर सकता है। लोकसभा की कार्यावधि 5 वर्ष है परन्तु इसे समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है। वर्तमान में लोकसभा की कुल सदस्य संख्या 545 है। इनमें 543 निर्वाचित सदस्य हैं और 2 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा आंग्ल-भारतीय समुदाय से नियुक्त किए हुए हैं।
प्रश्न 5.
लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्यों के निर्वाचन में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्यों के निर्वाचन में अन्तर-राज्यसभा को संसद का उच्च सदन तथा लोकसभा को निम्न सदन कहा जाता है। राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष विधि से छ: वर्ष के लिए होता है। स्थायी सदन होने के कारण प्रत्येक दो वर्ष बाद इसके 1/3 सदस्यों का चयन होता है। जबकि लोकसभा के सदस्यों का चयन प्रत्यक्ष विधि से वयस्क मताधिकार द्वारा होता है। इसके सदस्य जनता द्वारा 5 वर्ष के लिए चुने जाते हैं। राज्यसभा के सदस्यों के निर्वाचन के लिए विधानमण्डल के सदस्य वोट डालते हैं जबकि लोकसभा के सदस्यों के निर्वाचन के लिए आम जनता द्वारा वोट डाले जाते हैं। अतः इन दोनों सदनों के सदस्यों की निर्वाचन प्रक्रिया में अन्तर है।
प्रश्न 6.
संसद की विधायी शक्तियों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संसद की विधायी शक्तियाँ-संसद किसी भी संघ सूची या समवर्ती सूची के विषय में कानून बना सकती है। अतः संसद कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है, लेकिन फिर भी विधेयकों को तैयार करने का कार्य मंत्री के निर्देशन में नौकरशाही द्वारा ही किया जाता है। विधेयक का उद्देश्य तथा उसे संसद में प्रस्तुत करने का समय मन्त्रिमण्डल ही तय करता है। कोई भी महत्वपूर्ण विधेयक बिना मंत्रिमण्डल की स्वीकृति के संसद में पेश नहीं किया जाता । संसद का कोई भी सदस्य निजी विधेयक भी प्रस्तुत कर सकता है। लेकिन सरकार के समर्थन के बिना वह कानून का रूप नहीं ले सकता है क्योंकि बहुमत सरकार के साथ ही होता है।
प्रश्न 7.
संसद की वित्तीय शक्तियाँ क्या हैं ? बताइए।
उत्तर:
संसद की वित्तीय शक्तियाँ-संघ का वित्त संसद के नियन्त्रण में होता है। संसद की अनुमति के बिना कोई नया कर नहीं लगाया जा सकता है तथा संघ सरकार द्वारा कोई राशि एकत्रित नहीं की जा सकती। संघ सरकार द्वारा किये जाने वाले किसी भी व्यय पर संसद का अनुमोदन जरूरी है। सरकार को अपने द्वारा खर्च किए गए धन का हिसाब और प्रस्तावित आय का विवरण संसद को देना पड़ता है। संसद यह भी सुनिश्चित करती है कि सरकार न तो गलत खर्च करे और न ही अधिक खर्च करे। संसद यह सब बजट और वार्षिक वक्तव्य के माध्यम से करती है।
केन्द्रीय बजट सरकार द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है तथा वही उसका अनुमोदन करती यदि सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट लोकसभा में पारित न हो सके अथवा बजट में किसी माँग के सम्बन्ध में किसी सदस्य द्वारा रखा गया कटौती प्रस्ताव पारित हो जाये तो मन्त्रिपरिषद् को पद त्यागना होता है। सरकार की वित्तीय गतिविधियों पर नियन्त्रण के लिए संसद द्वारा अनेक प्रकार की स्थायी समितियों का गठन किया जाता है। इन समितियों में प्राक्कलन समिति, लोक उपक्रम से सम्बन्धित समिति प्रमुख हैं। भारत की संचित निधि से कोई भी व्यय किये जाने के लिए संसद का अनुमोदन आवश्यक है।
प्रश्न 8.
