Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 2 लाख की चूड़ियाँ Textbook Exercise Questions and Answers.
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कहानी से -
प्रश्न 1.
बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को 'बदलू मामा' न कहकर 'बदलू काका' क्यों कहता था?
उत्तर :
बचपन में लेखक गर्मियों की छुट्टियों में अपने मामा के गाँव चाव से इसलिए जाता था कि एक ओर वहाँ जाकर उसका मन लग जाता था, वहीं दूसरी ओर उसी गाँव में रहने वाले बदलू मनिहार से लाख की बनी रंग-बिरंगी मनमोहक गोलियाँ मिल जाती थीं, जो उसे बहुत प्रिय थीं। बदलू लेखक को आदर-सत्कार के साथ स्वादिष्ट आम तथा दूध की मलाई खिलाता था। साथ ही एक-दो गोलियाँ बनाकर देता था। लेखक बदलू को 'बदलू मामा' न कहकर 'बदलू काका' इसलिए कहता था, क्योंकि गाँव के सारे बच्चे उसे 'बदलू काका' कहकर ही पुकारते थे।
प्रश्न 2.
वस्तु-विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?
उत्तर :
आवश्यकता के अनुसार एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति से वस्तु के लेन-देन की प्रक्रिया को वस्तु-विनिमय कहा जाता है। यह वस्तु लेन-देन प्रणाली हमारे देश में प्राचीन समय में प्रचलित थी। वर्तमान में विनिमय की प्रचलित पद्धति में बहुत अधिक बदलाव आ गया है। इस पद्धति को जारी रखने के लिए अनेक वस्तुओं का संग्रह करना जहाँ कठिन है, वहीं आवश्यकता के अनुरूप लेने वाले व्यक्ति को खोजना मुश्किल है। इसलिए वर्तमान में वस्तु-विनिमय पद्धति बनाए रखना संभव नहीं है। वर्तमान में विनिमय की प्रचलित पद्धति है, पैसा देकर वस्तु खरीदना।
प्रश्न 3.
'मशीनी यग ने कितने हाथ काट दिए हैं?' इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया है?
उत्तर :
आज मशीनों से प्रायः हर काम होने लगा है जिसके कारण कुटीर उद्योग-धन्धे मृतप्राय हो गये हैं। गाँव और शहरवासी जिन कुटीर उद्योग-धन्धों के संचालन के माध्यम से अपनी आजीविका चलाते थे, वे सभी उद्योग-धन्धे अब मशीनों से संचालित होने लगे हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि कुटीर उद्योग-धन्धों का संचालन करने वाले हाथ बेकार हो गये हैं। काम-धन्धे बन्द हो जाने के कारण उनके सामने रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं। वे सशक्त होकर भी अंशक्त बन गये हैं। अर्थात् 'बेकार की वस्तु' बन कर रह गये हैं। लेखक ने इसी व्यथा की ओर संकेत किया है।
प्रश्न 4.
बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी?
उत्तर :
बदलू एक कुशल मनिहार था। उसकी बनाई लाख की चूड़ियाँ गाँव में ही नहीं, आस-पास के गाँवों की भी प्राय: सभी औरतें खुश होकर पहनती थीं। समय परिवर्तन के कारण अब उसके गाँव की महिलाओं ने मशीन से बनने वाली काँच की चूड़ियों को पहनना शुरू कर दिया था, क्योंकि उनमें सुन्दरता और चमक-दमक अपेक्षाकृत अच्छी थी। परिणामस्वरूप उसकी बनी चूड़ियों की माँग कम हो गयी थी इसलिए उसका काम बन्द हो गया था। यह देखकर वह अपने आप में विवश होकर रह गया। उसकी यह मन की व्यथा लेखक से छिपी न रह सकी।
प्रश्न 5.
मशीनी युग से बदल के जीवन में क्या बदलाव आया?
उत्तर :
मशीनी युग से बदलू के जीवन में यह बदलाव आया कि उसके गाँव की महिलाओं ने अब काँच की चूड़ियाँ पहननी शुरू कर दी थी जिसके कारण उसके द्वारा बनाई जाने वाली लाख की चूड़ियों की पूछ न के बराबर रह गयी थी। परिणामस्वरूप उसका पैतृक धन्धा बन्द हो गया था और धन्धे से होने वाली आय समाप्त हो गयी थी। जिसके कारण वह लाचार, अशक्त और कुंठित हो गया था।
कहानी से आगे -
प्रश्न 1.
आपने मेले-बाज़ार आदि में हाथ से बनी चीजों को बिकते देखा होगा। आपके मन में किसी चीज को बनाने की कला सीखने की इच्छा हुई हो और आपने कोई कारीगरी सीखने का प्रयास किया हो तो उसके विषय में लिखिए।
उत्तर :
मैंने कई बार मेले-बाजार आदि में हाथ से बनी कई चीजों को बिकते हुए देखा है। जैसे - मिट्टी के खिलौने, हाथ के पंखे, बाँस की छड़ों से बनी टोकरियाँ, कागज की लुगदी से बनी कठपुतलियाँ, कागज और कपड़े की सहायता से बनी चिड़ियाँ आदि। इन सबको देखकर मेरे भी मन में आया कि मैं भी कुछ बनाना सीखू। हमारे घर के पास ही मिट्टी के खिलौने बनाने वाला रहता था। मैं मिट्टी के खिलौने बनाने की कला सीखने के लिए उसके पास जाने लगा। उसके द्वारा बनाए जाने वाले खिलौनों को मैंने बड़ी सावधानी से और पास से देखा।
देखकर समझ में आया कि मिट्टी के खिलौने बनाने के लिए चिकनी मिट्टी का प्रयोग किया जाता है। खिलौने बनाने वाला पहले मिटी को तोड़ता है फिर उसे गीला करता है। गीला करने के बाद उस मिटटी को आटे की तरह गूंथता है। जब मिट्टी खिलौना बनाने के लिए तैयार हो जाती है तब वह उस मिट्टी को बने साँचों में डाल देता है और उन्हें सूखने रख देता है। सूख जाने पर उन्हें साँचों से अलग कर लेता है। वांछित खिलौने के सूख जाने के बाद उसे अवे में पका लिया जाता है। इसके बाद उसे रंग कर मूल स्वरूप दे दिया जाता है। इस प्रकार मैंने मिट्टी के खिलौने बनाने की विधि सीखी।
प्रश्न 2.
लाख की वस्तुओं का निर्माण भारत के किन किन राज्यों में होता है? लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त क्या-क्या चीजें बनती हैं? ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
लाख की वस्तुओं का निर्माण भारत के विभिन्न राज्यों में जैसे कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, गुजरात, राजस्थान आदि राज्यों में प्रमुख रूप से होता है। लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त खिलौने, मूर्तियाँ, चपड़ी आदि बनाई जाती हैं।
अनुमान और कल्पना -
प्रश्न 1.
घर में मेहमान आने पर आप उसका अतिथिसत्कार कैसे करेंगे?
उत्तर :
घर में मेहमान आने पर सबसे पहले मैं उन्हें अभिवादन करूँगा। इसके बाद मैं उनका परिचय जानकर ड्राइंग रूम में बैठाऊँगा। उनसे बात-चीत करूँगा। उनके पूछे जाने पर पिताजी के घर पर होने न होने के बारे में बताऊंगा। इसके साथ ही उन्हें जल लाकर दूंगा। कुछ देर बैठने के बाद उनके लिए अल्पाहार लेकर आऊँगा। इसके बाद उनके आने के उद्देश्य के बारे में पूछंगा। यदि उनकी मुझसे मदद हो सकती है, तो मैं अवश्य करूँगा अन्यथा पिताजी के आने का इंतजार करने के लिए उनसे विनम्रतापूर्वक कहूँगा। यदि वे बैठना चाहेंगे तो ठीक है, नहीं तो उन्हें घर के दरवाजे तक छोड़कर उन्हें अभिवादन करके 'फिर पधारना' कहकर वापस आ जाऊँगा।
प्रश्न 2.
आपको छुट्टियों में किसके घर जाना सबसे अच्छा लगता है? वहाँ की दिनचर्या अलग कैसे होती है? लिखिए।
उत्तर :
छुट्टियों में मुझे अपने मामा के घर जाना सबसे अच्छा लगता है; क्योंकि मामा-मामी का सहज स्नेह जहाँ मुझे उस घर की ओर खींचने लगता है, वहीं उनके गाँव का वातावरण, हरे-भरे खेत, फसलें, फलों से लदे आम के पेड़, प्रातःकालीन वातावरण में कलरव करते हुए पक्षी, बहती हुई नदी, उसमें किल्लोल करते हुए पशु-पक्षी मेरे मन को सहज ही आकर्षित कर लेते हैं। वहाँ की दिनचर्या-मामा के घर पहुँचते ही मैं उनकी स्नेहिल दुनिया में डूब जाता हूँ।
देर रात तक मामा-मामी से बतियाना और सुबह जल्दी उठकर उनके बच्चों के साथ बागों में घूमने जाना, पेड़-पौधों को निहारना, प्रात:कालीन वातावरण का आनन्द लेना, आम तोड़कर खाना और खिलाना, कुछ समय तक खेलना फिर घर आकर आपस में बातें करते हुए नहानाधोना, जलपान करना, आवश्यकता आधार पर पास के बाजार से सामान लाना, खाना खाना आदि दोपहर पूर्व की दैनिक क्रियाएँ रहती।
दोपहरी में गर्मी के कारण घर में ही रहकर लूडू, शतरंज, ताश, चौपड़ आदि खेलना, गप्पें मारना, लस्सी, शरबत आदि पीना। शाम के समय खेतों की ओर जाना, खरबूजा, तरबूज, ककड़ी आदि तोड़कर खाना, बैलों, गाय, भैंसों को नदी के पास ले जाना, उन्हें पानी-पिलाना, नहलाना और शाम होते-होते घर आ जाना आदि दिनचर्या में शामिल रहते। इस प्रकार वहाँ की दिनचर्या पूरी तरह से अलग हो जाती है।
प्रश्न 3.
मशीनी युग में अनेक परिवर्तन आए दिन होते रहते हैं। आप अपने आस-पास से इस प्रकार के किसी परिवर्तन का उदाहरण चुनिए और उसके बारे में लिखिए।
उत्तर :
आज के इस मशीनी युग में हर छोटा-बड़ा काम मशीनों के माध्यम से होने लगा है। इसलिए इस युग में आए दिन अनेक क्षेत्रों में परिवर्तन होते रहते हैं। जीवन से - जुड़ा ऐसा कोई भी क्षेत्र शेष नहीं रहा जहाँ परिवर्तन नहीं देखा जा सकता। चाहे वह यातायात का क्षेत्र हो, संचार का क्षेत्र हो, स्वास्थ्य का क्षेत्र हो, कृषि का क्षेत्र हो। सभी में बढ़ते परिवर्तन का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
उदाहरण के लिए, कृषि क्षेत्र को ही लिया जाए तो जहाँ पहले किसान अपने हाथ और बैलों की सहायता से कृषि कार्य करता था, आज वही कृषि मशीनों की सहायता से की जाने लगी है। कृषि की जुताई, बुवाई, निराई, सिंचाई और कटाई मशीनों के द्वारा दिनों का काम घण्टों में पूरा कर लिया जाता है। इसका सुपरिणाम यह हो रहा है कि उत्पादन में वृद्धि हो रही है और कुपरिणाम की दृष्टि से किसान बेकार और मजदूर बेरोजगार हो गये हैं। वे अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए शहरों की ओर जाने लगे हैं। परिणामस्वरूप बेरोजगारी और बढ़ रही है।
प्रश्न 4.
बाजार में बिकने वाले सामानों की डिजाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है। आप इन परिवर्तनों को किस प्रकार देखते हैं? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
बाजार में बिकने वाले सामानों की डिजाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है। इन डिजाइनों में होने वाले परिवर्तनों को हम समाज की बदलती मनोदशा, रुचि और फैशन में आ रहे परिवर्तन के रूप में देखते हैं।
प्रश्न 5.
हमारे खान-पान, रहन-सहन और कपड़ों में भी बदलाव आ रहा है। इस बदलाव के पक्ष-विपक्ष में बातचीत कीजिए और बातचीत के आधार पर लेख तैयार कीजिए।
उत्तर :
यह सच है कि बढ़ते पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव के कारण हमारे खान-पान, रहन-सहन और कपड़ों में तेजी से बदलाव आ रहा है। इस बदलाव को जहाँ पुरानी पीढ़ी देर से स्वीकार करती है, वहीं नयी पीढ़ी इसे तुरन्त स्वीकार कर लेती है, क्योंकि पुरानी पीढ़ी के पहले ऐसा न देखने के कारण उसका विरोध करना स्वाभाविक होता है फिर वह जमाने को देख कर धीरे-धीरे अपने में भी बदलाव ला लेती है। इस प्रकार पक्ष-विपक्ष में चर्चा करके अपने विचारों के अनुसार स्वयं लेख तैयार करें।
भाषा की बात -
प्रश्न 1.
'बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो काँच की चूड़ियों से' और बदलू स्वयं कहता है-"जो सुन्दरता काँच की चूड़ियों में होती है लाख में कहाँ संभव है?" ये पंक्तियाँ बदलू की दो प्रकार की मनोदशाओं को सामने लाती हैं। दूसरी पंक्ति में उसके मन की पीड़ा है। उसमें व्यंग्य भी है। हार हुए मन से, या दुःखी मन से अथवा व्यंग्य में बोले गए वाक्यों के अर्थ सामान्य नहीं होते। कुछ व्यंग्य वाक्यों को ध्यानपूर्वक समझकर एकत्र कीजिए और उनके भीतरी अर्थ की व्याख्या करके लिखिए।
उत्तर :
व्यंग्य-वाक्य -
1. शहर की बात और है, लला! वहाँ तो सभी कुछ होता है।
अर्थ - शहर और गाँव की परम्परा तथा रीति-रिवाजों में बहुत अन्तर होता है। शहर की परम्परा और रीति-रिवाजों में जहाँ खुलापन होता है वहीं गाँव की परम्परा और रीतिरिवाज मर्यादित होते हैं। इसका प्रमुख कारण शिक्षा और पिछड़ेपन का होना होता है।
2. "लाख की चूड़ियाँ पहनें तो मोच न आ जाए।"
अर्थ - लाख की बनी चूड़ियाँ मजबूत, ठोस होती हैं। ये चूड़ियाँ हाथों में पहनने पर भारी प्रतीत होती हैं जबकि कांच की चूड़ियाँ अपेक्षाकृत हल्की होती हैं। शहर की महिलाओं की कलाइयाँ ग्रामीण महिलाओं की अपेक्षा नाजुक होती हैं। इसलिए वे लाख की चूड़ियों का भार नहीं सह सकतीं।
3. "मशीनी युग है न यह लला!" आजकल सब काम मशीनों से होता है।
अर्थ - आज मशीनों का जमाना है। इसलिए लोग सभी काम मशीनों से करना और करवाना पसन्द करते हैं और मशीनों से बनी चीजों को पहनने में ही शौक रखते हैं। इससे दूसरे कारीगर लोगों का जीवन कितना प्रभावित होता है, इसकी चिन्ता कोई भी नहीं करता।
4. "गाय कहाँ है, लला!" दो साल हुए बेच दी। कहाँ से खिलाता?
अर्थ - बदलते जमाने में काँच की चूड़ियों के सामने लाख की चूड़ियाँ खरीदना और पहनना अब कोई पसन्द नहीं करता। धन्धा बन्द हो जाने से खुद के खाने की समस्या हो गयी है। ऐसी स्थिति में गाय को कहाँ से और क्या खिलाता?
प्रश्न 2.
'बदलू' कहानी की दृष्टि से 'पात्र' है और भाषा की बात (व्याकरण) की दृष्टि से 'संज्ञा' है। किसी भी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, विचार अथवा भाव को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा को तीन भेदों में बाँटा गया है
(क) व्यक्तिवाचक संज्ञा, जैसे-लला, रज्जो, आम, काँच, गाय इत्यादि।
(ख) जातिवाचक संज्ञा, जैसे-चरित्र, स्वभाव, वजन, आकार आदि द्वारा जानी जाने वाली संज्ञा।
(ग) भाववाचक संज्ञा, जैसे-सुंदरता, नाजुक, प्रसन्नता इत्यादि जिसमें कोई त्यक्ति नहीं है और न आकार या वजन। परंतु उसका अनुभव होता है। पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाएँ चुनकर लिखिए।
उत्तर :
पाठ में आए संज्ञा शब्दों का वर्गीकरण -
प्रश्न 3.
गाँव की बोली में कई शब्दों के उच्चारण बदल जाते हैं। कहानी में बदलू वक्त (समय) को बखत, उम्र (वय/आयु) को उमर कहता है। इस तरह के अन्य शब्दों को खोजिए जिनके रूप में परिवर्तन हुआ हो, अर्थ में नहीं।
उत्तर
प्रश्न 1.
'बदलू' गाँव का था -
(क) मनिहार
(ख) लुहार
(ग) सुनार
(घ) कारीगर।
उत्तर :
(क) मनिहार
प्रश्न 2.
'बदलू' का पैतृक धन्धा बन्द हो गया था -
(क) मशीनीकरण के कारण
(ख) बदली मानसिकता के कारण
(ग) शहरीकरण के कारण
(घ) काँच के प्रति आर्कषण के कारण।
उत्तर :
(क) मशीनीकरण के कारण
प्रश्न 3.
'आदमी' शब्द संज्ञा है -
(क) व्यक्तिवाचक
(ख) जातिवाचक
(ग) समूहवाचक
(घ) भाववाचक।
उत्तर :
(ख) जातिवाचक
प्रश्न 4.
लेखक 'बदलू' को कहा करता था -
(क) बदलू मामा
(ख) बदलू चाचा
(ग) बदलू काका
(घ) बदलू नाना।
उत्तर :
(ग) बदलू काका
प्रश्न 5.
'मन मोह लेना' मुहावरे का अर्थ है -
(क) आकर्षित करना
(ख) अपना बना लेना
(ग) अपनत्व स्थापित कर लेना
(घ) सोच बदल देना।
उत्तर :
(क) आकर्षित करना
प्रश्न 6.
बदलू लेखक को अच्छा लगता था -
(क) उसकी खातिर करने के कारण
(ख) आम खिलाने के कारण
(ग) रोज एक-दो गोलियाँ बना देने के कारण
(घ) सम्मान देने के कारण।
उत्तर :
(ग) रोज एक-दो गोलियाँ बना देने के कारण
प्रश्न 7.
बदलू के आँगन में किसका पेड़ लगा हुआ था?
(क) आम का
(ख) शीशम का
(ग) नीम का
(घ) अनार का।
उत्तर :
(ग) नीम का
प्रश्न 8.
आज का युग क्या कहलाता है?
(क) औद्योगिक युग
(ख) विज्ञान का युग।
(ग) दूरदर्शन युग
(घ) मशीन युग।
उत्तर :
(घ) मशीन युग।
प्रश्न 9.
बदलू के अनुसार सुन्दरता किसमें होती है?
(क) लाख की चूड़ियों में
(ख) सोने की चूड़ियों में
(ग) काँच की चूड़ियों में
(घ) पीतल की चूड़ियों में।
उत्तर :
(ग) काँच की चूड़ियों में
प्रश्न 10.
बदलू कैसा कारीगर था?
(क) कठोर परिश्रमी
(ख) स्वाभिमानी
(ग) सहज-सरल
(घ) उदासीन।
उत्तर :
(ख) स्वाभिमानी
रिक्त स्थानों की पूर्ति -
प्रश्न 11.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिए गये सही शब्दों से कीजिए
उत्तर :
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 12.
लेखक को गाँव में सबसे अच्छा आदमी कौन लगता था?
उत्तर :
लेखक को गाँव में सबसे अच्छा आदमी 'बदलू' लगता था।
प्रश्न 13.
गाँव में किसका मकान कुछ ऊँचे पर बना हुआ था?
उत्तर :
गाँव में बदलू का मकान कुछ ऊँचे पर बना हुआ था।
प्रश्न 14.
बदलू चूड़ियाँ बनाने का काम किस पर बैठकर किया करता था?
उत्तर :
बदलू चूड़ियाँ बनाने का काम मचिया पर बैठकर किया करता था।
प्रश्न 15.
बदलू 'लला' किसे कहा करता था?
उत्तर :
बदलू लेखक को 'लला' कहा करता था।
प्रश्न 16.
बदलू चूड़ियाँ बेचने में कौन सा तरीका अपनाता था?
उत्तर :
बदलू चूड़ियाँ बेचने में वस्तु-विनिमय का तरीका अपनाता था।
प्रश्न 17.
बदलू का काम क्यों ठप्प हो गया था?
उत्तर :
लाख की चूड़ियों के स्थान पर काँच की चूड़ियाँ पहनने के कारण बदलू का काम ठप्प हो गया था।
प्रश्न 18.
बदलू ने अपनी गाय क्यों बेच दी थी?
उत्तर :
धन्धा ठप्प हो जाने से बदलू अपनी गाय को कहाँ से खिलाता, कैसे पालता? इसलिए उसने गाय बेच दी थी।
प्रश्न 19.
लेखक एक लम्बी अवधि तक अपने मामा के गाँव क्यों नहीं जा सका?
उत्तर :
लेखक के पिता की बदली हो जाने से वह अपने मामा के गाँव न जा सका।
प्रश्न 20.
लेखक को किस नाम से लोग जानते थे?
उत्तर :
लेखक को जनार्दन नाम से लोग जानते थे।
प्रश्न 21.
लेखक की निगाह रज्जो की कलाइयों पर क्यों ठिठक गयी थी?
उत्तर :
रज्जो ने अपनी गोरी-गोरी कलाइयों पर लाख की चूड़ियाँ पहन रखी थीं।
प्रश्न 22.
बदलू किसके पहुँचते ही मचिया मँगवाता था और क्यों?
उत्तर :
बदलू लेखक के पहुंचते ही आदर-सम्मान की दृष्टि से मचिया मँगवाता था।
प्रश्न 23.
बदलू के अनुसार किस जोड़े का महत्त्व अधिक होता है?
उत्तर :
बदलू के अनुसार सुहाग के जोड़े का महत्त्व अधिक होता है।
प्रश्न 24.
लेखक को किसके यहाँ जाना अच्छा लगता था?
उत्तर :
लेखक को अपने मामा के घर जाना अच्छा लगता था।
प्रश्न 25.
लेखक ने मामा के गाँव में रहते हुए क्या देखा?
उत्तर :
लेखक ने मामा के गाँव में रहते हुए देखा कि गाँव की लगभग सभी स्त्रियाँ अब काँच की चूड़ियाँ पहनने लगी हैं।
प्रश्न 26.
बदलू के व्यथित होने का क्या कारण था?
उत्तर :
बदलू के व्यथित होने का कारण, उसका काम बन्द हो जाना ही था।
लघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 27.
बदलू का चूड़ियाँ बेचने का तरीका क्या था?
उत्तर :
बदलू का चूड़ियाँ बेचने का तरीका वस्तु-विनिमय का था। इसलिए वह चूड़ियों को नकद न बेचकर अनाज के बदले में उन्हें बेचता था।
प्रश्न 28.
लेखक के मन में गर्मी की छट्टियों में अपने मामा के गाँव जाने का सबसे बड़ा चाव क्या था?
उत्तर :
लेखक के मन में गर्मी की छुट्टियों में अपने मामा के गाँव जाने का सबसे बड़ा चाव यही था कि वहाँ बदलू उसे लाख की सुन्दर-सुन्दर रंग-बिरंगी गोलियाँ बनाकर देता था।
प्रश्न 29.
बदलू को किस बात से चिढ़ थी? वह अपनी चिढ़ को कैसे उतारता था?
उत्तर :
बदल को काँच की चूड़ियों से चिढ थी। यदि उसे कोई भी स्त्री काँच की चूड़ियाँ पहने दिख जाती तो वह उसे दो-चार बातें सुनाकर अपनी चिढ़ उतार लेता था।
प्रश्न 30.
बदलू का पैतृक धन्धा क्या था? उसका धन्धा बन्द क्यों हो गया था?
उत्तर :
बदलू का पैतृक धन्धा लाख की चूड़ियाँ बनाने का था। मशीनीकरण के कारण उसका पैतृक धन्धा बन्द हो गया था जिसके कारण वह बेरोजगार हो गया।
प्रश्न 31.
'लाख की चूड़ियाँ' कहानी की रचना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर :
'लाख की चूड़ियाँ' कहानी का रचना का मुख्य उद्देश्य शहरीकरण व मशीनीकरण के कारण गाँवों के लघ कुटीर उद्योगों के उजड़ने का वर्णन करना है। इससे गाँवों में बढ़ रही बेरोजगारी बताता है।
निबन्धात्मक प्रश्न -
प्रश्न 32.
'लाख की चूड़ियाँ' कहानी में मशीनी युग के बारे में क्या कहा गया है?
उत्तर :
प्रस्तुत कहानी में कहा गया है कि मशीनी युग के कारण गाँवों के कुटीर उद्योग-धन्धे और पैतृक धन्धे समाप्त हो गये हैं। खेती का काम मशीनों से होने लगा है। गाँवों में बेरोजगारी बढ़ रही है तथा आपसी प्रेम-भाव, नाते-रिश्ते आदि में कमी आ रही है, सांस्कृतिक ह्रास भी हो रहा है। इससे गाँवों से शहरों की ओर पलायन भी हो रहा है।
प्रश्न 33.
बदलू की किस बात से लेखक को उसकी स्वाभिमानी पर गर्व हो आया?
उत्तर :
जब लेखक ने बदलू की बेटी रज्जो की कलाइयों में लाख की चूड़ियाँ देखी तो वह उन सुन्दर चूड़ियों को देखकर ठिठक गया। तभी बदलू ने उसे बताया कि यह मेरा बनाया अन्तिम जोड़ा है। जमींदार ने इसे अपनी बेटी की शादी के लिए बनवाया था लेकिन केवल दस आने पैसे में वह इसे खरीदना चाहता था। मैंने उसे देने से ही इन्कार कर दिया। यह सुनकर लेखक को बदलू की स्वाभिमानी पर गर्व हो आया कि बदलू ने लाख की चूड़ियाँ न बिकने के दिनों में भी अपने उसूल न तोड़े और कम पैसों में सुहाग की चूड़ियों का जोड़ा न दिया।
गद्यांश पर आधारित प्रश्न -
प्रश्न 34.
नीचे दिये गये गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
1. मैं उसे 'बदलू मामा' न कहकर 'बदलू काका' कहा करता था, जैसा कि गाँव के सभी बच्चे उसे कहा करते थे। बदलू का मकान कुछ ऊँचे पर बना था। मकान के सामने बड़ा-सा सहन था जिसमें एक पुराना नीम का वृक्ष लगा था। उसी के नीचे बैठकर बदलू अपना काम किया करता था। बगल में भट्टी दहकती रहती जिसमें वह लाख पिघलाया करता। सामने एक लकड़ी की चौखट पड़ी रहती जिस पर लाख के मुलायम होने पर वह उसे सलाख के समान पतला करके चूड़ी का आकार देता।
प्रश्न :
(क) गाँव के सभी बच्चे बदलू को क्या कहकर पुकारते थे?
(ख) बदलू का मकान कहाँ बना हुआ था?
(ग) बदलू किसके नीचे बैठकर अपना काम करता था?
(घ) बदलू लाख की चूड़ियाँ कैसे बनाता था?
उत्तर :
(क) गाँव के सभी बच्चे बदलू को 'बदलू काका' कहकर पुकारते थे।
(ख) गाँव में बदलू का मकान एक ऊँचे स्थान पर बना हुआ था।
(ग) बदलू नीम के पुराने वृक्ष के नीचे बैठकर अपना काम करता था।
(घ) बदलू लाख को भट्टी पर पिघलाता, फिर लकड़ी की चौखट पर उसे पतला आकार देकर चूड़ियाँ बनाता था।
2. बदलू यह कार्य सदा ही एक मचिये पर बैठकर किया करता था जो बहुत ही पुरानी थी। बगल में ही उसका हुक्का रखा रहता जिसे वह बीच-बीच में पीता रहता। गाँव में मेरा दोपहर का समय अधिकतर बदलू के पास बीतता। वह मुझे 'लला' कहा करता और मेरे पहुँचते ही मेरे लिए तुरंत एक मचिया मॅगा देता। मैं घंटों बैठे-बैठे उसे इस प्रकार चूड़ियों बनाते देखता रहता। लगभग रोज ही वह चार-छह जोड़े चूड़ियाँ बनाता। पूरा जोड़ा बना लेने पर वह उसे बेलन पर चढ़ाकर कुछ क्षण चुपचाप देखता रहता मानो वह बेलन न होकर किसी नव-वधू की कलाई हो।
प्रश्न :
(क) बदलू किस पर बैठकर काम किया करता था?
(ख) बदलू किसके पहुंचते ही मचिया मँगवाता था और क्यों?
(ग) दोपहर के समय प्रायः कौन किसके पास रहता था?
(घ) बदलू चूड़ियों के जोड़े को किस प्रकार देखता था?
उत्तर :
(क) बदलू एक मचिया पर बैठकर चूड़ियाँ बनाने का काम करता था।
(ख) बदलू लेखक के पहुंचते ही मचिया मंगवाता था, क्योंकि वह लेखक को आदर-सम्मान देना चाहता था।
(ग) दोपहर के समय गाँव में लेखक प्राय: बदलू के पास ही बैठा रहता था।
(घ) जैसे नव-वधू की कलाई पर चूड़ियाँ सजती हैं, वैसे ही बदलू नयी बनी चूड़ियों के जोड़े को देखता था।
3. आस-पास के गाँवों के लोग भी उससे चूड़ियाँ ले जाते थे। परंतु वह कभी भी चूड़ियों को पैसों से बेचता न था। उसका अभी तक वस्तु-विनिमय का तरीका था और लोग अनाज के बदले उससे चूड़ियाँ ले जाते थे। बदलू स्वभाव से बहुत सीधा था। मैंने कभी भी उसे किसी से झगड़ते नहीं देखा। हाँ, शादी-विवाह के अवसरों पर वह अवश्य जिद पकड़जाता था। जीवन भर चाहे कोई उससे मुफ्त चूड़ियाँ ले जाए परंतु विवाह के अवसर पर वह सारी कसर निकाल लेता था। आखिर सुहाग के जोड़े का महत्त्व ही और होता है।
प्रश्न :
(क) बदलू किसके बदले अपनी चूड़ियाँ देता था?
(ख) वस्तु-विनिमय किसे कहते हैं?
(ग) बदलू कब अपनी जिद पकड़ लेता था।
(घ) किस जोड़े का महत्त्व अधिक होता है और क्यों?
उत्तर :
(क) बदलू अनाज के बदले अपनी चूड़ियाँ देता था।
(ख) किसी वस्तु को रुपये-पैसे में न बेचकर उसके बदले अनाज से अन्य वस्तु लेने को ही वस्तु-विनिमय कहते हैं।
(ग) शादी-विवाह के अवसरों पर चूड़ियों के मूल्य को लेकर बदलू अपनी जिद पकड लेता था।
(घ) विवाह के लिए बनाये गये चूड़ियों के जोड़े को 'सुहाग का जोड़ा' मानने से उसका महत्त्व अधिक होता है।
4. मैं बहुधा हर गर्मी की छुट्टी में अपने मामा के यहाँ चला जाता और एक-आध महीने वहाँ रहकर स्कूल खुलने के समय तक वापस आ जाता। परंतु दो-तीन बार ही मैं अपने मामा के यहाँ गया होऊँगा तभी मेरे पिता की एक दूर के शहर में बदली हो गई और एक लंबी अवधि तक मैं अपने मामा के गाँव न जा सका। तब लगभग आठदस वर्षों के बाद जब मैं वहाँ गया तो इतना बड़ा हो चुका था कि लाख की गोलियों में मेरी रुचि नहीं रह गई थी। अतः गाँव में होते हुए भी कई दिनों तक मुझे बदलू का ध्यान न आया।
प्रश्न :
(क) लेखक को किसके यहाँ जाना अच्छा लगता था?
(ख) लेखक अपने मामा के घर कब तक रहता था?
(ग) गाँव में रहते हुए भी लेखक को किसका ध्यान नहीं आया?
(घ) लेखक लम्बी अवधि तक अपने मामा के गाँव क्यों न जा सका?
उत्तर :
(क) लेखक को बचपन में अपने मामा के गाँव जाना अच्छा लगता था।
(ख) लेखक अपने मामा के घर स्कूल खुलने तक एकआध-महीने रहता था।
(ग) लेखक को मामा के गाँव में रहते हुए भी बदलू का ध्यान नहीं आया।
(घ) अपने पिता की दूर के शहर में बदली होने से लेखक लम्बे समय तक अपने मामा के गाँव न जा सका।
5. आजकल काम नहीं करते काका? मैंने पूछा। नहीं लला, काम तो कई सालों से बंद है। मेरी बनाई हुई चूड़ियाँ कोई पूछे तब तो। गाँव-गाँव में काँच का प्रचार हो गया है। वह कुछ देर चुप रहा, फिर बोला, मशीनी युग है न यह, लला! आजकल सब काम मशीन से होता है। खेत भी मशीन से जोते जाते हैं और फिर जो सुन्दरता काँच की चूड़ियों में होती है, लाख में कहाँ संभव है?
प्रश्न :
(क) गद्यांश में संवाद किन-किनके मध्य हो रहा है?
(ख) बदलू की बनाई चूड़ियों की पूछ कम क्यों हो गई थी?
(ग) मशीनी युग के बारे में बदलू ने क्या कहा?
(घ) बदलू के व्यथित होने का क्या कारण था?
उत्तर :
(क) गद्यांश में संवाद लेखक और बदलू के मध्य हो रहा है।
(ख) मशीनों से खाली काँच की चूड़ियों का गाँव-गाँव में प्रचलन हो गया था, इस कारण बदलू की लाख की चूड़ियों की पूछ कम हो गई थी।
(ग) अब सब काम मशीन से होता है, खेत भी मशीन से जोते जाते हैं और काँच की सुन्दर चूड़ियाँ भी मशीनों से बनती हैं।
(घ) मशीनी युग के कारण बदलू का रोजगार अर्थात् लाख की चूड़ियों का प्रचलन बन्द हो गया था, इसी कारण वह व्यथित था।
पाठ का सार - 'लाख की चूड़ियाँ' कहानी के लेखक कामतानाथ हैं। इस कहानी में मशीनों के बढ़ते प्रयोग के दुष्प्रभाव को दिखाया गया है। लेखक को उसके मामा के गाँव में बदलू सबसे अच्छा लगता था। वह लाख की चूड़ियाँ बनाता था जिन्हें गाँव व आस-पास के गाँवों की लगभग सभी औरतें खरीद कर पहनती थीं। मशीनों के बढ़ते प्रयोग के कारण जहाँ ग्रामीण औरतें अब काँच की चूड़ियाँ पहनने लगी थीं, वहीं बदलू का लाख की चूड़ियाँ बनाने का कुटीर उद्योग बन्द हो जाने से वह बेरोजगार हो गया था। इस कहानी में मशीनी युग का शिकार हुए व्यक्ति बदलू की पीड़ा का मार्मिक वर्णन किया गया है।
कठिन शब्दार्थ -