Rajasthan Board RBSE Class 11 Business Studies Important Questions Chapter 6 व्यवसाय का सामाजिक उत्तरदायित्व एवं व्यावसायिक नैतिकता Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
सामाजिक उत्तरदायित्व है-
(क) कानूनी उत्तरदायित्व जैसा
(ख) कानूनी उत्तरदायित्व से अधिक विस्तृत
(ग) कानूनी उत्तरदायित्व से छोटा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) कानूनी उत्तरदायित्व से अधिक विस्तृत
प्रश्न 2.
यदि एक व्यवसाय को ऐसे समाज में कार्य करना है जो भिन्न एवं जटिल समस्याओं से भरा हुआ है तो, उसमें होंगे-
(क) सफलता के कम अवसर
(ख) सफलता के महान अवसर
(ग) असफलता के कम अवसर
(घ) सफलता तथा असफलता में कोई सम्बन्ध नहीं
उत्तर:
(क) सफलता के कम अवसर
प्रश्न 3.
व्यवसायियों में सुलझाने का चातुर्य होता है-
(क) सभी सामाजिक समस्याओं को
(ख) कुछ सामाजिक समस्याओं को
(ग) किसी सामाजिक समस्या को नहीं
(घ) सभी आर्थिक समस्याओं को
उत्तर:
(क) सभी सामाजिक समस्याओं को
प्रश्न 4.
एक उद्यमी को एक अच्छे नागरिक की भाँति व्यवहार करना चाहिए, किसके प्रति उत्तरदायित्व का उदाहरण है-
(क) स्वामी
(ख) कर्मचारी
(ग) उपभोक्ता
(घ) समाज
उत्तर:
(घ) समाज
प्रश्न 5.
वातावरण सुरक्षा किसके सर्वोत्तम प्रयत्नों द्वारा की जा सकती है-
(क) व्यवसायियों द्वारा
(ख) सरकार द्वारा
(ग) वैज्ञानिकों द्वारा
(घ) सभी व्यक्तियों द्वारा
उत्तर:
(घ) सभी व्यक्तियों द्वारा
प्रश्न 6.
ऑटोमोबाइल्स द्वारा कार्बनमोनोऑक्साइड का छोडना प्रत्यक्ष रूप में सहयोग करता है-
(क) जल प्रदूषण
(ख) ध्वनि प्रदूषण
(ग) भूमि प्रदूषण
(घ) वायु प्रदूषण
उत्तर:
(घ) वायु प्रदूषण
प्रश्न 7.
निम्न में से कौन प्रदूषण नियन्त्रण की आवश्यकता का वर्णन कर सकता है?
(क) लागत बचत
(ख) कम किया हुआ जोखिम दायित्व
(ग) स्वास्थ्य जोखिमों को कम करना
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन समाज का अधिकतम हित कर सकता है?
(क) व्यावसायिक सफलता
(ख) कानून एवं अधिनियम
(ग) नैतिकता
(घ) पेशेवर प्रबन्ध
उत्तर:
(ग) नैतिकता
प्रश्न 9.
नैतिकता महत्त्वपूर्ण है-
(क) उच्च स्तरीय प्रबन्ध के लिए
(ख) मध्य स्तरीय प्रबन्ध के लिए .
(ग) बिना प्रबन्धकीय कर्मचारियों के लिए
(घ) सभी के लिए
उत्तर:
(घ) सभी के लिए
प्रश्न 10.
एक व्यावसायिक इकाई में निम्नलिखित में से कौन अकेले नैतिक कार्यक्रमों को प्रभावी बना सकता है?
(क) कोड का प्रकाशन
(ख) कर्मचारियों का सहयोग
(ग) आज्ञापालन की स्थापना तथा यंत्र निर्माण
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) कर्मचारियों का सहयोग
प्रश्न 11.
सामाजिक उत्तरदायित्व के पक्ष में तर्क है-
(क) अधिकतम लाभ के उद्देश्य पर अतिक्रमण
(ख) सरकारी विनियमन से बचाव
(ग) सामाजिक दक्षता में कमी
(घ) उपभोक्ताओं पर भार।
उत्तर:
(ख) सरकारी विनियमन से बचाव
प्रश्न 12.
