These comprehensive RBSE Class 11 Home Science Notes Chapter 6 संचार माध्यम और संचार प्रौद्योगिकी will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 11 Home Science Chapter 6 Notes संचार माध्यम और संचार प्रौद्योगिकी
→ परिचय:
संचार माध्यम और संचार प्रौद्योगिकी अध्ययन का एक ऐसा महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसका किशोरों पर प्रभाव पड़ता है। हमारी प्रतिदिन की पारिस्थितिकी के ये दो पहलू हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं, जो कि सामान्यतया हमारे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं।
→ संचार माध्यम और संचार प्रौद्योगिकी
मानव जीवन के लिए संचार आधारभूत और अति आवश्यक है। यह धरती पर जीवन आरंभ होने के समय से ही विद्यमान रहा है। आधुनिक समय में, जबकि प्रौद्योगिकियाँ तेजी से विकसित हो रही हैं, नित नई संचार विधियाँ और उपकरण आ रहे हैं।
→ संचार क्या है?
संचार विविध परिस्थितियों पर विचार-चिंतन करने, उनका अवलोकन करने, उन्हें समझने, उनका विश्लेषण करने तथा इन सबको विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा दूसरों तक संप्रेषित करने की प्रक्रिया है। संचार शब्द अंग्रेजी के कम्युनिकेशन का पर्याय है, जो लैटिन कॉम्यूनिस से निकला है, जिसका अर्थ है-सर्वसामान्य । इस प्रकार, व्यक्तियों के बीच संदेश द्वारा सम्पूर्ण आशय पहुँचाने का चैतन्य प्रयास ही प्रभावी संचार कहलाता है।
→ संचार का वर्गीकरण
संचार को स्तरों, प्रकारों, रूपों और माध्यमों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
(क) पारस्परिक क्रिया के आधार पर वर्गीकरण
- एकतरफा संचार-ऐसा संचार जिसमें ग्राही सूचना प्राप्त तो करता है, पर वह प्रेषक को बदले में कुछ लौटा नहीं पाता या तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दे पाता। भाषण, प्रवचन व रेडियो इसके उदाहरण हैं।
- दुतरफा संचार-ऐसा संचार जिसमें दो या अधिक व्यक्ति एक-दूसरे से संप्रेषण करने वाले सभी पक्ष, मतों, विचारों, सूचना आदि का आदान-प्रदान शाब्दिक या अशाब्दिक रूप में करते हैं। माँ से बात करना, टेलीफोन पर बात करना, इंटरनेट पर चैटिंग करना आदि दुतरफा संचार के उदाहरण हैं।
(ख) संचार के स्तरों पर आधारित वर्गीकरण
- अंतरावैयक्तिक संचार-यह स्वयं से संवाद करने से संबंधित संचार है। यह अवलोकन करने, विश्लेषण करने और ऐसे निष्कर्षों पर पहुँचने की एक प्रकार की मानसिक प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति के वर्तमान, भूत और भविष्य के व्यवहार और जीवन के लिए अर्थपूर्ण हो।
- अंतर्वैयक्तिक संचार-इसका संबंध दो या अधिक लोगों के बीच आमने-सामने होने की स्थिति में विचारों और मतों की साझेदारी से है। यह औपचारिक या अनौपचारिक स्थिति में सम्पन्न हो सकता है। यह संचार सर्वाधिक प्रभावी और आदर्श होता है।
- समूह संचार-यह अंतर्वैयक्तिक संचार की ही तरह प्रत्यक्ष और वैयक्तिक ढंग का संचार है, किंतु इसमें दो से अधिक व्यक्ति शामिल होते हैं।
