RBSE Solutions for Class 6 Our Rajasthan Chapter 7 जल संसाधन एवं संरक्षण

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 6 Our Rajasthan Chapter 7 जल संसाधन एवं संरक्षण Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 6 Our Rajasthan Solutions Chapter 7 जल संसाधन एवं संरक्षण

RBSE Class 6 Our Rajasthan जल संसाधन एवं संरक्षण In-Text Book Questions and Answers

(पृष्ठ 39)

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प्रश्न 1.
नदी पर बने बाँधों से होने वाले लाभों की सूची बनाइये। 
उत्तर:
नदी पर बने बाँधों से होने वाले लाभ
(1) जल विद्युत उत्पादन 
(2) सिंचाई सुविधा 
(3) पेयजल की प्राप्ति 
(4) वृक्षारोपण योजना 
(5) भूमिगत जल स्तर में वृद्धि 
(6) बाढ़ नियन्त्रण 
(7) मृदा अपरदन पर नियंत्रण 
(8) पर्यटन स्थलों का निर्माण 
(9) मत्स्य पालन आदि। 

प्रश्न 2. 
क्या आपके जिले में कोई नदी घाटी परियोजना है? यदि हाँ तो उससे संबंधित जानकारी एकत्र कीजिए। 
उत्तर:
मैं बाँसवाड़ा जिले में रहती हूँ। हमारे जिले में माही बजाज सागर परियोजना है। यह परियोजना माही नदी पर स्थित है। यह राजस्थान और गुजरात.राज्य की सम्मिलित परियोजना है। इस परियोजना के माध्यम से दोनों राज्यों में सिंचाई, जल विद्युत और पेयजल की सुविधाएं उपलब्ध हो  रही हैं।

RBSE Class 6 Our Rajasthan जल संसाधन एवं संरक्षण Text Book Questions and Answers

I. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर कोष्ठक में लिखिए

1. बनास किस नदी की सहायक नदी है? 
(क) चम्बल
(ख) लूनी 
(ग) बाणगंगा
(घ) माही
उत्तर:
(क) चम्बल

2. माही बजाज सागर परियोजना कहाँ विकसित की गई? 
(क) बांसवाड़ा में 
(ख) डूंगरपुर में 
(ग) उदयपुर में 
(घ) कोटा में 
उत्तर:
(क) बांसवाड़ा में

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II. अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
चंबल की प्रमुख सहायक नदियों के नाम लिखिए। 
उत्तर:
चंबल की प्रमुख सहायक नदियां बनास, बेड़च, कोठारी, कालीसिंध, पार्वती आदि हैं। 

प्रश्न 2. 
राजस्थान की प्रमुख नदी घाटी परियोजनाओं के नाम लिखिए। 
उत्तर:
(1) चम्बल परियोजना 
(2) माही बजाज सागर परियोजना 
(3) बीसलपुर परियोजना 
(4) सरदार सरोवर परियोजना। 

III. लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
चम्बल परियोजना पर लघु निबंध लिखिए। 
उत्तर:
चम्बल परियोजना-चम्बल परियोजना राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्यों की संयुक्त परियोजना है। इस परियोजना के अंतर्गत कुल चार बाँध बनाए गए हैं। इनमें से गाँधी सागर बाँध मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित है। राजस्थान में चित्तौड़गड़ जिले में राणा प्रताप सागर बाँध एवं कोटा जिले में जवाहर सागर व कोटा बैराज बाँध स्थित हैं। इस  परियोजना से दोनों राज्यों को जल विद्युत एवं सिंचाई की सुविधाएँ मिलती हैं। 

प्रश्न 2. 
राजस्थान की परम्परागत जल संरक्षण विधियों का संक्षिप्त वर्णन कीजए। 
उत्तर:
राजस्थान में जल संरक्षण का प्राचीन काल से ही  बहुत महत्त्व रहा है। राजस्थान के लगभग हर क्षेत्र में परम्परागत जल संरक्षण की विधियाँ अपनाई गई हैं। इनके अन्तर्गत पारम्परिक जल स्रोत कुएं, बावड़ियाँ, जोहड़, टांके, खड़ीन आदि का उपयोग जल संरक्षण के लिये किया जाता है। राजा-महाराजाओं ने झीलों के निर्माण द्वारा भी जल संरक्षण का कार्य किया।

