RBSE Class 11 Home Science Notes Chapter 15 स्वास्थ्य और स्वास्थ्य कल्याण

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 15 Notes स्वास्थ्य और स्वास्थ्य कल्याण

→ भारत में स्वास्थ्य परिदृश्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन को वर्ष 2008 की रिपोर्ट के आँकड़ों पर नजर डालें तो हमें ज्ञात होगा कि भारत में अभी भी स्वास्थ्य में सुधार हेतु पर्याप्त गुंजाइश है

  • कुल जनसंख्या -1,151,751,000 
  • जन्म के समय जीवन-प्रत्याशा-पुरुषों के लिए 62 वर्ष, महिलाओं के लिए 64 वर्ष 
  • जन्म के समय स्वस्थ जीवन प्रत्याशा-पुरुषों के लिए 53 वर्ष, महिलाओं के लिए 54 वर्ष ।
  • पाँच वर्ष से कम आयु में मृत्यु की संभावना (प्रति 1000 जीवित जन्मों पर)-76 
  • 15 से 60 वर्ष की आयु के बीच मृत्यु की संभावना (प्रति 1000 जनसंख्या)-पुरुषों के लिए 276/महिलाओं के लिए 203 

→ भारतीय जनसंख्या की स्वास्थ्य स्थिति के संकेतक

  • नेत्र रोग-मोतियाबिंद के वार्षिक मामले 3.8 मिलियन हैं।
  • कैंसर-वर्ष 2001 में भारत में कैंसर सम्बन्धी मामलों की कुल अनुमानित संख्या 924790 थी, इसके 2021 तक 1551800 तक बढ़ जाने की संभावना है।
  • हृदय रोग-हृदय गति के रुकने और इससे संबंधित कारणों से मृत्यु दर वर्ष 1990 में अनुमानतः 2.4 मिलियन थी। यह समस्या और अधिक बढ़ रही है।
  • मलेरिया-वर्ष 2001 में 2.03 मिलियन मामलों से बढ़कर वर्ष 2021 में 2.62 मिलियन मामले होने का अनुमान।
  • उच्च रक्तदाब, मधुमेह और वृक्क रोग-मधुमेहग्रस्त जनसंख्या वर्ष 2001 में 40 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2010 में 47 मिलियन हो गई। शहरी क्षेत्रों में उच्च रक्तदाब की समस्या भी बढ़ रही है।
  • भारत में स्वास्थ्य स्थिति से संबंधित तथ्य प्रत्येक भारतीय को अपने जीवन के अनिवार्य आयामों के रूप में| स्वास्थ्य और तंदरुस्ती के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता को उजागर करते हैं। मधुमेह के अलावा हृदय रोगों, अस्थि रोगों, हेपेटाइटिस, क्षय रोग, एड्स जैसे संक्रामक/संचारी रोगों की व्यापक वृद्धि सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्यायें बन चुकी हैं।
  • वर्तमान में असंक्रामक रोग मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर मृत्यु का बड़ा कारण बन गए हैं।
  • उपर्युक्त में से कई रोग अब युवाओं और कम उम्र के वयस्कों में भी पाए जाते हैं। दूसरे, ये रोग उच्च आय वर्ग| तथा निम्न आय वर्ग के परिवारों, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में ज्यादा नजर आ रहे हैं। इनमें से अधिकांश स्वास्थ्य समस्यायें अस्वस्थ खान-पान और शारीरिक परिश्रम की कमी के कारण होती हैं। भारत सरकार बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्याओं और इससे जुड़े मुद्दों के बारे में बराबर चिंतित है।

