RBSE Class 11 Home Science Important Questions Chapter 12 पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वस्थता

Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Important Questions Chapter 12 पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वस्थता Important Questions and Answers.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Home Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 11. Students can also read RBSE Class 11 Home Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 11 Home Science Notes to understand and remember the concepts easily.

RBSE Class 11 Home Science Important Questions Chapter 12 पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वस्थता

बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
विश्व स्वास्थ्य संगठन शिशु को स्तनपान कराने की सिफारिश करता है
(अ) 2 माह तक
(ब) 4 माह तक 
(स) 6 माह तक
(द) एक वर्ष तक
उत्तर:
(स) 6 माह तक

RBSE Class 11 Home Science Important Questions Chapter 12 पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वस्थता  

प्रश्न 2. 
शिशु को कोलास्ट्राम अवश्य पिलाया जाना चाहिए क्योंकि
(अ) यह पीले रंग का होता है 
(ब) प्रतिरक्षी तत्वों से भरपूर होता है 
(स) यह सफेद रंग का होता है
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(ब) प्रतिरक्षी तत्वों से भरपूर होता है 

प्रश्न 3. 
शिशु को स्तनपान अवश्य कराया जाना चाहिए क्योंकि
(अ) यह सभी पोषक तत्वों से युक्त होता है 
(ब) यह हर समय एवं उचित तापमान पर उपलब्ध होता है
(स) यह प्रतिरक्षी तत्वों से युक्त होता है 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:(द) उपर्युक्त सभी 

प्रश्न 4. 
जन्म के समय कितने किलोग्राम से कम वजन वाले शिशु को कम वजन वाला शिशु माना जाता है
(अ) 2.5 किग्रा से कम
(ब) 3 किग्रा से कम 
(स) 4 किग्रा से कम
(द) 3.5 किग्रा से कम 
उत्तर:
(अ) 2.5 किग्रा से कम

प्रश्न 5. 
क्षय रोग प्रतिरोधी टीके को कहते हैं. 
(अ) बी.सी.जी.
(ब) ओ.पी.वी. 
(स) डी.पी.टी.
(द) हेपेटाइटिस 
उत्तर:
(अ) बी.सी.जी.

प्रश्न 6. 
बच्चों में लौह तत्व की कमी के कारण जो रोग होता है, उसे कहते हैं
(अ) पोषणात्मक अंधापन
(ब) एनीमिया
(स) डायरिया
(द) रिकेट्स 
उत्तर:
(ब) एनीमिया

प्रश्न 7. 
गलगंड रोग होता है
(अ) रक्त की कमी से
(ब) थायरॉइड ग्रंथि बढ़ने से 
(स) विटामिन डी की कमी से
(द) विटामिन ए की कमी से 
उत्तर:
(ब) थायरॉइड ग्रंथि बढ़ने से 

प्रश्न 8. 
दक्षिण के ग्रामीण क्षेत्रों में नाश्ते में खाया जाता है' 
(अ) इडली-डोसा
(ब) छाछ-परांठा 
(स) आलू-पूड़ी ।
(द) छोले-भटूरे र
उत्तर:
(अ) इडली-डोसा

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. ...............एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम शरीर में भोजन का कार्य करते हैं। 
  2. सुपोषित' माँ के 850 मि.ली. दूध में प्रथम .............. माह तक के लिए सभी पोषक तत्व होने चाहिए। 
  3. माँ का दूध नवजात शिशु के लिए ................. उपहार है। 
  4. माँ के दूध के साथ-साथ बच्चे को जो खाद्य पदार्थ देने शुरू किये जाते हैं, उन्हें ..............भोजन कहा जाता
  5. कुपोषण एक ...............समस्या है। . 
  6. जब माँ का दूध बच्चे को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होता है तो वह ...............का शिकार होने लगता है।
  7. विटामिन डी एवं कैल्शियम की कमी के कारण ............... एवं ओस्टोपीनिया रोग हो जाते हैं। 
  8. विद्यालय-पूर्व बच्चों को डी.पी.टी. एवं ओ.पी.वी. की बूस्टर खुराक के अतिरिक्त एम.एम.आर. और ...............के टीके भी लगाए जाते हैं। 

उत्तर:

  1. पोषण
  2. 4-6 
  3. प्राकृतिक 
  4. पूरक 
  5. राष्ट्रीय 
  6. कुपोषण 
  7. रिकेट्स 
  8. टाइफाइड। 

RBSE Class 11 Home Science Important Questions Chapter 12 पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वस्थता

निम्नलिखित में से सत्य/असत्य कथन छाँटिए

  1. जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उन्हें उनके भोजन की योजना में शामिल किया जाना चाहिए। 
  2. उत्तर भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में नाश्ते में उपमा जैसे खाद्य पदार्थ खाए जाते हैं। 
  3. बच्चों को स्वच्छ स्थितियों में खाने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। । 
  4. बाल्यावस्था में मोटापे के बढ़ने से आजकल बच्चों में टाइप-2 मधुमेह तथा अतिरिक्त रक्तदाब बहुत अधिक हो रहा है। 
  5. रुधिर आयतन में विस्तार एवं वृद्धि के लिए बच्चों को प्रोटीन अवश्य मिलने चाहिए। 
  6. बच्चों की हड्डियों एवं पेशियों की तीव्र वृद्धि के लिए लौह तत्व अवश्य मिलने चाहिए।
  7. बच्चों को अर्द्ध ठोस पूरक आहार 5-6 माह तक शुरू करना चाहिए। 