RBSE Class 6 Our Rajasthan जल संसाधन एवं संरक्षण Important Questions and Answers

बहुचयनात्मक प्रश्न

1.अरब सागर के अपवाह तंत्र की नदी है
(अ) पार्वती 
(ब) कालीसिंध 
(स) बनास
(द) लूनी 
उत्तर:
(द) लूनी 

2. सोम व जाखम नदियाँ किस नदी की सहायक नदियाँ
(अ) माही 
(ब) चम्बल 
(स) घग्घर
(द) बनास 
उत्तर:
(अ) माही 

3. अर्जुन की गंगा किस नदी को कहा जाता है? 
(अ) घग्घर
(ब) बाणगंगा 
(स) माही
(द) लूनी 
उत्तर:
(ब) बाणगंगा 

4. राणा प्रताप सागर बाँध किस जिले में है? 
(अ) उदयपुर 
(ब) कोटा 
(स) चित्तौड़गढ़ 
(द) जयपुर 
उत्तर:
(स) चित्तौड़गढ़ 

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5. विश्व की मीठे पानी की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील कौनसी मानी जाती है? 
(अ) जयसमंद 
(ब) पोकरण 
(स) राजसमंद 
(द) कायलाना झील 
उत्तर:
(अ) जयसमंद 

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. राजस्थान के अपवाह तंत्र को .. ....भागों में बाँटा जाता है। 
2. घग्घर नदी ...... अपवाह तंत्र का उदाहरण है। 
3. गढ़ीसर झील में ....... स्थित है। 
4. हमें ......... में घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट नहीं डालना चाहिए। 
उत्तर:
1. तीन 
2. आंतरिक 
3. जैसलमेर 
4. जलाशयों। 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
जल का उपयोग प्रायः किन कार्यों में किया जाता है?
उत्तर:
जल का उपयोग प्रायः दैनिक घरेलू कार्यों, सिंचाई, उद्योग एवं पेयजल के रूप में किया जाता है। 

प्रश्न 2. 
राजस्थान के मुख्य जल स्रोत कौनसे हैं? 
उत्तर:
राजस्थान के मुख्य जल स्रोत झीलें, नदियाँ और उन पर बने बाँध व नहरें, तालाब, कुएँ एवं नलकूप हैं। 

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प्रश्न 3. 
अपवाह तंत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
धरातलीय बनावट और भू-गर्भिक संरचना के आधार पर किसी नदी तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित  जल प्रवाह की विशेष व्यवस्था को अपवाह तंत्र कहते हैं। 

प्रश्न 4. 
सहायक नदियों से आपका क्या आशय है? 
उत्तर:
ऐसी छोटी नदियाँ जो आगे चलकर, किसी बड़ी नदी में मिल जाती हैं, उन्हें सहायक नदियाँ कहा जाता है। 

प्रश्न 5. 
बाणगंगा नदी का उद्गम कहाँ से होता है? 
उत्तर:
जयपुर जिले में स्थित अरावली की बैराठ पहाड़ी की।

प्रश्न 6. 
बनास की प्रमुख सहायक नदियों के नाम बताइये। 
उत्तर:
बनास की प्रमुख सहायक नदियाँ मेलान, कोठारी, बेड़च, खारी आदि हैं। 

प्रश्न 7. 
किस नदी को प्राचीन सरस्वती नदी का अवशेष अथवा सहायक नदी माना जाता है?  
उत्तर:
घग्घर नदी को। 

प्रश्न 8. 
सरदार सरोवर परियोजना किन-किन राज्यों की संयुक्त परियोजना है? 
उत्तर:
गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान राज्यों 

प्रश्न 9. 
राजस्थान के अपवाह तन्त्र को कितने भागों में बाँटा गया है? 
उत्तर:
तीन भागों में
(1) बंगाल की खाड़ी का अपवाह तन्त्र, 
(2) अरब सागर का अपवाह तन्त्र 
(3) आन्तरिक अपवाह तंत्र। 