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→ स्वस्थ व्यक्ति

  • स्वस्थ व्यक्ति वे हैं जो शारीरिक रूप से स्वस्थ और सक्रिय व प्रसन्नचित्त होते हैं, जिनमें संक्रमणों के प्रति पर्याप्त प्रतिरोधी क्षमता होती है और जल्दी थकते नहीं।
  • खान-पान और शारीरिक परिश्रम दोनों ही स्वतंत्र रूप से तथा एक साथ मिलकर स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
  • अस्वास्थ्यकर आहार में सामान्यतया चीनी और वसा तथा नमक की उच्च मात्रा वाले खाद्य पदार्थों का उपभोग शामिल है। इसके साथ-साथ सक्रियता का स्तर कम रहता है, तो लोगों में यह असंक्रामक रोगों का जोखिम बढ़ाता है।
  • स्वास्थ्य समस्याओं की रोकथाम के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाने और बेहतर जीवन शैली को प्रोत्साहित करने की अत्यधिक आवश्यकता है।

→ देह संहति सूचकांक-देह संहति सूचकांक (बी.एम.आई.) एक साधारण संकेतक है, जिसका प्रयोग सामान्यतः वयस्कों में कम भार, अधिक भार और मोटापे को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है। इसे निम्न तालिका द्वारा प्रदर्शित किया गया है

सारणी-बी.एम.आई. के अनुसार वयस्कों के अल्प भार, अतिभार और मोटापे का अन्तर्राष्ट्रीय वर्गीकरण 

वर्गीकरण

बी.एम.आई. (कि.ग्रा./मी2)

मुख्य अधिकतम अंक

अतिरिक्त अधिकतम अंक

अल्पभार

< 18.50

< 18.50

सामान्य श्रेणी

18.50 – 24.99

18.50 – 22.99

23.00 – 24.99

अतिभार

≥ 25.00

≥ 25.00

मोटापा

≥ 30.00

≥ 30.00

बी.एम.आई. मानक का सम्बन्ध आयु से नहीं है। यह पुरुष और स्त्री दोनों लिंगों के लिए समान है।
यदि किसी व्यक्ति का बी.एम.आई, 18.5 से कम है तो उसे कम भार के रूप में वर्गीकृत किया गया है। सामान्य भार, अतिभार, मोटा के अतिरिक्त प्रत्येक के नीचे उप-श्रेणियों के लिए भी अधिकतम अंक दिए गए हैं। बी.एम.आई. के बढ़ने के साथ स्वास्थ्य जोखिम भी अधिक हो जाते हैं क्योंकि इसके कारण शरीर में इससे जुड़े असंख्य परिवर्तन होते हैं, जो हानिकारक होते हैं। इनमें शरीर में अधिक वसा, ग्लूकोज सहनशीलता में कमी, रक्त कोलेस्ट्रोल में परिवर्तन आदि शामिल हैं।

→ स्वास्थ्य का संवर्धन करने वाले आहारों के लिए क्या करें और क्या न करेंक्या करें

  • फलों व सब्जियों का उपभोग बढ़ाएँ।
  • फलीदार सब्जियों, सम्पूर्ण खाद्यान्नों और गिरियों का अधिक सेवन करें।
  • आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग करें।
  • प्रचुर मात्रा में पानी पीयें।
  • ग्रहण की जाने वाली ऊर्जा का खपत की जाने वाली ऊर्जा से मिलान करें।

→ क्या न करें

  • अधिक तसा/तेल या तले हुए खाद्य पदार्थों आदि का उपयोग।
  • बहुत अधिक संतृप्त वसा का उपयोग तथा वनस्पति घी।
  • अत्यधिक नमक का उपभोग।
  • पके हुए खाने या सलाद पर ऊपर से नमक छिड़कना।
  • मिठाइयाँ, चॉकलेट, पेय पदार्थों का अति सेवन।

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→ स्वस्थता
शारीरिक स्वस्थता को बनाए रखने के लिए और स्वस्थ जीवन यापन के लिए तथा जीवन की कुछ विशिष्ट गुणवत्ता स्थापित करने के लिए संतुलित आहार के साथ-साथ नियमित व्यायाम और शारीरिक परिश्रम अत्यन्त आवश्यक है।