उत्तर:

  1. सत्य 
  2. असत्य 
  3. सत्य 
  4. सत्य 
  5. असत्य 
  6. असत्य 
  7. सत्य।

निम्नलिखित स्तंभों का सही मिलान कीजिए

1. 3: 1 के अनुपात में उबले पानी के साथ मिला दूध

(अ) ठोस पूरक आहार

2. कच्चा सलाद एवं फल

(ब) शरीर में पानी तथा इलेक्ट्रोलाइट की कमी

3. डायरिया

(स) आयोडीन की कमी

4. गलगंड

(द) विटामिन ए की कमी

5. पोषणात्मक अंधापन

(य) तरल पूरक आहार

उत्तर:

1. 3: 1 के अनुपात में उबले पानी के साथ मिला दूध

(य) तरल पूरक आहार

2. कच्चा सलाद एवं फल

(अ) ठोस प्रूरक आहार

3. डायरिया

(ब) शरीर में पानी तथा इलेक्ट्रोलाइट की कमी

4. गलगंड

(स) आयोडीन की कमी

5. पोषणात्मक अंधापन

(द) विटामिन ए की कमी

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
डी.पी.टी., ओ.पी.वी. तथा बी.सी.जी. टीकों के पूरे नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. डिफ्थीरिया, परट्यूसिस तथा टिटनेस। 
  2. ओरल पोलियो वैक्सीन। 
  3. बैसिलस केलमिटि-ग्वेरिन। 

प्रश्न 2. 
अतिसार से निर्जलीकरण कैसे होता है?
उत्तर:
अतिसार के परिणामस्वरूप शरीर में पानी तथा इलैक्ट्रोलाइट की कमी होने से निर्जलीकरण की समस्या पैदा हो जाती है।

प्रश्न 3.
शिशुओं में पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोगों से बचने के लिए माँ का स्वास्थ्य एवं पोषण क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर:
शिशुओं में पोषक तत्वों की पूर्ति माँ के दूध से हो जाती है। यदि माँ को अच्छी खुराक दी जाती है तो शिशु भी अच्छी तरह बढ़ता और फलता-फूलता है।

प्रश्न 4. 
पूरक आहार का वर्गीकरण कीजिए। 
उत्तर:
पूरक आहार तीन प्रकार का होता है-

  1. तरल पूरक, 
  2. अर्द्धठोस पूरक तथा 
  3. ठोस पूरक। 

प्रश्न 5. 
आपके चार वर्षीय बच्चे को कितनी किलो कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है? 
उत्तर:
1690 (किलो कैलोरी) ऊर्जा। 

प्रश्न 6. 
एम.एम.आर. टीका किसलिए लगाया जाता है?
उत्तर:
एम.एम.आर. टीका खसरा, कनपेड़ा तथा रुबेला रोगों की प्रतिरक्षा के लिए लगाया जाता है।

प्रश्न 7.
शुओं की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ किससे पूरी हो जाती हैं?
उत्तर:
शिशुओं की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ माँ के दूध के संघटन तथा उनको दिए जाने वाले अनुपूरक भोजन से पूरी हो जाती है।

प्रश्न 8. 
कोलॉस्ट्रम क्या है?
उत्तर:
शिशु के जन्म के बाद माँ के स्तन से प्रथम 2-3 दिन कोलॉस्ट्रम नाम का पीले रंग का एक तरल पदार्थ उत्पन्न होता है जो प्रतिरक्षी तत्वों से भरपूर होता है तथा शिशु को संक्रमण से बचाता है। इसे शिशु को अवश्य पिलाया जाना चाहिए।

RBSE Class 11 Home Science Important Questions Chapter 12 पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वस्थता

प्रश्न 9. 
किसी एक कम लागत वाले पूरक आहार का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
बाल आहार एक कम लागत वाला पूरक आहार है। इसमें छिलका युक्त गेहूँ, मूंगफली तथा चने का आटा क्रमशः 7:2:2 के अनुपात में भूना तथा मिलाया जाता है।

प्रश्न 10. 
कम वजन वाला शिशु किसे माना जाता है?
उत्तर;
जन्म के समय 25 कि.ग्रा. से कम वजन वाले शिशु को जन्म के समय कम वजन वाला शिशु माना जाता है।

प्रश्न 11. 
जन्म के समय कम वजन वाले शिशु के लिए आहार सम्बन्धी संपूरकों पर कब विचार किया जाना चाहिए?
उत्तर:
आहार संबंधी संपूरकों पर तभी विचार किया जाना चाहिए जब शिशु का वजन संतोषजनक रूप से नहीं बढ़ता है।

प्रश्न 12. 
6 संचारी रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
6 संचारी रोग हैं-

  • पोलियो 
  • डिफ्थीरिया 
  • क्षय रोग 
  • परट्यूसिस 
  • खसरा
  • टिटनेस।

प्रश्न 13. 
बच्चों को संचारी रोगों से जीवन पर्यन्त सुरक्षा कौन प्रदान करता है? 
उत्तर:
टीकाकरण बच्चों को संचारी रोगों से जीवन-पर्यन्त प्रतिरक्षा प्रदान करता है। 

