Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 9 Science Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा Textbook Exercise Questions and Answers.
पृष्ठ 217.
प्रश्न 1.
शुक्र तथा मंगल ग्रहों के वायुमंडल से हमारा वायुमंडल कैसे भिन्न है?
उत्तर:
शुक्र तथा मंगल पर वायुमण्डल का मुख्य घटक कार्बन डाइऑक्साइड है जबकि हमारा वायुमण्डल नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल - वाष्प का मिश्रण है। हमारे वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा लगभग 0.04% है जबकि शुक्र तथा मंगल ग्रहों के वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 95 से 97% है।
प्रश्न 2.
वायुमंडल एक कंबल की तरह कैसे कार्य करता है?
उत्तर:
वायुमंडल एक कंबल की तरह कार्य करता है क्योंकि वायु ऊष्मा की कुचालक है। वायुमण्डल पृथ्वी के औसत तापमान को दिन के समय और यहाँ तक कि पूरे वर्ष भर लगभग नियत रखता है। वायुमण्डल दिन में तापमान को अचानक बढ़ने से रोकता है और रात के समय ऊष्मा को बाहरी अंतरिक्ष में जाने की दर को कम करता है। इस तरह वायुमण्डल एक कम्बल की तरह कार्य करता है।
प्रश्न 3.
वायु प्रवाह ( पवन) के क्या कारण हैं ?
उत्तर:
वायु प्रवाह (पवन) विभिन्न वायुमण्डलीय प्रक्रियाओं का परिणाम है, जो पृथ्वी के वायुमण्डल के असमान विधियों से गर्म होने के कारण होता है। लेकिन इन हवाओं को बहुत से अन्य कारक भी प्रभावित करते हैं, जैसे पृथ्वी की घूर्णन गति तथा पवन के मार्ग में आने वाली पर्वत श्रृंखलाएँ।
प्रश्न 4.
बादलों का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:
बादलों का निर्माण: दिन के समय जब जलीय भाग गर्म हो जाते हैं, तब बहुत बड़ी मात्रा में जलवाष्प बन जाती है और यह जलवाष्प वायु में प्रवाहित हो जाती है। जलवाष्प की कुछ मात्रा विभिन्न जैविक क्रियाओं के कारण वायुमण्डल में चली जाती है। यह वायु भी गर्म हो जाती है। गर्म वायु अपने साथ जलवाष्प को लेकर ऊपर की ओर उठ जाती है। यह वायु ऊपर पहुँचकर फैलती है तथा ठण्डी हो जाती है। ठण्डा होने के कारण हवा में उपस्थित जलवाष्प छोटी - छोटी जल की बूंदों में संघनित हो जाती है, जिन्हें बादल कहते हैं। जल का यह संघनन सहज होता है, यदि कुछ कण नाभिक के समान कार्य करके अपने चारों ओर बूंदों को एकत्र होने देते हैं। सामान्यतः वायु में उपस्थित धूल के कण तथा दूसरे निलम्बित कण नाभिक के रूप में कार्य करते हैं।
प्रश्न 5.
मनुष्य के तीन क्रियाकलापों का उल्लेख करें जो वायु प्रदूषण में सहायक हैं।
उत्तर:
मनुष्य के तीन क्रियाकलाप वायु प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।
पृष्ठ 219.
प्रश्न 1.
जीवों को जल की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर:
सभी प्राणियों को जल की आवश्यकता होती है क्योंकि सजीव की सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती हैं। सभी प्रतिक्रियाएँ, जो हमारे शरीर में या कोशिकाओं के अन्दर होती हैं, वे जल में घुले हुए पदार्थों में होती हैं। शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में पदार्थों का संवहन घुली हुई अवस्था में होता है। इसलिए जीवित प्राणी जीवित रहने के लिए अपने शरीर में जल की मात्रा को संतुलित बनाए रखता है। अत: जीवों को जीवित रहने के लिए शुद्ध जल की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 2.
जिस गाँव शहर नगर में आप रहते हैं वहाँ पर उपलब्ध शुद्ध जल का मुख्य स्त्रोत क्या है?
उत्तर:
हमारे नगर में उपलब्ध शुद्ध जल का मुख्य स्रोत भूमिगत पानी है, जिसे भूमि से निकालकर टैंकों में स्टोर कर लिया जाता है तथा नगरवासियों को पाइप लाइनों द्वारा वितरित कर दिया जाता है।
प्रश्न 3.
क्या आप किसी क्रियाकलाप के बारे में जानते हैं जो इस जल के स्त्रोत को प्रदूषित कर रहा है?
उत्तर:
हाँ, वे क्रियाकलाप हैं - जलाशयों में अनैच्छिक पदार्थों को डालना, जैसे - कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ, रासायनिक उर्वरक, कूड़ा - करकट, सीवर लाइनों तथा गंदी नालियों का दूषित पानी, जिनमें अनेक प्रकार के विषाक्त पदार्थ मिले होते हैं।
पृष्ठ 222.