- जनसंचार-जनसंचार को किसी यांत्रिक युक्ति की सहायता से संदेशों को बहुगुणित करते जाने की प्रक्रिया तथा उन्हें जनता तक पहुँचाने की प्रक्रिया के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है। जनसंचार के साधन और माध्यम हैं-रेडियो, टी.वी., उपग्रह संचार, अखबार और पत्रिकाएँ।
- अंतरा-संस्था संचार-संस्थागत संचार सुव्यवस्थित संगठनों में होता है। प्रत्येक संस्था में पदों के अलगअलग स्तर अथवा पदानुक्रम होते हैं, जो सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए मिलकर कार्य करते हैं।
- अंतःसंस्था संचार-इसका संबंध किसी संस्था द्वारा अन्य संस्थाओं के साथ आपसी सहयोग और समन्वय से काम करने के लक्ष्य की दृष्टि से विकसित संचार प्रणाली से है। यह ध्यान रखने योग्य है कि अंतरा-संस्था संचार और अन्तःसंस्था संचार संगठनों में, विभागों अथवा संस्थाओं के बीच संचार नहीं होता, बल्कि इन संस्थाओं में कार्य करने वाले व्यक्ति ही एक-दूसरे से संचार करते हैं।
(ग) संचार के साधन अथवा विधि पर आधारित वर्गीकरण
- शाब्दिक या मौखिक संचार-श्रवण साधन अथवा मौखिक माध्यम, जैसे-बोलना और गाना।
- गैर-शाब्दिक संचार-संचार के गैर-शाब्दिक साधनों में हाव-भाव, मुखमुद्राएँ, मिजाज, भंगिमाएँ व नेत्र संपर्क आदि हैं।
(घ) एक से अधिक इंद्रियों से काम लने के आधार पर वर्गीकरण:
किताब में पढ़ने की तुलना में टीवी पर अथवा जीवंत लोकनृत्य या शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुति देखने से अपनी समृद्ध | परंपरा के बारे में जानने-समझने में अधिक आसानी होती है।
→ संचार कैसे होता है?
संचार प्रक्रिया:
किसी माध्यम के ज़रिए प्रेषक से प्राप्तकर्ता तक सूचना अथवा विषय के संप्रेषण की प्रक्रिया संचार कहलाती है। इसके वर्णन का क्रम है-किसने, क्या, किससे, कब, किस प्रकार, किन परिस्थितियों में कहा और उसका क्या प्रभाव रहा। किसी भी संचार प्रक्रिया के आधारभूत घटकों का चक्र पूरा करने के लिए इसे एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित किया जाता है।
→ एस.एम.सी.आर.ई. मॉडल:
यह मॉडल संचार की संपूर्ण प्रक्रिया और उसमें शामिल घटकों को दर्शाता है
- स्रोत-स्रोत वह व्यक्ति है जो संचार की प्रक्रिया को शुरू करता है। वह पूरी संचार-प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए उत्तरदायी मुख्य घटक है।
- संदेश-यह वह विषय या सूचना है जिसे संचारक प्राप्त करने की इच्छा करता है, स्वीकार करता है या उस पर कार्रवाई करता है।
- चैनल-संचार का वह माध्यम जिसके द्वारा कोई जानकारी प्रेषक से ग्राहियों तक पहुँचती है, चैनल कहलाता है। चैनल दो प्रकार के होते हैं-अंतर्वैयक्तिक (विभिन्न व्यक्ति और समूह) व जनसंचार माध्यम (उपग्रह, बेतार और ध्वनि तरंगें)।
- ग्राही (प्राप्तकर्ता)-संदेश या संचार कार्य के लक्ष्य के रूप में ग्राही या श्रोता या दर्शक।
- सूचना का प्रभाव (प्रतिपुष्टि)-संचार प्रक्रिया तब तक अधूरी रहती है जब तक प्रेषित संदेश के संबंध में अनुक्रिया प्राप्त नहीं हो जाती।
→ संचार माध्यम (मीडिया) क्या है?
