RBSE Class 11 Home Science Important Questions Chapter 7 प्रभावशाली संप्रेषण कौशल

Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Important Questions Chapter 7 प्रभावशाली संप्रेषण कौशल Important Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Home Science Important Questions Chapter 7 प्रभावशाली संप्रेषण कौशल

I. बहुचयनात्मक प्रश्न

1. प्रभावशाली ढंग से संप्रेषण करने हेतु व्यक्ति को निम्न से संपन्न होना चाहिए
(अ) संप्रेषण के साधनों से
(ब) व्यापारिक साधनों से
(स) व्यक्तिगत साधनों से
(द) इन सभी से
उत्तर:
(अ) संप्रेषण के साधनों से

2. किस स्थिति में गलतफ़हमी की कोई संभावना बहुत कम या नहीं के बराबर रहती है?
(अ) यदि कोई व्यक्ति अच्छा श्रोता है। 
(ब) यदि कोई व्यक्ति अच्छा वक्ता है। 
(स) यदि कोई व्यक्ति उत्साही है।
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ब) यदि कोई व्यक्ति अच्छा वक्ता है।

3. संप्रेषण प्रक्रिया में हम विभिन्न कौशलों का इस्तेमाल करते हैं
(अ) सूचना प्राप्त करने के लिए
(ब) सूचना भेजने के लिए 
(स) सूचना के आदान-प्रदान के लिए 
(द) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर:
(स) सूचना के आदान-प्रदान के लिए

4. संप्रेषण प्रक्रिया के विभिन्न क्रमिक चरणों में निम्न क्रिया होती है
(अ) विभिन्न विरूपण
(ब) तोड़-मरोड़ 
(स) जोड़-तोड़
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

5. लेखन में निम्न सावधानी बरतनी चाहिए
(अ) शिष्टेतर भाषा प्रयुक्त करें।
(ब) संक्षिप्त शब्द प्रयुक्त करें। 
(स) अपने वाक्यों को छोटा रखें। 
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) अपने वाक्यों को छोटा रखें।

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6. श्रवण के दौरान निम्न में से क्या करें? 
(अ) सुनते समय बात न करें।
(ब) वक्ता को घूरते रहें। 
(स) जताते रहें कि आप अच्छे श्रोता हैं। 
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(अ) सुनते समय बात न करें।

7. गैर-शाब्दिक संकेतों में शामिल है
(अ) आँखें मिलाकर बात करना
(ब) मुस्कुराना 
(स) हाव-भाव दर्शाना
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

II. रिक्त स्थान वाले प्रश्न

निम्न रिक्त स्थानों की उचित शब्दों द्वारा पूर्ति कीजिए

1. सूचना भेजने एवं प्राप्त करने वाले दोनों में .............. होना आवश्यक है। 
2. ............... व्यक्ति को अपने विचारों, अभिमतों, निर्णयों एवं भावनाओं को चुनने तथा संगठित करने के योग्य बनाता है।
3. मनोरंजन, सूचना एवं ज्ञान प्राप्त करना ............... के लिए कुछ उत्प्रेरक कारक हैं। 
4. कभी-कभी ................. ही संप्रेषण का सर्वोत्तम तरीका सिद्ध होता है। 
5. ............... के लिए अत्यधिक ध्यान केंद्रित करने तथा ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
6. ज्यादातर महान वक्ताओं में ................ एवं उसकी कारगरता को प्रदर्शित करने की स्वाभाविक योग्यता होती है।
उत्तर:
1. संप्रेषण कौशल, 
2. चिंतन, 
3. पठन, 
4. लेखन, 
5. श्रवण, 
6. भाषण कौशल।

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III. सत्य/असत्य वाले प्रश्न

निम्न कथनों में से सत्य/असत्य कथनों को पहचानिए

1. गैर-शाब्दिक कौशल जो कभी-कभी दृश्य-कौशल भी कहलाते हैं, आपकी अनकही बात को भी व्यक्त कर देते हैं।
2. श्रोताओं के साथ आँख मिलाकर बात करने से वक्ता को घबराहट होती है। 
3. मुस्कुराहट प्रायः आक्रामक होती है। इससे सुनने वाला डर कर प्रतिक्रिया करेगा। 
4. सिर हिलाना सकारात्मकता को संप्रेषित करता है तथा यह प्रदर्शित करता है कि आपको सुना जा रहा है। 
5. जब आप और आपके श्रोता एक-दूसरे के सामने होते हैं, तो अंतर्वैयक्तिक घनिष्ठता का विकास होता है।
6. सांस्कृतिक मूल्य यह इंगित करते हैं कि अन्य लोगों के साथ पारस्परिक क्रिया करने में उनसे दूरी नहीं रखनी चाहिए।
उत्तर:
1. सत्य, 
2. असत्य, 
3. असत्य, 
4. सत्य, 
5. सत्य, 
6. असत्य। 