सामाजिक उत्तरदायित्व के विपक्ष में तर्क दिया जाता है-
(क) व्यवसाय के अस्तित्व एवं विकास के लिए औचित्य
(ख) समाज का रख-रखाव
(ग) अधिकतम लाभ के उद्देश्य पर अतिक्रमण
(घ) सरकारी विनियमन से बचाव।
उत्तर:
(ग) अधिकतम लाभ के उद्देश्य पर अतिक्रमण
प्रश्न 13.
सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वाह करने के लिए बाध्य करने वाली ताकत है-
(क) सार्वजनिक नियमन की आशंका
(ख) उपभोक्ताओं की जागरूकता
(ग) पेशेवर एवं प्रबन्धकीय फर्म का विकास
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 14.
सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रमुख प्रकार नहीं है-
(क) आर्थिक उत्तरदायित्व
(ख) कानूनी उत्तरदायित्व
(ग) अविवेकशील उत्तरदायित्व
(घ) नैतिक उत्तरदायित्व।
उत्तर:
(ग) अविवेकशील उत्तरदायित्व
प्रश्न 15.
संयुक्त राष्ट्र ने प्राकृतिक पर्यावरण को हानि पहुँचाने वाली कितनी समस्याओं की पहचान की है-
(क) पाँच
(ख) छः
(ग) आठ
(घ) दस।
उत्तर:
(ग) आठ
प्रश्न 16.
सामूहिक निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारणा का उद्गम हुआ है-
(क) यू.के. में
(ख) यू.एस.ए. में
(ग) भारत में
(घ) उपर्युक्त में से कहीं नहीं।
उत्तर:
(ख) यू.एस.ए. में
रिक्त स्थान की पूर्ति वाले प्रश्न
निम्न रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. सामाजिक उत्तरदायित्व में .................... के हितार्थ वे तत्व निहित हैं जिन्हें व्यवसायी स्वेच्छा से करते हैं। (समाज/कम्पनी)
2. सामाजिक दायित्व में .................... निहित हैं। (स्वैच्छिकता/काननी बाध्यता)
3. सामाजिक उत्तरदायित्वों को विस्तृत रूप से .................... विभाजित किया जा सकता है। (चार भागों में/ तीन भागों में)
4. कचरे को भूमि के अन्दर दबा देने से ................... होता है। (जल प्रदूषण/भूमि प्रदूषण)
5. एक प्रभावी प्रदूषण नियन्त्रण कार्यक्रम उत्पादन लागत को .................... के लिए भी आवश्यक है। (कम करने/बढ़ाने)
6. कम्पनियां अपने पिछले तीन वर्षों के औसत शुद्ध लाभ का .................... निगमीय सामाजिक उत्तरदायित्व पर व्यय करें। (2 प्रतिशत/3 प्रतिशत)
उत्तर:
1. समाज,
2. स्वैच्छिकता,
3. चार भागों में,
4. भूमि प्रदूषण,
5. कम करने,
6. 2 प्रतिशत
सत्य/असत्य वाले प्रश्न
निम्न में से सत्य/असत्य कथन बतलाइ-
1. सामाजिक उत्तरदायित्व तथा नैतिकता पूर्ण व्यवहार व्यावसायिक उद्यम को अल्पकालीन सफलता ही प्रदान करता है।
2. सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रश्न ही नैतिकता का है।
3. भारत में निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारणा कम्पनी अधिनियम, 1956 द्वारा शासित होती है।
4. ऐसी क्रियाएँ जो केवल कम्पनी के कर्मचारियों तथा उनके परिवारों के लिए की गई है, निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व के अन्तर्गत योग्य होंगी।
5. भूकम्प पीड़ितों के लिए सहायता करना विवेकशील सामाजिक उत्तरदायित्व है।
6. वातावरण की सुरक्षा का प्रत्यक्ष सम्बन्ध प्रदूषण नियन्त्रण से है।
7. व्यावसायिक नैतिकता व्यक्तिगत हितों तथा सामाजिक हितों में सामंजस्य स्थापित करने की एक विधि है।
उत्तर:
1. असत्य,
2. सत्य,
3. असत्य,
4. असत्य,
5. सत्य,
6. सत्य,
7. सत्य
मिलान करने वाले प्रश्न
निम्न को सुमेलित कीजिए-
उत्तर:
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारणा से तात्पर्य उन नीतियों का अनुसरण करना, उन निर्णयों को लेना अथवा उन कार्यों को करना है जो समाज के लक्ष्यों एवं मूल्यों की दृष्टि से वांछनीय हैं।
प्रश्न 2.
