Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 6 नए प्रश्न नए विचार Textbook Exercise Questions and Answers.
Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 6 Social Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 6. Students can also read RBSE Class 6 Social Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 6 Social Science Notes to understand and remember the concepts easily. The class 6 social science chapter 3 question answer are curated with the aim of boosting confidence among students.
पृष्ठ 58
प्रश्न 1.
वेदों की रचना के लिए किस भाषा का प्रयोग हुआ था?
उत्तर:
वेदों की रचना के लिए प्राक् संस्कृत या वैदिक संस्कृत भाषा का प्रयोग हुआ था। यह वर्तमान की संस्कृत भाषा से थोड़ी भिन्न है।
पृष्ठ 59
प्रश्न 2.
बुद्ध दुःखी मां को क्या शिक्षा देने का प्रयास कर रहे थे?
उत्तर:
बुद्ध यह शिक्षा देने का प्रयास कर रहे थे कि मृत्यु एक अटल सत्य है। कोई भी इससे बच नहीं सकता।
पृष्ठ 60
प्रश्न 3.
भिखारी ने भोजन पाने के लिए ऋषियों को किस तरह मनाया?
उत्तर:
भिखारी ने भोजन पाने के लिए ऋषियों को कहा कि जिस सार्वभौम आत्मा की वे उपासना करते हैं वह तो सम्पूर्ण विश्व में विद्यमान है और इसीलिए वह उस भिखारी में भी विद्यमान है। अत: वे ऋषि उस भिखारी को भोजन न देकर सार्वभौम आत्मा को भोजन देने से मना कर रहे हैं। इस सच्चाई को बतलाकर भिखारी ने भोजन पाने के लिए ऋषियों को मनाया।
पृष्ठ 62
प्रश्न 4.
महावीर के लिए 'जिन' शब्द का प्रयोग क्यों हुआ?
उत्तर:
'जिन' शब्द का अर्थ है "विजेता'। महावीर के लिए 'जिन' शब्द का प्रयोग इसीलिए हुआ क्योंकि उन्होंने अपनी इन्द्रियों पर पूर्णतया विजय प्राप्त कर ली थी।
पृष्ठ 63
प्रश्न 5.
पिछले अध्याय में वर्णित संघ और इस अध्याय में वर्णित संघ के बीच दो भिन्नताएँ बताओ। क्या इनमें कोई समानताएँ दिखती हैं?
उत्तर:
भिन्नताएँ:
पृष्ठ 64
प्रश्न 6.
संघ के जीवन से आश्रमों की यह व्यवस्था किस तरह भिन्न थी? यहाँ किन वर्णों का उल्लेख हुआ है? क्या सभी चार वर्णों को यह आश्रम व्यवस्था अपनाने की अनुमति थी?
उत्तर:
संघ के जीवन से आश्रमों की व्यवस्था में अन्तर:
1. संघ के जीवन में आयु का कोई बन्धन नहीं था जबकि आश्रम व्यवस्था आयु के आधार पर चार चरणों में बंटी हुई थी।
2. संथ में स्त्री एवं पुरुषों के अलग रहने की व्यवस्था होती थी, आश्रम व्यवस्था में स्त्रियों को अपने पतियों द्वारा पालन किये जाने वाले आश्रमों का ही अनुसरण करना पड़ता था।
3. संघ में रहने वाले लोग बहुत सादा जीवन जीते थे, अधिकांश समय ध्यान में बिताते थे, भिक्षा मांगकर भोजन की व्यवस्था करते थे, आम लोगों को शिक्षा देते थे। आश्रम व्यवस्था में चरणबद्ध रूप में ब्रह्मचारी, गृहस्थी, वानप्रस्थी तथा संन्यासी का जीवन बिताना होता था। वर्ण - आश्रम व्यवस्था में केवल ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य वर्गों का उल्लेख हुआ है। आश्रम व्यवस्था की अनुमति - नहीं, सभी चार वर्णों को यह आश्रम व्यवस्था अपनाने की अनुमति नहीं थी।
आओ याद करें
प्रश्न 1.
बुद्ध ने लोगों तक अपने विचारों का प्रसार करने के लिए किन - किन बातों पर जोर दिया?
उत्तर:
बुद्ध ने लोगों तक अपने विचारों का प्रसार करने के लिए:
प्रश्न 2.
'सही' व 'गलत' वाक्य बताओ।
(क) बुद्ध ने पशुबलि को बढ़ावा दिया।
(ख) बुद्ध द्वारा प्रथम उपदेश सारनाथ में देने के कारण इस जगह का बहुत महत्व है।
(ग) बुद्ध ने शिक्षा दी कि कर्म का हमारे जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(घ) बुद्ध ने बोध गया में ज्ञान प्रात किया।
(ङ) उपनिषदों के विचारकों का मानना था कि आत्मा और ब्रह्म वास्तव में एक ही हैं।
उत्तर:
(क) गलत
(ख) सही
(ग) गलत
(घ) सही
(ङ) सही।
प्रश्न 3.
उपनिषदों के विचारक किन प्रश्नों का उत्तर देना चाहते थे?
उत्तर:
उपनिषदों के विचारक निम्न प्रश्नों का उत्तर देना चाहते थे:
प्रश्न 4.
महावीर की प्रमुख शिक्षाएँ क्या थी?
अथवा
जैन धर्म के प्रमुख नियम क्या थे?
उत्तर:
महावीर की प्रमुख शिक्षाएँ अथवा जैन धर्म के प्रमुख न नियम निम्न प्रकार थे:
आओ चर्चा करें।
प्रश्न 5.
अनघा की माँ क्यों चाहती थी कि उनकी बेटी बुद्ध की कहानी से परिचित हो? तुम्हारा इसके बारे में क्या कहना है?
उत्तर:
अनघा की मां ऐसा इसलिए चाहती थी ताकि उनकी बेटी महात्मा बुद्ध जैसे महापुरुष की जीवनी तथा शिक्षाओं से परिचित हो सके। हमारा विचार है कि हमें ऐसे सभी महापुरुषों के जीवन से अवश्य परिचित होना चाहिए ताकि हम अच्छी बातें सीख सकें।
प्रश्न 6.
क्या तुम सोचते हो कि दासों के लिए संघ में प्रवेश करना आसान रहा होगा, तर्क सहित उत्तर दो।
उत्तर:
नहीं, हमारे विचार में दासों के लिए संघ में प्रवेश करना आसान नहीं रहा होगा। क्योंकि संघ में रहने के लिए दासों को अपनी स्वामी से अनुमति लेनी होती थी। उस समय दास उनके मालिक की निजी सम्पत्ति होते थे अतः उन्हें प्राय: संप में प्रवेश की अनुमति नहीं प्रदान की जाती होगी।