प्रश्न 1.
मृदा (मिट्टी) का निर्माण किस प्रकार होता है?
उत्तर:
मृदा (मिट्टी) का निर्माण: हजारों और लाखों वर्षों के लम्बे समयांतराल में पृथ्वी की सतह या उसके समीप पाए जाने वाले पत्थर विभिन्न प्रकार के भौतिक, रासायनिक और कुछ जैव प्रक्रमों के द्वारा टूट जाते हैं। टूटने के बाद सबसे अन्त में बचा महीन कण मृदा है। सूर्य, जल, वायु और जीव, मृदा निर्माण प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 2.
मृदा अपरदन क्या है?
उत्तर:
मृदा अपरदन - उपरिमृदा का वायु/जल द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाना, मृदा अपरदन कहलाता है। मृदा के बारीक कण बहते हुए जल के साथ चले जाते हैं तथा तेज वायु भी मृदा कणों को उड़ाकर ले जाती है।
प्रश्न 3.
अपरदन को रोकने और कम करने के कौन - कौन से तरीके हैं?
उत्तर:
मृदा अपरदन को रोकने अथवा कम करने के लिए निम्न उपाय कर सकते हैं।
पृष्ठ 226.
प्रश्न 1.
जल - चक्र के क्रम में जल की कौन - कौन सी अवस्थाएँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
जल - चक्र के क्रम में जल पहले वाष्प में बदलता है, फिर संघनित होकर वर्षा के रूप में पुनः पृथ्वी की सतह पर गिरता है और अन्ततः बहता हुआ नदियों के द्वारा समुद्र में चला जाता है। जहाँ से पुनः वाष्पित होता है। इस प्रकार जल - चक्र चलता रहता है।
प्रश्न 2.
जैविक रूप से महत्वपूर्ण दो यौगिकों के नाम दीजिए जिनमें ऑक्सीजन और नाइट्रोजन दोनों पाए जाते हैं।
उत्तर:
प्रश्न 3.
मनुष्य की किन्हीं तीन गतिविधियों को पहचानें जिनसे वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है।
उत्तर:
निम्न मानव गतिविधियाँ वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ाती हैं।
प्रश्न 4.
ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है?
उत्तर:
ग्रीन हाउस प्रभाव - वायुमण्डल में उपस्थित कुछ गैसें, जैसे-कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, क्लोरो फ्लोरो कार्बन (CFC) आदि पृथ्वी से ऊष्मा को वायुमण्डल से बाहर जाने से रोकती हैं, जिससे धरातल के औसत तापमान में वृद्धि हो रही है। इस प्रकार का प्रभाव ही 'ग्रीन हाउस प्रभाव' कहलाता है।
प्रश्न 5.
वायुमंडल में पाए जाने वाले ऑक्सीजन के दो रूप कौन - कौन से हैं ?
उत्तर:
वायुमंडल में पाये जाने वाले ऑक्सीजन के दो रूप हैं।
प्रश्न 1.
जीवन के लिए वायुमंडल क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
जीवों के लिए वायुमण्डल बहुत आवश्यक है। यही हमारे जीवन का आधार है।
(1) पृथ्वी पर जीवन वायु के घटकों का ही परिणाम है । स्थलीय जन्तु श्वसन के लिए ऑक्सीजन वायुमण्डल से प्राप्त करते हैं और जलीय जीव इसे पानी में घुली हुई अवस्था में प्राप्त करते हैं।
(2) यूकेरियोटिक कोशिकाओं तथा बहुत सी प्रोकेरियोटिक कोशिकाओं को ग्लूकोज अणुओं को तोड़ने तथा उससे ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। इसी कारण कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है।
(3) पेड़ - पौधे इस कार्बन डाइऑक्साइड को ग्लूकोज में बदलते हैं तथा अपने लिए भोजन के रूप में प्राप्त करते हैं।
(4) वायुमण्डल ने पूरी पृथ्वी को एक कंबल की तरह ढांप रखा है। वायु ताप की कुचालक है इसलिए पृथ्वी का औसत तापमान पूरे वर्ष नियत रहता है। यह दिन के समय तापमान को बढ़ने से रोकता है और रात के समय ऊष्मा को पृथ्वी के बाहरी अंतरिक्ष में जाने की दर को कम करता है। इस प्रकार मौसम सम्बन्धी सभी क्रियाएँ वायुमण्डल द्वारा निर्मित होती हैं। इसलिए जीवन के लिए वायुमण्डल आवश्यक है।
प्रश्न 2.
जीवन के लिए जल क्यों अनिवार्य है?
उत्तर:
जीवन के लिए जल बहुत जरूरी है। हमारे दैनिक जैविक प्रक्रियाओं में जल का निम्न उपयोग है।
प्रश्न 3.
जीवित प्राणी मृदा पर कैसे निर्भर हैं? क्या जल में रहने वाले जीव संपदा के रूप में मृदा से पूरी तरह स्वतंत्र हैं?
