Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 17 बाज और साँप Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 8 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 8 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Students can access the class 8 hindi chapter 10 question answer and deep explanations provided by our experts.
शीर्षक और नायक -
लेखक ने इस कहानी का शीर्षक कहानी के दो पात्रों के आधार पर रखा है। लेखक ने बाज और साँप को ही क्यों चुना? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
लेखक ने इस कहानी का शीर्षक दो पात्रों के आधार पर 'बाज और साँप' रखा है। इस कहानी में लेखक ने बाज और साँप को इसलिए चुना, क्योंकि दोनों के स्वभाव में बहुत बड़ा अन्तर है। बाज साहसी और शिकारी पक्षी है। आकाश असीम है और बाज उस असीम का प्रतीक है जो स्वतन्त्र भाव से आकाश की ऊँचाइयों को छूना चाहता है और अपने साहस व वीरता के बल पर आकाश में उड़ते हुए पक्षियों का भी शिकार करना चाहता है। यदि इस शिकार में उसके प्राण भी चले जाएँ तो वह अपने प्राणों की परवाह नहीं करता है। दूसरी ओर, साँप अपने सीलन भरे बिल में ही अपने कायर और परतन्त्र स्वभाव के आधार पर रहना चाहता है। वह बिल से बाहर निकलना पसन्द नहीं करता है।
कहानी से -
प्रश्न 1.
घायल होने के बाद भी बाज ने यह क्यों कहा, "मुझे कोई शिकायत नहीं है।" विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
बाज को अपने जीवन में विस्तार और वीरता से ही आनन्द की प्राप्ति हुई थी। इसीलिए घायल अवस्था में जब वह साँप के बिल के पास गिरा तब उसने यही कहा कि भलेही मेरी मृत्यु पास हो, परन्तु मुझे अपने जीवन से कोई शिकायत नहीं है। मैंने जिन्दगी को जी-भर जिया है। दूरदूर तक उड़ानें भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाइयों को छुआ है। अब मुझे जीवन से कोई शिकायत नहीं है।
प्रश्न 2.
बाज जिन्दगी भर आकाश में ही उड़ता रहा फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ना क्यों चाहता था?
उत्तर :
बाज जिन्दगी भर आकाश में ही उड़ता रहा, फिर घायल होने के बाद वह इसलिए उड़ना चाहता था, क्योंकि वह साहसी था और वह भी जिन्दगी से हार नहीं मान रहा था।
प्रश्न 3.
साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। फिर उसने उड़ने की कोशिश क्यों की?
उत्तर :
साँप ने जब घायल बाज में उड़ने की असीम चाह देखी तो उसके मन में भी आया कि वह भी देखे कि आसमान में ऐसा क्या है, जिसके वियोग में बाज इतना छटपटा रहा है। इसलिए उसने भी उड़ने की कोशिश की।
प्रश्न 4.
बाज के लिए लहरों ने गीत क्यों गाया था?
उत्तर :
बाज के लिए लहरों ने उसकी वीरता और साहस को देखकर गीत गया था।
प्रश्न 5.
घायल बाज को देखकर साँप खुश क्यों हुआ होगा?
उत्तर :
घायल बाज को देखकर साँप खुश इसलिए हुआ होगा कि वह इस स्थिति में उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता था।
कहानी से आगे -
प्रश्न 1.
कहानी में से वे पंक्तियाँ चुनकर लिखिए जिनसे स्वतन्त्रता की प्रेरणा मिलती हो।
उत्तर :
प्रश्न 2.