IV. मिलान करने वाले प्रश्न

निम्न दिए गए समूहों का उचित मिलान कीजिए

समूह 'क'

समूह 'ख' 

1. संप्रेषण कौशल

(अ) मुद्रित सामग्री

2. पठन कौशल

(ब) स्वाभाविक या अर्जित होते हैं

3. चिंतन कौशल

(स) शरीर की मुद्रा या भाषा 

4. गैर-शाब्दिक संप्रेषण

(द) सूचना का प्रभावशाली आदान-प्रदान 

5. श्रवण कौश

(य) अंतरावैयक्तिक संप्रेषण कौशल 

उत्तर:

समूह 'क'

समूह 'ख' 

1. संप्रेषण कौशल

(द) सूचना का प्रभावशाली आदान-प्रदान 

2. पठन कौशल

(अ) मुद्रित सामग्री

3. चिंतन कौशल

(य) अंतरावैयक्तिक संप्रेषण कौशल 

4. गैर-शाब्दिक संप्रेषण

(स) शरीर की मुद्रा या भाषा

5. श्रवण कौश

(ब) स्वाभाविक या अर्जित होते हैं

v. अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
प्रभावशाली संप्रेषण कौशल हेतु अनिवार्य शर्त क्या है?
उत्तर:
प्रभावशाली ढंग से संप्रेषण करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को संप्रेषण के साधनों से सम्पन्न होना अनिवार्य शर्त है।

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प्रश्न 2. 
संप्रेषण-प्रक्रिया से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
संप्रेषण-प्रक्रिया में हम विभिन्न कौशलों का इस्तेमाल करके सूचना प्राप्त करते हैं अथवा भेजते हैं। 

प्रश्न 3. 
संप्रेषण कौशल का अर्थ प्रकट करें।
उत्तर:
संप्रेषण कौशल वे स्वाभाविक अथवा उपार्जित योग्यताएँ हैं, जो सूचना को प्रभावशाली ढंग से भेजने एवं प्राप्त करने में हमारी मदद करती हैं।

प्रश्न 4.
सूचना भेजने वाले का कौशल बताइए।
उत्तर:
सूचना भेजने वाले में श्रोतागण के प्रकार, उनकी आवश्यकताएँ तथा हितों को ध्यान में रखते हुए सोचने, विचार करने तथा वांछित संदेश को निर्मित करने के कौशल होने चाहिए। 

प्रश्न 5. 
संदेश प्राप्त करने वाले व्यक्ति की कौशलता कैसी होनी चाहिए?
उत्तर:
संदेश प्राप्त करने वाले व्यक्ति को बिना अनुमान लगाए पूर्वाग्रहों को अलग रखते हुए, पंक्तियों में निहित विषय-वस्तु को सक्रिय रूप से सुनते हुए, देखते हुए, पढ़ते हुए संदेश प्राप्त करना चाहिए।

प्रश्न 6. 
प्रभावशाली संप्रेषण कौशल से किन परिसीमाओं को कम किया जा सकता है?
उत्तर:
प्रभावशाली संप्रेषण कौशल से संदेश को गलत समझे जाने, उसकी गलत व्याख्या, उसको अस्वीकार किये जाने, उसे तोड़े-मरोडे जाने व अनसुना किए जाने की परिसीमाओं को कम किया जा सकता है।

प्रश्न 7. 
श्रवण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
ऐसे विभिन्न कौशलों का संयोजन श्रवण कौशल कहलाता है, जो कि सुनने, संदेश साझा करने वाले व्यक्ति के प्रति अभिवृत्ति तथा संदेश की विषय-वस्तु के साथ-साथ भेजने वाले तथा संदेश के प्रति हमारे मनोवैज्ञानिक जुड़ाव से संबंधित हैं।