  • नियमित व्यायाम उपयोग की गई अधिक कैलोरीज को खर्च करता है।
  • यह अतिरिक्त कैलोरीज को वसा में बदलने की संभावना को कम करता है।
  • इससे हृदय और फेंफड़े भी अधिक प्रभावी रूप से कार्य करते हैं जिससे परिसंचरण और श्वसन सुधरता है।
  • बुजुर्ग नियमित व्यायाम करके मोटापे, उच्च रक्तदाब और मधुमेह जैसे रोगों से बच सकते हैं।

I. वयस्कावस्था में व्यायाम के लाभ

  • व्यायाम शरीर के संघटन में सुधार करके उपापचय और हृदय-श्वसनी स्वस्थता को प्रभावित करके गंभीर और दीर्घकालिक बीमारियों की जोखिम को कम करता है। यह सहनशक्ति, पेशियों की सशक्तता, फुर्ती, चुस्ती और लचक में सुधार करता है। यह तनाव, अवसाद, अनिद्रा, कब्ज और संज्ञानात्मक हानियों को रोकने में सहायक होता है।
  • यह कम से कम 15 वर्षों के लिए अशक्तता को दूर करने में सहायक है।
  • ये वृद्धों में संतुलन बनाए रखते हैं।
  • यह अधिक वजन को कम करने में सहायता करता है।
  • यह शरीर में शर्करा के स्तर व रक्तदाब को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
  • यह हड्डियों में खनिजों की सघनता को बनाए रखता है।
  • पेशियों की ताकत को बढ़ाने में सहायक है।

II. व्यायामों की श्रेणियाँ
व्यायामों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है

  • सहन शक्ति निर्माण/वातापेक्षी (एरोबिक्स) व्यायाम, जैसे-तेजी से टहलना, साइकिल चलाना, तैराकी, फुटबाल, टेनिस, बैडमिन्टन आदि।
  • शक्ति निर्माण/प्रतिरोध व्यायाम, जैसे-भारोत्तोलन, दंड-बैठक उपकरणों द्वारा किये जाने वाले व्यायाम।
  • संतुलन बढ़ाने के लिए लचक वाले व्यायाम, जैसे-अंगों को तानना, ढीला छोड़ना और झुकाना, योग व सीढ़ी चढ़ना।

III. व्यायाम, मानसिक स्वास्थ्य और स्वास्थ्य कल्याण
व्यायाम हमारे शरीर के लिए जितना आवश्यक है, उतना ही यह मानसिक स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य कल्याण के लिए आवश्यक है।
व्यायाम के दौरान और उसके पश्चात् मस्तिष्क कुछ द्रव्य निष्कासित करता है, जिन्हें एंडोर्फिन्स कहते हैं। ये द्रव्य शरीर के प्राकृतिक दर्द निवारक हैं और प्रसन्नता-कुशलता की भावनाओं को बढ़ाते हैं । इसलिए व्यायाम को आनंदपूर्वक करना चाहिए।
अत: व्यायाम

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुधारने के साथ-साथ उदासी, तनाव और क्रोध को कम करने में सहायक होता है।
  • व्यायाम आत्मविश्वास को बढ़ाने के साथ-साथ दुश्चिंता और दबाव को कम करने में सहायता करता है।
  • यह मनोवैनिक स्वास्थ्य और कुशलता में योगदान करता है।

→ स्वास्थ्य कल्याण
स्वास्थ्य कल्याण (स्वस्थता) पूर्णरूप से स्वस्थ होने की स्थिति है। इसका अर्थ है-अपने जीवन के सभी पहलुओं में संतुलन और सामंजस्य की प्राप्ति करना । यह संकल्पना स्वास्थ्य और कुशलता को सुगम बनाने पर बल देती है और कुशलता को बढ़ावा देना चिकित्सकों या औषधियों की निर्भरता को कम करना है।
इस प्रकार स्वास्थ्य कल्याण-एक पसंद है, जीने का एक तरीका है, एक प्रक्रिया है, समग्र दृष्टिकोण है तथा अपनी स्थितियों एवं परिस्थितियों को सहर्ष स्वीकार करना है। . स्वास्थ्य कल्याण हमारे लिए किस प्रकार सहायक है. स्वस्थता और स्वास्थ्य कल्याण के पैमाने पर उच्च श्रेणी में रखे गए व्यक्तियों में निम्नलिखित गुण समान रूप से पाए जाते हैं