प्रश्न 14. 
आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों को रोकने का सबसे सरल व सस्ता तरीका कौनसा है?
उत्तर:
आयोडीन युक्त नमक का सार्वभौमिक उपयोग आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों को रोकने का सबसे सरल व सस्ता तरीका है। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
विद्यालय-पूर्व बच्चों के आहार में आयोडीन, लौहतत्व, कैल्शियम तथा प्रोटीन का क्या महत्व है?
उत्तर:
विद्यालय-पूर्व बच्चों के आहार में आयोडीन, लौहतत्व, कैल्शियम तथा प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों की कमी होने पर बचपन में निम्न रोग हो जाते हैं

  • प्रोटीन की कमी होने पर वृद्धि मंद हो जाती है और संक्रमण होने पर अतिसार तथा निर्जलीकरण की संभावना बढ़ जाती है।
  • आहार में आयोडीन की कमी होने से थायराइड ग्रंथि बढ़ जाती है और गलगंड रोग हो जाता है। 
  • लौह-तत्व की कमी होने से बच्चे के शरीर में रक्त की कमी हो जाती है। 
  • कैल्शियम की कमी होने से हड्डी से संबंधित सूखा रोग हो जाता है।

प्रश्न 2. 
विद्यालय-पूर्व बच्चों के लिए आहारों की योजना बनाते समय किन तीन पहलुओं का ध्यान रखा जाना चाहिए?
उत्तर:
विद्यालय-पूर्व बच्चों के लिए आहारों की योजना बनाते समय निम्नलिखित तीन पहलुओं का ध्यान रखा जाना चाहिए

  1. बच्चे के पोषणात्मक भोजन एवं खाने के अनुभव को व्यापक बनाने के लिए संरचना, स्वाद, गंध एवं रंगों की विविधता।
  2. जटिल कार्बोहाइड्रेट्स, चर्बी रहित माँस प्रोटीन तथा आवश्यक वसा के बीच संतुलन।
  3. मिठाई, आइसक्रीम, वसा से भरपूर फास्ट फूड तथा रिफाइण्ड आटे के उपभोग पर संयम। 

प्रश्न 3. 
विद्यालय-पूर्व बच्चों के आहार में स्नैक्स क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर:
विद्यालय-पूर्व बच्चे के लिए तीन आहारों को पर्याप्त मात्रा में खाना मुश्किल है। अतः आहारों के मध्य अल्पाहार (स्नैक्स) बच्चों को आवश्यक कैलोरी एवं पोषक तत्व प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त नए खाद्य पदार्थों को शुरू करने के लिए अल्पाहार अच्छा होता है तथा अल्पाहार स्कूल वाले टिफिन में भी भेजे जा सकते हैं।

प्रश्न 4. 
बच्चों के पर्याप्त पोषण का महत्व बताइए।
उत्तर:
बच्चों में वृद्धि निरन्तर होती रहती है। इसलिए उनकी पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ उनकी वृद्धि दर, शरीर के वजन तथा उनके विकास की प्रत्येक अवस्था में प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किए गए पोषक तत्वों पर निर्भर करती है। बच्चों का पर्याप्त पोषण अग्रलिखित में योगदान करता है

  • बच्चे का कद एवं वजन में होने वाली वृद्धि उसके अच्छे पोषण को परिलक्षित करती है। 
  • पर्याप्त पोषण उनके शरीर के अंगों के कार्य एवं कार्यप्रणाली में योगदान करता है। 
  • यह उनके संज्ञानात्मक निष्पादन में योगदान देता है।
  • यह रोगों से लड़ने तथा स्वास्थ्य सुधार के लिए उनकी क्षमता में योगदान करता है। 
  • यह ऊर्जा-स्तरों की वृद्धि में योगदान देता है। 
  • यह उनके सुखद एवं सकारात्मक दृष्टिकोण के विकास में योगदान देता है।

प्रश्न 5. 
जन्म से 12 माह तक के शिशुओं के पोषण के लिए किन-किन चीजों की विशेष आवश्यकता होती है?
उत्तर:
जन्म से 12 माह तक के शिशुओं के विकास के लिए निम्नलिखित की विशेष आवश्यकता होती है

  1. ऊर्जा-शिशुओं को उनके प्रतिकिलो शरीर के वजन से लगभग दो गुनी कैलोरी की आवश्यकता होती है। पर्याप्त पोषण के द्वारा इस आवश्यकता की पूर्ति करना संभव है।
  2. प्रोटीन-उन्हें हड्डियों तथा पेशियों की तीव्र वृद्धि के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है। 
  3. कैल्शियम-उन्हें हड्डियों के तीव्र कैल्शियमीकरण के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। 
  4. लौह तत्व-उन्हें रुधिर आयतन में विस्तार एवं वृद्धि के लिए लौह तत्व की आवश्यकता होती है। 

प्रश्न 6. 
शिशुओं के लिए चार कम लागत वाले पूरक भोजन का उल्लेख कीजिए। उत्तर:
शिशुओं के लिए चार कम लागत वाले पूरक भोजन निम्नलिखित हैं

  1. भारतीय बहुउद्देश्यीय आटा-कम वसा वाला मूंगफली का आटा तथा चने का आटा (75 : 25)। 
  2. खमीरीकृत भोजन-खमीरीकृत अनाज, कम वसा वाला मूंगफली का आटा तथा चने का आटा (4:4:2)। 
  3. बाल आहार-छिलका युक्त गेहूँ, मूंगफली तथा चने का आटा (7 : 2 : 2)। 
  4. पोषक-अनाज (गेहूँ/मक्का/चावल/ज्वार), दाल (चना/मूंग), मूंगफली तथा गुड़ (4 : 2 : 1 : 2)।

RBSE Class 11 Home Science Important Questions Chapter 12 पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वस्थता