प्रश्न 8. 
यह सुनिश्चित कैसे करें कि लोग आपके शाब्दिक संदेशों को समझ रहे हैं?
उत्तर:
ऐसा करने के चार स्पष्ट एवं सरल तरीके हैं

  • प्रस्तुतीकरण के प्रयोजन को समझना। 
  • संदेश को स्पष्ट एवं संक्षिप्त रखना। 
  • बोलने से पहले तैयारी या पूर्ण अभ्यास करना। 
  • संदेश देते समय आपके द्वारा अभिव्यक्त विचारों में पूर्ण स्पष्टता हो।

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प्रश्न 9. 
किस तरह के संप्रेषण कौशल दृश्य कौशल भी कहलाते हैं? इनकी प्रमुख विशेषता प्रकट करें।
उत्तर:
गैर-शाब्दिक कौशल कभी-कभी दृश्य-कौशल भी कहलाते हैं। ये आपकी अनकही बात को भी व्यक्त कर देते हैं, जो कि इनकी प्रमुख विशेषता है।

प्रश्न 10. 
मुस्कुराना किसे अभिव्यक्त करता है?
उत्तर:
मुस्कुराना एक सशक्त संकेत है, जो निम्न को अभिव्यक्त करता है

प्रसन्नता,
मित्रता,
संबंध की प्रगाढ़ता,
पसंद,
संबंध

VI. लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
सूचना भेजने वाले में किस प्रकार का संप्रेषण कौशल होना आवश्यक है?
उत्तर:
सूचना भेजने वाले में श्रोतागण या सूचना प्राप्त करने वालों के प्रकार, उनकी आवश्यकताओं तथा हितों को ध्यान में रखते हुए सोचने, विचार या दृश्य-कल्पना करने तथा वांछित संदेश को निर्मित करने के कौशल होने चाहिए। प्रेषक द्वारा हिन्दी के छ: क (क्या, कहाँ, क्यों, कब और किसको तथा कैसे) अथवा अंग्रेजी के पाँच w (What? Where? Why? When? Whom?) तथा एक H (How) को ध्यान में रखा जाना चाहिए।'

प्रश्न 2. 
सूचना प्राप्त करने वाले में किस प्रकार का संप्रेषण कौशल होना आवश्यक है?
उत्तर:
जो व्यक्ति सूचना (संदेश) प्राप्त करता है, उसे बिना अनुमान लगाए पूर्वाग्रहों को अलग रखते हुए, पंक्तियों में निहित विषय-वस्तु को सक्रिय रूप से सुनते हुए, पढ़ते हुए संदेश प्राप्त करना चाहिए।

प्रश्न 3. 
संप्रेषण कौशल पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
संप्रेषण कौशल उन स्वाभाविक एवं उपार्जित योग्यताओं को कहते हैं जो सूचना को प्रभावशाली ढंग से भेजने एवं प्राप्त करने में हमारी मदद करती हैं। इस प्रकार, संप्रेषण कौशल विविध व्यवहारों की वह शृंखला है जिनसे अन्य व्यक्ति को सूचना प्रेषित होती है। इस प्रक्रिया के लिए सोचने, बोलने, सुनने, पढ़ने, लिखने, विचारकल्पना करने तथा शरीर की मुद्रा से संबंधित एक या अधिक कौशलों की जरूरत पड़ती है। इन कौशल समूहों से हम विभिन्न परिस्थितियों में विभिन्न तरीके से सूचना को अभिव्यक्त कर सकते हैं तथा उसे प्राप्त कर सकते हैं। संप्रेषण कौशल आदान-प्रदान की जा रही विषय-वस्तु की पारस्परिक समझ सृजित करने के लिए सामान्य सूचना के संप्रेषण एवं आदान-प्रदान में मदद करते हैं। इनमें श्रोतागण एवं स्थिति के अनुसार बोले गए एवं लिखे गए शब्दों, कोड एवं विषय-वस्तु, अनुक्रम, प्रयुक्त विषय-वस्तु एवं शरीर की मुद्रा का प्रयोग, दृश्य कल्पना करना एवं विषयवस्तु का संरूपण शामिल हैं।