लोकसभा और राज्यसभा की शक्तियों की तुलना कीजिए।
उत्तर:
लोकसभा और राज्यसभा की शक्तियों की तुलना-लोकसभा और राज्यसभा की शक्तियों की तुलना निम्न प्रकार से है
लोकसभा |
राज्यसभा |
1. संघ सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाती है। धन विधेयकों और सामान्य विधेयकों को प्रस्तुत और पारित करती है। |
1. सामान्य विधेयकों पर विचार कर उन्हें पारित करती है और धन विधेयकों में संशोधन प्रस्तावित करती है। |
2. प्रश्न पूछकर, पूरक प्रश्न पूछकर, प्रस्ताव लाकर और अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से कार्यपालिका को नियंत्रित करती है। |
2. प्रश्न पूछकर और संकल्प और प्रस्ताव प्रस्तुत करके कार्यपालिका पर नियंत्रण करती है। |
3. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करती है तथा उन्हें और सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटा सकती है। |
3. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भागीदारी करती है तथा उन्हें और सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटा सकती है। उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही लाया जा सकंता है। |
4. संविधान में संशोधन करती है। |
4. संवैधानिक संशोधनों को पारित करती है। |
प्रश्न 9.
राज्यसभा की विशिष्ट शक्तियों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
राज्यसभा की विशिष्ट शक्तियाँ-राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है अतः इसका प्रमुख उद्देश्य राज्यों के हितों का सरंक्षण करना होता है। राज्यों के हितों को प्रभावित करने वाले किसी भी विषय पर इसकी सहमति आवश्यक होती है। जैसे -माना कि केन्द्र सरकार राज्य के किसी विषय पर कानून बनाना चाहे तो उसे पहले राज्यसभा से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। इस प्रावधान से राज्यसभा की शक्ति में वृद्धि होती है। लेकिन ऐसा भी देखने में आता है कि इसके सदस्य अपने-अपने राज्य से अधिक अपने-अपने दल का प्रतिनिधित्व करते हैं। अतः राज्यसभा की यह शक्ति संविधान प्रदत्त है, लेकिन व्यवहार में नहीं देखी जाती।
प्रश्न 10.
लोकसभा की विशिष्ट शक्तियों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
लोकसभा की विशिष्ट शक्तियों-लोकसभा जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित प्रतिनिधियों का सदन है। अतः संविधान द्वारा लोकसभा को कुछ ऐसी विशिष्ट शक्तियाँ दी गयी हैं, जो इसे राज्यसभा की तुलना में अधिक शक्तिशाली बनाती हैं। कुछ ऐसी शक्तियाँ हैं, जिनका प्रयोग केवल लोकसभा ही कर सकती है। केवल लोकसभा में ही धन विधेयक प्रस्तुत किए जा सकते है और वही उसे संशोधित या अस्वीकृत कर सकती है। मंत्रिपरिषद केवल लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है, राज्यसभा के प्रति नहीं। लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव द्वारा मंत्रिपरिषद को अपने पद से हटा सकती है। वहीं राज्यसभा सरकार की आलोचना तो कर सकती है पर उसे पद से नहीं हटा सकती।
प्रश्न 11.
किन-किन मामलों में लोकसभा व राज्यसभा की शक्तियाँ एक समान हैं ? उत्तर-लोकसभा और राज्यसभा की शक्तियों में समानता-निम्नलिखित मामलों में दोनों सदनों की शक्तियाँ समान हैं
प्रश्न 12.
धन विधेयक और सामान्य विधेयक में चार अन्तर बताइये।
उत्तर:
धन विधेयक और सामान्य विधेयक में अन्तर-धन विधेयक और सामान्य विधेयक में चार अन्तर निम्नलिखित हैं
प्रश्न 13.
संसदीय नियंत्रण के साधन कौन-कौन से हैं ? बताइए।
उत्तर:
संसदीय नियंत्रण के प्रमुख साधन- संसदीय नियंत्रण के प्रमुख साधन निम्नलिखित हैं
(1) बहस और वाद-विवाद-इसके अन्तर्गत संसद को प्रश्नकाल, शून्यकाल तथा कार्यपालिका पर नियंत्रण रखने का अधिकार प्राप्त है।
(2) कानूनों की स्वीकृति या अस्वीकृति-संसद प्रस्तुत विधेयकों को यदि पारित कर देती है तो वह कानून बन जाते हैं लेकिन वह अस्वीकृत कर देती है तो वह कानून नहीं बन सकते हैं। अत: इससे कार्यपालिका पर संसद का नियंत्रण बना रहता है।
(3) वित्तीय नियन्त्रण-सरकारी कार्यक्रमों को लागू करने के लिए वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था बजट द्वारा की जाती है। बजट बनाकर संसद से पारित करा लेने के बाद ही सरकार कोई धन व्यय कर सकती है तथा तभी कोई नया कर लगा सकती है। अतः सरकारी खजाने पर संसद का नियन्त्रण रहता है।
(4) अविश्वास प्रस्ताव-संसद द्वारा कार्यपालिका को उत्तरदायी बनाने का सबसे शक्तिशाली हथियार 'अविश्वास प्रस्ताव' है। इसके पारित हो जाने पर सरकार को त्यागपत्र देना होता है। अतः सरकार को संसद में अपना विश्वास बनाये रखना जरूरी होता है।
प्रश्न 14.