प्रश्न 10. 
राजस्थान की जल-विभाजक रेखा किसे माना जाता है? 
उत्तर:
अरावली पर्वत को। 

प्रश्न 11. 
बंगाल की खाड़ी के अपवाह तन्त्र में शामिल राजस्थान की प्रमुख नदियों के नाम बताइये। 
उत्तर:
चम्बल, कालीसिन्ध, पार्वती, बनास तथा इनकी सहायक नदियाँ। 

प्रश्न 12. 
अरब सागर में गिरने वाली राजस्थान की प्रमुख नदियाँ कौन-कौनसी हैं? 
उत्तर:
माही, लूनी, साबरमती, पश्चिमी बनास एवं इनकी सहायक नदियाँ।

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प्रश्न 13. 
'आन्तरिक अपवाह तन्त्र' से क्या आशय है? 
उत्तर:
वे नदियाँ जो सागर में मिलने से पहले झील या स्थल भाग में लुप्त हो जाती हैं, आन्तरिक अपवाह तन्य का निर्माण करती हैं। 

प्रश्न 14.
राजस्थान के आन्तरिक अपवाह तन्त्र में कौनकौन सी नदियाँ सम्मिलित हैं? 
उत्तर:
घग्घर, बाणगंगा, कांतली, साबी, रूपारेल व मेंढ़ा आदि।

प्रश्न 15.
चम्बल परियोजना के अन्तर्गत राजस्थान में बनाये गये बाँधों के नाम बताइये। 
उत्तर:
(1) राणा प्रताप सागर बाँध, 
(2) जवाहर सागर  बाँध 
(3) कोटा बैराज बाँध ।

प्रश्न 16.
चम्बल परियोजना किन राज्यों की संयुक्त परियोजना
उत्तर:
मध्य प्रदेश व राजस्थान की। 

प्रश्न 17. 
'झीलों का नगर' किस शहर को कहा जाता है? 
उत्तर:
उदयपुर को 'झीलों का नगर' कहा जाता है। 

प्रश्न 18. 
खारे पानी की दो झीलों के नाम लिखिये। 
उत्तर:
(1) सांभर झील 
(2) लूणकरणसर झील। 

प्रश्न 19. 
टांका किसे कहते हैं? 
उत्तर:
पश्चिमी राजस्थान में जल संरक्षण हेतु घर में बनाई गर्छ कुएंनुमा संरचना को टांका कहते हैं।

प्रश्न 20. 
खड़ीन से आपका क्या आशय है? 
उत्तर:
पश्चिमी राजस्थान में कृषि के लिए जल संरक्षण हेतु बनाई गई संरचना खड़ीन कहलाती है। 

प्रश्न 21. 
जोहड़ क्या है? 
उत्तर:
वर्षा जल रोककर भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने हेतु बनाई गई संरचना जोहड़ कहलाती है। 

प्रश्न 22. 
जल विभाजक रेखा से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:
दो अपवाह क्षेत्र के मध्य उच्च भूमि जो वर्षा के पानी को दो भागों में विभाजित करती है, जल विभाजक रेखा कहलाती है। 

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प्रश्न 23. 
नदी घाटी परियोजनाओं को आधुनिक भारत के मंदिर किसने कहा और क्यों? 
उत्तर:
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नदी घाटी परियोजनाओं के महत्त्व को देखते हुए इन्हें 'आधुनिक भारत के मंदिर' कहा। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
लूनी नदी के बारे में बताइये। 
उत्तर:
लनी नदी-लनी नदी राजस्थान के अजमेर जिले में गोविन्दगढ़ के निकट सरस्वती व साबरमती नामक दो धाराओं के मिलने से निकलती है। अजमेर, नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर जिलों में बहने के बाद, यह नदी कच्छ की खाड़ी में मिल जाती है। बाड़मेर जिले के बालोतरा तक इस नदी का जल मीठा होता है इसके बाद यह खारा हो जाता है। जोजरी, बांडी, जवाई, मीठड़ी, खारी, सूकड़ी, सागी, गहिया अदि इसकी सहायक नदियाँ हैं। 

