Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 10 कानून और सामाजिक न्याय Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
न्यूनतम वेतन के लिए कानून की जरूरत क्यों पड़ती है?
उत्तर:
बहुत सारे मजदूरों को उनके मालिक सही मेहनताना नहीं देते। चूंकि मजदूरों को काम की जरूरत होती है, इसलिए वे सौदेबाजी भी नहीं कर पाते और बहुत कम मजदूरी पर ही काम करने को तैयार हो जाते हैं। मजदूरों को इस शोषण को बचाने के लिए न्यूनतम वेतन के कानून की जरूरत पड़ती है।
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प्रश्न 2.
आपको ऐसा क्यों लगता है कि किसी फैक्ट्री में सुरक्षा कानूनों को लागू करना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है?
उत्तर:
किसी फैक्ट्री में सुरक्षा कानूनों को लागू करना इसलिए बहुत महत्त्वपूर्ण होता है ताकि अनुच्छेद 21 में दिए गए जीवन के अधिकार का उल्लंघन नहीं हो।
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प्रश्न 3.
क्या आप कुछ दूसरी ऐसी स्थितियों का उल्लेख कर सकते हैं जहाँ कानून या नियम तो मौजूद हैं, परंतु उनके क्रियान्वयन में ढिलाई के कारण लोग उनका पालन नहीं करते? (उदाहरण के लिए मोटर गाड़ियों की तेज रफ्तार, हेलमेट/सीट-बेल्ट न पहनना और वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का उपयोग करना)। कानूनों को लागू करने में क्या समस्यायें आती हैं? क्या आप क्रियान्वयन में सुधार के लिए कुछ सुझाव दे सकते हैं?
उत्तर:
हाँ, ऐसी कुछ स्थितियाँ हैं-
कानूनों को लागू करने में समस्याएँ-
सुधार के लिए सुझाव-
प्रश्न 1.
दो मजदूरों से बात करके पता लगाएँ कि उन्हें कानून द्वारा तय किया गया न्यूनतम वेतन मिल रहा है या नहीं। इसके लिए आप निर्माण मजदूरों, खेत मजदूरों, फैक्ट्री मजदूरों या किसी दुकान पर काम करने वाले मजदूरों से बात कर सकते हैं।
उत्तर:
नोट-यह प्रोजेक्ट कार्य विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
विदेशी कंपनियों को भारत में अपने कारखाने खोलने से क्या फायदा है?
उत्तर:
विदेशी कंपनियों को भारत में कारखाने खोलने का लाभ यहाँ का सस्ता श्रम है। अगर ये कंपनियाँ अमेरिका या किसी और विकसित देश में काम करें तो उन्हें भारत जैसे गरीब देशों के मजदूरों के मुकाबले वहाँ के मजदूरों को ज्यादा वेतन देना पड़ेगा। भारत में न केवल वे कम कीमत पर काम करवा सकती हैं, बल्कि यहाँ के मजदूर ज्यादा घंटों तक भी काम कर सकते हैं। तीसरे, यहाँ मजदूरों के लिए आवास जैसी दूसरी चीजों पर भी खर्चे की ज्यादा जरूरत नहीं होती। इस तरह ये कंपनियाँ यहाँ कम लागत पर ज्यादा मुनाफा कमा सकती हैं। चौथे, लागत में कमी लाने के लिए यहाँ सुरक्षा उपायों की भी अक्सर अनदेखी कर दी जाती है। यहाँ बेरोजगारी इतनी ज्यादा है कि थोड़ी-सी तनख्वाह के बदले न जाने कितने लोग असुरक्षित स्थितियों में काम करने को तैयार हो जाते हैं। मजदूरों की इस कमजोरी का फायदा उठाकर मालिक कार्यस्थल पर सुरक्षा की जिम्मेदारी से बच जाते हैं।
प्रश्न 3.
क्या आपको लगता है कि भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को सामाजिक न्याय मिला है? चर्चा करें।
उत्तर:
भोपाल गैस त्रासदी से पीड़ित लोगों को सामाजिक न्याय नहीं मिला है। 36 साल बाद भी लोग न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं और यूनियन कार्बाइड के जहर से ग्रस्त लोगों के लिए नौकरियों की मांग कर रहे हैं। वे यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन एंडरसन को सजा दिलाने के लिए भी आंदोलनरत हैं लेकिन एंडरसन को सरकार अभी तक सजा नहीं दिला सकी है। इन्हें अभी तक पर्याप्त क्षतिपूर्ति राशि भी प्राप्त नहीं हुई है।
प्रश्न 4.