ये सभी खाद्य पदार्थ स्थानीय रूप से उपलब्ध अनाजों से बनाए जाते हैं। इन सभी को दर्शाए गए संगत अनुपातों में भूना एवं मिलाया जाता है एवं विटामिन और कैल्शियम मिलाकर अधिक स्वादिष्ट और आरक्षित किया जाता है। ये बहुत ही पौष्टिक होते हैं तथा घर पर आसानी से तैयार किए जा सकते हैं।

प्रश्न 7. 
जन्म के समय कम वजन वाले शिशु को किन समस्याओं का सामना क्यों करना पड़ता है?
उत्तर:
जन्म के समय 2.5 कि.ग्रा. से कम वजन वाला शिशु कम वजन वाला शिशु माना जाता है। ऐसे शिशुओं को चूसने एवं निगलने की पर्याप्त सामर्थ्य न होने के कारण समस्याओं का सामाना करना पड़ता है। उनकी अवशोषण की क्षमता काफी कम होती है क्योंकि उनके पेट व आंत का आकार छोटा होता है, किन्तु उनकी कैलोरी की आवश्यकता सापेक्ष रूप से उच्च होती है।

प्रश्न 8. 
जन्म के समय कम वजन वाले शिशु का सर्वोत्तम भोजन क्या होता है?
उत्तर:
जन्म से ही कम वजन वाले शिशुओं के लिए माँ का दूध सर्वोत्तम भोजन होता है क्योंकि माँ के दूध से उन्हें सभी आवश्यक एमीनो अम्ल, कैलोरी, वसा तथा सोडियम के तत्व मिलते हैं। इससे उनकी सभी आवश्यकताएं पूरी हो जाती हैं तथा माँ के दूध का रोगाणुनिरोधी गुण उन्हें संक्रमणों से बचाता है।

प्रश्न 9.
एक टीका किस प्रकार बच्चे की रोग से प्रतिरक्षा करता है?
उत्तर:
टीका द्वारा रोग प्रतिरक्षण-एक टीका जो कीटाणु द्वारा निर्मित जीवाणु/विषाणु/आविष का एक निष्क्रिय रूप होता है, बच्चे को लगाया जाता है। निष्क्रिय होने के कारण यह संक्रमण नहीं करता है, किन्तु यह श्वेत रक्त संजीव पास बुक्स कोशिकाओं को प्रतिरक्षी तत्व पैदा करने के लिए प्रेरित करता है। तत्पश्चात् जब कीटाणु बच्चे की स्वास्थ्य प्रणाली पर प्रहार करते हैं तो ये प्रतिरक्षी तत्व इन कीटाणुओं को मार डालते हैं।

प्रश्न 10. 
एक वर्ष तक के बच्चों के लिए राष्ट्रीय प्रतिरक्षण कार्यक्रम को एक तालिका में दर्शाइए। 
उत्तर:
तालिका-आईसीएमआर द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय प्रतिरक्षण कार्यक्रम 

बच्चे की उम्र

टीका

1.  जन्म के तुरन्त बाद

बीसीजी-1

2. 6 सप्ताह

ओपीवी 2 , डीपीटी 3 , हेपेटाइटिस बी

3. 10 सप्ताह

ओपीवी, डीपीटी, हेपेटाइटिस बी

4. 14 सप्ताह

ओपीवी, डीपीटी, हेपेटाइटिस बी

5. 9-12 माह

खसरा

प्रश्न 11. 
गाँवों तथा जनजातीय क्षेत्रों में कुपोषण किन कारकों का परिणाम है?
उत्तर:
कुपोषण यद्यपि एक राष्ट्रीय समस्या है। यह विशेष रूप से गाँवों तथा जनजातीय क्षेत्रों में व्याप्त है। इन क्षेत्रों में यह महिला निरक्षरता, निर्धनता, बच्चों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं के बारे में अज्ञानता तथा स्वास्थ्य की देखभाल हेतु अपर्याप्त सुविधा आदि अनेक कारकों का परिणाम है। 

प्रश्न 12. 
शिशुओं में पोषक तत्वों की कमी से बचपन में कौन-कौन से रोग हो सकते हैं?
उत्तर:
शिशुओं में स्तनपान न कराने तथा पूरक भोजन द्वारा पोषण की आवश्यकताओं की पूर्ति न होने की अवस्था में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। पोषक तत्वों की कमी से शिशुओं में निम्न रोग हो सकते हैं

  1. प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण (पीईएम)-इसके कारण वृद्धि मंद हो जाती है और संक्रमण होने पर अतिसार तथा । निर्जलीकरण की संभावना बढ़ जाती है।
  2. रक्त की कमी-यह लौह तत्व की कमी होने के कारण होता है।
  3. पोषणात्मक अंधापन-यह विटामिन ए की कमी के कारण होता है। 
  4. रिकेट्स एवं ओस्टोपीनिया-यह विटामिन डी एवं कैल्शियम की कमी के कारण होते हैं। 
  5. गलगंड-यह आयोडीन की कमी के कारण होता है। .

