Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Important Questions Chapter 13 देखभाल तथा शिक्षा Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बाल्यावस्था की अवधि को विभाजित किया गया है
(अ) शैशवावस्था (जन्म से 2 वर्ष)
(ब) प्रारंभिक बाल्यावस्था (2-6 वर्ष)
(स) मध्य बाल्यावस्था (7-11 वर्ष)
(द) उपरोक्त सभी में
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी में
प्रश्न 2.
सभी क्षेत्रों में विकास की दर सर्वाधिक तीव्र होती है
(अ) जीवन के प्रथम दो वर्षों में
(ब) 3-5 वर्ष की आयु में
(स) 6-8 वर्ष की आयु में ।
(द) 9-11 वर्ष की आयु में
उत्तर:
(अ) जीवन के प्रथम दो वर्षों में
प्रश्न 3.
विकास की संवेदनशील अवधियाँ कहा गया है
(अ) शैशवावस्था के वर्षों को
(ब) प्रारंभिक बाल्यावस्था के वर्षों को
(स) मध्य बाल्यावस्था के वर्षों को
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) प्रारंभिक बाल्यावस्था के वर्षों को
प्रश्न 4.
देश में ई.सी.सी.ई. सेवाएं प्रदान की जाती हैं-
(अ) नर्सरी विद्यालयों द्वारा
(ब) किंडर गार्डन द्वारा
(स) प्ले स्कूलों द्वारा
(द) उपर्युक्त सभी के द्वारा
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी के द्वारा
प्रश्न 5.
हमारे देश में कक्षा 1 से 5 में लड़कियों का नामांकन प्रतिशत है
(अ) 53.3 प्रतिशत
(ब) 46.7 प्रतिशत
(स) 63.7 प्रतिशत
(द) 64.7 प्रतिशत
उत्तर:
(ब) 46.7 प्रतिशत
प्रश्न 6.
कामकाजी महिलाओं के लिए बच्चों की देखभाल के लिए उपयोगी है
(अ) नर्सरी स्कूल
(ब) बालबाडी
(स) क्रेच
(द) मोण्टेसरी स्कूल
उत्तर:
(स) क्रेच
प्रश्न 7.
वह अवधि जिसमें बच्चा प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करता है, कहलाती है
(अ) शैशवावस्था
(ब) प्रारंभिक बाल्यावस्था
(स) मध्य बाल्यावस्था
(द) यौवनावस्था
उत्तर:
(स) मध्य बाल्यावस्था
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
उत्तर:
निम्नलिखित में से सत्य/असत्य कथन छाँटिए
उत्तर:
निम्नलिखित स्तंभों का सही मिलान कीजिए
1. शिशु गृह |
(अ) 3-5 वर्ष की आयु के बच्चों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं |
2. पूर्व-विद्यालय केन्द्र |
(ब) जन्म से 2 वर्ष तक की अवधि |
3. शैशवावस्था |
(स) 2-6 वर्ष की आयु की अवधि |
4. प्रारंभिक बाल्यावस्था |
(द) 7-11 वर्ष की आयु की अवधि |
5. मध्यबाल्यावस्था |
(य) जन्म से 3 वर्ष तक के बच्चों को ई.सी.सी.ई. सेवा उपलब्ध कराते हैं। |
उत्तर:
1. शिशु गृह |
(य) जन्म से 3 वर्ष तक ले, बच्चों को ई.सी.सी.ई. सेवा उपलब्ध कराते हैं |
2. पूर्व-विद्यालय केन्द्र |
(अ) 3-5 वर्ष की आयु के बच्चों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं |
3. शैशवावस्था |
(ब) जन्म से 2 वर्ष तक की अवधि |
4. प्रारंभिक बाल्यावस्था |
(स) 2-6 वर्ष की आयु की अवधि |
5. मध्यबाल्यावस्था |
(द) $7-11$ वर्ष की आयु की अवधि |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बाल्यावस्था की अवधि को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
उत्तर:
बाल्यावस्था की अवधि को तीन वर्गों
प्रश्न 2.