उत्तर:
सजीवों में, केवल हरे पौधे ही स्वपोषी हैं और वे अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं। सभी जन्तु मानव सहित विषमपोषी हैं और भोजन के लिए पौधों पर निर्भर रहते हैं। पौधों को जीवन - यापन के लिए आवश्यक तत्व मृदा से ही प्राप्त होते हैं। पौधे तरह - तरह के खनिज लवण मृदा से ही प्राप्त करते हैं और भोजन के तत्वों के रूप में प्राणियों के जीवन का आधार बनते हैं। जल में रहने वाले जीव संपदा के रूप में मृदा से पूरी तरह स्वतंत्र नहीं हैं क्योंकि वे पोषक तत्व तो जल से प्राप्त करते हैं किन्तु ये पोषक तत्व जल में मृदा के घुलने से ही प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 4.
आपने टेलीविजन पर और समाचारपत्र में मौसम संबंधी रिपोर्ट को देखा होगा। आप क्या सोचते हैं कि हम मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम हैं?
उत्तर:
मौसम सम्बन्धी जानकारियाँ लम्बी और गहन वैज्ञानिक जानकारियों पर आधारित होती हैं। दूर आकाश में स्थित सैटेलाइट पृथ्वी पर सदा अपनी दृष्टि जमाए रहते हैं तथा वातावरण की जाँच करने में वैज्ञानिकों की सहायता करते हैं। पवनों की दिशाओं द्वारा हमें वर्षा होने या न होने, पवनों की गति, तापमान आदि की जानकारी मिल जाती पवनों की दिशा से हम पता लगा सकते हैं कि किस दिशा में गर्म एवं ठण्डी पवन चलेंगी। मानसून आने से पहले ही इनसे अनुमान हो जाता है कि किसी वर्ष वर्षा की स्थिति कैसी होगी। इससे कृषि सम्बन्धी नई योजनाएं बनाई जाती हैं। समुद्री तटों पर रहने वालों को तरह-तरह के खतरों की पूर्व सूचना दी जाती है।
प्रश्न 5.
हम जानते हैं कि बहुत - सी मानवीय गतिविधियाँ वायु, जल एवं मृदा के प्रदूषण - स्तर को बढ़ा रहे हैं। क्या आप सोचते हैं कि इन गतिविधियों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर देने से प्रदूषण के स्तर को घटाने में सहायता मिलेगी?
उत्तर:
बहुत से मानवीय क्रियाकलाप हवा, जल और मृदा के प्रदूषण स्तर को निरन्तर बढ़ा रहे हैं। यदि इन क्रियाकलापों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर दिया जाए तो प्रदूषण के स्तर पर कुछ सहायता मिलेगी। प्रायः अस्पतालों एवं घनी बस्तियों के आसपास भारी वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित कर वातावरण से हानिकारक गैसों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। पेट्रोल और डीजल के स्थान पर वाहनों में CNG का प्रयोग कुछ नगरों में आरम्भ किया गया है, जिसके अनुकूल प्रभाव दिखाई दिए हैं। खदानों की खुदाई रोककर वायुमण्डल तथा पेड़-पौधों की रक्षा की गई है। उर्वरक एवं पीड़कनाशी के स्थान पर खाद का प्रयोग किया जाए तो केंचुए भूमि में ह्यूमस बनाने में मददगार सिद्ध होंगे। मृदा का उपजाऊपन बना रहेगा। जलाशयों में अनैच्छिक पदार्थ नहीं डाले जाएँ। जीवाश्म ईंधन के स्थान पर ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों का उपयोग किया जाए जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि। इस प्रकार विशेष प्रयास करके प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकता है।
प्रश्न 6.
जंगल वायु, मृदा तथा जलीय स्रोत की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-:
जंगल वायु, मृदा व जलीय स्रोत की गुणवत्ता को निम्न प्रकार प्रभावित करते हैं।
(1) वायु की गुणवत्ता नियंत्रित करने में पौधों (जंगल) का योगदान: पौधे प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया में वायु से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं तथा ऑक्सीजन गैस उत्पन्न करते हैं, जिससे वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा नियंत्रित रहती है तथा श्वसन में सहायक ऑक्सीजन बढ़ती है।
(2) मृदा की गुणवत्ता नियंत्रित करने में पौधों (जंगल) का योगदान:
(3) जलीय स्रोत की गुणवत्ता में जंगल का योगदान - जंगल जल स्रोतों के पुनः पूरण के लिए भी आवश्यक है। ये वाष्पोत्सर्जन द्वारा व जल चक्र द्वारा भूमिगत तथा पृथ्वी के ऊपर के जल स्रोतों को बनाए रखने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वन क्षेत्र के पौधों की जड़ों के माध्यम से जल भूमि के अन्दर प्रवेश कर जल स्रोत के स्तर को बढ़ाता है। इस प्रकार वन / वृक्ष वर्षा को आकर्षित करते हैं, जिससे हमारे जलस्रोतों का पुनः पूरन होता रहता है।