These comprehensive RBSE Class 11 Home Science Notes Chapter 14 हमारे परिधान will give a brief overview of all the concepts.
Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Home Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 11. Students can also read RBSE Class 11 Home Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 11 Home Science Notes to understand and remember the concepts easily.
→ वस्त्रों के कार्य और उनका चयन हम सब कपड़े पहनते हैं और हमारे पहनावे विभिन्न प्रकार के होते हैं। हम निम्न कारणों के आधार पर अपने कपड़ों का चयन करते हैं
→ भारत में वस्त्रों (वेशभूषा) के चयन को प्रभावित करने वाले कारक
(1) आयु-बच्चों की वेशभूषा और परिधान का चयन करते समय आयु को ध्यान में रखना अत्यन्त आवश्यक है। चूँकि माता-पिता या परिवार के बड़े बुजुर्ग बच्चों के कपड़ों के संबंध में निर्णय लेते हैं । यह निर्णय लेते समय उन्हें बच्चों की शारीरिक वृद्धि, क्रियात्मक विकास, लोगों और चारों ओर की चीजों के साथ संबंध, उनके द्वारा किए जाने वाले क्रियाकलापों आदि पर सुविधा और सुरक्षा की दृष्टि से विचार किया जाता है। - वेशभूषा और परिधान बढ़ते हुए बच्चे में संबंधित और स्वीकृत होने की भावना का अनुभव करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसे-जैसे बच्चे बढ़ते हैं, उनके पहनावे का रूप बदल जाता है और लड़के और लड़कियों के पहनावे अलग-अलग हो जाते हैं।
किशोर सांस्कृतिक, सामाजिक मानदंडों और समकालीन प्रवृत्तियों से परिचित होने लगते हैं और ये उनके कपड़ों के चयन को प्रभावित करते हैं।
(2) जलवायु और मौसम-बच्चों के लिए कपड़ों का चयन जलवायु के आधार पर किया जाता है। ठण्डे मौसम में कपड़े गर्म या शीतोष्ण मौसम में पहने जाने वाले कपड़ों से बहुत भिन्न होंगे। ग्रीष्म ऋतु में सूती परिधानों का चयन किया जाता है। बरसात के मौसम में सफेद या हल्के रंग के परिधान अच्छे रहते हैं।
(3) अवसर-कपड़ों का चयन अवसर और दिन के समय पर बहुत अधिक निर्भर करता है। प्रत्येक अवसर के लिए वस्त्र संबंधी अलिखित नियम और परम्पराएँ भी हैं। जैसे-स्कूलों की यूनिफार्म के नियम, सामाजिक-समारोह और पार्टियों के अवसर के लिए अच्छे परिधान पहनना। शादी-ब्याह के अवसरों पर बच्चों को पारंपरिक मानकों का अनुसरण करना पड़ता है। वेशभूषा का चयन न केवल पहनावे की शैली में अपितु कपड़े के प्रकार, बनावट, रंग और सहवस्त्रों में भी परिलक्षित होता है।
(4) फैशन-फैशन शब्द से अभिप्राय एक ऐसी शैली से है जिसका जनसमूह पर प्रभाव समकालीन होता है। बच्चों के टी.वी. के निरंतर सम्पर्क में रहने से वे भी फैशन के प्रति बहुत सचेत हो जाते हैं। फैशन महत्वपूर्ण व्यक्तियों, नेताओं, फिल्मी सितारों व महत्वपूर्ण राष्ट्रीय घटनाओं से प्रेरित हो सकता है। ये फैशन कपड़े के प्रकार, रंग, कपड़े के डिजाइन, आकृति आदि में परिलक्षित हो सकते हैं।
(5) आय-धन-सामर्थ्य भी कपड़ों के चयन को प्रभावित रकता है। उच्च आय-वर्ग वाले परिवारों में प्रायः परिधानों की बहुत ज्यादा वैराइटी होती है जबकि मध्यम व निम्न आय वाले परिवारों में बड़े बच्चों के कपड़ों को पुनः छोटे बच्चों द्वारा पहना जाता है जिससे कपड़ों पर व्यय में किफायत होती है।
→ बच्चों की वस्त्र संबंधी मूल आवश्यकताओं को समझना बच्चों के कपड़े उनकी विभिन्न गतिविधियों के अनुकूल होने चाहिए। ये उनके खेल में बाधक नहीं होने चाहिए। यथा