मनुष्य के सभी क्षेत्रों में विकास की दर किन वर्षों में सर्वाधिक तीव्र होती है।
उत्तर:
जन्म से 6 वर्ष के वर्षों में मनुष्य के सभी क्षेत्रों में विकास की दर सर्वाधिक तीव्र होती है।
प्रश्न 3.
सभी क्षेत्रों के विकास को मनुष्य शरीर का कौनसा अवयव नियंत्रित करता है?
उत्तर:
मस्तिष्क सभी क्षेत्रों के विकास को नियंत्रित करता है।
प्रश्न 4.
मस्तिष्क के विकास की दर सर्वाधिक तीव्र कब होती है?
उत्तर:
मस्तिष्क के विकास की दर जीवन के प्रथम दो वर्षों में सर्वाधिक तीव्र होती है।
प्रश्न 5.
जीवन के प्रथम दो वर्षों में मस्तिष्क के विकास की दर सर्वाधिक तीव्र क्यों होती है?
उत्तर:
चूँकि जीवन के प्रथम दो वर्षों में मस्तिष्क कोशिकाओं में अन्तर्ग्रथनी संयोजन अत्यधिक तीव्रता से विकसित होता है। इसलिए मस्तिष्क का विकास तीव्रतम होता है।
प्रश्न. 6.
बच्चे का भाषायी विकास कब से प्रारंभ होता है? ।
उत्तर:
बच्चे का भाषायी विकास जन्म से ही प्रारंभ हो जाता है जब वह दूसरों को बोलते हुए सुनता है व उन्हें समझने का प्रयास करता है।
प्रश्न 7.
शिक्षा से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
शिक्षा केवल शिक्षण संस्थानों में औपचारिक पढ़ाई करना ही नहीं है, बल्कि यह घर में बच्चे के प्रारंभिक वर्षों से ही शुरू हो जाती है जो जीवन-पर्यन्त जारी रहती है।
प्रश्न 8.
बच्चे की तीन आधारभूत आवश्यकताएँ कौनसी हैं?
उत्तर:
बच्चे की तीन आधारभूत आवश्यकताएँ हैं-
प्रश्न 9.
देश में ई.सी.सी.ई. सेवाएँ किनके द्वारा प्रदान की जाती हैं?
उत्तर:
देश में ई.सी.सी.ई. सेवाएँ सरकार, निजी संस्थाओं तथा गैर-सरकारी संगठनों द्वारा प्रदान की जाती हैं।
प्रश्न 10.
ई.सी.सी.ई. सेवाएँ किस प्रकार के संगठनों द्वारा प्रदान की जाती है।
उत्तर:
ई.सी.सी.ई. सेवाएँ शिशु गृहों (क्रैशों) तथा पूर्व विद्यालय केन्द्रों द्वारा प्रदान की जाती हैं।
प्रश्न 11.
शिशुगृहों तथा पूर्व-विद्यालय केन्द्रों को किन-किन नामों से जाना जाता है?
उत्तर:
इन्हें नर्सरी विद्यालय, किंडर गार्डन, प्ले स्कूल, आँगनबाड़ियाँ तथा बालवाड़ियाँ के नामों से जाना जाता
प्रश्न 12.
ई.सी.सी.ई. के स्वास्थ्य सम्बन्धी योगदानों में क्या शामिल हैं?
उत्तर:
ई.सी.सी.ई. के स्वास्थ्य सम्बन्धी योगदानों में स्वास्थ्य जाँच, प्रतिरक्षण, परामर्श/संदर्भ सेवाएँ तथा बीमारियों का उपचार शामिल हैं।
प्रश्न 13.
ई.सी.सी.ई. के पोषण सम्बन्धी योगदानों में क्या शामिल हैं?
