Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit Ruchira Chapter 14 अहह आः च Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
अधोलिखितानां पदानां समुचितान् अर्थान् मेलयत -
(निम्नलिखित पदों के उचित अर्थों का मेल कीजिए-)
क ख
हस्ते - अकस्मात्
सद्यः - पृथ्वीम्
सहसा - गगनम्
धनम् - शीघ्रम्
आकाशम् - करे
धराम् - द्रविणम्
उत्तरम् :
क ख
हस्ते - करे।
सद्यः - शीघ्रम्।
सहसा - अकस्मात्।
धनम् - द्रविणम्।
आकाशम् - गगनम्
धराम् - पृथ्वीम्।
प्रश्न 2.
मञ्जूषातः उचितं विलोमपदं चित्वा लिखत -
(मंजूषा से उचित विलोम शब्द चुनकर लिखिए-)
[प्रविशति सेवकः मूर्खः नेतुम् नीचैः दुःखिताः]
उत्तरम् :
(क) चतुरः - मूर्खः।
(ख) आनेतुम् - नेतुम्।
(ग) निर्गच्छति - प्रविशति।
(घ) स्वामी - सेवकः।
(ङ) प्रसन्नः - दुःखितः।
(च) उच्चैः - नीचैः।
प्रश्न 3.
मञ्जूषातः उचितम् अव्ययपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत -
(मंजूषा से उचित अव्यय पद चुनकर रिक्त-स्थानों की पूर्ति कीजिए-)
[इव अपि. एव च उच्चैः]
उत्तरम् :
(क) बालका: बालिकाः च क्रीडाक्षेत्रे क्रीडन्ति।
(ख) मेघाः उच्चैः गर्जन्ति।
(ग) बकः हंसः इव श्वेतः भवति।
(घ) सत्यम् एव जयते।
(ङ) अहं पठामि, त्वम् अपि पठ।
प्रश्न 4. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरं लिखत -
(अधोलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-)
(क) अजीज: गृहं गन्तुं किं वाञ्छति?
उत्तरम् :
अजीजः गृहं गन्तुम् अवकाशं वाञ्छति।
(ख) स्वामी मूर्खः आसीत् चतुरः वा?
उत्तरम् :
स्वामी चतुरः आसीत्।
(ग) अजीजः कां व्यथां श्रावयति?
उत्तरम् :
अजीजः वृद्धां व्यथां श्रावयति।
(घ) अन्या मक्षिका कुत्र दशति?
उत्तरम् :
अन्या मक्षिका मस्तके दशति।
(ङ) स्वामी अजीजाय किं दातुं न इच्छति?
उत्तरम् :
स्वामी अजीजाय धनं दातुं न इच्छति।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसारं लकारपरिवर्तनं कुरुत -
(निर्देशानुसार लकारपरिवर्तन कीजिए-)
यथा - अजीजः परिश्रमी अजीजः परिश्रमी अस्ति।
आसीत्। (लट्लकारे)
(क) अहं शिक्षकाय धनं ...............................
ददामि। (लुट्लकारे)
(ख) परिश्रमी जनः धनं ...............................
प्राप्स्यति। (लट्लकारे)
(ग) स्वामी उच्चैः वदति। ...............................
(लङ्लकारे)
(घ) अजीजः पेटिका ...............................
गृह्णाति (लट्लकारे)
(ङ) त्वम् उच्चैः पठसि। ...............................
(लोट्लकारे)
उत्तरम् :
(क) अहं शिक्षकाय धनं दास्यामि।
(ख) परिश्रमी जनः धनं प्राप्नोति।
(ग) स्वामी उच्चैः अवदत्।
(घ) अजीजः पेटिका ग्रहीष्यति।
(ङ) त्वम् उच्चैः पठ।
प्रश्न 6.
अधोलिखितानि वाक्यानि घटनाक्रमानुसारं लिखत
(अधोलिखित वाक्यों को घटनाक्रमानुसार लिखिए-)
(क) स्वामी अजीजाय अवकाशस्य पूर्ण धनं ददाति।
(ख) अजीजः सरलः परिश्रमी च आसीत्।
(ग) अजीज: पेटिकाम् आनयति।
(घ) एकदा सः गृहं गन्तुम् अवकाशं वाञ्छति।
(ङ) पीडितः स्वामी अत्युच्चैः चीत्करोति।
(च) मक्षिके स्वामिनं दशतः।
उत्तरम् :
(क) अजीजः सरलः परिश्रमी च आसीत्।
(ख) एकदा सः गृहं गन्तुम् अवकाशं वाञ्छति।
(ग) अजीजः पेटिकाम् आनयति।
(घ) मक्षिके स्वामिनं दशतः।
(ङ) पीडितः स्वामी. अत्युच्चैः चीत्करोति।
(च) स्वामी अजीजाय अवकाशस्य पूर्णं धनं ददाति।
प्रश्न:-
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि विकल्पेभ्यः चित्वा लिखत -
(i) अजीजः कस्य सेवायां लीनः आसीत?
