Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर Textbook Exercise Questions and Answers.
निबंध से -
प्रश्न 1.
खान-पान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें।
उत्तर :
खान-पान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का तात्पर्य है, सभी प्रान्तों में खान-पान के आधार पर मेलजोल होना। आजादी मिलने के बाद बढ़ते उद्योग-धन्धों, नौकरियों और तबादलों के। कारण खान-पान की चीजें एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँची हैं। लोगों ने अपनी पसन्द के आधार पर एक-दूसरे प्रान्त की खाने की चीजों को अपने भोज्य पदार्थों में शामिल किया है। जैसे दक्षिण भारत के इडली, डोसा-साँभर-रसम अब उत्तर भारत में चाव से खाये जाते हैं और उत्तर भारतीय रोटी-दाल-साग अब पूरे देश में कहीं भी मिल सकते हैं।
गुजराती ढोकला अब गुजरात तक ही सीमित नहीं रहा। इसी प्रकार बंगाली मिठाइयाँ अब कहीं भी किसी भी शहर में आसानी से खरीदी जा सकती। हमारे घर में कुछ वर्ष पहले तक उत्तर भारतीय भोजन रोटीदाल-साग-सब्जी, पूड़ी आदि खाई जाती थीं। वहीं अब कभी इडली-डोसा-बड़ा खाया जाने लगा है। इसके साथ ही कभी-कभार फास्ट-फूड-बर्गर, नूडल्स, पिज्जा भी खाया जाने लगा है। यह खानपान की मिश्रित संस्कृति का ही प्रभाव है।
प्रश्न 2.
खानपान में बदलाव के कौन से फायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है?
उत्तर :
खानपान के बदलाव से निम्नलिखित फायदे हैं -
खान - पान में बदलाव को लेकर लेखक इसलिए चिन्तित है कि आज खान-पान की मिश्रित संस्कृति को अपनाने से नुकसान भी हो रहे हैं, जो निम्न प्रकार से हैं -
प्रश्न 3.
खान-पान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है?
उत्तर :
खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ यह हैकिसी स्थान विशेष के खाने-पीने का विशेष व्यंजन। उदाहरण के लिए मुंबई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले-कल्चे. आगरा का पेठा और दालमोठ आदि। पहले स्थानीय व्यंजनों का अपने आप में बहुत महत्त्व था, लेकिन आज की मिश्रित संस्कृति ने लोगों के खाने-पीने के व्यंजनों में इतने विकल्प दे दिए हैं कि स्थानीय व्यंजनों का महत्त्व कम होता जा रहा है।
निबंध से आगे -
प्रश्न 1.
घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई बाजार से आती हैं? इनमें से बाजार से आने वाली कौन सी चीजें आपके माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं?
उत्तर :
मैं राजस्थान का रहने वाला है। हमारे घर में काफी चीजें पकाई जाती हैं। जैसे-दाल, सब्जियाँ, खीर, चावल आदि। इसके अलावा पुए, पकौड़े, हलुआ, चूरमा-बाटी इत्यादि भी बनाए जाते हैं। बाजार से समोसे, कचौड़ी, जलेबी, बरफी, आइसक्रीम इत्यादि आते हैं। पहले माँ-पिताजी के बचपन में समोसे, कचौड़ी, - पुए इत्यादि घर में ही बनाए जाते थे।
प्रश्न 2.
यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिए -
उबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, पापड़, आलू, बैंगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला
[भोजन - कैसे पकाया - स्वाद]
उत्तर :
प्रश्न 3.
छौंक चावल कढ़ी
इन शब्दों में क्या अंतर है? समझाइए। इन्हें बनाने के तरीके विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग हैं। पता करें कि आपके प्रांत में इन्हें कैसे बनाया गया है। उत्तर :
छौंक, चावल और कढ़ी में अंतर निम्न प्रकार से हैछौँक-एक कड़ाही या छोटे बर्तन में घी या तेल गर्म करके उसमें जीरा या राई डाला जाता है, फिर स्वाद के अनुसार मसाले व प्याज, टमाटर, धनिया इत्यादि डालकर उन्हें भून लिया जाता है और उसे सब्जी में डाल दिया जाता है। छौंक से सब्जी स्वादिष्ट बनती है।
चावल - चावल मुख्य भोजन में शामिल है। यह मीठा या नमकीन बनाया जाता है। चावल को उबालकर उसमें स्वाद के अनुसार चीनी की चाशनी या बूरा अथवा मसाले इत्यादि डाल कर बनाया जाता है। साधारण जीरे का छौंक लगाकर पुलाव भी बनाए जाते हैं।
कढ़ी - बेसन में दही मिलाकर कढ़ाई में छौंक लगाया जाता है। फिर स्वाद अनुसार मसाले डालकर व पर्याप्त मात्रा में पानी डालकर इसे उबलने तक पकाया जाता है।
प्रश्न 4.
पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुई तसवीर का खाका खींचें तो इस प्रकार होगा -
उत्तर :
इसी प्रकार आप कुछ कपड़ों या पोशाकों की बदलती तसवीर का खाका खींचिए।
उत्तर :
प्रश्न 5.
मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रान्त का पारम्परिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन-सूची (मेन्यू) बनाइए।
उत्तर :
कुछ स्थानों के पारम्परिक व्यंजन - बीकानेर-गुलाब जामुन, रसगुल्ले, नमकीन, पुरी-साग। जयपुर-मिश्रीमावा, नमकीन, बर्फी, पूरी-साग। उदयपुर-चूरमा, दाल-बाटी, दही| बड़े। जोधपुर-मावे की कचोरी, मिर्च टपोरे, पूरी-साग।
भाषा की बात -
प्रश्न 1.
खानपान शब्द, खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए
सीना-पिरोना भला-बुरा चलना-फिरना
लंबा-चौड़ा कहा-सुनी घास-फूस
उत्तर :
प्रश्न 2.
कई बार एक शब्द सनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ। नीचे शुरुआत की गई है। उसे आप आगे बढ़ाइए। कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि के रूप में भी इसे दिया जा सकता है -
इडली - दक्षिण - केरल - ओणम्-त्योहार - छट्टी - आराम....
उत्तर :
साड़ियाँ-बनारसी, ताजमहल-आगरा, लखनवीखरबूजे, कश्मीरी-सेब, इलाहाबादी-अमरूद, नटखटबालक, चंचल-बालिका आदि।
प्रश्न 1.
'खानपान की बदलती तसवीर' पाठ के लेखक हैं -
(क) जैनेन्द्र कुमार
(ख) भगवती प्रसाद वाजपेयी
(ग) शिव प्रसाद सिंह
(घ) प्रयाग शुक्ल।
उत्तर :
(घ) प्रयाग शुक्ल।
प्रश्न 2.
खानपान की नई संस्कृति का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है -
(क) राष्ट्रीय एकता पर
(ख) प्रादेशिकता पर
(ग) खानपान के नए स्वरूप पर
(घ) धार्मिक एकजुटता पर।
उत्तर :
(क) राष्ट्रीय एकता पर
प्रश्न 3.
खानपान की बदली हुई संस्कृति से सबसे अधिक प्रभावित हुई है -
(क) पुरानी पीढ़ी
(ख) महिला पीढ़ी
(ग) नई पीढ़ी
(घ) कामकाजी पीढ़ी।
उत्तर :
(ग) नई पीढ़ी
प्रश्न 4.
स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार कर उन्हें क्या कहकर पुकारने का चलन बढ़ा है?
(क) स्थानीय व्यंजन
(ख) पुराने व्यंजन
(ग) मिश्रित व्यंजन
(घ) एथनिक।
उत्तर :
(घ) एथनिक।
प्रश्न 5.
'गड्डमड्ड' शब्द से अर्थ है -
(क) बेस्वाद
(ख) बेकार
(ग) मिला हुआ
(घ) तीखा।
उत्तर :
(ग) मिला हुआ
रिक्त स्थानों की पूर्ति -
प्रश्न 6.
नीचे लिखे रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिए गये सही शब्दों से कीजिए
(क) फ़ास्ट फूड (तुरन्त भोजन) का चलन भी ....................... शहरों में खूब बढ़ा है। (छोटे/बड़े)
(ख) ..................... जीवन में भोजन-विविधता अपनी जगह बना चुकी है। (मध्यमवर्गीय/उच्चवर्गीय)
(ग) नयी पीढ़ी को देश-विदेश के व्यंजनों को जानने का ................ मिला है। (सुयोग/सुफल)
(घ) नयी संस्कृति में हमेंएकता के लिए नए बीज भी मिल सकते हैं। (राज्यीय/राष्ट्रीय)
उत्तर :
(क) बड़े
(ख) मध्यवर्गीय
(ग) सुयोग
(घ) राष्ट्रीय।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 7.