सामाजिक उत्तरदायित्व की आवश्यकता को संक्षेप में बतलाइए।
उत्तर:
व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व की आवश्यकता का जन्म व्यावसायिक संस्था के हित तथा समाज के हित के कारण होता है।
प्रश्न 3.
किसी व्यावसायिक उद्यम को दीर्घकालीन सफलता प्रदान करने वाले प्रमुख तत्त्व कौन-कौनसे हैं?
उत्तर:
प्रश्न 4.
सामाजिक उत्तरदायित्व के पक्ष में दो तर्क दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व से तात्पर्य कम्पनियों द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों के हितों के लिए की जाने वाली विभिन्न सामाजिक क्रियाओं तथा गतिविधियों को सम्पन्न करने से है।
प्रश्न 6.
सामाजिक उत्तरदायित्व के विपक्ष में दो तर्क दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 7.
व्यवसाय का समाज के किन वर्गों के प्रति मुख्य रूप से उत्तरदायित्व होता है?
उत्तर:
प्रश्न 8.
निगमीय सामाजिक उत्तरदायित्व को पहली बार किस अधिनियम के तहत कानूनी स्वरूप देने का प्रयास किया गया है।
उत्तर:
कम्पनी अधिनियम, 2013 के द्वारा।
प्रश्न 9.
कम्पनी अधिनियम, 2013 में बड़ी कम्पनियों पर निगमीय सामाजिक उत्तरदायित्व की व्यवस्था किये जाने का प्रमुख कारण बतलाइये।
उत्तर:
बड़ी कम्पनियों पर निगमीय सामाजिक उत्तरदायित्व डाला गया है ताकि देश के आर्थिक-सामाजिक उत्थान एवं विकास में उनकी सक्रिय साझेदारी सुनिश्चित की जा सके।
प्रश्न 10.
कम्पनी अधिनियम, 2013 में उल्लेखित निगमीय सामाजिक उत्तरदायित्व सम्बन्धी प्रावधान किन कम्पनियों पर लागू होते हैं।
उत्तर:
जिन कम्पनियों की शुद्ध सम्पत्ति किसी वित्तीय वर्ष के दौरान 500 करोड़ रुपया या अधिक हो या बिक्री 1000 करोड़ रुपया या अधिक हो या जिसका शुद्ध लाभ 5 करोड़ या अधिक हो।
प्रश्न 11.
कम्पनी अधिनियम, 2013 के प्रावधान के अनुसार एक कम्पनी को कितनी धनराशि निगमीय सामाजिक उत्तरदायित्व के कार्यों पर खर्च करनी होगी।
उत्तर:
कम्पनी को अपने प्रत्येक वित्तीय वर्ष के ठीक पूर्व के तीन वर्षों के औसत शुद्ध लाभों के कम से कम 2 प्रतिशत धनराशि निगमीय सामाजिक उत्तरदायित्व कार्यों पर खर्च करनी होगी।
प्रश्न 12.
व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रमुख प्रकार बतलाइये।
उत्तर:
प्रश्न 13.
प्रदूषण नियन्त्रण के कोई दो उपाय बतलाइये।
उत्तर:
प्रश्न 14.
प्राकृतिक पर्यावरण को हानि पहुँचाने वाली प्रमुख समस्याओं को गिनाइये।
उत्तर:
प्रश्न 15.
प्रदूषण को नियन्त्रित करने की आवश्यकता के कोई दो प्रमुख कारण बतलाइए।
उत्तर:
प्रश्न 16.
