Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Social Science Civics Chapter 7 हमारे आस-पास के बाज़ार Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
लोग साप्ताहिक बाजारों में क्यों जाते हैं? तीन कारण बताइये।
उत्तर:
लोग साप्ताहिक बाजारों में जाते हैं क्योंकि-
प्रश्न 2.
इन साप्ताहिक बाजारों में दुकानदार कौन-कौन होते हैं? बड़े व्यापारी इन बाजारों में क्यों नहीं दिखते?
उत्तर:
इन साप्ताहिक बाजारों में छोटे दुकानदार होते हैं। बड़े व्यापारी इन बाजारों में नहीं दिखते क्योंकि वे ब्रान्डेड सामान बेचते हैं जो कि महँगे होते हैं और साप्ताहिक बाजारों से सामान खरीदने वाले लोग अधिकांशतः निम्न वर्ग के या निम्न मध्य वर्ग के होते हैं जो ब्रान्डेड महँगा सामान खरीदने में सक्षम नहीं होते हैं।
प्रश्न 3.
साप्ताहिक बाजारों में सामान सस्ते दामों में क्यों मिल जाता है?
उत्तर:
साप्ताहिक बाजारों से सामान सस्ते दामों में मिल जाता है क्योंकि-
प्रश्न 4.
एक उदाहरण देकर समझाइए कि लोग बाजारों में कैसे मोल-तोल करते हैं? क्या आप ऐसी स्थिति के बारे में सोच सकते हैं, जहाँ मोल-तोल करना अन्यायपूर्ण होगा?
उत्तर:
मोल-तोल करना-बाजार में ग्राहक द्वारा किसी वस्तु के दाम पूछने पर विक्रेता उसकी कीमत बताता है। उपभोक्ता (ग्राहक) को जब कीमत बहुत अधिक लगती है तो वह विक्रेता से उस वस्तु की कीमत कम करने के लिए कहता है। विक्रेता थोड़ी सी कीमत कम करता है और उपभोक्ता को पुनः वस्तु खरीदने के लिए कहता है। यदि उपभोक्ता अब कीमत उचित समझता है तो वह विक्रेता से वह वस्तु खरीद लेता है। इस प्रकार बाजार में वस्तुओं का मोल-तोल होता है। वस्तु का अन्तिम दाम विक्रेता और खरीदार के बीच आपसी समझौते के द्वारा तय होता है।
छोटी-छोटी चीजों के छोटे दुकानदारों, रिक्शा चालकों, सिर पर बोझा ढोने वाले मजदूरों तथा गली में सामान बेचने वालों से मोल-तोल करना, मेरी समझ से, अन्यायपूर्ण होगा।
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प्रश्न 1.
सुजाता नोटबुक लेकर दुकान क्यों गई? क्या यह तरीका उपयोगी है? क्या इसमें कोई समस्या भी आ सकती है?
उत्तर:
सुजाता नोटबुक लेकर दुकान इसलिए गई क्योंकि उसे दुकानदार से उधार सामान लेना था। वह एक गरीब औरत थी और उस समय दुकानदार को सामान का दाम चुकाने के लिए उसके पास धन नहीं था। इसलिए, वह एक नोटबुक लेकर जाती थी जिसमें दुकानदार रुपयों की संख्या दर्ज कर उसे वापस सुजाता को दे देता था। दुकानदार अपने बड़े रजिस्टर में भी यह संख्या लिख लेता था। चूंकि सुजाता की मासिक आय बहुत कम थी, इसलिए उसके लिए यह तरीका उपयोगी था।
यदि दुकानदार उसे उधार देने से इन्कार कर देगा तो सुजाता के लिए रोजाना की आवश्यक वस्तुओं को खरीदना एक बड़ी समस्या हो सकती है। यह आवश्यक है कि ऐसी बिक्री तथा खरीद में दोनों ईमानदारी बरतें।
प्रश्न 2.
आपके मोहल्ले में अलग-अलग प्रकार की कौनकौनसी दुकानें हैं? आप उनसे क्या-क्या खरीदते हैं?
उत्तर:
हमारे मोहल्ले में किराना, दूध की डेयरी, स्टेशनरी, दवाइयों और फल तथा सब्जियों की दुकानें हैं। हम उनसे प्रायः दूध, दवाइयाँ, फल-सब्जी, कागज-पेंसिल, रबड़ तथा नमक, चीनी, तेल व मसाले आदि खरीदते हैं।
प्रश्न 3.
सड़क किनारे की दुकानों या साप्ताहिक बाजार में मिलने वाले सामान की तुलना में पक्की दुकानों से मिलने वाला सामान महँगा क्यों होता है?
उत्तर:
जो पक्की दुकानें होती हैं, उन्हें अपनी दुकानों के कई तरह के खर्चे जोड़ने होते हैं, जैसे-दुकानों का किराया, बिजली का बिल, सरकारी शुल्क आदि देना पड़ता है। इन दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह भी इन्हीं खर्चों में जोड़नी होती है।
दूसरी तरफ सड़क किनारे की दुकानों या साप्ताहिक बाजार में मिलने वाले सामान के दुकानदारों को इस तरह के खर्च नहीं करने पड़ते हैं। इसलिए पक्की दुकानों से मिलने वाला सामान सड़क किनारे की दुकानों या साप्ताहिक बाजार की दुकानों से मिलने वाले सामान से महँगा होता है।
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प्रश्न 1.