लहरों का गीत सुनने के बाद साँप ने क्या सोचा होगा? क्या उसने फिर उड़ने की कोशिश की होगी? अपनी कल्पना से आगे की कहानी पूरी कीजिए।
उत्तर :
लहरों का गीत सुनने के बाद साँप ने सोचा होगा कि मुझे भी बाज की तरह आकाश में उड़ने की कोशिश करनी चाहिए। इस भावना से पूरित होकर उसने आकाश में उड़ने की कोशिश की, परन्तु पंख न होने के कारण वह चट्टान से टकरा गया। कहानी की पूर्ति-चट्टान से टकरा जाने के बाद साँप के मन में फिर एक बार उड़ने की भावना जागी और उसने पुन: उड़ने का प्रयास किया। अब की बार वह चट्टान से न टकराकर सागर की धारा में जा गिरा। उसे गिरता देखकर सागर से उड़ने वाली लहरों ने अपने सफेद फेनयुक्त आँचल में ढंक लिया और वे लहरें उसे लेकर उस अनन्त सागर की ओर बढ़ चलीं, जहाँ साहसी और निडर बाज ले जाया गया था।
प्रश्न 3.
क्या पक्षियों को उड़ते समय सचमुच आनन्द का अनुभव होता होगा या स्वाभाविक कार्य में आनन्द का अनुभव होता ही नहीं? विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
पक्षियों को परमात्मा ने पंख इसलिए दिए कि वे आकाश में उड़कर अपनी स्वतन्त्रता का अनुभव करें। इस आधार पर यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि पक्षियों को उड़ते समय आनन्द होता है। प्रायः सभी उड़ने में समर्थ पक्षी अपनी उड़ने की स्वाभाविक क्रिया को आनन्दपूर्वक ही पूरा करते हैं। जैसे चिड़िया घोंसला बनाते समय तिनका-तिनका एकत्र कर बार-बार उड़कर घोंसला बनाने में भी आनन्द का अनुभव करती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भलेही पक्षी लम्बी उड़ान भरने में अधिक आनन्दित होते हों, लेकिन दैनिक जीवन की स्वाभाविक क्रियाएँ भी उन्हें आनन्द प्रदान करती हैं।
प्रश्न 4.
मानव ने भी हमेशा पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा की है। आज मनुष्य उड़ने की इच्छा किन-किन साधनों से पूरी करता है?
उत्तर :
मानव ने भी हमेशा पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा की है। अपनी इस इच्छा को पूरी करने के लिए उसने कई साधनों का आविष्कार कर डाला। आज मनुष्य गुब्बारा, ग्लाइडर, वायुयान, हेलीकॉप्टर, रॉकेट आदि साधनों से आकाश में उड़ने की अपनी इच्छा पूरी करता है।
अनुमान और कल्पना -
प्रश्न 1.
यदि इस कहानी के पात्र बाज और साँप न होकर कोई और होते, तब कहानी कैसी होती? अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर :
यदि इस कहानी के पात्र बाज और साँप न होकर बन्दर और कछुआ होते, तो बन्दर कछुए को पानी में तैरते देखकर स्वयं भी तैरने का प्रयास करता। कछुआ भी बन्दर से मित्रता करता और पानी से बाहर आकर बन्दर की तरह छलाँग लगाकर दौड़ने का प्रयास करता। ऐसा करते समय वह घायल हो जाता। तब बन्दर उसकी सहायता करता और उसे पानी में छोड़ देता। कछुआ उसकी प्रशंसा के गीत गाता।
भाषा की बात -
प्रश्न 1.
कहानी में से अपनी पसन्द के पाँच महावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 2.
'आरामदेह' शब्द में 'देह' प्रत्यय है। यहाँ 'देह' 'देने वाला' के अर्थ में प्रयुक्त है। देने वाला के अर्थ में 'द', 'प्रद', 'दाता', 'दाई' आदि का प्रयोग भी होता है। जैसे-सुखद, सुखदाता, सुखदाई, सुखप्रद। उपर्युक्त समानार्थी प्रत्ययों को लेकर दो-दो शब्द बनाइए।
उत्तर :
प्रश्न 1.