प्रश्न 2. 
निम्न नदियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिये-
(1) माही 
(2) बाणगंगा 
उत्तर:
(1) माही: माही नदी मध्य प्रदेश में विंध्याचल पर्वत से निकलती है। यह नदी राजस्थान में बाँसवाड़ा व प्रतापगढ़ जिलों में बहने के बाद, खंभात की खाड़ी में मिलती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ सोम एवं जाखम हैं।
(2) बाणगंगा: इस नदी का उद्गम, जयपुर जिले में  स्थित अरावली की बैराठ पहाड़ी से होता है। इस नदी का पानी भरतपुर में घना पक्षी राष्ट्रीय उद्यान में नम भूमि का निर्माण करता है। इसे अर्जुन की गंगा भी कहा जाता है। 

प्रश्न 3. 
घग्घर नदी के बारे में आप क्या जानते हैं? 
उत्तर:
घग्घर: घग्घर एक अन्तःप्रवाही नदी है। इसका उद्गम हिमाचल प्रदेश में हिमालय पर्वत की शिवालिक श्रेणी से होता है। उत्तरी राजस्थान में यह नदी हनुमानगढ़ में प्रवेश कर श्रीगंगानगर में भूमिगत हो जाती है। इस नदी को प्राचीन सरस्वती नदी का अवशेष अथवा सहायक नदी माना  जाता है।  

प्रश्न 4. 
नदी घाटी परियोजनाओं को बहुउद्देश्यीय  परियोजनाएँ क्यों कहा जाता है?  
उत्तर:
नदी घाटी परियोजनाओं से अनेक उद्देश्य की पूर्ति  होती है। नदियों पर बाँध बनाने से जल विद्युत उत्पादन, सिंचाई, पेयजल, मत्स्य पालन, वृक्षारोपण, भूमिगत जल स्तर में वृद्धि, बाढ नियन्त्रण, मंदा अपरदन और पर्यटन आदि कई प्रकार के उद्देश्य पूरे होते हैं। इन्हीं कारणों से इन्हें बहुउद्देश्यीय परियोजनाएँ भी कहा जाता है। 

प्रश्न 5. 
राजस्थान की आठ नदी घाटी परियोजनाओं के नाम लिखिये।  
उत्तर:
राजस्थान की आठ नदी घाटी परियोजनायें:
(1) चम्बल परियोजना 
(2) सरदार सरोवर परियोजना  
(3) माही बजाज सागर परियोजना 
(4) बीसलपुर परियोजना 
(5) जवाई बाँध परियोजना (पाली) 
(6) सोम कमला आम्बा बाँध परियोजना (डूंगरपुर) 
(7) मानसी वाकल परियोजना (उदयपुर) 
(8) जाखम परियोजना (प्रतापगढ़)।  

प्रश्न 6. 
बीसलपुर परियोजना एवं सरदार सरोवर परियोजना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
(1) बीसलपुर परियोजना-राजस्थान के टोंक जिले के टोडारायसिंह नगर के पास बीसलपुर गाँव है, यहाँ बनास नदी पर सिंचाई और पेयजल उद्देश्य से इस परियोजना का निर्माण किया गया है। इस परियोजना से राज्य के जयपुर, अजमेर, टोंक सहित कई अन्य क्षेत्रों को पेयजल आपूर्ति की जाती है। 
(2) सरदार सरोवर परियोजना-यह परियोजना गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान राज्यों की संयुक्त परियोजना है। इसका निर्माण गुजरात में नर्मदा नदी पर किया गया है  इस परियोजना से, राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम में नहर द्वारा बाड़मेर व जालोर जिलों में सिंचाई एवं पेयजल सुविधा उपलब्ध हो रही है। 

प्रश्न 7. 
उदयपुर की ऐतिहासिक जल प्रबंधन प्रणाली का वर्णन कीजिये। 
उत्तर:
उदयपुर में ऐतिहासिक जल प्रबंधन प्रणालीउदयपुर में 14वीं सदी से 19वीं सदी तक, जल संरक्षण हेतु, अनेक कार्यों द्वारा ऐतिहासिक जल प्रबंधन प्रणाली का विकास किया गया। यहाँ के राणाओं ने पिछोला, उदयसागर, फतहसागर, गोवर्धनसागर, रंगसागर, स्वरूपसागर, जनासागर आदि झीलों का समय-समय पर निर्माण करवाया एवं नहरें बनाकर इन्हें आपस में जोड़ दिया गया। इससे वर्षा ऋतु में जल एक के बाद, दूसरी झील में स्थानान्तरित हो जाता है। इन सभी झीलों के कारण ही उदयपुर को 'झीलों का मगर' भी कहा जाता है। 