जब हम कानूनों को लागू करने की बात करते हैं तो इसका क्या मतलब होता है? कानूनों को लागू करने की जिम्मेदारी किसकी है? कानूनों को लागू करना इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर:
जब हम कानूनों को लागू करने की बात करते हैं तो इसका मतलब यह है कि कानून को क्रियान्वित किया जाना बहुत आवश्यक है। जब कोई कानून ताकतवर लोगों से कमजोर लोगों की रक्षा के लिए बनाया जाता है तो उसको लागू करना और भी महत्त्वपूर्ण बन जाता है। उदाहरण के लिए, प्रत्येक मजदूर को सही वेतन मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार को कार्यस्थलों का नियमित रूप से निरीक्षण करना चाहिए और अगर कोई कानून का उल्लंघन करता है तो उसको सजा देनी चाहिए। इस प्रकार कानूनों को लागू करने की जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार के साथ-साथ आम लोगों को भी दबाव डालकर सरकार और निजी कंपनियों को कानून के पालन को बाध्य करना चाहिए। यदि कानूनों को लागू नहीं करवाया जायेगा तो शक्तिशाली लोग कानूनों का उल्लंघन करते रहेंगे और शक्तिहीनों का शोषण जारी रहेगा।
प्रश्न 5.
कानून के जरिए बाजारों को सही ढंग से काम करने के लिए किस तरह प्रेरित किया जा सकता है? अपने जवाब के साथ दो उदाहरण दें।
उत्तर:
बाजार में मजदूरों का शोषण न हो, उनको वाजिब मेहनताना मिले इस बात को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने जहाँ न्यूनतम वेतन का कानून बनाया है, उसी तरह बाजार में उत्पादकों और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए भी सुरक्षा कानून बनाए हैं। इन कानूनों के जरिये मजदूर, उपभोक्ता और उत्पादक तीनों के संबंधों को इस तरह से संचालित किया जाता है कि उनमें से किसी का शोषण न हो। इन कानूनों के जरिये इस बात की कोशिश की जाती है कि बाजार में अनुचित तरीकों पर अंकुश लगाया जाये।
प्रश्न 6.
मान लीजिये कि आप एक रासायनिक फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर हैं। सरकार ने कंपनी को आदेश दिया है कि वह वर्तमान जगह से 100 किलोमीटर दूर किसी दूसरे स्थान पर अपना कारखाना चलाए। इससे आपकी जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा? अपनी राय पूरी कक्षा के सामने पढ़कर सुनायें।
उत्तर:
(प्रदूषण फैलाने वाली रासायनिक फैक्ट्री को वर्तमान जगह से 100 किलोमीटर दूर किसी दूसरे स्थान पर ले जाने के आदेश से फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों की रोजीरोटी भी खतरे में पड़ सकती है। इसलिए सरकार को चाहिए कि ऐसे पर्यावरण की सुरक्षा सम्बन्धी आदेशों को देने के साथ ही मजदूरों की सुरक्षा के बारे में भी ध्यान दें।) इस संदर्भ में आप अपनी राय बना सकते हैं। अपनी राय को कक्षा के सामने पढ़कर सुनाएं।
प्रश्न 7.
इस इकाई में आपने सरकार की विभिन्न भमिकाओं के बारे में पढ़ा है। इनके बारे में एक अनुच्छेद लिखें।
उत्तर:
बाजार में हर जगह लोगों के शोषण की संभावना रहती है, चाहे वे मजदूर हों, उपभोक्ता हों या उत्पादक। लोगों को इस तरह के शोषण से बचाने के लिए सरकार कुछ कानून बनाती है। इन कानूनों के जरिये इस बात की कोशिश की जाती है कि बाजार में अनुचित तौर-तरीकों पर अंकुश लगाया जाये। कानून बना देने के बाद सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होता है कि कानूनों को लागू किया जाये ताकि ताकतवर लोगों से कमजोरों की रक्षा की जा सके। कानून के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सरकार कार्यस्थलों का नियमित रूप से निरीक्षण करती है और अगर कोई कानून का उल्लंघन करता है तो उसको सजा देती है। इन कानूनों को बनाने, लागू करने और कायम रखने के लिए सरकार व्यक्तियों या निजी कंपनियों की गतिविधियों को नियंत्रित कर सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करती है। इस प्रकार सरकार को न केवल सही कानून बनाने चाहिए बल्कि उनको सही ढंग से लागू भी करना चाहिए। अगर कानून कमजोर हों और उनको सही ढंग से लागू न किया जाये तो उनसे भारी नुकसान हो सकता है। भोपाल गैस त्रासदी इस बात का सबूत है।
प्रश्न 8.
आपके इलाके में पर्यावरण को दूषित करने वाले स्रोत कौनसे हैं?
(क) हवा
(ख) पानी और
(ग) मिट्टी में प्रदूषण के सम्बन्ध में चर्चा करें। प्रदूषण को रोकने के लिए किस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं? क्या आप कोई और उपाय सुझा सकते हैं?