प्रश्न 13. 
ग्रामीण तथा जनजातीय क्षेत्रों में कौन से कारक वहाँ के बच्चों को संक्रामक रोगों के प्रति संवेदनशील बना देते हैं?
उत्तर:
ग्रामीण तथा जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य केन्द्रों में अपर्याप्त सुविधाएँ, जलवायु दशाएँ, कुछ स्थानीय रीतिरिवाज तथा उपचार के बिना जाँचें-परखे पारंपरिक तरीके आदि कारक बच्चों को संक्रामक रोगों के प्रति संवेदनशील बना देते हैं।

प्रश्न 14. 
कोई चार कम लागत वाले अल्पाहार के उदाहरण लिखिए। 
उत्तर:
कम लागत वाले अल्पाहार के उदाहरण

  1. सोयाबीन की दाल तथा सूरजमुखी के बीज को समान मात्रा में लेकर उन्हें पीसना, मिलाना एवं इस मिश्रण का खमीर उठाना।
  2. मीठी चक्की (पारम्परिक मूंगफली चक्की) भारत के ग्रामीण क्षेत्रों एवं कस्बों में काफी पसंद की जाती है। 
  3. संदल, ढोकला तथा उपमा भी प्रसिद्ध अल्पाहार हैं। 
  4. मसालेयुक्त भुने हुए आलू।

प्रश्न 15. 
संचारी रोगों का सामना करने के लिए विद्यालय-पूर्व बच्चों के लिए प्रतिरक्षण कार्यक्रम की एक तालिका बनाइए।
उत्तर:
तालिका-विद्यालय-पूर्व बच्चों के प्रतिरक्षण कार्यक्रम 

RBSE Class 11 Home Science Important Questions Chapter 12 पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वस्थता

बच्चे की उम्र

टीका

15-18 माह

एम.एम.आर. (खसरा, कनपेडा एवं रूबेला)

16 माह- 2 वर्ष

डीपीटी, ओपीवी, बूस्टर खुराक

2 वर्ष

टाइफाइड टीका

5 वर्ष

डीटी

18,24,30,36 माह

विटामिन ए (ड्राप्स)


प्रश्न 16. 
सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव भोजन की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव-प्रत्येक क्षेत्र का अपना विशिष्ट भोजन एवं स्वाद होता है। प्रायः परिवार युवा बच्चों को वही भोजन परोसता है, जो बड़े लोग खाते हैं। परिवार के साथ खाने से बच्चों को अपने क्षेत्र एवं अन्य क्षेत्र के भी विशिष्ट भोजन खाने के लिए प्रोत्साहन मिलता है। उदाहरण के रूप में, भारत के उत्तरी भाग में बच्चे इडली तथा स्वादिष्ट डोसा जैसे दक्षिणी भोजन को खाने का लुत्फ उठाते हैं, जबकि दक्षिणी राज्यों में बच्चे उत्तर का परांठा एवं राजमा चावल पंसद करते हैं। 

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
आप से एक चार वर्षीय बच्चे की एक दिन प्रातः 10 बजे से सायं 6 बजे तक देखभाल करने के लिए कहा गया है। संतुलित आहार को ध्यान में रखते हुए सुझाव दीजिए कि उसके आहार और अल्पाहार में आप क्या देंगे?
उत्तर:
हम एक चार वर्षीय बच्चे के एक दिन के आहार और अल्पाहार में निम्न प्रकार भोजन को संघटित करेंगे-

  1. सुबह का नाश्ता-तीन बादाम तथा 5-6 किशमिश के साथ दूध में पकाया गया गेहूँ का दलिया तथा एक सेब ।
  2. स्कूल टिफिन-इसमें मसले हुए अंडे के साथ दो बड़े सेंडविच, कद्दूकस किया हुआ गाजर तथा चटनी, पेय के रूप में फल का जूस रखेंगे।
  3. दोपहर का भोजन-दोपहर के भोजन में हम उसे पालक-चावल, दही तथा उबले हुए चने व टमाटर की चाट खिलायेंगे।
  4. शाम का अल्पाहार-शाम के अल्पाहार में हम उसे दूध का शेक, उसकी पसंद की स्नेक व थोड़ी सी मूंगफली देंगे।
  5. रात्रि का भोजन-रात्रि के भोजन में हम उसे दाल, चपाती तथा एक पकाई गई मौसमी सब्जी खिलायेंगे।

प्रश्न 2. 
मान लीजिए आपकी एक १ वर्षीय बहन तथा 11 वर्षीय भाई है। दोनों शाकाहारी हैं। सुझाव दीजिए कि आप उन्हें सुबह के नाश्ते. एवं रात्रि के भोजन में क्या परोसेंगे?
उत्तर:
हम अपनी 9 वर्षीय बहन तथा 11 वर्षीय भाई के लिए सुबह के नाश्ते एवं रात्रि के भोजन में निम्न वस्तुएँ परोसेंगे

  1. सुबह का नाश्ता-दूध एवं कॉर्नफ्लेक्स, रवा उपमा तथा एक सेब अथवा कोई मौसमी फल। 
  2. रात्रि का भोजन-चने की दाल, भिंडी एवं प्याज की सब्जी, रोटी तथा कच्चा सलाद।

प्रश्न 3. 
जन्म से 12 माह तक के शिशुओं के पोषक तत्वों की अनुशंसित दैनिक मात्रा की एक तालिका बनाइए। 
उत्तर:
तालिका-शिशुओं के पोषक तत्वों की आई.सी.एम.आर. द्वारा अनुशंसित दैनिक मात्रा 

पोषक तत्व

ऊर्जा (किलो कैलोरी)

जन्म से 6 माह तक

108 किग्रा शरीर वजन

6-12 माह तक

98 किग्रा. शरीर वजन

प्रोटीन (ग्राम)

2.5 किग्रा. शरीर वजन

1.65 किग्रा. शरीर वजन

कैल्शियम (मि.ग्रा.)