उत्तर:
ई.सी.सी.ई. के पोषण सम्बन्धी योगदानों में मध्याह्न भोजन तथा विटामिन के रूप में पूरक पोषण प्रदान करना शामिल हैं।
प्रश्न 14.
ई.सी.सी.ई. के प्रेरणा तथा पाठशाला-पूर्व शिक्षा योगदान का क्या आशय है?
उत्तर:
प्रेरणा तथा पाठशाला-पूर्व शिक्षा योगदानों का अर्थ है-विकासात्मक रूप से उपयुक्त सार्थक अनुभव प्रदान करना जो विभिन्न क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देते हों।
प्रश्न 15.
बच्चा प्राथमिक शिक्षा किस अवधि में प्राप्त करता है?
उत्तर:
बच्चा मध्य बाल्यावस्था की अवधि (7-11 वर्ष की आयु अवधि) में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करता है।
प्रश्न 16.
प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य क्या है?
उत्तर:
प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य है-बच्चे में बुनियादी साक्षरता तथा अंकीय (गणितीय) कौशलों का विकास करना।
लघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
समृद्धकारी एवं वंचित माहौल का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समृद्धकारी माहौल-एक ऐसा माहौल जिसमें बच्चे को अनुकूल (विकास को प्रेरित व संवर्धित करने वाले) अनुभव मिलते हैं, उसे प्रेरणादायक या समृद्धकारी माहौल कहा जाता है।
वंचित माहौल-जब बच्चे को प्रतिकूल (विकास में बाधा डालने वाला) अनुभव प्राप्त होते हैं, तो उसे वंचित माहौल कहा जाता है, जिससे कठिन परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।
प्रश्न 2.
प्रारंभिक बाल्यावस्था का समय विशाल लचीलेपन का समय होता है। कैसे?
उत्तर:
प्रारंभिक बाल्यावस्था के वर्षों में बच्चा स्थिति से सामंजस्य बैठाने की अच्छी योग्यता प्राप्त कर लेता है। इस प्रकार, यदि बच्चे को प्रारंभिक वर्षों में प्रतिकूल अनुभव मिले हों तो वह थोड़ा बहुत, नकारात्मक अनुभवों से उबर सकता है यद्यपि इसमें कुछ कठिनाई हो सकती है।
प्रश्न 3.
समृद्धकारी व वंचित माहौल से क्या आशय है?
उत्तर:
एक ऐसा माहौल जिसमें बच्चे को अनुकूल अनुभव मिलते हैं, उसे प्रेरणादायक इष्टतम अथवा समृद्धकारी माहौल कहा जाता है जबकि ऐसा माहौल जिसमें बच्चे को प्रतिकूल अनुभव प्राप्त होते हैं, उसे वंचित माहौल कहा जाता
प्रश्न 4.
'प्रारंभिक बाल्यावस्था का समय विकास की दृष्टि से विशाल लचीलेपन का समय होता है।' कैसे? .
उत्तर:
प्रारंभिक बाल्यावस्था का समय विकास की दृष्टि से विशाल लचीलेपन का समय होता है। इन वर्षों में बच्चा स्थिति से सामंजस्य बैठाने की अच्छी योग्यता प्राप्त कर लेता है। इस प्रकार, यदि बच्चे को आरंभिक वर्षों में प्रतिकूल अनुभव प्राप्त हुए हों तथा बाद में उसे अनुकूल अनुभव मिले हों तो वह थोड़ा-बहुत नकारात्मक अनुभवों से उबर सकता है, यद्यपि इसमें कुछ कठिनाई हो सकती है।
प्रश्न 5.
'बच्चे की सभी मूल आवश्यकताओं की एक साथ पूर्ति किया जाना उसके एक साथ इष्टतम विकास के लिए आवश्यक है।' क्यों?