व्यावसायिक नैतिकता क्या है?
उत्तर:
व्यावसायिक नैतिकता व्यक्तिगत हितों तथा सामाजिक हितों में सामंजस्य स्थापित करने की एक विधि है।
प्रश्न 17.
व्यावसायिक नैतिकता के मूल तत्व गिनाइये।
उत्तर:
लघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
नैतिकता के आधारभूत नियमों को बतलाइए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
सामाजिक उत्तरदायित्व की आवश्यकता बतलाइए।
उत्तर:
सामाजिक उत्तरदायित्व की आवश्यकता-
प्रश्न 3.
निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व का अभिप्राय कम्पनी की भूमिका से है जो निरन्तर विकास की कार्यसूची तथा आर्थिक प्रगति, सामाजिक प्रगति व पर्यावरण संरक्षण की संन्तुलित धारणा को अपरिहार्य बनाकर निभा सकती है।
संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन के अनुसार, 'निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व एक प्रबन्ध अवधारणा है जिसके द्वारा कम्पनियां सामाजिक तथा पर्यावरणीय सरोकारों को व्यवसाय प्रचालनों से एकीकृत करता है. तथा उनके हितधारियों से बातचीत करता है। निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व को ऐसे माध्यम के रूप में समझा जाता है जिनके द्वारा कम्पनी आर्थिक, पर्यावरणीय तथा सामाजिक आवश्यकताओं के बीच सन्तुलन स्थापित करता है तथा साथ ही अंशधारकों एवं हितधारकों की अपेक्षाओं का पता लगाता है।
इस सन्दर्भ में यह महत्त्वपूर्ण है कि निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व,जो कूटनीतिक व्यवसाय प्रबन्धन व अवधारणा हो सकती है तथा दान, प्रयोजन एवं परोपकार के बीच अन्तर स्पष्ट हो। यद्यपि बाद में बतायी गई सभी क्रियाएँ गरीबी घटाने में महत्त्वपूर्ण योगदान करती हैं तथा कम्पनी की कीर्ति को प्रत्यक्षतः बढ़ाती हैं और उसके ब्रांड को मजबूत करती है तथापि निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारण स्पष्टतः इससे आगे है।'
प्रश्न 4.
प्राकृतिक पर्यावरण को हानि पहुँचाने वाली प्रमुख समस्याओं को गिनाइए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्राकृतिक पर्यावरण को हानि पहुँचाने वाली निम्नलिखित प्रमुख समस्याओं की पहचान की है-
प्रश्न 5.
'ध्वनि प्रदूषण' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
प्रदूषण का एक मुख्य प्रकार ध्वनि-प्रदूषण भी होता है। कारखानों तथा मोटर गाड़ियों से निकलती हुई ध्वनि केवल खीझ का स्रोत ही नहीं है, वरन् स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए एक चेतावनी है। ध्वनि प्रदूषण के कारण बहुत सी बीमारियाँ हो सकती हैं जैसे बहरे हो जाना, दिल की बीमारी लगना तथा मानसिक असन्तुलन आदि की स्थिति पैदा हो जाती है। यही कारण है कि ध्वनि-प्रदूषण पर नियन्त्रण रखने के प्रयास किये जाते हैं।
प्रश्न 6.
व्यावसायिक सामाजिक तीन समरूपी अवधारणाएँ कौन-कौनसी हैं? इनका उद्गम कब और कहाँ हुआ?