500

500

विटामिन ए-

 

 

रेटिनॉल (माइक्रो ग्राम)

अथवा

बीटा कैरोटीन (माइक्रो ग्राम)

350

1200

350

1200

थायमिन (माइक्रो ग्राम)

नियासीन (माइक्रो ग्राम)

राईबोफ्लैबिन (माइक्रो ग्राम)

पाईरिडॉक्सिन (माइक्रो ग्राम)

55 किग्रा. शरीर वजन

710 किग्रा. शरीर वजन

65 किग्रा. शरीर वजन

0.1

50 किग्रा. शरीर वजन

650 किग्रा. शरीर वजन

60 किग्रा. शरीर वजन

0.4

ऐस्कार्बिक अम्ल (विटामिन सी)

(माइक्रो ग्राम)

25

25

फॉलिक अम्ल (माइक्रोग्राम)

25

25

विटामिन बी 12 (माइक्रो ग्राम)

0.2

0.2

प्रश्न 4. 
स्तनपान के लाभ बताइए।
उत्तर:
स्तनपान-माँ का दूध नवजात शिशु के लिए प्राकृतिक उपहार है। यह उन सभी पोषक तत्वों से युक्त होता है जो आसानी से अवशोषित हो जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन 6 माह तक विशेष रूप से स्तनपान कराने की सिफारिश करता है। स्तनपान के दौरान शिशु को पानी की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है। स्तनपान के लाभ-स्तनपान के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं

RBSE Class 11 Home Science Important Questions Chapter 12 पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वस्थता

  1. यह शिशुओं की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पोषण की दृष्टि से अनुकूल होता है।
  2. यह अपेक्षित अनुपात एवं रूपों में सभी पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसकी प्रोटीन की कम मात्रा गुों पर दबाव को कम करती है तथा विटामिन 'सी' नष्ट नहीं होता। 
  3. यह माँ तथा शिशु दोनों के लिए सरल, स्वच्छ एवं सुविधाजनक आहार का तरीका है। यह दूध हर समय एवं उचित तापमान पर उपलब्ध होता है।
  4. इसमें प्रतिरक्षी तत्व विद्यमान होते हैं। इसके कारण यह शिशुओं को जठरांत्र सम्बन्धी (गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल), सीने एवं मूत्र सम्बन्धी संक्रमण से बचाता है, उसे प्राकृतिक प्रतिरक्षा देता है तथा यह एलर्जन से मुक्त होता है।
  5. यह माँ को स्तन एवं अंडाशय के कैंसर से सुरक्षा प्रदान करता है तथा आपकी हड्डियों को कमजोर होने से बचाता है।
  6. यह माँ तथा शिशु के मध्य स्वस्थ, सुखद भावात्मक संबंध के लिए बहुत ही सहायक होता है।

प्रश्न 5. 
पूरक भोजन से क्या आशय है? इसके प्रकारों का वर्णन करते हुए, इसके लिए दिशा-निर्देशों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर;
पूरक भोजन-पूरक भोजन माँ के दूध के साथ-साथ धीरे-धीरे अन्य खाद्य पदार्थों को भी देना शुरू करने की एक प्रक्रिया है। इस प्रकार जो खाद्य पदार्थ देने शुरू किए जाते हैं, उन्हें पूरक भोजन कहा जाता है। इन्हें 6 माह की आयु से शुरू किया जा सकता है पूरक आहार के प्रकार-पूरक आहार के प्रकार निम्नलिखित हैं
(1) तरल पूरक भोजन-

  • दूध- 3:1 के अनुपात में उबले पानी के साथ मिला दूध। इसके पश्चात् कुछ सप्ताह में बिना पानी वाला दूध।
  • संतरे, मौसमी जैसे स्ट्रिाज फलों का रस-इन फलों का रस 4 माह पर 5 मि.ली. से शुरू करते हुए एक वर्ष तक 85 मि.ली. तक बढ़ाना।
  • सूप-सब्जी, दाल, छना हुआ सूप 4-5 माह परं। लगभग एक वर्ष के बाद नमक और प्याज के साथ बिना छना सूप।

(2) अर्द्धठोस पूरक आहार-अर्द्धठोस पूरक आहार 5-6 माह से शुरू करना चाहिए। यथा

  • सब्जी-अच्छी तरह पकी हुई एवं मसली हुई सब्जी।
  • दालें तथा अनाज-दालें और अनाज अलग से अच्छी तरह पका हुआ अथवा मिलाया हुआ। दूध तथा चीनी मिलाई जा सकती है।
  • अंडपीतक-7 माह तक, आधे चम्मच अंडे की पीली जर्दी से शुरू करके एक वर्ष तक एक बड़ी चम्मच अंडे की जर्दी।
  • मछली एवं माँस-पकाई गई और मसली हुई मछली एवं माँस एक वर्ष के पूरा होने पर शुरू किया जाए।

(3) ठोस पूरक आहार-ठोस पूरक आहार 10 माह से 1 वर्ष के बीच दिया जा सकता है, जब शिशु दाँत निकालता है। यथा

  • दाल, अनाज व माँस-दाल, अनाज तथा टुकड़े किया गया माँस जिसमें अनेक चीजें मिलाकर पकाई गई हों। 
  • सलाद एवं फल-भोजन के रूप में हाथों से पकड़कर खाया जाने वाला कच्चा सलाद एवं फल।