उत्तर:
बच्चे की सभी मूल आवश्यकताओं की एक साथ पूर्ति किया जाना उसके एक साथ इष्टतम विकास के लिए आवश्यक है क्योंकि सभी क्षेत्रों में होने वाले विकास परस्पर संबंधित होते हैं, विशेषरूप से आरंभिक बाल्यावस्था के वर्षों में। दूसरे शब्दों में, एक क्षेत्र में होने वाला विकास सभी अन्य क्षेत्रों के विकास को प्रभावित करता है तथा उनके विकास से प्रभावित होता है। विकास के किसी एक पहलू से संबंधित अभाव अन्य पहलुओं को प्रभावित करता है।
प्रश्न 6.
अतपँथनी संयोजन का निर्माण किस पर निर्भर है?
उत्तर:
अंतर्ग्रथनी संयोजन का निर्माण पर्याप्त पोषण प्राप्त करने, गंभीर तथा चिरकालिक रोगों से मुक्त होने तथा एक भावात्मक रूप से सुरक्षित माहौल में शिक्षण को प्रोत्साहन करने के अनुभवों में लगे होने पर निर्भर है।
प्रश्न 7.
ई.सी.सी.ई. कौन प्रदान करता है?
उत्तर:
देश में ई.सी.सी.ई. सरकार, निजी संस्थाओं तथा स्वैच्छिक क्षेत्र (गैर सरकारी संगठन) द्वारा प्रदान की जाती है। ये सेवाएँ शिशुगृहों (ऊशों) तथा पूर्व-विद्यालय केन्द्रों द्वारा प्रदान की जाती हैं जिन्हें विभिन्न नामों, जैसेनर्सरी विद्यालय, किंडर गार्डन, प्ले स्कूल, आँगनबाड़ियाँ तथा बालवाड़ियाँ आदि से जाना जाता है। -
प्रश्न 8.
शिशुगृहों तथा पूर्व-विद्यालय केन्द्रों में क्या अन्तर है?
उत्तर:
शिशुगृह में जन्म से लेकर 3 वर्ष तक के बच्चों को ई.सी.सी.ई. उपलब्ध कराई जाती है जबकि पूर्वविद्यालय केन्द्र 3 से 5 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
प्रश्न 9.
कामकाजी महिलाओं के घरों में बच्चों की देखभाल के लिए परिवार में कौन-कौन से अन्य विकल्प उपलब्ध होते हैं?
उत्तर:
कामकाजी महिलाओं के परिवार में बच्चों की देखभाल के लिए निम्नलिखित अन्य विकल्प विद्यमान हैं
प्रश्न 10.
'ई.सी.सी.ई. कार्यक्रम बच्चों की अकादमिक तैयारी करता है।' यहाँ अकादमिक तैयारी से क्या आशय है?
उत्तर:
यहाँ अकादमिक तैयारी से अर्थ यह है कि ई.सी.सी.ई. कार्यक्रम विद्यालय जाने वाले बच्चे के लिए आवश्यक कौशलों का विकास करके औपचारिक रूप से विद्यालय जाने के लिए बच्चे को तैयार करते हैं। उदाहरण के लिए मिल बाँटना, आदान-प्रदान करना, समय सारणी का अनुसरण करना तथा एक नये माहौल में ढालना।
प्रश्न 11.
ई.सी.सी.ई. कार्यक्रम बच्चों की सामाजिक तैयारी में किस प्रकार सहायता करता है?
उत्तर:
ई.सी.सी.ई. कार्यक्रम सामाजिक तैयारी के अन्तर्गत पाठशाला-पूर्व विद्यालय के अनुभव बच्चे को अन्य .. बच्चों के साथ तथा बड़े लोगों के साथ संबंध बनाना सीखने में उसकी सहायता करते हैं जिससे कि उसको प्राथमिक विद्यालय में समायोजित होने में सहायता मिलती है। ऐसे बच्चों के प्राथमिक विद्यालय को बीच में छोड़ने की संभावना कम होती है तथा उनमें किशोर अपराधों और नशीली दवाओं के व्यसन के कम उदाहरण मिलते हैं और वे परिवार की आय के साथ-साथ राष्ट्र की आर्थिक पूँजी में योगदान देते हैं।
प्रश्न 12.
