RBSE Class 11 Home Science Notes Chapter 18 संप्रेषण के परिप्रेक्ष्य में

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 18 Notes संप्रेषण के परिप्रेक्ष्य में

→ संप्रेषण का अर्थ-संप्रेषण इस सूचना युग में सभी के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें प्रेषक और प्राप्तकर्ता शामिल होते हैं। प्रेषक किसी आशय से संदेश भेजता है और प्राप्तकर्ता उसे अपनी योग्यता या धारणा के अनुसार ग्रहण करता है। संप्रेषण की प्रक्रिया तभी पूरी होती है, जब प्रेषक का आशय प्राप्तकर्ता की प्रवृत्ति के साथ मेल खाए।

→ संप्रेषण के परिप्रेक्ष्यों का निर्धारण करने वाले कारक
(1) आयु-आयु का संचार पर प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे व्यक्ति बड़ा होता जाता है, उसमें

  • विचार मूलक तथा
  • संरचनापरक तथा
  • सामग्रीपरक परिवर्तन आते जाते हैं । यथा
    • विचारात्मक परिवर्तन-विचारात्मक परिवर्तन का सम्बन्ध विचारों में परिवर्तन से संबंधित है।
    • संरचनात्मक परिवर्तन-संरचनात्मक परिवर्तनों का सम्बन्ध संज्ञानात्मक क्रिया में होने वाले शरीर क्रियात्मक और आयु से संबंधित परिवर्तनों से है। आयु के साथ-साथ व्यक्ति की अनेक कार्य क्षमताएँ प्रभावित होती हैं। परिणामस्वरूप एक व्यक्ति जो कुछ भी और जैसे भी संप्रेषित करता है, उस पर उसकी आयु का प्रभाव होता है और उसी के अनुसार संदेशों को बदला और समायोजित किया जाता है। शब्दों के चयन और संप्रेषण की शैली में भी आयु के अनुसार अन्तर आता है।
    • सामग्रीपरक परिवर्तन-सामग्रीपरक परिवर्तन का संबंध संचार के लिए सामग्री के प्रयोग में परिवर्तन से है। उदाहरण के लिए संगीत सुनने के साधनों में आयु के साथ-साथ परिवर्तन आ जाता है।

(2) शिक्षा-शिक्षा ज्ञान की सीमा को अधिक व्यापक बनाती है। इससे व्यक्ति के सोचने और ज्ञान को प्रयुक्त करने की क्षमता विकसित होती है, सूचना तक पहुँचने की क्षमता प्रदान करती है और लोगों को आजीविका के लिए तैयार करती है। ये सभी तथ्य एक व्यक्ति की संप्रेषण क्षमता और गुंजाइश को बढ़ाते हैं। एक शिक्षित व्यक्ति अपने विचारों को अधिक स्पष्ट और प्रभावी रूप से आपके सामने रख सकता है और व्यक्त कर सकता है। यदि प्राप्तकर्ता समान रूप से शिक्षित है तो अच्छा संप्रेषण स्थापित होता है। यदि सूचना प्राप्तकर्ता कम शिक्षित है तो संप्रेषणकर्ता को उसे शैक्षिक स्तरों के अनुरूप शब्दावली, सूचना और संप्रेषण क्रियाविधि का चयन करना होता है।

(3) संस्कृति-ज्ञान, मान्यताएँ, कलाएँ, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज, भाषा और समाज के सदस्यों के रूप में मनुष्य की अन्य प्रवृत्तियों के समग्र मिश्रित स्वरूप को संस्कृति कहते हैं। संचार और संस्कृति के सम्बन्धों में संप्रेषण के सभी पक्ष जैसे-भाषा, रीति-रिवाज, मान्यताएँ और देश-काल की धारणाएँ आदि, शामिल होते हैं।

समान संस्कृति के लोगों की भाषा, रीति-रिवाज, मान्यताएँ, पद्धतियाँ, खान-पान की आदतें समान होती हैं। अतः इन्हें आपसी संप्रेषण में सविधा होती है। जबकि भिन्न संस्कृतियों वाले व्यक्तियों के बीच संप्रेषण स्थापित करना इतना आसान नहीं होता है। सांस्कृतिक भिन्नताओं को बेहतर रूप से समझकर तथा संवेदनशीलता से संप्रेषण की समस्याओं को कम किया जा सकता है।

RBSE Class 11 Home Science Notes Chapter 18 संप्रेषण के परिप्रेक्ष्य में 

(4) जेंडर-पुरुषों और स्त्रियों के बीच जैविक से लेकर सामाजिक तक अलग-अलग अन्तर होते हैं । जेंडर और संस्कृति आपस में इस प्रकार से एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं कि दोनों के बीच अन्तर कर पाना लगभग असंभव हो जाता है । यद्यपि कुछ सर्वव्यापक जेंडर रूढ़धारणाओं में भिन्नता लाने हेतु संस्कृति मध्यस्थता करती हैं ।

कुछ संस्कृतियों में पुरुष और महिलाएँ सामाजिक रूप से भिन्न तरीकों से संप्रेषण करते हैं।

(5) नये ज्ञान की उपलब्धि-नये सॉफ्टवेयर और नयी प्रौद्योगिकी की जानकारी से दीर्घअवधि तक चलने वाले सामाजिक तथा सूचना संचार प्रौद्योगिकियों के आर्थिक पहलुओं के बारे में व्यावहारिक जानकारी प्राप्त होती है। इन कार्यालयों में स्वचालन, उत्पादन, दूरसंचार और इलेक्ट्रानिक नेटवर्क संगठनों को आपस में जोड़ते हैं। संचार प्रौद्योगिकी से सूचना प्रबंधन जैसे नये क्षेत्र बने हैं।

  • आधुनिक प्रौद्योगिकियों की जानकारी के साथ एक व्यक्ति अपनी सूचना, विचारों तथा नेटवर्क के आदान-प्रदान बदले रूप में करता है।
  • नवीन प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप आज दुनिया के किसी भी हिस्से में बैठे लोगों के साथ विभिन्न मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान आसान हो गया है। इंटरनेट एक ऐसा ही तरीका है।
Prasanna
Last Updated on Aug. 3, 2022, 11:19 a.m.
Published Aug. 3, 2022