प्रश्न 4. 
चिंतन से क्या अभिप्राय है? आप चिंतन कौशल का कैसे विकास कर सकते हैं?
उत्तर:
चिंतन एक अंतरावैयक्तिक संप्रेषण कौशल है। इसमें व्यक्तिगत विचार, अनुचिंतन, सोच-विचार एवं मनन सन्निहित होता है। चिंतन व्यक्ति को अपने विचारों, अभिमतों, निर्णयों एवं भावनाओं को चुनने तथा संगठित करने के योग्य बनाता है। चिंतन कौशल का विकास निम्न प्रकार से कर सकते हैं

  1. आप जो सोच रहे हैं उस पर ध्यान केंद्रित करें। 
  2. अपनी चिंतन प्रक्रिया के दौरान ध्यान भंग नहीं होने दें।
  3. सृजनात्मकता, समस्या समाधान, दल के रूप में कार्य, विवेचनात्मकता तथा लचीलेपन के कौशलों को विकसित करके सोच-विचार को मजबूत बनाएँ।
  4. हमेशा सकारात्मक रहें।

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प्रश्न 5.
पठन कौशल से क्या तात्पर्य है? इसे कैसे विकसित किया जा सकता है?
उत्तर:
पठन कौशल मुद्रित अथवा लिखित सामग्री से अर्थ प्राप्त करने की योग्यता है। मनोरंजन, सूचना एवं ज्ञान प्राप्त करना पठन के लिए कुछ उत्प्रेरक कारक हैं। निपुणता से पढ़ने के लिए व्यक्ति में भाषा का ज्ञान, धाराप्रवाह पठन, शब्दावली, पठन बोध, संज्ञान एवं विकोडन अपेक्षित हैं।

पठन कौशल निम्न बिंदुओं पर विचार करके विकसित कर सकते हैं

  1. अभिरुचि का विकास करें। उदाहरणार्थ, आप उस विषय से शुरू करें जिसमें आपकी रुचि हो।
  2. पढ़ते समय पहले बाएं से दाएँ तथा उसके बाद पंक्ति से पंक्ति तक लयबद्ध रूप से पढ़ने के तरीके का अनुसरण करें।
  3. भौतिक स्थितियाँ, जैसे-बायीं तरफ से पर्याप्त प्रकाश, समुचित आकार के अक्षर तथा शांतिपूर्ण एवं शांत वातावरण वांछनीय हैं।

प्रश्न 6. 
लेखन कौशल पर प्रकाश डालिए। अच्छे लेखन हेतु क्या दिशा-निर्देश हैं?
उत्तर:
लेखन-संप्रेषण मौखिक संप्रेषण की अपेक्षा अधिक मूर्त होता है क्योंकि इसमें संचार की त्रुटियों और गलतियों के लिए बहुत कम गुंजाइश होती है। लेखन में वर्तनी, व्याकरण, विराम चिह्न, लेखन शैली तथा शब्दावली आदि शामिल हैं।

अच्छे लेखन हेतु दिशा-निर्देश निम्न हैं

  • शिष्टेतर भाषा का इस्तेमाल न करें। 
  • संक्षिप्त शब्दों के प्रयोग का प्रयास न करें। 
  • जहाँ तक संभव हो प्रतीकों का प्रयोग न करें। 
  • पिष्टोक्तियों (....) का सावधानीपूर्वक प्रयोग करें। 
  • लोगों, कंपनियों के नामों तथा शब्दों की सही-सही वर्तनी लिखें। 
  • समुचित विराम-चिह्न का प्रयोग करना चाहिए। 
  • अपने वाक्यों को छोटा रखें। 

प्रश्न 7. 
श्रवण क्या है? इस कौशल को कैसे विकसित कर सकते हैं?
उत्तर:
श्रवण विभिन्न कौशलों का संयोजन है जो सुनने, संदेश साझा करने वाले व्यक्ति के प्रति अभिवृत्ति तथा संदेश की विषयवस्तु के साथ-साथ भेजने वाले तथा संदेश के प्रति हमारे मनोवैज्ञानिक जडाव से संबंधित है। श्रवण के लिए अत्यधिक ध्यान केंद्रित करने तथा ऊर्जा की आवश्यकता होती है। श्रवण-कौशल स्वाभाविक या अर्जित होते हैं।