→ बाल्यावस्था की विभिन्न अवस्थाओं में परिधान संबंधी आवश्यकताएँ।
(1) शैशवकाल (जन्म से छह माह):
इस आयु के बच्चों के कपड़े आरामदायक, नीचे तक खुले हुए तथा गला अधिक खुला हुआ, जिससे कि सिर के ऊपर से कपड़े को न पहनाना पड़े। कमीजें और डायपर्स (लंगोट) जैसे परिधान अधिक होने चाहिए, क्योंकि इन्हें बार-बार बदलना पड़ता है।
कपड़े बहुत मुलायम, हल्के व पहनने-उतारने में सरल हों। सर्दी के दिनों के लिए कपड़ों में फलालेन के कपड़े या सिल्क के कपड़े हों। अधिकतर परिवार घर पर ही सूती कपड़ों के डायपर्स प्रयुक्त करते हैं। बहुत से परिवार बाजार में उपलब्ध गॉज से बने और वर्ड्स आई डायपर्स का प्रयोग करते हैं। मौसम और भौगोलिक स्थिति के आधार पर बनियान का चयन किया जाना चाहिए।
(2) घुटनों के बल चलने वाली आयु (छह माह से एक वर्ष):
(3) टोडलर अवस्था (1-2 वर्ष की आयु):
इस अवस्था में जूते, मोजे या चप्पल पहनावे के अनिवार्य अंग बन जाते हैं। जूते व मोजे का पाँव में सही फिट होना आवश्यक है। इस अवस्था के बच्चों के लिए लचीली तली वाले जूते, बिना एडी के या छोटी एडी के तथा भरे-फूले पंजे वाले हों। जूते के चुनाव में उसकी फिटिंग पर पूरा ध्यान दिया जाए। सही फिटिंग वाला जूता वही है जो बच्चे के पैर में सही फिट हो। सही फिट वाले जूते बच्चों की संतुलन बनाने, चढ़ने और दौड़ने के दौरान शारीरिक कौशलों का सही निर्माण करने में सहायता करते हैं।
1-2 वर्ष के बच्चों के लिए सबसे उपयुक्त परिधान झबले हैं।
(4) विद्यालय-पूर्व आयु (2-6 वर्ष):
(5) प्रारंभिक स्कूली वर्ष (5-11 वर्ष):
यह मध्य बाल्यावस्था है। इसमें शारीरिक सक्रियता ज्यादा होती है और लड़के व लड़कियाँ दोनों खेल-कूद में रुचि रखते हैं। इस उम्र के बच्चे कुछ विशिष्ट कपड़ों के प्रति अपनी पसंद-नापसंद विकसित कर लेते हैं। अधिकांश बच्चे जो कपड़े पहनना चाहते हैं, उनका चयन स्वयं कर सकते हैं। इस उम्र में भी आरामदायक परिधान अनिवार्य है। साथ ही फिटिंग भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। कुछ बच्चे फैशन के आधार पर कपड़ों का चयन करते हैं, भले ही वह आरामदायक न हों। सूती कपड़े इस उम्र के बच्चों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होते हैं।
(6) किशोर ( 11-19 वर्ष):
इस उम्र में बच्चा तेजी से बढ़ता है, इसलिए कम परिधान खरीदें क्योंकि कपड़े छोटे हो जाते हैं । फिटिंग व फैशन इस उम्र के बच्चों के परिधानों का महत्वपूर्ण पक्ष है । वे फैशनेबल कपड़े पहनते हैं।
खेलकूद या कसरत के लिए तैयार होते समय आरामदायक कपड़े व जूते पहनने चाहिए। परिधान का डिजाइन और कपड़ा पसीना सोखने में सक्षम हो और गति में बाधक न बने।।
→ विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए कपड़े
विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए कपड़े पहनने और उतारने का कार्य बहुत महत्वपूर्ण होता है। अतः बच्चों के लिए परिधान का चयन उसकी अक्षमता के प्रकार और उससे संबंधित कठिनाइयों के अनुसार किया जाना चाहिए।
आरामदायक परिधान प्राथमिक मानदंड है। गर्मी के लिए सूती कपड़ा तथा सर्दी के लिए सूती-ऊनी मिश्रण कपड़े के परिधान उपयुक्त रहते हैं। परिधान मजबूत होना चाहिए। यह दोहरी सिलाई वाला हो। खुला भाग आसानी से खोलने लायक तथा बाँधने में सरल हो। परिधान धोने में आसान, पहनने व उतारने में सरल, बड़ा गला, खुली जेबें तथा कमर पर बैल्ट इलास्टिक वाली होनी चाहिए। रंग और प्रिंट लुभावना हो।