उत्तर:
1. सामूहिक निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व-इसका उद्गम संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था जहाँ सरकार ने एकाधिकारी प्रवृत्तियों के विरुद्ध 'एंटी-ट्रस्ट एक्ट' पास किया था ताकि समाज की सुरक्षा एवं उन्नति सम्भव हो सके।
2. व्यावसायिक नैतिकता-इसका प्रारम्भ भी 1970 में संयुक्त राज्य अमेरिका में ही हुआ था। सामाजिक मूल्यों एवं समाज से सम्बन्धित व्यावसायिक नैतिकता की मुख्य बातें उस देश के व्यवसायों के नियमों का पालन करने के लिए तथा जो बातें उपभोक्ताओं के प्रतिकूल हैं उनका तिरस्कार करने के लिए बाध्य करती हैं अथवा जो उपभोक्ता संरक्षण तथा वातावरण सुरक्षा के प्रतिकूल हैं उनका त्याग करने के लिए भी बाध्य करती हैं।
3. निगमित शासन-इसका प्रारम्भ इंग्लैण्ड में संचालकों की अंशधारियों के प्रति अधिक जिम्मेदारी के उद्देश्य से हुआ था। जिसमें अंशधारियों के हितों की सुरक्षा के लिए पारदर्शी अंकेक्षण तथा स्वतन्त्र संचालकों, चेयरमैन तथा प्रबन्ध संचालक की भूमिका के विभाजन पर अधिक जोर दिया है।
प्रश्न 7.
पर्यावरण संरक्षण में व्यवसाय की भूमिका को संक्षेप में बतलाइये।
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण में व्यवसाय की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओं को सुलझाने के लिए व्यवसाय अर्थात् व्यवसायियों को स्वयं आगे आना चाहिए। व्यावसायिक इकाइयों को यह भी सामाजिक जिम्मेदारी है कि वे केवल प्रदूषण जनित बातों पर ध्यान देने के साथ-साथ पर्यावरण संसाधनों की सुरक्षा का भी उत्तरदायित्व अपने ऊपर लें। व्यावसायिक इकाइयाँ उत्पादन प्रक्रिया में परिवर्तन करके, संयंत्रों के रूप में बदलाव करके, घटिया किस्म के कच्चे माल के प्रयोग के स्थान पर उच्च कोटि के कच्चे माल का प्रयोग करके, कचरे के निष्पादन के लिए वैज्ञानिक तकनीक को अपनाकर प्रदूषण नियन्त्रण से सम्बन्धित सरकार द्वारा बनाये गये नियमों का पालन करके प्रदूषण को नियन्त्रित करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
दीर्घउत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
व्यवसाय का समाज के विभिन्न वर्गों के प्रति सामाजिक उत्तरदायित्वों की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
उत्तर:
व्यवसाय का समाज के विभिन्न वर्गों के प्रति सामाजिक उत्तरदायित्व
व्यवसाय का समाज के कुछ वर्गों के प्रति निम्नलिखित सामाजिक उत्तरदायित्व होते हैं-
1. अंशधारियों अथवा स्वामियों के प्रति उत्तरदायित्व-एक व्यवसाय का यह उत्तरदायित्व है कि वह अपने स्वामियों या अंशधारियों को उनके द्वारा विनियोजित पूँजी पर उचित प्रतिफल प्रदान करे तथा उन्हें इस बात का विश्वास दिलाये कि उनके द्वारा विनियोजित पूँजी व्यवसाय में पूर्णतया सुरक्षित है। एक निगमित निकाय के रूप में व्यवसाय का इनके प्रति यह भी उत्तरदायित्व है कि वह अपने व्यवसाय की कार्यशैली तथा भविष्य में विकास एवं विस्तार की योजनाओं के बारे में नियमित एवं सही सूचना दे।
2. कर्मचारियों के प्रति उत्तरदायित्व-व्यवसाय का अपने कर्मचारियों के प्रति यह उत्तरदायित्व है कि वह अपने कर्मचारियों को अर्थपूर्ण कार्य के सुअवसर प्रदान करे। कर्मचारियों का सहयोग प्राप्त करने के लिए अच्छी कार्यदशाओं का निर्माण किया जाना चाहिए। व्यवसाय को चाहिए कि वह कर्मचारियों को उनके संघ बनने में प्रजातान्त्रिक अधिकारों का उपयोग करने के लिए हाथ बढ़ाए। श्रमिकों को उचित वेतन, सही समय पर अच्छी कार्यदशाएँ तथा उचित व्यवहार का विश्वास दिलाया जाना चाहिए।