आप क्या सोचते हैं, सुरक्षा कर्मचारियों ने सुजाता और कविता को अन्दर जाने से रोकना क्यों चाहा होगा? यदि कहीं किसी बाजार में कोई आपको ऐसी ही दुकान में अन्दर जाने से रोके, तो आप क्या कहेंगे?
उत्तर:
सुरक्षा कर्मचारियों ने सुजाता और कविता को मॉल के अन्दर जाने से इसलिए रोकना चाहा होगा क्योंकि उन्होंने महसूस किया था कि दोनों ऐसी महंगी दुकान से सामान खरीदने में सक्षम नहीं थीं। उन्होंने देखा था कि दोनों मॉल में लिफ्ट से ऊपर-नीचे आने-जाने का आनंद ले रही थीं। यदि कोई मुझे किसी बाजार में ऐसी ही दुकान में अन्दर जाने से रोकेगा तो मैं यह कहूँगा कि मैं सामान देखना चाहता हूँ। यदि मुझे वस्तुओं की कीमतें सही लगेंगी, तो ही मैं उन्हें खरीदूंगा।
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प्रश्न 1.
ऐसा क्यों होता है कि लोग मॉल में दकानदारों से मोल-तोल नहीं करते हैं, जबकि साप्ताहिक बाजारों में ऐसा खूब किया जाता है।
उत्तर:
प्रश्न 2.
आपको क्या लगता है, आपके मोहल्ले की दुकान में सामान कैसे आता है? पता लगाइए और कुछ उदाहरणों से समझाइए।
उत्तर:
सामानों का उत्पादन कारखानों, खेतों और घरों में होता है, लेकिन हम कारखानों और खेतों से सीधे सामान नहीं खरीदते हैं। चीजों का उत्पादन करने वाले भी हमें कम मात्रा में अपने उत्पाद बेचने में रुचि नहीं रखते।
पहले थोक व्यापारी उनसे बड़ी मात्रा में संख्या में सामान खरीद लेता है। जैसे-सब्जियों का थोक व्यापारी बड़ी मात्रा में-25 से 100 किलो तक सब्जियाँ खरीद लेता है। इन्हें वह दूसरे व्यापारियों को बेचता है। यहाँ खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों व्यापारी होते हैं। व्यापारियों की लंबी श्रृंखला का वह अंतिम व्यापारी जो अन्ततः वस्तुएँ उपभोक्ता को बेचता है, खुदरा या फुटकर व्यापारी कहलाता है। यह वही दकानदार होता है, जो हमें पड़ौस की दुकानों, साप्ताहिक बाजार या शापिंग कॉम्प्लेक्स में सामान बेचता मिलता है।
प्रश्न 3.
थोक व्यापारी की भूमिका जरूरी क्यों होती है?
उत्तर:
थोक व्यापारी की भूमिका जरूरी होती है क्योंकि वह वस्तुओं को सस्ती दरों पर बेचता है। वह उत्पादकों से बड़ी मात्रा में चीजों को खरीदता है। वह उत्पादक और खुदरा व्यापारी के बीच में एक कड़ी की भूमिका निभाता है।
प्रश्न 1.
एक फेरीवाला, किसी दुकानदार से कैसे भिन्न है?
उत्तर:
फेरीवाले और दुकानदार में अन्तर
प्रश्न 2.
निम्न तालिका के आधार पर एक साप्ताहिक बाजार और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की तुलना करते हुए उनका अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
स्पष्ट कीजिए कि बाजारों की श्रृंखला कैसे बनती है? इससे किन उद्देश्यों की पूर्ति होती है?
उत्तर:
बाजारों की श्रृंखला निम्न प्रकार से बनती है-
बाजार श्रृंखला से निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति होती है-
प्रश्न 4.
सब लोगों को बाजार में किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है। क्या आपके विचार से महँगे उत्पादों की दुकानों के बारे में यह बात सत्य है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ, सब लोगों को बाजार में किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है। यह बात महँगे उत्पादों की दुकानों के बारे में भी सत्य है। परन्तु-
(i) महँगे उत्पाद प्रायः उच्च आय वर्ग वाले लोग ही खरीद पाते हैं। इसलिए निम्न आय वर्ग वाले वहाँ नहीं जाते हैं।
(ii) निम्न आय वर्ग के लोग सामान्यतः साप्ताहिक बाजारों, स्थानीय दुकानों तथा फेरीवालों से ही सामान खरीदते हैं। उदाहरण के लिए-उच्च आय वर्ग के लोग हरी सब्जियाँ भी प्रायः शॉपिंग माल से ही खरीदते हैं जबकि निम्न आय वर्ग के लोग इसे स्थानीय दुकानदारों अथवा फेरीवालों से खरीदते हैं।
प्रश्न 5.
बाजार में जाए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है। उदाहरण देकर इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हाँ, बाजार में जाए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है। आजकल तरह-तरह के सामान के लिए फोन या इण्टरनेट पर भी ऑर्डर दे दिये जाते हैं और सामान आपके घर तक पहुँचा दिया जाता है।
उदाहरण-यदि कोई व्यक्ति अपने घर की आवश्यकता के लिए कुछ वस्तुएँ खरीदना चाहता है। इसके लिए उसे निम्न प्रक्रिया अपनानी होगी-