उत्तर भारत की कौन-सी संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है?
उत्तर :
उत्तर भारत की 'ढाबा' संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है।
प्रश्न 8.
नाश्ते के रूप में कौन-सी चीज लाखों-करोड़ों भारतीय घरों में सेंकी-तली जा रही है?
उत्तर :
नाश्ते के रूप में 'ब्रेड' लाखों-करोड़ों भारतीय घरों में सेंकी-तली जा रही है।
प्रश्न 9.
कामकाजी महिलाओं के लिए अब क्या दुःसाध्य हो गया है?
उत्तर :
कामकाजी महिलाओं के लिए खरबूजे के बीज सुखाना-छीलना और उनसे व्यंजन तैयार करना दुःसाध्य हो गया है।
प्रश्न 10.
किसी स्थान का खानपान भिन्न-भिन्न क्यों होता
उत्तर :
किसी स्थान का खानपान रुचि एवं परम्परा के आधार पर भिन्न-भिन्न होता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 11.
'खानपान की बदलती तसवीर' पाठ में क्या सन्देश दिया गया है?
उत्तर :
'खानपान की बदलती तसवीर' पाठ में यह सन्देश दिया गया है कि हम दूसरे देशों और प्रान्तों के खानपान को अपनाएँ, लेकिन स्थानीय व्यंजनों के महत्त्व को अपना कर उन्हें भी बढ़ावा दें।
प्रश्न 12.
शहरी जीवन में भागमभाग क्यों है?
उत्तर :
शहरी जीवन में भागमभाग इसलिए है, क्योंकि कमरतोड़ महंगाई के कारण वहाँ के जीवन में धन कमाने की होड़ मची हुई है जिसके कारण उनके पास समय का अभाव है।
प्रश्न 13.
खानपान संस्कृति का मिश्रित रूप कैसे विकसित हुआ?
उत्तर :
खानपान संस्कृति का मिश्रित रूप आजादी के बाद उद्योग-धन्धों, नौकरियों, तबादलों के कारण लोगों का एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में जाने से विकसित हुआ।
निबन्धात्मक प्रश्न -
प्रश्न 14.
उत्तर भारत के व्यंजनों की दुर्गति क्यों हो रही है?
उत्तर :
उत्तर भारतीय व्यंजनों में बहुत-सी ऐसी चीजें थीं जो सहजता से आम बाजार में उपलब्ध हो जाती थीं। इसके साथ ही कई घरों में भी बनाई जाती थीं । आज पनपी व्यंजनों की मिश्रित संस्कृति, महँगाई और समयाभाव के कारण बहुत-सी खाद्य वस्तुएँ सामान्यतया घरों और बाजारों से| गायब होती जा रही हैं। जैसे - पूड़ियाँ, कचोड़ियाँ, जलेबियाँ, सब्जियों से भरे समोसे अब नहीं मिलते हैं इसलिए लेखक ने कहा कि उत्तर भारत के व्यंजनों की दुर्गति हो रही है।
प्रश्न 15.
पुनरुद्धार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
पुनरुद्धार से तात्पर्य यह है कि किसी भी खाद्य वस्तु का फिर से उद्धार करना, अर्थात् जो खाद्य वस्तु अब प्रचलन में अपना महत्त्व कम कर चुकी है, उसे फिर से ऊँचा स्थान दिलाना। यदि पाठ के आधार पर कहें तो समय को देखते हुए भारतीय व्यंजनों के पुनरुद्धार की आवश्यकता महसूस हो रही है, क्योंकि पश्चिमी प्रभाव के कारण वे अपना अस्तित्व धीरे-धीरे खोते जा रहे हैं जिसके कारण पश्चिमी खाद्य पदार्थों को बढ़ावा मिल रहा है।
गद्यांश पर आधारित प्रश्न -
प्रश्न 16.
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
1. खानपान की इस बदली हुई संस्कृति से सबसे अधिक प्रभावित नयी पीढ़ी हुई है, जो पहले के स्थानीय व्यंजनों के बारे में बहुत कम जानती है, पर कई नए व्यंजनों के बारे में बहुत-कुछ जानती है। स्थानीय व्यंजन भी तो अब घटकर कुछ ही चीज़ों तक सीमित रह गए हैं। बंबई की पाव-भाजी और दिल्ली के छोले-कुलचों की दुनिया पहले की तुलना में बड़ी जरूर है, पर अन्य स्थानीय व्यंजनों की दुनिया में छोटी हुई है।
प्रश्न :
(क) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
(ख) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए।
(ग) खानपान की बदली संस्कृति से सबसे अधिक प्रभावित कौन हुआ है?