उत्तर:
हमारे इलाके में पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले अनेक स्रोत हैं-
(क) हवा (वायु) प्रदूषण-औद्योगिक कारखाने, ईंट भट्टे, यातायात के वाहन आदि।
(ख) पानी (जल) प्रदूषण-कारखानों से निकलने वाला दूषित पानी, गंदे नालों का पानी, सीवर का पानी, कपड़ों की रंगाई से निकला केमिकलयुक्त पानी, चमडे की रंगाई का दूषित पानी आदि।
(ग) मिट्टी में प्रदूषण-कीटनाशक तथा रासायनिक खादों का बढ़ता प्रयोग, ठोस कचरा, कारखानों का दूषित जल, मृदा अपरदन, रसायन युक्त पानी का भूमि में रिसना आदि। प्रदूषण को रोकने के लिए निम्न कदम उठाये गये हैं-
(1) पर्यावरणवादी कार्यकर्ताओं तथा अन्य लोगों के इस दबाव से निपटने के लिए भोपाल गैस त्रासदी के बाद भारत सरकार ने पर्यावरण के बारे में नए कानून बनाए। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रदूषण फैलाने वालों को ही जिम्मेदार माना जाने लगा।
(2) अदालतों ने स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार को जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा बताते हुए अपने फैसलों में कहा कि जीवन का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है और इसमें प्रदूषण-मुक्त हवा और पानी का अधिकार भी शामिल है।
(3) सर्वोच्च न्यायालय ने अपने कई फैसलों में यह आदेश भी दिया कि दिल्ली में डीजल से चलने वाले सभी सार्वजनिक वाहन सी. एन. जी. ईंधन का इस्तेमाल करें। इन प्रयासों से दिल्ली जैसे शहरों के वायु प्रदूषण में काफी गिरावट आई है। प्रदूषण रोकने के लिए एक सुझाव यह दिया जा सकता है कि हम कारखानों में ज्यादा स्वच्छ तकनीकों और प्रक्रियाओं को अपनाने पर जोर दें तथा प्रदूषण फैलाने वालों पर जुर्माना लगायें। रासायनिक खाद का कम प्रयोग करना चाहिए। हमें अधिकाधिक वृक्षारोपण करना चाहिये।
प्रश्न 9.
पहले पर्यावरण को किस तरह देखा जाता था? क्या अब सोच में कोई बदलाव आया है? चर्चा करें।
उत्तर:
पहले पर्यावरण को एक मुफ्त चीज माना जाता था। किसी भी उद्योग को हवा-पानी में प्रदूषण छोड़ने की खुली छूट मिली हुई थी। चाहे नदियाँ हों, हवा हो या भूमिगत पानी हो-पर्यावरण दूषित हो रहा था और लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा था। ढीले सुरक्षा मानकों से न केवल यूनियन कार्बाइड को फायदा मिला, बल्कि उसे प्रदूषण से निपटने के लिए पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ा। भोपाल त्रासदी ने पर्यावरण के मुद्दों को अगली कतार में ला दिया। पर्यावरणवादियों के दबाव से निपटने के लिए अब भारत सरकार ने पर्यावरण के बारे में नये कानून बनाए हैं जिनमें पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रदूषण फैलाने वालों को ही जिम्मेदार ठहराया गया है। इसके पीछे यह दृष्टिकोण है कि हमारे पर्यावरण पर अगली पीढ़ियों का भी हक बनता है और उसे केवल औद्योगिक विकास के लिए नष्ट नहीं किया जा सकता। अदालतों ने भी अपने निर्णयों में यह कहा है कि सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह प्रदूषण पर अंकुश लगाने, नदियों को साफ रखने और जो दोषी हैं उन पर भारी जुर्माना लगाने के लिए कानून और प्रक्रियायें तय करे।
प्रश्न 10.
प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट आर. के. लक्ष्मण पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 131 पर दिये कार्टून के जरिए क्या कहना चाह रहे हैं? इसका 2016 में बनाए गए उस कानून से क्या संबंध है जिसको पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 123 पर आपने पढ़ा था?
उत्तर:
इस कार्टून में अपने बेटे की मदद के लिए एक लड़के को नौकरी पर रख लिया दिखाया गया है। यह 2016 के उस कानून का उल्लंघन है जिसमें 14 साल से कम उम्र के बच्चों को सभी व्यवसायों में तथा किशोरों (14-18 वर्ष) के जोखिमवादी व्यवसायों तथा प्रक्रियाओं में नियोजन करने पर प्रतिबन्ध है। ऐसा करना अब एक संज्ञेय अपराध बना दिया गया है।
इस कार्टून के जरिए कार्टूनिस्ट इस बात पर व्यंग्य कर रहे हैं कि महिला एक तरफ बच्चों पर बोझ को बुरा बतला रही है तथा दूसरी तरफ अपने बच्चे के लिए दूसरे बालक पर बोझ डाल रही है। यह कार्टून 2016 के कानून का भी मखौल उड़ाता नजर आ रहा है।