संसदीय समितियों के महत्व पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर;
संसदीय समितियों का महत्व-सन् 1983 से भारत में संसद की स्थायी समितियों की प्रणाली विकसित की गई है। विभिन्न विभागों से सम्बन्धित संसद की 20 स्थायी समितियाँ हैं। ये समितियाँ कानून बनाने के साथ-साथ संसद के दैनिक कार्यों में भी अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती हैं। ये समितियाँ विभिन्न विभागों के कार्यों, उनके बजट खर्चे तथा उनसे सम्बन्धित विधेयकों की देखरेख करती हैं। संसद की स्थायी समितियों ने संसद के कार्यभार को कम कर दिया है क्योंकि प्रस्तुत विधेयकों पर पहले स्थायी समितियों द्वारा ही विस्तार से विचार-विमर्श किया जाता है। उसके बाद इसके द्वारा किये गये संशोधनों के साथ विधेयक संसद में पेश होता है। अत: ये संसद के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 15.
दल-बदल क्या है ? इसे रोकने के क्या उपाय किए गए हैं ?
उत्तर:
दल-बदल और इसे रोकने के उपाय-किसी एक राजनैतिक दल के सदस्य या सदस्यों का अपने दल को छोड़कर व्यक्तिगत या अन्य हितों के कारण अन्य राजनैतिक दल की सदस्यता ग्रहण कर लेना ही दल-बदल कहलाता है। इसमें अपने पुराने दल की सदस्यता का त्याग कर दिया जाता है। इसे पक्ष परिवर्तन, एक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल हो जाना, सदन में सत्ताधारी दल छोड़कर विरोधी दल में मिल जाना, खेमा बदल लेना भी कह सकते हैं। दल-बदल रोकने के लिए सन् 1985 में संविधान का 52वाँ संशोधन किया गया इसे 'दल-बदल निरोधक कानून' कहते हैं। इसे बाद में 91वें संशोधन द्वारा पुनः संशोधित किया गया।
निबंधात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-150 शब्द)
प्रश्न 1.
संसद में दो सदनों की क्या आवश्यकता है? विस्तारपूर्वक बताइए।
अथवा
भारत में संसद के दो सदन क्यों बनाए गये हैं? बताइए।
उत्तर:
भारत में संसद के दो सदनों की आवश्यकता-भारतीय संसद द्विसदनीय है, इसके उच्च सदन को राज्यसभा तथा निम्न सदन को लोकसभा कहा जाता है। भारतीय संसद के दो सदन निम्नलिखित कारणों से बनाये गए हैं
1. द्विसदनीय परंपरा-भारतीय संसद को द्विसदनीय बनाने का सबसे महत्वपूर्ण कारण यह था कि भारत में स्वतंत्रता से पूर्व केन्द्रीय विधान मंडल द्विसदनीय था। अतः भारतीय नेताओं को दूसरे सदन की उपयोगिता का अनुभव था।
2. दूसरा सदन पहले सदन की निरंकुशता की रोकथाम करता है-शक्ति मनुष्य को भ्रष्ट करती है। जहाँ एक सदन होता है वह शीघ्र ही निरंकुश बन जाता है। अतः लोकसभा को निरंकुश बनने से रोकने के लिए राज्यसभा की स्थापना की गई।
3. दूसरा सदन अविचारपूर्ण और जल्दबाजी में पारित किए गए कानूनों को रोकता है-भारतीय संसद को द्विसदनीय बनाया गया ताकि पहले सदन द्वारा जल्दबाजी में पारित किए गए विधेयकों को दूसरा सदन थोड़े समय के लिए रोक लेता है और इससे जनता की राय का पता चल जाता है।
4. विधेयकों को दोहराना-दूसरा सदन पहले सदन द्वारा पारित किए गए विधेयकों को दोहराता है और विधेयक में रह गई कमियों को दूर करता है।
5. दूसरा सदन पहले सदन की बचत करता है-दूसरे सदन में विवादहीन विरोधहीन विधेयक को पेश किया जाता है। इन बिलों पर पूर्णरूप से विचार करने के बाद विधेयकों को पहले सदन के पास भेज दिया जाता है। पहला सदन इन विधेयकों को शीघ्र ही पास कर देता है। इस प्रकार दूसरा सदन पहले सदन के समय की बचत करता है।
6. दूसरा सदन अधिक स्थायी है-दूसरे सदन की व्यवस्था इसलिए की गई क्योंकि दूसरा सदन लोकसभा की अपेक्षा अधिक स्थायी है। लोकसभा को अवधि समाप्त होने से पहले भंग किया जा सकता है परन्तु राज्यसभा को भंग नहीं किया जा सकता है।
7. विशिष्ट प्रतिभाओं को प्रतिनिधित्व-कला, पत्रकारिता, खेल आदि क्षेत्रों की विशिष्ट प्रतिभाओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए राज्यसभा की व्यवस्था की गई।
8. दूसरा सदन संघात्मक राज्य के लिए अनिवार्य-भारत में संघात्मक शासन-प्रणाली को अपनाया गया और संघात्मक शासन-प्रणाली में दूसरे सदन का होना अनिवार्य है ताकि संघ की इकाइयों को दूसरे सदन में प्रतिनिधित्व दिया जा सके। राज्य सभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रश्न 2.