(घ) बंबई की क्या चीज़ प्रसिद्ध है?
उत्तर :
(क) प्रस्तुत गद्यांश 'खानपान की बदलती तसवीर' शीर्षक पाठ से लिया गया है।
(ख) स्थानीय-एक विशेष स्थान का। व्यंजनों-खाद्यपदार्थों।
(ग) खानपान की बदलती संस्कृति से नई पीढ़ी सबसे अधिक प्रभावित हुई है।
(घ) बंबई की 'पाव भाजी' प्रसिद्ध है।
2. पिछले दस-पंद्रह वर्षों में हमारी खानपान की संस्कृति में एक बड़ा बदलाव आया है। इडली-डोसा-बड़ा-साँभररसम अब केवल दक्षिण भारत तक सीमित नहीं हैं। ये उत्तर भारत के भी हर शहर में उपलब्ध हैं और अब तो उत्तर भारत की 'ढाबा' संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है। अब आप कहीं भी हों, उत्तर भारतीय रोटीदाल-साग आपको मिल ही जाएंगे। फ़ास्ट फूड'(तुरंत भोजन) का चलन भी बड़े शहरों में खूब बढ़ा है।
प्रश्न :
(क) यह गद्यांश जिस पाठ से लिया गया है, उसके लेखक का नाम बताइए।
(ख) खानपान की संस्कृति में बदलाव से क्या आशय
(ग) फास्टफूड का चलन विशेष रूप से कहाँ बढ़ा है?
(घ) कौन-सी संस्कृति पूरे देश में फैल चुकी है?
उत्तर :
(क) लेखक का नाम है-प्रयाग शुक्ल।
(ख) इससे यह आशय है कि भारत के एक क्षेत्र या प्रदेश का भोजन दूसरे प्रदेशों में पसन्द किया जाने लगा है और फास्ट फूड का प्रचलन बढ़ गया है।
(ग) फास्टफूड का प्रचलन विशेष रूप से बड़े शहरों में खूब बढ़ा है।
(घ) उत्तर भारत की ढाबा संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है।
3. हो यह भी रहा है कि खानपान की मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीजों का असली और अलग स्वाद नहीं ले पा रहे। अकसर प्रीतिभोजों और पार्टियों में एक साथ ढेरों चीजें रख दी जाती हैं और उनका स्वाद गड्डमड्ड होता कुछ चीजें चुनने का अवसर देती है, हम उसका लाभ प्रायः नहीं उठा रहे हैं। हम अकसर एक ही प्लेट में कई तरह के और कई बार तो बिलकुल विपरीत प्रकृतिवाले व्यंजन परोस लेना चाहते हैं।
प्रश्न :
(क) खानपान की मिश्रित संस्कृति किसे कहा गया है?
(ख) खानपान की मिश्रित ने किसे प्रभावित किया है?
(ग) खानपान की संस्कृति से क्या लाभ रहता है?
(घ) कौन-सी बातें खानपान-विशेष से जुड़ी हुई हैं?
उत्तर :
(क) भोजन में एक साथ कई प्रकार के खाद्य परोसे जाते हैं, इसे ही खानपान की मिश्रित संस्कृति कहते हैं।
(ख) खानपान की मिश्रित संस्कृति ने कई चीज़ों के असली और अलग स्वाद को प्रभावित किया है।
(ग) खानपान की संस्कृति से आपसी मेल-मिलाप का तथा सभी तरह के स्वाद का लाभ रहता है।
(घ) विभिन्न क्षेत्रों एवं प्रदेशों की बोली-भाषाओं एवं वेशभूषा आदि से सम्बन्धित बातें खानपान-विशेष से जुड़ी हुई हैं।
पाठ-सार - प्रस्तुत पाठ में तेजी से बदलती इस दुनिया में हमारे खाने-पीने की संस्कृति में आए परिवर्तन का वर्णन है कि किस तरह नई-नई खाद्य वस्तुएँ स्थानीय व्यंजनों एवं पकवानों में शामिल होकर अपनी उपयोगिता बढ़ाती जा रही हैं।
कठिन-शब्दार्थ :