(अ) स्वामिनः
(ब) पितुः
(स) मातुः
(द) वृद्धायाः
उत्तरम् :
(अ) स्वामिनः
(ii) अजीजस्य स्वामी कीदृशः आसीत्?
(अ) सरलः
(ब) धनिकः
(स) चतुरः
(द) दयालुः
उत्तरम् :
(स) चतुरः
(iii) एकदा अजीज: गृहं गन्तुं कि वाञ्छति स्म?
(अ) वाहनम्
(ब) अवकाशम्
(स) वस्त्रम्
(द) धनम्
उत्तरम् :
(ब) अवकाशम्
(iv) अजीज: स्वव्यथां कां श्रावयति?
(अ) मातरम्
(ब) जनक
(स) मित्रम्
(द) वृद्धाम्
उत्तरम् :
(द) वृद्धाम्
(v) स्वामी ....................... धनं ददाति। रिक्तस्थानं पूरयत।
(अ) तम्
(ब) तस्मै
(स) तस्य
(द) तान्
उत्तरम् :
(ब) तस्मै
(vi) अहं तुभ्यं वस्तुद्वयं ...........। रिक्तस्थानं पूरयत।
(अ) ददाति
(ब) ददति
(स) ददासि
(द) ददामि
उत्तरम् :
(द) ददामि
(vii) कुत्रचित् ................... वृद्धा मिलति। रिक्तस्थानं पूरयत।
(अ) एका
(ब) एक:
(स) एकम्
(द) एकया
उत्तरम् :
(अ) एका
अतिलघूत्तरात्मकप्रश्ना: -
प्रश्न:
एकपदेन प्रश्नान् उत्तरत -
(क) अजीजः कस्य एव सेवायां लीनः आसीत?
(ख) स्वामी कीदृशः आसीत्?
(ग) अजीजः किम् आनेतुं निर्गच्छति?
(घ) स्वामी शनैः शनैः काम् उद्घाटयति?
(ङ) का स्वामिनः हस्तं दशति?
उत्तराणि :
(क) स्वामिनः
(ख) चतुरः
(ग) वस्तुद्वयम्
(घ) पेटिकाम्
(ङ) मधुमक्षिका।
लघूत्तरात्मकप्रश्ना: -
प्रश्न:
पूर्णवाक्येन प्रश्नान् उत्तरत -
(क) अजीजः कीदृशः आसीत्?
उत्तरम् :
अजीजः सरलः परिश्रमी च आसीत्।
(ख) कः इतस्ततः परिभ्रमति?
उत्तरम् :
अजीजः इतस्तत: परिभ्रमति।
(ग) प्रसन्नः अजीजः कस्य समीपे आगच्छति?
उत्तरम् :
प्रसन्नः अजीजः स्वामिनः समीपे आगच्छति।
(घ) कम् दृष्ट्वा स्वामी चकितः भवति?
उत्तरम् :
अजीजं दृष्ट्वा स्वामी चकितः भवति।
(ङ) पीडितः स्वामी किम् करोति?
उत्तरम् :
पीडितः स्वामी अत्युच्चैः चीत्करोति।..
निबन्धात्मकप्रश्ना: -
प्रश्न:
'अहह आ: च' इति कथायाः सारं हिन्दीभाषायां लिखत।
उत्तर :
कथा-सार-प्रस्तुत रोचक कथा के माध्यम से प्रेरणा दी गई है कि परिश्रम और लगन से कठिन से भी कठिन कार्य को सरलता से सम्पन्न किया जा सकता है। कथा के अनुसार अजीज सरल स्वभाव वाला एवं परिश्रमी था। वह अपने स्वामी की सेवा में लगा रहता था। एक बार उसने स्वामी से अवकाश माँगा उसके स्वामी ने उसे दो वस्तुएँ 'अरे' तथा 'ओह' लाने के लिए कहा। ... यह सुनकर अजीज दोनों वस्तुएँ लाने के लिए इधर-उधर घूमता है तथा उन वस्तुओं के बारे में लोगों से पूछता है। तभी एक बुढ़िया ने उसे दो अमूल्य वस्तुएँ प्रदान की, जिसे ले जाकर अजीज अपने स्वामी को देता है। स्वामी ने उनमें से एक पात्र को खोला।
उसमें से एक मधुमक्खी ने निकलकर स्वामी के हाथ को काट खाया। अचानक स्वामी के मुख से निकला'अहह' (अरे!)। दूसरे पात्र को खोलने पर उसमें से भी एक मधुमक्खी ने निकलकर स्वामी के मस्तक पर काट खाया। व्यथित स्वामी जोर से चिल्लाता है'आ:' (ओह)। इस प्रकार अजीज सफल हो जाता है तथा स्वामी ने भी उसे अवकाश और वेतन के पूरे पैसे दे दिए।
पाठ-परिचय - प्रस्तुत पाठ में एक रोचक कथा के माध्यम से प्रेरणा दी गई है कि परिश्रम और लगन से | कठिन से भी कठिन कार्य को सरलता से सम्पन्न किया जा सकता है।
पाठ के कठिन-शब्दार्थ-
पाठ के गद्यांशों का हिन्दी अनुवाद एवं पठित-अवबोधनम् -
1. अजीजः सरलः परिश्रमी ...........................'अहह! आः!' च इति।"
हिन्दी-अनुवाद - अजीज सरल स्वभाव वाला और परिश्रमी था। वह स्वामी (मालिक) की ही सेवा में लीन (संलग्न) रहता था। एक बार वह घर जाने के लिए छुट्टी (अवकाश) चाहता था। स्वामी चतुर था। उसने सोचा"अजीज के समान कोई दूसरा कार्य में कुशल नहीं है। यह अवकाश का भी वेतन लेगा।" ऐसा सोचकर स्वामी कहता है कि-"मैं तुम्हें अवकाश का और वेतन का सम्पूर्ण धन दूंगा, परन्तु इसके लिए तुम दो वस्तुएँ लाओ - 'अरे!' और 'ओह! "
पठित-अवबोधनम् -
निर्देश: - उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा एतदाधारितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
प्रश्ना :
(क) अजीज: कस्य सेवायां लीनः आसीत्? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) स्वामी कीदृशः आसीत्? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) अजीज: गृहं गन्तुं किं वाञ्छति स्म? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) 'तुभ्यम्' इत्यत्र का विभक्तिः ?
(ङ) 'चतुरः' इति विशेषणपदस्य विशेष्यपदं किम्?
उत्तराणि :
(क) स्वामिनः।
(ख) चतुरः।
(ग) अजीजः गृहं गन्तुम् अवकाशं वाञ्छति स्म।
(ङ) स्वामी।
2. एतत् श्रुत्वा अजीजः वस्तुद्वयम् ........................................ समीपे आगच्छति।
हिन्दी-अनुवाद - यह सुनकर अजीज दो वस्तुएँ लाने के लिए निकलता है। वह इधर-उधर घूमता है। लोगों से पूछता है। आकाश को देखता है। पृथ्वी से प्रार्थना करता है। परन्तु सफलता प्राप्त नहीं करता है। (वह) सोचता है'परिश्रम का धन वह प्राप्त नहीं कर सकेगा।' कहीं पर (उसे) एक बुढ़िया (वृद्धा) मिलती है। वह उसको सारी पीड़ा सुनाता है। वह सोचने लगी-'स्वामी अजीज के लिए धन देना नहीं चाहता है।' वह उससे कहती है-"मैं तुमको दो वस्तुएँ देती हूँ।" परन्तु दोनों ही बहुमूल्य हैं। वह प्रसन्न होकर स्वामी के पास आ गया।
पठित-अवबोधनम् -
प्रश्ना:
(क) अजीजः किम् आनेतुं निर्गच्छति? (एकपदेन उत्तरत) :
(ख) सः कान् पृच्छति? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) अजीजः किं चिन्तयति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) 'इतस्ततः' इति पदस्य सन्धिविच्छेदं कुरुत।
(ङ) 'सः जनान् ...................।" इत्यत्र क्रियापदं किम्?
उत्तराणि :
(क) वस्तुद्वयम्।
(ख) जनान्।
(ग) अजीजः चिन्तयति यत् "परिश्रमस्य धनं सः नैव प्राप्स्यति।"
(घ) इतः + ततः।
(ङ) पृच्छति।
3. अजीजं दृष्ट्वा स्वामी ..............................पूर्ण धनं ददाति।
हिन्दी-अनुवाद - अजीज को देखकर स्वामी आश्चर्यचकित हो गया। स्वामी धीरे-धीरे पेटी को खोलता है। पेटी में दो छोटे-छोटे पात्र थे। पहले वह एक छोटे पात्र को खोलता है। अचानक एक मधुमक्खी निकलती है, और उसके हाथ को डसती है। स्वामी जोर से बोला-"अरे रे!" (उसके बाद उसने) दूसरे छोटे पात्र को खोला। (उसमें से) एक अन्य मक्खी निकली। वह (स्वामी के) मस्तक पर डसती है। पीड़ा से युक्त स्वामी बहुत जोर से चिल्लाता है"ओह!"। अजीज (परीक्षा में सफल हो गया था। स्वामी ने उसे अवकाश का और वेतन का पूरा धन दे दिया।
पठित-अवबोधनम् -
प्रश्ना :
(क) कम् दृष्ट्वा स्वामी चकितः भवति? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) पेटिकायां किम् आसीत्? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) प्रथम स्वामी किम् उद्घाटयति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) 'मधुमक्षिका' इत्यस्य विशेषणं किम्?
(ङ) 'स्वामी ....................... वदति।' अत्र उचितम् अव्ययपदं किम्?
उत्तराणि :
(क) अजीजम्।
(ख) लघुपात्रद्वयम्।
(ग) प्रथम स्वामी एकं लघुपात्रम् उद्घाटयति।
(घ) एका।
(ङ) उच्चैः।