संचार माध्यम (मीडिया) ही वह साधन है, जो धारणाओं, विचारों, भावनाओं, नए तथ्यों, अनुभवों आदि को प्रेषित और प्रसारित करने के लिए संचार के विभिन्न तरीकों का प्रयोग करता है। संचार माध्यमों में रेडियो और टीवी के साथ-साथ उपग्रह संचार, कम्प्यूटर और बेतार प्रौद्योगिकी भी शामिल हैं।
संचार माध्यमों का वर्गीकरण संचार माध्यमों को दो वृहत् श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है
- पारंपरिक संचार माध्यम-पिछले कुछ समय तक अधिकांश ग्रामीण विस्तार कार्य पूर्णतः मेलों और रेडियो जैसे पारंपरिक संचार माध्यमों पर निर्भर था। आज भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। अन्य पारंपरिक लोक संचार माध्यम के उदाहरण हैं-कठपुतली, लोकनृत्य, लोक रंगमंच, मौखिक साहित्य, मेले और त्यौहार, अनुष्ठान और प्रतीक, संकेत, पोस्टर, पत्र-पत्रिकाएँ और अन्य स्थानीय मुद्रित सामग्री।
- आधुनिक संचार माध्यम-आधुनिक प्रौद्योगिकी के आगमन से संचार माध्यमों का आश्चर्यजनक विस्तार हुआ है। नई संचार प्रौद्योगिकियाँ, जैसे-मोबाइल फोन, ऐसी आकर्षक विशेषताओं के साथ आ रहे हैं, जिनसे ब्रॉडकास्ट (प्रसारण) की गुणवत्ता और क्षमता में सुधार हुआ है। आधुनिक संचार माध्यम हैं-रेडियो, उपग्रह टेलीविजन, आधुनिक मुद्रण माध्यम, फिल्म प्रदर्शन, ऑडियो कैसेट, केबल और बेतार प्रौद्योगिकी, मोबाइल फोन, वीडियो फिल्म और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आदि।
संचार माध्यमों के कार्य-संचार माध्यमों के महत्वपूर्ण कार्यों में शामिल हैं-सूचना देना, सहमत कराना एवं प्रेरणा देना, मनोरंजन करना, व्याख्या करना, मूल्यों का संप्रेषण करना, शिक्षण अथवा प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करना, समन्वयन, व्यवहारगत परिवर्तन करना, विकास करना आदि।
→ संचार प्रौद्योगिकी क्या है?
संचार प्रौद्योगिकी का संबंध सूचना को नियंत्रित करने और संचार को सहायता देने के लिए विकसित और प्रयुक्त | विभिन्न प्रौद्योगिकियों से है।
संचार प्रौद्योगिकियों का वर्गीकरण-प्रायः ये दो समूहों में आती हैं
- केबल (भूमि) आधारित प्रौद्योगिकियाँ-ये अधिक सस्ती और कम जटिल हैं । लैंडलाइन टेलीफोन या बिना इंटरनेट के पर्सनल कम्प्यूटर इसके उदाहरण हैं।
- बेतार प्रौद्योगिकियाँ-सामान्यतया इसमें कम आधारिक संरचना की आवश्यकता होती है, किन्तु इनका प्रयोग अधिक महंगा हो सकता है। रेडियो, माइक्रोवेव, उपग्रह, बेतार टेलीफोन अथवा मोबाइल फोन में 'ब्लू टूथ' प्रौद्योगिकी का प्रयोग इसके उदाहरण हैं। रेडियो और टेलीविजन ऐसी दो महत्त्वपूर्ण सूचना प्रौद्योगिकियाँ हैं जिन्होंने संचार माध्यम के रूप में कार्य करके पूरे संसार के परिदृश्य को बदल दिया है।
→ आधुनिक संचार प्रौद्योगिकियाँ:
आधुनिक संचार प्रौद्योगिकियों की सूची काफी लंबी एवं विस्तृत है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं
- माइक्रो कम्प्यूटर-इसका अभिप्राय है माइक्रोचिप प्रौद्योगिकी पर आधारित कम्प्यूटर।
- दृश्य पाठ-टेलीफोन नेटवर्क या केबल सिस्टम के माध्यम से मुख्य कम्प्यूटर से घर के टीवी सेट तक | प्रेषित इलेक्ट्रॉनिक पाठ सेवा को दृश्य पाठ या दृश्य डाटा कहते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक मेल (ई-मेल)-यह वह प्रक्रिया है जो सूचना को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रेषक से ग्राही (प्राप्तकर्ता) तक भेजती है।
- पारस्परिक क्रियात्मक वीडियो-इसका संबंध ऐसे वीडियो-तंत्र से है जो कम्प्यूटर और वीडियो का संयोजन है। यह पाठ, स्थिर फोटो, वीडियो, ऑडियो, स्लाइडों, ओवरहेडों आदि का उपयोग करके बहु-माध्यम (मल्टीमीडिया) को अपनाता है।
- दूर-सम्मेलन-यह एक पारस्परिक क्रियात्मक समूह संचार है। इसका संबंध दूरस्थ लोगों के बीच संबंध स्थापित करना है। इस प्रकार, संचार प्रौद्योगिकी ने संचार को अत्यधिक सुविधाजनक बना दिया है।