प्राथमिक शिक्षा का स्वरूप कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
प्राथमिक शिक्षा का स्वरूप-प्राथमिक वर्षों में शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे बच्चे ऐसे क्रियाकलापों में लगें जिनके माध्यम से वे अपनी समझ स्वयं निर्मित कर सकें। हमारे देश के विविध सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक तथा भाषायी संदर्भो के अनुरूप होने के लिए शिक्षा का पर्याप्त लचीला होना जरूरी है। आरंभिक प्राथमिक कक्षाओं-कक्षा 1 तथा 2 में शिक्षा शास्त्र तथा पाठ्यचर्या संपादन, क्रियाकलाप, आधारित तथा अनुभवजन्य होना चाहिए ताकि पाठशाला-पूर्व वर्षों में अध्यापन की विधि तथा दृष्टिकोण के साथ निरन्तरता बनी रहे। इससे बच्चे को प्राथमिक विद्यालय के नए तथा अपरिचित माहौल में समायोजन करने में सहायता मिलेगी।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ई.सी.सी.ई. के स्वरूप का सोदाहरण विवेचन कीजिए।
उत्तर:
ई.सी.सी.ई. का स्वरूप-
ई.सी.सी.ई. में स्वास्थ्य, पोषण, प्रेरणा तथा पाठशाला-पूर्व शिक्षा के योगदान शामिल हैं ताकि बच्चे की सम्पूर्ण तथा सर्वांगीण संवृद्धि तथा विकास हो सके। यथा
(1) स्वास्थ्य-स्वास्थ्य सम्बन्धी योगदानों में स्वास्थ्य जाँच, प्रतिरक्षण, परामर्श/संदर्भ सेवाएँ तथा बीमारियों का उपचार शामिल हैं।
(2) पोषण-पोषण सम्बन्धी योगदानों में मध्याह्न भोजन तथा विटामिन के रूप में पूरक पोषण प्रदान करना शामिल है।
(3) प्रेरणा तथा पाठशाला-पूर्व शिक्षा-
प्रेरणा तथा पाठशाला-पूर्व शिक्षा योगदानों का अर्थ है विकासात्मक रूप से उपयुक्त सार्थक अनुभव प्रदान कराना जो विभिन्न क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देते हों। ये अनुभव बच्चे को बाल-सुलभ क्रियाकलापों तथा खेल के माध्यम से उपलब्ध कराए जाने चाहिए, न कि औपचारिक शिक्षा के माध्यम से। बच्चे खेल-खेल में सीखते हैं तथा ऐसे क्रियाकलापों में संलग्न रहते हैं जो उनकी आयु तथा विकासात्मक स्तर के अनुरूप होते हैं।
(4) शिक्षण तथा विकास की संबद्धता-
शिक्षण तथा विकास परस्पर सम्बद्ध हैं तथा विकास के एक पहलू को प्रेरित करने वाली अधिकांश खेल क्रियायें या गतिविधियाँ अन्य आयामों को भी प्रभावित करती हैं। इसे बालगीत के उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया गया है. बालगीत या कविताएँ गाना एक आम क्रियाकलाप हैं जो अधिकांश माता-पिता बच्चे के साथ उस समय करते हैं जब वह कुछ माह का ही होता है। बाल कविताएँ पाठशाला-पूर्व केन्द्रों में भी पाठ्यचर्या का एक अभिन्न भाग होती हैं।
(i) यह क्रियाकलाप बच्चे की भाषा के विकास में भी सहायक होते हैं क्योंकि वह स्वयं बाल कविता गाते हैं तथा अन्य लोगों को उन्हें बोलते हुए सुनते हैं।
(ii) यह बच्चे के संज्ञानात्मक विकास में भी सहायक होती है क्योंकि बच्चे के माता-पिता या पाठशाला -पूर्व अध्यापक बातचीत में उन वस्तुओं, घटनाओं या संकल्पनाओं की बातें करते हैं जिनका वर्णन बालगीत में किया जाता है।
(iii) इससे सामाजिक तथा भावनात्मक विकास में सहायता मिलती है क्योंकि वयस्क व्यक्ति तुकांत गीत गाने के दौरान आनंददायक तरीके से बच्चे के साथ घनिष्ठता से अंतःक्रिया करता है तथा बच्चा व वयस्क दोनों को एक साथ मिलकर क्रियाकलाप करने से संतुष्टि एवं आनन्द का अनुभव होता है।
(iv) यदि बालगीत, क्रियाएँ करते हुए गाया जाता है तो इससे बच्चे के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास में भी योगदान मिलता है।
प्रश्न 2.