प्रश्न 8.
राजस्थान में खारे पानी की झीलों का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
राजस्थान में खारे पानी की भी अनेक झीलें हैं। इनमें जयपुर, अजमेर एवं नागौर के मध्य सांभर झील, बाड़मेर में पचपदरा झील, नागौर में डीडवाना झील, बीकानेर में लूणकरणसर झील, जैसलमेर में पोकरण झील, जोधपुर में फलौदी झील आदि मुख्य हैं।

प्रश्न 9. 
'रूफ टॉप जल संचयन' एवं 'वाटर हार्वेस्टिंग' तकनीक के बारे में आप क्या जानते हैं? 
उत्तर:
जल संरक्षण हेतु वर्तमान में 'रूफ टॉप जल संचयन' एवं 'वाटर हार्वेस्टिंग' तकनीकें बहुत प्रचलित हैं। 'रूफ टॉप जल संचयन' विधि में घर की छत पर आने वाले वर्षा के जल को घर के नीचे बने कुएँ में एकत्र किया जाता है। जबकि वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक द्वारा वर्षा के व्यर्थ बहने वाले जल को भूमिगत किया जाता है। इन तकनीकों को वृहद् स्तर पर अपनाकर जल संरक्षण किया जा सकता है। 

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
अपवाह तंत्र से आप क्या समझते हैं? राजस्थान के अपवाह तंत्र का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
अपवाह तंत्र: अपवाह तंत्र या प्रवाह प्रणाली किसी नदी तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित जल प्रवाह की विशेष व्यवस्था है, जो धरातलीय और भू-गर्भिक बनावट से प्रभावित होती है। राजस्थान का अपवाह तंत्र-राजस्थान के अपवाह तंत्र को निम्न तीन भागों में बाँटा जाता है
(i) बंगाल की खाड़ी का अपवाह तंत्र: अरावली पर्वत के पूर्वी भाग में बहकर अपना जल बंगाल की खाड़ी में ले जाने वाली चम्बल, कालीसिंध, पार्वती, बनास एवं इनकी सहायक नदियों को बंगाल की खाड़ी का अपवाह तंत्र कहते हैं। 
(ii) अरब सागर का अपवाह तंत्र: अरावली पर्वत के पश्चिमी भाग में बहकर अपना जल अरब सागर में ले जाने वाली माही, लूनी, साबरमती, पश्चिमी बनास एवं इनकी सहायक नदियों को अरब सागर का अपवाह तंत्र कहते हैं। 
(iii) आंतरिक अपवाह तंत्र: ऐसी नदी जो किसी समुद्र तक न पहुँचकर स्थल भाग में ही विलुप्त हो जाए या किसी झील में मिल जाए तो उसे आंतरिक या भूमिगत अपवाह तंत्र वाली नदी कहा जाता है। राजस्थान में बहने वाली घग्घर, बाणगंगा, कांतली, साबी, रूपारेल, मेंढा आदि नदियों को आंतरिक अपवाह तंत्र में शामिल किया जाता है। 

प्रश्न 2. 
चम्बल एवं बनास नदियों का वर्णन कीजिये। 
उत्तर:
(1) चम्बल: यह राजस्थान की सबसे लंबी व एकमात्र वर्षभर बहने वाली नदी है। इसका उद्गम मध्य प्रदेश में विंध्याचल पर्वत से होता है। राजस्थान में यह नदी चित्तौड़गढ़ जिले में भैंसरोड़गढ़ से प्रवेश कर कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, करौली व धौलपुर जिलों में बहने के बाद उत्तर प्रदेश में यमुना नदी में मिल जाती है। बनास, बेड़च कोठारी, कालीसिंध, पार्वती आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। औद्योगिक नगर कोटा चम्बल के किनारे पर स्थित है। 
(2) बनास: यह नदी राजसमन्द जिले में खमनौर की पहाड़ियों में भैरों के मठ से निकलती है, जो राजसमन्द, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, टोंक जिलों में बहकर सवाई माधोपुर में रामेश्वर के निकट चम्बल में मिल जाती है। इसका जल ग्रहण क्षेत्र राज्य में सर्वाधिक है और यह पूर्णत: राजस्थान में बहने वाली सबसे लम्बी (480 किमी.) नदी है। इसकी सहायक नदियाँ बेड़च, कोठारी, चन्द्रभागा, खारी व मोरेल हैं। टोंक व सवाई माधोपुर नगर इसके किनारे बसे हैं। 

प्रश्न 3.
जल संसाधन के रूप में राजस्थान की झीलों का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
राजस्थान में झीलें-राजस्थान में झीलें भी जल संसाधन का प्रमुख रूप हैं। यहाँ अनेक झीलें पाई जाती हैं। इन्हें दो भागों में बांटा जा सकता है
(1) मीठे पानी की झीलें-उदयपुर में मीठे पानी की अनेक झीलें हैं जिसके कारण इसे 'झीलों का नगर' भी कहा जाता है। यहाँ पिछोला, उदयसागर, फतहसागर, गोवर्धनसागर, रंगसागर, स्वरूपसागर, जनासागर आदि झीलें प्रमुख हैं जिन्हें नहर बनाकर आपस में जोड़ा भी गया है। इससे वर्षा ऋतु में जल एक के बाद, दूसरी झील में चला जाता है। मेवाड़ के महाराणा जयसिंहजी ने सन् 1687 से 1691 ई. तक गोमती नदी पर जयसमंद झील का निर्माण करवाया। यह विश्व की मीठे पानी की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील मानी जाती है। राजसमंद जिले में स्थित राजसमंद झील भी प्रसिद्ध है, जिसके उत्तरी भाग को नौ चौकी भी कहा जाता है। अजमेर में स्थित पुष्कर एक धार्मिक महत्त्व की प्राकृतिक झील है। आनासागर भी अजमेर की एक प्रसिद्ध झील है। सिरोही के माउंट आबू में स्थित नक्की झील राज्य में सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित प्राकृतिक झील
इसके अतिरिक्त जोधपुर में बालसमंद, कायलाना एवं उम्मेदसागर; जैसलमेर में गढ़ीसर; डूंगरपुर में गेपसागर; बीकानेर में कोलायत; अलवर में सिलीसेढ़ आदि कई अन्य झीलें भी राज्य में महत्त्वपूर्ण जल संसाधन हैं। 
(2) खारे पानी की झीलें-जयपुर, अजमेर एवं नागौर के मध्य सांभर झील, बाड़मेर में पचपदरा, नागौर में डीडवाना, बीकानेर में लूणकरणसर, जैसलमेर में पोकरण, जोधपुर में फलौदी आदि खारे पानी की प्रमुख झीलें हैं। 

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प्रश्न 4. 
जल संरक्षण हेतु क्या उपाय किये जाने चाहिए? 
उत्तर:
जल संरक्षण हेतु उपाय:
(1) जल संरक्षण के लिए प्रत्येक नागरिक को प्रशासन का सहयोग करना चाहिए।  
(2) हमें जलाशयों में घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट नहीं डालना चाहिए।
(3) पेयजल स्रोतों के निकट स्नान आदि नहीं करना चाहिए। 
(4) इनके साथ-साथ जल संचयन, जनसंख्या नियंत्रण,  सिंचाई की उन्नत विधियों के प्रयोग, वृक्षारोपण में वृद्धि, भूमिगत जल का विवेकपूर्ण उपयोग और जल का पुनः उपयोग आदि प्रयत्नों से जल का संरक्षण किया जाना चाहिए। 
(5) अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों से, जल को नहरों के द्वारा कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पहुँचाकर, जन-जीवन और उद्योगों के लिये, अनुकूल परिस्थितियाँ सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई . जा रही हैं।

Raju
Last Updated on July 28, 2022, 5:19 p.m.
Published July 28, 2022