  • उच्च आत्म-सम्मान, सकारात्मक दृष्टिकोण तथा संकल्प की भावना,
  • व्यक्तिगत जिम्मेदारी और वचनबद्धता की बलवती भावना,
  • विनोदप्रियता का भाव,
  • दूसरों के प्रति चिन्ता,
  • पर्यावरण के प्रति सम्मान
  • शारीरिक रूप से स्वस्थ तथा एकीकृत स्वस्थ जीवन-शैली
  • व्यसनकारी आदतों का न होना
  • निरंतर सीखने की क्षमता बनाए रखना
  • प्यार करने की क्षमता और पालने-पोसने का सामर्थ्य
  • प्रभावी संप्रेषण का सामर्थ्य

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→ स्वास्थ्य कल्याण के आयाम
स्वास्थ्य कल्याण के आयाम ये हैं

  • सामाजिक स्वस्थता
  • शारीरिक स्वस्थता
  • बौद्धिक स्वस्थता
  • व्यावसायिक संतोष
  • भावात्मक स्वस्थता (सकारात्मकता व उत्साह)
  • आध्यात्मिक स्वस्थता (जीवन का अर्थ ब प्रयोजन की खोज में निरंतरता)
  • पर्यावरणीय स्वस्थता (मानव द्वारा पर्यावरण के हित में किए जाने वाले कार्य)
  • वित्तीय आयाम (समझदारी से प्रबंधन, भविष्य के लिए बचत व निवेश की योजनाएँ)। 

→ दबाव और दबाव से जूझना- दैनिक जीवन में दबाव (तनाव) से नहीं बचा जा सकता। दबाव की हमारी व्यक्तिगत और व्यावसायिक जिंदगी में सकारात्मक और नकारात्मक भूमिका होती है।

  • अनुकूल दबाव-जिस दबाव का प्रभाव सकारात्मक होता है, उसे अनुकूल दबाव कहते हैं।
  • प्रतिकूल दबाव-जिस दबाव का प्रभाव निष्पादन, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के प्रतिकूल होता है, उसे प्रतिकूल दबाव कहते हैं।

प्रतिकूल दबाव के लक्षण हैं-चिड़चिड़ापन, चिंतित व अवसाद ग्रस्त महसूस करना, नींद न आना, बिना कारण के थकान महसूस करना, अप्रसन्न व भारग्रस्त महसूस करना। दीर्घकालिक दबाव शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है और उच्च रक्तदाब, मोटापा, दिल का दौरा, प्रतिरोधक क्षमता की कमी आदि रोगों को जन्म दे सकता है।

→ दबाव (तनाव) प्रबंधन
तनाव या दबाव उत्पन्न होने के कई कारण हैं और आज की भाग-दौड़ की जिंदगी में दबाव होना स्वाभाविक है, परन्तु दबाव से मुक्ति के लिए कुछ सहज तरीके अपनाएं जा सकते हैं। ये हैं

  • मित्रों/परिवारजनों से बातचीत करना,
  • आराम करना,
  • पढ़ना,
  • योग,
  • आध्यात्मिकता,
  • संगीत
  • अभिरुचि।

एक या एक से अधिक तरीकों का प्रयोग करने का निर्णय व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर करता है। वे व्यक्ति जो अपना ध्यान रखते हैं और अपनी जीवन-शैली नियंत्रित रखते हैं, अधिक स्वस्थ हैं तथा अधिक उत्पादक हैं।

Prasanna
Last Updated on Aug. 3, 2022, 11:12 a.m.
Published Aug. 3, 2022