RBSE Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 7 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 7 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 8 Social Science Solutions History Chapter 7 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना

RBSE Class 8 Social Science देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना InText Questions and Answers

गतिविधि (पृष्ठ 85)

प्रश्न 1.
कल्पना कीजिए कि आप 1850 के दशक में जी रहे हैं। आपने वुड के नीतिपत्र (वुड्स डिस्पैच) के बारे में सुना है। इसके बारे में अपनी प्रतिक्रियाएँ लिखिए। 
उत्तर:
इसके बारे में मेरी प्रतिक्रियाएँ निम्न प्रकार होंगी-

  • इसने प्राच्यवादी ज्ञान को बिल्कुल नकार दिया तथा उसके स्थान पर यूरोपीय शिक्षा पद्धति को अपनाने से होने वाले व्यावहारिक लाभ का उल्लेख किया। जबकि भारत का प्राच्य ज्ञान बहुत उन्नत था। 
  • मैं उसके उस तर्क का प्रबल विरोध करना चाहूँगा जिसमें उसने कहा कि यूरोपीय शिक्षा का व्यावहारिक लाभ आर्थिक क्षेत्र में भी होगा। 

गतिविधि (पृष्ठ 88)

प्रश्न 1. 
कल्पना कीजिए कि आप 1850 के दशक में एक गरीब परिवार में पैदा हुए हैं। अब बताएँ कि सरकार द्वारा नियंत्रित पाठशालाओं पर आपकी क्या राय होगी? 
उत्तर:
इस बारे में मेरी राय निम्न प्रकार होगी-

  • पहले की व्यवस्था में गरीब किसान परिवारों के बच्चे पाठशाला जा सकते थे क्योंकि कक्षा की समय-सारणी में थोड़ी-बहुत ढील थी। 
  • नियमित हाजिरी नई व्यवस्था के अनुशासन की मुख्य माँग है। यह हाजिरी फसल कटने के समय भी जरूरी है जबकि गरीब परिवारों के बच्चों को खेतों में काम करना पड़ता है।
  • पहले की व्यवस्था में गरीब बच्चों से कम फीस ली जाती थी तथा अधिक आय वालों से अधिक। नई व्यवस्था में सभी की फीस समान होने से गरीब बच्चों को स्कूल फीस चुकाने में दिक्कत होगी। 

प्रश्न 2. 
क्या आपको मालूम है कि प्राथमिक स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों में से लगभग 50 प्रतिशत बच्चे 13-14 साल की उम्र तक पहुँचते-पहुँचते स्कूल छोड़ चुके होते हैं? क्या आप बता सकते हैं कि इस स्थिति के कारण क्या हैं? 
उत्तर:
(1) हाँ, मुझे मालूम है कि प्राथमिक स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों में से लगभग 50 प्रतिशत बच्चे 13-14 साल की उम्र तक पहुँचते-पहुँचते स्कूल छोड़ चुके होते हैं। 

(2) स्कूल छोड़ने के निम्नलिखित कारण हैं-

  • हमारी आबादी का एक-तिहाई हिस्सा आज भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहा है। अतः इन परिवारों के बच्चे आर्थिक अक्षमता के कारण पढ़ाई नहीं कर पाते। 
  • जागरूकता के अभाव में कई माता-पिता शिक्षा को उचित महत्त्व नहीं देते। 
  • सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों का अभाव है। अतः इन क्षेत्रों के बच्चे आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाते हैं।

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फिर से याद करें-

प्रश्न 1. 
निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ-

1. विलियम जोन्स

(a) अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन 

2. रवीन्द्रनाथ टैगोर

(b) प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान

3. टॉमस मैकॉले

(c) गुरु 

4. महात्मा गांधी

(d) प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा 

5. पाठशालाएँ

(e) अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध

उत्तर:

1. विलियम जोन्स

(b) प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान

2. रवीन्द्रनाथ टैगोर

(d) प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा

3. टॉमस मैकॉले

(a) अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन

4. महात्मा गांधी

(e) अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध

5. पाठशालाएँ

(c) गुरु

प्रश्न 2. 
निम्नलिखित में से सही या गलत बताएँ-
(क) जेम्स मिल प्राच्यवादियों के घोर आलोचक थे। 
(ख) 1854 के शिक्षा संबंधी डिस्पैच में इस बात पर जोर दिया गया था कि भारत में उच्च शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी होना चाहिए।
(ग) महात्मा गांधी मानते थे कि साक्षरता बढ़ाना ही शिक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है।
(घ) रवीन्द्रनाथ टैगोर को लगता था कि बच्चों पर सख्त अनुशासन होना चाहिए।
उत्तर:
(क) सही; 
(ख) गलत; 
(ग) गलत; 
(घ) गलत।

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आइये विचार करें-

प्रश्न 3. 
विलियम जोन्स को भारतीय इतिहास, दर्शन और कानून का अध्ययन क्यों जरूरी दिखाई देता था? 
उत्तर:

  • विलियम जोन्स के अनुसार भारत को समझने के लिए यह आवश्यक था कि उन पवित्र तथा कानूनी ग्रंथों को समझा जाए जिनकी रचना प्राचीन काल में की गई थी।
  • केवल इन्हीं ग्रंथों द्वारा हिंदुओं एवं मुसलमानों के वास्तविक विचारों तथा कानूनों से अवगत हुआ जा सकता था तथा इन्हीं ग्रंथों का नए सिरे से अध्ययन भारत के भविष्य के विकास को आधार प्रदान कर सकता था। 
  • उसका मानना था कि इस कार्य से न केवल ब्रिटिश लोगों को भारतीय संस्कृति से सीखने का अवसर प्राप्त होगा बल्कि भारतीयों को भी अपनी विरासत को फिर से उजागर करने, उसे समझने तथा अपने खोए हुए गौरवपूर्ण अतीत को फिर से प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
  • उनके अनुसार इस प्रक्रिया में ब्रिटिश लोग भारतीय संस्कृति के अभिभावक तथा मालिक दोनों की भूमिकाएँ निभा रहे थे। 

प्रश्न 4. 
जेम्स मिल और टॉमस मैकॉले ऐसा क्यों सोचते थे कि भारत में यूरोपीय शिक्षा अनिवार्य है?
उत्तर:

  • ये लोग पूर्व समाजों के ज्ञान को त्रुटिपूर्ण तथा अवैज्ञानिक मानते थे तथा यूरोपीय शिक्षा को वैज्ञानिक तथा व्यावहारिक मानते थे। 
  • जेम्स मिल का विचार था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल . व्यावहारिक एवं उपयोगी चीजों का पठन-पाठन होना चाहिए। अतः भारतीयों को उन वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकासों से अवगत कराया जाना चाहिए जिनका उदय पश्चिम में हुआ है।
  • मैकॉले के अनुसार भारत एक असभ्य देश था, जिसे सभ्य बनाने की जरूरत थी। 
  • मैकॉले के अनुसार, यूरोपीय पुस्तकालय के किसी एक खाने में रखी किताबों में समाहित ज्ञान भारत एवं अरब के संपूर्ण देशी साहित्यों के ज्ञान से भी अधिक है। उसका मानना था कि पूर्वी ज्ञान की कोई भी शाखा उस ज्ञान से अपनी तुलना नहीं कर सकती जिसे इंग्लैंड ने पैदा किया
  • मैकॉले मानते थे कि अंग्रेजी भाषा के ज्ञान से भारतीयों को दुनिया के कुछ बेहतरीन साहित्यों को पढ़ने का सुअवसर प्राप्त होगा। यह उन्हें पश्चिमी विज्ञान एवं दर्शन के विकास से भी अवगत कराएगी।

प्रश्न 5. 
महात्मा गांधी बच्चों को हस्तकलाएँ क्यों सिखाना चाहते थे? 
उत्तर:
(1) उनके अनुसार इससे व्यक्ति के मस्तिष्क एवं आत्मा का विकास होगा। 

(2) उनका सोचना था कि केवल पढ़ना-लिखना अपनेआप में शिक्षा नहीं है। लोगों को अपने हाथ से काम करना सीखना चाहिए, उन्हें विभिन्न निपुणताओं को सीखना चाहिए तथा उन्हें. यह जानना चाहिए कि विभिन्न चीजें किस तरह कार्य करती हैं। बच्चे को प्रत्येक प्रक्रिया के लिए 'क्यों' और 'किसलिए' का पता होना चाहिए। 

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प्रश्न 6. 
महात्मा गांधी ऐसा क्यों सोचते थे कि अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीयों को गुलाम बना लिया है?
उत्तर:
महात्मा गांधी ऐसा इसलिए सोचते थे क्योंकि-

  • उनका मानना था कि अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीयों के मस्तिष्क में हीनता की भावना भर दी है। 
  • इसने उन्हें पश्चिमी सभ्यता को सर्वश्रेष्ठ सभ्यता के रूप में देखने की शिक्षा दी है तथा अपनी संस्कृति के प्रति गर्व की उनकी भावना को नुकसान पहुंचाया है। अतः वे इसे पाप मानते थे।
  • गांधीजी के अनुसार अंग्रेजी में दी जा रही शिक्षा ने भारतीयों को अपाहिज बना दिया है। उन्हें अपने सामाजिक परिवेश से काटकर अपनी ही भूमि पर अजनबी बना दिया है।
  • अंग्रेजी शिक्षित भारतीय स्थानीय संस्कृति से घृणा करते हैं तथा अपनी जनता से जुड़ने के तौर-तरीके भूल चुके हैं। 

महात्मा गांधी एक ऐसी शिक्षा चाहते थे जो भारतीयों को अपने सम्मान तथा आत्म-गौरव को पुनः प्राप्त करने में सहायता दे सके।

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Last Updated on May 31, 2022, 8:28 p.m.
Published May 31, 2022