कामकाजी महिलाओं के लिए बच्चों की प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल तथा शिक्षा के लिए ई.सी.सी.ई. के अलावा अन्य विकल्पों की क्या परिसीमाएँ हैं?
उत्तर:
कामकाजी महिलाओं के लिए ई.सी.सी.ई. के अतिरिक्त बच्चों की देखभाल व शिक्षा के अन्य विकल्प व उनकी परिसीमाएँ. निम्नलिखित हैं
(1) दिन में बच्चे को परिवार के किसी सदस्य या मित्र के पास छोड़ना-यह विकल्प केवल तभी संभव है जब घर में वयस्क व्यक्ति मौजूद हों। लेकिन शहरों में अनेक परिवार एकल परिवार होते हैं, जहाँ दोनों मातापिता जीविकोपार्जन के लिए घर से बाहर जाते हैं और घर में बच्चे की देखभाल करने के लिए कोई नहीं होता। निम्न सामाजिक-आर्थिक स्तर के परिवारों में अक्सर सभी वयस्क व्यक्तियों को जीविकोपार्जन के लिए घर से बाहर जाना पड़ता है।
(2) माता का बच्चे को अपने कार्यस्थल पर ले जाना-माता का अपने साथ अपने कार्यस्थल पर बच्चे को ले जाना तभी समुचित है,जब वहाँ बच्चे के लिए शिशु देखभाल केन्द्र की सुविधाएँ उपलब्ध हों। यदि शिशु देखभाल केन्द्र की सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं, तो कार्यस्थल का माहौल बच्चे के लिए अनुचित या खतरनाक हो सकता है। ऐसी स्थिति में बच्चे निर्माण या कार्यस्थल पर असुरक्षित, प्रेरणाहीन माहौल में खेलते रहते हैं। हमारे देश की अनेक महिलाओं के पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है कि वे अपने बच्चे को अपने साथ ले जाएँ क्योंकि बच्चे की देखभाल के लिए पर्याप्त शिशु देखभाल केन्द्र नहीं है।
(3) घर में घरेलू सेवक रखकर बच्चे को उसके पास छोड़ना-घरेलू सेवक रखना महंगा विकल्प है तथा निम्न और मध्यम सामाजिक-आर्थिक वर्ग के परिवार उनकी सेवाओं के खर्च को संभवतः वहन न कर पाएँ।
(4) बच्चे को घर में बड़े बच्चे के पास छोड़ना-छोटे बच्चे को किसी बड़े भाई-बहिन, सामान्यतः लड़की के पास छोड़ना ही ऐसा विकल्प है जिस पर निम्न सामाजिक-आर्थिक स्तर के अधिकांश परिवार निर्भर करते हैं। किंतु इससे बड़ा बच्चा विद्यालय जाने से वंचित रह जाता है। उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि उपर्युक्त सभी विकल्पों की अपनी परिसीमाएँ हैं। अतः सर्वोच्च हित में उपलब्ध एकमात्र विकल्प यही है कि बच्चे को शिशु-देखभाल केन्द्र में बाल देखभाल सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ।