Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 7 क्या निराश हुआ जाए Textbook Exercise Questions and Answers.
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आपके विचार से -
Kya Nirash Hua Jaye Extra Question Answer प्रश्न 1.
लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं है। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है? उत्तर :
लेखक को लोगों ने धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं है। मेरे विचार से इसका कारण यह रहा कि लेखक केवल उन्हीं बातों का हिसाब नहीं रखता जिनमें उसने धोखा खाया है। लेखक को अपने जीवन में घटित वे घटनाएँ भी याद हैं, जब लोगों ने अकारण ही उसकी सहायता की है और उसके निराश मन को सांत्वना दी है। टिकट बाबू द्वारा बचे हुए पैसे लेखक को लौटाना, बस| कंडक्टर द्वारा दूसरी बस व बच्चों के लिए दूध लाना आदि ऐसी ही घटनाएँ हैं। इसलिए उसे विश्वास है और वह आशावादी है कि अभी भी समाज में मानवता, प्रेम, आपसी सहयोग समाप्त नहीं हुआ है।
क्या निराश हुआ जाए Extra Question Answer प्रश्न 2.
समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और टेलीविजन पर आपने ऐसी अनेक घटनाएँ देखी-सुनी होंगी जिनमें लोगों ने बिना किसी लालच के दूसरों की सहायता की हो या ईमानदारी से काम किया हो। ऐसे समाचार तथा लेख एकत्रित करें और कम-से-कम दो घटनाओं पर अपनी टिप्पणी लिखें।
उत्तर :
1. दैनिक नवज्योति (समाचार) दूसरों की भलाई-आज के समय में अपने लिए तो सभी जीते हैं, लेकिन दूसरों के लिए कुछ करना वह भी जोश व संघर्ष के साथ एक अलग व्यक्तित्व की पहचान कराता है। महात्मा गाँधी से प्रभावित डॉ. एन. लैंग दक्षिण अफ्रीका ही नहीं, पूरे विश्व की महिलाओं के लिए आदर्श हैं। रंग-भेद से त्रस्त यूरोप में एक श्वेत महिला द्वारा अश्वेत के जीवन को सही राह दिखाना, अन्धेरे में दीपक जलाने के समान है। अपने चमकते भविष्य को दरकिनार कर डॉ. एन. लैंग जिस तरह हर बच्चे के भविष्य के लिए संघर्ष कर रही हैं, वह लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
दु:खद यह है कि दक्षिण अफ्रीका की सरकार ही डॉ. एन. लैंग के काम में बाधा डाल रही है। दक्षिण अफ्रीका की सरकार और विश्व के अन्य देशों को भी डॉ. लैंग की सहायता करनी चाहिए और अपने देश में भी ऐसे अनाथ बच्चों के सहायतार्थ योजना बनानी चाहिए, जिन्हें वास्तव में मदद की जरूरत है और वे इस मदद के बगैर आगे बढ़ नहीं पा रहे हैं। टिप्पणी-इस समाचार को पढ़कर हम यह कह सकते हैं कि समाज में रहकर हमें केवल अपने बारे में ही नहीं सोचना चाहिए, बल्कि बेसहारा वर्ग का भी सहारा बनना चाहिए।
जैसे महात्मा गाँधी से प्रभावित डॉ. एन. लैंग पीड़ित महिलाओं व बेसहारा बच्चों के सहायतार्थ कार्यों के लिए अग्रसर हैं। हमारा भी यह दायित्व बनता है कि जो लोग ऐसे कार्यों को करने में रुचि लेते हैं, उनकी सहायता भी की जानी चाहिए ताकि वे अपने उद्देश्य में सफल हो सकें और समाज लाभान्वित हो सके।
2. दैनिक भास्कर (समाचार) स्वरोजगार भवन-समाज में लाचार व विकलांगों की सहायता हेतु मध्यप्रदेश के मुख्यमन्त्री ने 'स्वरोजगार भवनों' के निर्माण पर विचार किया है जिसमें जरूरतमंद लोग अपनी शारीरिक योग्यता के अनुसार कार्य करके धन कमा सकेंगे। टिप्पणी-हमारी दुष्टि में ऐसे कार्यों से ही समाज आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा। वर्ग-भेद और ऊँच-नीच की भावना समाप्त होगी, क्योंकि जब किसी स्थान पर लोग मिलकर कार्य करते हैं तो एकता की भावना को बल मिलता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
Kya Nirash Hua Jaye Class 8 Extra Question Answer प्रश्न 3.
लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे टिकट बाबू और बस कण्डक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई है। आप भी अपने या अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताइए जिसमें किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई, ईमानदारी और अच्छाई के कार्य किए हों।
उत्तर :
मेरे जीवन में अभी तक घटी घटना यह है जो सत्यता पर आधारित है। हुआ यह कि मेरे पड़ोसी का पुत्र कैंसर रोग से पीड़ित होने के कारण अस्पताल में भर्ती था। मेरे पड़ोसी ने पूरी हिम्मत के साथ अपने पुत्र का इलाज कराया और उसके पास जो कुछ भी था, पुत्र के इलाज में लगा दिया। यहाँ तक कि पुत्र की सेवा-सुश्रूषा में उसकी प्राइवेट नौकरी भी छूट गयी। घर-खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया। आगे इलाज के लिए उसके पास पैसे नहीं रहे। उसकी निराशामय असहनीय स्थिति को देखकर मैंने अपने एक मित्र जो दिल्ली में रहते हैं, वे एक बड़े व्यापारी हैं और लोकहित हेतु कई सामाजिक संगठन चला रहे हैं, से बात की।
वे मेरी बात सुनकर बहुत उदार हुए और दूसरे दिन ही अपने वाहन से मेरे पास आ गये। मेरे पड़ोसी के पुत्र का इलाज कराने के लिए दिल्ली अपने साथ ले गये और उसे अपने खर्चे पर अस्पताल में दाखिल कराया। उसका पूरा खर्चा उन्होंने तीन माह तक बिना किसी स्वार्थ के उठाया। वह ठीक हो गया और वे उसे घर छोड़ गये। उन्होंने यह सब कार्य भलाई और अच्छाई के लिए किया। ऐसे परोपकारी मित्र के बारे में मैं सोचता हूँ तो मेरा मन उनके लिए कृतज्ञ हो उठता है।
पर्दाफाश -
Class 8 Hindi Kya Nirash Hua Jaye Extra Question Answer प्रश्न 1.
दोषों का पर्दाफाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?
उत्तर :
दोषों का पर्दाफाश करना तब बुरा रूप ले सकता है जब सम्बन्धित व्यक्ति के दोषों को उभारा जाए और वह इसे अपनी बदनामी समझकर विरोध करने की दृष्टि से उग्र रूप ले ले।
Class 8 Hindi Chapter 7 Question Answer प्रश्न 2.
आजकल के बहुत से समाचार-पत्र या समाचार चैनल 'दोषों का पर्दाफाश' कर रहे हैं। इस प्रकार के समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए।
उत्तर :
आजकल बहुत से समाचार-पत्र या समाचार चैनल 'दोषों का पर्दाफाश' कर रहे हैं। इस प्रकार के समाचारों की सार्थकता तो है लेकिन इनके पीछे समाचार सम्पादक या चैनल का उद्देश्य नेक हो। इससे सम्बन्धित समाचार-पत्र या समाचार चैनल की निश्चित ही लोकप्रियता बढ़ती है, बशर्ते उसकी नियत किसी को बदनाम न करने और धन कमाने की नहीं होनी चाहिए। नेक उद्देश्य से इस प्रकार के समाचारों का प्रकाशन जन-हित में है। ऐसे समाचारों से लोग सीखते हैं और दुनिया के कार्य-व्यवहार से भी परिचित होते हैं।
कारण बताइए -
निम्नलिखित के सम्भावित परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं? आपस में चर्चा कीजिए। जैसे-"ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है।" परिणाम-भ्रष्टाचार बढ़ेगा।
Kya Nirash Hua Jaye Question Answer प्रश्न 1.
"सच्चाई केवल भीरू और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।"
उत्तर :
परिणाम तानाशाही बढ़ेगी और लोगों के मन में सच्चाई के प्रति आस्था नहीं रह जायेगी।
क्या निराश हुआ जाए Question Answer प्रश्न 2.
"झूठ और फ़रेब का रोजगार करने वाले फलफूल रहे हैं।"
उत्तर :
परिणाम - लोगों में भ्रष्टाचार बढ़ेगा और ईमानदारी समाप्त हो जायेगी।
Kya Nirash Hua Jaye Extra Questions प्रश्न 3.
"हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।"
उत्तर :
परिणाम लोगों में अविश्वास बढ़ेगा।
दो लेखक और बस यात्रा -
प्रश्न :
आपने इस लेख में एक बस की यात्रा के बारे में पढ़ा। इससे पहले भी आप एक बस यात्रा के बारे में पढ़ चुके हैं। यदि दोनों बस यात्राओं के लेखक आपस में मिलते तो एक-दूसरे को कौन-कौनसी बातें बताते? अपनी कल्पना से उनकी बातचीत लिखिए।
उत्तर :
दोनों बस यात्राओं के लेखक इस प्रकार बातचीत करतेहरिशंकर-भाई हजारीप्रसाद, आपने कभी ऐसी बस-यात्रा की, जिसमें कष्ट झेलने पड़े हों? हजारीप्रसाद-नहीं, हम तो कल ही बस-यात्रा से आये। बस बीच रास्ते में भले ही खराब हो गई, परन्तु कंडक्टर ने हमारी सहायता की और दूसरी बस लाकर हमें गन्तव्य तक पहुंचाया। हरिशंकर-हमारे साथ तो बुरा हुआ! वह ऐसी खटारा बस थी, जिसमें छः घण्टे का सफर बड़ी कठिनाई से पूरा हुआ। हमारी बस सारे रास्ते खराब होकर रुकती रही, जिससे सारा शरीर टूट रहा है। हजारीप्रसाद-हमारे साथ तो ईमानदारी और इन्सानियत का आचरण किया गया। हमारी बस-यात्रा ठीक रही।
सार्थक शीर्षक -
क्या निराश हुआ जाए Extra Questions प्रश्न 1.
लेखक ने लेख का शीर्षक 'क्या निराश हुआ जाए' क्यों रखा होगा? क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?
उत्तर :
लेखक ने इस लेख का शीर्षक 'क्या निराश हुआ जाए' समाज में बढ़ रहे अराजकता के तत्त्वों के आधार पर रखा होगा, लेकिन उसने यह भी अनुभव किया होगा कि इस बढ़ती अराजकता के बीच मानवीय भाव भी जीवित हैं। जिनके सहारे हमारे देश की मानवता कभी मिट नहीं सकती। इसलिए निराश होने की आवश्यकता नहीं है। इसका अन्य शीर्षक 'आशावादी बनो' या 'फिर सुबह होगी' आदि रखा जा सकता है।
Class 8 Hindi Chapter 7 प्रश्न 2.
यदि 'क्या निराश हुआ जाए' के बाद कोई विराम-चिह्न लगाने के लिए कहा जाय, तो आप दिये गये चिह्नों में से कौनसा चिह्न लगाएँगे? अपने चुनाव का कारण भी बताइए। -, ।, !, ?, _, ...।
उत्तर :
'क्या निराश हुआ जाए' शीर्षक के बाद यदि कोई विराम-चिह्न लगाने को कहा जाए तो मैं दिये गये चिह्नों में से '?' (प्रश्न-चिह्न) लगाऊँगा। इसका कारण यह है कि इस शीर्षक से लेखक की जिज्ञासा भावना का पता चलता है; क्योंकि लेखक समाज में हो रहे गलत कार्यों को देखकर विचलित नहीं हो रहा है। ये तो सदा से ही समाज में व्याप्त रहे हैं। इस स्थिति को अनुभव कर वह आशावादी दृष्टि से प्रश्नवाचक शैली में पाठकों से जवाब की अपेक्षा करता है।
Kya Nirash Hua Jaye Class 8 Question Answer प्रश्न 3.
"आदर्शों की बात करना तो बहुत आसान है, पर उन पर चलना बहुत कठिन है।" क्या आप इस बात से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
"आदर्शों की बात करना तो बहुत आसान है, पर उन पर चलना बहुत कठिन है।" लेखक का यह कथन पूर्णतया सत्य है और हम पूरी तरह से सहमत हैं, क्योंकि हम आदर्शों की बात तो करते हैं जैसे सत्य बोलेंगे, दहेज नहीं लेंगे, लेकिन परिस्थिति और समय आने पर हम स्वार्थ में घिर कर इनका पालन नहीं कर पाते हैं।
सपनों का भारत -
"हमारे महान मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा।"
Extra Questions Of Kya Nirash Hua Jaye प्रश्न 1.
आपके विचार से हमारे महान विद्वानों ने किस तरह के भारत के सपने देखे थे? लिखिए।
उत्तर :
हमारे महान विद्वानों ने ऐसे भारत की कल्पना की थी जिसमें सभी एक-दूसरे से प्रेम व सहयोग की भावना से मिलकर रहें और इसकी महान संस्कृति का अनुकरण करें। वे चाहते थे कि आर्य और द्रविड़, हिन्दू और मुसलमान, यूरोप और भारतीय आदर्शों की मिलन भूमि भारत ही हो। उन्होंने इसे 'मानव महासमुद्र' के रूप में देखना चाहा।
क्या निराश हुआ जाए Question Answer Class 8 प्रश्न 2.
आपके सपनों का भारत कैसा होना चाहिए? लिखिए।
उत्तर :
हमारे सपनों का भारत विश्व के देशों में सबसे अग्रणी हो। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी का नामो-निशान न हो। सभी धर्म के लोग आपस में मिलकर रहें। साम्प्रदायिकता और गरीबी का नामो-निशान न रहे। हमारा देश सत्य और ईमानदारी के पथ पर चलकर शिक्षा, विज्ञान, स्वास्थ्य और व्यापार-उद्योगों के क्षेत्र में अधिक से अधिक उन्नति करे। हमारा देश प्रदूषण मुक्त और हरा-भरा बने। सभी सुखी, निरोगी और सौ वर्ष तक जिएँ।
भाषा की बात -
Kya Nirash Hua Jaye Class 8 प्रश्न 1.
दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है-द्वंद्व समास। इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दूसरे में द्वंद्व (स्पर्धा, होड़) की सम्भावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता। जैसे - चरम और परम = चरमपरम। भीरु और बेबस = भीरु-बेबस। दिन और रात में दिन-रात। 'और' के साथ आए शब्दों के जोड़े को 'और' हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एकसाथ भी लिखा जाता है। द्वन्द्व समास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर :
द्वन्द्व समास के बारह उदाहरण-
Class 8 Kya Nirash Hua Jaye Extra Questions प्रश्न 2.
पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर :
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा-भारतवर्ष, तिलक, गाँधी, रवीन्द्रनाथ टैगोर, मदनमोहन मालवीय आदि।
2. जातिवाचक संज्ञा-देश, आदमी, लोग, समाचारपत्र, द्रविड़, हिन्दू, मुसलमान, श्रमजीवी, रेलवे स्टेशन, परिवार, बच्चे, ड्राइवर, बस, कंडक्टर, डाकुओं, पण्डितजी, बस अड्डा आदि।
3. भाववाचक संज्ञा-गुण, दोष, झूठ, फरेब, लोभ, मोह, काम, क्रोध, प्रेम, चोरी, बुराई, अच्छाई, खराबी, मनुष्यता, दया, माया, भयभीत, व्याकुल, विश्वासघात, संयम आदि।
क्या निराश हुआ जाए पाठ योजना प्रश्न 1.
ईमानदारी को पर्याय समझा जाने लगा है -
(क) भीरुता का
(ख) बेबसी का
(ग) मूर्खता का
(घ) भोलेपन का।
उत्तर :
(ग) मूर्खता का
प्रश्न 2.
आजकल लोग उसमें दोष खोजने लगते हैं
(क) जो कुछ नहीं करता।
(ख) जो कुछ करता है।
(ग) जो भोले-भाले हैं।
(घ) जो निरीह हैं।
उत्तर :
(ख) जो कुछ करता है।
प्रश्न 3.
'फलना-फूलना' का अर्थ है
(क) आगे बढ़ना
(ख) खुश होना
(ग) उन्नति करना
(घ) मौज करना।
उत्तर :
(ग) उन्नति करना
प्रश्न 4.
भारतवर्ष ने कभी भी अधिक महत्त्व नहीं दिया
(क) भौतिक वस्तुओं के संग्रह को।
(ख) काम-क्रोध को
(ग) लोभ-मोह को
(घ) मान-सम्मान को।
उत्तर :
(क) भौतिक वस्तुओं के संग्रह को।
प्रश्न 5.
आज भी भारतीय समाज में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है
(क) ईमानदारी को
(ख) उच्च आदर्शों को
(ग) परोपकार को
(घ) धर्म को।
उत्तर :
(ख) उच्च आदर्शों को
प्रश्न 6.
'क्या निराश हुआ जाए' पाठ के लेखक हैं
(क) हरिशंकर परसाई
(ख) जयशंकर प्रसाद
(ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(घ) मैथिलीशरण गुप्त
उत्तर :
(ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी
प्रश्न 7.
आजकल समाचार-पत्रों में क्या छपते हैं?
(क) ठगी एवं डकैती
(ख) चोरी और तस्करी
(ग) भ्रष्टाचार
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 8.
प्रत्येक व्यक्ति को किस दृष्टि से देखा जाता है?
(क) घृणा की दृष्टि से
(ख) प्रेम की दृष्टि से
(ग) संदेह की दृष्टि से
(घ) मित्र की दृष्टि से
उत्तर :
(ग) संदेह की दृष्टि से
प्रश्न 9.
कौन कानून की त्रुटियों का लाभ उठाने से संकोच नहीं करते?
(क) अफसर
(ख) देशभक्त
(ग) धर्म भीरु
(घ) युद्धवीर
उत्तर :
(ग) धर्म भीरु
प्रश्न 10.
लेखक ने टिकट बाबू को कितने का नोट दिया?
(क) पचास
(ख) सौ
(ग) दस
(घ) बीस
उत्तर :
(ख) सौ
रिक्त स्थानों की पूर्ति -
प्रश्न 11.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिए गये सही शब्दों से कीजिए
उत्तर :
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 12.
आज हर व्यक्ति किस दृष्टि से देखा जा रहा है?
उत्तर :
आज हर व्यक्ति संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है।
प्रश्न 13.
आज के जमाने में कौन फल-फूल रहे हैं?
उत्तर :
आज के जमाने में झूठ और फरेब का रोजगार करने वाले फल-फूल रहे हैं।
प्रश्न 14.
भारतवर्ष कानून को सदा किस रूप में देखता आ रहा है?
उत्तर :
भारतवर्ष कानून को सदा धर्म के रूप में देखता आ रहा है।
प्रश्न 15.
टिकट बाबू ने कितने रुपये लेखक को वापिस किए थे?
उत्तर :
टिकट बाबू ने लेखक को नब्बे रुपये वापिस किए थे।
प्रश्न 16.
धर्मभीरू लोगों की क्या मनोवृत्ति बन गई है?
उत्तर :
धर्मभीरु लोगों की मनोवृत्ति कानून की त्रुटियों का लाभ उठाने की बन गई है।
प्रश्न 17.
लेखक के अनुसार भारतवर्ष की क्या विशेषता रही है?
उत्तर :
भारतवर्ष की नैतिक मूल्यों को महत्त्व देने की विशेषता रही है।
प्रश्न 18.
बस-यात्री किस पर शक करने लगे थे और क्यों ?
उत्तर :
बस यात्री ड्राइवर पर शक करने लगे थे।
प्रश्न 19.
कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने भगवान से क्या प्रार्थना की थी?
उत्तर :
"हे प्रभो! मुझे ऐसी शक्ति दो कि मैं तुम्हारे ऊपर सन्देह न करूं।"
प्रश्न 20.
'मेरा मन कभी-कभी बैठ जाता है' लेखक ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर :
आये दिन समाचार-पत्रों में चोरी, डकैती, तस्करी व भ्रष्टाचार की खबरें पढ़कर मन बैठ जाता है।
प्रश्न 21.
किन व्यक्तियों में अधिक दोष दिखाए जाते हैं?
उत्तर :
जो जितने ऊँचे पद पर हैं उनमें दोष दिखाए जाते हैं।
प्रश्न 22.
लेखक के अनुसार चिन्ता का विषय क्या है?
उत्तर :
हर आदमी का दोषी दिखना चिन्ता का विषय है
प्रश्न 23.
ईमानदारी को लोग किसका पर्याय मानने लगे
उत्तर :
ईमानदारी को लोग मूर्खता का पर्याय मानने लगे हैं।
लघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 24.
नियमों को क्रियान्वित करने वालों का मन पवित्र क्यों नहीं होता?
उत्तर :
क्योंकि उनके मन में स्वार्थ भावना रहती है। वह धन जो लोगों को सुविधाएँ देने हेतु खर्च किया जाना चाहिए, उसे वे स्वयं हड़पना चाहते हैं।
प्रश्न 25.
लेखक ने किसे बुरी बात कहा है और क्यों?
उत्तर :
लेखक ने किसी व्यक्ति के आचरण में कमियाँ देखकर उसका उपहास करने और उससे आनन्द लेने की बात को बुरा कहा है।
प्रश्न 26.
आजकल जीवन के महान मूल्यों के प्रति लोगों की आस्था क्यों हिलने लगी है?
उत्तर :
क्योंकि छली-कपटी व्यक्ति ईमानदारी की परवाह न करके फल-फूल रहे हैं। ऐसे माहौल में जीवन के महान मूल्यों के प्रति लोगों की आस्था हिलने लगी है।
प्रश्न 27.
बुरा आचरण लेखक ने किसे और क्यों कहा है?
उत्तर :
लेखक ने लोभ-मोह, काम-क्रोध आदि की भावना से जीवन-यापन करना बुरा आचरण कहा है, क्योंकि इनसे मनुष्य केवल स्वार्थ की भावनाएँ ही सीखता है।
प्रश्न 28.
लोक-चित में अच्छाई के प्रति अच्छी भावना कैसे जागृत की जा सकती है?
उत्तर :
स्वार्थ की बुरी आदत को त्याग कर दूसरों का हित करके, मुसीबत में किसी के काम आकर अच्छी भावनाएँ जागृत की जा सकती है।
निबन्धात्मक प्रश्न -
प्रश्न 29.
लेखक चकित क्यों रह गया?
उत्तर :
लेखक ने गलती से सौ का नोट टिकट बाबू को दिया था और उसे ध्यान भी नहीं था कि नब्बे रुपये वापस लेने हैं लेकिन जब अचानक टिकट बाबू ने उन्हें पैसे लौटाए तब वह चकित रह गया। उसके मन में यह विचार आया कि अभी भी समाज में ईमानदारी विद्यमान है।
गद्यांश पर आधारित प्रश्न -
प्रश्न 30.
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए -
1. एक बहुत बड़े आदमी ने मुझसे एक बार कहा था कि इस समय सुखी वही है जो कुछ नहीं करता। जो कुछ भी करेगा उसमें लोग दोष खोजने लगेंगे। उसके सारे गुण भुला दिए जाएंगे और दोषों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाने लगेगा। दोष किसमें नहीं होते? यही कारण है कि हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम या बिलकुल ही नहीं। स्थिति अगर ऐसी है तो निश्चय ही चिंता का विषय है।
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ से उद्धृत है?
(ख) इस समय सुखी कौन है और क्यों?
(ग) कुछ करने वाले लोग दोषी क्यों माने जाते हैं?
(घ) आज चिन्ता का विषय क्या बन गया है?
उत्तर :
(क) पाठ-क्या निराश हुआ जाए।
(ख) इस समय कुछ न करने वाला सुखी है, क्योंकि न वह व्यक्ति कोई काम करेगा और न उसमें कोई दोष दिखाई देगा।
(ग) जो काम करता है उसमें लोग दोष खोजते हैं और उसके दोषों का इतना प्रचार करते हैं कि उसके सारे गुण दब जाते हैं।
(घ) आज लोग दूसरों में दोष ज्यादा खोजते हैं और उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं। इससे वे लोग गुणी कम तथा दोषी अधिक नज़र आते हैं। ऐसा आचरण चिन्ता का विषय है।
2. मेरा मन कहता है ऐसा नहीं हो सकता। हमारे महान मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा। यह सही है कि इन दिनों कुछ ऐसा माहौल बना है कि ईमानदारी से मेहनत करके जीविका चलाने वाले निरीह और भोले-भाले श्रमजीवी पिस रहे हैं और झूठ तथा फरेब का रोजगार करने वाले फल-फूल रहे हैं। ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है, सचाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है। ऐसी स्थिति में जीवन के महान मूल्यों के बारे में लोगों की आस्था ही हिलने लगी है।
प्रश्न
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) हमारे महान मनीषियों का भारत कैसा है?
(ग) आजकल सामाजिक माहौल कैसा बन रहा है?
(घ) किस स्थिति में जीवन के महान मूल्यों की आस्था हिलने लगी है?
उत्तर :
(क) शीर्षक-संस्कृति-सभ्य भारत।
(ख) हमारे महान् मनीषियों का भारत संस्कृति-सभ्य, आदर्श मूल्यों पर प्रतिष्ठित तथा मानवतावादी है।
(ग) आजकल ऐसा सामाजिक माहौल है कि ईमानदारी और मेहनत से जीविका चलाने वाले दुःखी हैं, जबकि बेईमानी करने वाले सुखी हैं।
(घ) बेईमानी, निराशा, लाचारी तथा मूल्यहीनता की स्थिति में हमारे महान् मूल्यों की आस्था हिलने लगी है।
3. भारतवर्ष ने कभी भी भौतिक वस्तुओं के संग्रह को बहुत अधिक महत्त्व नहीं दिया है, उसकी दृष्टि से मनुष्य के भीतर जो महान आन्तरिक गुण स्थिर भाव से बैठा हुआ है, वही चरम और परम है। लोभ-मोह, काम-क्रोध आदि विचार मनुष्य में स्वाभाविक रूप से विद्यमान रहते हैं, पर उन्हें प्रधान शक्ति मान लेना और अपने मन तथा बुद्धि को उन्हीं के इशारे पर छोड़ देना बहुत बुरा आचरण है। भारतवर्ष ने कभी भी उन्हें उचित नहीं माना, उन्हें सदा संयम के बन्धन से बाँधकर रखने का प्रयत्न किया है।
प्रश्न
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) भारतवर्ष में किन चीजों को अधिक महत्त्व दिया गया है?
(ग) लेखक की दृष्टि में बुरा आचरण कौनसा है?
(घ) भारतीयों ने किन्हें सदा संयम के बन्धन में बाँधने का प्रयास किया है?
उत्तर :
(क) शीर्षक-अपरिग्रह एवं संयमशीलता।
(ख) भारतवर्ष में अन्तर्मन की पवित्रता, संयम, अध्यात्मचिन्तन, सदाचरण आदि को अधिक महत्त्व दिया जाता है।
(ग) लेखक की दृष्टि में लोभ, मोह, काम, क्रोध आदि की भावना से ग्रस्त होकर जीवन-यापन करना बुरा आचरण है।
(घ) भारतीयों ने लोभ-मोह, काम-क्रोध आदि बुरी प्रवृत्तियों को सदा संयम के बन्धन में बाँधने का प्रयास किया है।
4. इस देश के कोटि-कोटि दरिद्र जनों की हीन अवस्था को दूर करने के लिए ऐसे अनेक कानून-कायदे बनाए गये हैं जो कृषि, उद्योग, वाणिज्य, शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति को अधिक उन्नत और सुचारु बनाने के लक्ष्य से प्रेरित हैं। परन्तु जिन लोगों को इन कार्यों में लगना है, उनका मन सब समय पवित्र नहीं होता। प्रायः वे ही लक्ष्य को भूल जाते हैं और अपनी ही सुख-सुविधा की ओर ज्यादा ध्यान देने लगते हैं।
प्रश्न
(क) उपर्युक्त गद्यांश जिस पाठ से लिया गया है, उसका नाम लिखिए।
(ख) देश में कायदे-कानून किसके लिए और क्यों बनाये गये हैं?
(ग) दरिद्रजनों के लिए बनाये गये कायदे-कानून का क्या उद्देश्य है?
(घ) किनका मन सब समय पवित्र नहीं होता है?
उत्तर :
(क) पाठ का नाम-'क्या निराश हुआ जाए'।
(ख) देश में कायदे-कानून करोड़ों दद्धि जनों की हीनावस्था को दूर करने के लिए बनाये गये हैं।
(ग) दरिद्रजनों के लिए बनाये गये कायदे-कानून का उद्देश्य उन्हें सुख-सुविधाएँ प्रदान करना तथा उनके जीवन-स्तर को उन्नत करना है।
(घ) जिनके मन में स्वार्थ भावना समायी रहती है, जो दरिद्रजनों के जीवन को सुखमय व उन्नत बनाने हेतु स्वीकृत धन को अपनी जेब में दबाते हैं और अपनी ही सुखसुविधा पर ध्यान देते हैं, उनके मन सब समय पवित्र नहीं होते हैं।
5. अब भी सेवा, ईमानदारी, सच्चाई और आध्यात्मिकता के मूल्य बने हुए हैं। वे दब अवश्य गए हैं लेकिन नष्ट नहीं हुए हैं। आज भी वह मनुष्य से प्रेम करता है, महिलाओं का सम्मान करता है,झूठ और चोरी को गलत समझता है, दूसरे को पीड़ा पहुँचाने को पाप समझता है। हर आदमी अपने व्यक्तिगत जीवन में इस बात का अनुभव करता है। समाचार-पत्रों में जो भ्रष्टाचार के प्रति इतना आक्रोश है, वह यही साबित करता है कि हम ऐसी चीजों को गलत समझते हैं और समाज में उन तत्त्वों की प्रतिष्ठा कम करना चाहते हैं जो गलत तरीके से धन या मानसंग्रह करते हैं।
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) भारतीय समाज में अब भी कौनसे मूल्य मौजूद हैं?
(ग) भारत का हरं सभ्य व्यक्ति क्या अनुभव करता है?
(घ) समाचार-पत्रों में किस बात को लेकर आक्रोश रहता
उत्तर :
(क) शीर्षक-भारत में मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा।
(ख) भारतीय समाज में अब भी सेवाभाव, ईमानदारी, सच्चाई तथा आध्यात्मिकता के मूल्य मौजूद हैं।
(ग) भारत का हर व्यक्ति जीवन में अच्छे कामों के महत्त्व का अनुभव करता है।
(घ) समाचार-पत्रों में समाज में बढ़ रहे भ्रष्टाचार को लेकर आक्रोश रहता है।
6. मैं भी बहुत भयभीत था पर ड्राइवर को किसी तरह मारपीट से बचाया। डेढ़-दो घंटे बीत गए। मेरे बच्चे भोजन और पानी के लिए व्याकुल थे। मेरी और पत्नी की हालत बुरी थी। लोगों ने ड्राइवर को मारा तो नहीं पर उसे बस से उतारकर एक जगह घेरकर रखा। कोई भी दुर्घटना होती है तो पहले ड्राइवर को समाप्त कर देना उन्हें उचित जान पड़ा। मेरे गिड़गिड़ाने का कोई विशेष असर नहीं पड़ा। इसी समय क्या देखता हूँ कि एक खाली बस चली आ रही है और उस पर हमारा बस कंडक्टर भी.बैठा हुआ है।
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) लेखक किस कारण बहुत भयभीत था?
(ग) लोगों ने ड्राइवर को एक जगह पर क्यों घेर रखा था?
(घ) लेखक के गिड़गिड़ाने से उसके किस स्वभाव का प्रकाशन हुआ है?
उत्तर :
(क) शीर्षक-दुर्भावना रखना अनुचित या दुर्भावना से मुक्ति।
(ख) यदि डाकू आ गए तो अन्य यात्रियों के साथ ही उसके साथ भी लूटमार की जायेगी, इस बात से लेखक बहुत भयभीत था।
(ग) लोगों ने सोचा कि यदि कंडक्टर डाकुओं को साथ लेकर आता दिखे, तो सबसे पहले ड्राइवर को ही मार दिया जावे, इसी आशय से उसे एक जगह पर घेर रखा था।
(घ) लेखक ड्राइवर को न मारने के लिए लोगों के समक्ष गिड़गिड़ाया, इससे उसके दयालु तथा मानवतावादी स्वभाव का प्रकाशन हुआ है।
7. ठगा भी गया हूँ, धोखा भी खाया है, परन्तु बहुत कम स्थलों पर विश्वासघात नाम की चीज मिलती है। केवल उन्हीं बातों का हिसाब रखो, जिनमें धोखा खाया है तो जीवन कष्टकर हो जायेगा, परन्तु ऐसी घटनाएँ भी बहुत कम नहीं हैं जब लोगों ने अकारण सहायता की है, निराश मन को ढांढ़स दिया है और हिम्मत बधाई है। कविवर रवीन्द्रनाथ ने अपने प्रार्थना-गीत में भगवान से प्रार्थना की थी कि संसार में केवल नकसान ही उठाना पड़े, धोखा ही खाना पड़े तो ऐसे अवसरों पर भी हे प्रभो! मुझे ऐसी शक्ति दो कि मैं तुम्हारे ऊपर सन्देह न करूँ।
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) किन बातों को याद रखने से जीवन कष्टमय बनता
(ग) कविवर रवीन्द्रनाथ ने क्या प्रार्थना की थी?
(घ) निराश मन को ढांढ़स बढ़ाने से क्या अनुभव होता है?
उत्तर :
(क) शीर्षक-निराशा एवं सन्देह से मुक्ति।
(ख) जीवन में केवल धोखा खाने, निराश होने या हानि मिलने की बातों को याद रखने से जीवन कष्टमय बन जाता
(ग) कविवर रवीन्द्रनाथ ने यह प्रार्थना की कि ईश्वर धोखा खाने पर भी सन्देह न करने की शक्ति प्रदान करे।
(घ) निराश मन को जब ढाँढ़स बंधाया जावे, हिम्मत बढ़ायी जावे, तो उससे मन में आशा एवं उत्साह का अनुभव होता है, जीवन जीना सहज लगता है।
पाठ का सार - लेखक ने बताया है कि संसार में अच्छे और बुरे सभी काम देखने को मिल रहे हैं, परन्तु हमें अच्छे काम करने वालों की ओर देखकर आशावादी होना चाहिए।
कठिन-शब्दार्थ :