कहानी में साँप प्रतीक है -
(क) भयंकरता का
(ख) कायरता का
(ग) डर का
(घ) परतन्त्रता का।
उत्तर :
(ख) कायरता का
प्रश्न 2.
साँप कोने में सिकुड़ गया था -
(क) सीलन होने के कारण
(ख) अँधेरा होने के कारण
(ग) आये बाज के डर के कारण
(घ) पानी टपकने के कारण।
उत्तर :
(ग) आये बाज के डर के कारण
प्रश्न 3.
बाज की वीरता का आगे बढ़कर स्वागत किया था -
(क) साँप ने
(ख) लहरों ने
(ग) चट्टानों ने
(घ) आकाश ने।
उत्तर :
(ख) लहरों ने
प्रश्न 4.
साँप प्राणी था -
(क) उड़ने वाला
(ख) चलने वाला
(ग) घूमने वाला
(घ) रेंगने वाला।
उत्तर :
(घ) रेंगने वाला।
प्रश्न 5.
'आश्चर्य का ठिकाना न रहना' मुहावरे का अर्थ है -
(क) बहुत हैरानी होना
(ख) बहुत खुशी होना
(ग) बहुत पछतावा होना
(घ) बहुत बेचैनी होना।
उत्तर :
(क) बहुत हैरानी होना
प्रश्न 6.
अचानक साँप की गुफा में क्या आकर गिरता है?
(क) मोर
(ख) कबूतर
(ग) बाज
(घ) गिद्ध
उत्तर :
(ग) बाज
प्रश्न 7.
आकाश की असीम ऊँचाइयों को नापने की - बात किसने की?
(क) साँप ने
(ख) बाज ने
(ग) दोनों ने
(घ) किसी ने नहीं
उत्तर :
(ख) बाज ने
प्रश्न 8.
साँप किसके डर से सिकुड़कर कोने में छिप गया?
(क) बाज के
(ख) छिपकली के
(ग) पर्वत के
(घ) नदी गर्जन के
उत्तर :
(क) बाज के
प्रश्न 9.
बाज क्या गिन रहा था?
(क) जीवन की अन्तिम साँसें।
(ख) पेड़ों की संख्या
(ग) साँपों की संख्या
(घ) पंखों की संख्या
उत्तर :
(क) जीवन की अन्तिम साँसें।
प्रश्न 10.
बाज ने किसके लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया?
(क) लहरों के लिए
(ख) हवा के लिए
(ग) स्वच्छन्दता के लिए
(घ) आकाश की शून्यता के लिए
उत्तर :
(घ) आकाश की शून्यता के लिए
रिक्त स्थानों की पूर्ति -
प्रश्न 11.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिये गये सही शब्दों से कीजिए -
उत्तर :
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 12.
साँप कोने में क्यों सिकुड़ गया था?
उत्तर :
साँप बाज से डरकर कोने में सिकुड़ गया था।
प्रश्न 13.
साँप ने आरामदेह और सुरक्षित जगह किसे बताया?
उत्तर :
साँप ने आरामदेह और सुरक्षित जगह गुफा को बताया।
प्रश्न 14.
साँप किसकी मूर्खता पर मन ही मन हँस रहा था?
उत्तर :
सॉप बाज की मुर्खता पर मन ही मन हँस रहा था।
प्रश्न 15.
लहरों के गीत गाने का कारण क्या था?
उत्तर :
लहरों के गीत गाने का कारण बाज की वीरता और साहस था।
प्रश्न 16.
कहानी में बाज किसका प्रतीक है?
उत्तर :
कहानी में बाज वीरता व स्वतन्त्रता का प्रतीक है।
प्रश्न 17.
लहरे बाज को सागर की ओर क्यों ले गयीं?
उत्तर :
लहरें बाज की वीरता से प्रसन्न होकर उसे असीम सागर की ओर ले गयीं।
प्रश्न 18.
साँप ने उड़ने के प्रयास में क्या किया?
उत्तर :
साँप ने शरीर को सिकोड़कर व आगे रेंगकर स्वयं को आकाश की शून्यता में छोड़ दिया।
प्रश्न 19.
बाज ने गुफा के अन्दर क्या देखा?
उत्तर :
बाज ने गुफा के अन्दर चट्टानों के बीच से टपकता पानी, सीलन और अंधेरा देखा।
प्रश्न 20.
कहानी में साँप किसका प्रतीक है?
उत्तर :
कहानी में साँप कायरता और पराधीनता का प्रतीक है।
प्रश्न 21.
पर्वत की अंधेरी गुफा में कौन रहता था?
उत्तर :
पर्वत की अंधेरी गुफा में साँप रहता था।
प्रश्न 22.
जिस जगह नदी और समुद्र का मिलाप होता था, वहाँ कैसा दृश्य होता था?
उत्तर :
वहाँ लहरें दूध के झाग सी सफेद दिखाई देती थीं।
प्रश्न 23.
साँप के लिए सबसे बड़ा सुख क्या था?
उत्तर :
सबसे अलग, सबसे दूर अपनी गुफा का स्वामी बनकर रहना सबसे बड़ा सुख था।
प्रश्न 24.
साँप ने क्या भाँप लिया था?
उत्तर :
यही कि बाज अपने जीवन की अन्तिम साँसें गिन रहा है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 25.
बाज का स्वतन्त्रता हेतु प्राण देना क्या सन्देश देता है?
उत्तर :
बाज का स्वतन्त्रता हेतु प्राण देना यह सन्देश देता है कि प्राणों की बाजी लगाकर जिन्दगी के हर खतरे का बहादुरी से मुकाबला करना चाहिए।
प्रश्न 26.
साँप मन ही मन खुश क्यों होता था?
उत्तर :
साँप का गुफा में रहते हुए किसी से कोई सम्बन्ध नहीं था और न उसका किसी से कोई लेना-देना था। वह भाग-दौड़ और छीना-झपटी से दूर होने के कारण मन ही मन खुश था।
प्रश्न 27.
बाज ने साँप को दुर्भाग्यशाली क्यों कहा?
उत्तर :
साँप एक बन्द कोठरी में रहता था। वह खुले आकाश में उड़कर स्वतन्त्र जीवन जीने की अहमियत को नहीं जानता था इसलिए बाज ने उसे दुर्भाग्यशाली कहा।
प्रश्न 28.
बाज अपने जीवन से सन्तुष्ट क्यों था?
उत्तर :
बाज ने अपना सम्पूर्ण जीवन सभी सुखों को भोगते हुए वीरतापूर्वक जिया था। उसने अपनी इच्छा के अनुरूप आकाश में ऊँची-ऊँची उड़ानें भरी थीं। इसलिए सन्तुष्ट था।
गद्यांश पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 29.
अग्रलिखित गद्यांशों को पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए
1. अपनी गुफा में बैठा हुआ साँप सब कुछ देखा करता था-लहरों का गर्जन, आकाश में छिपती हुई पहाड़ियाँ, टेढ़ी-मेढ़ी बल खाती हुई नदी की गुस्से से भरी आवाजें। वह मन ही मन खुश होता था कि इस गर्जन-तर्जन के होते हुए भी वह सुखी और सुरक्षित है। कोई उसे दुख नहीं दे सकता। सबसे अलग, सबसे दूर, वह अपनी गुफा का स्वामी है। न किसी से लेना, न किसी से देना। दुनिया की भाग-दौड़, छीना-झपटी से वह दूर है। साँप के लिए यही सबसे बड़ा सुख था।
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ से लिया गया है? नाम लिखिए।
(ख) साँप गुफा में बैठा-बैठा क्या देख रहा था?
(ग) साँप मन-ही-मन क्यों खुश रहता था?
(घ) साँप के लिए सबसे बड़ा सुख क्या था?
उत्तर :
(क) पाठ का नाम-बाज और साँप।
(ख) साँप गुफा में बैठा-बैठा लहरों का गर्जन, आकाश में छिपती हुई पहाड़ियाँ, टेढ़ी-मेढ़ी चाल से बहती हुई नदी की तेज धार देख रहा था।
(ग) गुफा के आस-पास तेज गर्जन-तर्जन होने पर भी वह पूरी तरह से सुखी एवं सुरक्षित है, यह मानकर साँप मनही-मन खुश रहता था।
(घ) साँप को कोई दुःख इसलिए नहीं होता था, क्योंकि उसका किसी से न लेना था और न देना, वह अपनी गुफा का स्वयं स्वामी था, वह दुनिया की भाग-दौड़ और छीना-झपटी से दूर रहता था।
2. एक दिन एकाएक आकाश में उड़ता हुआ खून से लथपथ एक बाज साँप की उस गुफा में आ गिरा। उसकी छाती पर कितने ही जख्मों के निशान थे, पंख खून से सने थे और वह अधमरा-सा जोर-शोर से हाँफ रहा था। जमीन पर गिरते ही उसने एक दर्द भरी चीख मारी और पंखों को फड़फड़ाता हुआ धरती पर लोटने लगा। डर से साँप अपने कोने में सिकुड़ गया। किन्तु दूसरे ही क्षण उसने भाँप लिया कि बाज जीवन की अंतिम साँसें गिन रहा है और उससे डरना बेकार है। यह सोचकर उसकी हिम्मत |बँधी और वह रेंगता हुआ उस घायल पक्षी के पास जा पहुँचा।
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) बाज खून से लथपथ क्यों था?
(ग) धरती पर गिरते ही बाज ने क्या किया?
(घ) क्या सोचकर साँप घायल बाज के पास गया?
उत्तर :
(क) शीर्षक-घायल बाज।
(ख) बाज खून से लथपथ इसलिए था कि उसका आकाश में किसी दूसरे पक्षी से भयानक युद्ध हुआ था।
(ग) बाज जब धरती पर गिरा, तो उसकी छाती पर जख्मों के निशान थे, उसके पंख खून से सने थे और वह गिरते ही चीख मारकर फड़फड़ाने एवं धरती पर लोटने लगा।
(घ) बाज अपने जीवन की अन्तिम सांसें गिन रहा है, इसलिए इससे डरना बेकार है। यह सोचकर सांप हिम्मत रखकर बाज के पास गया।
3. "ऐसा ही दिखता है कि आखिरी घड़ी आ पहुँची है लेकिन मुझे कोई शिकायत नहीं है। मेरी जिंदगी भी खब रही भाई, जी भरकर उसे भोगा है। जब तक शरीर में ताकत रही, कोई सुख ऐसा नहीं बचा जिसे न भोगा हो। दूर-दूर तक उड़ानें भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाइयों को अपने पंखों से नाप आया हूँ। तुम्हारा बड़ा दुर्भाग्य है कि तुम जिंदगी भर आकाश में उड़ने का आनंद कभी नहीं उठा पाओगे।" साँप बोला-"आकाश! आकाश को लेकर क्या मैं चादूँगा। आकाश में आखिर क्या रखा है? क्या मैं तुम्हारे आकाश में रेंग सकता हैं?"
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) बाज ने अपनी जिन्दगी को लेकर क्या कहा?
(ग) बाज ने साँप को दुर्भाग्य वाला क्यों कहा?
(घ) साँप ने आकाश को कैसा बताया?
उत्तर :
(क) शीर्षक-बाज एवं साँप का संवाद।
(ख) बाज ने कहा कि मुझे अपनी जिन्दगी से कोई शिकायत नहीं है। मैंने जी भरकर जिन्दगी को भोगा और असीम आकाश में स्वतन्त्रतापूर्वक उड़ान भरता रहा।
(ग) बाज ने साँप को दुर्भाग्य वाला इसलिए कहा कि वह अपनी अँधेरी, शीलनभरी गुफा में कैद रहा, सदा डरा व दबा रहा और जिन्दगी भर आकाश में उड़ने का आनन्द नहीं ले पाया।
(घ) साँप ने आकाश को व्यर्थ बताया, क्योंकि वह उसमें रेंग नहीं सकता था।
4. बाज के मुँह से एक बड़ी जोर की करुण चीख फूट पड़ी-"आह! काश मैं सिर्फ एक बार आकाश में उड़ पाता।" बाज की ऐसी करुण चीख सुनकर साँप कुछ सिटपिटासा गया। एक क्षण के लिए उसके मन में उस आकाश के प्रति इच्छा पैदा हो गई जिसके वियोग में बाज इतना व्याकुल होकर छटपटा रहा था। उसने बाज से कहा"यदि तुम्हें स्वतंत्रता इतनी प्यारी है तो इस चट्टान के किनारे से ऊपर क्यों नहीं उड़ जाने की कोशिश करते। हो सकता है कि तुम्हारे पैरों में अभी इतनी ताकत बाकी हो कि तुम आकाश में उड़ सको। कोशिश करने में क्या हर्ज है?"
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) बाज के मुख से कौनसी चीख निकली? उसकी क्या इच्छा थी?
(ग) साँप ने घायल बाज को क्या सलाह दी?
(घ) 'कोशिश करने में क्या हर्ज है?' साँप ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर :
(क) शीर्षक-स्वतन्त्रता एवं साहस का प्रतीक बाज।
(ख) बाज के मुख से यह चीख निकली कि काश! मैं एक बार आकाश में उड़ पाता। उसके मन में अकाश में उड़ने के लिए प्रबल इच्छा थी।
(ग) साँप ने घायल बाज को सलाह दी कि यदि तुम्हें स्वतन्त्रता इतनी प्रिय है तो इस चट्टान के किनारे से ऊपर उड़ जाने की कोशिश क्यों नहीं करते?
(घ) साँप ने ऐसा इसलिए कहा कि वह घायल बाज की आकाश में उड़ने की प्रबल लालसा को भाँप गया था और वह उसे युक्ति बताकर उसका साहस बढ़ाना चाहता था।
5. चट्टान की खोखल में बैठा हुआ साँप बड़ी देर तक बाज की मृत्यु और आकाश के लिए उसके प्रेम के विषय में सोचता रहा। "आकाश की असीम शून्यता में क्या ऐसा आकर्षण छिपा है जिसके लिए बाज ने अपने प्राण गँवा दिए? वह खुद तो मर गया लेकिन मेरे दिल का चैन अपने साथ ले गया। न जाने आकाश में क्या खजाना रखा है? एक बार तो मैं भी वहाँ जाकर उसके रहस्य का पता लगाऊँगा चाहे कुछ देर के लिए ही हो। कम से कम उस आकाश का स्वाद तो चख लूँगा।"
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) बाज के विषय में साँप क्या सोचता रहा?
(ग) बाज साँप के दिल का चैन भी अपने साथ कैसे ले गया था?
(घ) अन्त में साँप ने क्या निश्चय किया? क्या उसका निश्चय सही था?
उत्तर :
(क) शीर्षक-साँप का आत्म-चिन्तन।
(ख) अपनी गुफा में सॉप सोचता रहा कि बाज का आकाश के प्रति इतना लगाव क्यों था? आकाश की असीम शून्यता में ऐसी क्या बात छिपी थी कि जिसके लिए बाज ने अपने प्राण गँवा दिये।
(ग) बाज के लगाव को देखकर साँप के मन में आकाश में उड़ने की लालसा जाग गई। इस तरह बाज साँप के दिल का चैन अपने हाथ ले गया।
(घ) अन्त में साँप ने यह निश्चय किया कि मैं भी एक बार उड़कर आकाश के रहस्य का पता लगाऊँगा और उसमें उड़ने के आनन्द का स्वाद लूँगा।
6. मैंने जान लिया कि आकाश में कुछ नहीं रखा। केवल ढेर-सी रोशनी के सिवा वहाँ कुछ भी नहीं, शरीर को सँभालने के लिए कोई स्थान नहीं, कोई सहारा नहीं। फिर वे पक्षी किस बूते पर इतनी डींगें हाँकते हैं, किसलिए धरती के प्राणियों को इतना छोटा समझते हैं। अब मैं धोखा नहीं खाऊँगा, मैंने आकाश देख लिया और खूब देख लिया। बाज तो बड़ी-बड़ी बातें बताता था, आकाश के गुण गाते थकता नहीं था। उसी की बातों में आकर मैं आकाश में कूदा था। ईश्वर भला करे, मरते-मरते बच गया।
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) साँप पक्षियों को मूर्ख क्यों कहता है?
(ग) साँप ने आकाश के सम्बन्ध में क्या जान लिया था?
(घ) साँप ईश्वर का धन्यवाद क्यों व्यक्त करता है?
उत्तर :
(क) शीर्षक-साँप की नासमझी।
(ख) पक्षी धरती के सुखों से अनजान रहकर असीम आकाश की ऊँचाइयों को ही मापते रहते हैं, इसी बात पर साँप पक्षियों को मूर्ख कहता है।
(ग) साँप ने जान लिया कि आकाश में ढेर सारी रोशनी के अलावा कुछ भी नहीं है, वहाँ शरीर को सँभालने के लिए। कोई स्थान नहीं है, फिर भी पक्षी आकाश को लेकर काफी डींगें मारते रहते हैं।
(घ) साँप भी आकाश में उड़ने के लिए कूदा, परन्तु वह धम्म से चट्टान पर जा गिरा और मरते-मरते बचा। इस तरह जान बच जाने से वह ईश्वर का धन्यवाद व्यक्त करता है।
7. ओ निडर बाज! शत्रुओं से लड़ते हुए तुमने अपना कीमती रक्त बहाया है। पर वह समय दूर नहीं है, जब तुम्हारे खून की एक-एक बूंद जिन्दगी के अँधेरे में प्रकाश फैलायेगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतन्त्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी। तुमने अपना जीवन बलिदान कर दिया किन्तु फिर भी तुम अमर हो। जब कभी साहस और वीरता के गीत गाए जायेंगे, तुम्हारा नाम बड़े गर्व और श्रद्धा से लिया जायेगा।
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) बाज ने अपना जीवन किस तरह बिताया?
(ग) किसका नाम बड़े गर्व एवं श्रद्धा से लिया जाता है?
(घ) बाज के जीवन से क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर :
(क) शीर्षक-बाज का प्रेरणादायी जीवन।
(ख) बाज ने अपना जीवन शत्रुओं का सामना करते हुए, बड़ी वीरता, साहस और स्वतन्त्रता से बिताया।
(ग) जो समाज के लिए अपने प्राणों का सहर्ष बलिदान करता है, जीवन में साहस और वीरता दिखाता है, स्वतन्त्रता एवं सम्मान की रक्षा करता है, उसका नाम बड़े गर्व एवं श्रद्धा से लिया जाता है।
(घ) बाज के जीवन से प्रेरणा मिलती है कि साहस, वीरता, त्याग तथा बलिदान की भावना रखनी चाहिए। स्वतन्त्रता की भावना और प्रेम का आचरण करना चाहिए।
पाठ का सार - इस कहानी में लेखक ने वीरता और कायरता के भावों को दर्शाने के लिए बाज और साँप को प्रतीक रूप में प्रस्तुत किया है तथा दो प्राणियों के जीने का ढंग बताया है।
कठिन-शब्दार्थ :