3. उपभोक्ताओं के प्रति उत्तरदायित्व-व्यवसाय की सफलता उपभोक्ताओं के सहयोग के बिना सम्भव नहीं है। अतः व्यवसाय को अपने उपभोक्ताओं के प्रति भी अपने उत्तरदायित्वों को निभाना चाहिए। इस दृष्टि से उपभोक्ताओं को उत्तम किस्म की वस्तु/सेवाएँ उचित मूल्य पर, उचित समय तथा उचित मात्रा में उपलब्ध कराने का व्यवसाय का महत्त्वपूर्ण उत्तरदायित्व है। व्यवसाय को मिलावट करने के विरुद्ध सतर्कता बरतने, निम्न किस्म के माल की पूर्ति नहीं होने देने, आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं की पूर्ति में कमी नहीं होने देने, ग्राहकों से शिष्टाचार का बर्ताव करने एवं धोखापूर्ण तथा अविश्वसनीय व झूठे विज्ञापनों पर रोक लगाने आदि कार्यों को करना चाहिए। इसके साथ ही उपभोक्ताओं को उत्पाद से सम्बन्धित सूचनाएँ पाने का अधिकार तथा कम्पनी के क्रय आदि कार्यों से सम्बन्धित सूचनाएँ भी अवश्य मिलनी चाहिए।
4. सरकार के प्रति उत्तरदायित्व-देश के कानूनों का पालन करना तथा करों आदि का सरकार को ईमानदारी से भुगतान करने का भी व्यवसाय का समाज के प्रति उत्तरदायित्व है। सरकार द्वारा चाही गई सूचनाओं को भी व्यवसाय द्वारा उपलब्ध कराया जाना चाहिए। साथ ही सरकारी कार्यक्रमों एवं योजनाओं में सहयोग देना चाहिए।
5. समाज के प्रति उत्तरदायित्व-व्यवसाय को देश को एक अच्छे नागरिक की तरह व्यवहार करना चाहिए तथा सामाजिक रीति-रिवाजों के पालन करने हेतु उचित कदम उठाने चाहिए। कारखानों से निकलने वाले धुएँ तथा उनके गन्दे पानी से वायु तथा पानी से प्रदूषित होने से बचाना चाहिए जिससे स्थानीय निवासियों अर्थात् स्थानीय समुदाय के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े।
प्रश्न 2.
'व्यवसाय तथा पर्यावरण संरक्षण' पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
व्यवसाय तथा पर्यावरण संरक्षण
आज के समय में पर्यावरण समस्या एक विषम एवं विकट समस्या है जो व्यावसायिक प्रबन्धकों तथा निर्णायकों व उद्यमियों को साहस के साथ सामना करने के लिए प्रेरित करती है।
पर्यावरण की परिभाषा में मनुष्य के आस-पास के प्राकृतिक तथा मानव निर्मित दोनों ही वातावरण को सम्मिलित किया जाता है। ये वातावरण प्राकतिक संसाधनों में है और जो मानव जीवन के लिए उपयोगी है। प्राकतिक संसाधनों में भूमि, जल, हवा, वनस्पति तथा कच्चा माल इत्यादि सम्मिलित हैं। मानव निर्मित संसाधनों में सांस्कृतिक विरासत, सामाजिक-आर्थिक संसाधन तथा मनुष्य इत्यादि आते हैं। इस प्रकार पर्यावरण जिसमें भूमि, जल, वायु, मनुष्य, पेड़-पौधे तथा पशु-पक्षी सभी को सम्मिलित किया जाता है, को पतन एवं विनाश से बचाते हुए इनका संरक्षण करना आवश्यक होता है जिससे कि वातावरण के सन्तुलन को बनाया रखा जा सके। यह सर्वविदित है कि पर्यावरण प्रदूषित होता जा रहा है। शुद्ध वातावरण का तेजी से ह्रास होता जा रहा है। इसका प्रमुख कारण तेजी से बढ़ती हुई औद्योगिक गतिविधियाँ हैं। सामान्यतः देश के महानगरों का जैसे दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, अहमदाबाद, जयपुर, कानपुर तथा अन्य नगरों में यह आम दृश्य है। इन महानगरों के कल-कारखानों से निकलता हुआ धुआँ एवं उत्सर्जन मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रहे हैं।
यद्यपि कुछ अवशेषों का उपयोग कच्चे माल तथा ऊर्जा के रूप में हो रहा है। लेकिन उत्पादकों के लिए इसके प्रयोग से कुप्रभावों को कम करना एक विकट समस्या है। इन सबके आधार पर यह कहा जा सकता है कि पर्यावरण संरक्षण हम सभी के लिए अत्यन्त उपयोगी है। क्योंकि प्रदूषण भौतिक, रासायनिक तथा जैविक लक्षणों जैसे हवा, भूमि तथा जल में बदलाव लाता है। प्रदूषण मानव के लिए अत्यन्त हानिकारक है, यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, जीवन-स्तर को गिराता है तथा सांस्कृतिक विरासत को भी हानि पहुँचाता है। प्रदूषण के कारण वातावरणीय ह्रास तो होता ही है मानव, स्वास्थ्य एवं प्राकृतिक बनावटी संसाधनों को भी नु वातावरण की सुरक्षा का प्रत्यक्ष सम्बन्ध प्रदूषण नियन्त्रण से है। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा भी कुछ आवश्यक कदम उठाने चाहिए ताकि मानव जीवन सुखी एवं सम्पन्न रह सके।
प्रश्न 3.
भारत में प्रदूषण नियन्त्रण के लिए भारत सरकार ने क्या-क्या कदम उठाये हैं? संक्षेप में विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में प्रदूषण नियन्त्रण के लिए भारत सरकार द्वारा उठाये गये कदम
भारत में प्रदूषण नियन्त्रण के लिए भारत सरकार द्वारा निम्न कदम उठाये गये हैं-
1. सरकारी नीति में निदेशात्मक सिद्धान्तों का उल्लेख-भारत सरकार ने भारतीय संविधान में पर्यावरण संरक्षण पर बल देते हुए सरकारी नीति में निदेशात्मक सिद्धान्तों का उल्लेख किया है।
2. कानूनों का निर्माण-भारत में प्रदूषण नियन्त्रण के लिए निम्नलिखित कुछ मुख्य कानून बनाये हैं-
3. पर्यावरण विभाग का निर्माण-सरकार द्वारा प्रशासनिक आदेश/पॉलिसी मार्गदर्शन निर्धारण के साथ ही सरकार द्वारा 1980 में पर्यावरण विभाग का पृथक् निर्माण किया गया है।
4. नियन्त्रक (रेग्यूलेटरी) निकायों अथवा अर्द्ध-न्यायिक प्राधिकरणों की स्थापना-सरकार ने प्रदूषण नियन्त्रण करने की दृष्टि से राष्ट्रीय वृक्षारोपण तथा ध्वनि विकास बोर्ड तथा राष्ट्रीय बंजर भूमि विकास बोर्ड तथा अन्य निकायों एवं प्राधिकरणों की स्थापना की है।
5. शहरों में निर्माण उद्योगों को बन्द करना-शहरों में बढ़ते हुए प्रदूषण को नियन्त्रित करने के लिए निर्माण उद्योग बन्द करने के आदेश दे दिये गये हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश से सभी निर्माणी उद्योगों को बन्द कर दिया गया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सभी उत्पादक इकाइयों को शहर से बाहर ले जाने का आदेश दिया हुआ है। इसी प्रकार आगरा शहर से फाउण्ड्रीज को कोर्ट द्वारा शहर से बाहर ले जाने के आदेश दिये हुए हैं। कानपुर की निर्माणी इकाइयों को कानपुर शहर से बाहर ले जाने के आदेश दिये हुए हैं।
6. पर्यावरण शिक्षा-सरकार द्वारा पर्यावरण शिक्षा पर बहुत से कार्यक्रम तथा विचार-गोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है ताकि प्राकृतिक साधनों तथा पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए जागरूकता का सृजन हो सके।
7. पर्यावरण कार्यवाही योजना-सरकार ने पर्यावरण कार्यवाही योजना (ई.ए.पी.) का भी शुभारम्भ किया है।