पूरक आहार के लिए दिशा-निर्देश-

  1. एक बार में केवल एक ही भोजन से शुरुआत की जानी चाहिए। 
  2. शुरुआत में थोड़ी मात्रा में खिलाया जाना चाहिए, फिर धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है।
  3. यदि बच्चा भोजन पसंद नहीं करता है, तो उसे खाने के लिए बाध्य न करें। किसी और चीज को खिलाने की कोशिश करें तथा बाद में उसे वही भोजन पुनः देने का प्रयास करें।
  4. बच्चों को मसालेदार एवं तला हुआ भोजन नहीं दिया जाना चाहिए।
  5. बच्चों को व्यक्तिगत पसंद-नापसंद के बिना उन्हें सभी प्रकार के भोजन को खाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  6. नए भोजन को स्वीकार्य बनाने के लिए भोजन में विविधता आवश्यक है। 

प्रश्न 6. 
विद्यालय-पूर्व बच्चों के लिए संतुलित भोजन की एक तालिका बनाइए। 
उत्तर:
विद्यालय-पूर्व बच्चों के लिए संतुलित भोजन विद्यालय-पूर्व बच्चों के संतुलित आहार में शामिल किए जाने वाले विभिन्न खाद्य समूहों की मात्रा को आई.सी.एम.आर. द्वारा अनुशंसित सुझावों के अनुसार अग्र प्रकार दर्शाया गया है- 

तालिका-विद्यालय-पूर्व बच्चों के लिए संतुलित आहार

खाद्य समूह

मात्रा ( ग्राम )

1-3 वर्ष

4-6 वर्ष

1. अनाज एवं मिलेट (ज्वार, बाजरा आदि)

120

210

2. दालें

30

45

3. दूध (मिली.)

500

500

4. फल तथा सब्जियाँ

 

 

(i) जड़ें तथा कंंद

50

100

(ii) हरी पत्ती वाली सब्जियाँ

50

50

(iii) अन्य सब्जियाँ

50

50

(iv) फल

100

100

5. चीनी

25

30

6. घी-तेल

20

25

प्रश्न 7. 
विद्यालय जाने वाले 7-12 वर्ष के बच्चों के लिए आई.सी.एम.आर. द्वारा अनुशंसित आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा को एक तालिका द्वारा दर्शाइए।
उत्तर:
7 से 9 वर्ष तक के बालक और बालिकाओं दोनों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ समान रहती हैं, लेकिन 10-12 वर्ष की आयु के बालक व बालिकाओं की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं में अंतर आ जाता है। बालिकाओं के लिए ऊर्जा की आवश्यकता तो वही रहती है, लेकिन अस्थि की वृद्धि, मासिक स्राव की तैयारी में सहायता हेतु उनकी प्रोटीन, लौह तत्व तथा कैल्शियम की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। . 10-12 वर्ष के बालकों के लिए कैलोरी की आवश्यकता अधिक होती है।

RBSE Class 11 Home Science Important Questions Chapter 12 पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वस्थता

तालिका-विद्यालय जाने वाले बच्चों की पोषक तत्वों की मात्रा (7-12 वर्ष)

पोषक तत्व

आयु वर्षों में

7-9 वर्ष

10-12 वर्ष

बालक

बालिका

ऊर्जा (कि. कैलोरी)

1995

2190

1970

प्रोटीन (ग्राम)

41

54

57

वसा (ग्राम)

25

22

22

कैल्शियम (मि.ग्रा.)

400

600

600

लौह तत्व (मि.ग्रा.)

26

34

29

विटामिन ए-

 

 

 

रेटिनॉल (माइक्रो ग्राम) अथवा

600

600

600

बी केरोटीन (माइक्रो ग्राम)

2400

2400

2400

थायमिन (मि.ग्रा.)

1.0

1.1

1.0

राईबोफ्लैबिन (मि.ग्रा.)

1.2

1.3

1.2.

पाईरिडॉक्सिन (मि.ग्रा.)

1.6

1.6

1.6

फोलिक अम्ल (माइक्रो ग्राम)

60

70

70

ऐस्कार्बिक अम्ल (मि.ग्रा.)

40

40

40

विटामिन बी 12 (मिग्रा.)

0.2-1

0.2-1

0.2-1

नियासिन (मि.ग्रा.)

13

15

13

       


 
प्रश्न 8. 
 विद्यालय जाने वाले बच्चों की आहार योजना के विभिन्न पहलुओं की संक्षेप में विवेचना कीजिए। उत्तर
विद्यालय जाने वाले बच्चों की आहार योजना .. विद्यालय जाने वाले बच्चों की आहार योजना के विभिन्न पहलू निम्नलिखित हैं
(1) विविधता लाना-कोई भी भोजन निर्धारित मात्रा में सभी पोषक तत्व प्रदान नहीं कर सकता जिनकी बच्चों को प्रतिदिन आवश्यकता पड़ती है। अतः विविध प्रकार के भोजन करना सर्वाधिक तर्क संगत पोषण संदेश है। विविधता होने से नए खाद्य पदार्थों को स्वीकार किए जाने की संभावना भी बढ़ जाती है।

(2) अच्छा पोषण सुनिश्चित करना-विद्यालयगामी बच्चों को अपेक्षाकृत अधिक प्रोटीन, कैल्शियम, लौह तत्व तथा आयोडीन की आवश्यकता पड़ती है। उन्हें सब्जियाँ, फल, साबुत अनाज खाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। फल तथा सब्जियाँ जहाँ उनके आहार में वृहत पोषक तत्वों की सघनता को बेहतर बनाती हैं, वहीं साबुत अनाज हृदय रोग तथा मधुमेह जैसे रोगों के खतरों को कम करते हैं। आयोडीन की कमी की पूर्ति के लिए आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग करना चाहिए।