आप श्रवण कौशल को निम्न युक्तियों को अपनाकर विकसित कर सकते हैं

  1. वक्ता को ध्यानपूर्वक एवं तनावरहित होकर सुनें। 
  2. सुनते समय बातें न करें। 
  3. श्रोता के विचारों एवं संदेश के दृष्टिकोण को पृथक् रखें। 
  4. संदेश को समझने हेतु शब्दों एवं भावनाओं को सुनने तथा प्रकट करने का प्रयास कीजिए।
  5. वक्ता के प्रेरणार्थक भावों, अभिव्यक्ति तथा अभिवृत्ति जैसे गैर-शाब्दिक संदेशों से सावधान रहें।

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VII. निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
"बोलना सर्वाधिक आधारभूत संप्रेषण कौशलों में से एक है," स्पष्ट कीजिए। आप अपनी बात या प्रस्तुतीकरण को प्रभावशाली कैसे बना सकते हैं?
उत्तर:
बोलना सर्वाधिक आधारभूत संप्रेषण कौशलों में से एक है। अपने रोजमर्रा के जीवन में हम सूचना देने, भावनाओं के आदान-प्रदान एवं अन्य कारणों से परिवार के सदस्यों, मित्रों तथा अन्य लोगों से व्यवसाय एवं कार्य के संबंध में बातचीत करते हैं। किसी समूह के सामने बोलना तथा सार्वजनिक तौर पर बोलना ये दो बोलने के महत्वपूर्ण प्रकार के कौशल हैं। सार्वजनिक तौर पर बोलना श्रोताओं को सूचित करने, प्रभावित करने, राजी करने, प्रेरित करने अथवा मनोरंजन करने के इरादे से संरचित, वाक् कौशल द्वारा सोद्देश्य तरीके से लोगों के समूह के साथ बातचीत करने की प्रक्रिया है। ज्यादातर महान् वक्ताओं में बोलने का कौशल एवं उसकी कारगरता को प्रदर्शित करने की स्वाभाविक योग्यता होती है जो किसी विशेष प्रयोजन के लिए श्रोता को आकृष्ट एवं प्रेरित करने में सहायक होती है।

अपनी बात या प्रस्तुतीकरण को प्रभावशाली बनाने की बातें-अपनी बात या प्रस्तुतीकरण को प्रभावशाली बनाने हेतु निम्नलिखित बातों को समझ लेना आवश्यक है

1. किससे?
आप किससे बात करने जा रहे हैं, उनकी रुचियाँ, पूर्वमान्यताएँ एवं मूल्य क्या हैं, उनमें और अन्य लोगों में क्या समानताएँ हैं तथा वे अन्यों से किस तरह भिन्न हैं? इत्यादि सवालों के जवाब पता होने चाहिए।

2. क्या?-आप क्या संप्रेषित करना चाहते हैं?
विषय-वस्तु का पर्याप्त ज्ञान आपकी सफलता का निर्णायक पहलू है। अत: इस प्रश्न के उत्तर हेतु आप 'सफलता मानदण्ड' के बारे में पूड़ें। यह भी पता लगाएँ कि आपने अपनी बात सफलतापूर्वक कब संप्रेषित की और कर भी पाए या नहीं?

3. किस प्रकार?-आप अपने संदेश को किस प्रकार अच्छी तरह संप्रेषित कर सकते हैं?
इस हेतु, आप अपने श्रोतागण को ध्यान में रखकर शब्दों एवं गैर-शाब्दिक संकेतों का चयन कर सकते हैं। साथ ही, प्रस्तुतीकरण एवं बातचीत की शुरुआत, मध्य एवं समाप्त करने की योजना तैयार कीजिए। यदि समय एवं सुविधा हो तो दृश्य-श्रव्य सामग्री के प्रयोग पर विचार करें एवं उसके अनुसार दृश्य-श्रव्य सामग्री तैयार करें।

4. कब?-संप्रेषण कब करें?
आपको जानना चाहिए कि भाषण में समय प्रबंधन महत्वपूर्ण होता है। आप समय प्रबंधन की भावना विकसित कीजिए ताकि मुद्दों एवं मामले से संगत आपके योगदानों को देखा एवं उनके विषय में सुना जा सके। स्मरण रखना चाहिए कि 'अनाप-शनाप बोलने से शान्त रहना श्रेयस्कर है।'