भारतीय संसद की रचना विधि को विस्तारपूर्वक समझाइए। अथवा भारतीय संसद का गठन किस प्रकार होता है? वर्णन करो।
उत्तर:
भारतीय संसद की रचना/गठन-भारतीय संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार- "संघ के लिए एक संसद होगी जो राष्ट्रपति और दोनों सदनों- राज्यसभा तथा लोकसभा से मिलकर बनेगी" लोकसभा-लोकसभा भारतीय संसद का निम्न सदन है और समस्त देश का प्रतिनिधित्व करता है। 1973 में 31वें संशोधन के अनुसार लोकसभा की अधिकतम संख्या 545 निश्चित की गई। परन्तु गोवा, दमन और दीव पुनर्गठन अधिनियम 1987 के द्वारा लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों की अधिकतम संख्या 550 निश्चित की गई। इन 550 सदस्यों में से 530 सदस्य राज्यों के और 20 सदस्य संघीय क्षेत्रों के हो सकेंगे।
इसके अतिरिक्त यदि राष्ट्रपति को विश्वास हो कि एंग्लो-इंडियन जाति को आम चुनाव में प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं हुआ तो वह 2 ऍग्लो-इंडियन को लोकसभा में नियुक्त कर सकता है। इस प्रकार लोकसभा के सदस्यों की संख्या 552 हो सकती है। वर्तमान में लोकसभा के 545 सदस्य हैं। इनमें से 543 सदस्य निर्वाचित हैं और 2 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा ऐंग्लो-इंडियन समुदाय के नियुक्त किए गए हैं। मनोनीत सदस्यों को छोड़कर शेष सभी सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से सार्वभौम वयस्क मताधिकार द्वारा चुने जाते हैं। संविधान द्वारा लोकसभा की समयावधि पाँच वर्ष निर्धारित है। लेकिन अपरिहार्य परिस्थितियों में इसे बढ़ाया भी जा सकता है और पाँच वर्ष से पूर्व भी प्रधानमंत्री की सलाह पर इसे राष्ट्रपति द्वारा भंग किया जा सकता है। लोकसभा के सदस्य अपने में से अध्यक्ष तथा एक उपाध यक्ष चुनते हैं। राज्यसभा-राज्यसभा
भारतीय संसद का उच्च सदन है जो जनता का प्रतिनिधित्व न करके राज्यों का प्रतिनिधित्व करता है। इसके सदस्यों की अधिक से अधिक संख्या 250 निश्चित की गई है जिनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा ऐसे व्यक्तियों में से जिन्हें विज्ञान, कला, साहित्य, समाज सेवा आदि क्षेत्र में विशेष प्रसिद्धि प्राप्त हो चुकी है, मनोनीत किए जाते हैं। इस समय राज्यसभा के सदस्यों की कुल संख्या 245 है जिनमें से 233 राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं और शेष 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए गए हैं। राज्यसभा के सदस्य 6 वर्ष के लिए चुने जाते हैं। एक तिहाई सदस्य प्रति दो वर्ष बाद अपना कार्यकाल पूरा करते हैं। भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। राज्यसभा के सदस्य अपने में से एक उपसभापति भी चुनते हैं जो अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उसके कार्यों को सम्पन्न करता है। लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों को सांसद कहा जाता है। इनके वेतन, भत्ते एवं अन्य सुविधाओं का निर्धारण संसद द्वारा ही किया जाता है।
प्रश्न 3.