(3) संतृप्त वसा, नमक एवं चीनी का सीमित मात्रा में सेवन-विद्यालयगामी बच्चों को कुल कैलोरी में से 20 प्रतिशत कैलोरी वसा के रूप में ली जानी चाहिए। वसा एवं चीनी की प्रचुरता वाले आहार मोटापे के खतरे तथा इससे संबंधित समस्याओं, दाँत सम्बन्धी बीमारियों का कारण बनते हैं। नमक का अधिक मात्रा में सेवन रक्तदाब को बढ़ा सकता है।

(4) नाश्ता अवश्य करें-नाश्ता एक विशेष आहार है। इसमें प्रोटीन एवं ऊर्जा अधिक से अधिक होनी चाहिए। सुबह का नाश्ता नहीं करने से विद्यार्थी के शारीरिक एवं मानसिक कार्य निष्पादन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है तथा कैलोरी एवं पोषक तत्वों की क्षति शेष दिन में पूरी नहीं की जा सकती।

(5) भोजन बनाने की योजना में बच्चों को शामिल करना-बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं उन्हें उनके भोजन की योजना में शामिल किया जाना चाहिए। इससे उनकी पौष्टिक खाना खाने में रुचि बढ़ेगी। ऐसा करने से बच्चों का उत्साह बढ़ता है और उनमें भोजन के प्रति स्वस्थ और सकारात्मक धारणाएँ विकसित होती हैं।

प्रश्न 9.
द्यालयी बच्चों ( 7-12 वर्ष तक ) के लिए संतुलित आहार की मात्रा को एक सारणी में दर्शाइए।
उत्तर:
विद्यालयी बच्चों द्वारा खाए जाने वाले भोजन की मात्रा जो आई.सी.एम.आर. द्वारा अनुशंसित है, को अग्रलिखित सारणी में दर्शाया गया है

RBSE Class 11 Home Science Important Questions Chapter 12 पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वस्थता

खाद्य वर्ग

मात्रा (ग्राम )

7-9 वर्ष

10-12 वर्ष

 

 

लड़का

 

लड़की

 

1. अनाज एवं मिलेट (ज्वार, बाजरा इत्यादि)

270

330

270

2. दालें व फलियाँ

60

60

60

3. दुग्ध एवं उनके उत्पाद

500

500

500

4. फल तथा सब्जियाँ-

(i) जड़ें तथा कंद

(ii) हरे पत्तें वाली सब्जियाँ

(iii) अन्य सब्जियाँ

(iv) फल

 

 

100

100

100

100

 

 

100

100

100

100

 

 

100

100

100

100

5. चीनी

30

30

30

6. वसा (घी)

25

20

20


प्रश्न 10. 
पोषक तत्वों के मामले में भोजन के अतिरिक्त विद्यालय में जाने वाले बच्चों को किस प्रकार की आदतें भी विकसित करने की आवश्यकता होती है? 
उत्तर:
स्वस्थ आदतों को विकसित किए जाने की आवश्यकता पोषक तत्वों के मामले में भोजन के अतिरिक्त विद्यालय जाने वाले बच्चों को निम्नलिखित स्वस्थ आदतें विकसित करने की आवश्यकता होती है
(1) खान-पान की अच्छी आदतें विकसित करना-विद्यालयगामी बच्चे कभी-कभी ज्यादा टी.वी. देखतेदेखते एक ही जगह पर चिपके बैठे रहते हैं और कोई शारीरिक कार्य नहीं करते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें एक बाउल भरकर फल तथा सब्जी तैयारकर उन्हें परोसें जिनमें ढेर सारे सलाद के पत्ते, कुछ सूखे मेवे/अंकुरित/भाप द्वारा पकाई गई फलियाँ अथवा गाजर/पनीर के टुकड़े हों। यह बाउल आकर्षक रूप से सजी हो। इसे अलग-अलग नाम देकर बच्चों को परोसा जाए तथा मिश्रण में अदला-बदली करते रहना चाहिए।

(2) शारीरिक गतिविधि के लिए प्रोत्साहित करना-स्वस्थ खान-पान एवं शारीरिक गतिविधि साथ-साथ चलती है तथा 45-60 मिनट की सीमित गतिविधि में अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। सीमित समय के लिए टेलीविजन देखने दें और खेल को बढ़ावा दें। बच्चों को विद्यालय एवं समुदाय की पाठ्येतर गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

(3) भोजन की सुरक्षा सुनिश्चित करना-बच्चों को स्वच्छ स्थितियों में खाने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। भोजन को खाने से पहले वह स्वच्छ होना चाहिए। यथा-उसे पहले हाथ धोने चाहिए, फल-सब्जियों को खाने से पहले धो लेना चाहिए।

(4) आहार की मात्रा पर नियंत्रण सुनिश्चित करना-9-12 वर्ष के बच्चे यदि खाना न चाहते हों तो हमें उनको अधिक खाने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए। जब तक बच्चा स्वस्थ है, कोई एक नियमित भोजन छोड़ना कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसे आदत नहीं बनाना चाहिए।

Prasanna
Last Updated on Aug. 26, 2022, 5:16 p.m.
Published Aug. 25, 2022