5. कहाँ?-संप्रेषण कहाँ करें?
अर्थात् आपके दिमाग में संप्रेषण का भौतिक संदर्भ क्या है? इससे अभिप्राय है कि आप संप्रेषण के स्थान का दौरा कर सकते हैं तथा वहाँ की व्यवस्थाओं में अपने अनुकूल परिवर्तन कर सकते हैं। यदि आप श्रव्य-दृश्य साधनों का उपयोग कर रहे हैं तो उपलब्धता एवं दृष्टिगोचरता की दृष्टि से जाँच कर सकते हैं।

6. क्यों?-संप्रेषण क्यों किया जाए।?
आपको यह जानने की अति आवश्यकता है कि श्रोता आपको क्यों सुनें तथा यह बताना भी आवश्यक है कि कौनसी बातें उन्हें सुनने हेतु प्रेरित करती हैं। इससे यह अभिप्राय है कि आपको पता होना चाहिए कि आप विचार क्यों कर रहे हैं। साथ ही, आप जो बात कहने जा रहे हैं उसके महत्व, मूल्य अथवा रुचि के बारे में आपको पूर्ण ज्ञान है।

प्रश्न 2. 
गैर-शाब्दिक संप्रेषण की व्याख्या कीजिए एवं इसके विभिन्न साधनों/माध्यमों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
गैर-शाब्दिक संप्रेषण-संप्रेषण केवल शाब्दिक ही नहीं अपितु गैर-शाब्दिक भी होता है। ऐसा संप्रेषण जिसमें शब्दों का प्रयोग नहीं होता, गैर-शाब्दिक संप्रेषण कहलाता है। गैर-शाब्दिक संप्रेषण के अंतर्गत विचारों व भावनाओं को बगैर शब्दों के अभिव्यक्त किया जा सकता है। कई स्थानों पर जब विचारों व भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं होता है तब गैर-शाब्दिक संप्रेषण ही सबसे प्रभावी माध्यम होता है। गैर-शाब्दिक भाषा के अंतर्गत गुप्त संदेश छुपा होता है।

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गैर-शाब्दिक संप्रेषण के विभिन्न प्रकार-गैर-शाब्दिक संप्रेषण के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं

1. दृश्य संप्रेषण: जब आप कोई तस्वीर, ग्राफ, प्रतीक, आकृति इत्यादि देखते हैं तो आपको उनमें प्रदर्शित संदेश प्राप्त हो जाता है। यह सभी दृश्य संप्रेषण हैं।

2. श्रुति संप्रेषण: घंटी, सीटी, बिगुल आदि ऐसे उपकरण हैं जिनके माध्यम से हम अपना संदेश भेज सकते हैं। इस प्रकार की आवाजें श्रुति कहलाती हैं।

3. सांकेतिक संप्रेषण: शारीरिक मुद्राओं जिनमें शरीर के विभिन्न अंगों का उपयोग किया जाता है, उनके द्वारा भी हम संप्रेषण करते हैं। ये सांकेतिक संप्रेषण कहलाते हैं। अपने राष्ट्रीय ध्वज को सलाम करना, लोगों से चेहरे पर क्रोध के भाव लाना व राष्ट्रगान के समय सावधान की अवस्था में रहना आदि सभी संकेत के माध्यम से किए गए संप्रेषण हैं। जब अध्यापक कक्षा में विद्यार्थी की पीठ पर थपकी देता है तो इसे विद्यार्थी के कार्य की सराहना माना जाता है तथा इससे विद्यार्थी अपने प्रदर्शन को बेहतर करने हेतु प्रेरित होता है।

गैर-शाब्दिक संप्रेषण के माध्यम-गैर-शाब्दिक संप्रेषण के विभिन्न माध्यम निम्नलिखित हैं

1. आँख मिलाकर बात करना (नेत्र संपर्क):
यह गैर-शाब्दिक अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जो संप्रेषण के प्रवाह को नियंत्रित करने में सहायक है। यह अन्य व्यक्तियों में रुचि दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, श्रोताओं के साथ आँख मिलाकर बात करने से वक्ता की विश्वसनीयता बढ़ती है। जो वक्ता आँखों के संपर्क से बातचीत की शुरुआत करना है, वह संप्रेषण के प्रवाह को बनाए रखता है तथा रुचि, सरोकार, प्रगाढ़ता एवं विश्वसनीयता प्रदर्शित करता है।