संसद के कार्य और शक्तियाँ बताइए। अथवा संसद क्या करती है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संसद के कार्य और शक्तियाँ-संसद के कार्य और शक्तियाँ निम्नलिखित हैं
1. विधायी शक्तियाँ-संसद का मुख्य कार्य कानून निर्माण करना है। संसद सम्पूर्ण देश या देश के किसी भाग के लिए कानून बनाती है। उसे संघीय सूची में दिए गए सभी विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है। समवर्ती सूची पर संसद और राज्यों के विधान मण्डलों दोनों को ही कानून बनाने का अधिकार है परन्तु यदि किसी विषय पर संसद और राज्य के विधान मंडलों के कानून में पारस्परिक विरोध हो तो संसद का कानून लागू होता है। कुछ परिस्थितियों में राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार संसद को प्राप्त है।
2. वित्तीय शक्तियाँ-संसद कराधान और सरकार द्वारा धन के प्रयोग पर नियन्त्रण रखती है। वित्तीय वर्ष के आरम्भ होने से पहले बजट संसद में पेश किया जाता है। संसद इस पर विचार करके अपनी स्वीकृति देती है। संसद की स्वीकृति के बिना सरकार जनता पर कोई कर नहीं लगा सकती और न ही धन खर्च कर सकती है। संसद यह भी सुनिश्चित करती है कि सरकार न तो गलत खर्च करे और न ही अधिक खर्च करे।
3. कार्यपालिका पर नियंत्रण तथा उसका उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना-संसद का सबसे महत्वपूर्ण कार्य कार्यपालिका को उसके अधिकार क्षेत्र में सीमित रखने और जनता (जिसने उसे चुना है) के प्रति उसका उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना है। जिस दल या दलों के गठबंधन को लोकसभा में बहुमत हासिल होता है उसी के सदस्यों को मिलाकर संसदीय लोकतंत्र में कार्यपालिका बनती है। संभव है कि बहुमत की ताकत पाकर यह कार्यपालिका अपनी शक्तियों का मनमाना प्रयोग करने लगे। जब संसद सक्रिय और सचेत होगी तभी वह कार्यपालिका पर नियमित और प्रभावी नियंत्रण रख सकेगी। संसद अनेक विधियों का प्रयोग कर कार्यपालिका को नियंत्रित करती है। इन विधियों में बहस और चर्चा, कानून की स्वीकृति या अस्वीकृति, वित्तीय नियंत्रण, अविश्वास प्रस्ताव आदि हैं।
4. प्रतिनिधित्व-संसद देश के विभिन्न क्षेत्रीय, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक समूहों के अलग-अलग विचारों का प्रतिनिधित्व करती है। .
5. बहस का मंच-संसद देश में वाद-विवाद का सबसे बड़ा मंच है। विचार-विमर्श करने की उसकी शक्ति पर कोई अंकुश नहीं है। सदस्यों को किसी भी विषय पर निर्भीकता से बोलने की स्वतंत्रता है। इससे संसद राष्ट्र के समक्ष आने वाले किसी भी मुद्दे का विश्लेषण कर पाती है। यह विचार-विमर्श हमारी लोकतांत्रिक निर्णय प्रक्रिया की आत्मा है।
6. निर्वाचन संबंधी कार्य-संसद निर्वाचन संबंधी कार्य भी करती है। यह भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करती है।
7. संवैधानिक कार्य-संसद के पास संविधान में संशोधन करने की शक्ति है। संसद के दोनों सदनों की संवैधानिक शक्तियाँ एक समान हैं। प्रत्येक संविधान संशोधन का संसद के दोनों सदनों के द्वारा एक विशेष बहुमत से पारित होना जरूरी है।
8. न्यायिक कार्य-भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाए जाने के प्रस्तावों पर विचार करने के कार्य संसद के न्यायिक कार्य के अंतर्गत आते हैं।
प्रश्न 4.
राज्यसभा की शक्तियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
राज्यसभा की शक्तियाँ राज्यसभा की शक्तियों को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है
(1) विधायी शक्तियाँ-धन या वित्त विधेयक के अतिरिक्त अन्य विधेयक संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत हो सकते हैं। धन विधेयक केवल लोकसभा में ही प्रस्तावित हो सकता है। साधारण विधेयक तब तक पारित नहीं समझा जाएगा जब तक वह राज्यसभा से पारित न हो जाए।
(2) कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियाँ-हालांकि राज्यसभा का कार्यपालिका पर नियन्त्रण नहीं रहता तथा वह उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं कर सकती। लेकिन यह प्रश्नोत्तर, ध्यानाकर्षण, निन्दा तथा काम रोको प्रस्ताव एवं संसदीय समितियों के माध्यम से कार्यपालिका पर अंकुश लगाती है।
(3) वित्तीय शक्तियाँ-वित्त के सम्बन्ध में राज्यसभा लोकसभा की अपेक्षा कमजोर है, क्योंकि वित्त विधेयक सबसे पहले राज्यसभा में नहीं रखे जा सकते। लोकसभा द्वारा पारित वित्त विधेयक राज्यसभा को 14 दिन की समयावधि के भीतर पारित करके भेजना होता है। यदि इस समयावधि में वह इस विधेयक को वापस न करे तो भी यह पारित मान लिया जाता है।
(4) संविधान में संशोधन-संविधान में प्रत्येक संशोधन के लिए राज्यसभा के 2/3 बहुमत की स्वीकृति आवश्यक है अन्यथा संशोधन नहीं हो सकता है।
(5) निर्वाचन सम्बन्धी शक्तियाँ-राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में हिस्सा लेते हैं। उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्यसभा के निर्वाचित एवं मनोनीत दोनों ही सदस्य भाग लेते हैं तथा वह अपना उपसभापति भी स्वयं ही चुनते हैं।
(6) अन्य शक्तियाँ-
प्रश्न 5.
लोकसभा की शक्तियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
लोकसभा की शक्तियाँ
(1) कार्यपालिका पर नियन्त्रण-केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है, उसका विश्वास खो जाने पर मंत्रिमण्डल को त्यागपत्र देना पड़ता है। यदि लोकसभा मंत्रिमण्डल के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित कर देती है, तो मंत्रिमण्डल को त्यागपत्र देना पड़ता है।
(2) व्यवस्थापिका सम्बन्धी शक्तियाँ-लोकसभा संघ सूची के विषयों पर कानून बनाती है। इसे समवर्ती सूची पर भी कानून बनाने की शक्ति है। इसके अलावा यह कुछ विशेष परिस्थितियों में राज्यसूची पर भी कानून बना सकती है।
(3) वित्तीय शक्तियाँ-कोई भी वित्त विधेयक सर्वप्रथम लोकसभा में ही पेश किया जाता है। लोकसभा द्वारा पारित होने के बाद वित्त विधेयक राज्यसभा में जाता है जो कि उसे अधिकतम 14 दिन तक रोक सकती है। कोई भी विधेयक वित्त विधेयक है या नहीं, इसका निर्णय करने का अधिकार लोकसभा अध्यक्ष को होता है।
(4) निर्वाचन सम्बन्धी अधिकार-लोकसभा के सदस्यों का राष्ट्रपति के निर्वाचन में भी महत्वपूर्ण योगदान रहता है। लोकसभा के सदस्य उप-राष्ट्रपति के निर्वाचन में भी भाग लेते हैं।
(5) महाभियोग लगाने सम्बन्धी शक्ति-लोकसभा राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों तथा चुनाव आयुक्त के विरुद्ध महाभियोग का प्रस्ताव भी पारित करने का अधिकार रखती है।
(6) संविधान संशोधन सम्बन्धी शक्ति-संविधान संशोधन प्रक्रिया में लोकसभा के उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत जरूरी है।
(7) आपातकालीन शक्तियाँ-राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की उद्घोषणा एक निश्चित अवधि के बाद तभी लागू रह सकती है जब लोकसभा इसका अनुमोदन कर दे। राज्यों में राष्ट्रपति शासन की समयावधि भी लोकसभा की अनुमति के बिना नहीं बढ़ाई जा सकती।
(8) अन्य शक्तियाँ-
उत्तर:
देश की जनता के लिए कानून बनाना संसद का प्रमुख एवं महत्वपूर्ण कार्य है। कानून बनाने के लिए एक निश्चित प्रक्रिया का पालन किया जाता है। जिसकी कुछ विधियों का उल्लेख संविधान में किया गया है तथा कुछ विधियाँ लम्बे समय से पालन किये जाने के कारण स्वीकार कर ली गयी हैं। प्रस्तावित कानून के प्रारूप को विधेयक कहते हैं। कानून बनाने की प्रक्रिया में विधेयक को कई अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है। कानून बनाने के लिए सबसे पहले विधेयक को संसद में प्रस्तुत किया जाता है। जब विधेयक को किसी मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है तो उसे सरकारी विधेयक कहते हैं और जब विधेयक किसी अन्य सदस्य द्वारा प्रस्तुत किया जाता है तो उसे निजी विधेयक कहते हैं।
कानून बनाना विधायी प्रक्रिया होने के साथ-साथ एक राजनैतिक प्रक्रिया भी है अतः विभिन्न राजनैतिक दलों, मीडिया या जनता के दबाव में भी कानून बनाने पड़ते हैं। धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य विधेयक लोकसभा या राज्यसभा में से किसी में भी पेश किये जा सकते हैं। सामान्यतया विधेयकों पर संसदीय समितियों में ही विचार-विमर्श होता है। इन समितियों में सभी दलों के प्रतिनिधि होते हैं। इसीलिए इन्हें लघु विधायिका भी कहते हैं। यह कानून बनाने का दूसरा चरण है। तीसरे एवं अन्तिम चरण में विधेयक पर मतदान होता है।
इस प्रकार एक सदन में पारित हो जाने के बाद दूसरे सदन भी इसी प्रक्रिया का पालन किया जाता है। कानून बनने के लिए किसी विधेयक का दोनों सदनों में पास होना आवश्यक है। लेकिन यदि दोनों सदनों में मतभेद हो तो दोनों का संयुक्त अधिवेशन बुलाकर भी उसे पास कराया जा सकता है। धन विधेयक हेतु केवल लोकसभा की स्वीकृति ही आवश्यक होती है। इस प्रकार दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। जब राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल जाती . है तो वह विधेयक कानून बन जाता है।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा में कितने व्यक्ति मनोनीत किये जाते हैं?
(अ) 10
(ब) 15
(स) 12
(द) 10
उत्तर:
(स) 12
प्रश्न 2.
राज्यसभा के लिए प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों का निर्वाचन कौन करता है?
(अ) विधान सभा के निर्वाचित सदस्य
(ब) विधान सभा के सभी सदस्य
(स) विधान मण्डल के सभी सदस्य
(द) विधान मण्डल के निर्वाचित सदस्य
उत्तर:
(अ) विधान सभा के निर्वाचित सदस्य
प्रश्न 3.
राज्यसभा में राज्यों का प्रतिनिधित्व किस बात पर निर्भर करता है?
(अ) राज्य का क्षेत्रफल
(ब) राज्य की जनसंख्या
(स) उपयुक्त दोनों
(द) उपयुक्त में काई नहीं।
उत्तर:
(ब) राज्य की जनसंख्या
प्रश्न 4.
राज्यसभा में किस राज्य के प्रतिनिधियों की संख्या सर्वाधिक है?
(अ) आन्ध्र प्रदेश
(ब) मध्य प्रदेश
(स) बिहार..
(द) उत्तर प्रदेश।
उत्तर:
(द) उत्तर प्रदेश।
प्रश्न 5.
राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है?
(अ) 3 वर्ष
(ब) 4 वर्ष
(स) 5 वर्ष
(द) 6 वर्ष।
उत्तर:
(द) 6 वर्ष।
प्रश्न 6.
लोकसभा और राज्यसभा में गणपूर्ति (कोरम) संख्या है
(अ) कुल सदस्य संख्या का 1/5
(ब) कुल सदस्य संख्या का 1/6
(स) कुल सदस्य संख्या का 1/10
(द) कुल सदस्य संख्या का 1/8
उत्तर:
(स) कुल सदस्य संख्या का 1/10
प्रश्न 7.
राज्यसभा को भंग करने का अधिकार किसे प्राप्त है?
(अ) राष्ट्रपति को
(ब) उपराष्ट्रपति को
(स) उच्चतम न्यायालय को
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(द) इनमें से कोई नहीं।
प्रश्न 8.
वह कौन सभा है जिसका अध्यक्ष उस सदन का सदस्य नहीं होता है?
(अ) लोकसभा
(ब) राज्यसभा
(स) विधानसभा
(द) विधान परिषद्
उत्तर:
(ब) राज्यसभा
प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से किसके सम्बन्ध में राज्यसभा को लोकसभा के अपेक्षाकृत अधिक अधिकार प्राप्त हैं?
(अ) धन विधेयक
(ब) धनेतर विधेयक
(स) नई अखिल भारतीय सेवाओं का गठन करना
(द) संविधान का संशोधन।
उत्तर:
(स) नई अखिल भारतीय सेवाओं का गठन करना
प्रश्न 10.
राज्यसभा द्वारा लोकसभा को धन विधेयक कितने समय में लौटा दिए जाने चाहिए।
(द) 6 महीने 11. राज्यसभा कब भंग की जाती है?
(अ) 5 वर्ष बाद
(ब) राष्ट्रपति के शासन में
(स) संकटकालीन स्थिति में
(द) राज्यसभा कभी भंग नहीं की जाती है।
उत्तर:
(द) राज्यसभा कभी भंग नहीं की जाती है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित विशेषाधिकारों में से भारत के संविधान द्वारा राज्यसभा को प्रदत्त किए जाते हैं?
(अ) राज्य का वर्तमान राज्यक्षेत्र परिवर्तित करना और राज्य का नाम परिवर्तित करना।
(ब) संसद को, राज्यसूची में नियम बनाने और एक अथवा एकाधिक अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन करने हेतु सशक्त बनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित करना।
(स) राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया में संशोधन करना और राष्ट पति की सेवानिवृत्ति के पश्चात उसकी पेंशन निर्धारित करना।
(द) चुनाव आयोग के क्रियाकलापों का निर्धारण करना और चुनाव आयुक्तों की संख्या निर्धारित करना।
उत्तर:
(ब) संसद को, राज्यसूची में नियम बनाने और एक अथवा एकाधिक अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन करने हेतु सशक्त बनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित करना।
प्रश्न 13.
राष्ट्रपति आंग्ल-भारतीय समुदाय के कितने प्रतिनिधियों को लोकसभा में मनोनीत करता है?
(अ) 2
(ब) 4
(स)6
(द) 12
उत्तर:
(अ) 2
प्रश्न 14.
वर्तमान में लोकसभा सदस्यों की प्रभावी संख्या कितनी है?
(अ) 540
(ब) 545
(स) 548
(द) 552
उत्तर:
(ब) 545
प्रश्न 15.
वर्तमान लोक सभा में प्रत्येक राज्य के लिए स्थानों का आवंटन आधारित है-
(अ) 1951 की जनगणना पर
(ब) 1961 की जनगणना पर
(स) 1971 की जनगणना पर
(द) 1991 की जनगणना पर
उत्तर:
(स) 1971 की जनगणना पर
प्रश्न 16.
लोकसभा का नेता कौन होता है?
(अ) राष्ट्रपति
(ब) प्रधानमंत्री
(स) लोकसभाध्यक्ष
(स) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) प्रधानमंत्री
प्रश्न 17.
कोई वित्तीय बिल प्रस्तावित हो सकता है
(अ) केवल राज्य सभा में
(ब) केवल लोक सभा में
(स) एक साथ दोनों सदनों में
(द) दोनों सदनो के संयुक्त सत्र में।
उत्तर:
(ब) केवल लोक सभा में
प्रश्न 18.
निम्न श्रेणियों में से किसके विधेयक केवल लोकसभा में ही प्रारम्भ किए जा सकते हैं?
(अ) सामान्य विधेयक
(ब) निजी सदस्य का विधेयक
(स) वित्त विधेयक
(द) संविधान संशोधन विधेयक
उत्तर:
(स) वित्त विधेयक
प्रश्न 19.
भारतीय संसद में शामिल है
(अ) केवल लोकसभा
(ब) केवल राज्यसभा
(स) लोकसभा और राज्यसभा
(द) राष्ट्र पति और लोकसभा
उत्तर:
(स) लोकसभा और राज्यसभा
प्रश्न 20.
शून्यकाल क्या है?
(अ) जब सदन में विपक्ष के प्रस्तावों पर विचार होता है।
(ब) आराम का समय।
(स) जब सदन में अंतिम महत्वपूर्ण मामलों पर विचार होता है।
(द) जब लोकसभा में भोजन किया जाता है।
उत्तर:
(स) जब सदन में अंतिम महत्वपूर्ण मामलों पर विचार होता है।
प्रश्न 21.
भारतीय संविधान के अनुसार धन संबंधी विधेयक सर्वप्रथम
(अ) राज्य सभा में प्रस्ताव किया जाता है।
(ब) किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है।
(स) मंत्रीपरिषद में प्रस्तुत किया जाता है।
(द) लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है।
उत्तर:
(द) लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है।
प्रश्न 22.
बजट पहले किसके द्वारा पारित किया जाता है?
(अ) लोकसभा
(ब) राज्यसभा
(स) उपुर्यक्त में से किसी के भी द्वारा
(द) उपर्युक्त में से किसी के द्वारा नहीं।
उत्तर:
(अ) लोकसभा