2. चेहरे की अभिव्यक्तियाँ:
मुस्कुराना एक सशक्त संकेत है, जो प्रसन्नता, मित्रता, संबंध की प्रगाढ़ता, पसंद एवं संबंध को अभिव्यक्त करता है। इस प्रकार, यदि आप बार-बार मुस्कुराएँगे तो लोग आपको पसंद करेंगे, मित्र के रूप में देखेंगे, आपके प्रति स्नेह रखेंगे और आपसे निकटता महसूस करेंगे। मुस्कुराहट प्रायः प्रभावी होती है क्योंकि इससे सुनने वाला अनुकूल ढंग से प्रतिक्रिया करेगा।

3. हाव-भाव:
बोलते समय यदि हाव-भाव नहीं दर्शाया जाता है तो आपको उबाक, संवेदनहीन एवं उत्साहहीन माना जा सकता है। जीवंत एवं सक्रिय शिक्षण शैली ध्यान आकर्षित करती है, विषय को ज्यादा रुचिकर बनाती है, शिक्षण को सुगम बनाती है तथा मनोरंजन भी प्रदान करती है। सिर हिलाना, जो हाव-भाव का ही एक रूप है, 'सकारात्मकता को संप्रेषित करता है तथा यह स्पष्ट करता है कि आपको सुना जा रहा है।

4. अंग-विन्यास-टहलने:
बात करने, खड़े होने एवं बैठने के तरीके से आप अनेक अलग-अलग संदेश संप्रेषित करते रहते हैं। सीधे खड़े होना, किंतु तनकर नहीं तथा आगे की ओर हल्के से झुकना संप्रेषित करता है कि आपसे बेझिझक बात की जा सकती है, क्योंकि आप ग्रहणशील एवं मित्रवत् हैं। 

पीठ करके बैठना, फर्श तथा छत की ओर देखना आदि स्थितियों से बचना चाहिए। इससे यह संप्रेषित होता है कि आप विषय में रुचि नहीं रखते हैं। इसके बजाय, जब आप और श्रोता एक-दूसरे के आमने-सामने होते हैं तो अंतर्वैयक्तिक घनिष्ठता का विकास होता है।

5. निकटता:
सांस्कृतिक मूल्य यह संकेत करते हैं कि अन्य लोगों के साथ पारस्परिक क्रिया करने में उनसे कुछ दूरी रखी जानी चाहिए। दूसरों के मध्य बेहिचक शामिल हो जाने से उन्हें जो असुविधा होती है, उनके संकेतों को समझना चाहिए। इनमें कुछ हैं

  • शरीर को आगे-पीछे हिलाना-डुलाना 
  • पैर हिलाना 
  • पैर से थपथप करना 
  • नजर न मिलाना।

इसके विपरीत, कॉलेज की बड़ी कक्षाओं में अथवा बड़े सभागार में अथवा प्रस्तुतीकरण कक्ष में श्रोताओं के अति निकट जा पहुँचने की समस्या नहीं है क्योंकि वहाँ दूरी काफी होती है। इससे बचने के लिए कमरे में इधरउधर घूमें ताकि श्रोताओं के साथ पारस्परिक संवाद बढ़ा सकें। पास जाने से आप आँखों से सम्पर्क कर सकते हैं तथा सुनने वाले के लिए बोलना अथवा संप्रेषित करना संभव हो पाता है।

6. पराभाषिक:
भाषेतर संप्रेषण के इस रूप में छह वाक् तत्व शामिल होते हैं-सुर, तारत्व, लय, ध्वनिरूप, प्रबलता और उतार-चढ़ाव। भाषण एवं बातचीत को ज्यादा प्रभावकारी बनाने हेतु आवाज के इन छह तत्वों को प्रयुक्त किया जाना चाहिए क्योंकि शिक्षकों या संप्रेषकों के बारे में एक आम आलोचना यह है कि वे एक सुर में बोलते हैं।

7. हास-परिहास:
इससे संप्रेषक एवं श्रोता दोनों का तनाव दूर होता है। अतः हर व्यक्ति को स्वयं पर हँसने की योग्यता का विकास करना चाहिए तथा श्रोता को भी उसके लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे वातावरण मैत्रीपूर्ण बनता है और संप्रेषण बेहतर होता है।
 

Raju
Last Updated on Aug. 19, 2022, 10:56 a.m.
Published Aug. 12, 2022